अंत से शुरुआत: आखिर कौन थी गिरिजा

लेखक- एस भाग्यम शर्मा

रविवार का दिन था. श्वेता अपने पैरों के नाखूनों को शेप दे रही थी कि तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई.

“हैलो, क्या आप का नाम श्वेता है?”

“जी… पर आप कौन? मैं ने आप को पहचाना नहीं.”

“मेरा नाम गिरिजा है. मैं रूपराज की पत्नी हूं. अब मैं कौन हूं समझ में आ ही गया होगा?” श्वेता कोई जवाब तो नहीं दे पाई पर वह सदमे में आ गई.

“यहां बैठ कर आराम से बात नहीं हो सकती. पास के रैस्टोरैंट में चल कर हम बात करें? कपड़े बदल कर जल्दी से चलो,” गिरिजा बोलीं.

उन की आवाज में जो गंभीरता थी उस से श्वेता को वैसे ही करने के लिए मजबूर कर दिया. उस के मन के अंदर हजारों प्रश्न उठने लगे,’झगड़ा करने आई है क्या… मेरे पति को मुझ से अलग मत करो ऐसा विनती करेगी और आदमियों को ला कर मुझे धमकी देगी…’ क्या करना चाहिए उस के समझ में नहीं आया. श्वेता कपड़े बदल कर उन के साथ रवाना हो गई.

श्वेता जहां काम करती थी वहां पर रूपराज एक बड़ा अधिकारी था. करीब ढाई हजार आदमीऔरत वहां पर काम करते थे. जहां आदमीऔरत साथ काम करते हैं तो एकदूसरे से मिलनाजुलना स्वाभाविक ही है‌. एक ही कंपनी में काम करने से कई बार रूपराज से उस की बातचीत हुई थी . एक दिन लिफ्ट में साथ आने का मौका भी मिला और फिर एक दिन मोबाइल नंबरों का आदानप्रदान भी.

रूपराज के फोन पर बात करने पर वह मना नहीं कर सकी. उस से बात करना अच्छा लगने लगा. फिर मिलने की इच्छा भी होने लगी. दोनों के बीच प्रेम शुरू हो चुका था. श्वेता को लगा कि अब इस प्रेम को शादी में बदलना चाहिए.

“मैं पहले से ही शादीशुदा हूं…” कहते हुए रूपराज हकलाया,”मेरी पत्नी एक राक्षसी है, मोटी है और बदसूरत ही नहीं निपूती भी है. हमेशा चिल्लाती रहती है. सामानों को उठा कर फेंकती है. प्रेम से एक शब्द भी नहीं बोलती. मुझे तो घर जाने की इच्छा भी नहीं होती…” कह कर टेबल पर दोनों हाथ रख कर रोने लगा.

“तुम्हें देखते ही मैं तुम पर फिदा हो गया. तुम बेहद खूबसूरत हो और तुम्हें देख कर मैं सबकुछ भूल गया कि मैं शादीशुदा हूं. मुझे लगा तुम्हें मालूम पड़े तो तुम मुझ से रिश्ता नहीं रखोगी, यही सोच कर मैं ने सच को तुम से छिपाया. मुझे छोड़ कर मत चली जाना श्वेता…”

यह सुनने के बाद श्वेता को रूपराज से जो प्रेम था वह और भी बढ़ गया. इतने प्रेम से रहने वाले पति से, प्रेम न करने वाली पत्नी के ऊपर उसे गुस्सा भी आया.

“तुम चिंता मत करो. मैं उस से तलाक ले लूंगा. उस के बाद हम शादी कर लेंगे. पर तब तक मैं तुम्हें देखे बिना नहीं रह सकता. होस्टल में तो आनाजाना संभव नहीं. एक नया घर ले लेता हूं, तुम वहां रहो. 2 महीने में तलाक हो जाएगा…”

विश्वास करने लायक बात तो थी, मगर उस की पत्नी इस तरह आ कर उस के सामने खड़ी हो जाएगी यह उस ने नहीं सोचा था. रैस्टोरैंट में श्वेता और गिरिजा कोने की एक टेबल पर बैठे.

और्डर दे कर गिरिजा ने मौन को तोड़ा,”क्या बात है श्वेता, तुम कुछ भी बोल नहीं रही हो… मैं क्या कहूंगी ऐसा तुम्हें डर लग रहा है क्या?”

“मैं… यहां इस होस्टल में रहती हूं यह आप को कैसे पता चला?”

गिरिजा खिलखिला कर हंसी,”आदमी दूसरी औरत के पास जा रहा है एक औरत उसे समझ नहीं सकती क्या ?
पति से जब पूछा तब उन्होंने ठीक से जवाब नहीं दिया तब डिटैक्टिव ऐजैंसी की मैं ने सहायता ली. उस ने हर बात को सहीसही बता दिया.

“छोटी उम्र में तुम्हारे मातापिताजी गुजर गए और नजदीकी रिश्तेदार भी कोई नहीं है. औफिस में तुम किसी से भी ज्यादा बातचीत नहीं करतीं. सिर्फ शुक्रवार को ही तुम साड़ी पहनती हो और बाकी दिन चूड़ीदार या कोई वैस्टर्न ड्रैस पहनती हो. पिछली बार जब तुम रूपराज के साथ बाहर गई थीं तो उस ने तुम्हें एक पिंक कलर की सिल्क की साड़ी दिलाई थी. यह सबकुछ भी मुझे मालूम है.”

अपराधिक भावना से श्वेता ने सिर झुका लिया.

“चलो रख लो… ऐसा कह कर एक चौकलेट देने वाला भी तुम्हें कोई नहीं है. एक गंभीर आदमी के आते ही तुम उस पर फिसल गईं. मैं दिखने में सुंदर नहीं हूं, मोटी हूं, काली हूं और हमारे पिताजी की वजह से एक बेमेल शादी हो गई.”

वह आगे बोलीं,”मेरी बहन ने एक लड़के से प्रेम किया, वह कौन है, कैसा है मेरे पिताजी ने इसे भी मालूम नहीं किया. उन से बात कर के दीदी की शादी करवा दी. मेरे पिताजी को तो उस के बारे में मालूम करना चाहिए था. यदि लड़का ठीक होता तो शादी करवाते. पर ऐसा नहीं हुआ.

“उस आदमी के सही न होने कारण मेरी दीदी ने आत्महत्या कर ली. मैं भी कहीं प्रेम में न पड़ जाऊं ऐसा सोच कर वे डर गए और उन के औफिस में काम करने वाले रूपराज से जल्दीजल्दी में मेरी शादी करवा दी.पर रूपराज को हमारे पिताजी के रुपयों पर ही आंख थी, यह समझने के पहले ही उन का देहांत हो गया. हमारा कोई बच्चा नहीं है, यह तो एक बहाना है. जिन के बच्चा नहीं होता वे खुशी के साथ नहीं रहते हैं क्या? मन में प्रेम हो तो यह संभव है,” गिरिजा का गला भर आया. आंखों में नमी आ गई.

अपनी गलती को श्वेता ने महसूस किया.

“देखो, अपनी समस्या को बता कर सांत्वना लेने के लिए मैं यहां नहीं आई. मेरे पति को छोड़ दो यह भी नहीं कहूंगी. जब उस ने मेरे शरीर का बहाना बना कर दूसरी स्त्री को ढूंढ़ लिया है, तो उसी समय से मेरी शादीशुदा जिंदगी का कोई अर्थ नहीं है, यह बात मेरी समझ में आ गई थी.सिर्फ तुम्हारे बारे में बात करने के लिए मैं तुम्हें ढूंढ़ कर आई, तुम से बात करने.”

‘यदि मुझे समझाने के लिए मां होती तो मेरी यह गलती नहीं हुई होती…’ श्वेता सोचने लगी.

“तुम कैसी लड़की हो श्वेता? कोई तुम्हें बस इतना कहे कि वह तुम्हें चाहता है, वह शादीशुदा है तो तुम्हें अपना होश खो देना चाहिए? तुम्हें पूछताछ कर के सच का पता नहीं लगाना चाहिए?

“मुझे एक फोन तो कर सकती थीं न… तुम अकेली हो, नौकरी करती हो, फिर क्यों यह सैकंड हैंड हसबैंड के साथ रहना चाहती हो?

“तुम्हें कानून की जानकारी नहीं है? वह तलाक मांगे तो मैं तलाक दे दूंगी तुम ने ऐसा क्यों सोच लिया? रूपराज ने अभी तक तलाक की अर्जी भी नहीं लगाई है. वैसे, अर्जी लगा भी दे तो तलाक मिलने में 2-3 साल तो लग ही जाएंगे. यदि मैं कोई विरोध करूं तो और भी समय लग सकता है. तब तक रूपराज तुम से शादी नहीं कर सकता. यदि करे तो कानून के हिसाब से वह सही नहीं होगा.”

गिरिजा की गंभीर और सही बातों का श्वेता के पास कोई जवाब नहीं था,”अभी क्या करना चाहिए मेरी समझ में नहीं आ रहा है. आप ही बताइए क्या करूं?” श्वेता बोली.

“हमारे घर में प्रेम के कारण आत्महत्या हुई है, वैसे ही यहां नहीं हो, इसी बात को ध्यान में रख कर मैं यहां आई हूं. होस्टल में जाओ और तसल्ली से सोचो. तुम्हें रूपराज से कितना प्रेम है और रूपराज को तुम से कितना प्रेम है और वह कितना सच्चा है इसे भी मालूम करो? हमारा तलाक हो भी जाए तो रुपए, मकान और सबकुछ मेरे पास आ जाएंगे. आवाज देते ही काम के लिए आदमी हाजिर, बड़ा बंगला, हमेशा ड्राइवर के साथ गाड़ी… इन सब सुविधाओं को छोड़ने के लिए रूपराज तैयार होगा क्या, इसे मालूम करो. यदि इन सब को छोड़ कर वह तुम्हारे साथ आने को तैयार है तो वह सच्चा प्रेम है. फिर तुम उस से शादी कर लो और खुश रहो. पर पहले उसे परखो और सचाई को जानो. यदि कोई धोखा खाने वाला आदमी हो तो वहां धोखा देने वाला आदमी भी होता है.

“रूपराज की बातों को सुन कर जल्दी से होस्टल खाली कर के नया मकान ले कर चली मत जाना. जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है. तुम्हें कुछ मदद की जरूरत है तो मुझे फोन कर देना,” कह कर गिरिजा बिल चुका कर बाहर निकल गईं.

‘रूपराज ने जिस गिरिजा के बारे में बताया था उस में और इस गिरिजा में कितना अंतर है… यह सब देखे बिना ही मैं रूपराज के प्रेमजाल में फिसल गई यह मेरी ही गलती थी,’ यह सोचते हुए श्वेता ने एक दिन रूपराज से बात की.

तलाक के बारे में प्रश्न पूछने पर उस ने बेरुखी से जवाब दिया. वह श्वेता को अलग मकान में रखना चाहता था.
गिरिजा के साथ जो आरामदायक जीवन उसे मिला है, वह उसे खोना नहीं चाहता था. वह खुद को अच्छा आदमी भी दिखाना चाहता था ताकि समाज में उस की इज्जत बनी रहे. श्वेता के साथ छिप कर जिंदगी जीने का जो जाल उस ने बिछाया था वह श्वेता की समझ में आ चुका था. यह जान कर एक दिन उस ने गुस्से में कहा,”अरे, तुम कैसी बात कर रही हो. मेरे साथ घूमीफिरी हो, कितने दिन होटलों में आई हो, मौजमस्ती की हो, उन सब को मैं फोन पर डाल कर भेज दूंगा. फिर कोई तुम से शादी नहीं करेगा. मैं जैसा बोल रहा हूं वैसा रहो नहीं तो मैं क्या करूंगा मुझे ही नहीं पता.”

श्वेता डर गई. उस ने गिरिजा से मदद मांगी,”वह धमकाता है…”

तब गिरिजा ने कहा,”तो तुम क्यों डर रही हो? जो कुत्ते भूंकते हैं वे काटते नहीं. तुम्हारी फोटो डालते ही साथ में उस की तसवीर नहीं आएगी क्या? हां, तुम सतर्क जरूर रहो. गुस्से में लोग खून करने में भी पीछे नहीं रहते…

“तुम पुलिस की मदद लो. जहां विनम्र होना जरूरी हो वहां होना चाहिए पर कोई गलती करे तो उस को छोङो भी मत. किसी काम को शुरू करने के बाद मन में दुख नहीं होना चाहिए…” गिरिजा बोलीं.

फिसल कर गिरने वाली श्वेता का गिरिजा ने हाथ पकड़ कर खींचा था और उसे सही राह दिखाई थी. फिर भी वह औफिस वालों की निगाहों और रूपराज की धमकियों को सहन न कर पाई.

“तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा हो तो नौकरी छोड़ दो श्वेता,” गिरिजा बोलीं.

“नौकरी छोड़ दूं तो कैसे? फिर मेरा क्या होगा?”

“श्वेता… तुम्हें ड्रैस डिजाइनिंग का काम अच्छी तरह आता है न, तुम अपनी ड्रैस स्वयं ही डिजाइन करती हो… यह सब कैसे मालूम है मत पूछो. मैं हूं न तुम्हारे साथ. बस, पहले छोटे दुकान से शुरू करेंगे. हम दोनों के नाम से उस का नाम ‘श्वेगी’ रखेंगे. अलगअलग जगहों से कपड़े खरीदेंगे. अच्छा चलेगा तो यात्रा भी करेंगे.”

“नहीं तो?”

“नहीं तो दुकान बंद कर के ठेला लगा कर चाट बेचेंगे,” कह कर गिरिजा हंसी.

कठोर परिश्रमी, किसी बात से न डरने वाली और मजबूत इरादों वाली गिरिजा दृढ़ता से खड़ी थीं. उसे प्यार देने के लिए कोई नहीं था. एक दीदी थीं वह भी चल बसी थीं. पिता भी नहीं है. शादी की, तो पति भी दूसरी लड़की को ढूंढ़ता फिर रहा है बावजूद भी वह निडर हो कर खड़ी है. अपने फैसलों को सोचसमझ कर ले रही है. दूसरी लड़की धोखा न खाए इसलिए उस की मदद कर रही है.

गिरिजा से संबंध रखने में श्वेता का भी स्वभाविमान जाग उठा. दोनों के संयुक्त प्रयास से ‘श्वेगी फैशन’ का जन्म हुआ. जीने का आत्मविश्वास जागृत होने से और अपने परिश्रम से वे दोनों सफलता की ओर बढ़ते चले गए.

मैं शादीशुदा हूं, लेकिन किसी और लड़के के साथ सैक्स करती हूं…

अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल

मैं 31 वर्षीय शादीशुदा युवती व 4 वर्षीय बेटी की मां हूं. मैं एक लड़के से बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझ से बेइंतहा मुहब्बत करता है. मेरे विवाहिता व एक बच्ची की मां होने के बावजूद हम दोनों का प्रेम संबंध काफी घनिष्ठ है. हम ने बेखौफ हो कर शारीरिक संबंध भी बनाए हैं. लेकिन अब अचानक मुझे लगने लगा है कि यह सब अनाचार नहीं करना चाहिए, इसलिए मैं ने उस लड़के से दूरी बना ली है पर वह बारबार फोन करता है. मुझे मिलने के लिए बुलाता है. क्या एक बार मिल लूं? मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप शादीशुदा महिला हैं, बावजूद इस के किसी और लड़के से अवैध संबंध रख कर न केवल आप अपना दांपत्य जीवन दांव पर लगा रही थीं, बल्कि उस लड़के को भी गुमराह कर रही थीं. अच्छा है कि समय रहते आप को अपराधबोध हो गया और आप ने अपने कदम पीछे खींच लिए. आप पर न केवल आप के घरपरिवार की अपितु अपनी नन्ही बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी है. इसलिए अपने फैसले पर अडिग रहें. अपने प्रेमी से साफसाफ कह दें कि आप उस से नहीं मिलना चाहतीं. वह आप से संपर्क साधने की कोशिश न करें.

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शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

आपसी वार्तालाप ना होना- पुरूष अकसर चाहते हैं कि वो अपनी पत्नी से खूब बातें करें और उनकी पत्नी भी अपनी बातें शेयर करें लेकिन जब आपसी वार्तालाप या संवाद की स्थिति खत्म हो जाती है तो रिश्तों में दरार आने और धोखा देने की संभावना अधिक बढ़ जाती है.

प्रयोगवादी होना- लोग आजकल नए-नए एक्सपेरिमेंट करते हैं. जब कोई पुरूष रिश्तों से उबने लगता है तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

महिलाओं का शादी के बाद धोखा देने के कारण

अफेयर होना- आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद पुरूषों को इसीलिए धोखा देने लगती हैं, क्योंकि उनका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उनका पहला प्रेमी उन्हें परेशान और ब्लैकमेल करता है जिससे वे धोखा देने पर मजबूर हो जाती हैं.

विश्वास ना होना- इसीलिए कुछ महिलाएं धोखा देने लगती हैंक्योंकि उनका पति उन पर विश्वास नहीं करता या फिर बिना किसी वजह शक करता है.

बोरियत होना- कई बार महिलाएं घर में रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती हैं और अकेले रहते-रहते वे बाहर की और आकर्षित होती हैं. नतीजन कई बार उनके इससे विवाहेत्तर संबंध भी बन जाते हैं.

साथी से विचार ना मिलना- कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी महिलाएं बाहर की ओर आकर्षित होती हैं.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

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मैं नरक से गुजर रही हूं, नेहा भसीन ने सोशल मीडिया पर ऐसा क्यों कहा

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली फेमस प्लेबैक सिंगर नेहा भसीन ने हाल ही में अपने फैंस के साथ अपनी हेल्थ प्रौब्लम्स के बारे में कुछ बातें शेयर की है. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते हुए अपने फैंस को बताया कि वो किन हेल्थ इश्यूज से गुजर रही हैं. इस बात को जान कर उनके फैन्स भी हैरानपरेशान हो गए हैं.

 

आपको बता दें सिंगर नेहा भसीन ने इंस्टाग्राम पर एक नोट शेयर किया, जिसमें उन्होंने ‘प्रीमेन्स्ट्रूअल डिस्फोरिक डिसआर्डर’, ‘आब्सेसिव कंपल्सिव पर्सनैलिटी डिसआर्डर’ और ‘फाइब्रोमायल्जिया’ जैसी हार्मोनल और डिप्रेशन जैसी मेंटल सुचुएशन से ग्रसित होने को लेकर अपना दर्द बयां किया है

अनकंफर्टेबल फीलिंग

नेहा ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा है कि वो बहुत कुछ कहना चाहती हैं लेकिन शब्दों में बयां नहीं कर पा रही हैं. इस समय वो खुद को काफी असहाय महसूस कर रही हैं क्योंकि वह PMDD, OCPD और फाइब्रोमायल्जिया जैसी बीमारियों से जूझ रही हैं.

खुद को कैसे करूं स्ट्रौंग

नेहा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि वो प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसआर्डर (पीएमडीडी) और आब्सेसिव-कंपल्सिव पर्सनैलिटी डिसआर्डर से पीड़ित हैं, “मैं बहुत कुछ कहना चाहती हूं लेकिन मैं वास्तव में नहीं जानती कि कहां से शुरू करूं या जिस असहाय नरक का मैं अनुभव कर रही हूं मैं उस से खुद को कैसे मजबूत करूं. सालों से मुझे शक था कि कुछ गड़बड़ है. आखिरकार आज मेडिकली रूप से अधिक जागरूकता के साथ डायग्नोसिस हुआ है. “(कागजों पर 2 सालों से, मुझे तब से पता है जब मैं 20 साल की थी) जो मानसिक और हार्मोनल बीमारियों के लिए सही इलाज मिल पाया है और इन सबके साथ एक बड़ा अहसास और फिर यह स्वीकृति आई है कि कम से कम अभी तो मेरा नर्वस सिस्टम टूटा हुआ महसूस हो रहा है.”

PMDD, OCPD और फाइब्रोमायल्जिया बीमारी के लक्षण

महिलाओं में PMDD बीमारी में पीरियड्स से होने से पहले उदासी, निराशा, चिड़चिड़ापन या गुस्सा और ब्रैस्ट में ढीलापन या फिर सूजन जैसी परेशानियां आती हैं. वहीं OCPD से ग्रसित व्यक्ति एक ही चीज को बार-बार करता है जैसे बार-बार हाथ धोना. फाइब्रोमायल्जिया में शख्स को शरीर में दर्द, थकान और मूड स्विंग्स जैसी प्रौब्लम्स होती है.

खुद को कर रही हैं इंस्पायर

अपने इस पोस्ट में नेहा ने इस बीमारी में दिखने वाले लक्षणों की भी बात की उन्होंने बताया कि टायर्डनेस, फीजिकल और इमोशनल पेन, टेंशन और बहुत कुछ. उन्होंने लिखा वह कई सालों से पेन में है और अभी भी अपने लक्ष्यों को पाने के लिए खुद को इंस्पायर कर रही है, और अब उनके थेरेपिस्ट ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है.

प्रीमैंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसआर्डर (PMDD) के लक्षण

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसआर्डर (PMDD) एक गंभीर प्रकार का प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) है, जिसमें महिला को पीरियड्स से पहले और दौरान फिजिकल और इमोशनल लक्षणों का अनुभव होता है. PMDD के लक्षण अक्सर पीरियड्स शुरू होने से लगभग एक से दो सप्ताह पहले शुरू होते हैं और पीरियड्स शुरू होने के बाद में खत्म हो जाते हैं.

फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण-

फाइब्रोमायल्जिया एक क्रोनिक डिसआर्डर है

यह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसमें फिजिकल पैन के साथ कई प्रकार की मेंटल हेल्थ रिलेटेड प्रौब्लम्स भी होने लगती हैं जिसमें पूरी बौडी, मसल्स और जौइंट में पेन होता है. थकान, तनाव, चिंता, नींद की समस्या और मूड स्विंग भी हो सकता है। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मस्तिष्क में सेरोटोनिन और नारपेनेफ्रिन केमिकल में डिसबैलेंस के कारण इस तरह की प्रौब्लम होने का खतरा अधिक हो जाता है. इसके साथ ही अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं। यह अक्सर महिलाओं में पाया जाता है और इसके लक्षण व्यक्तिगत रूप से भिन्न हो सकते हैं.

रिसर्च के अनुसार आपकी मेन्स्ट्रूअल साइकिल के दौरान साइक्लिक हार्मोन में जो बदलाव आते हैं उसकी वजह से PMS होता है. हार्मोन और सिरोटोनिन के बीच जो क्रिया होती है उसकी वजह से आपका दिमाग एक तरह का रसायन बनाता है जो आपके मूड के लिए ज़िम्मेदार होता है, और यह भी PMS का एक कारण माना गया है.

कुछ और भी कारण जैसे धूम्रपान, तनाव, शराब का सेवन, नींद की कमी, निराशा आदि भी PMS और उसकी सीवीएरिटी पर असर डाल सकते हैं, हालांकि PMS इन कारणों की वजह से नहीं होता है.

फैंस का रिएक्शन

बौलीवुड की कई फिल्मों में हिट सौन्ग गाने वाली नेहा रियलिटी शो ‘बिग बौस ओटीटी’ में भी नजर आ चुकी नेहा भसीन की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद उनके फैंस उनका हौसला बढ़ाते हुए भी नजर आए.
सुशांत दिवगिकर ने कहा- ‘मेरी दीदी, आप उन सबसे अच्छे इंसानों में से एक हैं, जिनसे मैं कभी मिला हूं और आपसे मिलकर बेहद खुशी हुई है. मैं हमेशा आपके साथ हूं.

मेघना नायडू ने लिखा है- ‘ढेर सारा प्यार और स्ट्रेंथ मेरी हौटी, मैं सिर्फ एक मैसेज दूर हूं.’
सलीम मर्चेंट ने कमेंट में रेड हार्ट वाली इमोजी शेयर की है, शार्दुल पंडित ने लिखा है- ‘ढेर सारा प्यार…’

विनेश फोगाट नहीं हैं लूजर ! फिर ये क्यों कहा – मां कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई

पेरिस ओलंपिक 2024 में देश को बड़ा झटका लगा. भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट फाइनल में पहुंच चुकी थी, लेकिन 100 ग्राम अधिक वजन के कारण वह डिसक्वालिफाई हो गईं. जिससे भारत की उम्मीदों को झटका लगा..

100 ग्राम के बोझ तले दब गई उम्मीदें

सेमीफाइनल जीतने के बाद विनेश फोगाट ने कहा था कि जिस दिन फाइनल है, वह मेरे लिए बड़ा दिन है, लेकिन किसे पता था फोगाट और पूरे देश की उम्मीदें 100 ग्राम के बोझ तले दब जाएंगी.

वेट कम करने के लिए बाल, नाखून भी कटवाएं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब मंगलवार सुबह विनेश फोगाट का वजन मापा गया तो 49.90 किलोग्राम था. सेमीफाइनल के मैच खेलने के बाद उन्हें एनर्जी के लिए खाना खिलाया गया था, ऐसे में विनेश का वजन बढ़कर 52.700 किलोग्राम तक हो गया था.

इसके बाद विनेश की मेडिकल टीम ने रातभर वजन घटाने की कोशिश की थी. विनेश फोगाट ने स्किपिंग, साइकलिंग और कई एक्सरसाइज किए. फिर भी वजन कम नहीं हुआ. यहां तक कि वेट कम करने के लिए बाल, नाखून काटे गए, छोट कपड़े भी पहनें.. इसके बावजूद भी वजन 50.100 किलोग्राम पर रुक गया.

खबरों के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने सौ ग्राम वजन कम करने के लिए विनति की लेकिन नियम बदला नहीं जा सकता था. दुर्भाग्यपूर्ण ओलंपिक 2024 में विनेश का ये सफर खत्म हो गया.

लड़कियों को कहा जाता है नाजुक

जब लड़की का जन्म होता है, तो उसे फूलों की तरह रखा जाता है. कहा जाता है कि लड़कियों को कोमल दिखना चाहिए, मर्दों की तरह उनका शरीर नहीं होना चाहिए. इसी वजह से लड़कियों को खेलनेकूदने से अक्सर पैरेंटेस मना करते हैं, लड़कियों को ज्यादा सौफ्ट खिलौने ही दिए जाते हैं. माना जाता है कि लड़कियों का हर एक आर्गेन सौफ्ट होना चाहिए.

समाज में कुछ लोग ये मानते हैं कि लड़कियां मतलब कोमल… कुछ लड़कियां तो इसे मानती हैं कि अगर वो खेलकूद में हिस्सा लेती हैं या एक्सरसाइज करती हैं, तो उनकी बौड़ी खराब हो जाएगी और वो मर्दों की तरह दिखेंगी. लेकिन कुछ लड़कियों के तो स्पौर्ट्स सपना होता है, इन्हीं में से एक हैं विनेश फोगाट, जिनका फैशन और नाजुक से कोई नाता नहीं है, उन्होंने सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया और पेरिस ओलंपिक सेमीफाइनल तक अपनी जगह बनाई. सलाम है इस भारतीय पहलवान को जिन्होंने इस रेस को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी.

डिस्क्वालिफाई होने के बाद लिया शौकिंग फैसला

 

 

कभीकभी जीतने के बावजूद भी आप दुनिया के सामने हार जाते हैं. लेकिन मेहनत कभी भी आपको निराश नहीं कर सकती. जब आप पूरे मन से किसी काम को करने के लिए जी और जान लगा देते हैं, तो बिना जीत हासिल किए भी कामयाबी आपको मिल ही जाती है.

विनेश फोगाट असली चैंपियन हैं, जो कभी नहीं हार सकती. उन्होंने कई बार ठोकरें खाईं और उनके साथ कल यानी 7 अगस्त को भी कुछ ऐसा ही हुआ. इसके बाद विनेश फोगाट पूरी तरह से टूट गईं. उन्होंने कुछ ऐसा फैसला ले लिया, जो सबके लिए काफी शौकिंग था.

विनेश फोगाट ने एक्स पर अपने सन्यास ऐलान कर दिया. उन्होंने इस पोस्ट में लिखा कि मां कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अ. अलविदा कुश्ती 2001-2024. आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी माफी..

विनेश फोगाट और बृजभूषण सिंह का क्या है मामला

एक साल पहले भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा. जंतरमंतर पर उनके खिलाफ मोर्चा भी खोला गया था, उसमें विनेश फोगाट शामिल थीं. उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ बुलंद आवाज उठाई. जिसके बृजभूषण का करियर डूबता नजर आया.

बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. ये छह बार सांसद रहे हैं, लेकिन विनेश ने जब इनकी करतूतों को चिट्ठा खोला, तो बृजभूषण सिंह की सियासत पर ग्रहण लग गई. सिर्फ चुनावी मैदान से ही बाहर नहीं हुए बल्कि कुश्ती महासंघ पर अपने करीबी को बैठाया था, इस पर भी पानी फिर गया.

माधवी: उसकी छोटी सी दुनिया में क्यों आग लग गयी थी?

दिन भर स्कूल की झांयझांय से थक कर माधवी उसी भवन की ऊपरी मंजिल पर बने अपने कमरे में पहुंची. काम वाली को चाय बनाने को कह कर सोफे पर पसर गई. चाय पी कर वह थकान मिटाना चाहती थी. चूंकि इस समय उस का मन किसी से बात करने का बिलकुल नहीं था इसीलिए ऊपर आते समय मेन गेट में वह ताला लगा आई थी.

अभी मुश्किल से 2-3 मिनट ही हुए होंगे कि टेलीफोन की घंटी बज उठी. घंटी को सुन कर उसे यह तो लग गया कि ट्रंककाल है फिर भी रिसीवर उठाने का मन न हुआ. उस ने सोचा कि काम वाली से कह कर फोन पर मना करवा दे कि घर पर कोई नही, तभी घंटी बंद हो गई. एक बार रुक कर फिर बजी. वह खीज कर उठी और टेलीफोन का चोंगा उठा कर कान से लगाया. फोन जबलपुर से उस की ननद का था. माधवी ने जैसे ही ‘हैलो’ कहा उस की ननद बोली, ‘‘भाभी, तुम जल्दी आ जाओ. मां बहुत याद कर रही हैं.’’

‘‘मांजी को क्या हुआ?’’ माधवी ने हड़बड़ा कर पूछा.

‘‘लगता है अंतिम समय है,’’ ननद जल्दी में बोली, ‘‘तुम्हें देखना चाहती हैं.’’

‘‘अच्छा,’’ कह कर माधवी ने फोन रख दिया.

घड़ी में देखा, 4 बज रहे थे. जबलपुर के लिए ट्रेन रात को 10 बजे थी. माधवी ने टे्रवल एजेंट को फोन कर 2 बर्थ बुक करने को कहा.

वह पहले माधवी के साथ ही रहा करती थीं. माधवी के पति राघव 3 भाइयों में दूसरे नंबर के थे. बड़े बेटे की नौकरी तबादले वाली थी. तीसरा बेटा बंटी अभी बहुत छोटा था. राघव की भोपाल में बी.एच.ई.एल. में स्थायी नौकरी थी. मां अपने छोटे बेटे को ले कर राघव के साथ भोपाल में ही सैटल हो गई थीं लेकिन यह साथ ज्यादा दिन न चला. 3 साल बाद ही एक सड़क दुर्घटना ने राघव का जीवन छीन लिया.

माधवी को बी.एच.ई.एल. से कुछ पैसा जरूर मिला पर अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली. सास ने परिस्थिति को भांपा और बंटी को ले कर बड़े बेटे के पास चली गईं. माधवी ने पति के मिले पैसे से एक मकान खरीदा. कुछ लोन ले कर दूसरी मंजिल बनवाई. खुद ऊपर रहने लगीं और नीचे एक स्कूल शुरू कर दिया. पति की मौत के बाद माधवी की सारी दुनिया अपनी बेटी और स्कूल में सिमट गई.

पहले तो सास से माधवी की थोड़ीबहुत बात हो जाया करती थी पर धीरेधीरे काम की व्यस्तता से यह अंतर बढ़ने लगा. माधवी की ससुराल मानो छूट गई थी. जेठ और देवर ने फोन पर हालचाल पूछने के अलावा और कोई सुध नहीं ली. मकान, जमीनजायदाद या दूसरी पारिवारिक संपत्तियों में हिस्सेदारी तो दूर, किसी ने यह तक नहीं पूछा कि कैसे गुजारा कर रही है या स्कूल कैसा चल रहा है.

इस उपेक्षा के बाद भी माधवी को कहीं न कहीं अपनों से एक स्नेहिल स्पर्श की उम्मीद होती. सहानुभूति और विश्वास से भरे दो शब्दों की चाहत होती. अपने काम और उपलब्धियों पर शाबाशी की अपेक्षा तो हर व्यक्ति करता है किंतु माधवी की ज्ंिदगी में यह सबकुछ नहीं था. उसे खुद रोना था और खुद चुप हो जाना था.

माधवी ने अपनी छोटी सी दुनिया बहुत मेहनत से बनाई थी. एक दिन भी इस से बाहर रहना उस के लिए मुश्किल था. उस ने कई बार बाहर जा कर घूमने का मन बनाया पर न जा सकी. आज जाना जरूरी था क्योंकि सास की हालत च्ंिताजनक थी और उन्होंने उसे मिलने के लिए बुलाया भी था.

टे्रन ने सुबह 6 बजे जबलपुर उतारा. वह बेटी को ले कर प्लेटफार्म पर बने लेडीज वेटिंग रूम में गई. वहीं तैयार हुई. बेटी को भी तैयार किया और जेठजी के घर फोन मिलाया. फोन जेठानी ने उठाया. बातचीत में ही जेठानी ने अस्पताल का नामपता बताते हुए कहा, ‘‘हम सब भी घर से रवाना हो रहे हैं.’’

माधवी को जेठानी के मन की बात समझते देर न लगी. इसीलिए वह स्टेशन के बाहर से आटो पकड़ कर सीधे अस्पताल पहुंची. उस समय डाक्टर राउंड पर थे अत: कुछ देर उसे बाहर ही रुकना पड़ा. डाक्टर के जाने के बाद माधवी भीतर पहुंची.

सास को ड्रिप लगी थी. आक्सीजन की नली से श्वांस चल रही थी. गले के कैंसर ने भोजनपानी की नली को रोक कर रख दिया था. उन की जबान भी उलट गई थी. वह केवल देख सकती थीं और इशारे से ही बातें कर रही थीं. पिछले 4 दिन से यही हालत थी. लगता था अब गईं, तब गईं.

माधवी ने पास जा कर उन का हाथ छुआ. पसीने और चिपचिपाहट से उसे अजीब सा लगा. उस की नजर बालों पर गई तो लगा महीनों से कंघी ही नहीं हुई है. होती भी कैसे. वह पिछले 6 माह से बिस्तर पर जो थीं.

माधवी ने आवाज दी. उन्होंने आंखें खोलीं तो देख कर लगा कि पहचानने की कोशिश कर रही हैं.

‘‘मैं हूं, मांजी माधवी, आप की पोती को ले कर आई हूं.’’

सुन कर उन्हें संतोष हुआ फिर हाथ उठाया और इशारे से कुछ कहा तो माधवी को लगा कि शायद पानी मांग रही हैं.

माधवी ने पूछा, ‘‘पानी चाहिए?’’

उन्होंने  हां में सिर हिलाया. माधवी ने पानी का गिलास उठाया ही था कि वहां मौजूद परिजनों ने उसे रोक दिया. कहा, ‘‘डाक्टर ने ऊपर से कुछ भी देने के लिए मना किया है.’’

माधवी का हाथ रुक गया. उस ने विवशता से सास की ओर देखा.

सास ने माधवी की बेबसी समझ ली थी और समझतीं भी क्यों नहीं, पिछले 4 दिन से यही तो वह समझ रही थीं. हर आगंतुक से वह पानी मांगतीं. आगंतुक पानी देने की कोशिश भी करता किंतु वहां मौजूद डाक्टर और नर्स रोक देते थे और मांजी को निराश हो कर अपनी आंखें मूंद लेनी पड़तीं. सास की इस बेबसी पर माधवी का मन भर आया.

तभी ननद ने कहा, ‘‘छोटी भाभी, आप घर जा कर कुछ आराम कर लें, रात भर का सफर कर के आई हैं, थकी होंगी.’’

पहले माधवी ने भी यही सोचा था किंतु सास की हालत देख कर उस का मन जाने का न हुआ. वह बोली, ‘‘नहीं, ठीक हूं.’’

माधवी वहीं रुक गई. वह स्टूल खींच कर मांजी के पैरों के पास बैठ गई. मन हुआ कि उन के पैर दबाए. माधवी ने जैसे ही कंबल हटाए दुर्गंध उस की नाक को छू गई. उस ने थोड़ा और कंबल सरका कर देखा तो बिस्तर में काफी गंदगी थी. मांजी के प्रति यह उस का दूसरा अनुभव था. इस से पहले माधवी हाथ में चिपचिपाहट और बालों में बेतरतीब लटें देख चुकी थी.

माधवी को अब समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई कि सास का बचना मुश्किल है. तमाम रिश्तेदार भी इस हकीकत को जान गए थे. इसीलिए सारे लोग खबर लगते ही पहुंच चुके थे.

गले के कैंसर में आपरेशन जोखिम से भरा होता है, उस में भी यदि श्वांसनली को जकड़ लेने वाला ट्यूमर हो तो जोखिम सौ फीसदी तक हो जाता है.

माधवी का मन मांजी के प्रति करुणा से भर गया. उसे ग्लानि इस बात की थी कि यदि मांजी को मरना है तो क्यों उन की इच्छाओं को मार कर और उन्हें गंदगी में पटक कर मौत की प्रतीक्षा की जा रही है. क्या हम उन्हें एक स्वस्थ और अच्छा माहौल नहीं दे सकते? वह जानती थी कि एक उम्र के बाद बड़ेबूढ़ों की बीमारी में केवल बेटेबेटी या बहुएं ही कुछ कर सकती हैं. उन के अलावा कोई और कुछ नहीं कर सकता. नौकरों के काम तो केवल औपचारिक होते हैं.

यहां स्वजनों के पास समय नहीं था. यदि था भी तो इच्छाशक्ति का अभाव और अहंकार आड़े आता था. लोग आते, हालचाल पूछते, डाक्टरों और नर्सों से बात करते, बैठ कर अपनी दिनचर्या की व्यस्तता गिनाते और चले जाते.

माधवी का मन हुआ कि फौरन डिटौल के पानी से मांजी को नहला दे. पर कमरे में जेठ, ननदोई और दूसरे पुरुषों की मौजूदगी देख कर वह चुप रह गई.

दोपहर को देखभाल करने वाले तमाम पुरुष चले गए. जेठानी भी मेहमानों के खाने का इंतजाम करने के लिए घर जा चुकी थीं. कमरे में माधवी, ननद और देवर बंटी के अलावा कोई न बचा.

माधवी ने मन ही मन कुछ निर्णय किया और वार्ड बौय को आवाज दे कर गुनगुना पानी, डिटौल और स्पंज लाने को कहा. वह खुद नर्स के पास जा कर एक कैंची मांग लाई और सब से पहले माधवी ने कैंची से मांजी के सारे बाल काट कर छोटेछोटे कर दिए. साबुन के स्पंज से सिर साफ किया और कपूर का तेल लगाया. फिर शरीर पर स्पंज किया. सूखे, साफ तौलिया से बदन पोंछा और हलके हाथ से हाथपांव में तेल की मालिश कर दी. साफ और धुले कपड़े पहना दिए. बिस्तर की चादर और रबड़ बदली. पाउडर छिड़का. कमरे का फर्श धुलवाया. अब मांजी में ताजगी झलक उठी थी. माधवी शाम तक वहीं रही.

यद्यपि मांजी के बाल काटना किसी को पसंद नहीं आया पर माधवी ने जिस लगन के साथ साफसफाई की थी यह बात सारे रिश्तेदारों को पसंद आई. वे माधवी की सराहना किए बिना न रह सके. हां, बाल काटने पर जेठ के तीखे शब्द जरूर सुनने पड़े. माधवी ने उन की बातों का कोई जवाब नहीं दिया और ननद के साथ घर आ गई.

अगले दिन सुबह 9 बजे माधवी अस्पताल पहुंची और थोड़ी देर बाद ही फिर सफाई में जुट गई. दोपहर को मांजी ने पानी मांगा. माधवी ने डाक्टर की हिदायत का हवाला दे कर कहा, ‘‘आप ठीक हो जाइए, फिर खूब पानी पी लीजिएगा.’’ पर इस बार मांजी नहीं मानीं. उन्होंने इशारे से ही हाथ जोड़े और ऐसा संकेत किया मानो पांव पड़ रही हैं.

माधवी से रहा न गया. उस के आंसू बह निकले. उस ने बिना किसी की परवा किए कप भर कर पानी मांजी को दे दिया. ननद और जेठानी दोनों को यह जान कर आश्चर्य हुआ कि सारा पानी गले से नीचे उतर गया, जबकि कैंसर से गला पूरी तरह अवरुद्ध था. पानी भीतर जाते ही मांजी को मानो नई जान आई. उन में कुछ चेतना सी दिखी और चेहरे पर हंसी भी. जेठानी और ननद दोनों ने कुछकुछ बातें भी कीं.

‘‘अब आप जल्दी ही अच्छी होने वाली हो. देखिए, गला खुल गया.’’

तभी मांजी ने इशारा कर के फिर कुछ मांगा. माधवी ने पानी और दूसरी चीजों के नाम बताए तो उन्होंने सभी वस्तुओं को इनकार कर किया. माधवी ने पूछा, ‘‘दूध,’’ उन्होंने हां में सिर हिलाया. माधवी ने तुरंत दूध मंगाया.

इस बार जेठानी ने सख्ती से मना किया और कहा, ‘‘पानी तो ठीक है, पर दूध बिना डाक्टर से पूछे न दो.’’ पर माधवी को जाने कौन सा जनून सवार था कि उस ने बिना किसी की परवा किए मांजी को उसी कप में दूध भी दे दिया. दूध भी गले से नीचे चला गया. मांजी के चेहरे पर एक अजीब संतोष उभरा. उन्होेंने इशारे से बेटेबेटियों को बुलाया. बाकी तो वहां थे, जेठ और बंटी नहीं थे. उन्हें भी टेलीफोन कर के घर से बुला लिया गया.

मांजी ने पहले जेठ का हाथ ननद के सिर पर रखवाया फिर माधवी को बुलाया और फिर बंटी को. उन्होंने माधवी का हाथ पकड़ा और बंटी का हाथ माधवी के हाथ में दे कर उस की ओर कातर निगाहों से देखने लगीं. मानो कह रही हों, ‘‘अब मेरे बेटे का तुम ही ध्यान रखना.’’

माधवी का मन भर आया. आंखों में नमी छलक आई…उस ने कहा, ‘‘आप च्ंिता न करें, बंटी मेरे बेटे की तरह है.’’ फिर उस ने निगाह बंटी की ओर फेरी, तो उसे अपनी ओर देखता पाया. भीतर से माधवी का मातृत्व उमड़ पड़ा. तभी मांजी के हाथ से माधवी का हाथ छूट गया. माधवी चौंकी. उस ने मांजी की गरदन को एक ओर ढुलकते हुए देखा. कमरे में सभी चीख पड़े, ‘‘मांजी.’’

जेठ माधवी की ओर देख कर दहाड़े, ‘‘तू ने मार डाला मां को.

आखिर क्यों पिलाया पानी और क्यों दिया दूध?’’

माधवी को कुछ न सूझा. वह सहमी सी बुत की तरह खड़ी रही. रहरह कर उसे मांजी के संकेत याद आते रहे. उस ने सोचा कि उस ने कोई गलत काम नहीं किया. यदि मांजी की मौत करीब थी तो उन्हें क्यों भूखाप्यासा मरने दिया जाए. लोग तो घर से बाहर किसी को भूखाप्यासा नहीं जाने देते, तब ज्ंिदगी के इस महाप्रयाण पर वह कैसे मांजी को भूखाप्यासा जाने देती?

वहां मौजूद महिलाएं रोने लगीं. जेठजी का बड़बड़ाना जारी था. माधवी से सुना न गया. वह बाहर की ओर चल दी. अभी वह दरवाजे के करीब ही आई थी कि उस के दोनों हाथों को किसी ने छुआ. उस ने देखा कि उस के दाएं हाथ की उंगली देवर बंटी ने और बाएं हाथ की उंगली बेटी नीलम ने पकड़ रखी थी.

रिश्तों की रस्में: अनिता के बारे में क्या कहना चाहती थी सुमिता

नंदा आंगन में स्टूल डाल कर बैठ गई, ‘‘लाओ परजाई, साग के पत्ते दे दो, काट देती हूं. शाम के लिए आप की मदद हो जाएगी.’’‘‘अभी ससुराल से आई और मायके में भी लग पड़ी काम करने.

रहने दे, मैं कर लूंगी,’’ सुमीता ने कहा. पर वाक्य समाप्त होने से पहले ही एक पुट और लग गया संग में, ‘‘क्यों, आप अकेले क्यों करोगे काम? मुझे किस दिन मौका मिलेगा आप की सेवा करने का?’’ यह स्वर अनिका का था. हंसती हुई अनिका, सुमीता की बांह थामे उसे बिठाती हुई आगे कहने लगी, ‘‘आप बैठ कर साग के पत्ते साफ करो मम्मा, बाकी सब भागदौड़ का काम मु झ पर छोड़ दो.’’आज अनिका की पहली लोहड़ी थी. कुछ महीनों पहले ब्याह कर आई अनिका घर में ऐसे घुलमिल गई थी कि  जब कोई सुमीता से पूछता कि कितना समय हुआ है बहू को घर में आए, तो वह सोच में पड़ जाती. लगता था, जैसे हमेशा से ही अनिका इस घर में समाई हुई थी.‘‘तुम्हें यहां मोहाली का क्या पता बेटे, आज सुबह ही तो पहुंची हो दिल्ली से, कल शाम तक तो औफिस में बिजी थे तुम दोनों. उसे देखो, अमन कैसे सोया पड़ा है अब तक,’’ अपने बेटे की ओर इशारा करते हुए सुमीता हंस पड़ी.‘‘मायके में तो सभी को नींद आती है,

’’ नंदा ने भतीजे की टांगखिंचाई की.अमन का जौब काफी डिमांडिंग था. शादी के बाद वह सिर्फ त्योहारों पर ही घर आ पाया था. मगर अनिका कई बार अकेले ही वीकैंड पर बस पकड़ कर आ जाती. सुमीता मन ही मन गद्गद हो उठती. डेढ़दो दिनों के लिए बहू के आ जाने से ही उस का घरआंगन महक उठता. लगता, मानो अनिका के दिल्ली लौट जाने के बाद भी उस की गंध आंगन में मंडराती रहती. लेकिन साथ ही सुमीता के दिल को आशंका के बादल घेर लेते कि कहीं अमन के मन में शादी के तुरंत बाद अकेले वीकैंड बिताने पर यह विचार न आ जाए कि घरवाले कैसे सैल्फिश हैं, अपना सुख देखते हुए बेटेबहू को एकसाथ रहने नहीं देते. उस के सम झाने पर अनिका, उलटा, उसे ही सम झाने लगती, ‘‘मम्मा, मैं, हम दोनों की खुशी और इच्छा से यहां आती हूं. इस घर में आ कर मु झे बहुत अच्छा लगता है. आप नाहक ही परेशान हो जाती हैं.’’सासबहू के नेहबंधन के जितने श्रेय की हकदार अनिका है, उस से अधिक सुमीता. हर मां अपने बेटे के लिए लड़की ढूंढ़ते समय अपने मन में अनेकानेक सपने बुनती है. नई बहू से हर परिवार की कितनी ही अपेक्षाएं होती हैं. उसे नए रिश्तों में ढलना होता है. परिवार की परंपरा को केवल जानना ही नहीं,

अपनाना भी होता है. हर रिश्ता उसे अपनी कसौटी पर कसने को तत्पर बैठा होता है. ऐसे में नए परिवार में आई एक लड़की को यह अनुभूति देना कि यह घर उस का अपना है, उस के आसपास सहजता से लबरेज भावना का घेरा खींचना कोई सरल कार्य नहीं. सुमीता ने कभी अनिका को अपने  परिवेश के अनुकूल ढलने को  बाध्य नहीं किया. वह तो अनिका स्वयं ही ससुराल में हर वह कार्य करती, हर वह रस्म निभाती जिस की आशा एक बहू से की जा सकती है. जब भी आती, अपनी सास के लिए कुछ न कुछ उपहार लाती. सुमीता भी उस को लाड़ करने का कोई मौका न चूकती. सुमीता के पति अशोक चुहल करते, ‘‘बहू की जगह बेटी घर ले आई हो, और वह भी ब्राइब देने में माहिर.’’आज पहली लोहड़ी के मौके पर कई रिश्तेदार आमंत्रित थे. आसपड़ोस के सभी जानकार भी शाम को दावत में आने वाले थे. आंगन के चारों ओर लालहरा टैंट लग रहा था. जनवरी की ठंड में उधड़ी छत को ढकने हेतु लाइटों की  झालर बनाई गई थी. आंगन के बीचोंबीच सूखी लकडि़यां रखवा दी गई थीं.

आज के दिन एक ओर सुमीता, अनिका के लिए सोने का हार खरीद कर लाई थी जो उसे शाम को तैयार होते समय उपहारस्वरूप देने वाली थी, तो दूसरी ओर अनिका अपनी सास के साथसाथ सभी रिश्तेदारों के लिए तोहफे लाई थी.शाम की तैयारी में अनिका अपनी कलाइयों में सजे चूड़ों से मेल खाती  गहरे लाल रंग की नई सलवारकमीज व अमृतसरी फुलकारी काम की रंगबिरंगी चुन्नी पहन कर आई तो सुमीता ने स्नेहभरा दृष्टिपात करते हुए उस के गले में सोने का हार पहना दिया. प्यार से अनिका, सुमीता के गले लग गई. फिर उस से पूछते हुए अनिका रिश्तेदारों के आने के साथ, पैरीपौना करते हुए उन्हें उपहार थमाने लगी. सभी बेहद खुश थे. हर तरफ सुमीता को इतनी अच्छी बहू मिलने की चर्चा हो रही थी.शाम का कार्यक्रम आरंभ हुआ, आंगन के बीच आग जलाई गई, सभी लोगों  ने उस में रेवड़ी, मूंगफली, गेहूं की बालियां आदि डाल कर लोहड़ी मनाना  शुरू किया. नियत समय पर ढोली भी  आ गया.‘‘आजकल की तरह प्लास्टिक वाला ढोल तो नहीं लाया न? चमड़े का ढोल है न तेरा?’’ अशोक ने ढोली से पूछा, ‘‘भई, जो बात चमड़े की लय और थाप में आती है, वह प्लास्टिक में कहां.’’ फिर तो ढोली ने सब से चहेती धुन ‘चाल’ बजानी शुरू की और सभी थिरकने लगे.

शायद ही किसी के पैर रुक पाए थे. नाच, गाना, भंगड़ा, टप्पे होते रहे. कुछ देर पश्चात एक ओर लगा कोल्डडिं्रक्स का काउंटर भी खुल गया. घर और पड़ोस के मर्द वहां जा कर अपने लिए कोल्डडिं्रक ले कर आने लगे. घर की स्त्रियां सब को खाना परोसने में व्यस्त हो गईं. अनिका आगे बढ़चढ़ कर सब को हाथ से घुटा गरमागरम सरसों का साग और मिस्सी रोटियां परोसने लगी. किसी थाली में घी का चमचा उड़ेलती, तो कहीं गुड़ की डली रखती. अनिका देररात तक परोसतीबटोरती  झूठी थालियां उठाती रही. मध्यरात्रि के बाद अधिकतर मेहमान अपनेअपने घर लौट चुके थे. दूसरे शहरों से आए कुछ मेहमान घर पर रुक गए थे.घर की छत पर अमन ने गद्दों और सफेद चादरों का इंतजाम करवा दिया था. चांदनी की शीतलता में नहाए सारे बिस्तरे ठंडक का एहसास दे रहे थे. मेहमानों के साथ आए बच्चे बिस्तरों पर लोटपोट कर खेलने लगे. ठंडेठंडे गद्दों पर लुढ़कने का आनंद लेते बच्चों को सरकाते हुए, बड़े भी लेटने की तैयारी करने लगे. ‘‘परजाई, मैं आप के पास सोऊंगी,’’

नंदा, सुमीता के पास आ लेटी.‘‘हां, आ जा. पर बाकी बातें कल करेंगे. अब सोऊंगी मैं, बहुत थक गई आज. तू तो कुछ दिन रुक कर जाएगी न?’’ सुमीता थकान के कारण ऊंघने लगी थी, ‘‘कल अमन और अनिका भी चले जाएंगे,’’ कहतेकहते सुमीता सो गई.अगले दिन, बाकी बचे मेहमान भी विदा हो गए. दिन की बस से अमन और अनिका भी चले गए, ‘‘मम्मा, कल से औफिस है न, शाम तक घर पहुंच जाएंगे तो कल की तैयारी करना आसान रहेगा.’’ शाम को हाथ में 3 कप लिए नंदा छत पर आई तो अशोक हंसने लगे, ‘‘तु झे अब भी शाम की चाय का टाइम याद है.’’‘‘लड़कियां भले ही मायके से विदा होती हैं वीर जी, पर मायका कभी उन के दिल से विदा नहीं होता,’’

नंदा की इस भावनात्मक टिप्पणी पर सुमीता ने उठ कर उसे गले लगा लिया. चाय पी कर अशोक वौक पर चले गए. नंदा को कुछ चुप सा देख सुमीता ने पूछा, ‘‘कोई बात सता रही है, तो बोल क्यों नहीं देती? कल से देख रही हूं, कुछ अनमनी सी है.’’‘‘आप का दिल टूट जाएगा, परजाई, पर बिना कहे जा भी तो नहीं पाऊंगी. आप को तो पता है कि विम्मी की नौकरी लग गई है. इसी कारण वह इस फंक्शन में भी नहीं आ सकी और जवान बेटी को घर पर अकेला कैसे छोड़ें, इस वजह से उस के डैडी भी नहीं आ पाए,’’ नंदा ने अपनी बेटी विम्मी के न आने का कारण बताया तो सुमीता बोलीं, ‘‘मैं सम झती हूं, नंदा, मैं ने बिलकुल बुरा नहीं माना. कितनी बार अमन नहीं आ पाता है.

वह तो शुक्र है कि अनिका हमारा इतना खयाल रखती है कि अकसर हमारे पास आ जाया करती है.’’‘‘मेरी पूरी बात सुन लो,’’ नंदा ने सुमीता की बात बीच में ही काट दी, ‘‘विम्मी को नौकरी लगने पर ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा गया था. कंपनी के गैस्टहाउस में रहना था, औफिस की बस लाती व ले जाती. औफिस के पास ही के एक आईटी पार्क में था. वहां और भी कई दफ्तर थे, जिन में अनिका का भी दफ्तर है. पहली शाम गैस्टहाउस लौटते समय विम्मी ने देखा कि आप की बहू अपने अन्य सहकर्मियों के साथ सिगरेट का धुआं उड़ा रही है. उसे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ. परंतु अगली हर शाम उस ने यही दृश्य देखा. यहां तक कि उस की पोशाकें भी अजीबोगरीब होतीं,

कभी शौर्ट्स, कभी स्लिट स्कर्ट, तो कभी फैशनेबल टौप्स पहनती.‘‘अब बताओ परजाई, जो लड़की यहां हम सब के बीच घर के सारे तौरतरीके मानती है, जैसे कपड़े हमें पसंद है, वैसे पहनती है, हर रीतिरिवाज निभाने में कोई संकोच नहीं करती है, बड़ों का पूरा सम्मान करती है, वह असली जिंदगी में इस से बिलकुल उलट है. माफ करना परजाई, आप की बहू को रस्म निभाना तो आता है पर रिश्ते निभाना नहीं. आप की बहू आप को बेवकूफ बना रही है.’’ अब तक धुंधलका होने लगा था. शाम के गहराने के साथ मच्छर भी सिर पर मंडराने लगे थे. सुमीता ने तीनों कप उठाए और घर के भीतर चल दी. नंदा भी चुपचाप उस के पीछे हो ली. संवाद के धागे का कोना अब भी उन के बीच लटका हुआ  झूल रहा था. लेकिन उस का आखिरी छोर सुमीता को जनवरी की ठंड में भी ऐसे आहत कर रहा था मानो वह जेठ की भरी दोपहरी में नंगेपैर पत्थर से बने आंगन में दौड़ रही हो. नंदा की इन बातों से दोनों के बीच धुआं फैल गया. लेकिन इस धुएं को छांटना भी आवश्यक था. रात का खाना बनाते समय सुमीता ने फिर बात आरंभ की.‘‘याद है नंदा, पिछले वर्ष तुम्हारे वीरजी और मैं हौलिडे मनाने यूरोप गए थे.

वह मेरे लिए एक यादगार भ्रमण रहा. इसलिए नहीं कि मैं ने यूरोप घूमा, बल्कि इसलिए कि इस ट्रिप ने मु झे जीवन जीने का नया नजरिया सिखाया. हमारे साथ कुछ परिपक्व तो कुछ नवविवाहिता जोड़े भी थे जो अपने हनीमून पर आए थे. पूरा गु्रप एकसाथ, एक ही मर्सिडीज बस में घूमता. हम सब साथ खातेपीते, फोटो खींचते, वहां बस में दूसरे जोड़ों के आगेपीछे बैठे हुए मैं ने एक नई बात नोट की कि आजकल के दंपती हमारे जमाने से काफी विलग हैं. आजकल पतिपत्नी के बीच हमारे जमाने जैसा सम्मान का रिश्ता नहीं, बल्कि बराबरी का नाता है. हमारे जमाने में पति परमेश्वर थे जबकि आजकल के पति पार्टनर हैं. आज की पत्नी पूरे हक से पति की पीठ पर धौल भी जमा सकती है और लाड़ में आ कर उस के गाल पर चपत भी लगा सकती है. इस के लिए उसे एकांत की खोज नहीं होती. वह सारे समाज के सामने भी अपने रिश्ते में उतनी ही उन्मुक्त है जितनी अकेले में.‘‘ झूठ नहीं कहूंगी, नंदा, पहलेपहल तो मु झे काफी अजीब लगा यह व्यवहार. अपनी मानसिकता पर इतना गहरा प्रहार मु झे डगमगा गया. पर फिर जब उन लड़कियों से बातचीत होने लगी तो मु झे एहसास हुआ कि आजकल के बच्चों का खुलापन अच्छा ही है. जो अंदर है, वही भावना बाहर भी है. कहते तो हम भी हैं कि पतिपत्नी गृहस्थी के पहिए हैं, बराबरी के स्तर पर खड़े, पर फिर भी मन के भीतर पति को अपने से श्रेष्ठ मान ही बैठते हैं.

परंतु आजकल की लड़कियां कार्यदक्षता में लड़कों से बीस ही हैं, उन्नीस नहीं. तो फिर उन्हें उन का जीवन उन के हिसाब से जीने पर पाबंदी क्यों? जब हम अपने बेटों को नहीं रोकते तो बेटीबहुओं पर लगाम क्यों कसें.‘‘यूरोप जा कर मैं ने जाना कि सब को अपना जीवन अपनी खुशी से जीने का अधिकार मिलना चाहिए. किसी को भी दूसरे पर अंकुश लगाने का अधिकार ठीक नहीं. पारिवारिक सान्निध्य से ऊपर क्या है भला. यदि परिवार की खुशी के लिए अनिका हमारे हिसाब से ढल कर रहती है तो हमें उस का आभारी होना चाहिए. फिर अपनी निजी जिंदगी में वह जो करती है, वह उस के और अमन के बीच की बात है. हमारे परिवार की रस्में निभाने के पीछे उस का अभिप्राय रिश्ते निभाने का ही है, वरना क्यों वह वे सब काम करती है जिन में शायद उसे विश्वास भी नहीं. ‘‘जो बातें तुम ने मु झे आज बताईं, वे मैं पहले से ही जानती हूं. अनिका ने मु झे अपने फेसबुक पर फ्रैंडलिस्ट में रखा हुआ है. और आजकल की पीढ़ी चोरीछिपे कुछ नहीं करती. जो करती है, डंके की चोट पर करती है. मैं ने उस की कई फोटो देखीं जिन में उस के हाथ में सिगरेट थी तो कभी बीयर. अमन भी साथ था. मैं यह नहीं कहती कि ये आदतें अच्छी हैं, पर यदि अमन को छूट है तो अनिका को भी. हां, परिवारवृद्धि के बारे में विचार करने से पहले वे दोनों इन आदतों से तौबा कर लेंगे, इस विषय में मेरी उन से बात हो चुकी है. और दोनों ने सहर्ष सहमति भी दे दी है. ये उन के व्यसन नहीं, शायद पीयर प्रैशर में आ कर या सोशल सर्कल में जुड़ने के कारण शुरू की गई आदतें हैं.’’सुमीता अपने बच्चों की स्थिति सुगमतापूर्वक कहे जा रही थी और नंदा सोच रही थी कि केवल आज की पीढ़ी ही नहीं, बदल तो पुरानी पीढ़ी भी रही है वह भी सहजता से.

करोङों की घङियां दें राजशाही एहसास

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी दुनिया की रौयल शादियों में से एक है. इस रौयल शादी में दूल्हे यानी अनंत के खास दोस्तों को खास घड़ियां तोहफे के तौर पर दी गईं. इन दोस्तों की लिस्ट में बौलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान, रणवीर सिंह और जाह्नवी कपूर के बौयफ्रेंड कहे जाने वाले शिखर पहाड़िया भी शामिल थे. गिफ्ट के तौर पर दी गई एक घड़ी की कीमत ₹2 करोड़ रुपए है.

खासियत

यह घड़ी 9.5 मिमी मोटी है और इस में 41 मिमी 18 कैरेट गुलाबी सोने का केस, नीलम क्रिस्टल बैक और स्क्रूलौक क्राउन है. वहीं औडेमर्स पिगेट ब्रैंड की इन घड़ियों का कुल डाइमिटर 29 मिमी है. इस के अलावा इस का पिंक गोल्ड टोन वाला डायल ग्रांडे टैपिसरी पैटर्न का है. इस घड़ी की खास बात यह है कि इस में एक कैलेंडर है, जो हफ्ते, दिन, तारीख, खगोलीय चंद्रमा, महीना, लीप वर्ष, घंटे और मिनट दिखाता है.

इस के अलावा इस घड़ी में 40 घंटे का पावर रिजर्व है. साथ ही इस घड़ी में एपी फोल्डिंग बकल भी मौजूद है. इस के अलावा इस में एक ब्लू ऐलिगेटर स्ट्रैप भी है. ये सभी फिचर इस घड़ी को खास बनाते हैं.

यह तो हुई अनंत अंबानी की शादी में रिर्टन गिफ्ट के तौर पर दी गई घड़ी की बात, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में इस से भी महंगीमहंगी लग्जरी घङियां मौजूद हैं जो कई लोगों के लिए शौकिया भी है. ये घङियां कौन सी हैं, इन की क्या खासियत है, हद से ज्यादा महंगी क्यों है, आइए जानते हैं :

हैलुसीनेशन वाच : दुनिया की सब से महंगी वाच बनाने का खिताब ग्राफ डाइमंड्स को जाता है. उन्होंने 5.5 करोड़ डौलर यानी लगभग ₹455 अरब इंडियन करैंसी की घड़ी हैलुसीनेशन बनाई जो 2014 में लौंच हुई. इस वाच में अलगअलग रंग और कट के 110 कैरेट हीरे लगे हैं. इन्हें एक प्लेटिनम के ब्रैसलेट पर सजाया गया है.

द फैसिनेशन वाच : दूसरे नंबर पर भी ग्राफ डाइमंड्स कंपनी की द फैसिनेशन वाच आती है, जिस की कीमत 4 करोड़ डौलर है यानी भारतीय रुपये में इस वॉच की कीमत करीब ₹3 अरब 28 करोड़ है. इस वाच की खासियत यह है कि इस में 152.96 कैरेट के सफेद हीरे जड़े हैं. यह घड़ी 2015 में लौंच हुई थी.

पाटेक फिलीक ग्रैंडमास्टर : दुनिया की लग्जरी वाच की रेस में तीसरे नंबर पर आती है पाटेक फिलिप ग्रैंडमास्टर चाइम वौच. इस की कीमत 3.1 करोड़ डौलर है यानी ₹2 अरब 54 करोड़ 20 लाख.
इस वाच में आगे और पीछे दोनों जगह डायल हैं. यह इस कंपनी द्वारा बेची गई सब से महंगी वाच है. इसे 2019 में बनाया गया था.

ब्रेगेड ग्रांडे कौंप्लीकेक्शन मैरी ऐंटोनेट : दुनिया की चौथी सब से महंगी वाच है ब्रेगेट ग्रांडे कौंपलिकेशन मैरी ऐंटोनेट. इस की कीमत 3 करोड़ डौलर है. भारतीय रुपये में इस की कीमत करीब ₹2 अरब है.

यह एक ऐंटिक वाच है. इसे बनाने में करीब 40 साल का समय लगा. इसे 1827 में बनाया गया था और यह 1900 में चोरी भी हो चुकी है. हालांकि, बाद में इसे खोज लिया गया था और अब यह एक म्यूजियम में सुरक्षित है.

जैगर लेकोल्ट्रै जोएलरी 101 मैनचैटे : दुनिया की 5वीं सब से महंगी वाच मैने की लिस्ट में जैगर लेकोल्ट्रे जोएलेरी 101 मैनचेटे आती है. मार्केट में इस की कीमत 2.6 करोड़ डौलर है जो कि इंडियन रुपए में करीब ₹2 अरब 65 करोड़ है.

इसे खासतौर पर यूके की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के लिए 2012 में बनाया गया था.

*छठी सबसे महंगी वॉच पाटेक फिलिप की हेनरी ग्रेव्स सुपरकॉम्प्लीकेशन है. इस की कीमत की बात करें तो यह 2.6 करोड़ डॉलर की है. वही भारतीय करेंसी में ये आप को 2 अरब 65 करोड़ रुपये में पड़ेगी. इस वॉच को 1933 में बनाया गया था. इसे बनाने में करीब 7 साल का लंबा वक्त लगा था.

चोपार्ड 201 कैरेट : घड़ियों के बाद बात आती है अब दुनिया की 7वीं सब से महंगी वाच की. इस वाच का नाम है चोपार्ड 201 कैरेट. इस की कीमत है 2.5 करोड़ डौलर जो कि भारतीय रुपए में ₹2 अरब 50 करोड़ है. इस वाच की खूबसूरती की बात करें तो इस में 847 हीरे जड़े हैं जो कुल 201 कैरेट के बने हैं. इसे दुनिया के सामने साल 2000 में लाया गया.

पौल न्यूमैन डेटोना वाच : इसी लिस्ट में 8वें नंबर पर आती है रोलेक्स कंपनी की पौल न्यूमैन डेटोना वाच. इस वाच की कीमत मार्केट में 1.87 करोड़ डौलर है. यह कीमत एक बोली में लगाई गई थी. इंडियन रुपए में यह ₹1 अरब 87 करोड़ की है. इसे 1968 में बनाया गया था.

जहां एक ओर लोग लग्जरी लाइफस्टाइल की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं ये घड़ियां उन के स्टाइल स्टेंटमैंट में एक प्लस पौइंट और जोड़ देगी.

अगर आप को भी इन घङियों में से कोई लग्जरी घङी पसंद आ गई है, तो आप इन्हें खरीद कर जरूर स्टाइल करें.

क्या है पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन, जानें इसके लक्षण और डिप्रैशन से निकलने के तरीके

28 साल की पढ़ीलिखी सीमा एक शादीशुदा महिला है। उस की शादी को करीब 6 महीने हुए हैं. लेकिन अकसर बातों ही बातों में वह कह देती है, “मैं अपने घर से भाग जाना चाहती हू, मुझे यहां नहीं रहना है. ऐसा लगता है, जैसे किसी कैद में हूं. यहां से निकल जाना चाहती हूं. ये लोग मुझे नौकरी नहीं करने दे रहे हैं. हर वक्त सिर्फ घर का काम करकर मैं थक गई हूं. कुछ समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं,” कहते हुए वह रोने लगी. उस ने खानापीना कम कर दिया था। उस की हैल्थ, उस का शरीर कमजोर हो गया था, जिसे देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह डिप्रैशन का शिकार हो रही थी.

अकसर भारतीय महिलाएं शादी के बाद इस तनावपूर्ण स्थिती का सामना करती हैं. इसे पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन कहते हैं.

क्या है यह

पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन शादी के बाद डिप्रैशन या तनाव की भावना है. पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन से गुजरने वाले लोग अकसर इस के बारे में नहीं जानते. डिप्रैशन पति या पत्नी किसी को भी हो सकता है.

जो लोग शादी के बाद डिप्रैशन का शिकार हो जाते हैं, उन के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इस का बुरा असर
पड़ता है.

शादी किसी भी व्यक्ति के जीवन का सब से रोमांचक क्षण होता है, जो जिंदगी को पूरी तरह बदल देता है. शादी करने के बाद कई तरह की बंदिशें और उस के अस्तित्व की लड़ाई महिलाओं को डिप्रैशन
का शिकार बना देती है. इस से उन की इमोशनल और मैंटल हैल्थ पर बुरा असर पड़ता है.

वर्तमान समय में भारतीय महिलाएं अपने भविष्य और कैरियर को ले कर परेशान रहती हैं. सदियों पुरानी पुरुषों द्वारा लगाई गई मानसिक बेड़ियां भी अब उन्हें अखरने लगी है. वे नहीं चाहतीं कि उन के फैसलों पर उन की जिंदगी पर किसी और का वर्चस्व रहे. जो शादी के बाद पूर्णतया बदल जाता है.

महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए परमिशन लेनी पड़ती है. अधिकतर स्थितियों मे वे कई
सालों तक घर से बाहर ही नहीं निकल पातीं और अगर निकलती भी हैं तो घर में मौजूद सास या
ननद हमेशा उन के साथ होती हैं. यह अदृश्य सी बेङियां उन्हें खुल कर जीने में बाधक बनी रहती हैं और ऐसा केवल ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, भारतीय शहरी इलाकों में भी देखा जा सकता है.

दिल्ली और मुंबई जैसे महानगर भी इस मानसिकता से परे नहीं हैं. यही कारण होते हैं शादीशुदा महिलाओं में डिप्रैशन के. शादीशुदा लोगों में डिप्रैशन की समस्या को मैडिकल भाषा में पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन के नाम से जाना जाता है. कई शोधों में बताया गया है कि कई शादीशुदा लोग ऐसे हैं जो डिप्रैशन का शिकार होते हैं, लेकिन उन्हें इस के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं होती.

पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन के लक्षण

ऐंग्जाइटी, उदासी, नींद न आना, भूख न लगना, पार्टनर और ससुराल के प्रति निराशा, हताशा, अपने
प्रति नए परिवार के व्यवहार पर संदेह होना, जीवन में कुछ न बचने जैसे खयाल, पार्टनर के साथ
बिताई डेटिंग लाइफ की याद आना, पार्टनर के साथ नाराजगी और झगड़े, हर चीज के लिए खुद दोषी मानना और बारबार मन में भाग जाने और अकेला रहने के खयाल आना पोस्ट मैरिज डिप्रैशन के लक्षण हैं.

अगर आप अपने पार्टनर में इन में से किसी तरह के लक्षण देखती या देखते हैं तो आप के लिए जरूरी
हो जाता है इस बारे में सोचें और बात करें.

क्या कहता है डाटा

भारत सहित दुनिया में डिप्रैशन एक सामान्य बीमारी बन चुका है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारतीयों
को दुनिया के सब से अधिक अवसादग्रस्त लोगों में से एक बताया जाता है, जोकि 9% की
हिस्सेदारी करता है और इस की शुरुआत की औसत आयु 31.9 वर्ष है.

अध्ययनों से संकेत मिलता है कि महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य व समस्याओं से ज्यादा प्रभावित होती हैं
जिस का कारण वैवाहिक स्थिति, कार्य और समाज में भूमिकाओं से जुड़ी है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दोगुनी डिप्रैस्ड है.

महाराष्ट्र में की गई एक स्टडी के मुताबिक इस का एक कारण जल्दी शादी भी है। हालाकि भारत में लीगल ऐज 18 वर्ष है लेकिन फिर भी 65% से भी अधिक लड़कियों की शादी 18 से पहले ही कर दी जाती है. इस के साथसाथ घरेलु हिंसा और सैक्सुअल रिलेशनशिप भी इस के कई करणों में से एक है.

पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन से निकलने के तरीके

पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन से बाहर आने में सब से ज्यादा मददगार साबित होता है आप का अपने पार्टनर के
साथ व्यवहार. आप कुछ उपायों का सहारा ले कर आप पोस्ट वैडिंग डिप्रैशन से बाहर आ सकते हैं और इन की मदद से अपने पार्टनर को भी इस से निकाल सकते हैं. मसलन :

* अपने पार्टनर को उस की नई जिंदगी में ढलने का प्रैशर न डालें. उन्हें थोड़ा वक्त दें. खुद महिलाओं को भी चाहिए की वे एकदम से इस का प्रैशर न लें. अकसर नई जिंदगी में ढलने में वक्त लगता है. इस में गलतियां भी होना स्वाभाविक है. उन गलतियों का स्ट्रैस न लें और पुरुष भी मदद करें कि उन की पत्नी स्ट्रैस न लें. उसे समझ और उन्हें डिप्रैशन से निकालने में उनकी मदद करे.

* अपने पार्टनर से बात करते रहें. जानने की कोशिश करें कि कौन सी बात आप के पार्टनर को परेशान कर रही है। उसे अपने पार्टनर और उस के परिवार से साझा करें.

* अपने शादीशुदा दोस्तों से मन की बात शेयर करें और जानने की कोशिश करें कि उन्होंने कैसे
अपनी सिचुएशन को हैंडल किया बजाय चुप रहने और स्ट्रैस में रहने के.

* अपने परीवार से भी अपनी बातें साझा करें. लेकिन कई बार ऐसा करना पौसिबल नहीं होता है तो
ऐसे में किसी मनोचिकित्सक से बात करें. मैंटल स्ट्रैस से बचने के लिए अपने परिवार से ज्यादा संपर्क
में रहें.

* ऐसी स्थितियों में आप के लिए जरूरी हो जाता है कि आप अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम
बिताएं. अपनी समस्याओं का मिल कर समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करें. क्योंकि आप दोनों की समस्याओं का समाधान आप से बेहतर कोई नहीं कर सकता है.

* अपनेआप को बिजी रखने की कोशिश करते रहें. कोई पसंदीदा ऐक्टिविटीज या नए प्रोजैक्ट में
अपना मन लगाएं.

आप भी पोस्‍ट डिप्रैशन के लक्षणों को पहचानें और इलाज करवाने में देरी न करें. अपनी मैंटल हैल्थ की देखभाल आप से ज्यादा कोई नहीं कर सकता.

‘एक्सरसाइज से मेरे बच्चे को नुकसान होगा’, क्या इस मिथक पर आप भी करती हैं भरोसा?

गर्भधारण और मातृत्व एक शाश्वत अनुभव है जो प्रत्येक महिला के लिए अनूठा होता है. किसी महिला के लिए गर्भधारण काल में खुद और बच्चे की सेहत और फिटनैस पर ध्यान देना सब से अच्छी आदत है. ज्यादातर प्रैग्नेंट महिलाओं को मित्रों और रिश्तेदारों यहां तक कि अजनबियों से भी ढेर सारी नेक सलाह मिलने लगती है.

 

हरकोई अपनाअपना विचार देने लग जाता है कि प्रैग्नेंट महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं. हालांकि इन में से कई विचार सही भी हो सकते हैं, लेकिन कई विचार महज मिथक भी होते हैं. यहां हम आप को कुछ सामान्य मिथकों और सचाई के बारे में बता रहे हैं.

आप 2 लोगों के लिए भोजन कर रही हैं:

सामान्य वजन के साथ किसी औसत आयु वाली महिला को गर्भधारण काल में अपने बच्चे के विकास के लिए प्रतिदिन सिर्फ 300 अतिरिक्त कैलोरी लेने की आवश्यकता होती है.

सामान्य वजन वाली किसी महिला का गर्भधारण काल में 25 से 35 पाउंड तक ही वजन बढ़ना चाहिए और यदि उस का वजन अधिक है तो इतना ही कम करना चाहिए, साथ ही पहली बार मां बनने जा रही महिला के लिए 50 पाउंड से अधिक वजन बढ़ाना सीजेरियन का खतरा बहुत बढ़ा देता है या फिर सामान्य तरीके से बच्चे को जन्म देना मुश्किल हो जाता है. जन्म के दौरान जिस बच्चे का अधिक खयाल रखा जाता है व उस में बड़े होने पर मोटापे से पीडि़त होने की भी संभावना रहती है.

भारी वजन उठाने से प्रसवपीड़ा बढ़ेगी:

यह बात आंशिक रूप से ही सही है. भारी वजन उठाने से पीठ दर्द बढ़ सकता है और स्पाइनल इंजरी का भी कारण बन सकता है. लेकिन यदि इस से आप को ज्यादा परेशानी नहीं होती हो और यदि आप सही तरीके से वजन उठाने में समर्थ हैं तो थोड़ाबहुत वजन उठाना बेहतर ही होता है. मसलन, अनाज का थैला और छोटे बच्चे को यदि आप सही तरीके से उठाती हैं तो यह बिलकुल अच्छा माना जाता है.

आप को घुटने मोड़ कर कोई चीज उठानी चाहिए और इसे अपने बच्चे के करीब रखना चाहिए. अपनी पीठ नहीं मोड़ें क्योंकि इस से पीठ पर जोर पड़ेगा और आप वजन नहीं उठा पाएंगी, साथ ही अपने शरीर के सिर्फ एक ही हिस्से पर जोर देने के बजाय हमेशा दोनों बाजुओं का संतुलन बनाते हुए वजन उठाना चाहिए.

व्यायाम से मेरे बच्चे को नुकसान होगा:

कोई भी व्यायाम अपने डाक्टर से सलाह लेने के बाद और प्रशिक्षित प्रोफैशनल की निगरानी में ही करना चाहिए. फिट रहने से आप की सहनशक्ति बढ़ती है और आप बच्चे को जन्म देने की श्रमसाध्य प्रक्रिया के लिए खुद को तैयार कर पाती हैं.

दरअसल, जो महिलाएं किसी तरह का व्यायाम करने की आदी नहीं होतीं, उन्हें गर्भधारण काल में अकसर कुछ व्यायाम करने की सलाह दी जाती है. तेज कदमों से टहलना सब से सुरक्षित है, तैराकी, सांस से जुड़े व्यायाम और ध्यान करने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि इन से चीजें आसान हो जाती हैं, लेकिन कोई भी व्यायाम डाक्टर से परामर्श लेने के बाद ही शुरू करना चाहिए.

प्रैग्नेंट महिला के लिए विमान में सफर करना सुरक्षित नहीं रहता:

यह भी आंशिक रूप से सही है. यदि आप की डिलिवरी तारीख 6 सप्ताह से आगे की है तो विमान से सफर करना बिलकुल सुरक्षित है. एयरपोर्ट सिक्यूरिटी से गुजरना भी आप के बच्चे के लिए नुकसानदेह नहीं होगा. लेकिन यदि आप लंबी विमान यात्रा पर हैं तो थोड़ीबहुत चहलकदमी करते रहें और अपने पैरों को चलाती रहें. हालांकि बारबार विमान से यात्रा करने वालों को थोड़ी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.

सैलफोन, माइक्रोफोन और कंप्यूटर भी नुकसानदेह होते हैं:

वैज्ञानिक आधार पर साबित हो गया है कि कंप्यूटर पूरी तरह सुरक्षित है. जहां तक माइक्रोवैव का सवाल है तो जब इस में लीकेज होगी तभी आप इस के विकिरण खतरे की चपेट में आ सकती हैं. सुरक्षा के लिहाज से आप इस के औन रहने के दौरान इस से एक सुरक्षित दूरी बनाए रखें.

इसी तरह सैलफोन भी आप के बच्चे को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता.

मेरे बच्चे की गतिविधि सुस्त लगती है, क्या उस का धीमा विकास हो रहा है:

आप के बच्चे का विकास शुरू हो चुका होता है और यह अपनी रफ्तार में जारी रहता है. यदि आप अपने बच्चे की गतिविधियों को ले कर बहुत ज्यादा चिंतित हैं तो एक बार इस की जांच करवाने की कोशिश करें. 12 घंटे की अवधि में जब आप को उस की 10 गतिविधियां महसूस हों तो आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

जैसेजैसे आप की डिलिवरी की तारीख नजदीक आती जाएगी, आप को इस की बारबार जरूरत पड़ेगी. जब तक आप इस की वास्तविक गिनती नहीं करतीं, आप कुछ गतिविधियों से भी वंचित रह सकती हैं जो आप में बेबुनियाद डर पैदा कर सकता है.

गर्भधारण काल के दौरान मुझे बाल नहीं रंगने चाहिए:

यह सही है. पहले 3 महीनों के दौरान हेयर कलर जैसे कैमिकल्स से बचना ही सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि ये रसायन खोपड़ी से होते हुए रक्तनलिका में पहुंच जाते हैं. लेकिन गर्भधारण के बाद वाली आधी अवधि में यह रसायन उतना खतरनाक नहीं भी हो सकता है. इस मामले में भी प्राकृतिक एवं हर्बल मिश्रण ही अपनाना चाहिए.

पेट लटकने की स्थिति में प्रैग्नेंट महिला को लड़का होता है और गर्भधारण दाग का मतलब लड़की का होना है:

किसी महिला के गर्भ में बच्चा कैसे पलता है यह उस की शारीरिक संरचना और उस के प्रैग्नेंट होने से पहले वह कैसे थी, इस पर निर्भर करता है. लेकिन किसी भी मामले में इस से लड़का या लड़की होने का फर्क नहीं पड़ता. दूसरे गर्भधारण में भी पेट की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण गर्भ लटक जाता है.

इसी तरह गर्भधारण के निशान का भी बच्चे के लिंग से कोई लेनादेना नहीं है. यह महज हारमोनल बदलाव का परिणाम होता है.

भ्रूण में हृदय की धीमी गति दर का मतलब है कि लड़का होगा और तेज हृदय गति दर का मतलब है लड़की होगी:

कोई ऐसा अध्ययन नहीं हुआ है जो साबित कर सके कि हृदयगति ही बच्चे के लिंग को निर्धारित करती है. आप के बच्चे की हृदयगति किसी एक प्रसव पूर्व परीक्षण की तुलना में दूसरे परीक्षण से अलग हो सकती है और यह पूरी तरह भ्रूण की आयु और परीक्षण की अवधि में गतिविधि स्तर पर निर्भर करती है.

पपीता खाने से गर्भपात होता है:

यह सचाई इस आधार पर टिकी है कि कच्चे पपीते में कीमोपेनिन होता है जिसे गर्भपात या समय पूर्व प्रसवपीड़ा का कारण माना जाता है. लेकिन पका हुआ पपीता सुरक्षित माना जाता है. इस के अलावा पके पपीते में विटामिन ए का अच्छा स्रोत होता है.

प्रैग्नेंट महिलाएं अचार और आइसक्रीम की शौकीन होती हैं:

दरअसल, प्रैग्नेंट महिलाएं नमक के लिए तरसने के कारण अचार की शौकीन होती हैं. इस के अलावा गर्भधारण काल में मिनरल्स भी खासतौर से महत्त्वपूर्ण होते हैं. इसी तरह आइसक्रमी जैसे जंक फूड की शौकीन प्रैग्नेंट महिलाओं के लिए इन का सेवन करना आसान होता है. मीठे भोजन में नमक भी पाया जाता है जिस से शरीर में सैरोटोनिन बनता है और इस कारण प्रैग्नेंट महिला को अच्छा एहसास होता है.

ब्रैकफास्ट में परोसें मल्टीग्रैन डोसा, स्वाद और हैल्थ से है भरपूर

अगर आप अपनी फैमिली को नाश्ते में हैल्दी और टेस्टी रेसिपी खिलाना चाहते हैं तो ये मल्टीग्रेन डोसा की रेसिपी घर पर ट्राय करना ना भूलें.

सामग्री

2 कप मिक्स मसूर की दाल, चना दाल, तुअर दाल, मूंग दाल, उरद दाल

3 कप चावल

1/2 कप ओट्स

नमक स्वादानुसार.

विधि

ओट्स को छोड़ कर बाकी सामग्री को 5-6 घंटे के लिए भिगो कर रखें. फिर इस का पानी हटा दें और मिक्सर में ओट्स के साथ ग्राइंड करें और डोसा बैटर तैयार कर लें. यदि बैटर ज्यादा गाढ़ा बना है तो उस में थोड़ा पानी डालें. फिर इस में नमक डालें और बैटर को 30 मिनट के लिए छोड़ दें. अब एक नौनस्टिक तवा लें और बैटर से पतला और क्रिस्प डोसा बना कर आलू की सब्जी, नारियल चटनी और सांबर के साथ परोसें

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