ओए पुत्तर: सरदारजी की जिंदगी में किस चीज की थी कमी?

सुबह के 10 बजे अपनी पूरी यूनिट के साथ राउंड के लिए वार्ड में था. वार्ड ठसाठस भरा था, जूनियर डाक्टर हिस्ट्री सुनाते जा रहे थे, मैं जल्दीजल्दी कुछ मुख्य बिंदुओं का मुआयना कर इलाज, जांचें बताता जा रहा था. अगले मरीज के पास पहुंच कर जूनियर डाक्टर ने बोलना शुरू किया, ‘‘सर, ही इज 65 इयर ओल्ड मैन, अ नोन केस औफ लेफ्ट साइडेड हेमिप्लेजिया.’’

तभी बगल वाले बैड पर लेटा एक वृद्ध मरीज (सरदारजी) बोल पड़ा, ‘‘ओए पुत्तर, तू मुझे भूल गया क्या?’’

बड़ा बुरा लगा मुझे. न जाने यह कौन है. नमस्कार वगैरह करने के बजाय, मुझ जैसे सीनियर व मशहूर चिकित्सक को पुत्तर कह कर पुकार रहा है. मेरे चेहरे के बदलते भाव देख कर जूनियर डाक्टर भी चुप हो गया था.

‘‘डोंट लुक एट मी लाइक ए फूल, यू कंटीन्यू विद योअर हिस्ट्री,’’ उस मरीज पर एक सरसरी निगाह डालते हुए मैं जूनियर डाक्टर से बोला.

‘‘क्या बात है बेटे, तुम भी बदल गए. तुम हो यहां, यह सोच कर मैं इस अस्पताल में आया और…’’

मुझे उस का बारबार ‘तुम’ कह कर बुलाना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था. मेरे कान ‘आप’, ‘सर’, ‘ग्रेट’ सुनने के इतने आदी हो गए थे कि कोई इस अस्पताल में मुझे ‘तुम’ कह कर संबोधित करेगा यह मेरी कल्पना के बाहर था. वह भी भरे वार्ड में और लेटेलेटे. चलो मान लिया कि इसे लकवा है, एकदम बैठ नहीं सकता है लेकिन बैठने का उपक्रम तो कर सकता है. शहर ही क्या, आसपास के प्रदेशों से लोग आते हैं, चारचार दिन शहर में पड़े रहते हैं कि मैं एक बार उन से बात कर लूं, देख लूं.

मैं अस्पताल में जहां से गुजरता हूं, लोग गलियारे की दीवारों से चिपक कर खड़े हो जाते हैं मुझे रास्ता देने के लिए. बाजार में किसी दुकान में जाऊं तो दुकान वाला अपने को धन्य समझता है, और यह बुड्ढा…मेरे दांत भिंच रहे थे. मैं बहुत मुश्किल से अपने जज्बातों पर काबू रखने की कोशिश कर रहा था. कौन है यह बंदा?

न जाने आगे क्याक्या बोलने लगे, यह सोच कर मैं ने अपने जूनियर डाक्टर से कहा, ‘‘इसे साइड रूम में लाओ.’’

साइड रूम, वार्ड का वह कमरा था जहां मैं मैडिकल छात्रों की क्लीनिकल क्लास लेता हूं. मैं एक कुरसी पर बैठ गया. मेरे जूनियर्स मेरे पीछे खड़े हो गए. व्हीलचेयर पर बैठा कर उसे कमरे में लाया गया. उस की आंखें मुझ से मिलीं. इस बार वह कुछ नहीं बोला. उस ने अपनी आंखें फेर लीं लेकिन इस के पहले ही मैं उस की आंखें पढ़ चुका था. उन में डर था कि अगर कुछ गड़बड़ की तो मैं उसे देखे बगैर ही न चला जाऊं. मेरे मन की तपिश कुछ ठंडी हुई.

सामने वाले की आंखें आप के सामने आने से डर से फैल जाती हैं तो आप को अपनी फैलती सत्ता का एहसास होता है. आप के बड़े होने का, शक्तिमान होने का सब से बड़ा सबूत होता है आप को देख सामने वाले की आंखों में आने वाला डर. इस ने मेरी सत्ता स्वीकार कर ली. यह देख मेरे तेवर कुछ नरम पड़े होंगे शायद.

तभी तो उस ने फिर आंखें उठाईं, मेरी ओर एक दृष्टि डाली, एक विचित्र सी शून्यता थी उस में, मानो वह मुझे नहीं मुझ से परे कहीं देख रही हो और अचानक मैं उसे पहचान गया. वे तो मेरे एक सीनियर के पिता थे. लेकिन ऐसा कैसे हो गया? इतने सक्षम होते हुए भी यहां इस अस्पताल के जनरल वार्ड में.

आज से 15 वर्ष पूर्व जब मैं इस शहर में आया था तो मेरे इस मित्र के परिवार ने मेरी बहुत सहायता की. यों कहें कि इन्होंने ही मेरे नाम का ढिंढोरा पीटपीट कर मेरी प्रैक्टिस शहर में जमाई थी. उस दौरान कई बार मैं इन के बंगले पर भी गया. बीतते समय के साथ मिलनाजुलना कम हो गया, लेकिन इन के पुत्र से, मेरे सीनियर से तो मुलाकात होती रहती है. उन की प्रैक्टिस तो बढि़या चल रही थी. फिर ये यहां इस फटेहाल में जनरल वार्ड में, अचानक मेरे अंदर कुछ भरभरा कर टूट गया. मैं बोला, ‘‘पापाजी, आप?’’

‘‘आहो.’’

‘‘माफ करना, मैं आप को पहचान नहीं पाया था.’’

‘‘ओए, कोई गल नहीं पुत्तर.’’

‘‘यह कब हुआ, पापाजी?’’ उन के लकवाग्रस्त अंग को इंगित करते हुए मैं बोला.

‘‘सर…’’ मेरा जूनियर मुझे उन की हिस्ट्री सुनाने लगा. मैं ने उसे रोका और पापाजी की ओर इशारा कर के फिर पूछा, ‘‘यह कब हुआ, पापाजी?’’

‘‘3 साल हो गए, पुत्तर.’’

‘‘आप ने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?’’

‘‘कहा तो मैं ने कई बार, लेकिन कोई मुझे लाया ही नहीं. अब मैं आजाद हो गया तो खुद तुझे ढूंढ़ता हुआ आ गया यहां.’’

‘‘आजाद हो गया का क्या मतलब?’’ मेरा मन व्याकुल हो गया था. सफेद कोट के वजन से दबा आदमी बेचैन हो कर खड़ा होना चाहता था.

‘‘पुत्तर, तुम तो इतने सालों में कभी घर आ नहीं पाए. जब तक सरदारनी थी उस ने घर जोड़ रखा था. वह गई और सब बच्चों का असली चेहरा सामने आ गया. मेरे पास 6 ट्रक थे, एक स्पेयर पार्ट्स की दुकान, इतना बड़ा बंगला.

‘‘पुत्तर, तुम को मालूम है, मैं तो था ट्रक ड्राइवर. खुद ट्रक चलाचला कर दिनरात एक कर मैं ने अपना काम जमाया, पंजाब में जमीन भी खरीदी कि अपने बुढ़ापे में वापस अपनी जमीन पर चला जाऊंगा. मैं तो रहा अंगूठाछाप, पर मैं ने ठान लिया था कि बच्चों को अच्छा पढ़ाऊंगा. बड़े वाले ने तो जल्दी पढ़ना छोड़ कर दुकान पर बैठना शुरू कर दिया, मैं ने कहा कोई गल नहीं, दूजे को डाक्टर बनाऊंगा. वह पढ़ने में अच्छा था. बोलने में भी बहुत अच्छा. उस को ट्रक, दुकान से दूर, मैं ने अपनी हैसियत से ज्यादा खर्चा कर पढ़ाया.

‘‘हमारे पास खाने को नहीं होता था. उस समय मैं ने उसे पढ़ने बाहर भेजा. ट्रक का क्या है, उस के आगे की 5 साल की पढ़ाई में मैं ने 2 ट्रक बेच दिए. वह वापस आया, अच्छा काम भी करने लगा. लेकिन इन की मां गई कि जाने क्या हो गया, शायद मेरी पंजाब की जमीन के कारण.’’

‘‘पंजाब की जमीन के कारण, पापाजी?’’

‘‘हां पुत्तर, मैं ने सोचा कि अब सब यहीं रह रहे हैं तो पंजाब की जमीन पड़ी रहने का क्या फायदा, सो मैं ने वह दान कर दी.’’

‘‘आप ने जमीन दान कर दी?’’

‘‘हां, एक अस्पताल बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन.’’

‘‘लेकिन आप के पास तो रुपयों की कमी थी, आप ट्रक बेच कर बच्चों को पढ़ा रहे थे. दान करने के बजाय बेच देते जमीन, तो ठीक नहीं रहता?’’

‘‘अरे, नहीं पुत्तर. मेरे लिए तो मेरे बच्चे ही मेरी जमीनजायदाद थे. वह जमीन गांव वालों के काम आए, ऐसी इच्छा थी मेरी. मैं ने तो कई बार डाक्टर बेटे से कहा भी कि चल, गांव चल, वहीं अपनी जमीन पर बने अस्पताल पर काम कर लेकिन…’’

आजकल की ऊंची पढ़ाई की यह खासीयत है कि जितना आप ज्यादा पढ़ते जाते हैं. उतना आप अपनी जमीन से दूर और विदेशी जमीन के पास होते जाते हैं. बाहर पढ़ कर इन का लड़का, मेरा सीनियर, वापस इंदौर लौट आया था यही बहुत आश्चर्य की बात थी. उस ने गांव जाने की बात पर क्या कहा होगा, मैं सुनना नहीं चाहता था, शायद मेरी कोई रग दुखने लगे, इसलिए मैं ने उन की बात काट दी.

‘‘क्या आप ने सब से पूछ कर, सलाह कर के जमीन दान करने का निर्णय लिया था?’’ मैं ने प्रश्न दागा.

‘‘पूछना क्यों? मेरी कमाई की जमीन थी. उन की मां और मैं कई बार मुंबई, दिल्ली के अस्पतालों में गए, अपने इसी लड़के से मिलने. वहां हम ने देखा कि गांव से आए लोग किस कदर परेशान होते हैं. शहर के लोग उन्हें कितनी हीन निगाह से देखते हैं, मानो वे कोई पिस्सू हों जो गांव से आ गए शहरी अस्पतालों को चूसने. मजबूर गांव वाले, पूरा पैसा दे कर भी, कई बार ज्यादा पैसा दे कर भी भिखारियों की तरह बड़ेबड़े अस्पतालों के सामने फुटपाथों पर कईकई रात पड़े रहते हैं. तभी उन की मां ने कह दिया था, अपनी गांव की जमीन पर अस्पताल बनेगा. यह बात उस ने कई बार परिवार वालों के सामने भी कही थी. वह चली गई. लड़कों को लगा उस के साथ उस की बात भी चली गई. पर तू कह पुत्तर, मैं अपना कौल तोड़ देता तो क्या ठीक होता?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘मैं ने बोला भी डाक्टर बेटे को कि चल, गांव की जमीन पर अस्पताल बना कर वहीं रह, पर वह नहीं माना.’’

पापाजी की आंखों में तेज चमक आ गई थी. वे आगे बोले, ‘‘मुझे अपना कौल पूरा करना था पुत्तर, सो मैं ने जमीन दान कर दी, एक ट्रस्ट को और उस ने वहां एक अस्पताल भी बना दिया है.’’

इस दौरान पापाजी कुछ देर को अपना लकवा भी भूल गए थे, उत्तेजना में वे अपना लकवाग्रस्त हाथ भी उठाए जा रहे थे.

‘‘सर, हिज वीकनैस इस फेक,’’ उन को अपना हाथ उठाते देख एक जूनियर डाक्टर बोला.

‘‘ओ नो,’’ मैं बोला, ‘‘इस तरह की हरकत लकवाग्रस्त अंग में कई बार दिखती है. इसे असोसिएट मूवमैंट कहते हैं. ये रिफ्लेक्सली हो जाती है. ब्रेन में इस तरह की क्रिया को करने वाली तंत्रिकाएं लकवे में भी अक्षुण्ण रहती हैं.’’

‘‘हां, फिर क्या हुआ?’’ पापाजी को देखते हुए मैं ने पूछा.

‘‘होना क्या था पुत्तर, सब लोग मिल कर मुझे सताने लगे. जो बहुएं मेरी दिनरात सेवा करती थीं वे मुझे एक गिलास पानी देने में आनाकानी करने लगीं. परिवार वालों ने अफवाह फैला दी कि पापाजी तो पागल हो गए हैं, शराबी हो गए हैं.’’

‘‘सब भाई एक हो कर मेरे पीछे पड़ गए बंटवारे के वास्ते. परेशान हो कर मैं ने बंटवारा कर दिया. दुकान, ट्रक बड़े वाले को, घर की जायदाद बाकी लोगों को. बंटवारे के तुरंत बाद डाक्टर बेटा घर छोड़ कर अलग चला गया. इसी दौरान मुझे लकवा हो गया. डाक्टर बेटा एक दिन भी मुझे देखने नहीं आया. मेरी दवा ला कर देने में सब को मौत आती थी. मैं कसरत करने के लिए जिस जगह जाता था वहां मुझे एक वृद्धाश्रम का पता चला.’’

‘‘आप वृद्धाश्रम चले गए?’’ मैं लगभग चीखते हुए बोला.

‘‘हां पुत्तर, अब 1 साल से मैं आश्रम में रह रहा हूं. सरदारनी को शायद मालूम था, मां अपने बच्चों को अंदर से पहचानती है, एक ट्रक बेच कर उस के 3 लाख रुपए उस ने मुझ से ब्याज पर चढ़वा दिए थे कि बुढ़ापे में काम आएंगे. आज उसी ब्याज से साड्डा काम चल रहा है.’’

‘‘आप के बच्चे आप को लेने नहीं आए,’’ मैं उन का ‘आजाद हो गया’ का मतलब कुछकुछ समझ रहा था.

‘‘लेने तो दूर, हाल पूछने को फोन भी नहीं आता. उन से मेरा मोबाइल नंबर गुम हो गया होगा, यह सोच मैं चुप पड़ा रहता हूं.’’

जिस दिन पापाजी से बात हुई उसी शाम को मैं ने उन के लड़के से बात की. उन को पापाजी का हाल बताया और समझाया कि कुछ भी हो उन्हें पापाजी को वापस घर लाना चाहिए. एक ने तो इस बारे में बात करने से मना कर दिया जबकि दूसरा लड़का भड़क उठा. उस का कहना था, ‘‘पापाजी को हम हमेशा अपने साथ रखना चाहते थे, लेकिन वे ही पागल हो गए. आखिर आप ही बताओ डाक्टर साहब, इतने बड़े लड़के पर हाथ उठाएं या बुरीबुरी गालियां दें तो वह लड़का क्या करे?’’

दवाओं व उपचार से पापाजी कुछ ठीक हुए, थोड़ा चलने लगे. काफी समय तक हर 1-2 महीने में मुझे दिखाने आते रहे, फिर उन का आना बंद हो गया.

समय बीतता गया, पापाजी नहीं आए तो मैं समझा, सब ठीक हो गया. 1-2 बार फोन किया तो बहुत खुशी हुई यह जान कर कि वे अपने घर चले गए हैं.

कई माह बाद पापाजी वापस आए, इस बार उन का एक लड़का साथ था. पापाजी अपना बायां पैर घसीटते हुए अंदर घुसे. न तो उन्होंने चहक कर पुत्तर कहा और न ही मुझ से नजरें मिलाईं. वे चुपचाप कुरसी पर बैठ गए. एकदम शांत.

शांति के भी कई प्रकार होते हैं, कई बार शांति आसपास के वातावरण में कुछ ऐसी अशांति बिखेर देती है कि उस वातावरण से लिपटी प्राणवान ही क्या प्राणहीन चीजें भी बेचैनी महसूस करने लगती हैं. पापाजी को स्वयं के बूते पर चलता देखने की खुशी उस अशांत शांति में क्षणभर भी नहीं ठहर पाई.

‘पापाजी, चंगे हो गए अब तो,’’ वातावरण सहज करने की गरज से मैं हलका ठहाका लगाते हुए बोला.

‘‘आहो,’’ संक्षिप्त सा जवाब आया मुरझाए होंठों के बीच से.

गरदन पापाजी की तरफ झुकाते हुए मैं ने पूछा, ‘‘पापाजी, सब ठीक तो है?’’

पतझड़ के झड़े पत्ते हवा से हिलते तो खूब हैं पर हमेशा एक घुटीघुटी आवाज निकाल पाते हैं : खड़खड़. वैसे ही पापाजी के मुरझाए होंठ तेजी से हिले पर आवाज निकली सिर्फ, ‘‘आहो.’’

पापाजी लड़के के सामने बात नहीं कर रहे थे, सो मेरे कहने पर वह भारी पांव से बाहर चला गया.

‘‘चलो पापाजी, अच्छा हुआ, मेरे फोन करने से वह आप को घर तो ले आया. लेकिन आप पहले से ज्यादा परेशान दिख रहे हैं?’’

पापाजी कुछ बोले नहीं, उन की आंख में फिर एक डर था. पर इस डर को देख कर मैं पहली बार की तरह गौरवान्वित महसूस नहीं कर रहा था. एक अनजान भय से मेरी धड़कन रुकने लगी थी. पापाजी रो रहे थे, पानी की बूंदों से नम दो पत्ते अब हिल नहीं पा रहे थे. बोलना शायद पापाजी के लिए संभव न था. वे मुड़े और पीठ मेरी तरफ कर दी. कुरता उठा तो मैं एकदम सकपका गया. उन की खाल जगहजगह से उधड़ी हुई थी. कुछ निशान पुराने थे और कुछ एकदम ताजे, शायद यहां लाने के ठीक पहले लगे हों.

‘‘यह क्या है, पापाजी?’’

‘पुत्तर, तू ने फोन किया, ठीक किया, लेकिन यह क्यों बता दिया कि मेरे पास 3 लाख रुपए हैं?’’

‘‘फिर आज आप को यहां कैसे लाया गया?’’

‘‘मैं ने कहा कि रुपए कहां हैं, यह मैं तुझे ही बताऊंगा… पुत्तर जी, पुत्तर मुझे बचा लो, ओए पुत्तर जी, मुझे…’’ पापाजी फूटफूट कर रो रहे थे.

मेरे कान के परदे सुन्न हो गए थे. आगे मैं कुछ सुन नहीं पा रहा था, कुछ भी नहीं.

Festival Special: पार्टी में दिखना चाहती हैं सबसे खूबसूरत, तो इस तरह करें मेकअप

मौका कोई भी हो, महिलाओं को तो बस सजनेसंवरने का बहाना चाहिए. फिर जब बात पार्टी की हो तो मेकअप और भी महत्त्वपूर्ण होता है. जानिए कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स:

फेस मेकअप

मेकअप करने से पहले फेसवाश जरूर करें. इस से फेस साफ हो जाता है और मेकअप अच्छे से अप्लाई होता है. इस के बाद वेट टिशू पेपर से फेस क्लीन करें और टोनर स्प्रे कर के 5-7 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर इसे ब्रश से मिक्स करें. थोड़ी देर के बाद मौइश्चराइजर अप्लाई कर के मसाज करें. मसाज के बाद फेस पर प्राइमर अप्लाई करें. इस के बाद कंसीलर लगाएं. अगर टैनिंग वाली स्किन है, तो औरेंज कंसीलर लगाएं. फिर कौंपैक्ट पाउडर लगा कर ब्रश से अच्छी तरह से मिक्स करें. अब ब्रश से फेस पर मिनरल लूज पाउडर अप्लाई करें.

आई मेकअप

जब भी मेकअप करें तो आइब्रोज को डिफाइंड जरूर करें. इस के लिए ब्राउन आईशैडो का प्रयोग करें. सब से पहले आंखों पर आईबेस अप्लाई करें. इस के बाद पिंक कलर का आईशैडो लगाएं. आई कौर्नर को मर्ज करने के लिए ब्राउन शैडो का प्रयोग करें. अब आंखों को अटै्रक्टिव लुक देने के लिए ब्रो बोन पर गोल्डन हाईलाइटर लगा कर हाईलाइट करें. अंत में जैल लाइनर और मसकारा लगाएं.

फेस कटिंग

फेस कटिंग से फेस को बड़ा, छोटा, पतला और मोटा दिखाया जा सकता है. फेस कटिंग के लिए पहले चेहरे पर डार्क शेड के बेस का प्रयोग करें. फिर कान के ऐंड से ले कर चीक्स के बीच तक कटिंग करें. इस के बाद चीक्स को उभारने के लिए पिंक ब्लशर लगाएं.

लिप मेकअप

लिपलाइनर से लिप्स की लाइनिंग करने के साथसाथ इसी से लिप्स भी फिल करें. फिर ब्रश से मैट लिपस्टिक लगाएं. यह लंबे समय तक रहती है. शाइनिंग के लिए इस के ऊपर लिपग्लौस लगाएं.

पार्टी बन

पार्टी बन बनाने के लिए सब से पहले इयर टु इयर पार्टीशन करें, फिर क्राउन एरिया पर स्टफिंग लगाएं. इस के बाद आगे से थोड़े से बाल ले कर बैक कौंबिंग करें और स्टफिंग को कवर कर के पिन लगा लें. फिर पीछे के बाकी बालों को ले कर पोनी बनाएं. अब पोनी को आगे की तरफ करें और उस के ऊपर स्टफिंग लगाएं. फिर पोनी को पीछे ला कर स्टफिंग को कवर कर के अच्छी तरह से पिन लगाएं. अब ऐक्सटैंशन लगा कर ट्विस्ट बनाएं और आगे की तरफ हेयर ऐक्सटैंशन बो लगाकर ऐक्सैसरीज से सजाएं.

रिंग जूड़ा

रिंग जूड़ा बनाने के लिए इयर टु इयर पार्टीशन करें. इस के बाद पीछे के थोड़े से बाल ले कर एक पोनी बनाएं. अब क्राउन एरिया पर स्टफिंग लगा कर आगे के हिस्से से बाल ले कर स्टफिंग को कवर करें. फिर बाकी बालों के छोटेछोटे सैक्शन ले कर रिंग्स बनाएं. जब पूरे बालों की रिंग्स बन जाएं, तब रिंग्स को राउंड कर के स्टफिंग पर पिन लगाएं. फिर बाकी बालों को ले कर पोनी बना लें. अंत में हेयर ऐक्सटैंशन लगाएं और ऐक्सैसरीज से सजाएं. 

गर्लफ्रैंड मेरे दोस्त के बहुत क्लोज हो गई है, मैं क्या करूं ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं एक युवती से बेहद प्यार करता हूं लेकिन अब वह मुझे घास नहीं डालती. दरअसल, पिछले महीने मैं ने उसे अपने एक दोस्त से मिलवाया था. हम तीनों उस दोस्त की गाड़ी से घूमने गए थे. उस के बाद से वह मुझ में कम रुचि लेती है और उस में ज्यादा. मुझे किसी से पता चला कि वह मेरे उसी दोस्त के साथ घूमतीफिरती भी है?

जवाब

आप जिस से प्यार करते हैं लगता है वह आप के बजाय पैसे से प्यार करती है, इसी कारण वह आप के गाड़ी वाले दोस्त से जल्दी इंप्रैस हो गई और उस से दोस्ती कर ली. पहले तो इस बात का पता कर लें कि क्या वाकई उन में दोस्ती हो गई है? अगर हां, तो उसे भूलने में ही भलाई है और अगर नहीं तो जानने की कोशिश करें कि अब वह आप से क्यों नहीं मिलती? अगर आप का साथ उसे प्यारा है तो आप से अवश्य मिलेगी. अगर पैसे का साथ प्यारा है तो आप तो क्या किसी भी अमीर को देख कर उस की ही हो जाएगी.

आप इसे दिल पर न लें बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति सुधारें और आगे बढ़ें. आप भी गाड़ी लें. जब उसे यह पता लगेगा तो अवश्य आप के पास आएगी. तब आप भी उसे घास मत डालिएगा और एहसास करवा दीजिएगा कि प्यार और पैसे में बहुत अंतर है.

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मात्र 24 साल की छोेटी सी उम्र में वह 2 बड़े हादसे झेल चुकी थी. पहली घटना उस के साथ 20 वर्ष की उम्र में घटी थी. तब वह बीकौम कर रही थी. उम्र के इस पड़ाव में युवाओं का किसी के प्यार में पड़ना आम बात होती है. आधुनिक शिक्षा व पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और समाज की बेडि़यों में ढीलापन होने के कारण युवा आपस में बहुत जल्दी घुलमिल जाते हैं. उन के  संबंध जितनी तीव्रता से परवान चढ़ते हैं, उतनी ही तेजी से टूटते भी हैं. कच्ची उम्र की सोच भी कच्ची होती है और इस उम्र में युवाओं के लिए सही निर्णय लेना लगभग असभंव होता है.

मिलिंद उस का पहला प्यार था. वह भी उसी के कालेज में पढ़ता था और एक साल सीनियर था. पढ़ाई के दौरान होने वाला प्यार मात्र मौजमस्ती के लिए होता है. यह सारे युवा जानते हैं. एकदूसरे को भरोसे में लेने के लिए वे बड़ेबड़े वादे करते हैं, लेकिन जब उन के बीच शारीरिक संबंध कायम हो जाते हैं, तो उस के बाद सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं. तब प्यार के बंधन ढीले पड़ने लगते हैं. फिर प्यार में कटुता पनपती है, दूरियां बढ़ती हैं और कई बार इस की परिणति बहुत दुखद होती है.

मिलिंद के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे पता चला कि वह एक बदमाश किस्म का युवक है. छोटीमोटी लूटपाट, मारपीट ही नहीं, वह युवतियों के साथ जोरजबरदस्ती भी करता था. जो युवती उस के झांसे में नहीं आती, उसे वह अपने मित्रों के माध्यम से अगवा कर उस की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करता. कालेज में वह बहुत बदनाम था, लेकिन किसी युवती ने अभी तक उस पर कोईर् दोष नहीं मढ़ा था, इसीलिए उस की हिम्मत दिनोदिन बढ़ती जा रही थी.

शादीशुदा होने के बावजूद मैं किसी दूसरी लड़की के साथ रिलेशनशिप में हूं…

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सवाल

26 वर्षीय विवाहित युवक हूं. विवाह को 5 वर्ष हो चुके हैं. 3 वर्ष का बेटा और 8 महीने की बेटी है. मेरी पत्नी के घर वालों ने उस की शिक्षा को ले कर झूठ बोला था. हम से कहा गया था कि लड़की बीए पास है, जबकि वह सिर्फ 10वीं कक्षा पास है. वह न तो मुझे ठीक से प्यार करती है और न ही बच्चों की परवरिश ठीक से कर पाती है. जिस रिश्ते की बुनियाद ही झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता कितने दिन टिक सकता है? मैं पत्नी को नहीं चाहता. एक और लड़की है जो हर तरह से मेरे लिए उपयुक्त है. मैं उस से शादी करना चाहता हूं. बताएं कि यह कैसे संभव है?

जवाब

रिश्ता तय होने से पहले आप को लड़की के बारे में सारी तहकीकात करनी चाहिए थी पर आप ने ऐसा नहीं किया. अब शादी के 5 साल बीत जाने और 2 बच्चों का पिता बनने के बाद पत्नी की खामियां देख रहे हैं. आप मानते हैं कि आप की बीवी अपने बच्चों की सही परवरिश नहीं कर सकती. ऐसे में बच्चों के प्रति आप की जिम्मेदारी बढ़ गई है. मगर बजाय इस ओर ध्यान देने के आप किसी लड़की के प्रेम में पड़े हैं और उस से शादी के सपने देख रहे हैं. आप को समझना चाहिए कि एक पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह गैरकानूनी होगा. अत: किसी मुगालते में न रहें. पत्नी से तालमेल बैठाने और घरपरिवार को संभालने का प्रयास करें.

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शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

आपसी वार्तालाप ना होना- पुरूष अकसर चाहते हैं कि वो अपनी पत्नी से खूब बातें करें और उनकी पत्नी भी अपनी बातें शेयर करें लेकिन जब आपसी वार्तालाप या संवाद की स्थिति खत्म हो जाती है तो रिश्तों में दरार आने और धोखा देने की संभावना अधिक बढ़ जाती है.

प्रयोगवादी होना- लोग आजकल नए-नए एक्सपेरिमेंट करते हैं. जब कोई पुरूष रिश्तों से उबने लगता है तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

महिलाओं का शादी के बाद धोखा देने के कारण

अफेयर होना- आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद पुरूषों को इसीलिए धोखा देने लगती हैं, क्योंकि उनका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उनका पहला प्रेमी उन्हें परेशान और ब्लैकमेल करता है जिससे वे धोखा देने पर मजबूर हो जाती हैं.

विश्वास ना होना- इसीलिए कुछ महिलाएं धोखा देने लगती हैंक्योंकि उनका पति उन पर विश्वास नहीं करता या फिर बिना किसी वजह शक करता है.

बोरियत होना- कई बार महिलाएं घर में रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती हैं और अकेले रहते-रहते वे बाहर की और आकर्षित होती हैं. नतीजन कई बार उनके इससे विवाहेत्तर संबंध भी बन जाते हैं.

साथी से विचार ना मिलना- कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी महिलाएं बाहर की ओर आकर्षित होती हैं.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Shahrukh Khan की फैन निकिता दत्ता ने ‘मेहंदी लगा कर रखना’ पर लगाए गजब के ठुमके

शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के लिए निकिता दत्ता के प्यार की कोई सीमा नहीं है. बारबार, उन्होंने शाहरुख खान के लिए अपने प्यार का इजहार किया है और हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के एक ट्रैक पर थिरकती नजर आ रही हैं.

अभिनेत्री अजरबैजान के बाकू में अपने समय का आनंद ले रही थी, जब वह एक दुकान पर गई जहां दुकानदार ने ‘मेहंदी लगा कर रखना’ गाना बजाया. शाहरुख खान की जबरदस्त फैन निकिता दुकान पर खड़ी हो गई और नाचने लगी.

ऐक्ट्रेस ने अपना वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया और इसे कैप्शन दिया, “एक सार्वभौमिक प्रेम भाषा है. इसे @iamsrk कहा जाता है. यह बाकू में एक बाकलावा की दुकान है! इस आदमी के पास उसके गानों से भरी पूरी प्लेलिस्ट थी.”

निकिता दत्ता ने सुपरस्टार शाहरुख खान को “सार्वभौमिक प्रेम भाषा” कहा है. इस साल की शुरुआत में निकिता ने शाहरुख खान के साथ डेट पर जाने की इच्छा शेयर की थी. अभिनेत्री ने कहा, “निस्संदेह, शाहरुख खान, मैं हमेशा उनसे प्रभावित रहती हूं और मैं उनके साथ काम करने के लिए मरी जा रही हूं.”

निकिता दत्ता पेशेवर मोर्चे पर, निकिता सिद्धार्थ आनंद की नेटफ्लिक्स प्रोडक्शन, ‘ज्वेल थीफ’ में अभिनय करने के लिए तैयार हैं, जहां वह सैफ अली खान और जयदीप अहलावत के साथ स्क्रीन शेयर करेंगी.

बिना आंखों के चढ़ गई अमेरिका का ऊंचा पर्वत, कौन है यह साहसी महिला

जब किसी के जीवन में कोई दुर्घटना घटती है, तो वह जीना छोड़ देता है. लेकिन शौन चेशायर (Shawn Chesire) ने अपनी आंखें खोने के बाद हिम्मत नहीं हारी और एथलैटिक्स की ओर रुख किया.

एक रिपोर्ट के अनुसार, शौन ने कहा,”मैं वास्तव में एक अंधेरे कोने में थी और मुझे अंधेपन से कोफ्त होता था. लेकिन खेल और शारीरिक चुनौतियों ने मुझे जीने का एक और मौका दिया.”

जब बात पैरालिंपिक की हो, तो इस खेल की खिलाड़ियों के हौसले को सलाम है. न इन्हें सिर्फ कङी मेहनत करनी पङती है बल्कि सामने कई चुनौतियां भी आती हैं, जिन का मुकाबला कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन पैरालिंपिक खिलाड़ियां पूरे जोश और उत्साह के साथ खेल के मैदान में जंग से जीत जाते हैं.

अंधा व्यक्ति काम नहीं कर सकता

विकलांग शब्द सुनते ही लोगों के जेहन में सिर्फ यही बात आती है कि अरे, वह कोई काम कैसे कर सकता/सकती है. आएदिन मैट्रो, बस या रास्ते में हमें विकलांग लोग देखने को मिलते हैं। कई लोग तरस खा कर उन की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, तो कई लोग उन्हें देखते ही मुंह मोड़ लेते हैं. लेकिन इन सब से अलग कई विकलांग लोगों ने दुनियाभर में अपनी बड़ी पहचान बनाई है.

आंखें खोने के बाद भी शौन क्यों नहीं रोईं

किसी ने सच ही कहा है कि अगर हौसला बुलंद हो, तो जीवन में कुछ करने की चाह होने पर बड़ीबड़ी मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं.’ ये पंक्तियां अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक और पूर्व पैरामैडिक ईएमटी शौन चेशायर पर फिट बैठती है. जी हां, 49 साल की शौन चेशायर ब्रेन में गहरी चोट लगने के कारण पूरी तरह से अंधी हो गई थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने दृढ़ संकल्प लिया और अपने सपने को पंख दी और फिर बड़ी कामयाबी हासिल की.

बिना किसी गाइड के कैसे बनी चैंपियन

आमतौर पर अंधे व्यक्ति को घूमने के लिए हमेशा एक गाइड की जरूरत होती है, लेकिन शौन बिना किसी गाइड के पैदल यात्रा करने वाली पहली ब्लाइंड महिला बनी. हार न मानते हुए शौन ने रोड साइक्लिंग और ट्रैक दोनों पर 13 बार पैरासाइकिलिंग यूएस नैशनल चैंपियन बनीं.

अंधे व्यक्तियों के लिए कैसे बनीं मिसाल

शौन ने कई उपलब्धियां हासिल कीं. उन्होंने 2014 में लंदन में हुए पहले इनविक्टस गेम्स और 2016 के रियो पैरालिंपिक में अमेरिका को रिप्रेजैंट भी किया था. वह यूएस आर्मी विमेंस हौल औफ फेम की सदस्य भी हैं. नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए शौन चेशायर एक बहुत बड़ी मिसाल हैं.

बिना आंखों के चढ़ गईं 22 हजार फुट की उंचाई

साल 2018 में शौन ने ग्रैंड कैनियन को 2 बार ट्रैक करने का रिकौर्ड बनाया. 22 हजार फुट की ऊंचाई के साथ 45 मील की इस यात्रा को सिर्फ 24 घंटे और 15 मिनट में पूरा किया. जब शौन ने पहली यात्रा की थी, इस की तुलना में दूसरी यात्रा कम समय में पूरा किया. बिना किसी गाइड के किसी नेत्रहीन व्यक्ति के लिए इस उपलब्धि को हासिल करना एक आसाधरण जीत है.

महिलाओं के लिए बनीं मिसाल

कहा जाता है कि वे अकसर बिना किसी तैयारी के मैराथन दौड़ में शामिल होती हैं. शौन की यह यात्रा लोगों के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है.

अगर हमारे अंदर साहस, दृढ़ संकल्प और कुछ करने की इच्छाशक्ति हो, तो हम किसी भी मुश्किल का सामना कर अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं.

क्या है पैरालिंपिक खेल

पैरालिंपिक खेल विकलांगों के लिए सब से बड़ा अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है. यह एथलीटों के लिए सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से किया जाता है. हर 2 साल में पैरालिंपिक खेल आयोजित किए जाते हैं.

पहला पैरालंपिक खेल 1960 में रोम में आयोजित किया गया था. न्यूजीलैंड ने पहली बार 1968 में तेल अवीव में भाग लिया था.

स्पाई यूनिवर्स की छठी फिल्म ‘वार 2’ में मेन लीड में नजर आएंगी Kiara Advani, सेट से शेयर की फोटो

बौलीवुड अभिनेत्री कियारा आडवाणी (Kiara Advani) इस समय अपकमिंग फिल्म ‘वार 2’ की शूटिंग कर रही हैं. हाल ही में उन्होंने सेट से निर्देशक अयान मुखर्जी के साथ एक फोटो शेयर की, जिसमें वह व्हाइट ड्रेस में दिख रही हैं. कियारा ने फोटो के कैप्शन में लिखा, “होली संडे @ayan_mukerji.”

kiara advani

मेन लीड

‘वार 2’, जो स्पाई यूनिवर्स की सिक्स फिल्म है, इसमें कियारा में लीड के रूप में नजर आएंगी, उनके साथ ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर भी होंगे. यह पहली बार है जब कियारा ऋतिक रोशन के साथ स्क्रीन शेयर करेंगी.

विदेश में शूट

‘वार 2’ की टीम ने हाल ही में फिल्म का एक हिस्सा विदेश में शूट किया, और ऋतिक और कियारा के दृश्यों की झलक ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है, जिससे उनकी औनस्क्रीन जोड़ी को लेकर उत्साह बढ़ गया है.

डिफरैंट रोल

कियारा ने 2014 में फिल्म ‘फुगली’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी. दूसरी फिल्म ‘एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ 2016 में रिलीज हुई थी, जिसमें उन्होंने एम.एस. धोनी की वाइफ का रोल निभाया था. लेकिन उनका करियर ओटीटी प्लेटफौर्म पर 2018 में रिलीज फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ के साथ आगे बढ़ा. इसके बाद हिंदी फिल्में कबीर सिंह, गुड न्यूज, लक्ष्मी, इंदू की जवानी और शेरशाह में डिफरैंट रोल निभाया. जिसे उनके फैंस ने काफी पसंद किया. इस समय ‘वार 2’ के अलावा, कियारा आडवाणी के पास कई बड़ी फिल्में हैं, जिनमें राम चरण के साथ ‘गेम चेंजर’, यश के साथ ‘टौक्सिक’ और रणवीर सिंह के साथ ‘डौन 3’ शामिल हैं.

वह पगली सी लड़की: सेजल ने खत में क्या लिखा था

औफिस में आते ही मैं ने रोज की तरह अपना लैपटौप औन किया और एमएस वर्ड में जा कर एक बढि़या सब ब्लौग लिखा, जिसे मैं रास्तेभर सोचता आ रहा था. जल्द ही उसे कौपी कर के अपने ब्लौग ‘अनजाने खत’ में पेस्ट कर के उसे पोस्ट कर दिया. अपने ब्लौग से लिंकअप करते हुए मैं ने उस का भी ब्लौग देखा ‘खुशियों भरी जिंदगी.’ मगर आज भी उस ने कुछ नहीं लिखा था.

3 दिन हो गए थे, उस ने कुछ भी नहीं लिखा, जबकि वह तो रोज लिखने वालों में से है. कभीकभी तो एक दिन में 2-3 कविताएं भी लिख डालती थी. कहीं उस की तबीयत तो नहीं खराब हो गई? मैं फेसबुक पर गया. वहां भी उस की ऐक्टिविटी 3 दिन पहले की दिख रही थी. व्हाट्सऐप पर भी लास्ट सीन देखा तो वही हाल था. आखिर वह पिछले 3 दिनों से है कहां? कहीं बीमार तो नहीं? नहींनहीं वह बीमार भी होती तब भी कुछ न कुछ जरूर लिखती थी. ज्यादा बड़ा नहीं तो 2-3 पंक्तियों की कोई क्षणिका या हाईकू… कहीं उस का लैपटौप व मोबाइल तो नहीं खराब हो गया? अरे नहीं, दोनों एकसाथ कैसे खराब हो सकते हैं? चलो फोन कर के ही देखता हूं. लेकिन उस ने मु झे मैसेज या फोन करने के लिए मना कर रखा है. हमेशा वही फोन करती है. मैं खुद से ही सवालजवाब करने में उल झा था.

मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उसे फोन करूं. कहीं उस के पति ने देख लिया तो बेचारी मुसीबत में पड़ जाएगी. यही सोच कर मैं ने उसे कौल या मैसेज नहीं किया.

‘1-2 दिन और इंतजार कर लेता हूं, उस के बाद कुछ सोचूंगा,’ मैं ने अपने दिल को सम झाया और फिर अपने काम में लग गया.

मगर आज मेरा मन औफिस के कामों में बिलकुल नहीं लग रहा था. बारबार मेरा ध्यान मोबाइल पर ही जा रहा था. शायद उस की कोई कौल या मैसेज आ गया हो. लंच टाइम हो गया, फिर भी कोई मैसेज नहीं आया. उसे मेरे लंच टाइम का पता था. वह अकसर मु झे इस वक्त फोन करती थी.

मैं कभीकभी उस पर  झल्लाया भी करता था, ‘‘प्लीज लंच टाइम में फोन मत किया करो. मु झे खाते हुए बोलना पसंद नहीं.’’

‘‘तुम से बोलने को किस ने कहा. बस सुनते रहो न मैं जो कह रही हूं. तुम्हारे लंच टाइम के समय मैं भी खाना खाती हूं और तुम से बात किए बिना मु झे खाने में कोई स्वाद नहीं लगता,’’ और इस के साथ ही जोरदार हंसी.

अचानक मु झे भी हंसी आ गई. अचकचा कर मैं ने अपनी अगलबगल देखा, कहीं कोई मु झे अकेले यों हंसते हुए तो नहीं देख रहा. फिर मैं ने जल्दी से अपना लंच खत्म किया और कैंटीन की बालकनी में आ गया. कैंटीन के पीछे वाली बालकनी से एक पार्क दिखाई देता था.

जाड़े का मौसम था. बच्चे धूप में खेल रहे थे. उन की आवाजें तो नहीं सुनाई दे रही थीं, मगर चेहरे देख कर खिलखिलाहट का अंदाजा लगाया जा सकता था. वह भी तो ऐसे ही खिलखिलाती रहती थी. फोन पर या मिलने पर या फिर मैसेज में भी वह बिना स्माइली के बात नहीं करती थी. बेहद जिंदादिल थी वह.

एक कवि सम्मेलन के दौरान हम दोनों मिले थे. हम दोनों ही लेखक थे. कविता एवं ब्लौग लिखना हम दोनों का शौक था.

पहली बार जब उस ने मेरी कविता सुनी थी तो प्रोग्राम के दौरान ही बिंदास हो कर कहा था, ‘‘आप इतनी रोमांटिक कविताएं कैसे लिख लेते हो? मु झे तो आप के शब्दों से प्यार हो गया है.’’

मैं कुछ कहता उस से पहले ही उस ने अपना मोबाइल निकाल कर कहा, ‘‘मु झे अपना मोबाइल नंबर दीजिए.’’

फिर जैसे ही मैं ने अपना मोबाइल नंबर बताया उस ने मु झे कौल कर दिया, ‘‘यह मेरा मोबाइल नंबर है, सेव कर लीजिएगा. जब भी आप की कविता सुनने का दिल किया करेगा मैं आप को परेशान कर दिया करूंगी,’’ कह वह निकल गई.

‘‘पगली कहीं की,’’ अनायास ही मेरे मुंह से अभी निकल गया.

उस दिन भी तो उस के जाने के बाद यही शब्द कहे थे मैं ने. उस के नाम से ज्यादा मैं ने उसे पगली कह कर ही बुलाया है. 1 हफ्ते के अंदर ही हम दोनों व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम सब जगह एकदूसरे को लाइक, कमैंट और शेयर करने लगे थे और साथ ही लंबीलंबी चैटिंग भी. वह अकसर कहा करती कि मैं तुम्हारे शब्दों में जीती हूं. तुम्हारे ब्लौग ‘अनजाने खत’ सीधे मेरे दिल तक पहुंचते हैं.

एक दिन मैं ने उसे मैसेज किया, ‘‘सोच रहा हूं मैं ब्लौग्स लिखना छोड़ दूं.’’

‘‘फिर तो मैं भी तुम्हें छोड़ दूंगी,’’ तुरंत उस का मैसेज आया.

‘‘कोई बात नहीं, छोड़ देना. तुम्हारा भी समय बचेगा और मेरा भी. वैसे भी मेरी पत्नी को बिलकुल पसंद नहीं है मेरा कविता या ब्लौग लिखना और तुम्हारे पति को भी तो नहीं पसंद है.’’

‘‘तुम्हारी पत्नी का तो पता नहीं, मगर मेरे पति को तो मैं भी पसंद नहीं… तो क्या मैं जीना छोड़ दूं? अब मैं तुम्हारी कविताओं के साथसाथ तुम से भी प्यार करने लगी हूं.’’

साथ ही एक चुंबन वाली इमोजी के साथ आया उस का यह मैसेज पढ़ कर मेरे मुंह से फिर निकला, ‘‘पगली कहीं की,’’ और न जाने कैसे रिप्लाई भी हो गया था.

‘‘तो इस पगली से मिलने पागलखाने आ जाओ न.’’

‘‘पागलखाने?’’

‘‘हां, इस रविवार को एक कवि सम्मेलन का न्योता मिला है मु झे. तुम भी आ जाओ. फिर दोनों मिल कर पागलपंती करते हैं.’’

‘‘मैं नहीं आने वाला.’’

मेरे इनकार करने के बावजूद उस ने मु झे उस कवि सम्मेलन का पता भेज दिया.

रविवार का दिन था. मैं भी उस से मिलने का लोभ संवरण न कर पाया और उस के बताए पते पर पहुंच ही गया.

‘‘क्यों छली जाती हो तुम,

कभी सीता बन कर राम से,

तो कभी राधा बन कर श्याम से?’’

जब उस ने स्त्रियों के लिए और ओज, उत्साह एवं उम्मीद से भरी हुई अपनी इस नवरचित कविता का पाठ किया तो सारा हौल तालियों से गुंजायमान हो गया. प्रोग्राम के बाद हम दोनों ही कौफी शौप में जा बैठे.

‘‘तुम्हें डर नहीं लगता इस तरह मेरे साथ खुलेआम मिलने में जबकि तुम्हारे पति बेहद सख्त किस्म के इंसान हैं?’’ मैं ने उस से संजीदा होते हुए पूछा.

‘‘डर तो बहुत लगता है, मगर क्या करूं? तुम से प्यार जो करती हूं, तुम से मिले बिना रहा नहीं जाता,’’ उस ने हमेशा की तरह खिलखिलाते हुए कहा.

‘‘फिर वही पागलों वाली बातें… मैं शादीशुदा हूं, तुम्हें पता है न और मैं अपनी पत्नी से बेहद प्यार करता हूं,’’ मैं ने पहले से भी ज्यादा गंभीरतापूर्वक कहा.

‘‘मुझे पता है सबकुछ… मैं भी शादीशुदा हूं और मु झे तुम से कोई शादीवादी नहीं करनी है… और मैं ने तुम्हें कब मना किया कि तुम अपनी पत्नी से प्यार मत करो? मैं तो बस अपने दिल की बात कर रही हूं. मैं तुम से प्यार करती हूं, तो करती हूं बस… और मेरी ऐसी कोई शर्त नहीं कि बदले में तुम भी मु झे प्यार करो,’’ कहने के साथ ही वह फिर हंसी.

मगर इस बार उस की हंसी मु झे खोखली लगी. जब मैं ने उस की आंखों में  झांका तो उस ने गरम कौफी का मग मेरे हाथ से छुआ दिया और फिर खिलखिला उठी.

‘‘तुम सचमुच पागल हो… तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता. किसी दिन तुम्हारे पति या तुम्हारे घर वालों को पता चल गया ये सब तो तुम्हें तो घर से निकालेंगे ही मु झे भी कहीं का नहीं छोड़ेंगे.’’

‘‘अरे वाह, कितना मजा आएगा… मेरे पति मु झे निकाल देंगे और तुम्हारी पत्नी तुम्हें भगा देगी घर से, फिर… हम दोनों प्रेम की गली में एक छोटा सा घर बसाएंगे, कलियां न सही कांटों से ही सजाएंगे…’’ उस ने ये बातें इस अंदाज में कहीं कि मैं जोर से हंस पड़ा.

‘‘चल हट पगली,’’ मेरे मुंह से निकल गया.

‘‘अब जल्दी चलो वरना तुम्हारे साथ रहा तो यही होने वाला है,’’ मैं ने जल्दी से कौफी का बिल चुकाया और उसे 2 मिनट बाद निकलने को बोल कर मैं बाहर निकल गया.

रास्तेभर उस की बातें मेरे मन को गुदगुदा रही थीं. मु झे बेहद आश्चर्य होता था कि वह 40 की उम्र में भी इतनी बिंदास हो सकती है जबकि मैं 35 की उम्र में भी 55 की उम्र वालों की तरह संजीदा रहने लगा हूं.

‘वह करोड़पति की पत्नी है और मैं मामूली सा बिजनैसमैन. मु झे रोज अपनी रोजीरोटी की चिंता रहती है और वह दुनियादारी से बिलकुल बेफिक्र,’ मैं ने मन ही मन सोचा.

तभी एक ठंडी हवा का  झोंका गुजरा और मु झे एहसास हुआ कि मैं यहां बहुत देर से खड़ा हूं. मैं ने उस की यादों को  झटका और औफिस के कामों में व्यस्त हो गया.

इसी तरह 1 हफ्ता बीत गया, मगर उस का कहीं कोई अतापता नहीं था.

‘काश, मु झे उस के घर का पता मालूम होता तो वहां जा कर उस का हालचाल जान लेता… कहीं ऐसा तो नहीं कि उस के पति को मेरे बारे में पता चल गया हो?’ मैं मन ही मन बुदबुदाया.

आज मु झे इस आभासी दुनिया के रिश्ते पर कोफ्त हो रही थी. उस के सोशल मीडिया का पता तो मालूम था, मगर मैं ने कभी उस के घर का पता पूछने की जहमत नहीं उठाई.

तभी मु झे याद आया कि मेरी फेसबुक फ्रैंड लिस्ट में उस की छोटी बहन सेजल भी है. वह अकसर कहा करती थी कि सेजल मेरी सहेली जैसी है.

‘क्यों न मैं सेजल से पूछ लूं’ सोच मैं ने तुरंत सेजल का प्रोफाइल खोला और मैसेंजर पर एक औपचारिक मैसेज डाल दिया.

मेरी आशा के विपरीत उस ने 2 मिनट के बाद ही मु झे मैसेंजर कौल किया. मेरे कुछ पूछने से पहले ही उस ने कहा, ‘‘मु झे आप से दीदी के बारे में कुछ बातें करनी हैं. क्या हम कहीं शांत जगह मिल सकते हैं?’’

मैं ने उसे अपने औफिस के बाहर एक छोटे से रैस्टोरैंट में बुला लिया. 1 घंटे के बाद ही मैं ने अपनी सैक्रेटरी को काम सम झाया और बाहर निकल गया.

मेरे रैस्टोरैंट में पहुंचने के 5 मिनट बाद ही सेजल आ गई. वह अपनी दीदी के बिलकुल विपरीत प्रवृत्ति की लग रही थी. आंखों पर मोटा चश्मा और चेहरे पर गहरी उदासी…

‘‘सब से पहले तो मैं आप को धन्यवाद देना चाहूंगी. आप पहले पुरुष हो जिस ने मेरी दीदी की जिंदगी में ढेर सारा प्यार और खुशियां बिखेरीं,’’ सेजल ने साधारण शब्दों में ही कहा था, मगर मु झे न जाने क्यों एक व्यंग्य सा महसूस हुआ.

खुशियां तो उस ने मेरी जिंदगी में बिखेर रखी थीं. उस का चेहरा देखते ही मैं अपनी सारी परेशानियां भूल जाता था. उत्साह से लबरेज उस की बातें और ब्लौग्स पढ़ कर मैं ने जिंदगी को सकारात्मक नजरिए से देखना शुरू किया था. मगर मैं ने उस से कभी नहीं कहा और अफसोस कि आज भी सेजल के सामने सोच जरूर रहा था, मगर बोल नहीं सका.

‘‘तुम्हारी दीदी खुद भी बहुत अच्छी हैं,’’ मैं ने मुसकराते हुए बस इतना ही कहा.

‘‘और क्या जानते हैं आप मेरी दीदी के बारे में?’’ सेजल ने मेरे चेहरे को एकटक देखते हुए पूछा, तो मैं सकपका गया.

‘‘ज… ज… ज्यादा कुछ नहीं, उस ने ही बताया था कि वह एक बहुत बड़े बिजनैसमैन की पत्नी है और खाली समय में कविताएं लिखती हैं, बस,’’ मैं ने हकलाते हुए कहा.

‘‘ऊं… ह… खाली समय… समय ही कहां था दीदी के पास.’’

‘‘क्या मतलब?’’ मैं सेजल की बातों का मतलब नहीं सम झ पाया.

‘‘अच्छा, ये सब छोड़ो. सब से पहले तुम मु झे यह बताओ कि तुम्हारी दीदी आजकल है कहां? हफ्ता बीत गया उस ने मु झ से कोई संपर्क नहीं किया… भूल गई क्या मु झे?’’ अचानक मु झे याद आया कि मैं ने जल्दी पूछ लिया.

‘‘आप को पता है, मेरी दीदी की शादी को 10 साल हो गए थे,’’ सेजल ने मेरे सवाल को नजरअंदाज करते हुए कहा.

‘‘हां, उस ने मु झे बताया तो था.’’

‘‘मगर 1 साल पहले ही दीदी ने अपने पति से तलाक ले लिया था.’’

‘‘क्या? यह तो उस ने मु झे कभी नहीं बताया,’’ मैं चौंक उठा.

‘‘कैसे बताती… पिछले 8 महीनों से आप उसे खूबसूरत जिंदगी दे रहे थे. ऐसे में वह अपनी तकलीफें बता कर आप की हमदर्दी नहीं बटोरना चाहती थी.

‘‘शादी के कई वर्षों बाद भी जब दीदी मां नहीं बन पा रही थी, तब जीजाजी ने उस का कई जगह इलाज करवाया तो पता चला कि कुछ शारीरिक कमियों के कारण दीदी कभी मां नहीं बन सकती. फिर तो जीजाजी और उन के घर वालों ने दीदी को बां झ कहकह कर ताने देना आरंभ कर दिया. उन लोगों की दिलचस्पी अब केवल दीदी की सैलरी में रहने लगी थी. मेरे जीजाजी एक मामूली से शिक्षक थे, जबकि दीदी कालेज की प्रवक्ता. दीदी के पैसों से ही सारी गृहस्थी चलती थी. फिर भी उन लोगों ने कभी मेरी दीदी का सम्मान नहीं किया,’’ सेजल की आंखों में आंसू आ गए थे.

मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो कर सिर्फ उस की बातें सुन रहा था. मु झे सम झ नहीं आ रहा था कि मैं उस से क्या कहूं. उस ने मु झ से ये सब क्यों छिपाया?

‘‘दीदी की ससुराल वाले जीजाजी की शादी मु झ से करवाने के लिए दीदी पर दबाव डालने लगे ताकि दीदी का पैसा भी उन्हें मिलता रहे और उन की वंशबेल भी आगे बढ़े. जब दीदी ने इस का विरोध किया तो उन लोगों ने प्रताड़ना की सीमा पार करनी शुरू कर दी. इस के बाद दीदी ने जीजाजी तथा उन के परिवार वालों पर घरेलू हिंसा का केस दायर कर दिया और तलाक के लिए अपील की.

‘‘जीजाजी ने बहुत कोशिश की दीदी के साथ सम झौता करने की. धमकी देने के साथसाथ मेरी दीदी के चरित्र पर भी उंगलियां उठाईं उन्होंने, मगर मेरी दीदी विचलित नहीं हुई. वह तलाक ले कर ही मानी. तलाक के बाद दीदी अभी संभली भी नहीं थी कि उसे पता चला कि वह सर्वाइकल कैंसर की लास्ट स्टेज में पहुंच चुकी है. डाक्टर ने सिर्फ

8-10 महीने की जिंदगी बताई,’’ सेजल आगे न बोल सकी और फफकफफक कर रोने लगी.

‘‘उफ, उसे कैंसर है? उस ने मु झे बताया भी नहीं… उसे देखने से भी मु झे कभी महसूस नहीं हुआ कि वह…’’ मेरी आवाज भर्रा गई.

‘‘दीदी को कभी किसी की हमदर्दी अच्छी नहीं लगती थी. तभी तो वह कीमोथेरैपी के दुष्प्रभाव से नष्ट हुई अपनी खूबसूरती को भी विग तथा मेकअप से छिपा कर रखती थी और अपने दर्द को हंसी के मुखोटे में दबा लेती थी. अपनी ‘खुशियों भरी जिंदगी’ के माध्यम से लोगों को खुशियां बांटा करती थी और अपनी कविताओं में सभी औरतों की हौसलाअफजाई करती थी. दीदी ने कभी किसी से कुछ लिया नहीं… उस ने हमेशा देना ही जाना था,’’ सेजल ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा.

‘‘जानती थी का क्या मतलब? वह अभी कहां है? मु झे मिलना है उस से,’’ मैं ने बच्चों की तरह मचलते हुए कहा.

‘‘अब वह इस दुनिया में नहीं रही,’’ सेजल ने सपाट शब्दों में कहा.

‘‘क्या? तुम यह क्या कह रही हो सेजल? मु झे सम झ नहीं आ रहा कि मैं क्या कहूं.’’

‘‘यह लिफाफा और लैपटौप उस ने मु झे आप को देने को कहा था,’’ कह सेजल ने एक लैपटौप बैग और एक लिफाफा मु झे पकड़ा दिया.

‘‘दीदी ने मु झ से कहा था कि वह तुम से जरूर संपर्क करेगा और जब तक वह तुम से संपर्क न करे तुम उसे मेरे बारे में मत बताना,’’ सेजल के कुछ और बोलने से पहले मैं लिफाफा खोल चुका था.

लिफाफे में उस का मोबाइल था और साथ में एक पत्र, जिसे उस ने

लाल स्याही से लिखा था.

‘सौरी डियर,

‘अब तक तो तुम्हें मेरी जिंदगी और मौत से जुड़ी सारी बातें पता चल ही चुकी होंगी. तुम से छिपाया इस के लिए माफ कर देना. मैं तो तुम्हारा सच्चा प्यार चाहती थी, तुम्हारी हमदर्दी नहीं. मु झे अच्छी तरह पता था कि तुम मु झ से प्यार नहीं करते थे, मगर मैं तो तुम्हारे हर ‘अनजाने खत’ पर स्वयं ही अपना नाम लिख लिया करती थी. तुम्हारे शब्दों में खुद को महसूस किया करती थी. तुम्हारे साथ बिताए 8 महीने मेरी जिंदगी का सब से खूबसूरत समय है. तुम्हारे ब्लौग्स में तुम्हारी सारी प्यारभरी बातों को मैं तुम्हारे प्यार की बारिश सम झ कर सराबोर हो जाती थी. अब तुम रोना मत, क्योंकि मैं हंसते हुए यह पत्र लिख रही हूं.

‘वैसे अच्छा ही हुआ जो तुम ने मु झ से प्यार नहीं किया वरना मु झे जिंदगी से प्यार हो जाता और मैं इतनी जल्दी आसानी से मर नहीं पाती. एक बात पूछूं…

‘जिंदगी दर्द की इतनी घनी छांव क्यों है

अपनों के इस शहर में परायों से इतना लगाव क्यों है?’

‘हो सके तो मेरी एक आखिरी इच्छा पूरी कर देना. जब भी कभी अपनी कविताओं की पुस्तक छपवाना तो उस के साथ मेरी भी कविताएं छपवा देना. मु झे लगेगा कि मैं मर के भी तुम्हारे साथ हूं.

‘अपना लैपटौप और मोबाइल तुम्हें दे रही हूं. मेरी सारी रचनाएं इसी में हैं. पासवर्ड में अपना और मेरा नाम एकसाथ लिख देना.

‘मरने से पहले तुम से नहीं मिल सकी और इतना सारा  झूठ बोलने के लिए मु झे माफ कर देना.

‘तुम्हारी पगली…’

और इस के साथ ही उस ने एक बड़ी सी स्माइली बना दी थी.

मैं ने जब नजरें उठाईं तो सेजल जा चुकी थी. दिल ने चाहा कि मैं जोर से दहाड़ें मार कर रोऊं और यहां मौजूद सारी चीजों को पटक कर तोड़ दूं. मगर मैं कुछ भी नहीं कर पाया, क्योंकि मैं उस से प्यार जो नहीं करता था. वह मेरी प्रेमिका नहीं थी, लेकिन मेरे अंदर कुछ दरक रहा था बिना आवाज.

मैं ने उस की लिखावट और उस के पत्र को होंठों से लगा लिया. ऐसा लगा जैसे वह फिर से खिलखिला उठी हो. मगर मैं ने  झल्लाते हुए कहा, ‘‘तुम बिलकुल पागल हो और आज मु झे तुम्हारी इस पागलपंती पर बहुत गुस्सा आ रहा है,’’ और मैं जोरजोर से रोने लगा बिना यह देखे कि आसपास के लोग मु झे देख रहे हैं.

एक सफर ऐसा भी: क्या था स्वरुप का प्लान

दिल्ली के प्रेमी युगलों के लिए सब से मुफीद और लोकप्रिय जगह है लोधी गार्डन. स्वरूप और प्रिया हमेशा की तरह कुछ प्यारभरे पल गुजारने यहां आए थे. रविवार की सुबह थी. पार्क में हैल्थ कौंशस लोग मौर्निंग वाक के लिए आए थे. कोई दौड़ लगा रहा था तो कोई ब्रिस्क वाक कर रहा था. कुछ लोग तरहतरह के व्यायाम करने में व्यस्त थे, तो कुछ उन्हें देखने में. झील के सामने लगी लोहे की बैंच पर बैठे प्रिया और स्वरूप एकदूसरे में खोए थे. प्रिया की बड़ीबड़ी शरारतभरी निगाहें स्वरूप पर टिकी थीं. वह उसे लगातार निहारे जा रही थी.

स्वरूप ने उस के हाथों को थामते हुए कहा, ‘‘प्रिया, आज तो तुम्हारे इरादे बड़े खतरनाक लग रहे हैं.’’

वह हंस पड़ी, ‘‘बिलकुल जानेमन. इरादा यह है कि तुम्हें अब हमेशा के लिए मेरा हाथ थामना होगा. अब मैं तुम से दूर नहीं रह सकती. तुम ही मेरे होंठों की हंसी हो. भला हम कब तक ऐसे छिपछिप कर मिलते रहेंगे?’’ और फिर प्रिया गंभीर हो गई.

स्वरूप ने बेबस स्वर में कहा, ‘‘अब मैं क्या कहूं? तुम तो जानती ही हो मेरी मां को… उन्हें तो वैसे ही कोई लड़की पसंद नहीं आती उस पर हमारी जाति भी अलग है.’’

‘‘यदि उन के राजपूती खून वाले इकलौते बेटे को सुनार की गरीब बेटी से इश्क हो गया है तो अब हम दोनों क्या कर सकते हैं? उन को मुझे अपनी बहू स्वीकार करना ही पड़ेगा. पिछले 3 साल से कह रही हूं… एक बार बात कर के तो देखो.’’

‘‘एक बार कहा था तो उन्होंने सिरे से नकार दिया था. तुम तो जानती ही हो कि मां के सिवा मेरा कोई है भी नहीं. कितनी मुश्किलों से पाला है उन्होंने मुझे. बस एक बार वे तुम्हें पसंद कर लें फिर कोई बाधा नहीं. तुम उन से मिलने गईं और उन्होंने नापसंद कर दिया तो फिर तुम तो मुझ से मिलना भी बंद कर दोगी. इसी डर से तुम्हें उन से मिलवाने नहीं ले जाता. बस यही सोचता रहता हूं कि उन्हें कैसे पटाऊं.’’

‘‘देखो अब मैं तुम से तो मिलना बंद नहीं कर सकती. ऐसे में तुम्हारी मां को पटाना ही अंतिम रास्ता है.’’

‘‘पर मेरी मां को पटाना

ऐसी चुनौती है जैसे रेगिस्तान में पानी खोजना.’’

‘‘ओके, तो मैं यह चुनौती स्वीकार करती हूं. वैसे भी मुझे चुनौतियों से खेलना बहुत पसंद है,’’ बड़ी अदा के साथ अपने घुंघराले बालों को पीछे की तरफ झटकते हुए प्रिया ने कहा और फिर उठ खड़ी हुई.

‘‘मगर तुम यह सब करोगी कैसे?’’ स्वरूप ने उठते हुए पूछा.

‘‘एक बात बताओ. तुम्हारी मां इसी वीक मुंबई जाने वाली हैं न किसी औफिशियल मीटिंग के लिए… तुम ने कहा था उस दिन.’’

‘‘हां, वे अगले मंगल को निकल रही हैं. आजकल में रिजर्वेशन भी करानी है मुझे.’’

‘‘तो ऐसा करो, एक के बजाय 2 टिकट करा लो. इस सफर में मैं उन की हमसफर बनूंगी, पर उन्हें बताना नहीं,’’ आंखें नचाते हुए प्रिया ने कहा तो स्वरूप की प्रश्नवाचक निगाहें उस पर टिक गईं.

प्रिया को भरोसा था अपने पर. वह जानती थी कि सफर के दौरान आप सामने वाले को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं. जब हम इतने घंटे साथ बिताएंगे तो हर तरह की बातें होंगी. एकदूसरे को इंप्रैस करने का मौका मिलेगा. यह तय हो जाएगा कि वह स्वरूप की बहू बन सकती है. उस ने मन ही मन फैसला कर लिया था कि यह उस की आखिरी परीक्षा है.

स्वरूप ने मुसकराते हुए सिर तो हिला दिया था पर उसे भरोसा नहीं था. उसे प्रिया का आइडिया बहुत पसंद आया था. पर वह मां के जिद्दी धार्मिक व्यवहार को जानता था. फिर भी उस ने हां कर दी. उसी दिन शाम उस ने मुंबई राजधानी ऐक्सप्रैस के एसी 2 टियर श्रेणी में

2 टिकट (एक लोअर और दूसरा अपर बर्थ) रिजर्व करा दिए. जानबूझ कर मां को अपर बर्थ दिलाई और प्रिया को लोअर.

जिस दिन प्रिया को मुंबई के लिए निकलना था, उस से 2 दिन पहले से वह अपनी तैयारी में लगी थी. यह उस की जिंदगी का बहुत अहम सफर था. उस की खुशियों की चाबी यानी स्वरूप का मिलना या न मिलना इसी पर टिका था. प्रिया ने वे सारी चीजें रख लीं, जिन के जरीए उसे स्वरूप की मां पर इंप्रैशन जमाने का मौका मिल सकता था.

ट्रेन शाम 4.35 पर नई दिल्ली स्टेशन से छूटनी थी. अगले दिन सुबह 8.35 ट्रेन का मुंबई अराइवल था. कुल 16 घंटों का सफर था. इन

16 घंटों में उसे स्वरूप की मां को जानना था और अपना सही और पूरा परिचय देना था.

वह समय से पहले ही स्टेशन पहुंच गई और बहुत बेसब्री से स्वरूप और उस की मां के आने का इंतजार करने लगी. कुछ ही देर में उसे स्वरूप आता दिखा, साथ में मां भी थी. दोनों ने दूर से ही एकदूसरे को आल द बैस्ट कहा.

ट्रेन के आते ही प्रिया सामान ले कर अपनी बर्थ की तरफ

बढ़ गई. सही समय पर ट्रेन चल पड़ी. आरंभिक बातचीत के साथ ही प्रिया ने अपनी लोअर बर्थ मां को औफर कर दी. उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, क्योंकि उन्हें घुटनों में दर्द रहने लगा था. वैसे भी बारबार ऊपर चढ़ना उन्हें पसंद नहीं था. उन की नजरों में प्रिया के प्रति स्नेह के भाव झलक उठे. प्रिया एक नजर में उन्हें काफी शालीन लगी. दोनों बैठ कर दुनियाजहान की बातें करने लगीं. मौका देख कर प्रिया ने उन्हें अपने बारे में सारी बेसिक जानकारी दे दी कि कैसे वह दिल्ली में रह कर जौब कर अपने मांबाप का सपना पूरा कर रही है. दोनों ने साथ ही खाना खाया.

प्रिया का खाना चखते हुए मां ने पूछा, ‘‘किस ने बनाया तुम ने या कामवाली रखी है?’’

‘‘कामवाली तो है आंटी पर खाना मैं खुद ही बनाती हूं. मेरी मां ने मुझे सिखाया है कि जैसा खाओ अन्न वैसा होगा मन. अपने हाथों से बनाए खाने की बात ही अलग होती है… इस में सेहत और स्वाद के साथ प्यार जो मिला होता है.’’

उस की बात सुन कर मां मुसकरा उठीं, ‘‘तुम्हारी मां ने तो बहुत अच्छी बातें सिखाई हैं. जरा बताओ और क्या सिखाया है उन्होंने?’’

‘‘कभी किसी का दिल न दुखाओ, जितना हो सके दूसरों की मदद करो. आगे बढ़ने के लिए दूसरे की मदद पर नहीं, बल्कि अपनी काबिलीयत और परिश्रम पर विश्वास करो. प्यार से सब का दिल जीतो.’’

प्रिया कहे जा रही थी और मां गौर से सुन रही थीं. उन्हें प्रिया की बातें बहुत पसंद आ रही थीं. इसी बीच मां बाथरूम के लिए उठीं कि अचानक झटका लगने से डगमगा गईं और किनारे रखे ब्रीफकेस के कोने से पैर में चोट लग गई. चोट ज्यादा नहीं लगी थी, मगर खून निकल आया. मां को बैठाया और फिर अपने बैग में रखे फर्स्ट ऐड बौक्स को खोलने लगी.

मां ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘तुम हमेशा यह डब्बा ले कर निकलती हो?’’

‘‘हां आंटी, चोट मुझे लगे या दूसरों को मुझे अच्छा नहीं लगता. तुरंत मरहम लगा दूं तो दिल को सुकून मिल जाता है. वैसे भी जिंदगी में हमेशा किसी भी तरह की परेशानी से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए,’’ कहते हुए प्रिया ने तुरंत चोट वाली जगह पर मरहम लगा दिया और इस बहाने उस ने मां के पैर भी छू लिए.

मां ने प्यार से उस का गाल थपथपाया और पूछने लगीं, ‘‘तुम्हारे पापा क्या करते हैं? तुम्हारी मां हाउसवाइफ  हैं या जौब करती हैं?’’

प्रिया ने बिना किसी लागलपेट के साफ स्वर में जवाब दिया, ‘‘मेरे पापा सुनार हैं और वे ज्वैलरी शौप में काम करते हैं. मेरी मां हाउसवाइफ हैं. हम 2 भाईबहन हैं. छोटा भाई इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है और मैं यहां एक एमएनसी कंपनी में काम करती हूं. मेरी सैलरी अभी

80 हजार प्रति महीना है. उम्मीद करती हूं कि कुछ सालों में अच्छा मुकाम हासिल कर लूंगी.’’

‘‘बहुत खूब,’’ मां के मुंह से निकला. उन की प्रशंसाभरी नजरें प्रिया पर टिकी थीं, ‘‘बेटा और क्या शौक हैं तुम्हारे?’’

‘‘मेरी मम्मी बहुत अच्छी डांसर हैं. उन्होंने मुझे भी इस कला में निपुण किया है. डांस के अलावा मुझे कविताएं लिखने और फोटोग्राफी करने का भी शौक है. तरहतरह की डिशेज तैयार करना और सब को खिला कर वाहवाही लूटना भी बहुत पसंद है.’’

ट्रेन अपनी गति से आगे बढ़ रही थी और इधर प्रिया और मां की बातें भी बिना किसी रुकावट जारी थीं.

कोटा और रतलाम स्टेशनों के बीच ट्रेन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से चल रही थी कि अचानक एक झटके से रुक गई. दूरदूर तक जंगली सूना इलाका था. आसपास न तो आवागमन के साधन थे और न खानेपीने की चीजें थीं. पता चला कि ट्रेन करीब 8-9 घंटे वहीं खड़ी रहनी है. दरअसल, पटरी में क्रैक की वजह से ट्रेन के आगे वाला डब्बा उलट गया था. यात्री घायल तो नहीं हुए, मगर अफरातफरी जरूर मच गई थी. क्रेन आने और पलटे डब्बे को हटाने में काफी समय लगना था.

ऐक्सीडैंट 11 बजे रात में हुआ था और अब सुबह हो चुकी थी. यह

इलाका ऐसा था कि दूरदूर तक चायपानी तक की दुकान नजर नहीं आ रही थी. ट्रेन के पैंट्री कार में भी अब खाने की चीजें खत्म हो चुकी थीं. 12 बज चुके थे. मां सोच रही थीं कि चाय का इंतजाम हो जाता तो चैन आता. तब तक प्रिया पैंट्री कार से गरम पानी ले आई. अपने पास रखा टीबैग, चीनी और मिल्क पाउडर से उस ने फटाफट चाय तैयार की और फिर टिफिन बौक्स निकाल कर उस में से दाल की कचौडि़यां और मठरी आदि कागज की प्लेट में रख कर नाश्ता सजा दिया. टिफिन बौक्स निकालते समय मां ने गौर किया था कि प्रिया के बैग में डियो के अलावा भी कोई स्प्रे है.

‘‘यह क्या है प्रिया?’’ मां ने उत्सुकता से पूछा.

प्रिया बोली, ‘‘आंटी, यह पैपर स्प्रे है ताकि किसी बदमाश से सामना हो जाए तो उस के गलत इरादों को सफल न होने दूं. सिर्फ  यही नहीं अपने बचाव के लिए मैं हमेशा एक चाकू भी रखती हूं. मैं खुद कराटे में ब्लैक बैल्ट होल्डर हूं. खुद की सुरक्षा का पूरा खयाल रखती हूं.’’

‘‘बहुत अच्छा,’’ मां की खुशी चेहरे पर झलक रही थी, ‘‘अच्छा प्रिया यह बताओ कि तुम अपनी सैलरी का क्या करती हो? खुद तुम्हारे खर्चे भी काफी होंगे. आखिर अकेली रहती हो मैट्रो सिटी में और फिर औफिस में प्रेजैंटेबल दिखना भी जरूरी होता है. आधी सैलरी तो उसी में चली जाती होगी.’’

‘‘अरे नहीं आंटी ऐसा कुछ नहीं है. मैं

अपनी सैलरी के 4 हिस्से करती हूं. 2 हिस्से यानी 40 हजार भाई की इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पापा को देती हूं. एक हिस्सा खुद पर खर्च करती हूं और बाकी के एक हिस्से से फ्लैट का किराया देने के साथ कुछ पैसे सोशल वर्क में लगाती हूं.’’

‘‘सोशल वर्क?’’ मां ने हैरानी से पुछा.

‘‘हां आंटी, जो भी मेरे पास अपनी समस्या ले कर आता है उस का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करती हूं. कोई नहीं आया तो खुद ही गरीबों के लिए कपड़े, खाना वगैरह खरीद कर बांट देती हूं.’’

तभी ट्रेन फिर चल पड़ी. दोनों की बातें भी चल रही थीं. मां ने प्रिया की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘मेरा भी एक बेटा है स्वरूप. वह भी दिल्ली में जौब करता है.’’

स्वरूप का नाम सुनते ही प्रिया की आंखों में चमक उभर आई. अचानक मां ने प्रिया की तरफ देखते हुए पूछा, ‘‘अच्छा, यह बताओ बेटे कि आप का कोई बौयफ्रैंड है या नहीं? सचसच बताना.’’

प्रिया ने 2 पल मां की आंखों में झांका और फिर नजरें झुका कर बोली, ‘‘जी है.’’

‘‘उफ…’’ मां थोड़ी गंभीर हो गईं, ‘‘बहुत प्यार करती हो उस से? शादी करने वाले हो तुम दोनों?’’

प्रिया को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे. इस तरह की बातों का हां में जवाब देने का अर्थ है खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना. फिर भी जवाब तो देना ही था. सो वह हंस कर बोली, ‘‘आंटी, शादी करना तो चाहते हैं, मगर क्या पता आगे क्या लिखा है. वैसे आप अपने बेटे के लिए कैसी लड़की ढूंढ़ रही हैं?’’

‘‘ईमानदार, बुद्धिमान और दिल से खूबसूरत.’’

दोनों एकदूसरे की तरफ  कुछ पल देखती रहीं. फिर प्रिया ने पलकें झुका लीं. उसे समझ नहीं आ रहा था कि मां से क्या कहे और कैसे कहे. दोनों ने ही इस मसले पर फिर बात नहीं की. प्रिया के दिमाग में बड़ी उधेड़बुन चलने लगी थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि मां ने उसे पसंद किया या नहीं. उस ने स्वरूप को वे सारी बातें मैसेज कर के बताईं. मां भी खामोश बैठी रहीं. प्रिया कुछ देर के लिए आंखें बंद कर लेट गई. उसे पता ही नहीं चला कि कब उसे नींद आ गई. मां के आवाज लगाने पर वह हड़बड़ा कर उठी तो देखा मुंबई आ चुका था और अब उसे मां से विदा लेनी थी.

स्टेशन पर उतर कर वह खुद ही बढ़ कर मां के गले लग गई. मन में एक अजीब सी घबराहट थी. वह चाहती थी कि मां कुछ कहें पर ऐसा नहीं हुआ. मां से विदा ले कर वह अपने रास्ते निकल आई. अगले दिन ही फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली लौट आई.

फिर वह स्वरूप से मिली और सारी बातें विस्तार से बताईं. बौयफ्रैंड वाली बात भी. स्वरूप भी कुछ समझ नहीं सका कि मां को प्रिया कैसी लगी. मां 2 दिन बाद लौटने वाली थीं. दोनों ने 2 दिन बड़ी उलझन में गुजारे. उन की जिंदगी का फैसला जो होना था.

नियत समय पर मां लौटीं. स्वरूप बहुत बेचैन था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि मां से कैसे पूछे. वह चाहता था कि मां खुद ही उस से प्रिया की बात छेड़े, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. एक दिन और बीत गया. अब तो स्वरूप की हालत खराब होने लगी. अंतत: उस ने खुद ही मां से पूछ लिया, ‘‘मां आप का सफर कैसा रहा? सह यात्री कैसे थे?’’

‘‘सब अच्छा था,’’ मां ने छोटा सा जवाब दिया.

स्वरूप और भी ज्यादा बेचैन हो उठा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पूछे मां से. उस से रहा नहीं गया तो उस ने सीधा पूछ लिया, ‘‘और वह जो लड़की थी जाते समय साथ… उस ने आप का खयाल तो रखा?’’

‘‘क्यों पूछ रहे हो? जानते हो क्या उसे?’’ मां ने प्रश्नवाचक नजरें उस पर टिका दीं.

स्वरूप घबरा गया जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो, ‘‘जी ऐसा कुछ नहीं. मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था.’’

‘‘ओके, सब अच्छा रहा. अच्छी थी लड़की,’’ मां फिर छोटा सा जवाब दे कर बाहर निकलने लगीं. लेकिन फिर ठहर गईं. बोलीं, ‘‘हां एक बात बता दूं कि मेरे साथ जो लड़की थी न उस की कई बातों ने मुझे अचरज में डाल दिया. जानते हो मेरे दाहिने पैर में चोट लगी तो उस ने क्या किया?’’

‘‘क्या किया मां?’’ अनजान बनते हुए स्वरूप ने पूछा.

‘‘मेरे दाहिने पैर में मरहम लगाने के बहाने उस ने मेरे दोनों पैरों को छू लिया. फिर जब मैं ने उस से यह पूछा कि क्या उस का कोई बौयफ्रैंड है तो 2 पलों के लिए उस के दिमाग में एक जंग सी छिड़ गई. लग रहा था जैसे वह सोच रही हो कि अब मुझे क्या जवाब दे. एक बात और जानते हो, तेरा नाम लेते ही उस की नजरों में अजीब सी चमक आई और पलकें झुक गईं. मैं समझ नहीं सकी कि ऐसा क्यों है?’’

मां की बातें सुन कर स्वरूप के चेहरे पर घबराहट की रेखाएं खिंच गईं. वह एकटक मां की तरफ देखे जा रहा था जैसे मां उस के ऐग्जाम का रिजल्ट सुनाने वाली हैं.

मां ने फिर कहा, ‘‘एक बात और बताऊं स्वरूप, जब वह सो

रही थी तो उस की मोबाइल स्क्रीन पर मुझे तुम्हारे कई सारे व्हाट्सऐप मैसेज आते दिखे, क्योंकि उस ने तुम्हारे मैसेज पौप अप मोड में रखे थे. मैसेज कुछ इस तरह के थे, ‘‘डोंट वरी प्रिया. मां के साथ तुम्हारा यह सफर हम दोनों की जिंदगी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण

है. मां बस एक बार तुम्हें पसंद

कर लें फिर हम हमेशा के लिए एक हो जाएंगे.

‘‘फिर तो मेरा शक यकीन में बदल गया कि तुम दोनों मिल कर मुझे बेवकूफ बना रहे हो,’’ कहतेकहते मां थोड़ी गंभीर हो गईं.

‘‘नहीं मां ऐसा नहीं है,’’ उस ने मां के कंधे पकड़ कर कहा.

मां झटके से अलग होती हुई बोलीं, ‘‘देखो स्वरूप एक बात अच्छी तरह समझ लो…’’

‘‘क्या मां?’’ स्वरूप डरासहमा सा बोला.

‘‘यही कि तुम्हारी पसंद…’’ कहतेकहते मां रुक गईं.

स्वरूप को लगा जैसे उस की धड़कनें रुक जाएंगी.

तभी मां खिलखिला कर हंस पड़ीं, ‘‘जरा अपनी सूरत तो देखो. ऐसे लग रहे हो जैसे ऐग्जाम में फेल होने के बाद चेहरा बन गया हो तुम्हारा. मैं तो कह रही थी कि तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है. मुझे बस ऐसी ही लड़की चाहिए थी बहू के रूप में… सर्वगुणसंपन्न… रियली आई लाइक योर चौइस.’’

मां के शब्द सुन कर स्वरूप अपनी खुशी रोक नहीं पाया और मां के गले से लग गया, ‘‘आई लव यू मां.’’

मां प्यार से बेटे की पीठ थपथपाने लगीं.

बौलीवुड शहंशाह का है आज हैप्पी बर्थडे, जानें 82 साल के Amitabh Bachchan का डाइट प्लान

Happy Birthday Amitabh Bachchan : कला एक ऐसा माध्यम है जो समाज को तोड़ने के लिए नहीं बल्कि जोड़ने के लिए काम करता है . एक कलाकार खुद को संघर्षों की भट्टी में तपाता है, वक्त की ठोकर को सहकर जग में प्रकाश फैलाता है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का कहना है जिनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को हुआ. आज भी वह फिल्मों में ही नहीं सोशल मीडिया पर भी पूरी तरह एक्टिव हैं. छोटे परदे से लेकर बड़े परदे तक उनका सक्रिय रहना सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. सिर्फ आम दर्शक ही नहीं फिल्म इंडस्ट्री वालों के भी वह रोल मौडल है . पेश है इसी सुपरस्टार से संबंधित दिलचस्प बातों के खास अंश उनके जन्मदिन शुभ अवसर पर…

अमित जी के दिल से निकली दिलचस्प बातें…

अपने जन्मदिन के अवसर पर अमिताभ बच्चन को बचपन में गिफ्ट लेना बहुत पसंद था .उनके अनुसार जब मेरे मातापिता मेरे जन्मदिन के उपलक्ष्य में घर में पार्टी रखते थे तो मेरा ध्यान सिर्फ गिफ्ट पर होता था मेरी यही इच्छा रहती थी कि मेरे लिए कौनसा गिफ्ट आ रहा है. उस दौरान मुझे बर्थडे गिफ्ट से इतना प्यार था कि मैं गिफ्ट लेकर सीधा अपने कमरे में भाग जाता था यह देखने के लिए कि गिफ्ट पौकेट के अंदर क्या है. अब इस उम्र में मुझे धूमधाम से बर्थडे मनाना पसंद नहीं है. क्योंकि जिनके साथ में बर्थडे मनाता था और मुझे खुशी मिलती थी वह मेरे पिताजी हरिवंश राय बच्चन हैं. उनके बगैर मुझे बर्थडे मनाना इतना पसंद नहीं आता. लेकिन घरवाले और मेरे प्रशंसक मेरा जन्मदिन मनाए बगैर नहीं मानते. इसलिए उनकी खुशी के लिए मैं अपना बर्थडे मना लेता हूं. क्योंकि मैंने जीवन में लोगों का प्यार पाकर ही अपनी मंजिल तय की है. इसलिए मेरा जीवन उनका है,उनको मैं नाराज नहीं कर सकता.

82 वर्षीय बौलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की फिटनेस का राज , उनका डाइट प्लान और फिटनेस सीक्रेट….

82 वर्षीय अमिताभ बच्चन एक ऐसे एक्टर हैं जो इस उम्र में भी एकदम फिट है पौजिटिव हैं और इस उम्र में भी अभिनय क्षेत्र में डांस ,एक्शन, कौमेडी इमोशनल दृश्य करने में नहीं हिचकिचाते. शूटिंग के दौरान जहां अन्य कलाकार अपनी वैन में जाकर बैठ जाते हैं . वही अमिताभ बच्चन सेट पर ही मौजूद रहकर अन्य कलाकारों की ना सिर्फ शूटिंग देखते हैं , बल्कि उनकी हौसला आफजाई भी करते हैं. इस उम्र में अभी भी वह फिट पौजिटिव दिखाई देते हैं . ऐसे में सभी को यह जानने की उत्सुकता रहती है कि आखिर अमित जी की फिटनेस का राज क्या है . पिछले दिनों अपने ब्लौग में अमित जी ने अपना डाइट प्लान और फिटनेस सीक्रेट शेयर किया. जिसके अनुसार अमित जी वर्कआउट रूटीन में लापरवाही नहीं बरतते, अपने ट्रेनर के कहे अनुसार वौकिंग जौगिंग, वेट ट्रेनिंग, करते हैं इसके अलावा मानसिक शांति के लिए 8 घंटे की नींद जरूर लेते हैं मेडिटेशन का सहारा लेकर वह अपने आप को मानसिक तौर पर फिट रखते हैं. वह बहुत ज्यादा खाने के शौकीन नहीं है इसलिए बहुत लिमिटेड खाना खाते हैं. ताकि आलस से दूर रह सके
खाने में शक्कर का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते. खाने में ओट्स, अंडा, साबुत अनाज, और फल सब्जी का सेवन करते हैं. दिन में 20 मिनट का वाक सुबह के टाइम जरूर करते हैं. अमित जी के अनुसार अगर आपको फिट रहना है तो पौजिटिव सोच का पालन करना बहुत जरूरी है. क्योंकि हम जितना निगेटिव सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा निगेटिव हमारी जिंदगी में होता है.

साउथ और बौलीवुड स्टार के रोल मौडल हैं अमिताभ बच्चन….

शहंशाह सुपरस्टार कहलाने वाले अमिताभ बच्चन सिर्फ आम दर्शकों के लिये ही नहीं बल्कि बौलीवुड और साउथ के स्टारों के भी दिलों पर राज करते हैं . बौलीवुड स्टार हो या साउथ के एक्टर हर कोई अमित जी को अपना रोल मौडल मानते हैं. जैसे के साउथ के प्रसिद्ध एक्टर अल्लू अर्जुन के अनुसार वह अमित जी को अपना रोल मौडल मानते हैं क्योंकि 82 साल में भी उनकी सक्रियता मुझे आश्चर्यचकित करती है और मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं भी उनकी तरह बड़ी उम्र तक इतना ही काम करता रहूं और ऐसे ही दर्शकों का प्यार पाता रहूं. साउथ के स्टार प्रभास अमित जी के साथ काम करके अपने आप को धन्य मानते हैं प्रभास के अनुसार मैंने अपनी पूरी जिंदगी में अमित जी जितना शालीन सभ्य और बेहतरीन एक्टर नहीं देखा. वैसे तो मैं पहले से ही उनका फैन था. लेकिन अब मैं उनको अपना रोल मौडल मानता हूं.

साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत भी अमिताभ बच्चन के जबरदस्त फैन हैं क्योंकि रजनीकांत का मानना है अमित जी ने अपनी जिंदगी में बहुत सारे उतारचढ़ाव देखे हैं. एक समय ऐसा भी था जब उनका डाउनफौल हो गया था . लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी. दिन में 18 घंटे काम करके अमित जी अपना पैसा और नाम शोहरत दोनों वापस पा लिया. अमित जी के साथ मैंने जब भी काम किया है बहुत कुछ सीखा है. यही वजह है कि मैं उनको अपना रोल मौडल और गुरु मानता हूं. साउथ के स्टारों के अलावा शाहरुख खान आमिर खान, कपिल शर्मा, आदि सभी बौलीवुड स्टार्स अमिताभ बच्चन को अपना रोल मौडल मानते हैं. यही वजह है कि सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को महानायक के खिताब से नवाजा जाता है और वह करोड़ों दिलों पर राज करते हैं.

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