डिंपल पाना है अब सिंपल

28 साल की ईशा अवस्थी देखने में बहुत अट्रैक्टिव है. उस की फीगर एकदम परफैक्ट है. लेकिन प्रोब्लम बस एक है. उस के फेस पर डिंपल नहीं है. बस एक यही कमी है जो उसे सताती है. जब भी वह दीपिका पादुकोण की कोई फोटो या रील देखती है तो उस की आंखें दीपिका के डिंपल पर आ कर रुक जाती हैं. इतना ही नहीं जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उस के पार्टनर आदित्य को डिंपल वाली लड़कियां अट्रैक्ट करती हैं तो वह कौस्मैटिक सर्जन डाक्टर नागेश्वरी के पास गालों पर डिंपल्स बनवाने पहुंच गई ताकि वह अपने पार्टनर को एक आकर्षक तोहफा दे सके. डाक्टर ने उस के गालों पर डिंपल्स बना दिए. असल में, डिंपल गाल के मांसल हिस्से में एक छोटा सा गड्ढा होता है, जो मामूली पेशी विकृति के कारण होता है. वैसे तो डिंपल्स ज्यादातर जींस पर डिपैंड करते हैं पर आजकल आधुनिक तकनीक के द्वारा इन्हें बनवाया भी जा रहा है.

मुंबई के बेथनी अस्पताल की डा. नागेश्वरी शर्मा कहती हैं, ‘‘यह एक पेशी की कमी है, जो सुंदरता को बढ़ाती है. इसीलिए पुरुषों से ज्यादा महिलाएं मेरे पास डिंपल्स बनवाने आती हैं. यह एक छोटा सा सर्जरी प्रोसैस है. इसे करवाने वाले गालों पर डिंपल्स की जगह या तो खुद बताते हैं या फिर मैं उन्हें खुद सजैस्ट कर देती हूं. ये ज्यादातर आंखों के कोनों से लाइन ड्रा कर मुंह के कोने से खींची जाने वाली लाइन के मिलने वाले बिंदु पर बनाए जाते हैं. ये 2 तरह के होते हैं – सर्कुलर और लंबे. पहले गालों पर मार्क लगाया जाता है फिर सर्जरी की जाती है.

कैसे होती है सर्जरी

जिस पौइंट पर डिंपल बनाना होता है उस पौइंट के बाहर से हाथ लगाना पड़ता है. इस सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले औजार को कोर बायोप्सी नीडल कहते हैं. इस औजार की हैल्प से मुंह के अंदर से 0.5 मिलीमीटर या 0.7 मिलीमीटर का कट लगा कर गोलाई या लंबाकार में मसल्स को ध्यान से निकालना पड़ता है.  फिर अंदर के दोनों भागों की स्किन को जोड़ कर गांठ बना कर मसल्स पर चिपका दिया जाता है. इस के बाद जब मसल्स हिलती हैं तो गालों पर डिंपल्स पड़ने लगते हैं.

एक तरफ डिंपल बनाने की पूरी प्रक्रिया में 20 से 30 मिनट का समय लगता है. इसे करने से पहले लोकल ऐनेस्थीसिया देना पड़ता है. इस सर्जरी के लिए नींद की दवा भी दी जाती है.

शुरू में डिंपल्स हर समय गालों पर दिखते हैं, लेकिन 3 हफ्तों के बाद जब घाव भर जाते हैं तब ये डिंपल हंसने पर ही पड़ते हैं. सर्जरी के बाद ऐंटीबायोटिक माउथवाश और पेनकिलर दी जाती है. पहले दिन बर्फ की सिंकाई करने की भी सलाह दी जाती है. बात करें अगर खर्चे की तो एक तरफ का डिंपल बनवाने का खर्चा 15 से 20 हजार रुपए तक आता है.

सुंदर दिखने की चाह

डा. नागेश्वरी कहती हैं, ‘‘18 साल से ज्यादा एज की कोई भी महिला या पुरुष इन्हें बनवा सकते हैं. लेकिन मैं उन्हीं के गालों पर डिंपल्स बनाती हूं, जो सुंदर दिखने की चाह रखते हैं. इन्हें बनवाने का किसी पर कोई दबाव तो नहीं है, मैं इस की पूरी जांच करती हूं. आप में कौन्फिडैंट होना बहुत जरूरी है.

सावधानियां

  •    सर्जरी करवाने वाला पर्सन अगर किसी तरह की मैडिसिन ले रहा है तो इस के बारे में डाक्टर को जरूर बताएं.
  •     सर्जरी से कम से कम 3 दिन पहले स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से बचना चाहिए.
  •    सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक नरम और लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी जाती है.

इस बात का ध्यान रखें कि सर्जरी हमेशा प्रशिक्षित और हाइजीन से युक्त कौस्मैटिक सर्जन से ही करवाएं ताकि बाद में किसी भी प्रकार के इन्फैक्शन का खतरा न हो. डिंपल सर्जरी करवाने के बाद आप और अधिक अट्रैक्टिव लगते हैं.

कार्निवोर डाइट के फायदे

आजकल मसल्स बनाने का शौक हर किसी को है इसलिए कार्निवोर डाइट का चलन बढ़ रहा है. चूंकि हाई प्रोटीन डाइट हैल्थ के लिए फायदेमंद मानी जाती है इसलिए लोग हाई प्रोटीन के लिए इन दिनों कार्निवोर डाइट फौलो कर रहे हैं ताकि शरीर में मसल्स को बिल्डअप करने में प्रोटीन अधिक सक्रिय भूमिका निभा पाएं. वजन कम करने और मसल्स बनाने में हाई प्रोटीन और लो कार्ब्स डाइट अहम भूमिका निभाती है.

कार्निवोर डाइट क्या होती है

कार्निवोर डाइट बेहद स्ट्रिक्ट और मुश्किल डाइट होती है जिसे स्ट्रिकली फौलो करना पड़ता है. जो लोग कीटो डाइट नहीं अपना पाते वे भी इस डाइट का चुनाव कर सकते हैं. इस डाइट में केवल ऐसे खाद्यपदार्थों को शामिल किया जाता है जो मांस से संबंधित होते हैं जैसे चिकन, मछली और अंडे. इस डाइट का वजन कम करने और औटोइम्यून स्थिति को सुधारने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह हाई प्रोटीन डाइट होने की वजह से मसल्स को तेजी से टोन करती है जिस से व्यक्ति स्लिम और फिट नजर आता है.

  •  कार्निवोर डाइट एक प्रकार की जीरो कार्ब्स डाइट है जिस में प्रोटीन और फैट शामिल किया जाता है.
  •  कार्निवोर डाइट पूरी तरह से मांसाहारी डाइट है. इस से कई हैल्थ प्रौब्लम्स से छुटकारा मिल जाता है.
  •  इस डाइट में लैक्टोज वाले डेयरी पदार्थों के सेवन को खत्म या सीमित करने की सलाह दी जाती है जैसेकि दूध और डेयरी उत्पादों में पाई जाने वाला शुगर इत्यादि.
  • इस डाइट में फल और सब्जियों का पूरी तरह से परहेज किया जाता है.
  • यह डाइट डायबिटिक लोगों की ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है क्योंकि हाई प्रोटीन दे कर शरीर को बारबार होने वाली क्रेविंग से बचाया जाता है

कार्निवोर डाइट में इन चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है जैसे सब्जियां, फल, सीड्स, नट्स, अनाज, पास्ता, अल्कोहल. इस डाइट में मुख्य रूप से मांस से संबंधित फूड आइटम्स को शामिल किया जा सकता है. अंडे, मांस, चिकन, बोन मैरो बोन मैरो सूप, घी, बटर, मछली, क्रेब, प्रान आदि.

कार्निवोर डाइट के फायदे

कार्निवोर डाइट वजन घटाने से ले कर टेस्टोस्टेरौन के हाई लैवल को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद हो सकती है. यह एक ऐंटीइनफ्लैमेटरी डाइट होती है जो ऐंग्जौइटी, चिंता, आर्थ्राइटिस, डायबिटीज और मोटापे से छुटकारा दिला सकती है.

कार्निवोर डाइट के नुकसान

  •  इस में फैट, कोलैस्ट्रौल और सोडियम की मात्रा उच्च होती है.
  • कुछ सूक्ष्म पोषक तत्त्वों और लाभकारी चीजों की कमी हो सकती है.
  • शरीर को सही मात्रा में फाइबर नहीं मिल पाता है.

वजन बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 10 उपाय

जिस तरह वजन का बढ़ना एक बीमारी है, उसी तरह से वजन का जरुरत से ज्यादा कम होना भी एक बीमारी ही है. अगर शरीर बहुत कमजोर और दुबला-पतला हो तो आपका हर कोई मजाक उड़ाता है और आप हर जगह हंसी का पात्र बनते हैं.

वजन की कमी को दूर करने के लिए आपको कुछ खास खाद्य पदार्थ को अपने रोज के भोजन में शामिल करना चाहिए. हम आपको बताएंगे कि किन चीजों को खाने से आप आसानी से अपने आपको चुस्त-दुरुस्त और हष्ट-पुष्ट बना सकते हैं.

1. आलू

आलू कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा और संपूर्ण स्रोत है, आलू खाने से मोटापा बढ़ता है. आपको आलू को उबालकर उसे दूध के साथ खाना चाहिए, इससे आपको जल्दी फायदा होगा.

2. अनार

अनार विटामिन का अच्छा स्रोत माना जाता है. बहुत से गुणों से भरपूर अनार आपके शरीर में खून को बढ़ाता है. कई स्वास्थ्य सलाहकर, अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से इसे एक महत्त्वपूर्ण फल मानते हैं. अनार का नियमित रूप से सेवन करने से रक्त संचार की गति भी बढ़ती है और आपका मोटापा बढ़ता है.

3. बादाम

रोज रात को बादाम की पांच से सात गिरी को पानी में भिगो कर रख दें और सुबह उनका छिलका उतारकर उन्हें पीसकर, उसमें लगभग 30 ग्राम मक्खन और मिश्री मिलाकर इस मिश्रण को डबल रोटी या सामान्य रोटी के साथ खाएं. वजन बढ़ाने के लिए आप इसे खाने के बाद फिर एक गिलास गर्म दूध भी पी सकते हैं. नियमत ऐसा करने से वजन बढ़ने के साथ-साथ आपकी स्मरण शक्ति भी तेज होती है.

4. दूध और रोटी

जो लोग मोटे नहीं है और अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं उन्हें रोजाना दूध के साथ रोटी खानी चाहिए.

5. घी

मोटापे के लिए घी बहुत ही फायदेमंद और आवश्यक है. वजन बढ़ाने और मोटे होने के लिए आपको गर्म रोटी और दाल में घी मिलाकर खाना चाहिए. इसके अलावा शक्कर में घी मिलाकर खाने से भी मोटापा बढ़ता है.

6. पनीर

पनीर खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ वाला प्रोटीन का भी एक अच्छा स्रोत है, इसलिए अगर आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो नियमित रूप से पनीर खाना शुरू कर दें.

7. छुहारा

पौष्टिक तत्वों से भरपूर छुहारा आपके शरीर में रक्त बनाता है और इसे बढ़ाने में भी मदद करता है. रोज रात सोने से पहले, एक ग्लास दूध में छुहारे को उबाल कर उसे पीने से चर्बी बढ़ती है और शरीर स्वस्थ्य दिखाई देता है.

8. दालें और सब्जियां

मोटे होने की इक्षा रखने वाले लोगों को छिलके वाली उड़द की दाल, अंकुरित दाले, काले चने, मूंगफली, मटर, गाजर का रस, आंवला आदि का अधिक सेवन करना चाहिए. ये सभी वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ हैं.

9. सोयाबिन

सोयाबिन कैलोरी, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन बी और आयरन से भरपूर होता है. सोयाबिन एक ऐसा पदार्थ है, जो मोटापा बढ़ाने और कम करने दोनों काम करती है.

10. केला

कैलोरीज, कार्बोहाइड्रेट्ज और पोटेशियम आदि उर्जा के स्रोत केले में भरपूर मात्रा में  होते हैं, अगर आप वाकई अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो रोजाना एक ग्लास गर्म दूध के साथ दो केले अवश्य खाएं.

इन 7 आदतों के कारण नही घटता आपका वजन, पढ़ें खबर

आपका वजन जल्दी बढ़ता है या आप दूसरों की तुलना में जल्दी वेट गेन नहीं करते, यह सब आपके मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करता है. अगर वॉक और एक्सरसाइज करने के वाबजूद आपका वजन कंट्रोल नहीं हो पा रहा है तो आपको जरूरत है अपनी इन आदतों पर ध्यान देने की…

1. आप पूरी नींद नहीं लेते हैं

पूरी नींद न लेना आपके फैट को बढ़ाता है. शरीर को पूरा आराम नहीं मिलने पर आपका मेटाबॉलिज्म धीमे काम करता है, जिससे आपकी भूख तो बढ़ती है, लेकिन आपका एनर्जी लेवल कम रहता है. यह स्थिति एक्सरसाइज का भी पूरा फायदा आपके शरीर को नहीं मिलने देती.

2. आदत मेहनत पर पानी फेर देती है

आप कितने भी घंटे जिम, एक्सरसाइज या योग करती हैं, अगर आपको हर घंटे या दो घंटे में कुछ मीठा खा लेने की आदत है तो यह आदत जिम में की गई आपकी मेहनत पर पानी फेर देती है.

3. पीना अच्छा है पर मीठा पीना नहीं

भले ही आप डाइट चार्ट फॉलो करती हैं लेकिन अगर आपकी ड्रिंकिंग हैबिट्स सही नहीं हैं तो डाइट फॉलो करना बेकार हो जाएगा. डिब्बा बंद जूस और एनर्जी ड्रिक्स में शुगर और कैलोरीज़ एड होती हैं. इसलिए ग्रीन-टी, नेचुरल फ्रूट जूस और नारियल पानी लेना सही रहता है.

4. बेहद कम खाना

आप डाइटिंग पर हैं, इसलिए खाने की बेहद कम मात्रा लेती हैं तो ये भी आपका फैट बढ़ा सकता है. ऐसा करने पर आप जो भी खाती हैं, उसे बॉडी फैट के तौर पर स्टोर कर लेती है. आपका एनर्जी लेवल डाउन हो जाता है और आप कमजोरी महसूस करते हैं.

5. बस सलाद खाना

यह एक बड़ी भूल है. लंच और डिनर में अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बंद कर दीजिए. क्योंकि शरीर को हेल्दी और फिट रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार चाहिए होता है. स्नैक्स से दूरी बनाना नहीं, बल्कि अपनी डाइट को बैलेंस बनाना जरूरी है.

6. एक-जैसी एक्सरसाइज

जल्द वजन घटाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी एक्सरसाइज में बदलाव करते रहें. एक जैसी एक्सरसाइज से आपकी बॉडी को इसकी आदत पड़ जाती है और इसका असर कम हो जाता है. इसलिए बदलाव जरूरी है.

7. बीमारियां या हॉर्मोनल दिक्कत

कई बार मेडिकल कंडीशन्स की वजह से भी वजन बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप डॉक्टर की गाइड लाइन में इसे घटाने का प्रयास करें. सबसे खास बात है कि बढ़े वजन को लेकर टेंशन न लें क्योंकि चिंता करना, आपका वजन और बढ़ा सकता है.

दबे पांव दस्तक देता है मोटापा

स्त्रियों में ओबेसिटी यानी मोटापा आज सब से बड़ी समस्याओं में से एक है, जिस से हर तीसरी महिला परेशान है. डब्ल्यूएचओ ने मोटापे को स्वास्थ्य के 10 प्रमुख जोखिमों में से एक बताया है. विश्व में 23 फीसदी से अधिक महिलाएं मोटापे की शिकार हैं. भारत तो ‘ग्लोबल ओबैसिटी इंडैक्स’ में तीसरे स्थान पर है.

महामारी का रूप ले चुका है मोटापा

देश में ओबैसिटी 21वीं सदी की मौन महामारी (साइलैंट एपिडेमिक) का रूप लेती जा रही है. भारत में मोटापे की समस्या आज चीन और अमेरिका के आंकड़ों को भी पार कर चुकी है.

मोटापे के मुख्य कारण

खानेपीने की गलत आदतें, ऐक्सरसाइज की कमी, नींद पूरी न होना और तनाव आदि मोटापे के मुख्य कारणों में शामिल हैं. कुछ महिलाओं में सिंड्रोमिक और वंशानुगत ओबैसिटी भी देखने को मिलती है.

मोटापे के दुष्प्रभाव

डायबिटीज, हाई ब्लजड प्रैशर, डिसलिपिडीमिया, औस्टियो आर्थ्राइटिस, पित्त की थैली में पथरी, श्वसन समस्याएं, प्रजनन संबंधी समस्याएं आदि मोटापे से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कई प्रकार के कैंसर (ब्रैस्ट, ओवरी, यूटरस, पैंक्रियाज) तथा किडनी से संबंधित रोगों की संभावना तक बढ़ जाती है. किशोरवय में अत्यधिक मोटापा अवसाद का कारण भी बन सकता है.

सामान्य लक्षण

छोटेछोटे काम करने में सांस फूलना तथा पसीना आना, शरीर के विभिन्न भागों में वसा या चरबी का जमना आदि. इस के अलावा कई बार मानसिक और मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी इत्यादि देखे जा सकते हैं.

मोटापे का निदान

  •  बीएमआई की गणना.
  •  कमर की परिधि को मापना.
  • लिपिड प्रोफाइल.
  • लिवर फंक्शन टैस्ट.
  • फास्टिंग ग्लूकोस.
  • थायराइड टैस्ट.

बचाव के 10 कारगर उपाय

  •  संतुलित आहार का सेवन करें.
  • कम वसा वाले खाद्यपदार्थों का उपयोग करें.
  • रोजाना सुबह जल्दी उठ कर सैर पर जाएं.
  • नियमित रूप से दिन में कम से कम 30 मिनट तक ऐरोबिक व्यायाम करें.
  • रात को सोने से 2 घंटे पहले ही डिनर ले लें.
  • जंक/फास्ट फूड का सेवन करने से बचें.
  • मैदा, चावल और चीनी का प्रयोग कम ही करें.
  • वसा के हार्ट फ्रैंडली स्रोतों जैसे जैतून, कैनोला औयल, अखरोट के तेल का इस्तेमाल करें. बिंज ईटिंग अर्थात् एकसाथ अत्यधिक खाना न खाएं, बल्कि थोड़ीथोड़ी देर में सुपाच्य एवं हलके भोजन करें.
  • न्यूनतम 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें. प्रैगनैंसी व प्रसव पश्चात भी कुछ महिलाओं को मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ता है. नवजात को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान के माध्यम से इस मुश्किल से छुटकारा पाया जा सकता है.

नवीनतम उपचार

अगर किसी महिला का वजन बहुत अधिक है तथा आहार में सुधार करने, नियमित व्यायाम एवं मोटापा कम करने वाली दवाओं के सेवन के बाद भी उस का वजन कम न हो तो वह डाक्टर से संपर्क कर वजन घटाने वाली शल्यक्रिया अर्थात बैरिएट्रिक सर्जरी का सहारा ले सकती है. यह पद्धति बहुत अधिक मोटे लोगों के लिए वरदान साबित होती है.

बांझपन के भावनात्‍मक और मनोवैज्ञानिक दबाव: इनके साथ तालमेल बैठाने और सपोर्ट के संसाधन

आज के समाज में बांझपन (इंफर्टिलिटी) तेजी से चिंता का विषय बनता जा रहा है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के एक आकलन के मुताबिक, भारत में बांझपन की समस्‍या 3.9% से 16.8% तक है. बांझपन (इंफर्टिलिटी) की बढ़ती वजह आज के दौर लोगों की दबाव से भरपूर जीवनशैली और स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक आदतों से दूर होने को माना जा रहा है. आधुनिक युग में पुरुषों और औरतों पर वर्क-लाइफ संतुलन बनाने का काफी दबाव है, उस पर अल्‍कोहल और कैफीन का अत्‍यधिक मात्रा में सेवन, तथा बढ़ता धूम्रपान भी इंफर्टिलिटी का कारण बन रहा है.

डॉ राम्या मिश्रा, वरिष्ठ सलाहकार- फर्टिलिटी और आईवीएफ, अपोलो फर्टिलिटी (लाजपत नगर) का कहना है

बेशक, बांझपन (इंफर्टिलिटी) कोई रोग नहीं है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इसकी वजह से प्रभावित व्‍यक्ति की भावनात्‍मक और मनोवैज्ञानिक सेहत पर असर पड़ता है. इसके कारण कई प्रकार के मनोवैज्ञानिक-भावनात्‍मक विकार या साइड इफेक्‍ट्स जैसे कि तनाव, अवसाद, नाउम्‍मीदी, अपरोधबोध, झुंझलाहट, चिंता और जीवन में किसी लायक न होने जैसा भाव पैदा होता है.

एनसीबीआई के मुताबिक, बांझपन (इंफर्टिलिटी) से जूझ रहे लोग कई बार दु:ख, अफसोस, अकेलेपन जैसी समस्‍याओं के अलावा मानसिक रूप से काफी परेशान भी महसूस करते हैं. इंफर्टिलिटी से गुज़र रहे व्‍यक्ति की सेहत इन तमाम कारणों से काफी प्रभावित हो सकती है, लेकिन इनसे निपटने और सांत्‍वना देने के लिए कई उपाय और सपोर्ट सिस्‍टम्‍स भी हैं, जो मददगार साबित हो सकते हैं.

  1. इंफर्टिलिटी का भावनात्‍मक तथा मनोवैज्ञानिक प्रभाव

हालांकि बांझपन (इंफर्टिलिटी) कोई जीवनघाती समस्‍या नहीं है, लेकिन इसे कपल्‍स के जीवन में तनावपूर्ण स्थिति के रूप में देखा जाता है। चूंकि हमारे समाज में, वैवाहिक जीवन में बच्‍चों का होना काफी महत्‍वपूर्ण घटना मानी जाती है, ऐसे में बांझपन के चलते तनाव की स्थिति काफी बढ़ सकती है. गर्भधारण नहीं कर पाने के चलते कपल्‍स अपरोध बोध, पश्‍चाताप, निराशा, दुख, चिंता और झुंझलाहट जैसी भावनाओं के ज्‍वार से जूझते हैं. उस पर उन्‍हें समाज के दबाव भी झेलने पड़ते हैं, जो उनकी पहले से तनाव की स्थिति को और बढ़ाता है तथा उनके आत्‍म-सम्‍मान की भावना भी घटाता है। इसका परिणाम यह होता है कि वे अपने खुद के महत्‍व को लेकर सवाल करने लगते हैं.

हालांकि बांझपन (इंफर्टिलिटी) की समस्‍या से पुरुष और महिलाएं दोनों ही जूझ सकते हैं, लेकिन अक्‍सर समाज में महिलाओं को ही इसके लिए जिम्‍मेदार ठहराया जाता है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है कि बांझपन झेल रहे कपल्‍स की जिंदगी पर समाज का नकारात्‍मक असर पड़ता है, खासतौर से महिलाओं को इसका दबाव ज्‍यादा सहना पड़ता है और वे कई बार हिंसा, तलाक, सामाजिक तौर पर बेइज्‍़ज़ती, भावनात्‍मक दबाव, निराशा, चिंता तथा आत्‍म-सम्‍मान में कमी जैसी समस्‍याओं को सहने को मजबूर होती हैं.

बांझपन (इंफर्टिलिटी) की वजह से पैदा होने वाला निराशा का भाव आपको अवसाद के गर्त में डुबो सकता है जहां से वापसी या आत्‍म-सम्‍मान वापस प्राप्‍त करना काफी चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है. लेकिन इससे निपटने के कई उपाय हैं और कई तरह के सपोर्ट भी उपलब्‍ध हैं जो कपल्‍स को बांझपन के दबावों से मुक्‍त रखने में मददगार साबित हो सकते हैं.

2. समस्‍या के साथ तालमेल बैठाने और सपोर्ट समाधान

1.सैल्‍फ-केयर

इसमें कोई शक नहीं कि खुद की देखभाल (सैल्‍फ केयर) सबसे बेहतरीन तरीका होता है अपना ख्‍याल रखने का. अपना मनपसंद मील बनाएं, सुकूनदायक संगीत को सुनें, सैर पर जाएं, रिलैक्सिंग स्‍नान करें और अच्‍छी नींद लें. अपने लिए कुछ समय निकालें और अपना ख्‍याल करें.

2. किसी नई हॉबी को अपनाएं

इंफर्टिलिटी से जूझते हुए बेशक, अपनी भावनाओं को समझना और संभावना काफी अहम् होता है, लेकिन लगातार उनके बारे में सोचते रहते से आप तनाव बढ़ाते हैं और एंग्‍ज़ाइटी भी लगातार बढ़ती रहती है. इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने लिए कुछ समय निकालें, अपनी मनपसंद हॉबी को समय दें. कुछ ऐसा करें जिससे आपको सहजता हो और आप खुद को रिलैक्‍स महसूस करें, जैसे कि कुकिंग क्‍लास, म्‍युज़‍िक लैसन या पेंटिंग क्‍लास आदि से जुड़ें.

3. एक्‍सपर्ट की सहायता लें

अगर आपको लगता है कि आपके हालात बेकाबू हो रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप किसी हैल्‍थ प्रोफेशनल की मदद लें जो आपको सही तरीके से अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में बता सकते हैं और आपको खुद को सकारात्‍मक बनाने की दिशा भी दिखा सकते हैं. सच तो यह है कि किसी फर्टिलिटी स्‍पेश्‍यलिस्‍ट से परामर्श लेना सही फैसला हो सकता है, जो आपको कुछ अन्‍य तरीकों से गर्भधारण के बारे में जानकारी दे सकते हैं.

4. क्‍या करें कि सब ठीक रहे

आज के समय में बांझपन (इंफर्टिलिटी) की समस्‍या काफी व्‍यापक हो चली है जिसका लोगों के भावनात्‍मक तथा मनोवैज्ञानिक स्‍वास्‍थ्‍य पर विपरीत असर पड़ता है. इसका नकारात्‍मक असर तनाव, स्‍वभाव में चिडचिड़ापन, नाउम्‍मीदी का भाव, अपरोधबोध, निराशा और एंग्‍जाइटी बढ़ाता है. जब आप खुद को व्‍यस्‍त रखने के लिए किसी नई हॉबी को अपनाते हैं, सैल्‍फ-केयर पर ध्‍यान देते हैं और अपने हालात से निपटने के लिए प्रोफेशनल मार्गदर्शन लेते हैं, तभी आपको इस पूरे हालात के बारे में सकारात्‍मक परिप्रेक्ष्‍य दिखायी देता है.

Monsoon special: फिट रहने के लिए 7 डाइट प्लान्स

हाल ही में महिलाओं की न्यूट्रिशन संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी के लिए हेलियोन (कंज्यूमर हैल्थ केयर ब्रैंड) ने कांतार (रिसर्च कंपनी) के साथ मिल कर ‘द सैंट्रम इंडिया वूमंस हैल्थ सर्वे’ किया. यह सर्वे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में 1200 से ज्यादा 2 से 65 साल की महिलाओं के बीच किया गया.

इस सर्वे के अनुसार कमजोर हड्डी (वीक बोन हैल्थ), अपर्याप्त रोगप्रतिरोधक क्षमता (लो इम्यूनिटी) और लो ऐनर्जी भारतीय महिलाओं की 3 मुख्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं. इस की वजह उन की डाइट में प्रौपर न्यूट्रिशन की कमी है. वे अपनी सेहत का खयाल नहीं रखतीं.

अब समय आ गया है कि महिलाएं भी अपनी डाइट का पूरा खयाल रखें और उन के शरीर को जिस तरह की डाइट की जरूरत है वैसी ही डाइट लें.

आप ऐक्सपर्ट्स से बात कर या किताबों में पढ़ कर अपने लिए सही डाइट का विकल्प चुन सकती हैं. कोई भी नई डाइट चुनने से पहले खुद से कुछ सवाल पूछिए जैसे:

आप की रिक्वायरमैंट क्या है? आप अपने लिए जो डाइट प्लान बनाने वाली हैं वह किस मकसद से बना रही हैं? क्या आप को हैल्थ इशूज हैं? क्या आप मोटापे से ग्रस्त हैं या आप को अपनी ओवरऔल हैल्थ सही नहीं लगती या फिर आप एक नए आकर्षक अवतार में दिखना चाहती हैं? जो भी समस्या या जरूरत है उस के अनुरूप अपने डाइट प्लान को तैयार करें और उस पर पूरे भरोसे के साथ आगे बढ़ें. ऐसा न हो कि 2-4 दिन बाद ही आप का मन डगमगाने लगे और डाइट फौलो करना छोड़ दें.

क्या यह आहार बहुत रैस्ट्रिक्ट्रिव है और आप इस की वजह से अपनी जिंदगी और अपने भोजन में अधूरापन महसूस कर रही हैं? क्या आप इस डाइट को लेते हुए खुश और संतुष्ट रह कर अपना जीवन जी पाएंगी या फिर रोज यह सोचेंगी कि काश मुझे कुछ अच्छा खाने को मिल जाता?

क्या आप को अपनी इस डाइट से पर्याप्त पोषण मिल रहा है या आप कमजोरी महसूस कर रही हैं? डाइट वही लें जिस से आप अच्छी ऐनर्जी महसूस करें.

इस संदर्भ में डाइटीशियन शमन मित्तल ने फिट रहने के लिए 7 तरह के डाइट प्लान्स डिस्कस किए जिन्हें फौलो कर आप स्वस्थ रह सकती हैं या जो भी शारीरिक परेशानियां हैं उन पर काबू पा सकती हैं. ये डाइट प्लान्स निम्न हैं:

  1. हाई फाइबर लो कोलैस्ट्रौल डाइट चार्ट

जिन को गाल ब्लैडर का औपरेशन हुआ है, कौंस्टिपेशन की ज्यादा समस्या रहती है या पेट की दूसरी समस्याएं रहती हैं वे इस डाइट को फौलो कर सकती हैं. इस डाइट में आसानी से पचने वाली चीजें और फाइबर ज्यादा दिया जाता है ताकि बौडी के टौक्सिन निकल जाएं. इस डाइट से इंसान के शरीर को 55 से 60 ग्राम प्रोटीन और दिन में करीब 700 से 800 मिलीग्राम कैल्सियम मिल जाता है.

डाइट चार्ट: अर्ली मौर्निंग (6:00 एएम)- रात को 1 चम्मच मेथीदाना 1 गिलास पानी में भिगो कर रखें और उसे सुबह खाली पेट पी लें.

नाश्ता (9:00 एएम)- मलाई उतरा हुआ दूध (1 कप), सूजी का उपमा/पोहा/दलिया/ मल्टीग्रेन रोटी, मिड मौर्निंग(12 पीएम)- फल/सब्जी का जूस, लंच (2 पीएम)- सलाद, दाल या पनीर के साथ 2 रोटी/लिन चिकन या फिश के साथ, 2 रोटी या 1 रोटी और आधी प्लेट चावल, दही 1 कटोरी, ईवनिंग (4 पीएम)- सोया मिल्क/स्प्राउट्स/दाल चाट, डिनर (8 पीएम)- हरी सब्जी के साथ

2 रोटी/हलकी दाल के साथ 2 रोटी, बैड टाइम

(10 पीएम)-दालचीनी का पानी.

2. हाई प्रोटीन लो कैलोरी डाइट चार्ट

इस तरह की डाइट जिस में डायबिटीज या ओबैसिटी के पेशैंट को दी दी जाती है. इस डाइट में व्यक्ति को करीब 550 से 670 मिलीग्राम कैल्सियम मिलता है. प्रोटीन भी अच्छे अनुपात में होता है.

डाइट चार्ट: अर्ली मौर्निंग (6 एएम)- खाली पेट 1 गिलास गरम पानी में नीबू निचोड़ कर पीएं, नाश्ता (9 एएम)- वैजिटेबल ओट्स /दलिया /वैजिटेबल पोहा/सूजी का उपमा, मिड मौर्निंग (12 पीएम)- फल या नमकीन छाछ, लंच (2 पीएम)- सलाद आधी प्लेट, टोफू या पनीर के साथ 2 मल्टीग्रेन रोटी/काले चने के साथ 2 मल्टीग्रेन रोटी, वैजिटेबल रायता, ईवनिंग (4 पीएम)- ग्रीन टी 1 या 2 उबले अंडों का सफेद हिस्सा या कोई भी रोस्टेड नमकीन 2 चम्मच, डिनर -(9 पीएम) सब्जी वाली खिचड़ी या टोफू का सलाद या हरी सब्जी के साथ 1 रोटी, सोते समय (10 पीएम)- दालचीनी का पानी.

3. डिटौक्स डाइट प्लान

यह डाइट उन के लिए है जो अपनी बौडी या जो अपने लिवर को डिटौक्स करना या वेट कम करनी चाहती हैं. यह लो कार्ब, लो साल्ट रहता है और नैचुरली बौडी को डिटौक्स करती है. फ्रूट्स वगैरह ज्यादा खाने होते हैं.

डाइट चार्ट: अर्ली मौर्निंग (6 एम)- अजवाइन वाली ग्रीन टी, नाश्ता (9 एएम)- फ्रूट सलाद के साथ 5 बादाम और 2 अखरोट, मिड मौर्निंग (12 पीएम) नारियल का पानी या छाछ, लंच (2 पीएम)- सलाद, दही के साथ स्प्राउट्स की 1 कटोरी/उबले हुए 3 अंडे, ईवनिंग (4 पीएम)- चाय के साथ भुने हुए मखाने या भुने चने, डिनर (9 पीएम)- सूप के साथ 2 उबले अंडे या सूप के साथ पनीर का सलाद, बैड टाइम (10 पीएम)- हलदी और अजवाइन का पानी.

4. हाई प्रोटीन डाइट चार्ट

इस तरह की डाइट उन के लिए है जो प्रैगनैंसी या किसी इलनैस से रिकवर कर रही हैं जैसे टीबी. यह हाई प्रोटीन डाइट है जिस में पूरे दिन में 70 से 80 ग्राम प्रोटीन खाना होता है. इस से करीब 1800 कैलोरी मिलती है.

डाइट चार्ट: अर्ली मौर्निंग- (6 एएम)- ग्रीन टी के साथ 6 बादाम, नाश्ता (9 एएम)- सोया मिल्क, बेसन का चीला/मूंग दाल का चीला/पनीर की भुरजी के साथ 1 रोटी, मिड मौर्निंग (12 पीएम)- सूप या लस्सी अथवा फल, लंच (2 पीएम)- मल्टीग्रेन रोटी या चावल के साथ दाल या पनीर की सब्जी, वैजिटेबल रायता, सलाद, ईवनिंग (4 पीएम)- सोया मिल्क के साथ पनीर का सैंडविच या पनीर के कटलेट, डिनर (9 पीएम)- सलाद, टोफू की सब्जी के साथ 2 रोटी या सोयाबीन की बडि़यों की सब्जी के साथ 2 रोटी या चिकन और फिश के साथ 2 रोटी, बैड टाइम (10 पीएम)- हलदी वाले दूध के साथ 5 बादाम.

5.वेगन डाइट प्लान

यह केवल प्लांट बेस्ड खाना है ताकि ऐनिमल को हार्म नहीं पहुंचाया जाए. आप इस में सोयाबीन मिल्क कोकोनट या आमंड मिल्क लेती हो. यह एक तरह से स्टेटस सिंबल है. इस में 1300-1400 कैलोरीज मिलती है. प्रोटीन ज्यादा नहीं लिया जाता.

डाइट चार्ट: अली मौर्निंग (6 एएम)- सोयाबीन के दूध की चाय के साथ 5 बादाम, नाश्ता (9 एएम)- वैजिटेबल पैनकेक के साथ 1 गिलास सोयाबीन मिल्क, मिड मौर्निंग (12 पीएम)- फल या फ्रूट्स स्मूदी या नारियल पानी, लंच (2 पीएम)- सलाद, क्विनो पुलाव, ईवनिंग (4 पीएम)- बादाम के दूध की चाय के साथ ऐवोकाडो टोस्ट या स्प्राउट्स, डिनर (8 पीएम)-  वैजिटेबल टोफू के साथ चावल या रोटी या किसी भी दाल या सब्जी के साथ रोटी या चावल, बैड टाइम (10 पीएम)- बादाम का दूध 1 गिलास.

6. लो कार्बोहाइड्रेट लो फैट डाइट चार्ट

ऐसी डाइट ओबैसिटी और कोलैस्ट्रौल के पेशैंट के लिए परफैक्ट है. यह काफी लो इन कोलैस्ट्रौल, लो इन फैट और लो इन कैलोरीज डाइट है और इस से बहुत जल्दी वेट कम हो जाता है. इसे मैंटेन रखा जाए तो परमानैंट वेट काबू में रहता है. इस डाइट में प्रोटीन 70 से 80 ग्राम तक लेना होता है.

डाइट चार्ट: अर्ली मौर्निंग (6 एएम)- रात को भिगो कर मेथीदाने के पानी का सुबह सेवन करें. ब्रेकफास्ट (9 एएम)- मलाई उतरा हुआ दूध (1 गिलास), वैजिटेबल दलिया/वैजिटेबल ओट्स या सूजी का उपमा, मिड मौर्निंग (12 पीएम)- नारियल पानी या छाछ, लंच (2 पीएम)- सलाद, वैजिटेबल पुलाव के साथ दही या दाल के साथ 2 रोटी, ईवनिंग (6 पीएम)- 1 कप चाय के साथ स्प्राउट्स/दाल/चाट या पनीर का टोस्ट, डिनर (9 पीएम)- सलाद, सब्जी के साथ रोटी या सब्जी वाली खिचड़ी अथवा वैजिटेबल ओट्स, बैड टाइम (10 पीएम)- हलदी वाला मलाई उतरा हुआ दूध.

7. इंटरमिटैंट फास्ट डाइट चार्ट

यह डाइट उन के लिए है जिन्हें पीसीओडी या सीवियर ओबैसिटी (ग्रेड 2) है. यह लो कैलोरी और हाई प्रोटीन डाइट है. इस में 60 से 70 ग्राम प्रोटीन मिलता है. वैजीटेरियन हैं तो टोफू और सोयाबीन ज्यादा लेना होगा और नौनवैज चिकन वगैरह ज्यादा यूज करें.

फास्ट ऐंड विंडोज (8 एएम, 12 पीएम), ब्रेकफास्ट (12 पीएम)- ओट्स का चीला या मूंग दाल का चीला या 2 प्लेन अंडों के साथ 2 ब्रैडस्लाइस, (2 पीएम)- फ्रूट सलाद, (4 पीएम) ग्रीन टी/छाछ या नारियल पानी, (6 पीएम)- सूप या रोस्टेड पनीर, डिनर (9 पीएम)- सलाद, दाल या सब्जी के साथ 2 रोटी या रोस्टेड चिकन, बैड टाइम- जीरे का पानी.

5 Fitness tips: फिट रहना हर मौसम में जरुरी

फिटनेस पर ध्यान देना हमेशा जरुरी है और ये हर उम्र के व्यक्ति में होने की जरुरत है, कोविड के बाद से लोगों में फिटनेस को लेकर काफी जागरुकता बढ़ी है. फिटनेस ट्रेनर ‘महेश म्हात्रे’ कहते है कि अभी जिम में जाना लोग अधिक पसंद करते है, कोविड की लॉकडाउन वजह से पर्सनल ट्रेनर को हायर करना लोगों ने बंद कर दिया है. अब वे बड़े-बड़े जिम, लोकल जिम या फिटनेस क्लब में जाते है.

सप्लीमेंट लेना भी लोगों ने कम किया है, इसकी वजह आजकल अधिकतर लोगों में कार्डिएक अरेस्ट का खबरों में आना है. असल में लॉकडाउन से लोगों की एक्टिविटी में कमी आई है, डाइट सही नहीं है, क्योंकि घर पर रहकर लोगों ने  खाया अधिक और फिजिकल एक्टिविटीज कम किया.

इसके आगे ट्रेनर ‘महेश म्हात्रे’ कहते है कि जिम जाना अच्छी बात है, लेकिन वहां पर रखे वजन को कितना पकड़ना है, कैसे पकड़ना है, आदि की जानकारी होना जरुरत है. डम्बल को कैसे और किस एंगल में पकड़ना है, साँस कैसे लेनी या कैसे छोडनी है आदि की जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि व्यायाम से शरीर में पम्पिंग होती है, इससे मसल्स बनते है. इसके अलावा सही समय में पानी पीना, रेस्ट करना आदि सब देखना पड़ता है. कुछ लोग किसी का सुनकर जिम चले जाते है और अपनी पैक बनाने की कोशिश करते है, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण, सही डाइट और एक्सरसाइज होता है, इससे ही मसल्स बनते है.

इसके अलावा व्यक्ति की लाइफस्टाइल भी बहुत महत्वपूर्ण होती है, एक व्यक्ति एसी में बैठकर काम करता है और व्यायाम करता है. जबकि दूसरा दिनभर मेहनत से काम करने के बाद एक्सरसाइज करता है. जिम जाने के बाद वेट उठाना भी जरुरी होता है. मैंने इन सब चीजों की कोर्स और ट्रेनिंग ली है. मेरे पास कुछ क्लाइंट है, जिनका मैं पर्सनल ट्रेनर हूँ. इसमें अधिकतर महिलाएं है, इसके अलावा मैंने कई मराठी इंडस्ट्री के सेलेब्रिटी का भी फिटनेस ट्रेनर रह चुका हूँ. परुलेकर्स और बोवलेकर  दो जिम में मैं काम करता हूँ. नियमित फिटनेस के लिए जिम सही है, लेकिन बॉडी बिल्डिंग स्पोर्ट्स के लिए या मसल्स पाने के लिए लोकल जिम सबसे सही होता है. वहां पर वेट अलग होता है. नामचीन जिम में बॉडी बिल्डर तैयार नहीं हो पाता, वहां पर फिटनेस और सीधी-साधी बॉडी मिल सकती है, थोड़े हाई-फाई फील होता है, क्योंकि अधिक उपकरण , एसी और लाइट बहुत होता है.

1.हो जाती है हाथापाई

अभिनेता अक्षय कुमार जैसी फिट बॉडी जिसमे ड्रेस फिट बैठे, पेट पर थोड़ी एब्स दिखे और व्यक्ति स्मार्ट दिखे आदि के लिए एक इंस्ट्रक्टर की आवश्यकता होती है. इंस्ट्रक्टर की फीस लगभग 10 से 15 हज़ार तक होती है. सप्लीमेंट से केवल व्यक्ति को थोडा पुश मिलता है. असल में फिटनेस पूरी तरह से ‘माइंड गेम’ है. इसमें सप्लीमेंट से अधिक, साथ में डाइट होता है और  उसका रिजल्ट भी देखने को मिलता है. जो नैचुरल डाइट व्यक्ति लेता है, वही उसके फिटनेस को बनाए रखता है. कई बार सप्लीमेंट के साइड इफ़ेक्ट भी होते है मसलन सप्लीमेंट से किसी-किसी में सिरदर्द या चिडचिडापन की शिकायत हो सकती है, जिससे जिम में मारपीट तक हो जाया करती है. इसलिए जितना संभव हो नैचुरल डाइट पर ही व्यक्ति को निर्भर होना सही होता है.

2.अलग-अलग शरीर की अलग जरूरतें  

महेश कहते है कि एक साधारण व्यक्ति की कैलरी की नाप उसकी वेट और एज के हिसाब से निर्भर करता है. 30 से 40 तक के उम्र के व्यक्ति का 60 किलोग्राम से अधिक वजन होना ठीक नहीं, लेकिन इसमें उसकी हाइट भी देखना जरुरी होता है.

3.काम के हिसाब से चुने इंस्ट्रक्टर

पिछले दिनों कई सेलेब्स जिम करते वक़्त कार्डिएक अरेस्ट में मारे गए, इसकी वजह के बारें में पूछने पर महेश कहते है कि हमेशा सही बॉडी के लिए एक इंस्ट्रक्टर का होना आवशयक है, जिसे गुरु कहा जा सकता है. खासकर अगर व्यक्ति का काम काफी स्ट्रेस और मेहनत वाला है, तो इंस्ट्रक्टर उसे सही मात्रा में व्यायाम करने के तरीके बता सकता है.

4.सही डाइट सही व्यायाम

डाइट एक्सरसाइज का सबसे बड़ा पार्ट होता है. किसी भी व्यक्ति को मौसम के हिसाब से पाए जाने वाले फल और सब्जियां खाने की जरुरत होती है, अभी गर्मी में रस वाले फल जैसे संतरा, तरबूज, खरबूजा, मोसंबी, नारियल पानी, नीबू पानी आदि अपने बजट के हिसाब से ले सकते है, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. इसके अलावा सुबह में ब्रेकफास्ट अच्छा और हैवी लेना चाहिए, क्योंकि व्यक्ति पूरे दिन एक्टिव रहता है, दोपहर को थोडा कम बाजरी, नाचनी, आदि की दो रोटी, सब्जी, अंडा या केला आदि काफी होते है. 2 घंटे बाद थोड़ी ड्राईफ्रूट्स लिया जा सकता है. ड्राई फ्रूट्स दिन में 3 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें. सुबह 10 बजे, दोपहर 2 बजे और शाम को 6 बजे तक. 6 से 6.30 के बीच रात का भोजन ले लेना चाहिये. शाम के बाद बॉडी की एक्टिविटी कम हो जाती है. इसलिए भोजन भी उसी हिसाब से लें.

कभी भी वजन को जल्दी घटाने की कोशिश न करें, इसका प्रभाव डायरेक्टली और इनडायरेक्टली शरीर पर पड़ता है. दो से 3 किलोग्राम तक का वजन महीने में कम करना सही होता है. इसके अलावा चलना, तैरना, साइकलिंग करना आदि से भी शरीर फिट रहता है, आधे घंटे से 45 मिनट तक चलना हमेशा अच्छा होता है, सिंपल वाक सबके लिए सही होता है.

5.कुछ सावधानियां

महेश कहते है कि सही तरह से व्यायाम न करने पर शरीर में दर्द होता है, जिससे कई लोग डर कर जिम छोड़ देते है. व्यायाम से पहले स्ट्रेचिंग करना बहुत जरुरी होता है. इसके अलावा 16 साल की उम्र में वजन कभी न उठाये, पहले मसल्स को ओपन करने के बाद ही वजन, इंस्ट्रक्टर के अनुसार उठाएं. नहीं तो मसल्स में चोट लगने के अलावा हाइट में कमी आती है. वैसे तो हर मौसम में फिट रहना जरुरी है, लेकिन गर्मी का महिना अधिक गर्म होने से हर व्यक्ति को अधिक असहजता होती है, इसलिए इस मौसम में सेहत को फिट रखने के कुछ टिप्स इस प्रकार है,

  • गर्मी के मौसम में नींबू पानी, नारियल पानी, दही और छाछ का सेवन अच्छी मात्रा में करें,
  • बहुत ज्यादा ठंडे पेय पदार्थ पीने से बचें,
  • चाट-पकौड़ी या अन्य तेल व मसालेदार खाद्य पदार्थ खाने से बचें,
  • कैफीन युक्त चीजें और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम-से-कम करें,
  • घर में हर समय ग्लूकोज, इलेक्ट्रॉल के अलावा पुदीना, आम पना अवश्य रखें,
  • मीठा खाने कीइच्छा हो, तो बाजार की मिठाइयों के बजाय सेब, आंवले या बेल का मुरब्बा, गुलकंद या पेठा खाएं.

मौनसून का मिलेट्स से क्या है रिश्ता

आजकल स्वास्थ्य को ले कर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. नियमित वर्कआउट करना उन की दिनचर्या में शामिल हो चुका है, लेकिन उन की डाइट में जागरूकता की बहुत कमी है क्योंकि आज के युवा जंक फूड पर अधिक रहने लगे हैं. उन्हें घर का बना खाना पसंद नहीं. ऐसे में बहुत कम उम्र में उन्हें मोटापा, कोलैस्ट्रौल, ब्लडप्रैशर आदि कई बीमारियां घेर लेती हैं, जिन से निकल पाना उन के लिए मुश्किल होता है.

ऐसे में आज डाइटीशियन हर व्यक्ति को मिलेट्स को दैनिक जीवन में शामिल करने की सलाह बारबार दे रहे हैं. मिलेट्स यानी मोटा अनाज. यह 2 तरह का होता है- मोटा दाना और छोटा दाना. मिलेट्स की कैटेगरी में बाजरा, रागी, बैरी, झंझगोरा, कुटकी, चना और जौ आदि आते हैं.

जागरूकता है जरूरी

इस बारे में क्लीनिकल डाइटीशियन हेतल व्यास कहती है कि मिलेट्स इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है. 2023 को सरकार ने ‘मिलेट्स ईयर’ घोषित किया है ताकि लोगों में मिलेट्स के प्रति जागरूकता बढे़. मिलेट्स में कैल्सियम, आयरन, जिंक, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फाइबर, विटामिन बी-6 मौजूद होते हैं.

ऐसिडिटी की समस्या में मिलेट्स फायदेमंद साबित हो सकता है. इस में विटामिन बी-3 होता है, जो शरीर के मैटाबोलिज्म को बैलेंस रखता है. मिलेट्स में कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट रहता है, इसलिए फाइबर की मात्रा अधिक होती है. यह ग्लूटेन फ्री होता है. इस से वजन कम होता है. कुछ लोग ग्लूटेन सैंसिटिव होते हैं. इस से उन का वजन बढ़ जाता है. मिलेट्स में इन सब की मात्रा न होने की वजह से डाइजेशन शक्ति बढ़ती है.

मौनसून में अधिक उपयोगी

मौनसून में पूरा मौसम बदल जाता है. बच्चों से ले कर वयस्कों सभी को कोल्ड, कफ, डायरिया आदि हो जाता है. इस मौसम ने रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है, साथ ही पीने का पानी बदल जाता है. बारिश की वजह से उस समय लोगों की चटपटा खाने की इच्छा होती है. इस से पेट खराब हो जाता है. इस मौसम में मिलेट्स से बना भोजन अधिक लेना चाहिए क्योंकि यह हलका होने के साथसाथ पच भी जल्दी जाता है.

नाचनी की रोटी, पोरिज, ड्राईफू्रट के साथ उस के लड्डू आदि सभी चीजें इस मौसम में खाई जा सकती हैं. अगर मौनसून में बाहर का खाना खाते हैं तो कब्ज की शिकायत हो जाती है और पेट फूल जाता है. ऐसे में नाचनी, ज्वार, बाजरा आदि से बना भोजन अच्छा होता है. नाचनी को रेनी सीजन का बैस्ट भोजन माना जाता है.

वेट लौस का है मंत्र

हेतल कहती है कि वेट लौस का भी यही मंत्र है, अगर कोई व्यक्ति गेहूं की 4 रोटियां खाता है, तो वह ज्वार या बाजरा की 2 रोटी ही खा सकेगा. इस के अलावा रागी में कैल्सियम होता है. इस से ऐसिडिटी नहीं होती. हजम करना भी आसान होता है. डाइजेशन सिस्टम पर किसी प्रकार का प्रैशर नहीं होता. छोटे मिलेट्स जैसे कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी आते हैं. ये छोटे अवश्य हैं, लेकिन इन के फाइबर कंटैंट बहुत अधिक हैं. कुछ

फायदे मिलेट्स के निम्न हैं:

  •  मिलेट्स ब्लड सिर्कुलेशन को बढ़ाता है. इसे नियमित भोजन में शामिल करना अच्छा होता है, जिस से इम्यूनिटी बढ़ती है.
  • वजन कम करने में सहायक होता है क्योंकि मिलेट्स के सेवन से पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिस से भूख कम लगती है.
  • मिलेट्स में ऐंटीऐजिंग के गुण होने की वजह से त्वचा पर काले धब्बे, डलनैस, पिंपल्स और ?ार्रियों में कमी आती है.
  • पाचनशक्ति को बढ़ाने में सहायक होने की वजह अधिक फाइबर का होना.
  • डायबिटीज को कम करने में सहायक होने की वजह ग्लूटेन फ्री होना.
  • कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मिलेट्स में मौजूद मैग्नीशियम पीरियड्स क्रैंप्स से राहत देता है.
  • कैल्सियम अधिक होने की वजह से हड्डियां मजबूत होती हैं.
  • मिलेट्स में मैग्नीशियम बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो हार्ट अटैक से शरीर का बचाव करने में सहायक होता है क्योंकि यह मांसपेशियों को आराम दे कर ब्लड को निरंतर चलने में सहायता करता है.
  • मिलेट्स में ऐंटीऔक्सीडैंट्स शरीर में मौजूद सभी कैंसर कोशिकाओं पर नजर रखते हैं. इस से कैंसर का खतरा कम होता है.
  • बौडी डिटौक्स करने में सहायक होता है.

कैसे करें सेवन

हेतल कहती है कि दूध में नाचनी या ज्वार के आटे को डाल कर सुबह का नाश्ता यानी पोरिज बना सकते हैं. इस के लिए नाचनी के आटे को धीमी आंच पर थोड़ा घी डाल कर सेंक लें. उस में दूध या छाछ मिला कर ठंडा या गरम पोरिज ले सकते हैं. उस के ऊपर थोड़ा ड्राईफ्रूट डाल देने से वह और अधिक स्वादिष्ठ बन जाता है. दिन में 2 बार नाचनी, ज्वार, बाजरा की रोटी खाई जा सकती है.

मधुमेह के रोगी सांवा की रोटी चावल के स्थान पर खाते हैं. नाचनी के डोसे और इडली भी बनाई जा सकती है. खाने में हमेशा उस की मात्रा पर अधिक ध्यान देना पड़ता है. फाइबर अधिक होने से कम मात्रा में खाने से ही पेट भरा हुआ लगता है.

आज के यूथ को जंक फूड के अलावा कुछ और खिलाना मुश्किल होता है. ऐसे में नाचनी, ज्वार, बाजरा को गेहूं में मिला कर आटा बनाया जा सकता है. इस से बनी रोटी फायदेमंद होती है. इस के अलावा मखना, राजगिरा के मीठे लड्डू आदि सभी बच्चे आसानी से खा लेते हैं.

फिट रहने के लिए क्या मंत्र है एक्ट्रेस सुस्मिता मुखर्जी का, जानिए यहां

छोटे-बड़े पर्दे पर पिछले 40 सालों से अभिनय करने वाली अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी से कोई अपरिचित नहीं. सुष्मिता ना सिर्फ एक अभिनेत्री है, बल्कि डायरेक्टर और लेखक भी हैं.उन्होंने हर तरह की भूमिका की है, फिर चाहे वह निगेटिव हो या पोजिटिव, हर भूमिका को जीवंत किया है. उनको छोटे परदे पर प्रसिद्धि क्राइम शो करमचंद से मिली, जिसमे उन्होंने किट्टी की भूमिका निभाई थी. काम के दौरान उन्होंने पहले निर्देशक सुधीर मिश्रासे शादी की, लेकिन वह टिक नहीं पाई, डिवोर्स लेने के बाद उन्होंने एक्टर, प्रोडूसर, एक्टिविस्ट राजा बुंदेला से शादी की और दो बेटों की माँ बनी.

भाषा को लेकर लिए संघर्ष

कैरियर के दौरानसुस्मिता नेबहुत संघर्ष किये है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि उनके शुरुआत दिन काफी संघर्षपूर्ण थे, क्योंकि जब वह नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से आई थी,तब उन्हें हिंदी नहीं आती थी.रत्ना पाठक शाह, दीपा शाही आदि ने उनकी खराब हिंदी का बहुत मजाक उड़ाया था, उसके बाद उन्होंने एक मास्टर से अच्छी हिंदी और उर्दू सीखी. दरअसल उन्हें हिंदी इसलिए भी नहीं आती थी, क्योंकि उनके घर पर  बंगला बोली जाती थी और बाहर वह अंग्रेजी बोलती थी.तब उन्हें हिंदी समझ में ही नहीं आती थी, लेकिन एनएसडी में आ कर हिंदी सीखी और अब वह बहुत ही अच्छे से हिंदी बोल लेती है.

सुस्मिता मुखर्जी ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय की शिक्षा ली है. स्टार भारत पर उनकी शो ‘मेरी सास भूत है’ में उन्होंने एक अलग और मजेदार भूमिका निभाई है, जिसे सभी पसंद कर रहे है. उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात कीऔर गृहशोभा मैगज़ीन को डिजिटल वर्ल्ड में भी अपनी छवि बनाये रखने के लिए पूरी टीम को बधाई दी. आइये जानें उनकी कहानी उनकी जुबानी.

किये सास की भूमिका

शो के बारे में बात करते हुऐ सुष्मिता कहती हैं कि मैंने हर तरह के सास की भूमिका निभाई है, ये उन सबसे अलग है. ये एक मजेदार शो है. इस शो का बेस अपर्णा सेन की मशहूर बांग्ला फिल्म ‘गोयनार बाक्शो’ से प्रेरित है. फिल्म गोयनार बक्शो में मौसमी चटर्जी का जो किरदार है उसी का बेस बना कर मैंने इस शो में भूमिका की है. शो बड़ा इंटरेस्टिंग है, क्योंकि इसमें सास भूत बन जाती है, तो उसके जो रिश्ते होते हैं,जो उनके जिन्दा रहते ठीक नहीं थे, अब उनको ठीक करती है और परिवार में वर्चस्व की लड़ाई को दिखाया गया है. ये ड्रामा और कॉमेडी वाली शो है, जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे है.

कितने तरीके की सास की भूमिका आप कर चुकी है? पूछने पर वह कहती है कि मैंने 40 साल इंडस्ट्री में काम किया है, इसमें देश, समाज, जिंदगी बदली है और सास भी बदल चुकी है. सास की भूमिका कोई भी हो ये एक परफोर्मेंस है, जिसमे स्क्रिप्ट और संवाद लिखे जाते है, फिर जाकर अभिनय किया जाता है. बहुत मुश्किल नहीं होता है. इस शो में कहानी बनारस की है, जबकि मैं बंगाल की अंग्रेजी माध्यम में पढ़ी-लिखी महिला हूँ, इसलिए बातचीत के टच को थोडा बदला गया है. इसमें सास की सास ने उनके साथ बदसलूकी की है, इसलिए वह भी अपनी बहू के साथ ऐसा करती है, पर धीरे-धीरे वह बदल कर अच्छी सास भी बन जाती है.

बदले खुद को

इसके आगे सुस्मिता कहती है कि असल जिंदगी में बड़े शहरों मेंसास की भूमिका पहले से बहुत बदल चुकी है. लोग आज सास और बहूँ में अंतर नहीं कर पाते, क्योंकि आज की सास बहु को अपना बेटी मानती है, लेकिन कुछ छोटे शहरों के पारंपरिक परिवारों में अभी भी बाउंड्री है, सबके सामने बहु को घूँघट डालना या साड़ी पहनना पड़ता है. ये सब कुछ खास परिवारों में अभी भी है. वे पुराने ट्रेडिशन को जबरदस्ती पकडे रहते है. धीरे-धीरे इसमें बदलाव आ रहा है. आज मेरी मेड की लड़की ब्यूटिशियन है, उसके पहनावे और मेकअप को देखकर कोई ये कह नहीं सकता कि उसकी माँ मेड है. आज ऑनलाइन सब सामान सस्ते मिलते है, कोई भी खरीद सकता है, हर कोई आगे बढ़ना चाहता है, ऐसे में समाज और परिवार में बदलाव अवश्य होगा.

ख़ुशी से निभाएं रिश्ते

आज की अधिकतर लड़कियां शादी नहीं करना चाहती और करती भी है तो ससुराल पक्ष के साथ रहना नहीं चाहती, इस बारें में सुस्मिता की सोच है कि आज संयुक्त परिवार प्रथा ख़त्म हो चुकी है, सभी एकाकी परिवार में रहते है, ऐसे में बेटे की माँ की भूमिका बड़ी होती है, क्योंकि उन्हें बेटे को समझाना पड़ेगा कि उन्हें अपना काम खुद करना है, इसके लिए वह माँ, बहन की राह नहीं देखेगा. केवल बहन आपको चाय न पिलाएं, बल्कि भाई भी उसे चाय बनाकर पिलाएं. जेंडर के आधार पर बेटे की परवरिश माँ कभी न करें. इसकी सीख माँ को देनी है, क्योंकि सास-बहु के बीच में मनमुटाव हमेशा दिखाया जाता है, लेकिन मानसिक रूप से मजबूत, दयालू, और इंटेलिजेंट बेटा ही इसे आसानी से दूर कर सकता है. उसे अपनी पत्नी और माँ दोनों को सम्मान और प्यार के साथ व्यवहार करना है और माँ को भी अपने व्यवहार में बहू आने पर सुधार करने की आवशयकता है. इसकी नींव माँ को शुरू से रखनी है. मेरे दोनों बेटे 27 और 29 साल के है. प्रायोरिटी पेरेंट्स है, लेकिन उन्हें मैं जीवन को सवारने और अपनी गृहस्थी बसाने की सलाह देती हूँ. मुझे अभी बैक सीट पर बैठना पसंद है. आज जमाना बदला है. दुनिया डिजिटल हो चुकी है, ऐसे में किसी को रोकना या टोकना उचित नहीं. मेरा बड़ा बेटा रुद्रांश बुंदेला 29 वर्ष का राइटर, डायरेक्टर और एक्टर है,उसने छोटी-छोटी फिल्में बनाई है. छोटा बेटा न्यूजीलैंड में साइंटिस्ट है, उसका मेरे फील्ड से कोई लेना-देना नहीं है. मैंने काम के साथ-साथ बहुत मेहनत से बच्चों की परवरिश की है.

कोई काम छोटा नहीं

इंडस्ट्री में टिकने के लिए सुस्मिता के संघर्ष के बारें में पूछने पर वह कहती है कि मैं कभी हिरोइन बनने आई ही नहीं थी. मैं थिएटर करती थी और फिर मुंबई आ गई, क्योंकि काम चाहिए था. मेरा कभी कोई ऐसा संघर्ष नहीं रहा क्योंकि मैंने कभी अपनी जिंदगी और चीजों से समझौता नहीं किया. मैं एक बहुत ही आम परिवार से थी और कला दिल के करीब थी. मुझे मेरा घर चलाना होता था और घर चलाने के लिए जैसे काम मिलते थे, कर लिए, क्योंकि हमारे पास ऑप्शन नहीं था. कई बार ऐसा हुआ कि पैसों के लिए छोटे-छोटे अभिनय किए, लेकिन कभी समझौता नहीं किया. इंडस्ट्री में टिके रहने की वजह भी यही रही, क्योंकि मुझे अभिनय के अलावा कुछ भी करना नहीं था.

आज के बच्चे है होनहार

नए लोगों के साथ काम करने के अपने अनुभव पर सुष्मिता कहती हैं कि लोगों का ये कहना गलत है कि आज कल के बच्चे सिर्फ मोबाइल में रहते हैं.मेरे हिसाब से आज कल के बच्चे एकदम अपने काम पर फोकस्ड हैं और अपनी लाइन अच्छे से याद करके आते हैं, किरदार में रहते हैं, समय से आते हैं, कोई नखरे नहीं है ना ही कोई घमंड है. एक कलाकार को कला के लिए प्रेम होना चाहिए और आजकल के बच्चों में वो प्रेम नजर आता है. मैं हर दिन उनसे काफी कुछ सीखती हूँ.

सुस्मिता को हर भूमिका से लगाव और प्रेम है, वे किसी एक किरदार को सबसे अधिक अच्छा नहीं बता सकती. उनका कहना है कि हर भूमिका में रस होता है, हर भूमिका अलग होती है और हर किरदार को मैं शिद्दत से करती हूँ. अपने काम से अगर प्यार करते हैं, तो जिस दिन आप काम नहीं करते हैं, उस दिन खुद को बहुत कमजोर महसूस करते हैं. अमिताभ बच्चन ने 80 साल की उम्र में भी पूरी मेहनत से काम करते हैं, मैं तो उनसे काफी छोटी हूँ.

खुश रहना है मंत्र

वह आगे कहती है कि मेरी फिटनेस का राज है बाहर की परिस्थितियों से अधिक प्रभावित न होना, मसलन मैं ओल्ड हो चुकी हूँ, या अच्छी नहीं दिखती आदि के बारें में नहीं सोचती. अंदर से हमेशा खुश रहती हूँ.इसका मोटिवेशन करोड़ों की संख्या में हमें देखने वाले दर्शक ही होते है, जो हर दिन हमारे शो को प्यार से देखते है और उसकी आलोचना या प्रसंशा करते है.इसके अलावा कही भी जाने पर वे हमें आसानी से पहचान लेते है. इससे ख़ुशी मिलती है.

एक्टिंग, डायरेक्शन, और प्रोडक्शन में सबसे ज्यादा मेहनत सुस्मिता को प्रोड्यूसर बनने पर करनी पर पड़ती है, क्योंकि वह उनके खून में नहीं है. उनके हिसाब से कलाकार केवल काम देखते हैं, पैसा अधिक नहीं देखते, जबकि प्रोड्यूसर सबसे पहले पैसा देखता है. मैं एक प्रोड्यूसर के तौर पर फ्लॉप हो गई, क्योंकि मैं प्रोडक्शन कर नहीं पाई और बाद में बहुत सारा काम करके लोगों के पैसे लौटाने पड़े.वह कहती है कि उस जमाने में हमारी कंपनी का 1 करोड़ का नुकसान हुआ था, क्योंकि मुझे प्रोडक्शन की सही जानकारी नहीं थी. अब मैंने उस काम को छोड़ दिया है.

योजनायें आगे की

सुस्मिता कहती है कि अभी मैं 5 वीं किताब निकालने वाली हूँ. उसपर काम चल रहा है. इसके अलावा मैंने एक सोलो कहानी ‘नारी बाई’ लिखी है, उसकी परफोर्मेंस करती हूँ. तीन फिल्में आने वाली है, इसके अलावा मैं मध्यप्रदेश के ओरछा में एक एनजीओ चलाती हूँ. उस क्षेत्र की उन्नति के लिए मैं और मेरे पति काम करते है. मेरे पति ने हमेशा मुझे हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है. रात में कभी-कभी साथ में मिलकर खा लिया करते है. मेरे लाइफ में मैंने जितना माँगा सब मिला. मानसिक और शारीरिक सुख मेरे लिए बहुत जरुरी है.

महिलाओं के लिए सुस्मिता का मेसेज है कि वे खुद को किसी से कम न समझे और अपनी इच्छाओं को खुद पूरा करें, किसी को इसका जिम्मेदार न समझे.

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