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जागरूक वेतनभोगी मांएं

पेरैंट्स टीचर मीटिंग में अपनी बारी का इंतजार करती मैं टीचर पेरैंट्स संवाद सुनने लगी. अभिभावकों में अधिकांश महिलाएं ही थीं. मेरे कानों में पति महाशय के शब्द अट्टहास करने लगे, ‘‘तुम महिलाओं जितना कहनेसुनने का धैर्य हम बेचारे पुरुषों में कहां. हम बेचारे तो शौफर ही भले.’’

‘‘मैम, मेरा बच्चा दूध नहीं पीता. टिफिन भी रोजाना बचाकर ले आता है,’’ एक मां का शिकायती स्वर कानों में पड़ा तो मैं अपनी चेतना सहित क्लासरूम में लौट आई.

‘‘जी, इस में मैं क्या कर सकती हूं?’’ टीचर ने अपनी असमर्थता जाहिर की.

‘‘क्यों, सर्कुलर तो आप के स्कूल की तरफ से ही आया है न कि बच्चों को टिफिन में सब्जीपरांठा, पुलाव आदि हैल्दी फूड ही भेजा जाए?’’ शिकायत करती मां ने अचानक तीरकमान निकाल लिए तो सब भौंचक्के से उन्हें देखने लगे.

मैडम बेचारी इस अप्रत्याशित आक्रमण से थोड़ा सहम गई. बोली, ‘‘ठीक है, मैं

मैनेजमैंट तक आप की बात पहुंचा दूंगी… वैसे यश के हमेशा की तरह इस बार भी मार्क्स काफी कम आए हैं. आप को उस की पढ़ाई की ओर ज्यादा ध्यान देना होगा.’’

‘‘यह हुई न मंजे हुए राजनीतिज्ञों जैसी बात. जब भी जनता किसी बात पर बवाल मचाने लगे ध्यान बंटाने के लिए तुरंत दूसरा मुद्दा खड़ा कर दो,’’ मैं ने मन ही मन टीचर को दाद दी.

‘‘पढ़ाने की जिम्मेदारी तो आप की है. नंबर अच्छे नहीं आ रहे तो इस के लिए तो मुझे आप को जिम्मेदार ठहराना चाहिए. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे.’’

पंक्ति में खड़े अभिभावक द्वंद्व युद्ध का मजा लेते हुए मंदमंद मुसकरा उठे. मुफ्त का मनोरंजन किसे नहीं सुहाता.

तभी मेरा नंबर आ गया. बेटे पुनीत ने क्लास में टौप किया है, जान कर मैं खुशी से झूम उठी. मैडम ने मुझे बधाई दी तो आसपास खड़ी महिलाओं को भी मजबूरन मुझे बधाई देनी पड़ी.

क्लास से बाहर निकल कर मैं भी अन्य महिलाओं की तरह अपने शौफर महाशय का इंतजार करने लगी. पर बेटा तो कूदता हुआ खेलते हुए बच्चों के संग खेलने चला गया.

‘‘हुंह, इस बेवकूफ को तो अपने स्टेटस की कद्र ही नहीं है. फिसड्डी बच्चों के साथ खेल रहा हैं,’’ मैं अपना स्टेट्स मैंटेन रखते हुए अलगथलग खड़ी रही. हालांकि कान कुछ दूर खड़ी महिलाओं की बातों की ओर ही लगे थे.

‘‘हमारे राजस्थान की लड़की मिस इंडिया बन गई,’’ यश की मां का गर्वीला स्वर उभरा.

‘‘हुंह इतनी गर्वीली मुसकान तो मिस इंडिया की मां के चेहरे पर भी नहीं आई होगी. चलो बेटे पर नहीं किसी पर तो गर्व करे बेचारी,’’ मैं ने मुंह बिचकाया.

जवाब भी तो कितना लागलपेट वाला दिया था, ‘‘भई, मिस इंडिया का ताज पहनना हो तो मोरल साइंस की किताब रट कर चले जाओ,’’ दूसरी महिला ने तंज कसा.

‘‘क्यों क्या गलत कहा उस ने? मां की सेवाएं अनमोल नहीं होतीं क्या?’’ यश की मां ने यहां भी तलवार उठा ली.

‘‘इस महिला को पक्का चुनाव में खड़ा होना चाहिए. हर जगह भिड़ जाती है,’’ मैं बुदबुदाई.

‘‘अरे अनमोल, अतुल्य जैसे विशेषणों से नवाजनवाज कर ही बरसों से हम से बेगार करवाई जा रही है,’’ एक स्वर उभरा.

‘‘क्या मतलब?’’ एक अनाड़ी ने पूछा.

मेरे लिए अपना स्टेटस लैवल मैंटेन करना मुश्किल होता जा रहा था. खिसकतेखिसकते मैं इस ?ांड में शामिल हो ही ली थी.

‘‘इस का मतलब यह है मुहतरमा कि शब्दों का जामा मात्र पहना देने से न पाजामा जुटता है न पिज्जा. खाली तारीफ से न हम मांएं अच्छा पहन सकती हैं और न अच्छा खा सकती हैं. बरसों से हम ऐसे ही बेवकूफ बनती आ रही हैं,’’ सब प्रभावित लगीं तो अपनी बेसिरपैर की तुकबंदी पर मु?ो भी गर्व हो आया.

अब तो हर महिला अपना मत बेबाकी से सब के सामने रखने लगी. नारी सुधार आंदोलन अपने शबाब पर आ चुका था.

‘‘अपने काम का वेतन हम कैश में मांगने लग जाएं न, तो उसे चुकाने में ये पुरुष बिक ही जाएं,’’ एक ने मत रखा.

‘‘और क्या? 3 वक्त गरम खाना बनाना और वह भी भरेपूरे कुनबे का…’’

‘‘हाय दैया, इन का तो महीने का लाख से ऊपर का वेतन खाना पकाने, खिलाने का ही बन जाता है,’’ हमेशा होटल या मैस से खाना और्डर करने वाली एक नवविवाहिता ने पूरी सहानुभूति दर्शाई.

दूर खेल रहे बच्चों को देख कर मुझे खयाल आया, ‘अरी बहनो, हम अपना सब से महत्त्वपूर्ण टास्क और उस की सैलरी तो भूल ही रहे हैं. इन बच्चों को रखना, उन की देखभाल, होमवर्क, परीक्षा की तैयारी…’’

‘‘सखियो, हमें अपनीअपनी कार्यसूची और उस के अनुसार अपना वेतन तय करना है.’’

‘‘सिर्फ तय नहीं वसूल भी करना है.’’

अंतत: सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास हुआ कि घर जा कर हम अपनेअपने काम की सूची और उस का अनुमानित वेतन और वह भी कैश में लिख कर अपनेअपने घरवालों को सौंप देगीं तथा जब तक हमें लिखित में अपना वेतन मिलने की स्वीकृति नहीं मिल जाती है हम घर के कार्यों से हाथ खींचे रहेंगी. मिस इंडिया तो क्या कोई भी हमें अब और इमोशनल फूल नहीं बना सकता. सब के नाम और मोबाइल नंबर डाल कर मैं ने फटाफट एक व्हाट्सऐप ग्रुप भी बना डाला-जागरूक वेतनभोगी मांएं. एडमिन के रूप में मैं स्वयं को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही थी.

‘‘मैं इस के बारे में ट्विटर और फेसबुक पर डाल कर ज्यादा से ज्यादा मांओं को इस ग्रुप से जोड़ूंगी,’’ सब का जोश देखने लायक था.

तभी बच्चों के संग खेलता मेरा बेटा पुनीत भागता हुआ मेरी ओर आया, ‘‘ममा देखो, पापा क्या लाए. मेरे लिए इतनी बड़ी चौकलेट. पापा कह रहे थे मुझे पहले से पता था कि मेरा बेटा फर्स्ट आएगा,’’ उस ने गर्व से बताया, ‘‘और ममा, पापा आप की फैवरिट बटरस्कौच आइसक्रीम का बड़ा सा पैक भी लाए हैं. कह रहे थे तुम्हारे साथ पूरा साल मेहनत कौन करता है? हर साल तुम इतना अच्छा रिजल्ट ममा की बदौलत ही तो ला पाते हो. इसलिए तुम्हारी चौकलेट खरीदने से पहले मैं ने तुम्हारी गुरु की पसंदीदा आइसक्रीम खरीदी.’’

‘‘सच, उन्होंने ऐसा कहा?’’ मैं आइसक्रीम की मानिद पिघलने लगी. पुनीत के पीछे आते

उस के पापा मुझे धुंधले दिखाई देने लगे. मुझे लगा चश्मा लगाना भूल गई हं. पर इस की

वजह तो खुशी के आंसू थे. अंतत: उन के हाथ में पकड़े बड़े से आइसक्रीम पैक से मैं ने उन्हें पहचान लिया. मैं ने पैक पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि पीछे से सम्मिलित बुलंद स्वर गूंज उठा, ‘‘नो.’’

मैं ने घबरा कर हाथ पीछे खींच लिया तो सभी ने हंसते हुए आगे बढ़ कर पैक लपक लिया.

‘‘हम तो अकेले खाने के लिए नो कह रही थीं.’’

सब के संग आइसक्रीम उड़ाते मैं सोच रही थी मिस इंडिया का जवाब वाकई मिस वर्ल्ड बनने लायक था.

Anupama New Cast: अनुपमा में होगी इस एक्ट्रेस की धमाकेदार एंट्री, मेकर्स ने किया अप्रोच

टीवी का सबसे सुपरहिट सीरियल ‘अनुपमा’(Anupamaa)में ट्विस्ट खत्म होने का नाम तक नहीं ले रहे. टीवी सीरियल में पांच साल का लीप आ गया है. ऐसे में शो के मेकर्स नए-नए कलाकारों को लेकर आ रहे है. अनुपमा सीरियल के लीप के बाद पांच से छह नए चेहरों की एंट्री हुई है. अब इस लिस्ट में एक और नया नाम शामिल होने जा रहा है. जिससे अनुज और अनुपमा की जिंदगी में काफी असर होगा. दावा किया जा रहा है कि शो में टीवी सीरियल इश्कबाज में नजर आई एक्ट्रेस की शामिल होने वाली है. ऐसे में सावल उठ रहा है कि नई एंट्री के आने से रुपाली गांगुली का पत्ता साफ हो सकता है क्या?

अनुपमा में दिशी दुग्गल की एंट्री

टीवी सीरियल अनुपमा में अमेरिका के ट्विस्ट से फैंस काफी खुशी कर दिया है. शो में आए नए कलाकारों को दर्शक खूब पसंद कर रहे है. अनुपमा में इश्कबाज फेम एक्ट्रेस दिशी दुग्गल की एंट्री हो चुकी है. दिशी दुग्गल सीरियल में यशपाल की मां का किरदार निभाने वाली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यशपाल और अनुज में काफी बड़ा कनेक्शन होने वाला है. सीरियल में कहानी में आगे पता चलेगा कि यशपाल ही अनुज का असली पिता है और यशपाल को मालती देवी धोखा देकर चली गई थी. यानी यशपाल की मां अनुपमा की दादी सास बनेगी, जिसके बारे में अनुपमा को जल्द ही पता चल सकता है. दावा यह भी है कि अनुपमा अनुज से मिलने के बाद यशपाल से भी उसे मिलवा सकती है.

 

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अनुपमा की अपकमिंग कहानी

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में काफी ड्रमा देखने को मिलेगा. सीरियल में अपकमिंग एपिसोड में अनुज को महसूस होने लगेगा कि जोशी बेन ही अनुपमा है. दूसरी तरफ यशपाल की मां अनुपमा से मुलाकात करेगी और उससे बहुत खुश होगी. वह अनुपमा को शगुन भी देगी. इतना ही नही श्रुती अनुज को जोशी बेन की तस्वीर दिखाने वाली होती है लेकिन किसी तरह छोटी अनु उसे रोक लेती है. लेकिन वह अनुपमा से मिलने कैफ में जाती है और दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है.

रिश्तों की डोर: भाग 3- माता-पिता के खिलाफ क्या जतिन की पसंद सही थी

लेखिका- रेनू मंडल

एक शाम पापा के मित्र सुरेश अंकल आए. बातों ही बातों में वह पापा से बोले, ‘‘एक बात मुझे समझ नहीं आई. आप ने जब जतिन और स्वाति को विवाह की इजाजत दे दी थी तो फिर जतिन घर से अलग क्यों हुआ और क्यों उस ने स्वयं मंदिर में शादी कर ली?’’

‘‘अब तुम्हें क्या बताऊं? छोटीछोटी बातों में हमारे विचार मेल नहीं खा रहे थे किंतु इस का मतलब यह तो नहीं कि घर से अलग हो जाओ और स्वयं शादी रचा डालो. पालपोस कर क्या इसी दिन के लिए बड़ा किया था?’’ दबी जबान में पापा बोले.

‘‘यार, अब जमाना बहुत बदल गया है. आज की युवा पीढ़ी इन सब बातों को कहां सोचती है? मांबाप के प्रति भी उन का कुछ फर्ज है, ऐसी भावनाओं से कोसों दूर वे अपने स्वार्थ में लिप्त हैं.’’

अंकल के जाते ही मम्मी भड़क उठीं, ‘‘दोस्त के आगे बेटे को क्यों कोस रहे थे? अपनी बात भी तो उन्हें बताते कि मैं ही दहेज मांग रहा था. तुम्हारे पैसे के लालच के कारण ही जवान बेटे को घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. मेरी क्याक्या इच्छाएं थीं बेटे की शादी को ले कर किंतु सब तुम्हारे लालच की आग में भस्म हो गईं.’’

मम्मी रोने लगीं. पापा उन के आंसुओें की परवा न करते हुए चिल्लाए, ‘‘तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मैं अकेला ही पैसे की इच्छा कर रहा था. क्या तुम इस काम में मेरे साथ नहीं थीं? आज बड़ी दूध की धुली बन रही हो. इतनी ही पाकसाफ थीं तो उस समय मुझ से क्यों नहीं कहा कि दहेज मत मांगो. नीलू, तू ही बता, क्या तेरी मम्मी दहेज लेना नहीं चाहती थीं?’’

पापा ने मुझे अपने पक्ष में करना चाहा किंतु मम्मी भी पीछे रहने वाली नहीं थीं. वह भी बिना एक पल

गंवाए बोलीं, ‘‘नीलू, तू सच कहना, ज्यादा इच्छा किस की थी, तेरे पापा की या मेरी?’’

‘‘ओह, मम्मीपापा, आप दोनों चुप रहो,’’ मैं खीज उठी, ‘‘जो बीत गया उस की लकीर पीटने से क्या फायदा? बीता वक्त तो हाथ आ नहीं सकता. हां, आने वाला वक्त हमारे हाथ में है. उसे अवश्य संवार सकते हैं,’’ बिगड़ी बात मनाने का एक सूत्र उन के हाथ में दे कर मैं कमरे से बाहर चली आई. अभी मुझे ढेरों काम करने थे. 2 दिन बाद मम्मीपापा और मुझे रमा मौसी की लड़की की शादी में जयपुर जाना था.

जयपुर पहुंचने पर रमा मौसी से आराम से बैठ कर बात करने का वक्त ही नहीं मिला. अगले दिन शादी थी और वह काम करने में व्यस्त थीं. मुझे लगा, व्यस्त होने के साथसाथ वह तनावग्रस्त भी थीं. शाम के समय बड़े मामाजी से मौसीमौसा की परेशानी का कारण पूछा तो वह बोले, ‘‘अरे, तुम लोगों को नहीं पता रमा की परेशानी का कारण. लड़के वालों ने दहेज में कार मांगी है. अब तुम लोग तो जानते ही हो, रमा के पति सुरेशजी रिटायर हो चुके हैं. कार के लिए रुपयों का इंतजाम करना कितना कठिन काम था. लड़की की शादी

क्या की, कर्जे के नीचे दब गए रमा और जीजाजी.’’

मामीजी बोलीं, ‘‘मैं ने तो रमा दीदी से कहा था कि ऐसे लालची लोगों से रिश्ता मत जोड़ो. अरे, जिस ने अपनी लड़की दे दी उस ने सबकुछ दे दिया किंतु रमा दीदी नहीं मानीं. उन्हें डर था, कहीं अच्छा रिश्ता जल्दी मिले न मिले. दरअसल, लड़की वालों की कमजोरी की वजह से ही लड़के वाले ज्यादा सिर चढ़ते हैं.’’

मामामामी की बातें सुन कर मम्मीपापा के चेहरे का रंग उड़ गया. मम्मी धीरे से हांहूं कर के रह गईं. मैं मन ही मन उन की मनोस्थिति का अंदाजा लगा रही थी. क्या बीत रही होगी उन के मन पर. थोड़ी देर पहले तक दोनों रमा मौसी को ले कर कितने चिंतित थे किंतु अब उन की परेशानी का कारण जान कर दोनों के मुंह पर ताला लग गया था.

जयपुर से वापस लौट कर मम्मीपापा और भी व्यथित रहने लगे. मन ही मन दोनों प्रायश्चित की अग्नि में जल रहे थे. अब हर दूसरे दिन मम्मी मुझ से पूछ बैठतीं, ‘‘नीलू, जतिन के घर गई थी क्या?’’ मेरे हां कहने पर उत्सुकता से बेटेबहू के बारे में पूछतीं. मैं जानती थी, मम्मी और पापा के मन में इन दिनों क्या चल रहा था. दोनों अजीब सी कशमकश में फंसे हुए थे. एक तरफ बेटेबहू की ममता तो दूसरी तरफ उन का अहं.

एक दिन मैं कालिज से लौटी तो देखा, मम्मीपापा चाय पी रहे थे. मैं ने उन्हें बताया, ‘‘आज मैं जतिन के घर गई थी. स्वाति को 2 दिन से बुखार है.’’

‘‘अरे, तो उस की देखभाल कौन कर रहा होगा? वह तो पहले ही कमजोर है,’’ मम्मी को चिंता होने लगी.

पापा बोले, ‘‘ऐसा करो जतिन

की मां, खाना बना लो, नीलू वहां दे आएगी.’’

मैं कुछ पल सोचती रही फिर बोली, ‘‘मम्मी, सच कहिए, क्या आप दोनों का मन नहीं करता जतिन और स्वाति को देखने का?’’

‘‘मन तो बहुत करता है. अकसर रातों को नींद खुल जाती है. उस समय कितनी छटपटाहट होती है, क्या बताऊं. तुम्हारे पापा से कुछ कहती हूं तो उन की आंखें पहले ही भर आती हैं. कहते हैं, मांबाप तो अपने घर को बसाते हैं और हम ने बसेबसाए घर के टुकड़े कर दिए.’’

‘‘आप चाहें मम्मी तो इन टुकड़ों को पुन: जोड़ सकती हैं. इस घर को फिर से बसा सकती हैं.’’

‘‘जतिन कभी हमें याद करता है, नीलू,’’ पापा के चेहरे पर गहन पीड़ा के भाव उभर आए थे.

‘‘आप को अपनी ममता पर भरोसा नहीं है मम्मीपापा. जब आप उसे नहीं भूले तो वह आप को कैसे भूल सकता है? आप दोनों मेरा कहा मानिए, यह अत्यंत उपयुक्त अवसर है जतिन और स्वाति के पास जाने का. इस समय आप का बड़प्पन भी बना रहेगा और आप की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.’’

‘‘ठीक है जतिन की मां, हम चलते हैं अपने बेटेबहू के पास.’’

हम तीनों जतिन के घर पहुंचे. हमें यों अचानक आया देख जतिन और स्वाति हक्केबक्के रह गए. स्वाति ने तुरंत उठ कर मम्मीपापा के पांव छू लिए. स्नेह से दोनों के सिर पर हाथ फेर कर मम्मी बोलीं, ‘‘हमें माफ कर दो बच्चो. हम अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा हैं.

‘‘ऐसा मत कहिए मम्मी, क्षमा मांगने का अधिकार सिर्फ बच्चों का होता है,’’ मम्मीपापा को देख कर जतिन का चेहरा खुशी से चमक उठा था. उस ने आदर से उन्हें बैठाया. मैं ने जल्दी से सब के लिए चाय बना ली. चाय पीते हुए पापा बोले, ‘‘बच्चो, पिछली बातें भुला कर क्या तुम दोनों अब अपने घर चलने के लिए तैयार हो?’’

‘‘पापा, परिस्थितिवश मैं आप से अलग भले ही रहने लगा परंतु दूर कभी नहीं हुआ. आप जब कहेंगे, हम आ जाएंगे.’’

मम्मीपापा के पछतावे के बारे में मैं ने जतिन और स्वाति को पहले ही बता रखा था इसलिए वे दोनों अपने को मानसिक रूप से इस सब के लिए तैयार कर चुके थे.

‘‘फिर देर किस बात की है? आज ही तुम दोनों हमारे साथ चलो. सामान बाद में आता रहेगा. स्वाति बीमार है. वहां पर इस की भलीभांति देखभाल होगी.’’

‘‘और मुझे छुट्टी भी नहीं लेनी पड़ेगी. आप लोग तो जानते ही हैं, मुझ पर छुट्टियों की हमेशा कमी रहती है,’’ जतिन की इस बात पर स्वाति ने उस की ओर आंखें तरेर कर देखा फिर हंस पड़ी.

मैं सोच रही थी, जीवन में सुख और दुख धूपछांव के समान आते रहते हैं. जहां दिलों में प्यार होता है वहां रिश्तों की डोर इतनी आसानी से नहीं टूटती.

इस दिन सात फेरे लेंगी आमिर खान की लाडली, शादी से पहले वीडियो आया सामने

बॉलीवुड के परफेक्‍शनिस्‍ट कहे जाने वाले अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan)  की बेटी इरा खान अपनी शादी को लेकर काफी सुर्खियों में हैं.आमिर खान अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में लगे हुए. अभी हाल ही में आमिर खान को शोपिंग करते हुए स्पॉट किया गया था. इरा खान की शादी से पहले सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें आमिर खान घर सजा हुआ नजर आ रहा है. इस वायरल वीडियो में आमिर का घर लाइट्स से सजा हुआ है. दरअसल, आमिर खान की बेटी इरा खान (Ira Khan)  नुपुर संग 3 जनवरी को शादी के बंधन में बंध रहे है.

दुल्हन की तरह सजा आमिर का घर

आमिर खान की बेटी इरा खान जल्द ही बॉयफ्रेंड नुपुर शिखरे संग शादी करने वाली है. पिछले साल ही इरा खान ने नुपुर शिखरे के साथ सगाई की थी. उस दौरान इन दोनों कपल की सगाई की फोटो और वीडियो जमकर वायरल हुई थी. अब इरा खान और नुपुर शिखरे की शादी से पहले बॉलीवुड एक्टर आमिर खान का बंगला दुल्हन की तरह सुंदर सजाया गया है. जिसने भी यह वीडियो देखी वह देखता रह गया.

 

 

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आमिर खान की अपकमिंग फिल्म बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान लाल सिंह चड्ढा में नजर आए थे. वहीं इस 2024 में इन फिल्मों में आएंगे नजर. आमिर की ब्लॉकबस्टर हिट ‘तारे जमीन पर’का दूसरा पार्ट ‘सितारे जमीन पर’2024 में रिलीज होगी. चैंपियंस रीमेक की शूटिंग जनवरी में शुरु करेंगे.

Winter Special: कहीं आपकी स्किन नमी तो नहीं खो रही

27उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में प्री-मेनोपॉज और मेनोपॉज़ के कारण कई केमिकल और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो स्किन की नमी को नुकसान पहुँचाते हैं जिसके कारण स्किन अपनी खूबसूरती खो देती है. स्किन की खूबसूरती को बचाने के लिए के डर्मेटोलॉजी क्लिनिक की प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट, संस्थापक और अध्यक्ष, डॉ निवेदिता दादू बता रही हैं कुछ आसान से टिप्स.

कई कारण हैं जो एक टेक्सचर्ड स्किन स्थिति का कारण बनते हैं. कई बार अनेक डेड स्किन और केराटिनाइज़्ड कोशिकाओं के जमा हो जाने से और स्किन में होने वाली खुजली के कारण भी इसकी कोमलता पर असर पड़ता है. जिन लोगों को कभी मुंहासों/एक्ने हुए हों या अक्सर होते रहते हैं, उनकी स्किन की सतह के नीचे छोटे-छोटे निशान बन जाते हैं. जिन लोगों की स्किन अधिक मात्रा में सीबम (तेल) उत्पादन करती है, उनके पोर्स यानि कि रोमछिद्र बड़े हो जाते हैं. स्किन की सतह पर डेड स्किन का अत्यधिक निर्माण, अनुवांशिकता, सूरज की किरणों द्वारा क्षति और प्रदूषण, गलत कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का प्रयोग भी स्किन को खुरदरी और असमान बना देता है.

ये कुछ आसान स्किनकेयर टिप्स हैं जिनकी मदद से आप ड्राई स्किन से राहत पा सकते हैं:

1. स्किन को हाइड्रेट करना सबसे जरुरी है – यानि कि स्किन कि नमी को बनाये रखना. इसके लिए ज़रूरी है की पहले आप अपनी स्किन को एक अच्छे फेसवॉश से साफ़ करें और फिर एक हाइड्रेटिंग मॉइस्चराइज़र लगाएं. यदि आपकी स्किन ऑयली है तो क्रीम के बजाय जैल वाले मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें.

2. AHA और BHA जैसे एसिड वाले स्किनकेयर उत्पादों का का प्रयोग करें. अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड (AHA) और बीटा हाइड्रॉक्सी एसिड (BHA) दो हाइड्रॉक्सी एसिड हैं जो विभिन्न स्किनकेयर उत्पादों जैसे क्लीन्ज़र, मॉइस्चराइज़र, पील्स और एक्सफ़ोलीएटिंग उत्पादों में पाए जाते हैं. यह एसिड स्किन के टेक्सचर और कोमलता के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं.

3. हम एक्सफोलिएशन का उल्लेख किए बिना इवन और शाइन स्किन की बात नहीं कर सकते हैं. इसके लिए आप एक फिजिकल एक्सफोलिएटर जैसे पिसे हुए अखरोट और जोजोबा ब्रीड्स या केमिकल एक्सफोलिएटर जैसे ग्लाइकोलिक या लैक्टिक एसिड का उपयोग आसानी से कर सकते हैं. एक्सफोलिएशन डेड स्किन सेल्स को धीमा कर देता है जो लेजी स्किन और स्किन के बंद छिद्र/पोर्स को बंद कर देते हैं और कांच जैसी बनावट देते हैं.

4. केमिकल पील्स टेक्सचर्ड, खुरदरी और असमान स्किन की स्थिति से छुटकारा पाने के लिए एक बहुत लोकप्रिय उपचार है. नियमित फेशियल की जगह फूलों के एसिड पील ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करें. केमिकल पील्स आपको तुरंत परिणाम देते हैं और भीतर से ताजा और शाइन स्किन का निर्माण करते हैं.

5. स्किन के टेक्सचर को स्वस्थ बनाए रखने का एक सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप बेड पर जाने से पहले इसे अच्छी तरह से साफ कर लें. ताकि मेकअप, सनस्क्रीन और धूल बाहर निकल जाए.

6.ड्राई और अनइवेन स्किन बनावट के लिए सनबर्न या सूरज की हानिकारक किरणों से होने वाली क्षति सबसे आम कारणों में से एक है. इसके लिए एक व्यापक स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन जिसमें एसपीएफ ३० और पी ए रेटिंग +++ हो आप उसका इस्तेमाल करें और जब आप धूप में बाहर निकलें तो अपनी स्किन को जितना हो सके उतना ढकने का प्रयास करें.

7.अपने छिद्रों को कम करने में मदद करने के लिए एक अच्छे अल्कोहल-मुक्त टोनर के साथ इसका प्रयोग करें.

8.ड्राई और अनइवेन स्किन से राहत पाने के लिए फेस मास्क का प्रयोग करें, फेस मास्क स्किन के बंद पोर्स को खोल देता है इसके लिए क्ले और नीबू एक्सट्रेक्ट वाले फेस मास्क का प्रयोग करें.

9. अगर स्किन की बनावट या स्किन की टेक्सचर में घर की देखभाल के साथ सुधार नहीं हुआ, तो स्किन के टेक्सचर में सुधार के लिए स्किन विशेषज्ञ की सलाह पर लेज़र ट्रीटमेंट ले सकते हैं.

एक दिन अपने लिए

‘कलसंडे है. सोनू की भी छुट्टी है. अलार्म बंद कर के सोती हूं,’ सोचते हुए आभा मोबाइल की तरफ बढ़ी, मगर फिर एक बार व्हाट्सऐप चैक कर लें सोच उस ने हरे से सम्मोहक आइकोन पर क्लिक कर दिया. स्क्रोल करतेकरते एक अनजान नंबर से आए मैसेज पर अंगूठा रुक गया.

‘‘कैसी हो आभा?’’ पढ़ कर एकबार को तो आभा समझ नहीं पाई कि किस का मैसेज है, फिर डीपी पर टैब किया. तसवीर कुछ जानीपहचानी सी लगी.

‘‘अरे, यह तो अनुराग है,’’ आभा के दिमाग को पहचानने में ज्यादा मशकक्त नहीं करनी पड़ी.

‘‘फाइन,’’ लिख कर आभा ने 2 अंगूठे वाली इमोजी के साथ रिप्लाई सैंड कर दी.

‘‘क्या हुआ? किस का मैसेज था?’’ मां ने अचानक आ कर पूछा तो आभा को लगा मानो चोरी पकड़ी गई हो.

‘‘यों ही…कोई अननोन नंबर था,’’ कह कर आभा ने बात टाल दी.

‘‘अच्छा सुनो सोनू को सुबह 4 बजे जगा देना. उसे अपने फाइनल ऐग्जाम के प्रोजैक्ट पर काम करना है. और हां 1 कप चाय भी बना देना ताकि उस की नींद खुल जाए…’’ मां ने उसे आदेश सा दिया और फिर सोने चली गईं.

अलार्म बंद करने को बढ़ता आभा का हाथ रुक गया. उस ने मोबाइल को चार्जिंग में लगा दिया ताकि कहीं बैटरी लो होने के कारण वह स्विच औफ न हो जाए वरना नींद खुलेगी और फिर 4 बजे नहीं जगाया तो सोनू नाराज हो कर पूरा दिन मुंह फुलाए घूमता रहेगा. मां नाराज होंगी सो अलग. यह और बात है कि इस चक्कर में उसे रातभर नींद नहीं आई. वैसे नींद न आने का एक कारण अनुराग का मैसेज भी था.

आभा रातभर अनुराग के बारे में ही सोचती रही. अनुराग उस के कालेज का दोस्त था. एकदम पक्के वाला… शायद कुछ और समय दोनों ने साथ बिताया होता तो यह दोस्ती प्यार में बदल सकती थी, मगर कालेज के बाद अनुराग सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए कोचिंग लेने दिल्ली चला गया. न इकरार का मौका मिला और न ही इजहार का… एक कसक थी जो मन में दबी की दबी ही रह गई.

इसी बीच आभा के पिता की एक ऐक्सीडैंट में मृत्यु हो गई और अपनी मां के साथसाथ छोटे भाई सोनू की जिम्मेदारी भी उस पर आ गई. पिता के जाने के बाद मां अकसर बीमार रहने लगी थीं. सोनू उन दिनों छठी कक्षा की परीक्षा देने वाला था.

आभा का अपने पिता की जगह उन के विभाग में नौकरी मिल गई. वह जिंदगी की गुत्थी सुलझाने के फेर में उलझती चली गई. 10 साल बाद आज अचानक अनुराग के मैसेज ने उस के दिल में खलबली सी मचा दी थी.

‘कल दिन में बात करूंगी,’ सोचते हुए आखिर उसे नींद आ ही गई.

घरबाहर संभालती आभा हर सुबह 5 बजे बिस्तर छोड़ देती और फिर यह उसे रात 11 बजे ही नसीब होता. औफिस जाने से पहले नाश्ते से ले कर लंच तक का काम उसे निबटाना होता.

9 बजे तक वह भी औफिस के लिए निकल लेती, क्योंकि 10 बजे बायोमैट्रिक प्रणाली से अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी होती है. उस के बाद कब शाम के 6 बज जाते हैं, पता ही नहीं चलता. घर लौटने पर 1 कप गरम चाय का प्याला जरूर उसे मां के हाथ का मिलता जिसे पी कर वह फिर से रिचार्ज हो कर अपने मोर्चे पर तैनात होने यानी रसोई में जाने के लिए कमर कस लेती.

जैसेतैसे रात के 11 बजे तक कंप्यूटर की तरह खुद को शटडाउन दे कर चार्जिंग में लगा देती है ताकि अगले दिन के लिए बैटरी पूरी तरह चार्ज रहे. यही है उस की दिनचर्या… कभीकभार मेहमानों के आ जाने या मां की बीमारी बढ़ जाने आदि पर यह और भी ज्यादा हैक्टिक हो जाती है. फिर तो बस शरीर मानो रोबोट ही बन जाता है. अंतिम बार खुद के लिए कब कुछ लमहे निकाले थे, याद ही नहीं पड़ता…

बस, इसी तरह मशीन सी चलती जिंदगी में अचानक अनुराग के मैसेज ने जैसे लूब्रिकैंट का काम किया.

सुबह के लगभग 11 बजे जब आभा औफिस के रूटीन काम से थोड़ा फ्री हुई तो उसे अनुराग का खयाल आया. मोबाइल में उस के रात वाले मैसेज को ढूंढ़ कर फोन नंबर एक कागज पर लिखा और डायल कर दिया. जैसे ही फोन के दूसरी तरफ घंटी बजी, उस के दिल की धड़कनें भी तेज हो गईं.

‘‘कैसी हो आभा?’’ स्नेह से भरी आवाज सुन कर आभा खिल उठी.

‘‘थोड़ी व्यस्त… थोड़ी मस्त…’’ अपना कालेज के जमाने वाला डायलौग मार कर वह खिलखिला पड़ी. अनुराग ने भी उस की हंसी में भरपूर साथ दिया. दोनों काफी देर तक इधरउधर की बातें करते रहे. आभा के पिता की मृत्यु की खबर सुन कर अनुराग उस के प्रति सहानुभूति से भर उठा. आभा ने भी उस के परिवार के बारे में जानकारी ली और फिर आगे भी संपर्क में रहने का वादा करने के साथ फोन रख दिया.

अनुराग से बात करने के बाद आभा को लगा कि जिस तरह मशीनों में तकनीकी खामियां आती हैं और उन्हें मरम्मत की जरूरत पड़ती है ठीक उसी तरह उस के मन को भी मैकेनिक की जरूरत थी. तभी तो आज पुराने दोस्त से बात कर के उस का मन भी कितना हलका हो गया. ठीक वैसे ही जैसे ओवरहालिंग के बाद मशीनें स्मूद हो जाती हैं.

लगभग रोज आभा और अनुराग की फोन पर बात होने लगी. वक्त और

संपर्क की खाद और पानी मिलने से यह रिश्ता भी पुष्पितपल्लवित होने लगा. कभीकभी आभा के मन में अनुराग को पाने की ख्वाहिश बलवती होने लगती, मगर उस की पत्नी का खयाल कर के वह अपने मन को समझा लेती थी.

‘‘सुनो, औफिशियल काम से तुम्हारे शहर में आया हूं… होटल राजहंस… शाम को मिल सकती हो?’’ अनुराग के अचानक आए इस प्रस्ताव से आभा चौंक गई.

‘‘हां, मगर… किसी ने देख लिया तो… बिना मतलब बवाल हो जाएगा… किसकिस को सफाई दूंगी… तुम तो जानते हो, यह शहर बहुत बड़ा नहीं है…’’ आभा ने कह तो दिया मगर उस के दिल और दिमाग में जंग जारी थी. मन ही मन वह भी अनुराग का साथ चाहती थी.

‘‘क्या तुम रह पाओगी बिना मिले जबकि तुम्हें पता है कि मैं तुम से कुछ ही मिनट्स की दूरी पर हूं,’’ अनुराग ने प्यार से कहा.

‘‘अच्छा ठीक है… मैं शाम को 5 बजे आती हूं?’’ आखिर आभा का दिल उस के दिमाग से जंग जीत ही गया.

इतने बरसों बाद प्रिय को सामने देख कर आभा भावुक हो गई और अनुराग की बांहों में समा गई. अनुराग ने भी उसे अपने घेरे में कस लिया और फिर उस के माथे पर एक चुंबन अंकित कर दिया.

दोनों लगभग घंटेभर तक साथ रहे. कौफी पी और बहुत सी बातें कीं. अनुराग की ट्रेन शाम 7 बजे की थी, इसलिए आभा ने उस से फिर मिलने का वादा करते हुए विदा ली.

इसी तरह 6 महीने बीत गए. फोन पर बात और वीडियो चैट करतेकरते दोनों काफी नजदीक आ गए थे. कभीकभी दोनों बहुत ही अंतरंग बातें भी कर लेते थे, जिन्हें सुन कर आभा के शरीर में झनझनाहट सी होने लगती थी.

एक रोज जब अनुराग की पत्नी अपने मायके गई हुई थी तब वह आभा के साथ देर रात वीडियो पर चैट कर रहा था.

‘‘अनुराग, अपनी शर्ट उतार दो,’’ अचानक आभा ने कहा.

अनुराग ने एक पल सोचा और फिर शर्ट उतार दी. उस के बाद पाजामा भी.

‘‘अब तुम्हारी बारी है…’’ अनुराग ने कहा तो आभा का चेहरा शर्म से लाल हो गया. उस ने तुरंत चैट बंद कर दी मगर अब आभा का युवा मन अनुराग की कामना और भी तीव्रता से करने लगा. सोनू और मां की जिम्मेदारियों के कारण वह अपनी शादी के बारे में सोच नहीं पा रही थी. मगर उस की अपनी भी कुछ कामनाएं थीं जो रहरह कर सिर उठाती थीं.

‘काश, उसे सिर्फ एक दिन भी अनुराग के साथ बिताने को मिल जाए. इस एक दिन में वह अपनी पूरी जिंदगी जी लेगी. अनुराग का प्रेम अपने मनमस्तिष्क में समेट लेगी,’ आभा कल्पना करने लगी. वह ऐसी संभावनाएं तलाशने लगी कि उसे यह मौका हासिल हो सके. वह नहीं जानती थी कि कल क्या होगा, मगर एक रात वह अपनी मरजी से जीना चाहती थी.

उस ने एक दिन डरतेडरते अपनी यह कल्पना अनुराग के साथ साझा की तो वह भी

राजी हो गया. तय हुआ कि दोनों दूर के किसी तीसरे शहर में मिलेंगे.

अनुराग के लिए तो यह ज्यादा मुश्किल नहीं था, लेकिन आभा का बिना कारण बाहर जाना संभव नहीं था. मगर तकदीर भी शायद आभा पर मेहरबान होना चाह रही थी. अत: उसे एक दिन उस के लिए देना चाह रही थी ताकि वह अपनी कल्पनाओं में रंग भर सके.

आभा के औफिस में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ. आभा ने शतरंज में भाग लिया. अधिक महिला प्रतिभागी न होने के कारण उस का चयन राज्य स्तर पर विभागीय प्रतिभागी के रूप में हो गया. इस प्रतियोगिता का फाइनल राउंड जयपुर में होना था, जिस में भाग लेने के लिए आभा को 2 दिनों के लिए जयपुर जाना था.

आभा ने टूरनामैंट की डेट फिक्स होते ही अनुराग को बता दिया. हालांकि आभा सहित सभी प्रतिभागियों के ठहरने की व्यवस्था विभाग के गैस्ट हाउस में की गई थी, मगर आभा ने अपनी सहेली के घर रुकने की खास परमिशन अपने लीडर से ले ली.

आभा अपने साथियों के साथ बस से सुबह 6 बजे जयपुर पहुंच गई. अनुराग की ट्रेन 10 बजे आने वाली थी. आभा ठीक 10 बजे रेलवे स्टेशन पहुंच गई. फिर अनुराग के साथ एक होटल में पतिपत्नी के रूप में चैकइन किया. थोड़ी देर बातें करने के बाद आभा ने उस से विदा ली, क्योंकि दोपहर बाद उस का मैच था. हालांकि दोनों ही अब दूरी बरदाश्त नहीं कर पा रहे थे, मगर जिस बहाने ने उन्हें मिलाया था उसे निभाना भी तो जरूरी था वरना पूरी टीम को उस पर शक हो जाता.

आभा ने बेमन से अपना मैच खेला और पहले ही राउंड में बाहर हो गई. उस ने टीम लीडर से तबीयत खराब होने का बहाना बनाया और 2 ही घंटों में वापस होटल आ गई. अनुराग ने उसे देखते ही बांहों में भर लिया और उस के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. आभा ने उसे कंट्रोल किया. वह इन लमहों को चाय की चुसकियों की तरह घूंटघूंट पी कर जीना चाहती थी. आभा की जिद पर दोनों मौल में घूमने चले गए. रात 9 बजे डिनर करने के बाद जब वे रूम में आए तो अनुराग ने उस की एक न सुनी और सीधे बिस्तर पर खींच लिया और उस पर बरस पड़ा. आभा प्यार की इस पहली बरसात में पूरी तरह भीग गई.

उस के बाद रातभर दोनों जागते रहे और रिमझिम फुहारों का आनंद लेते रहे. सुबह दोनों ने एकसाथ शावर लिया और नहातेनहाते एक बार फिर प्यार के दरिया में तैरने लगे. आभा पूरी तरह तृप्त हो चुकी थी. आज उसे लगा मानो उस की हर इच्छा पूरी हो गई. अब उसे अधिक की चाह नहीं थी.

इसी बीच आभा के टीम लीडर का फोन आ गया. उन्हें 10 बजे रवाना होना था. आभा ने अनुराग के होंठों को एक बार भरपूर चूसा और दोनों होटल से बाहर आ गए. अनुराग ने उस के लिए कैब बुला ली थी.

‘‘कैसा रहा तुम्हारा यह अनुभव?’’ अनुराग ने शरारत से पूछा.

‘‘मैं ने आज जाना है कि कभीकभी फूलों को तोड़ कर खुशबू हवा में बिखेर देनी चाहिए… कभीकभी किनारों को तोड़ कर बहने में कोई बुराई… खुद के लिए चाहने में कुछ भी अपराध नहीं…बेशक समाज इसे नैतिकता के तराजू में तोलता है, मगर मैं ने अपने मन की सुनी और मुझे उसी का पलड़ा भारी लगा,’’ आभा ने अनुराग का हाथ थाम कर दार्शनिक की तरह कहा.

अनुराग उस की बात को कितना समझा, कितना नहीं यह मालूम नहीं, मगर आभा आज एक दिन अपने लिए जी कर बेहद खुश थी. अब वह एकबार फिर से तैयार थी. बाकी सब के लिए जीने की खातिर.

नारियल: जूही और नरेंद्र की गृहस्थी में नंदा घोल रही थी स्वार्थ का जहर

सर्दियों में मेरे बाल बहुत ही रफ व ड्राई हो जाते हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 25 साल है. सर्दियों में मेरे बाल बहुत ही रफ व ड्राई हो जाते हैं. मैं चाहती हूं कि मेरे बाल सिल्की व सौफ्ट हों?

जवाब-

सर्दियों में ज्यादातर हम गरम पानी से हेयर वाश करते हैं जिस से बाल रफ व ड्राई हो जाते हैं. बाल धोने के लिए कुनकुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए न कि बहुत गरम पानी का. अगर फिर भी आप के बाल रफ लगें तो कंडीशनर लगाया जा सकता है, जिस से बाल बहुत सिल्की व शाइनी नजर आते हैं. सैट करते वक्त जरूरी हो तो मौइस्चर किक सिरम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सर्दियों में हफ्ते में एक बार हैड मसाज करना भी अच्छा रहता है. हैड मसाज करने के लिए नारियल का तेल या औलिव औयल का इस्तेमाल किया जा सकता है.

सर्दियों में एक हेयर पैक लगाया जा सकता है जिस से कि बाल सौफ्ट बने रह सकते हैं. इस के लिए एक केला और दूध लें. इन को मिक्सी में डाल कर बहुत अच्छे से पेस्ट बना लें. इस में एक छोटा चम्मच शहद डाल लें. इस पेस्ट को बालों पर ब्रश की सहायता से लगा लें. आधे घंटे बाद बालों को धो लें. यह बालों को मौइस्चराइज करेगा और सौफ्ट व सिल्की बनाएगा.

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आप की त्वचा की तरह आप के बाल भी मौसम की मार झेलते हैं. चिलचिलाती गरमी बालों को बेहद रूखा बना देती है तो मौनसून की नमी उन की सतह पर फंगल इन्फैक्शन के खतरे को बढ़ा देती है. इस के बाद ठंड आने पर बाल काफी कमजोर और डल से हो जाते हैं. ऐसे में आप अगर सर्दी का मौसम आने से पहले अपने बालों की केयर के लिए निम्न खास तरीके अपनाएंगी तो आप अपने बालों को स्वस्थ और खूबसूरत रख सकती हैं:

हैल्दी डाइट और सप्लिमैंट

अगर आप अंदर से स्ट्रौंग हैं, तो इस का असर आप के बालों पर साफ नजर आता है. अगर आप अपनी डाइट में हैल्दी न्यूट्रिशन लेती हैं, तो इस से आप का शरीर स्वस्थ रहेगा और त्वचा पर भी चमक नजर आएगी. इस का असर बालों पर भी दिखेगा. इस के लिए आप ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन युक्त डाइट लें, जिस में अंडे, चिकन, ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, आयरन, काजू व बादाम आदि शामिल हों. इस के अलावा आयरन व फोलिक ऐसिड के सप्लिमैंट भी ले सकती हैं. ये आप के बालों को हैल्दी रखते हैं.

अगर आप की डाइट में न्यूट्रिशन की भरपूर मात्रा न हो तो सप्लिमैंट की जरूरत होती है. अत: अपने बालों को सर्दी की मार से बचाने के लिए आप विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन और कैल्सियम के सप्लिमैंट ले सकती हैं. अगर आप बहुत ज्यादा हेयरफौल से परेशान हैं तो डर्मेटोलौजिस्ट की सलाह लें.

ब्लोड्रायर का इस्तेमाल

पतझड़ के मौसम में नमी काफी कम होती है. ऐसे में ड्रायर और हौट आयरन का इस्तेमाल बालों पर कम करें. ऐसा करने पर आप के बाल सर्दी के मौसम में ब्लोड्रायर्स के इस्तेमाल के लिए तैयार रहेंगे. बालों पर ड्रायर का ज्यादा इस्तेमाल करने से सिर की परत के रोमछिद्र खुल जाते हैं. जिस से गंदगी रोमछिद्रों से अंदर प्रवेश कर जाती है. इस से बालों की जड़ें बेहद कमजोर हो जाती हैं. अत: बालों को ड्रायर करने से पहले अगर सिर की सतह पर बालों को सौफ्ट करने वाली क्रीम लगा ली जाए तो ड्रायर से होने वाला नुकसान काफी कम हो जाएगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ऊंच नीच की दीवार: क्या हो पाई दिनेश की शादी

‘‘बाबूजी…’’

‘‘क्या बात है सुभाष?’’

‘‘दिनेश उस दलित लड़की से शादी कर रहा है,’’ सुभाष ने धीरे से कहा.

‘‘क्या कहा, दिनेश उसी दलित लड़की से शादी कर रहा है…’’ पिता भवानीराम गुस्से से आगबबूला हो उठे.

वे आगे बोले, ‘‘हमारे समाज में क्या लड़कियों की कमी है, जो वह एक दलित लड़की से शादी करने पर तुला है? अब मेरी समझ में आया कि उसे नौकरी वाली लड़की क्यों चाहिए थी.’’

‘‘यह भी सुना है कि वह दलित परिवार बहुत पैसे वाला है,’’ सुभाष ने जब यह बात कही, तब भवानीराम कुछ सोच कर बोले, ‘‘पैसे वाला हुआ तो क्या हुआ? क्या दिनेश उस के पैसे से शादी कर रहा है? कौन है वह लड़की?’’

‘‘उसी के स्कूल की कोई सरिता है?’’ सुभाष ने जवाब दिया.

‘‘देखो सुभाष, तुम अपने छोटे भाई दिनेश को समझाओ.’’

‘‘बाबूजी, मैं तो समझा चुका हूं, मगर वह तो उसी के साथ शादी करने का मन बना चुका है,’’ सुभाष ने जब यह बात कही, तब भवानीराम सोच में पड़ गए. वे दिनेश को शादी करने से कैसे रोकें? चूंकि उन के लिए यह जाति की लड़ाई है और इस लड़ाई में उन का अहं आड़े आ रहा है.

भवानीराम पिछड़े तबके के हैं और दिनेश जिस लड़की से शादी करने जा रहा है, वह दलित है, फिर चाहे वह कितनी ही अमीर क्यों न हो, मगर ऊंचनीच की यह दीवार अब भी समाज में है. सरकार द्वारा भले ही यह दीवार खत्म हो चुकी है, मगर फिर भी लोगों के दिलों में यह दीवार बनी हुई है.

दिनेश भवानीराम का छोटा बेटा है. वह सरकारी स्कूल में टीचर है. जब से उस की नौकरी लगी है, तब से उस के लिए लड़की की तलाश जारी थी. उस के लिए कई लड़कियां देखीं, मगर वह हर लड़की को खारिज करता रहा.

तब एक दिन भवानीराम ने चिल्ला कर उस से पूछा था, ‘तुझे कैसी लड़की चाहिए?’

‘मुझे नौकरी करने वाली लड़की चाहिए,’ दिनेश ने उस दिन जवाब दिया था. भवानीराम ने इस शर्त को सुन कर अपने हथियार डाल दिए थे. वे कुछ नहीं बोले थे.

जिस स्कूल में दिनेश है, वहीं पर सरिता नाम की लड़की भी काम करती है. सरिता जिस दिन इस स्कूल में आई थी, उसी दिन दिनेश से उस की आंखें चार हुई थीं. सरिता की नौकरी रिजर्व कोटे के तहत लगी थी.

सरिता उज्जैन की रहने वाली है. वहां उस के पिता का बहुत बड़ा जूतों का कारोबार है. इस के अलावा मैदा की फैक्टरी भी है. उन का लाखों रुपयों का कारोबार है.

फिर भी सरिता सरकारी नौकरी करने क्यों आई? इस ‘क्यों’ का जवाब स्टाफ के किसी शख्स ने नहीं पूछा.

सरिता को अपने पिता की जायदाद पर बहुत घमंड था. उस का रहनसहन दलित होते हुए भी ऊंचे तबके जैसा था. वह अपने स्टाफ में पिता के कारोबार की तारीफ दिल खोल कर किया करती थी. वह हरदम यह बताने की कोशिश करती थी कि नौकरी उस ने अपनी मरजी से की है. पिता तो नौकरी कराने के पक्ष में नहीं थे, मगर उस ने पिता की इच्छा के खिलाफ आवेदन भर कर यह नौकरी हासिल की.

स्टाफ में अगर कोई सरिता के पास आया, तो वह दिनेश था. ज्यादातर समय वे स्कूल में ही रहा करते थे. पहले उन में दोस्ती हुई, फिर वे एकदूसरे के ज्यादा पास आए. जब भी खाली पीरियड होता, उस समय वे दोनों स्टाफरूम में बैठ कर बातें करते रहते.

शुरूशुरू में तो वे दोस्त की तरह रहे, मगर उन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला. स्टाफरूम के अलावा वे बगीचे और रैस्टोरैंट में

भी मिलने लगे, भविष्य की योजनाएं बनाने लगे.

ऐसे ही रोमांस करते 2 साल गुजर गए. उन्होंने फैसला कर लिया कि अब वे शादी करेंगे, इसलिए सरिता ने पूछा था, ‘हम कब शादी करेंगे?’

‘तुम अपने पिताजी को मना लो, मैं अपने पिताजी को,’ दिनेश ने जवाब दिया.

‘मेरे पिताजी ने तो अपने समाज में लड़के देख लिए हैं और उन्होंने कहा भी है कि आ कर लड़का पसंद कर लो. मैं ने मना कर दिया कि मैं अपने ही स्टाफ में दिनेश से शादी करूंगी,’ सरिता बोली.

‘फिर पिताजी ने क्या कहा?’ दिनेश ने पूछा.

‘उन्होंने तो हां कर दी…’ सरिता ने कहा, ‘तुम्हारे पिताजी क्या कहते हैं?’

‘पहले मैं बड़े भैया से बात करता हूं,’ दिनेश ने कहा.

‘हां कर लो, ताकि मेरे पिताजी शादी की तैयारी कर लें,’ कह कर सरिता ने गेंद दिनेश के पाले में फेंक दी. मगर दिनेश कैसे अपने पिता से कहे. उस ने अपने बड़े भाई सुभाष से बात करनी चाही, तो सुभाष बोला, ‘तुम समझते हो कि बाबूजी इस शादी के लिए तैयार हो जाएंगे?’

‘आप को तैयार करना पड़ेगा,’ दिनेश ने जोर देते हुए कहा.

‘अगर बाबूजी नहीं माने, तब तुम अपना इरादा बदल लोगे?’

‘नहीं भैया, इरादा तो नहीं बदलूंगा. अगर वे नहीं मानते हैं, तो शादी करने का दूसरा तरीका भी है,’ कह कर दिनेश ने अपने इरादे साफ कर दिए.

मगर सुभाष ने जब पिताजी से बात की, तब उन्होंने मना कर दिया. अब सवाल यह है कि कैसे शादी हो? सुभाष भी इस बात से परेशान है. एक तरफ पिता?हैं, तो दूसरी तरफ छोटा भाई. इन दोनों के बीच में उस का मरना तय है.

बाबूजी का अहं इस शादी में आड़े आ रहा है. इन दोनों के बीच में सुभाष पिस रहा?है. ऐसा भी नहीं है कि दोनों नाबालिग हैं. शादी के लिए कानून भी उन पर लागू नहीं होता है.

एक बार फिर बाबूजी का मन टटोलते हुए सुभाष ने पूछा, ‘‘बाबूजी, आप ने क्या सोचा है?’’

भवानीराम के चेहरे पर गुस्से की रेखा उभरी. कुछ पल तक वे कोई जवाब नहीं दे पाए, फिर बोले, ‘‘अब क्या सोचना है… जब उस ने उस दलित लड़की से शादी करने का मन बना ही लिया है, तब उस के साथ शादी करने की इजाजत देता हूं? मगर मेरी एक शर्त है.’’

‘‘कौन सी शर्त बाबूजी?’’ कहते समय सुभाष की आंखें थोड़ी चमक उठीं.

‘‘न तो मैं उस की शादी में जाऊंगा और न ही उस दलित लड़की को बहू स्वीकार करूंगा और मेरे जीतेजी वह इस घर में कदम नहीं रखेगी. आज से मैं दिनेश को आजाद करता हूं,’’ कह कर बाबूजी की सांस फूल गई.

बाबूजी की यह शर्त भविष्य में क्या गुल खिलाएगी, यह तो बाद में पता चलेगा, मगर यह बात तय है कि परिवार में दरार जरूर पैदा होगी.

जब से अम्मां गुजरी हैं, तब से बाबूजी बहुत टूट चुके हैं. अब कितना और टूटेंगे, यह भविष्य बताएगा. उन की इच्छा थी कि दिनेश शादी कर ले तो एक और बहू आ जाए, ताकि बड़ी बहू को काम से राहत मिले, मगर दिनेश ने दलित लड़की से शादी करने का फैसला कर बाबूजी के गणित को गड़बड़ा दिया है.

उन्होंने अपनी शर्त के साथ दिनेश को खुला छोड़ दिया. उन की यह शर्त कब तक चल पाएगी, यह नहीं कहा जा सकता है.

मगर शादी की सारी जिम्मेदारी सरिता के बाबूजी ने उठा ली.

Rakul Preet Singh इस दिन बॉयफ्रेंड संग लेंगी सात फेरे ! सामने आई शादी की सारी डिटेल

Rakul Preet-Jackky Bhagnani Marriage : साल 2023 में जहां कई बॉलीवुड सेलेब्स शादी के बंधन में बंधे हैं. तो वहीं वर्ष 2024 में भी कई अभिनेता-अभिनेत्री सात फेरे लेने वाले हैं. जनवरी 2024 में जहां आमिर खान की बेटी इरा खान अपने बॉयफ्रेंड नुपुर शिखरे संग सात फेरे लेंगी. तो वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह भी अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड जैकी भगनानी संग शादी करने वाली हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिनेत्री रकुल और अभिनेता जैकी इसी साल फरवरी के महीने में सात फेरे लेंगे. हालांकि दोनों की शादी की खबर को लेकर अभी आधिकारिक पुष्टी नहीं हुई है.

 

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फरवरी में होगी शादी

आपको बता दें कि, रकुल प्रीत सिंह और जैकी भगनानी (Rakul Preet-Jackky Bhagnani Marriage) 22 फरवरी को शादी के बंधन में बंधेगे. दोनों अपने परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में गोवा में सात फेरे लेंगे. कहा जा रहा है कि स्टार्स अपनी शादी को बहुत ज्यादा प्राइवेट रखना चाहते हैं. इसलिए वह इसकी आधिकारिक घोषणा भी नहीं करेंगे.

हालांकि इससे पहले भी दोनों की शादी की खबरों को लेकर रूमर्स उड़ी थी. कहा जा रहा था कि पिछले साल ही दोनों शादी करेंगे. लेकिन बाद में एक्ट्रेस ने इससे इनकार कर दिया था.

बैचलर पार्टी एंजॉय कर रहे हैं जैकी

इसके अलावा कहा तो ये भी जा रहा है कि इस वक्त एक्टर जैकी भगनानी (Jackky Bhagnani) अपनी बैचलर पार्टी एंजॉय कर रहे हैं. वहीं एक्ट्रेस रकुल, (Rakul Preet) फिल्मों से ब्रेक लेकर थाईलैंड में अपना क्वालिटी टाइम एन्जॉय कर रही हैं.

 

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रकुल-जैकी का वर्क फ्रंट

आपको बताते चलें कि, एकट्रेस रकुल, (Rakul Preet) एक्टर कमल हासन के साथ फिल्म इंडियन 2 में नजर आएंगी, जिसमें कमल एक वृद्ध स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका निभाएंगे. जो भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का फैसला करते है. तो वहीं दूसरी तरफ जैकी (Jackky Bhagnani) के प्रोडक्शन तले बनी फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ रिलीज होने को पूरी तरह से तैयार है. जो इसी साल ईद के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

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