मिलन: जयति के सच छिपाने की क्या थी मंशा

Family Story in hindi

हेयर रिमूवल क्रीम के हैं कई साइड इफेक्‍ट्स, पढ़ें खबर

मार्केट में इन दिनों ढ़ेर सारी हेयर रिमूवल क्रीम्‍स अवेलेबल हैं, जिनके प्रचार धड़ल्‍ले से टीवी पर आते रहते हैं. हर एक कंपनी अलग कंपनियों से बेहतर होने का दावा करती हैं, पर अगर त्वचा विशेषज्ञ की मानें तो त्‍वचा पर इसके ढ़ेर सारे साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं.

उनका कहना है कि हेयर रिमूवल क्रीम खरीदने से पहले हमेशा एक पैच टेस्‍ट कर के देखना चाहिये कि कहीं त्‍वचा को तकलीफ तो नहीं हो रही है.

कैसे काम करती है हेयर रिमूवल क्रीम

बालों को हटाने वाली क्रीम, त्वचा में मौजूद प्रोटीन को तोड़ देती है. इससे बालों की जड़ें कमजोर हो कर आसानी से निकल आती हैं, लेकिन इससे भी त्‍वचा पर असर होता है. तभी तो त्‍वचा में जलन और खुजली होने लगती है.

हेयर रिमूवल क्रीम के साइड इफेक्‍ट

हेयर रिमूवल क्रीम में कैमिकल मौजूद होने की वजह से त्‍वचा में जलन होती है. यदि इसे चेहरे, प्राइवेट एरिया और संवेदनशील त्‍वचा पर लगाया गया तो, हो सकता है कि आपको रियेएक्‍शन भी हो जाए.

क्या होगा अगर ज्‍यादा देर इस क्रीम को त्‍वचा पर लगे रहने दिया तो

ऐसा करने से त्‍वचा में जलन, खुजली, सूजन या लाल रंग के रैश भी पड़ सकते हैं. यह ज्‍यादातर संवेदनशील त्‍वचा वालों को ही नुकसान पहुंचाती

क्‍या इससे त्‍वचा का रंग काला पड़ सकता है लगातार

हेयर रिमूवल क्रीम के प्रयोग से त्‍वचा का रंग काला भी पड़ सकता है.

क्‍या इसकी वजह से हेयर ग्रोथ ज्‍यादा होने लगती है

जी हां, इसके प्रयोग से बालों की ग्रोथ बढ़ती तो है ही साथ में बाल पहले से भी ज्‍यादा मोटे आना शुरु हो जाते हैं.

हेयर रिमूवल क्रीम का प्रयोग कितनी बार करना सही है

हर इंसान की बालों की ग्रोथ अलग अलग होती है, इसलिये इसकी जरुरत भी अलग ही होनी चाहिये. कई लोगों को हर हफ्ते ही इसकी आवश्‍यकता पड़ती है तो कुछ को महीने के केवल एक बार. अगर आप इसे बार बार यूज करेंगी तो आपकी स्‍किन जल सकती है.

मेरी शादी को 8 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है. मेरी शादी को 8 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. मुझे धूम्रपान की भी आदत है. क्या कोई तरीका है, जिस से मैं मां बन सकूं?

जवाब-

इस उम्र में कंसीव करने में समस्या आना आम बात है, लेकिन इस का सब से बड़ा कारण धूम्रपान है. यदि आप मां बनना चाहती हैं तो धूम्रपान को पूरी तरह छोड़ना होगा. यदि आप के पति भी स्मोकिंग करते हैं, तो उन्हें भी इस आदत को छोड़ने के लिए कहें. आप की उम्र अधिक है, इसलिए जल्दी गर्भधारण करना जरूरी है, वरना वक्त के साथ समस्या और बढ़ सकती है. इस के लिए पहले आप किसी डाक्टर से परामर्श लें. यदि इलाज से फायदा न हो तो आप आईवीएफ ट्रीटमैंट की मदद ले सकती हैं.

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आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से हर साल हजारों बच्चे जन्म लेते हैं. जो महिलाएं बांझपन जैसी समस्या से जूझ रही हैं उन के लिए आईवीएफ प्रक्रिया की यह जानकारी काफी फायदेमंद हो सकती है:

पहला चरण: मासिकधर्म के दूसरे दिन आप के ब्लड टैस्ट एवं अल्ट्रासाउंड के माध्यम से आप के अंडाशय की जांच होती है. फिर यह अल्ट्रासाउंड सुनिश्चित करता है कि आप को कितनी मात्रा में स्टिम्युलेशन दवा दी जानी चाहिए. मासिकधर्म के दौरान डाक्टर जांच के तहत हो रही प्रक्रिया पर निगरानी करते हैं. फिर जांच के बाद आप के फौलिकल्स यानी रोम को मौनिटर करते हैं. जैसे ही आप का रोम एक निश्चित आकार में पहुंच जाता है तो फिर आप उसे रोज मौनिटर कर सकते हैं. मौनिटरिंग के बाद आप को दूसरी दवा दी जाती है, जो ट्रिगर शौट के रूप में जानी जाती है.

घर की बची नमकीन से बनाएं स्वादिष्ट मसाला समोसा

हमारे घरों में चाय नाश्ते के साथ अक्सर नमकीन खाई जाती है इनमें विविध प्रकार के सेव, आलू भुजिया, मूंगफली  और मिक्सचर शामिल होता है. बाजार से इन्हें लाने के बाद कुछ दिनों तक तो घर के सभी सदस्य बड़े स्वाद से खाते हैं परन्तु कुछ समय बाद नए नमकीन के आ जाने या दूसरा कुछ नाश्ता बन जाने पर घर के सदस्य इन्हें खाना बंद कर देते हैं. यही नहीं अक्सर घरों में भांति भांति की जरा जरा सी नमकीन और मिक्सचर डिब्बों की तली में पड़ी रह जाती है. इतने महंगे दामों पर मिलने वाली इन नमकीनों को फेंकने का भी मन नहीं करता. आज हम घर की इन्हीं बची नमकीनों से स्वादिष्ट समोसे बनाना बताएगें. इन्हें आप किसी पर्व या अवसर पर पहले से बनाकर रख सकतीं हैं क्योंकि ये 10-12 दिन तक खराब नहीं होते. होली आने वाली है तो आप इन्हें ट्राई कर सकतीं हैं.

कितने लोंगों के लिए         12

बनने में लगने वाला समय   30 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

मैदा                          1 कप

गेहूं का आटा              1/2 कप

नीबू का रस                1 टीस्पून

नमक                         1/2 टीस्पून

अजवाइन                    1/4 टीस्पून

मोयन के लिये तेल         1 टेबलस्पून

तलने के लिए पर्याप्त मात्रा में तेल

सामग्री (भरावन के लिए)

आलू भुजिया              4 टेबलस्पून

मिक्सचर                     2 टेबलस्पून

सेंव                             2 टेबलस्पून

रोस्टेड मूंगफली            2 टेबलस्पून

काजू                           2 टेबलस्पून

किशमिश                     1 टेबलस्पून

चाट मसाला                  1/4 टीस्पून

सौंफ पाउडर                 1/4 टीस्पून

शेजवान सॉस (ऐच्छिक) 1 टीस्पून

विधि

मैदा में गेंहू का आटा, मोयन, नीबू का रस, अजवाइन और नमक मिलाकर पानी की सहायता से कड़ा गूंथकर आधे घण्टे के लिए सूती कपड़े से ढककर रख दें.

अब भरावन के लिए आलू भुजिया, मिक्सचर, सेंव, मूंगफली और काजू को मिक्सी में दरदरा पीस लें. ध्यान रखें कि मिश्रण एकदम पाउडर न हो जाये. इसे एक बाउल में निकालकर चाट मसाला, सौंफ पाउडर, किशमिश और शेजवान सॉस मिलाएं. तैयार मिश्रण से रोटी की लोई से छोटे बॉल्स तैयार करें. अब थोड़ी मैदा लेकर चकले पर बड़ी सी रोटी बनाएं. चाकू की सहायता से काजू कतली जैसे टुकड़े काटकर अलग कर लें. इन कटे टुकड़ों पर चारों ओर ब्रश या चम्मच से पानी लगाएं. बीच में मिश्रण की बॉल रखकर ऊपरी

सतह को फोल्ड करके दोनों कोनों को मिलाकर चारों ओर से उंगली से दबा दें ताकि किनारे चिपक जाएं. कांटे से किनारों को हल्का सा दबा दें. इसी प्रकार सारे समोसे तैयार करें. मध्यम गर्म तेल में मंदी आंच पर इन्हें सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल कर एयरटाइट जार में भरें और इच्छानुसार प्रयोग करें.

सप्ताह का एक दिन: रिचा की क्या थी गलती

अजय अभी भी अपनी बात पर अडिग थे, ‘‘नहीं शोभा, नहीं… जब बेटी के पास हमारे लिए एक दिन का भी समय नहीं है तब यहां रुकना व्यर्थ है. मैं क्यों अपनी कीमती छुट्टियां यहां रह कर बरबाद करूं…और फिर रह तो लिए महीना भर.’’

‘‘पर…’’ शोभा अभी भी असमंजस में ही थीं.

‘‘हम लोग पूरे 2 महीने के लिए आए हैं, इतनी मुश्किल से तो आप की छुट्टियां मंजूर हो पाई हैं, फिर आप जल्दी जाने की बात कहोगे तो रिचा नाराज होगी.’’

‘‘रिचा…रिचा…अरे, उसे हमारी परवा कहां है. हफ्ते का एक दिन भी तो नहीं है उस के पास हमारे लिए, फिर हम अभी जाएं या महीने भर बाद, उसे क्या फर्क पड़ता है.’’

अजय फिर बिफर पड़े थे. शोभा खामोश थीं. पति के मर्म की चोट को वह भी महसूस कर रही थीं. अजय क्या, वह स्वयं भी तो इसी पीड़ा से गुजर रही थीं.

अजय को तो उस समय भी गुस्सा आया था जब फोन पर ही रिचा ने खबर दी थी, ‘‘ममा, जल्दी यहां आओ, आप को सौरभ से मिलवाना है. सच, आप लोग भी उसे बहुत पसंद करेंगे. सौरभ मेरे साथ ही माइक्रोसौफ्ट में कंप्यूटर इंजीनियर है. डैशिंग पर्सनैलिटी, प्लीजिंग बिहेवियर…’’ और भी पता नहीं क्याक्या कहे जा रही थी रिचा.

अजय का पारा चढ़ने लगा, फोन रखते ही बिगड़े थे, ‘‘अरे, बेटी को पढ़ने भेजा है. वह वहां एम.एस. करने गई है या अपना घर बसाने. दामाद तो हम भी यहां ढूंढ़ लेंगे, भारत में क्या अच्छे लड़कों की कमी है, कितने रिश्ते आ रहे हैं. फिर हमारी इकलौती लाड़ली बेटी, हम कौन सी कमी रहने देंगे.’’

बड़ी मुश्किल से शोभा अजय को कुछ शांत कर पाई थीं, ‘‘आप गुस्सा थूक दीजिए…देखिए, पसंद तो बेटी को ही करना होगा, तो फिर यहां या वहां क्या फर्क पड़ता है. अब हमें बुला रही है तो ठीक है, हम भी देख लेंगे.’’

‘‘अरे, हमें तो वहां जा कर बस, उस की पसंद पर मुहर लगानी है. उसे हमारी पसंद से क्या लेनादेना. हम तो अब कुछ कह ही नहीं सकते हैं,’’ अजय कहे जा रहे थे.

बाद में रिचा के और 2-3 फोन आए थे. बेमन से ही सही पर जाने का प्रोग्राम बना. अजय को बैंक से छुट्टी मंजूर करानी थी, पासपोर्ट, वीजा बनना था, 2 महीने तो इसी में लग गए…अब इतनी दूर जा रहे हैं, खर्चा भी है तो कुछ दिन तो रहें, यही सब सोच कर 2 महीने रुकने का प्रोग्राम बनाया था.

पर यहां आ कर तो महीना भर काटना भी अजय को मुश्किल लगने लगा था. रिचा का छोटा सा एक कमरे का अपार्टमेंट. गाड़ी यहां अजय चला नहीं सकते थे, बेटी ही कहीं ले जाए तो जाओ…थोड़ेबहुत बस के रूट पता किए पर अनजाने देश में सभी कुछ इतना आसान नहीं था.

फिर सब से बड़ी बात तो यह कि रिचा के पास समय नहीं था. सप्ताह के 5 दिन तो उस की व्यस्तता के होते ही थे. सुबह 7 बजे घर से निकलती तो लौटने में रात के 8 साढे़ 8 बजते. दिन भर अजय और शोभा अपार्टमेंट में अकेले रहते. बड़ी उत्सुकता से वीक एंड का इंतजार रहता…पर शनिवार, इतवार को भी रिचा का सौरभ के साथ कहीं जाने का कार्यक्रम बन जाता. 1-2 बार ये लोग भी उन के साथ गए पर फिर अटपटा सा लगता. जवान बच्चों के बीच क्या बात करें…इसलिए अब खुद ही टाल जाते, सोचते, बेटी स्वयं ही कुछ कहे पर रिचा भी तो आराम से सौरभ के साथ निकल जाती.

‘‘सबकुछ तो बेटी ने तय कर ही लिया है. बस, हमारी पसंद का ठप्पा लगवाना था उसे, पर बुलाया क्यों था हमें जब सप्ताह का एक दिन भी उस के पास हमारे लिए नहीं है,’’ अजय का यह दर्द शोभा भी महसूस कर रही थीं, पर क्या कहें?

अजय ने तो अपना टिकट जल्दी का करवा लिया था. 1 ही सीट खाली थी. कह दिया रिचा से कि बैंक ने छुट्टियां कैंसल कर दी हैं.

‘‘मां, तुम तो रुक जातीं, ठीक है, पापा महीना भर रह ही लिए, छुट्टियां नहीं हैं, और अभी फिलहाल तो सीट भी 1 ही मिल पाई है.’’

शोभा ने चुपचाप अजय की ओर देखा था.

‘‘भई, तुम्हारी तुम जानो, जब तक चाहो बेटी के पास रहो, जब मन भर जाए तो चली आना.’’

अजय की बातों में छिपा व्यंग्य भी वह ताड़ गई थीं, पर क्या कहतीं, मन में जरूर यह विचार उठा था कि ठीक है रिचा ने पसंद कर लिया है सौरभ को, पर वह भी तो अच्छी तरह परख लें, अभी तो ठीक से बात भी नहीं हो पाई है और फिर उस के इस व्यवहार से अजय को चोट पहुंची है. यह भी तो समझाना होगा बेटी को.

अजय तीसरे दिन चले गए थे.

अब और अकेलापन था…बेटी की तो वही दिनचर्या थी. क्या करें…इधर सुबह टहलने का प्रोग्राम बनाया तो सर्दी, जुकाम, खांसी सब…

जब 2-3 दिन खांसते हो गए तो रिचा ने ही उस दिन सुबहसुबह मां से कह दिया, जब वह चाय बना रही थीं, ‘‘अरे, आप की खांसी ठीक नहीं हो रही है, पास ही डा. डेनियल का नर्सिंग होम है, वहां दिखा दूं आप को…’’

‘‘अरे, नहीं,’’ शोभा ने चाय का कप उठाते हुए कहा, ‘‘खांसी ही तो है. गरम पानी लूंगी, अदरक की चाय तो ले ही रही हूं. वैसे मेरे पास कुछ दवाइयां भी हैं, अब यहां तो क्या है, हर छोटीमोटी बीमारी के लिए ढेर से टेस्ट लिख देते हैं.’’

‘‘नहीं मां, डा. डेनियल ऐसे नहीं हैं. मैं उन से दवा ले चुकी हूं. एक बार पैर में एलर्जी हुई थी न तब…बिना बात में टेस्ट नहीं लिखेंगे, और उन की पत्नी एनी भी मुझे जानती हैं, अभी मेरे पास टाइम है, आप को वहां छोड़ दूं. वैसे क्लिनिक पास ही है. आप पैदल ही वापस आ जाना, घूमना भी हो जाएगा.’’

रिचा ने यह सब इतना जोर दे कर कहा था कि शोभा को जाना ही पड़ा.

डा. डेनियल का क्लिनिक पास ही था… सुबह से ही काफी लोग रिसेप्शन में जमा थे. नर्स बारीबारी से सब को बुला रही थी.

यहां सभी चीजें एकदम साफसुथरी करीने से लगी हुई लगती है और लोग कितने अनुशासन में रहते हैं.

शोभा की विचार शृंखला शुरू हो गई थी, उधर रिचा कहे जा रही थी, ‘‘मां, डा. डेनियल ने अपनी नर्स से विवाह कर लिया था और अस्पताल तो वही संभाल रही हैं, किसी डाक्टर से कम नहीं हैं, अभी पहले डा. डेनियल की मां आप का बायोडाटा लेंगी…75 से कम उम्र क्या होगी, पर सारा सेके्रटरी का काम वही करती हैं.’’

‘‘अपने बेटे के साथ ही रहती होंगी,’’ शोभा ने पूछा.

‘‘नहीं, रहती तो अलग हैं. असल में बहू से उन की बनती नहीं है, बोलचाल तक नहीं है पर बेटे को भी नहीं छोड़ पाती हैं, तो यहां काम करती हैं.’’

शोभा को रिचा की बातें कुछ अटपटी सी लगने लगी थीं. उधर नर्स ने अब शोभा का ही नाम पुकारा था.

‘‘अच्छा, मां, मैं अब चलूं, आप अपनी दवा ले कर चली जाना, रास्ता तो देख ही लिया है न, बस 5 मिनट पैदल का रास्ता है, यह रही कमरे की चाबी,’’ कह कर रिचा तेजी से निकल गई थी.

नर्स ने शोभा को अंदर जाने का इशारा किया.

अंदर कमरे में बड़ी सी मेज पर कंप्यूटर के सामने डा. मिसेज जौन बैठी थीं.

‘‘हाय, हाउ आर यू,’’ वही चिर- परिचित अंदाज इस देश का अभिवादन करने का.

‘‘सो, मिसेज शोभा प्रसाद…व्हाट इज योर प्रौब्लम…’’ और इसी के साथ मिसेज जौन की उंगलियां खटाखट कंप्यूटर पर चलने लगी थीं.

शोभा धीरेधीरे सब बताती रहीं, पर वह भी अभिभूत थीं, इस उम्र में भी मिसेज जौन बनावशृंगार की कम शौकीन नहीं थीं. करीने से कटे बाल, होंठों पर लाल गहरी लिपस्टिक, आंखों में काजल, चुस्त जींस और जैकेट.

हालांकि उन के चेहरे से उम्र का स्पष्ट बोध हो रहा था, हाथ की उंगलियां तक कुछ टेढ़ी हो गई थीं, क्या पता अर्थराइटिस रहा हो. फिर भी कितनी चुस्ती से सारा काम कर रही थीं.

‘‘अब आप उधर जाओ…

डा. डेनियल देखेंगे आप को.’’

शोभा सोच रही थीं कि मां हो कर भी यह महिला यहां बस, जौब के एटीकेट्स की तरह  ही व्यवहार कर रही हैं…कहीं से पता नहीं चल रहा है कि     डा. डेनियल उसी के बेटे हैं.

डा. डेनियल की उम्र भी 50-55 से कम क्या होगी…लग भी रहे थे, एनी भी उसी उम्र के आसपास होगी…पर वह काफी चुस्त लग रही थी और उस की उम्र का एहसास नहीं हो रहा था. बनावशृंगार तो खैर यहां की परंपरा है.

‘‘यू आर रिचाज मदर?’’ डा. डेनियल ने देखते ही पूछा था.

शायद रिचा ने फोन कर दिया होगा.

खैर, उन्होंने कुछ दवाइयां लिख दीं और कहा, ‘‘आप इन्हें लें, फिर फ्राइडे को और दिखा दें…आप को रिलीफ हो जाना चाहिए, नहीं तो फिर मैं और देख लूंगा.’’

‘‘ओके, डाक्टर.’’

शोभा ने राहत की सांस ली. चलो, जल्दी छूटे. दवाइयां भी बाहर फार्मेसी से मिल गई थीं. पैदल घर लौटने से घूमना भी हो गया. दिन में कई बार फिर मिसेज जौन का ध्यान आता कि वह भी तो मां हैं पर रिचा ने कैसे इतनी मैकेनिकल लाइफ से अपनेआप को एडजस्ट कर लिया है. वहां देख कर तो लगता ही नहीं है कि मां की बेटेबहू से कोई बात भी होती होगी. रिचा भी कह रही थी कि मां अकेली हैं, अलग रहती हैं. अपने टाइम पर आती हैं, कमरा खोलती हैं, काम करती हैं.

पता नहीं, शायद इन लोगों की मानसिकता ही अलग हो.

जैसे दर्द इन्हें छू नहीं पाता हो, तभी तो इतनी मुस्तैदी से काम कर लेते हैं.

शोभा को फिर रिचा का ध्यान आया. इस वीक एंड में वह बेटी से भी खुल कर बात करेंगी. भारत जाने से पहले सारी मन की व्यथा उड़ेल देना जरूरी है. वह थोड़े ही मिसेज जौन की तरह हो सकती हैं.

वैसे डा. डेनियल की दवा से खांसी में काफी फायदा हो गया था. फिर भी रिचा ने कहा, ‘‘मां, आप एक बार और दिखा देना…चाहो तो इन दवाओं को और कंटीन्यू करा लेना.’’

वह भी सोच रही थीं कि फ्राइडे को जा कर डाक्टर को धन्यवाद तो दे ही दूं. पैदल घूमना भी हो जाएगा.

सब से रहस्यमय व्यक्तित्व तो उन्हें मिसेज जौन का लगा था. इसलिए उन से भी एक बार और मिलने की इच्छा हुई थी…आज अपेक्षाकृ त कम भीड़ थी, नर्स ने बताया कि आज एनी भी नहीं आई हैं, डाक्टर अकेले ही हैं,…

‘‘क्यों…’’

‘‘एनी छुट्टी रखती हैं न फ्राइडे को.’’

‘‘अच्छा, पर सेक्रेटरी,’’

‘‘हां, आप इधर चली जाओ, पर जरा ठहरो, मैं देख लूं.’’

मिसेज जौन के कमरे के बाहर अब शोभा के भी पैर रुक गए थे. शायद वह फोन पर बेटे से ही बात कर रही थीं.

‘‘पर डैनी…पहले ब्रेकफास्ट कर लो फिर देखना पेशेंट को…यस, मैं ने मफी बनाए थे…लाई हूं और यहां काफी भी बना ली है…यस कम सून…ओके.’’

‘‘आप जाइए…’’

नर्स ने कहा तो शोभा अंदर गईं… वास्तव में आज मिसेज जौन काफी अच्छी लग रही थीं…आज जौन वाला एटीट्यूड भी नहीं था उन का.

‘‘हलो, मिसेज शोभा, यू आर ओके नाउ,’’ चेहरे पर मुसकान फैल गई थी मिसेज जौन के.

‘‘यस…आय एम फाइन…’’ डाक्टर साहब ने अच्छी दवाइयां दीं.’’

‘‘ओके, ही इज कमिंग हिअर… यहीं आप को देख लेंगे. आप काफी लेंगी,’’ मिसेज जौन ने सामने रखे कप की ओर इशारा किया.

‘‘नो, थैंक्स, अभी ब्रेकफ ास्ट कर के ही आई हूं.’’

शोभा को आज मिसेज जौन काफी बदली हुई और मिलनसार महिला लगीं.

‘‘यू आर आलसो लुकिंग वेरी चियरफुल टुडे,’’ वह अपने को कहने से रोक नहीं पाई थीं.

‘‘ओह, थैंक्स…’’

मिसेज जौन भी खुल कर हंसी थीं.

‘‘बिकौज टुडे इज फ्राइडे…दिस इज माइ डे, मेरा बेटा आज मेरे पास होगा, हम लोग नाश्ता करेंगे, आज एनी नहीं है इसलिए, यू नो मिसेज शोभा, वीक का यही एक दिन तो मेरा होता है. दिस इज माई डे ओनली डे इन दी फुल वीक,’’ मिसेज जौन कहे जा रही थीं और शोभा अभिभूत सी उन के चेहरे पर आई चमक को देख रही थीं.

शब्द अभी भी कानों में गूंज रहे थे …ओनली वन डे इन ए वीक…

फिर अजय याद आए, बेटी के पास सप्ताह भर में एक दिन भी नहीं है हमारे लिए …अजय का दर्द भरा स्वर…और आज उसे लगा, मानसिकता कहीं भी अलग नहीं है.

वही मांबाप का हृदय…वही आकांक्षा फिर अलग…कहां हैं हम लोग.

ओनली डे इन ए वीक…वाक्य फिर ठकठक कर दिमाग पर चोट करने लगा था.

संविधान की 15 संस्थापक महिलाओं के सम्मान में पिक्चर पोस्टकार्ड्स रिलीज़ हुए

भारत के संविधान को निर्वाचित संविधान सभा द्वारा आकार दिया गया था। इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह वर्ष भारत के संविधान को अपनाने का 75 वां वर्ष है. कर्नाटक पोस्टल सर्कल संविधान सभा की उन 15 महिला सदस्यों के योगदान को पहचान देना चाहता है जो इसके निर्माण का हिस्सा थीं. 8 मार्च 2024 को सुबह 10.30 बजे बेंगलुरु जीपीओ में महिला दिवस के अवसर पर हमारे संविधान की इन संस्थापक माताओं पर क्यूआर कोड के साथ 15 पिक्चर पोस्टकार्ड का एक सेट जारी किया गया.
हालाँकि 389 सदस्यों वाली संविधान सभा में महिलाएँ केवल 3.85% थीं. फिर भी उन का गुणात्मक योगदान सराहनीय रहा है. वे अलग अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से थीं. उनमें से चार उत्तर प्रदेश से थीं, तीन केरल से और एक-एक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश), पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, हरियाणा और पंजाब से थीं. अम्मू स्वामीनाथन, दक्षिणायनी वेलायुधन, बेगम ऐज़ाज़ रसूल, दुर्गाबाई देशमुख, हंसा जीवराज मेहता, कमला चौधरी, लीला रॉय, मालती चौधरी, पूर्णिमा बनर्जी, राजकुमारी अमृत कौर, रेणुका रे, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, विजलक्षमी पंडित और एनी मैस्करीन को संविधान की पंद्रह ‘संस्थापक माताओं’ के रूप में माना जाता है.
क्यूआर कोड के साथ 15 पिक्चर पोस्टकार्ड का सेट रिलीज के बाद फिलाटेलिक ब्यूरो, बीजी जीपीओ और बाद में अन्य सभी फिलाटेलिक ब्यूरो में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा.

बच्चों का दिमाग करना है तेज, तो खिलाएं ये ड्राई फ्रूट्स

एग्जाम आते ही बच्चों का टेंशन बढ़ जाता है, जिससे पेरेंट्स के लिए भी ये टाइम मुश्किल भरा होता है. पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का सेहत भी जरूरी है. अगर आपका बच्चा स्वस्थ रहेगा तभी एग्जाम के स्ट्रेस को भी मात दे पाएगा. ऐसे में आपको बताएंगे कि बच्चे को ज्यादा न्यूट्रिशन कैसे दें और ब्रेन पावर को कैसे बूस्ट करें.

बोर्ड एग्जाम हो या कंपटीशन की तैयारी, आप बच्चों की डाइट में ड्राईफ्रूट्स जरूर शामिल करें, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, डो ब्रेन को बूस्ट करता है और मेमोरी पावर को बढ़ाता है. इसे खाने से आपके बच्चे की एनर्जी बढ़ेगी, जिससे दिमाग भी स्वस्थ रहेगा. बच्चे की डाइट में आलमंड, पिस्ता, काजू, अखरोट दें, आप इन ड्राई फ्रूट्स का शेक बनाकर भी बच्चे को पिला सकते हैं.

NutPhat की फाउंडर और सीईओ, श्रुति का भी कहना है कि जब वह बड़ी हो रही थी तब उनकी माँ भी रोज उन्हें ड्राई फ्रूट्स खाने के लिए देती थीं. इससे उनको पढ़ाई करने में एनर्जी और स्टडी में कंसन्ट्रेट करने में मदद मिलती थी. उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की और डायरेक्टर गोल्ड मेडल भी जीता.

मिलावटी ड्राईफ्रूट्स से रहें सावधान

ड्राई फ्रूट्स का चुनाव सावधानी से करें, क्योंकि इन दिनों मिलावट बहुत अधिक होती है. लूज ड्राई फ्रूट्स में धूल, गंदगी और फॉरेन पार्टिकल्स होते हैं. सभी पैक किए गए ड्राई फ्रूट्स सेफ नहीं होते हैं, क्योंकि सिंगल या डबल लेयर पैकेजिंग से नट्स में बदबू आ सकती है और उनका क्रिस्पीनेस भी चला जाता है. यहां तक कि फफूंद पड़ने के कारण खराब भी हो सकते हैं. इसलिए हमेशा ब्रांडेड ड्राईफ्रूट्स चुनें, जो अंदर से नट्स की क्वालिटी और न्यूट्रिशन को बनाए रखते हैं. बच्चों के भविष्य के लिए, सस्ती चीज और अच्छी चीज के बीच के क्वालिटी के फर्क को समझकर निर्णय लेना चाहिए.

NutPhat ड्राईफ्रूट की बेस्ट बात:

NutPhat ड्राईफ्रूट की बेस्ट बात यह है कि यह मंथली बजट में फिट होने के साथ-साथ प्रीमियम क्वालिटी में भी मिल रहा है आपको.

• “नो टच” का मतलब यह है कि बिना छुए हाई स्टैंडर्ड हाइजीन मेंटेन करके प्रोसेस एंड पैक किया जाता है.

• NutPhat ड्राईफ्रूट ट्राई लेयर पैक में मिलता है. इसका इनर सिल्वर लेयर फ्रेशनेस और न्यूट्रिशन को बरकरार रखता है.

• जिपर पैक रखे NutPhat ड्राईफ्रूट को लंबे समय तक फ्रेश और स्वीट.

• NutPhat गिरी बादाम में भरपूर मात्रा में नेचुरल एसेंशियल ऑयल हैं, जो कि लोकल मार्केट में मिलने वाले आलमंड में नहीं हैं.

• NutPhat काजू मैंगलोर वैरायटी काजू है. यह स्वाद में मीठे और बड़े आकार में होते हैं, जो बच्चों को पसंद आते हैं. NutPhat घर पर लाएं और पूरे परिवार को हेल्दी बनाए झटपट.

रोशनी वालिया खूबसूरती और ग्लैमर का कौकटेल

टैलीविजन की चाइल्ड आर्टिस्ट रोशनी वालिया अब काफी बड़ी हो गई हैं. बचपन में अपनी क्यूटनैस से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली रोशनी वालिया को उन की ग्लैमरस तसवीरों में पहचान पाना मुश्किल है.

टैलीविजन के मशहूर ऐतिहासिक शो ‘महाराणा प्रताप’ में प्रिंसेज अब्दे का किरदार फेम पाने वाली रोशनी वालिया अब काफी बड़ी हो गई हैं और ट्रांसफौर्मेशन के बाद काफी खूबसूरत दिखती हैं. बचपन में अपनी क्यूटनैस से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली रोशनी वालिया ने सोशल मीडिया पर अपनी ताजा तस्वीरें शेयर की हैं जो तेजी से वाइरल हो रही हैं.

23 वर्षीय रोशनी ने अपने कैरियर की शुरुआत टैलीविजन विज्ञापनों से की. इस के बाद ‘मैं लक्ष्मी तेरे आंगन की’, ‘रिंगा रिंगा रोजेजे’, ‘भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप’ में यादगार किरदाए निभाए.

टीवी शोज के अलावा ‘माय फ्रैंड गणेशा 3’, ‘मछली जल की रानी है’, ‘गैंग्स औफ लिटल्स’, ‘फिरंगी’, ‘आई एम बन्नी’ जैसी फिल्में कीं. आज सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाली रोशनी अपनी खूबसूरत और शानशौकत को ले कर चर्चा में बनी रहती हैं.

रोशनी भले ही काफी समय से छोटे परदे पर नजर नहीं आई हों लेकिन वह खूब मजेदार फोटोशूट करवाती रहती हैं. वह अपने फैंस की खुशी के लिए उन्हें अकसर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती रहती हैं.

लाइमलाइट को तरसतीं काव्या थापर

मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में आएदिन न्यूकमर आते ही रहते हैं. उन में कुछ ऐसे होते हैं जो अपनी ऐक्ंिटग स्किल्स से दर्शकों के ऊपर अपनी छाप छोड़ देते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो आएगए जैसे ही साबित होते हैं. उन्हीं न्यूकमर्स में से एक हैं काव्या थापर. उन्हें आखिरी बार शाहिद कपूर की वैब सीरीज ‘फर्जी’ में देखा गया था. उस के बाद वे किसी वैब सीरीज या फिल्म में नहीं दिखाई दीं.

हालांकि चर्चा है कि साल 2024 में वे कई फिल्मों में दिखाई देंगी. कहा तो यह भी जा रहा है कि उन के पास एक अनटाइटल्ड फिल्म भी है जिस में वे रवि तेजा के साथ नजर आएंगी. लेकिन दूसरी तरफ काव्या को ले कर यह चर्चा भी रहती है कि वे अपनी ऐक्ंिटग स्किल्स से ज्यादा अपने ग्लैमरस अवतार से फैंस का अटैंशन पाती हैं. अब देखना यह है कि आखिर और कितने दिन काव्या ग्लैमरस का तड़का लगा कर अपना काम चलाती हैं.

बिना विवाद काम कहां

काव्या थापर को ले कर एक कंट्रोवर्सी भी रही है. उन्हें पिछले साल फरवरी में मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उन पर शराब पी कर गाड़ी चलाने और ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों से बदतमीजी करने का आरोप लगा था.

दरअसल, काव्या पर आरोप था कि वे शराब के नशे में कार चला रही थीं और तभी उन्होंने एक व्यक्ति को ठोकर मारी जिस से उसे चोट आई. वहीं पुलिस ने जब उन्हें रोका तो उन्होंने कर्मचारियों से हाथापाई व अधिकारियों से गालीगलौज की.

यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया था और फिर उन्हें ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया था. उस वक्त काव्या को खासी बदनामी   झेलनी पड़ी थी. हालांकि उस का एक फायदा यह हुआ कि मीडिया का अटैंशन उन्हें मिल गया.

काव्या के कैरियर की बात करें तो काव्या ने अपने कैरियर में कई ऐड शूट किए हैं. उन्होंने कई फेमस ब्रैंड्स, जैसे मेक माई ट्रिप, पतंजलि, जिंजर बाय, लाइफस्टाइल, लुआ साबुन और कोहिनूर के साथ काम किया है. काव्या कई रैंप शो में मौडल के तौर पर भी परफौर्म कर चुकी हैं.

काव्या के फिल्मी कैरियर की बात करें तो काव्या ने 2013 में अपने कैरियर की शुरुआत एक हिंदी शौर्ट फिल्म ‘तत्काल’ से की थी. उस के बाद काव्या ने 2018 की तेलुगू फिल्म ‘इ माया पेरिमिटो’ से तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में डैब्यू किया. इस के बाद उन्होंने तमिल भाषा की ‘मार्केट राजा एमबीबीएस’ और एक लघु फिल्म की.

वर्ष 2022 में ही काव्या ने वैब सीरीज में डैब्यू किया. उन्होंने ‘कैट’ वैब सीरीज की. काव्या ने हिंदी सिनेमा में मिडिल क्लास लव से एंट्री ली. इस के साथ ही वे पंजाबी इंडस्ट्री से भी जुड़ गईं. काव्या थापर ने अभी तक 9 फिल्मों में काम किया है.

काव्या के इंस्टाग्राम पर 1.2 मिलियन फौलोअर्स हैं. उन के पास खूबसूरती और ग्लैमर है पर ऐक्ंिटग में खुद को साबित करने की उन्हें अभी जरूरत है. वे 28 साल की हैं. काव्या का जन्म 20 अगस्त, 1995 को महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई मुंबई से की है. काव्या की हौबी में डांस, सिंगिंग, पेंटिंग शामिल हैं.

एक अखबार को दिए इंटरव्यू में वे कहती हैं, ‘‘बौलीवुड में जो फीस मिलती है वह आप के काम पर बेस्ड होती है. अगर हीरो का काम ज्यादा है और हीरोइन का काम कम है तो आप कैसे सोच सकते हैं कि आप को भी सेम फीस मिल जाए. थोड़ाबहुत भेदभाव है, जो नहीं होना चाहिए क्योंकि आज इक्वलिटी का जमाना है. लेकिन फीस आप के काम के हिसाब से ही तो मिलेगी.’’

काव्या महिला सशक्तीकरण के बारे में बात करते हुए कहती हैं, ‘‘आप वह सब कर सकती हैं जो एक मर्द कर सकता है. मैं ने अपनेआप को कभी भी उन से कम नहीं पाया है. मैं ने खुद के लिए लड़ना और अपने लिए जगह बनाना सीखा है.’’

ऐक्ंिटग स्किल आए तो आए कैसे

काव्या का   झुकाव बाबाओं और सत्संग में भी है. पूरी तरह से आध्यात्मिक स्वभाव की काव्या को अकसर लगता है कि अपने आसपास के सभी लोगों को खुश करना बहुत जरूरी है. काव्या अपनी फिल्म ‘मिडिल क्लास लव’ की रिलीज के बाद अपने गुरुजी के धाम दर्शन करने गई थीं. वहां उन्होंने अपनी ओर से सभी जरूरतमंद लोगों को लंगर दिया और उन के साथ अपनी फिल्म की सफलता का आनंद लिया.

काम पर ध्यान न दे कर काव्या का फोकस बाबा, सत्संग और लंगर बांटने पर रहता है. किसी भी फिल्म के रिलीज होते ही वे अपने बाबा को धन्यवाद देने उन के आश्रम चली जाती हैं. फिल्में हिट अच्छी ऐक्ंिटग, सही चुनाव से होती हैं न कि बाबाओं के चरणों में पड़े रहने से.

आस्था अपनी जगह है पर जितना समय सत्संग में बरबाद होता है उतना ही समय अच्छे ऐक्ंिटग स्कूल में ऐक्ंिटग सीखने पर लगा दें तो मंदिरों के घंटे बजाने की जरूरत नहीं पड़ती.

अभी काव्या को लंबा सफर तय करना है. अपनी ऐक्ंिटग के बल पर दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनानी है. अपनी छाप छोड़ने के लिए अदाओं के साथसाथ कठिन भूमिकाएं निभानी भी जरूरी हैं जो आज की डिमांड हो चली है. अपनी साइड ऐक्ट्रैस की छवि को सुधारने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करने की जरूरत भी है.

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