प्यार की धूपछांव: भाग 3- जब मंदा पर दौलत का खुमार चढ़ गया

मुंबई से निकलते वक्त उस ने मंदा के लिए एक खत लिख कर छोड़ दिया था कि घर जा रही हूं किसी जरूरी काम से… सारी बातें लौट कर बताती हूं.

क्लास से लौटने पर मंदा ने जब पूर्वी का लिखा खत देखा तो पहले तो वह सोच में पड़ गई कि ऐसा कौन सा काम अचानक आ गया जो पूर्वी इस तरह अचानक चली गई. फिर अगले ही पल उस के खुरापाती दिमाग में विचार आया कि यही सही मौका है, उस के फ्रैंड सलिल को अपने प्यार के झूठे जाल में फंसा कर अपना बनाने का.

बस फिर उस का माइंड बड़ी तेजी से सलिल को अपना बनाने के लिए षड्यंत्र रचने लगा. उस ने मन ही मन सोचा यदि सलिल उस का न हुआ तो पूर्वी का भी नहीं होने देगी.

इधर पूर्वी बरेली पहुंच कर मां की देखभाल में इस तरह व्यस्त हो गई कि उसे किसी बात का होश ही नहीं रहा. वह तो हरदम मां के जल्दी से जल्दी ठीक होने के लिए प्रार्थना करने लगी और अपना फोन भी साइलैंट मोड पर कर दिया.

इस बीच सलिल ने पूर्वी को कई बार फोन करने की कोशिश की, लेकिन उस का फोन हमेशा स्विच्ड औफ ही मिला. सलिल को पूर्बी के लिए चिंता होने लगी. फिर एक दिन सलिल ने मंदा को फोन मिला कर पूर्बी के बारे में जानने की कोशिश की तो मंदा के मन की तो कली खिल गई.

ऊपर से तो मंदा ने पूर्वी के बारे में चिंता जाहिर की फिर बोली, ‘‘देखो

तो मुझे भी कुछ बता कर नहीं गई,’’ और फिर पूर्वी के द्वारा लिखी चिट सलिल को दिखाई.

फिर तुरंत कहने लगी, ‘‘मुझे तो लगता है कि उस के मां, बाबूजी ने उसे शादी करने के लिए ही बुलाया होगा. मुझ से तो कम से कम कुछ बताती.’’

पूर्वी की शादी की बात सुन कर सलिल के चेहरे का रंग उड़ने लगा तो तुरंत मंदा कहने लगी, ‘‘अरे, इतना उदास क्यों होते हो ये छोटे शहर की लड़कियां होती ही ऐसी हैं. प्यार का नाटक किसी से व शादी किसी से. चिल करो यार, इस दुनिया में एक पूर्वी ही तो नहीं है, हम भी तो प्यार करते हैं तुम से, कभी मौका तो दो मुझे अपना प्यार साबित करने का.

‘‘मेरी आज कोई क्लास नहीं है. कहीं घूमने चलते हैं, तुम्हारा मूड भी ठीक हो जाएगा या ऐसा करते हैं आज होस्टल की वार्डन छुट्टी पर हैं. तुम कुछ ड्रिंक ले कर अपना मूड ठीक कर लेना, बाद में जैसा तुम चाहोगे वैसा ही करेंगे.

सलिल ने कहा, ‘‘नहीं, फिर कभी आता हूं,’’ पूर्वी की कोई खबर न मिलने पर सलिल का मन बहुत घबरा रहा था.

तभी मंदा ने उसे अपने बैड की तरफ खींच कर बैठाया और ?ाटपट ड्रिंक बना कर ले आई जिस में उस ने कुछ नशीली चीज मिला दी थी. जब सलिल ने ड्रिंक लेने से मना किया तो बोली, ‘‘अरे, इतना क्यों सोच रहे हो, कम से कम अपनी माशूका की खुशी के लिए ही पी लो. पूर्वी जहां भी होगी खुश होगी मेरा मन कहता है.’’

ड्रिंक पीते ही कुछ देर में सलिल अपने होश खोने लगा, तो मंदा ने उसे बैड पर लिटाया फिर अपने कपड़ों को फाड़ कर रूम से बाहर निकल कर शोर मचा कर लोगों को जमा कर लिया, ‘ख्देखो इस लड़के ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की है. इस की गलत हरकत के लिए इसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, मैं तो कहती हूं इसे जेल होनी चाहिए.

आननफानन में पुलिस आई और सलिल को पकड़ कर ले गई और जेल में डाल दिया.

दूसरे दिन न्यूजपेपर में बडेबड़े अक्षरों में यह खबर छपी कि लखनऊ के रिटायर्ड डीएसपी के बेटे को किसी लड़की के साथ जबरदस्ती करने  के जुर्म में जेल में डाला.

पूर्वी की मां अब अस्पताल से घर आ चुकी थी. उन की तबीयत में काफी सुधार था. पूर्वी आज काफी हलका महसूस कर रही थी. अत: पेपर ले कर पढ़ने लगी, जैसे ही उस की नजर सलिल के जेल में होने पर पड़ी वह एकदम घबरा गई, उस ने तुरंत अपना फोन चैक किया, सलिल की ढेरों मिस्ड कौल्स थीं.

‘‘पूर्वी का मन कतई यह मानने को तैयार नहीं था कि उस का सलिल ऐसी गलत हरकत कर सकता है. इतने दिनों की मेलमुलाकात के दौरान सलिल ने कभी मर्यादा का उलंघन नहीं किया था उसे टच तक नहीं किया था.

पूर्वी ने तुरंत वापस जाने का मन बनाया. उधर सलिल के पापा भी इस खबर को पढ़ कर बहुत परेशान थे. वे भी तुरंत मुंबई पहुंचे और अपने बेटे से मिल कर सारी स्थित की जानकारी ली.

इधर पूर्वी ने भी सलिल के पापा को सारी बातें स्पष्ट रूप से बता दीं. मंदा को थाने में बुलाया गया, कुछ देर में ही उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया कि पूर्वी से जलन होने के कारण ही उस ने ऐसी गलत हरकत की. असली सजा की हकदार तो वह है, सलिल नहीं. सलिल को पुलिस ने बाइज्जत वरी कर दिया. सलिल के पापा सलिल व पूर्वी को लखनऊ ले गए. पूर्वी के मांबाबूजी को भी बहां बुला लिया और दोनों की शादी करवा दी. दोनों ही परिवार बहुत खुश थे. सलिल पूर्वी को कुछेक परेशानी का सामना करने के बाद सही मंजिल मिल गई. शायद इसी को जिंदगी कहते हैं कभी धूप तो कभी प्यार की ठंडीठंडी छांव.

प्यार की धूपछांव: भाग 2- जब मंदा पर दौलत का खुमार चढ़ गया

बतियाते हुए वे दोनों होस्टल के गलियारे तक पहुंच चुके थे, पूर्वी भी अब तक सलिल से काफी फ्रैंडली हो गई थी. इतना ही नहीं मन ही मन उसे चाहने भी लगी थी. रूम नंबर 4 आते ही पूर्वी ने रूम की घंटी बजाई, दरबाजा एक लड़की ने खोला. यह पूर्वी की रूममेट मंदाकिनी थी.

‘‘हाय मैं मंदाकिनी.’’

‘‘और मैं पूर्वी.’’

‘‘तुम मुझे मंदा कह सकती हो,’’ कह मंदा ने भेदती नजरों से सलिल की तरफ देखा जो पूर्वी का बैग अपने कंधे पर टांगे खड़ा था.

सलिल ने पूर्वी को उस का बैग थमाया और उसे बाय कहा, ‘‘सी यू टेक केयर,’’ और चला गया.

सलिल के जाते ही मंदा ने पूर्वी को घूरते हुए पूछा, ‘‘क्या यह तेरा बौयफ्रैंड था?’’

‘‘नहीं,’’ पूर्वी ने जवाब दिया.

‘‘तो फिर तेरा भाई होगा जो तेरी फिक्र कर रहा था.’’

‘‘नहीं.’’

इस बार भी पूर्वी के मुंह से नहीं शब्द सुन कर मंदा बुरी तरह ?ाल्ला गई. कहने लगी, ‘‘भाई भी नहीं है, बौयफ्रैंड भी नहीं है तो यह लड़का आखिर है कौन, जो तेरा इतना खयाल रख रहा था कि तेरा बैग लटका कर तुझे यहां तक छोड़ने आया?’’

‘‘बस फ्रैंड है मेरा?’’

‘‘सिर्फ फ्रैंड या उस से कुछ अधिक?’’

पूर्वी ने कहा, ‘‘कहा न बस फ्रैंड है मेरा,’’ मंदाकिनी के बारे में अधिक कुछ जाने बिना पूर्वी का मन उसे अधिक कुछ बताने से डर रहा था पर मंदा से अनबन भी नहीं कर सकती, रूममेट जो है उस की.

‘‘अच्छा, चल तू फ्रैश हो ले, मैं तुझे अच्छी सी चाय पिलाती हूं. मगर हां मैं तुझे रोज चाय बना कर पिलाने वाली नहीं. वो क्या है कि तू आज नईनई आई है तो तेरा वैलकम तो बनता ही है.’’

यह सुन कर पूर्वी ने कुछ राहत की सांस ली. तभी मंदा चाय बना कर ले आई. साथ ही बिस्कुट भी थे. चाय पीतेपीते दोनों ने अपनेअपने घरपरिवार के बारे में ढेर सारी बातें कीं, साथ ही पूर्वी को होस्टल के रूल्स के बारे में भी जानकारी दी. शनिवार व इतवार के अलावा होस्टल से बाहर जाना मना था या फिर कोई छुट्टी होने पर होस्टल से बाहर जा सकते. हां, होस्टल के अंदर किसी लड़के के आने की तो सख्त मनाही है, सिवा लोकल गार्जियन के.

यह सुन कर पूर्वी एकदम चौंक गई, मन ही मन सोचने लगी हाय, अब वह अपने सलिल से न जाने कब व कैसे मिल पाएगी. उस की नशीली मुसकराहट उस का दिल जो चुरा कर ले गई थी.

तभी मंदा ने चुटकी बजाते हुए उसे टोका, ‘‘कहां खो गई? ये रूल्स सुन कर डर तो नहीं गई तू? धीरेधीरे तुझे आदत हो जाएगी इन सब की.’’

दूसरे दिन क्लास में कुछेक नया लोगों से उस की पहचान हुई. रूटीन शुरू हो

गया. क्लासेज शुरू हो गईं, इन सब के बीच पूर्वी सलिल को नहीं भूल पा रही थी. जबतब उस की आंखों के सामने सलिल के गालों में डिंपल पड़ने वाला मुसकराता चेहरा सामने आ जाता.

कहते हैं न दिल को दिल से राह होती है सो फ्राइडे रात को सलिल का फोन भी आ गया, ‘‘पूर्वी कल हम मिल रहे हैं. इस जगह व इतने बजे, देखो न मत कहना तुम से मिल कर अपने दिल की बहुत सारी बातें करनी हैं, फिर घूमेंफिरेंगे मस्ती करेंगे और क्या,’’ सलिल ने एकदम फिल्मी अंदाज में आमिर खान का डायलौग दोहरा दिया, ‘‘मैं तुम्हें नियत समय पर ही होस्टल छोड़ दूंगा.’’

थोड़ी देर नानुकर करने के बाद पूर्वी ने हां कर दी क्योंकि मन ही मन वह भी तो सलिल से मिलना चाह रही थी.

होस्टल के रूल्स के अनुसार सलिल उसे उस के होस्टल नियत समय पर छोड़ गया, साथ ही अगले शनिवार दोबारा मिलने का वायदा ले गया.

शनिवार आने पर जव पूर्वी तैयार होने लगी तो मंदा ने टोका, ‘‘आज फिर कहां चली इतना सजधज कर?’’

पूर्वी कुछ कहती उस से पहले ही सलिल की गाड़ी का हौर्न उस के कानों में पड़ा. बिना कुछ बोले पूर्वी बाहर आ गई, जहां सलिल उस का इंतजार कर रहा था. उस की कार में बैठते ही सलिल ने उस की तरफ देखा और कहा, ‘‘इस पिंक सूट में तुम सचमुच बहुत ही प्यारी लग रही हो. जानती हो पिंक मेरा पसंदीदा कलर है.

‘‘पूर्वी आज डिनर हम साथ में करने वाले हैं. मैं ने यहां के सब से महंगे व फेमस रैस्टोरैंट में टेबल बुक करा दी है ताकि तुम्हें लौटने में देर नहीं हो जाए क्योंकि आज का दिन मेरे लिए बहुत खास है, पूछो क्यों?’’

पूर्वी ने प्रश्नवाचक नजरों से उस की तरफ देखा.

‘‘अरे, अब बता भी दो कि आज के दिन क्या खास है?’’ पूर्वी ने पूछा.

‘‘आज मेरा हैप्पी बर्थडे है, सोचा तुम्हारे साथ मिल कर सैलिब्रेट करते हैं.’’

उसी समय रैस्तरां का वेटर एक बड़ा सा केक ला कर उन की टेबल पर रख गया. पूर्वी ने नाराजगी दिखाते हुए कहा, ‘‘जाओ मैं बात नहीं करती तुम से. मुझे पहले बता देते तो मैं कम से कम कोई गिफ्ट ले कर तो आती तुम्हारे लिए.’’

‘‘तुम गुस्सा होती हो तो और भी खूबसूरत लगती हो. रही गिफ्ट की बात सो मेरे लिए तो तुम ही एक खूबसूरत गिफ्ट हो. मैं ने तो मां से तुम्हारे बारे में बात भी कर ली है.’’

तभी एक रैड रोज पूर्वी की तरफ बढ़ाते हुए सलिल ने कहा, ‘‘बोलो क्या तुम मेरी

लाइफपार्टनर बनना पसंद करोगी?’’

‘‘पूर्वी ने शरमा कर अपनी नजरें नीची कर लीं. इस अप्रत्याशित खुशी से उस के दिल की धड़कन तेज हो गई थी, साथ ही गाल भी सुर्ख हो गए थे.

जब पूर्वी सलिल के साथ घूम कर होस्टल लौटी तो बहुत खुश थी. वह धीमे स्वर में गुनगुना रही थी, ‘‘छोटी सी मुलाकात प्यार बन गई, प्यार बन के गले का हार बन गई…’’

मंदा के कानों में जब पूर्वी के गाने के स्वर पड़े तो चौंक गई. फिर तुरंत पूर्वी की ओर मुखातिब हो कर बोली, ‘‘अरे, तू तो बड़ी घुन्नी निकली एकदम छिपी रुस्तम. मुझे खबर तक नहीं होने दी, तू तो इश्क फरमा रही है.’’

मंदा की बात सुन कर पूर्वी हलके से मुसकरा दी. ‘‘वाह, मुंबई आते ही तुझे तेरा प्यार मिला गया,’’ मंदा के दिल में जलन की आग धधक उठी. सोचने लगी भला ऐसा क्या है इस पूर्वी में जो सलिल जैसा बांका नौजवान इस छोटे शहर की लड़की पर फिदा हो कर अपना दिल हार बैठा. एक वह है पिछले 2 साल से मुंबई में है, इश्क के नाम पर 2-3 बार दिल टूट चुका है, छुट्टियों में घर जाने का भी दिल नहीं करता. वही मां, पापा की रोज की चिकचिक सुन कर कान पक गए हैं मेरे.

मेरी भावनाओं का तो उन्हें जरा भी खयाल नहीं है कि बेटी बड़ी हो रही है. बस यह कह कर अपना पल्ला झड़ लिया है कि तुम्हें जो भी पसंद आए हमें बता देना. उस से ही तुम्हारी शादी कर देंगे. रोने को मन हुआ मंदा का. लाइट औफ कर के पूर्वी के बैड की तरफ पीठ कर के लेट गई और थोड़ी देर आंसू बहाती रही.

नींद तो आ नहीं रही थी, सो मन ही मन प्लान बनाने लगी, जो भी हो इस पूर्वी को तो कभी भी सलिल का नहीं होने देगी. इस के लिए फिर मुझे चाहे कुछ भी क्यों न करना पड़े.

पूर्वी पर सलिल का प्यार परवान चढ़ रहा था, करीब हर शनिवार को वह सलिल के साथ घूमने निकल जाती. जब लौटती तो मंदा से अपने व सलिल के बीच हुई बातें शेयर करती.

एक दिन घूम कर जब लौटी तो पूर्वी ने बताया कि सलिल ने मेरे फोटो अपने घरवालों के पास भेजे थे. उन का अप्रूवल भी आ गया है. सलिल का एमबीए पूरा होते ही उस के घर वाले हम दोनों की शादी करवा देंगे.

‘‘अरे वाह, यह तो बहुत ही खुशी की बात है, तेरी तो सच में लौटरी ही लग गई पूर्वी, सलिल जैसा वांका नौजवान तुझे जीवनसाथी के रूप में मिल गया.’’

ऊपर से तो मंदा पूर्वी से बडी खुशी जाहिर करती, परंतु अंदर से मन ही मन उस की बातें सुन कर उस की छाती पर सांप लोटने लगते. वह ईर्ष्या की आग में बुरी तरह जल रही थी.

उधर पूर्वी उस की जलन की भावनाओं से अनजान, अपनी हरेक बात उस से शेयर करती क्योंकि पूर्वी तो मंदा को अपनी सखी मानती थी.

एक दिन जब पूर्वी क्लास अटैंड कर के अपने रूम की तरफ लौट रही थी कि तभी उस के बाबूजी का फोन आया. उन का स्वर एकदम घबराया हुआ था.

पूर्वी ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बाबूजी, मां तो ठीक हैं न?’’

बाबूजी ने बताया, ‘‘तुम्हारी मां की तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं चल रही थी. पहले तो हम लोगों ने सोचा कि शायद तुम्हारे जाने की वजह से मन उदास है उन का, परंतु जब एक दिन चक्कर खा कर गिर पड़ी तो डाक्टर की राय लेना जरूरी हो गया. डाक्टर ने बताया कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है, तुरंत औपरैशन करना पड़ेगा क्योंकि ट्यूमर आखिरी स्टेज पर है, अत: अधिक देर करना खतरे से खाली नहीं है.’’

सारी बातें सुन पूर्वी भी एक बार तो बहुत घबरा गई फिर बाबूजी को धैर्य बंधाते हुए बोली, ‘‘मैं कल ही बरेली के लिए निकल रही हूं, आप चिंता न करें, सब ठीक हो जाएगा. आजकल विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है, बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज संभव हो गया है.

पूर्वी के घर पहुंचने तक बाबूजी मां को हौस्पिटल में एडमिट कर चुके थे और औपरैशन की डेट भी ले ली थी. कहां तो पूर्वी घर पहुंचने पर मां को अपने व सलिल के प्यार की बावत बता कर सरप्राइज देने की सोच रही थी और यहां मां को इस हाल में देख कर उस का दिल कांप उठा.

धुआं-धुआं सा: क्या था विशाखा का फैसला

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BB 17: नेटिजेंस ने अंकिता लोखंडे पर लगाया इलजाम, विक्की जैन को अपना गेम नहीं खेलने दे रही

बिग बॉस 17 के पहले वीकेंड का वार से ठीक एक रात पहले घर के अंदर हो रहा है ड्रामा! अभी कुछ दिन पहले, ऐश्वर्या शर्मा और नील भट्ट के बीच बिग बॉस द्वारा तय की गई डेट पर उन्हें रास्ता दिखाया गया था. बिग बॉस के अंदर ईशा मालवीय और अभिषेक कुमार के बीच प्यार और नफरत का रिश्ता है. वहीं अब अंकिता लोखंडे और विक्की जैन के बीच मतभेद सामने आने लगे हैं और बीते एपिसोड की लड़ाई के बाद, नेटिज़ेंस ने अपना पक्ष चुन लिया है.

बिग बॉस 17 में अंकिता लोखंडे और विक्की जैन के बीच फिर हुई लड़ाई

अंकिता लोखंडे और विक्की जैन के बीच पिछले कुछ समय से झगड़े हो रहे हैं क्योंकि अंकिता खुद को अलग-थलग महसूस कर रही हैं. उन्हें लग रहा है कि विक्की उन पर ध्यान नहीं दे रहे है. अंकिता यही बात विक्की को बता रही है जो जिसे वह समझ नहीं पा रहे है. विक्की का मानना ​​है कि वह हर जगह है और सभी के साथ बातचीत कर रहे है और अंकिता भी यही कर रही है, तो वह कहीं भी गलत कैसे हो रहे है? अंकिता को विक्की के व्यवहार के साथ तालमेल बिठाने में परेशानी हो रही थी.

बिग बॉस 17 में विक्की ने अंकिता पर अपना आपा खो दिया

बिग बॉस 17 के बीते  एपिसोड में, आप सभी ने विक्की जैन को अंकिता पर अपना आपा खोते हुए देखा. जब अंकिता एक बार फिर विक्की के साथ न होने की बात शुरू करती है, तो वह अंकिता पर भड़क उठते है. वह उससे कहते है कि वह भी अपने दोस्तों और कुछ लोगों के साथ बातचीत करती है, लेकिन उसे इसके बारे में कोई शिकायत नहीं है तो, जब वह वैसा ही व्यवहार कर रहा है जैसा अंकिता कर रही है तो अंकिता को इतना बुरा क्यों लग रहा है? तब जाकर अंकिता को समझ आती है और वह विक्की से माफी मांगती
है.

बिग बॉस 17 में अंकिता और विक्की की लड़ाई पर नेटिज़न्स की प्रतिक्रिया

नेटिज़न्स का मानना ​​​​है कि, अंकिता विकी को अपना पर्सनल गेम नहीं खेलने दे रही है. दरअसल, नेटिजन्स को ये भी लग रहा है कि बिग बॉस भी विक्की को गेम खेलने की इजाजत नहीं दे रहे हैं. ऐसा देखा गया है कि बिग बॉस विक्की की शरारतों और चालाकियों का खुलासा कर रहे हैं और घर के सदस्यों के सामने उन्हें ताना मार रहे हैं. यहां प्रतिक्रियाएं देखें:

 

BB 17 Weekend ka Vaar: सलमान खान ने ईशा मालवीय पर साधा निशाना

सलमान खान का कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो बिग बॉस 17  दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. यह शो 15 अक्टूबर से शुरू हुआ है और इसे ऑडियन्स का भरपूर प्यार मिल रहा है. शो को लगभग एक सप्ताह हो गया है और अब, शो का सबसे प्रतीक्षित एपिसोड शुरू होगा. जी हां, हम बात कर रहे हैं होस्ट सलमान खान के साथ वीकेंड का वार एपिसोड की. शो के कई दर्शक इसे सिर्फ कंटेस्टेंट्स पर सलमान खान के फैसले को देखने के लिए देखते हैं. वह हमेशा वीकेंड का वार पर अपने विचार देते हैं जिससे दर्शकों और कंटेस्टेंट्स को शो के बारे में सही दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद मिले.

बिग बॉस 17 का नया प्रोमो

आज शनिवार है और हम सभी सलमान खान को बिग बॉस 17 के पहले हफ्ते के बारे में अपनी राय देते हुए देखेंगे. वीकेंड का वार का प्रोमो जारी हो गया है. इस शो में हमें देखने को मिलेगा कि टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन को अपनी अपकमिंग फिल्म गणपत का प्रोमोशन करने के लिए बिग बॉस 17 में आएंगे.

सलमान ने ईशा मालविया की खिंचाई की

बिग बॉस 17 में देखने को मिलेगा कि, सलमान खान कंटेस्टेंट्स से बात करते हुए देखते हैं. वह पहले ईशा मालविया पर भड़कते नजर आते हैं. उन्होंने ईशा को याद दिलाया कि कैसे उन्होंने ग्रैंड प्रीमियर के दौरान अभिषेक कुमार पर शारीरिक हिंसा का आरोप लगाया था और बाद में उनके साथ कमरा साझा करने के लिए भी तैयार थीं.

उन्होंने उससे पूछा कि क्या उसे पता भी था कि यह एक गंभीर आरोप है जो उसने पहले दिन ही लगाया था. सलमान ने आगे बताया कि ईशा मन्नारा चोपड़ा को सेल्फ-ओब्सेस्ड कहती हैं लेकिन फिलहाल, बिग बॉस 17 में ईशा सबसे सेल्फ-ओब्सेस्ड इंसान हैं. बिग बॉस 17 के लेटेस्ट प्रोमो पर एक नज़र डालें.

 

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‘तेजस’ की प्रोमोशन के लिए आई कंगना रनौत

कंगना रनौत भी अपनी फिल्म तेजस को प्रमोट करने के लिए वीकेंड का वार में शामिल हुईं. कंगना की सलमान से मुलाकात एक दिलचस्प कहानी होगी.

Festival Special: घर पर बनाएं स्टीम्ड आलू कोफ्ते

त्योहार नजदीक आ गए है ऐसे में आप सोच रहे हैं खाने में क्या टेस्टी और स्पेशल बनाएं तो आज ही ट्राई करे स्टीम्ड आलू कोफ्ते, दाल मसाला पूरी और चावल के शकरपारे. आइए जानते है इनकी रेसिपी के बारे में…

  1. स्टीम्ड आलू कोफ्ते

सामग्री

 1. 1 कप बेसन

 2.  3 आलू उबले

 3.  1/2 कप पनीर

 4.  2 बड़े चम्मच लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च कटी

 5.  1 प्याज कटा

 6. 2 हरीमिर्चें कटी

7.  1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

 8.  2 छोटे चम्मच तेल

 9.  थोड़ी सी राई

10.  करीपत्ता

11.  1 हरीमिर्च

12.  नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को मैश कर इस में पनीर, लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च, हरीमिर्च, धनियापत्ती व नमक डाल कर अच्छी तरह मैश कर इस की छोटीछोटी बौल्स बनाएं. एक कटोरी में बेसन घोल लें. इस में नमक मिला लें. आलू की छोटी बौल्स को बेसन में लपेट कर 10 से 15 मिनट स्टीम करें. कड़ाही में तेल गरम कर इस में राई, करीपत्ता व हरीमिर्च का तड़का लगाएं और फिर सभी स्टीम कोफ्ते इस में मिला दें.

2.  दाल मसाला पूरी

सामग्री

1. 1/2 कटोरी मूंग छिलका दाल

 2.  1/2 कटोरी सूजी

 3.  11/2 कटोरी आटा

 4. 1/4 चम्मच हलदी

5. 1 चम्मच धनिया पाउडर

6.  1/2 चम्मच लालमिर्च पाउडर

 7.  1/2 चम्मच सौंफ पाउडर

8. थोड़ा सा हींग पाउडर

9. 2 छोटे चम्मच तेल

10.  तलने के लिए तेल

11.  नमक स्वादानुसार.

विधि

मूंग की दाल को 2 घंटों के लिए पानी में भिगो दें. फिर अच्छी तरह धो कर पीस लें. एक थाली में आटा, सूजी, सभी मसाले, नमक, तेल, पिसी मूंगदाल अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस का आटा गूंध लें. गुंधे आटे की छोटी गोलियां बना लें. गोलियों को पतला बेल लें. कड़ाही में तेल गरम कर पूरियों को अच्छी तरह तल लें. सब्जी के साथ गरमगरम सर्व करें.

3. चावल के शकरपारे

सामग्री

1. 1 कप चावल

 2. 1 कप गुड़

 3.  1/2 कप नारियल का पाउडर

 4.  2 बड़े चम्मच बादाम और काजू के टुकड़े

5.  1 बड़ा चम्मच तिल

 6.तलने के लिए तेल.

विधि

चावलों को धो कर सुखा लें. एक कड़ाही में चावलों को धीमी आंच पर भून लें. हलका ठंडा कर मिक्सी में पाउडर बना लें. गुड़ में 1/2 कप पानी डाल कर 1/2 घंटे के लिए रख दें. गुड़ घुल जाएगा. गुड़ के पानी से चावलों का आटा, नारियल का पाउडर, बादामकाजू के टुकड़े और तेल को अच्छी तरह से मिला कर गूंध लें. चाहें तो इस की गोलियां बना कर चपटा कर तल लें. या प्लास्टिक की परत के बीच से बेल कर शकरपारे बना लें. कड़ाही में तेल गरम कर शकरपारे तल लें.

सनातनी सरकार औरतों के पक्ष में नहीं

हम लोग भी लिव इन रिलेशनशिप के पक्ष में बहुत कुछ लिखते रहते हैं पर यह रिलेशनशिप बहुत से खतरों से दूर नहीं क्योंकि कानूनी ढांचा इस तरह बना है जिस में कोई भी अधिकार कानूनन विवाह करने पर ही मिलता है. लिव इन रिलेशनशिप को कोई भी कानूनी संरक्षण देने को न सरकार तैयार है न अदालतें और न ही जोड़े आपस में कोई कौंट्रैक्ट कर सकते हैं.

गुजरात का मैत्री करार एक पुराना तरीका है पर यह भी कानूनन मान्य नहीं है क्योंकि सोशल पौलिसी के खिलाफ किया गया कौंट्रैक्ट कौंट्रैक्ट ही नहीं है.

हां, अब लिव इन रिलेशनशिप में रहने को गैरकानूनी अपराध नहीं माना गया है और यदि दोनों बालिग, शादीशुदा हों या न हों साथ रह सकते हैं. शादीशुदा हों तो दूसरे का जीवनसाथी द्वारा हद से हद ऐडल्ट्री के नाम पर तलाक मांग ही सकती है.

एक मुश्किल तब आई जब एक विवाहिता को लिव इन रिलेशनशिप के बाद बच्चा हुआ. उस ने चाहा कि बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट पर लिव इन पार्टनर और बायोलौजिकल फादर का नाम आए पर न मुंबई की म्यूनिसिपल राजी हुई, न मजिस्टे्रट की अदालत और न ही शायद हाई कोर्ट राजी होगा. इस की बड़ी वजह यह है कि शादी के दौरान हुए बच्चे कानूनन पति के होते हैं चाहे स्पर्म किसी का भी हो. पहले यह सुविधाजनक था और अब स्पर्म डोनरों की बढ़ती गिनती के कारण और ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया है कि बच्चा नाजायज न कहलाए. उसे उस पुरुष की संपत्ति में पूरा हक मिलेगा जिस में कंसीव होते समय उस की मां लीगली शादीशुदा थी.

उस बच्चे का भरणपोषण लीगल पिता को करना होगा न कि बायोलौजिकल फादर को. अगर यह न हो तो तलाक के हर मामले में पति कह सकता है कि उस के बेटेबेटी उस के हैं ही नहीं. अगर वास्तव में न भी हों तो भी जिम्मेदारी उन्हीं की होगी.

लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियों को डोमैस्टिक वायलैंस से भी संरक्षण नहीं मिलता. पार्टनर की मारपीट पर पुलिस आनाकानी करे कि डोमैस्टिक वायलैंस ऐक्ट नहीं लगेगा तो गलत नहीं. हां, आईपीसी का साधारण मारपीट वाला मुकदमा चल सकता है जिस में तुरंत जेल की गारंटी नहीं होती. हाई कोर्ट के कुछ जज तो लिव इन रिलेशनशिप के बहुत खिलाफ हैं और कुछ बहुत उदार.

लिव इन रिलेशन में दोनों परिवारों के रिश्तेदार कट जाते हैं और दोनों पक्षों को अपने रिश्तेदारों के यहां अकेले जाना होता है. विवाहित रिश्तेदार कम घर आते हैं क्योंकि अभी भी समाज में दोनों पार्टनरों को छुट्टा सांड या छुट्टी औरत सम?ा जाता है जो किसी पर डोरे डालने में स्वतंत्र है.

क्या इस पर कोई कानून बनाना चाहिए? हमारी राय तो यही है कि नहीं क्योंकि कानूनी लिव इन रिलेशनशिप असल में एक शादी ही होगी जो दोनों की इच्छा नहीं है. हद से हद दोनों को कौंट्रैक्ट करने दिए जाएं पर उस के लिए जो कौंट्रैक्ट ऐक्ट आज हैं उन्हीं के अंतर्गत रहने की सुविधा हो. कौंट्रैक्ट का एक फायदा तो यह होना चाहिए कि फीमेल रेप का चार्ज न लगा सके और दूसरा यह कि जब रिलेशनशिप टूटे तो जौइंट खरीदे सामान को बांटने में आसानी हो. कौंट्रैक्ट के आधार पर ही लिव इन के दौरान के बच्चों का खर्च और विजिटिंग राइट्स तय होने चाहिए, वे केवल मां की जिम्मेदारी नहीं हो सकते.

हमारे पुराणों में लिव इन रिलेशनशिप के उदाहरण भरे पड़े हैं. मेनका और विश्वमित्र का लिव इन वाली संतान शकुंतला का बेटा भी दुष्यंत से एक रात की लिव इन रिलेशनशिप की देन था जिसे दुष्यंत ने 3 साल बाद अपना लिया क्योंकि उस के पास राज था पर वारिस नहीं. उन दोनों के ही पुत्र का नाम भारत था, जो अब सनातनी सरकार देश का अकेला रखना चाहती है और इंडिया हटाना चाहती है.

इसे पाप कहना तो बिलकुल गलत है. यह न अनैतिक है और

न गैरसामाजिक. हां, कुछ हद तक अव्यावहारिक है पर यदि लड़की

में दमखम है तो गलत नहीं. फिल्म ‘जवान’ में शाहरुख खान का विवाह ऐसी ही लड़की से होता है जिसे बेटी लिव इन रिलेशनशिप में हुई.

इस से पहले अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘पा’ में विद्या बालन से पुत्र लिव इन रिलेशनशिप में हुआ था और दर्शकों ने कोई आपत्ति नहीं की थी. यह एक सभ्य उदार समाज की निशानी है जिसे कुछ कट्टरपंथी समाप्त करना चाहते हैं और वैलेंटाइन डे पर लाठियां ले कर जोड़ों को पीटते रहते हैं कि या तो अलग हो जाओ या फिर यहीं शादी कर लो.

असल में यूनिफौर्म सिविल कोड मुसलिम समाज के पुरुषोंस्त्रियों के लिए नहीं चाहिए जिन का कानून हमेशा से वैसे भी औरतों के पक्ष में काफी है, कम से कम 1956 से पहले हिंदू सनातनी विवाह और विरासत के कानून से. उन में खुली मैरिज भी है जो एक तरह से लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी ढांचा देती है. लेकिन हमारी सनातनी सरकार औरतों के पक्ष में कभी कानून नहीं बनाएगी. उन के लिए तो सीता जैसी देवी भी लक्ष्मणरेखा में रखने लायक है.

मेरे हाथ हमेशा फट जाते है ऐसे मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी उम्र 29 साल है. मेरे हाथ सर्दियों में तो फट ही जाते हैं गरमियों में भी रूखे रहते हैं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

सब से पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि नहाने व हाथ वगैरह धोने के लिए जो साबुन का इस्तेमाल करती हैं चैक करें कहीं वह हाथों को ड्राई करने वाला तो नहीं. आप जो वाशिंग पाउडर का इस्तेमाल करती हैं उसे भी चैक करें कि क्या वह आप के हाथों को ड्राई तो नहीं करता. अगर ऐसी कोई बात है तो साबुन और वाशिंग पाउडर बदल कर देखें. मौइस्चराइजर युक्त साबुन का इस्तेमाल करें.

अपने बाथरूम व किचन में मौइस्चराइजिंग क्रीम जरूर रखें ताकि जब भी आप पानी का काम करें तो काम खत्म होते ही टौवेल से हाथों को सुख लें और बिना भूले मौइस्चराइजर लगा लें. रात को सोते हुए किसी किस्म की पोषक क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें. घर में हाथों को मौइस्चराइज करने के लिए नीबू के रस में चीनी और थोड़ा शहद डाल कर अपने हाथों पर धीरेधीरे रगड़े ताकि चीनी के दाने खुल जाएं. उस के बाद ताजा पानी से हाथ धो लें.

ऐसा आप रोज कर सकती हैं. इस से आप के हाथ मौइस्चराइज हो जाएंगे और ड्राइनैस नहीं लगेगी. महीने में 1 या 2 बार किसी अच्छे ब्यूटी क्लीनिक में मैनीक्योर जरूर करवा ले. इस से हाथों की मृत त्वचा हटेगी और कोमलता आएगी. इस के अलावा आप रोज नहाने से पहले हाथों को बेबी तेल से मसाज करें और नहाने के बाद मौइस्चराइजर जरूर लगाएं. हफ्ते में 1 या 2 बार उबटन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. उबटन घर में बनाने के लिए चोकर, बेसन हनी, मलाई व हलदी मिला कर धीरेधीरे हाथों पर मलें और फिर 3-4 मिनट बाद हाथों को धो लें.

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मैं 24 साल की हूं. अभी से मेरे चेहरे पर बहुत झुर्रियां पड़ गई हैं. मुझे लगता है कि मैं बहुत ही कम उम्र में बुढि़या जैसी दिखने लगूंगी. कृपया मेरी मदद करें झुर्रियों का सब से बड़ा कारण है रूखी त्वचा.

इस किस्म की त्वचा के भीतर उपस्थित फाइबर की लचक कम होती है जिस के कारण ?ार्रियां जल्दी आ जाती हैं. रूखी त्वचा या तो जन्मजात होती है या फिर नमी और तेल की कमी से त्वचा में रूखापन आ जाता है जिस से फाइबर्स के सिरे सूख जाते हैं और लचक कम होने से वहां की त्वचा ढीली पड़ जाती है. कम उम्र में ?ार्रियां पड़ना आप की अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही को दर्शाता है. आप प्रोटीन, विटामिन ए बी सी और आयरन युक्त पौष्टिक आहार लें. इस के लिए आप दूध, दही, अंकुरित अनाज, अंडे और हरी सब्जियां पालक, मेथी, खीरा, बंदगोभी आदि प्रचुर मात्रा में लें.

एक अन्य कारण अल्ट्रावायलेट रेज भी हैं. आप खुद को  धूप से बचा कर रखें. जब भी घर से निकलें शरीर के खुले हिस्सों पर सनस्क्रीन लगाना न भूलें. धूप का चश्मा और छाते का भी इस्तेमाल करें. मानसिक तनाव के कारण भी झुर्रियां पड़ जाती हैं. अपनी चिंता का कारण ढूंढ़ें और समस्या को हल करें. हमेशा खुश रहने की कोशिश करें. लगातार बीमार रहने और ज्यादा अंगरेजी दवाइयां खाने के कारण भी झुर्रियां पड़ जाती हैं. कोशिश करें कि सिरदर्द या हलकी सी शारीरिक तकलीफ में अंगरेजी दवा लेने की जगह घरेलू इलाज खोजें. हां, अगर समस्या गंभीर है तो दवाइयां लेनी ही पड़ेंगी.

जो लोग हमेशा एसी में रहते हैं उन की त्वचा में लगातार नमी कम होती जाती है. इस से भी झुर्रियां पड़ने का खतरा रहता है. ऐसे में आप मौइस्चराइजर जरूर लगाएं.घरेलू इलाज के तौर पर खूबानी मसल कर चेहरे और गरदन पर लगा लें. 10 मिनट बाद उसे धो लें. 2 चम्मच पका केला और2 चम्मच मलाई मिला कर चेहरे पर लगा लें. 10 मिनट बाद धो लें. रूखी त्वचा की झुर्रियों के लिए चेहरे और गरदन पर जैतून के तेल की मालिश करें. गरदन पर हमेशा नीचे से ऊपर की तरफ मालिश करें.

 

 

9 टिप्स लाइफ में बनाएं बैलेंस

रितु कितना भी कोशिश कर ले, दफ्तर का तनाव उस पर हावी ही रहता है. जैसे ही कोई काम आता है उसे करना आरंभ कर देती है. जब वह कार्य के मध्य तक पहुंचती है तो बौस के निर्देश बदल जाते हैं. नतीजतन रितु चिड़चिड़ाहट से भर उठती है. वह इतना अधिक चिड़चिड़ाती है कि घरपरिवार में भी उस की लड़ाई हो जाती है. इस तनाव के कारण वह बहुत बार गलत डिसीजन भी ले लेती है. खुल कर हंसना क्या होता है वह भूल चुकी है.

चाह कर भी रितु खुद को कंट्रोल नहीं कर पाती है. जैसे ही कोई कार्य आता है वह बिना सोचेसम?ो उसे करने में जुट जाती है. थके मन से कार्य करने के कारण उस की वर्क ऐफिशिएंसी जीरो हो गई.

रितु का मन सोचता नहीं बल्कि दौड़ता है, उस के आसपास आने से लोग कतराते हैं. उधर घर में भी रितु सारे कार्य खुद के ही सुपरविजन में करवाती. घर के कामों के लिए किसी पर विश्वास नहीं कर पाती है.

रितु हाई ब्लड प्रैशर, डायबिटीज की मरीज बन चुकी है. दफ्तर और घर के लोग अब उस से कन्नी काटते हैं. आज भी रितु तनाव में जी रही है पर अब तनाव काम से हट कर सेहत का हो गया है.

पूजा को भी यही बीमारी है. दफ्तर से ले कर घर का हर कार्य खुद ही करने की उस की आदत हो गई है. लगता है कि उस के बिना कोई काम ठीक से नहीं हो सकता है पूजा को हर काम खुद करना भी होता और फिर सब के सामने रोना भी होता कि घर और दफ्तर में कोई भी कार्य उस के बिना नहीं हो सकता है.

इस का नतीजा यह निकला कि आसपास के लोगों में पूजा हंसी का पात्र बन गई है. सब को लगता है पूजा लाइमलाइट में रहने के लिए ऐसा करती है. इसलिए अब उस के रोने का न घर में और न ही दफ्तर में किसी पर असर होता है. जब भी कोई काम होता है तब सब को पूजा की याद आती है. खाली समय पूजा को भी काटने को दौड़ता है क्योंकि उसे खुद नहीं पता है कि खुद के साथ समय कैसे व्यतीत होता है. वह एक प्रोग्राम्ड रोबोट बन गई है.

कुमुद घर की सब से बड़ी बहू थी. वह एक भरे पूरे परिवार में रहती थी. धीरेधीरे वह कब कुमुद से भाभी, चाची, ताई और मामी बन गई उसे खुद ही नहीं पता चला. परिवार की हर शादी और हर फंक्शन में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी.

कुमुद अपनेआप को तो कहीं पीछे छोड़ आई थी. अपने बुटीक का सपना परिवार की जिम्मेदारियों में कहीं स्वाहा हो गया था. मगर जब कुमुद का संयुक्त परिवार अलग हो गया तो उस के पास बहुत अधिक समय हो गया. उस ने अपने पुराने सपने को फिर से जिंदा करा और अपने घर में ही छोटा सा बुटीक खोल लिया था और देर से ही सही खुद का सपना पूरा कर लिया.

आप को अपने परिवार में या दफ्तर में ऐसे उदाहरण देखने को आराम से मिल जाएंगे जो पूरे दफ्तर या घर की धुरी को संभाल कर रखते हैं. हर कार्य चाहे छोटा हो या बड़ा उन के बिना पूरा नहीं होता है. काम करतेकरते वे इतने ओवरवर्कड हो जाते हैं कि उन की खुद की प्रोडक्टिविटी जीरो हो जाती है.

रिश्तों के नाम पर, शौक के मामले में, हर तरह से वे शून्य हो जाते हैं. इंसान हो कर भी वे मशीन का जीवन जीते हैं.

क्या करें और कैसे करें ताकि आप अपनी प्रोफैशनल, पर्सनल और सोशल लाइफ में बैलेंस बना सकें?

  1. हर समय अवेलेबल न रहें

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हर समय काम करने के लिए तत्पर रहते हैं. घर हो या दफ्तर वे हर काम को करने के लिए अवेलेबल रहते हैं. जानेअनजाने सारे काम का भार उन के सिर पर ही आ जाता है. थके हुए मन और तन से वे कितना काम कर पाएंगे? धीरेधीरे उन की प्रोडक्टिविटी जीरो हो जाती है. छुट्टी के दिन और नौर्मल दिन में उन के लिए कोई फर्क नहीं रह जाता है. नतीजतन ऐसे लोग हर समय चिड़चिड़ाने लगते हैं.

2. खुद को थोड़ा रिलैक्स रखें

24 घंटे काम में ध्यान न लगाएं, थोड़ी देर आंखें बंद कर के यों ही बैठ जाएं. अगर बहुत सारे काम पाइपलाइन में हैं तो कामों को प्रायोरिटाइज करें. अगर कुछ काम छूट जाते हैं तो उन्हें छोड़ दे. आप हर काम के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. कुछ जिम्मेदारी अपने लिए भी लें.

3. हर समय लीड न करें

घर हो या दफ्तर हर समय लीड लेने से बचें. कभीकभी दूसरों को भी नेतृत्व करने का मौका दें. जिन लोगों को लीड लेने की आदत होती है वे अकसर अपनी टीम में दोगुना काम करते हैं. काम उतना ही करें जितना आप का शरीर इजाजत दे.

4. दफ्तर का तनाव दफ्तर में ही रखें

दफ्तर में तनाव हो सकता है मगर उसे घर पर मत ले कर आएं. जैसे आप दफ्तर में घर का काम नहीं करती हैं वैसे ही दफ्तर का काम घर पर मत ले कर आएं. दफ्तर का तनाव वहां ही छोड़ आएं, अपने बच्चों या परिवार के सदस्यों पर बेवजह गुस्सा न करें. याद रहे घर में आप के टाइम पर उन का पूरा हक है.

5. घर में करें काम विभाजित

जैसे दफ्तर में हर काम को विभाजित करा जाता है वैसे ही घर पर भी करें. खुद को अपनी मां या सास से कंपेयर न करें. घर के जितने काम के लिए आप जिम्मेदार हैं उतनी ही जिम्मेदारी अपने पति को भी दें. खुद को देवी नहीं, एक औरत ही रहने दें.

6. पौजिटिव वोकैबुलरी का करे प्रयोग

कोशिश करें कि नकारात्मक शब्दावली का प्रयोग कम से कम करें. आप जो बोलते हैं उस की ऐनर्जी आप के चारों तरफ रहती है. अपनी वोकैबुलरी में बस सकारात्मक शब्दों को ही स्थान दें. आप जैसे बोलेंगे वैसा ही सोचेंगे और जैसा सोचेंगे वैसा ही हो जाएगा.

7. न कहना सीखें

अपनेआप को वरीयता दें, खुद को हर समय अवेलेबल न रखें. फिर चाहे घर हो या दफ्तर. जो काम करना नहीं चाहती हैं, उसे न कहना सीख लें. अपनेआप को वरीयता देना सीखें. हमेशा दूसरों को खुश करने के चक्कर में कहीं खुद को ही नाराज न कर दें.

8. हर काम में परफैक्शन न ढूंढें

अगर आप को हर काम में परफैक्शन ढूंढ़ने की आदत है तो आप हमेश ही नाखुश रहने वाले हैं. काम को काम की तरह ही करें, उस के लिए अपनेआप को स्वाहा न कीजिए. परफैक्शन ढूंढ़ने वाले लोग हमेशा परेशान ही रहते हैं. कुछ काम को सीधेसादे ढंग से करना होता है और कुछ काम को बहुत परफैक्टली करना ही होता है. अगर आप ऐसा करना सीख लेंगी तो आप की जिंदगी आसान हो जाएगी.

9. बदलाव का करें स्वागत

जिंदगी में एक ही चीज स्थाई है और वह है बदलाव यानी चेंज. कोई रिश्ता, कोई काम कभी भी एक सा नहीं रहता है. आप आज अपने बच्चों के लिए जरूरी होंगे मगर कल उन के लिए आप शायद फालतू बन जाएं, इस बात को याद रखें और खुद को वरीयता देना सीखें वरना बाद में आप की जिंदगी रोतेबिसूरते ही बीतेगी. दूसरों को भी समय दें मगर खुद की जिम्मेदारी उठाना और खुद के लिए समय देना बेहद जरूरी है.

प्यार की धूपछांव: भाग 1- जब मंदा पर दौलत का खुमार चढ़ गया

तेज स्पीड में भागी जा रही गाड़ी एक झटके के साथ रुक गई, पूर्वी ने कंबल से गरदन बाहर निकाल कर खिड़की से झंका. बाहर गुप्प अंधेरा था. उस ने मन ही मन सोचा इस का मतलब है अभी सवेरा नहीं हुआ है. उस ने अपने इर्दगिर्द कस कर कंबल लपेटा और सोने की कोशिश करने लगी. नींद तो जैसे किसी जिद्दी बच्चे की तरह रूठी बैठी थी. पहली बार घर से अकेली इतने लंबे सफर पर निकली थी. हालांकि उस के पापा ने कई बार कहा था इतनी दूर अकेली कैसे जाओगी मैं छोड़ आता हूं परंतु उस ने भी जिद पकड़ ली थी.

‘‘अरे पापा अब मैं इतनी छोटी भी नहीं हूं. वैसे भी होस्टल में रह कर पढ़ाई करनी है तो आनाजाना तो लगा ही रहेगा.’’

पूर्वी वरेली से मुंबई वहां के फेमस इंस्टिट्यूट से इंटीरियर डिजाइनर का कोर्स करने जा रही थी. अब मन ही मन पछता रही थी, नाहक ही पापा को साथ आने से रोका, कम से कम यह सफर तो आराम से कटता.

उस ने एक बार फिर से सोने की कोशिश की. कुछ देर की झपकी लेने के बाद इस बार नींद फिर कानों में टकराती गरमगरम चाय की आवाज से खुली. दिन निकल आया था. पता नहीं कौन सा स्टेशन था परंतु एसी कंपार्टमैंट के कारण ठंड भी लग रही थी, साथ ही चाय पीने की तलव भी जोर मार रही थी. उस के मन में झंझलाहट सी भर गई कि इन ऐसी कंपार्टमैंट में बस खिड़की से झंकते रहो, शीशा खोल कर कुछ ले नहीं सकते. यदि जनरल बोगी होती तो झट से खिड़की खोल कर अपनी सीट पर बैठेबैठे ही चाय ले लेती. अब करे भी तो क्या करे. तभी उस की नजर सामने वाली बर्थ पर पड़ी. जब वह ट्रेन में चढ़ी थी तो सामने वाली बर्थ खाली थी परंतु शायद रात में कोई आया होगा.

सामने की बर्थ पर एक लड़का सो रहा था. वह सोच में पड़ गई कि पता नहीं कैसा हो. वैसे भी गर्ल्स कालेज से पढ़ाई करने के कारण अभी तक लड़कों से बातचीत का कोई मौका नहीं पड़ा था. गरमगरम चाय की आवाज के साथ उस लड़के ने भी अपनी आंखें खोलीं और मुसकराते हुए पूर्वी की तरफ देख कर हाय, गुड मौर्निंग कहा और तुरंत डब्बे से नीचे उतर गया. जब लौट कर आया तो उस के हाथ में चाय के 2 सकोरे थे.

सलिल ने एक कप पूर्वी की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘लीजिए, गरमगरम चाय का आनंद लीजिए, वैसे भी यहां की चाय बहुत मशहूर है और सकोरे में चाय पीने का जो मजा है वह कप से चाय पीने में कहां.’’

पूर्वी ने भी संकोच त्याग कर चाय का कप ले लिया.

‘‘मैं सलिल मुंबई जा रहा हूं. वहां एक इंस्टिट्यूट से एमबीए कर रहा हूं, यह मेरा आखिरी साल है. अपना परिचय नहीं देंगी?’’ सलिल ने कहा.

पूर्वी कुछ झेंप सी गई, ‘‘नहीं वह बात नहीं है. मैं भी मुंबई के फेमस इंस्टिट्यूट एसएनडीटी से इंटीरियर डैकोरेशन का कोर्स करने जा रही हूं. मैं बरेली से हूं और पहली बार मुंबई जा रही हूं. बहुत सुना है मुंबई के बारे में कि सपनों की नगरी है. सभी के सपने पूरे होते हैं यहां. देखती हूं मेरा क्या बनता है,’’ पूर्वी एक ठंडी सांस छोड़ते हुए बोली.

‘‘अरे, यार इतना डरने की क्या जरूरत है, कम से कम मुसकरा तो दो क्योंकि मुसकराने के लिए कोई पैसा यानी रोकड़ा नहीं बस अच्छा थोबड़ा चाहिए, फिर वह तो विद गाड ग्रेस तुम्हारे पास है ही, फिर मुसकराने में इतनी कंजूसी क्यों भला. आधे काम तो आप की प्यारी सी मुसकराहट से ही बन जाते हैं.’’

पूर्वी ने सलिल की ओर आंख उठा कर देखा. वह आकर्षक व्यक्तित्व का ही नहीं था, स्वभाव से मिलनसार व व्यवहारकुशल भी था. इसलिए जल्द ही दोनों घुलमिल गए और छिटपुट बातों ने गति पकड़ ली.

एकदूसरे के परिवार की संक्षिप्त जानकारी लेने के बाद बातचीत का रुख एकदूसरे की पसंदनापसंद की ओर मुड़ गया.

‘‘अच्छा यह कोर्स करने के बाद कहीं सर्विस करने का इरादा है या अपना ही औफिस खोलने का? वैसे भी इस क्षेत्र में काफी स्कोप है. अधिकतर अमीर लोग अपने घरों को आजकल इंटीरियर डैकोरेशन वालों से ही सजवाते हैं.

‘‘मेरी कजिन ने भी यही कोर्स किया है और आजकल अपना औफिस खोल कर काफी अच्छा अर्न भी कर रही है. यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हें उस का फोन नंबर दे सकता हूं, शायद तुम्हारी कुछ मदद हो जाए.’’

सलिल की इतनी साफगोई व मदद भरी बातें सुन कर पूर्वी को काफी राहत मिली. उस ने मन ही मन सोचा, जैसा वह सलिल को देख कर डर रही थी, यह वैसा बिलकुल नहीं है बल्कि यह तो मेरी मदद करने की कोशिश कर रहा है. उस ने मन ही मन राहत की सांस ली.

बातचीत का सिलसिला दोबारा भी सलिल ने ही शुरू किया, ‘‘भई मैं ने तो सोचविचार कर लिया है, एमबीए करने के बाद पहले 2-3 साल किसी अच्छी सी एमएनसी में जौब कर के कुछ ऐक्सपीरियंस जमा करूंगा, फिर अपनी कंसल्टैंसी खोलूंगा. वह क्या है कि किसी की नौकरी करना मेरी फितरत में नहीं है. मैं तो अपना खुद का ही बौस बनना चाहता हूं.’’

‘‘अरे वाह, आप का तो एकदम क्लीयर कौंसैप्ट है अपनी लाइफ के बारे में,’’ पूर्वी ने कहा.

‘‘हां सो तो है, पर देखो न मौम की तबीयत ठीक नहीं रहती है और अगले साल ही पापा का रिटायरमैंट भी है. वैसे भी पुलिस में डीएसपी हैं तो उन से बातचीत करने में थोड़ी घबराहट हो ही जाती है, हां, माई मौम इज वैरी कूल. सो दोनों ने अभी से ऐलान कर दिया है कि एमबीए की डिगरी ले कर लाइफ में सैटल होने के बारे में सोचो ताकि हम लोग घर की जिम्मेदारियों से मुक्त हो सकें यानी सीधे शब्दों में कहें तो तुम शादी कर के घर बसा लो. रिश्ते तो अभी से आने लगे हैं परंतु अभी तो मैं यह कह कर उन लोगों की बात को टालता आ रहा हूं कि पहले मुझे अपने पैरों पर तो खड़ा होने दो, कोई अच्छी नौकरी होगी तभी तो छोकरी को खुश रख पाऊंगा,’’ कह कर जोर से हंस पड़ा.

मैं ने पूर्वी ने ध्यान से पहली बार उस के चेहरे की तरफ देखा. बिलकुल शाहरुख खान की तरह उस के भी दोनों गालों पर डिंपल पड़ रहे थे. कुछ देर तक पूर्वी उस की तरफ देखती रही और फिर सोचने लगी कि जैसा उस ने मन में सोच रखा था कि उस का होने वाला पति गालों में डिंपल पड़ने वाला हो तो कितना अच्छा हो क्योंकि शाहरुख खान पूर्वी का पसंदीदा हीरो जो था. यह सोच कर उस के गाल शर्म से लाल हो गए.

‘‘यू नो हम मध्यवर्गीय पेरैंट्स का बस एक ही फंडा होता है कि बच्चों की पढ़ाई पूरी होते ही उन की शादी कर के अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो लो. मगर शादीविवाह कोई मजाक थोड़े ही है, कोई मन भाता मिलना भी तो चाहिए, आखिर पूरी जिंदगी का सवाल है.’’

अब तक की हुई बातचीत से पूर्वी भी सलिल से कुछ खुल गई थी और वे दोनों मित्रवत ऐसे बातचीत कर रहे थे मानो काफी दिनों से एकदूसरे को जानते हों.

‘‘हां, यह बात तो एकदम ठीक कही आप ने मेरे मांबाबूजी भी बस यही रट लगाए हुए हैं कि बस बहुत हो गई पढ़ाईलिखाई, शादी कर के अपने घरपरिवार को संभालो.’’

‘‘यह आपआप क्या लगा रखा है पूर्वी, वी आर फ्रैंड नाऊं. वैसे भी ट्रेन में जब सहयात्री दोनों ही यंग हों तो अपनेआप उन के बीच की दूरियां सिमट कर छोटी हो जाती हैं. वैसे पूर्वी शादी के बारे में क्या विचार हैं तुम्हारे? तुम्हें अरेंज्ड मैरिज पसंद है या लव मैरिज?’’ सलिल ने सीधा उस की आंखों में देखते हुए पूछा.

‘‘हां मन तो मेरा भी लव मैरिज करने का है क्योंकि मन पसंद जीवनसाथी के साथ जिंदगी जीने का आनंद कुछ अलग ही होता है,’’ पूर्वी ने कहा.

‘‘तो वंदा हाजिर है आप की नजरों के सामने,’’ सलिल ने भी शरारतभरी मुसकान चेहरे पर लाते हुए कहा.

‘‘वाकई, तुम बातें बहुत अच्छी व दिलचस्प करते हो.’’

‘‘लेकिन यह मेरे प्रश्न का जवाब नहीं,’’ सलिल ने कहा, ‘‘तो क्या तुम मुझे पसंद नहीं करतीं?’’

सलिल ने पूर्वी की आंखों में झंका तो उस ने शरमा कर अपनी नजरें झुका लीं, लेकिन उस के सुर्ख होते गालों ने उस के मन की चुगली कर ही दी.

‘‘अच्छा पूर्वी तुम ने वह डायलौग तो सुना ही होगा कि जब कोई किसी को शिद्दत से चाहे तो पूरी कायनात उन्हें मिलाने में जुट जाती है?’’

‘‘लगता है तुम फिल्में बहुत देखते हो, फिल्मी लव स्टोरी व असल जिंदगी की लव स्टोरी में बहुत फर्क होता है सलिल,’’ पूर्वी ने कहा.

‘‘क्या फर्क होता है? ये फिल्म वाले भी अपनी फिल्म की स्टोरी असल जिंदगी से ही तो उठाते हैं. बस उसे मनोरंजक बनाने के लिए कुछ ट्विस्ट डाल देते हैं.’’

‘‘हां, सो तो है… कह तो तुम एकदम सही रहे हो.’’

ट्रेन की स्पीड कुछ धीमी हो चली थी. सलिल ने खिड़की से झंका और बोला, ‘‘लगता है ट्रेन मुंबई पहुंचने वाली है. अच्छा पूर्वी यहां मुंबई में तुम्हारा कोई लोकल गार्जियन है क्या?’’

‘‘नहीं… इसीलिए तो मन में थोड़ा डर व घबराहट है कि इतनी बड़ी मुंबई नगरी में कहीं कुछ हो गया मेरे साथ तो मदद के लिए किसे कहूंगी.’’

‘‘अरे, इतना क्यों घबरा रही हो, वंदा हाजिर है न,’’ सलिल ने फिर हंसते हुए कहा तो पूर्वी उस के गाल के डिंपल देख कर शरमा कर लाल हो गई.

‘‘अच्छा, मैं ऐसा करता हूं पहले तुम्हें तुम्हारे होस्टल छोड़ देता हूं. इस बहाने होस्टल भी देख लूंगा और तुम्हारा रूम नंबर भी पता चल जाएगा.’’

ट्रेन के रुकते ही दोनों ने मिल कर सामान उतारा और टैक्सी स्टैंड की ओर बढ़ चले.

रास्ते में सलिल ने पूर्वी से उस का फोन नंबर ले लिया और अपना फोन नंबर भी उसे दे दिया. तभी टैक्सी एक बड़ी सी बिल्डिंग के सामने रुकी, जिस के ऊपर बड़ेबड़े शब्दों में एसएनडीटी का बोर्ड लगा था.

पूर्वी अभी तक खिड़की से मुंबई की ऊंचीऊंची इमारतों को ही ताक रही थी.

‘‘यह देखो तुम्हारी मंजिल तो आ गई. चलो मैं तुम्हें तुम्हारे रूम तक छोड़ देता हूं. हां, उस से पहले एक सैल्फी तो बनती है ताकि जब तुम्हें मिस करूं, तुम्हारा चेहरा देख सकूं,’’ कह कर सलिल एक बार फिर खिलखिला कर हंस दिया.

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