Diwali Special: वैक्‍सिंग से नहीं होगा दर्द

जब आप पहली बार वैक्सिंग कराती हैं तो आपको ज्यादा दर्द होता है और आपको वैक्सिंग शब्द से डर लगने लगता है.

वैक्सिंग के दौरान जब बाल स्किन से अलग होता है तो काफी दर्द होता है. फिर आपको लगता है कि क्या इस दर्द को कम किया जा सकता है? तो इसका जबाब है हाँ, हो सकती है. इन उपायों की मदद से आप अपनी वैक्सिंग दर्द रहित बना सकते हैं.

1. सुबह कॉफी ना पीएं

जिस दिन आपको वैक्सिंग करवानी है उस दिन सुबह कॉफी न पीएं. ऐसा करने से दर्द थोड़ा कम हो सकता है. कॉफी में कैफीन मौजूद होता है जो इस के दोनों छोरों को उत्तेजित करता है और वैक्सिंग में जब बाल खिंचते हैं तो काफी दर्द होता है.

2. पीरियड के दौरान वैक्सिंग न कराएं

पीरियड के दौरान वैक्सिंग नहीं करानी चाहिए क्योंकि इस समय आपकी त्वचा काफी संवेदनशील रहती है. वैक्सिंग कराने का सबसे सही समय है जब आपका पीरियड खत्म हो गया हो क्योंकि तब आपका शरीर नार्मल हो जाता है और वैक्सिंग सही तरीके से हो सकती है.

3. वैक्सिंग सेशन को सही रखने के लिए एक्सफोलिएट कर लें

इससे शरीर से डेड सेल निकल जाते हैं और वह बाल जो डेड स्किन सेल के अंदर रहते हैं वह भी निकल जाते हैं. जब यह हो जाता है तब बालों का निकलना दर्दभरा नहीं होता.

4. गर्म स्नान

वैक्सिंग कराने से पहले ठंडे नहीं बल्कि गर्म पानी से नहाएं. गर्म पानी से नहाने से आपकी त्वचा के रोमक्षिद्र खुल जाएंगे और त्वचा की ऊपरी परत कोमल हो जायेगी.

5. ढ़ीले कपड़े

वैक्सिंग के दौरान ढ़ीले कपड़े पहनें ताकि वैक्सिंग में कोई परेशानी ना हो. वैक्सिंग के बाद आपकी त्वचा कुछ समय के लिए काफी संवेदनशील रहती है. आपको ढ़ीले कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि टाइट कपड़ों से त्वचा में खुजली या अन्य परेशानी हो सकती है. नेचुरल फाइबर का इस्तमाल करें क्योंकि इससे आपकी त्वचा में परेशानी नहीं होगी और पसीना नहीं आएगा.

6. वैक्स को ठंडा होने दें

यह आपका पहला वैक्सिंग सेशन न हो तब भी आपको वैक्स को अच्छी तरह से ठंडा होने देना चाहिए. कई लोग काफी गर्म वैक्स त्वचा पर लगवा लेते हैं जिससे जलने की समस्या आ सकती है. ज़्यादा गर्म वैक्स का इस्तमाल करने से त्वचा की कुछ परतें निकल कर बाहर आ सकती हैं. इसलिए बिकिनी या ब्राजीलियन वैक्स के समय सचेत रहें.

7. नम्ब करने वाली क्रीम

अगर आपको लगता है कि आपकी त्वचा काफी संवेदनशील है तो आप वैक्सिंग वाली जगह पर नम्ब करने वाली क्रीम का इस्तमाल कर सकते हैं. यह तब ज्यादा असरदार होता है जब आप बिकिनी या ब्राजीलियन वैक्स करवा रहे हों. नम्ब करने वाली क्रीम से शरीर के उस भाग की त्वचा नम्ब हो जाती है जहां आपको वैक्सिंग करवानी है और आपको दर्द रहित वैक्सिंग का एहसास होता है. इस क्रीम को आपको वैक्सिंग कराने से आधे घंटे पहले लगाना होता है.

8. दर्द से मुक्ति

अगर आपको लगता है कि आपका वैक्सिंग सेशन खराब होने वाला है तो अंतिम उपाय है कि आप दर्द से मुक्ति के लिए दवाई ले लें. अंतिम समय में एडविल, इबुप्रोफेन, एस्पिरिन जैसी दवाइयां ली जा सकती हैं. वैक्सिंग से आधा घंटा पहले इन्हें खाएं ताकि आपका वैक्सिंग सेशन सही रहे.

9. एलो वेरा जेल

जब आपकी वैक्सिंग हो जाए तो एक्सपर्ट से कहकर एलो वेरा जेल या कोई ऐसा ही जेल लगवा लें ताकि त्वचा पर लाल निशान न पडें. एलो वेरा जेल लगाने से आपकी त्वचा को अच्छा लगेगा और यह त्वचा को हाइड्रेट भी करती है.

10. चार हफ्ते पहले तक शेव न किया हो

जब वैक्स करवाने जाएं तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपने तीन से चार हफ्ते पहले तक शेव न किया हो. ऐसा कहते हैं कि कम से कम एक इंच बाल रहने चाहिए तभी वैक्सिंग में सुविधा होती है. इसका मतलब है कम से कम एक महिना बिना शेव किये हुए रहें. काफी छोटे बालों को निकालना काफी मुश्किल होता है जैसे काफी लंबे बालों को निकालने में दर्द होता है.

Diwali Special: चुटकियों में करें कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का संतुलन

त्योहारों का मौसम सभी के लिए उत्साह से भरा होता हैं, क्योंकि इस दौरान मुंह में पानी लाने वाले व्यंजनों को खाने का मौका भी मिलता हैं, लेकिन इसमें शामिल खाद्यपदार्थ ज्यादातर शुगर के साथ तैलीय भी होते है, ऐसे पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बडे हानिकारक हो सकते हैं. इस बारें में औरंगाबाद के डॉ.हेडगेवार अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. अनंत पंढरे कहते है कि उच्च ट्राइग्लिसराइड के स्तर और कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य स्थितियों को बढावा देनेवाले पदार्थ आगे जाकर हृदय रोगों की जोखिम को बढ़ाते हैं.हालाँकि 2 साल कोविड 19 से परेशान होने और घर से न निकल पाने की वजह से इस बार हर कोई किसी भी त्यौहार को जमकर मना रहे है.

ये अच्छी बात है कि परिवार के साथ त्यौहार खूब जमकर मनाये, लेकिन कुछ बातों पर अवश्य ध्यान रखें, ताकि आप कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को संतुलन बनाए रखने में समर्थ हो,यहां कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय निम्न हैं:

अधिक चीनी के सेवन से बचे

फ्रुक्टोज, शर्करा का विशेष रुप हैं. इससे शरीर का ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ता हैं. इसलिए, त्योहारों के दौरान बाहर जाने पर, कैंडी, बेक्ड गुड्स और आइसक्रीम सहित अतिरिक्त चीनी से बने खाद्य पदार्थों से बचें. शुगर फ्री मिठाईमें फ्रुक्टोज होता हैं और इससे फैट बढने की संभावना अधिक होती हैं. चाहे वह सामान्य मिठाई हो या चीनी मुक्त मिठाई, हमेशा याद रखेंकि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है.

रिफाईन्ड खाद्य पदार्थों का करें विरोध

सफेद ब्रेड, चावल, पास्ता, आदि जैसे खाद्य पदार्थ जो अक्सर फूड काउंटर पर आसानी से मिल जाते हैं. ये अधिक आसानी से चीनी में परिवर्तित हो जाते हैं.इसका परहेज कर और अनाज वाले खाद्य पदार्थों को चुनकर,आसानी से अपने ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बनाए रख सकते हैं.

आहार में करें शामिल फाइबर

उत्सव से दिनोंमें घर पर फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें.एक शोध के अनुसार, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में जटिल कार्बोहाइड्रेट सामग्री होती है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होती हैं. यह ट्राइग्लिसराइड की वृद्धि को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, जो भोजन के तुरंत बाद बढ़ता है. भोजन में सलाद और सब्जियों को हमेशा शामिल करें. फाइबर, अनाज और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे फलों और सब्जियों में अधिक पाया जाता है.

सही फैट का सेवन

ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल को स्वाभाविक रूप से बनाए रखने का एक आसान तरीका है,सालमन, जैतून के तेल और डाइटरी प्रोडक्ट आदि का प्रयोग करना, जो सप्लीमेंटकी तरह होता है जिसमे ओमेगा -3 फैटी एसिड होता हैं.  इसके अलावा सॅच्युरेटेड फैट जो मांस और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलता है, जैसे आइसक्रीम, पनीर आदि से कुल दैनिक कैलोरी के रूप में 5 से 6 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए और कोलेस्ट्रॉल का दैनिक सेवन 300 मिलीग्राम से अधिक उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इसके अलावाएक बार प्रयोग किये गएफ्राइंग तेल का पुन: उपयोग न करें.

रेड मीट की जगह चुनें मछली

ओमेगा -3हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं और ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करने में मदद करता है. जब आप किसी बाहर खाना खाने जा रहे हों, तो मछली के सेवन को अधिक प्राथमिकता दें, डॉक्टर्स का सुझाव है कि जिन मछलियों में ओमेगा-3 की मात्रा अधिक होती है, उन्हें हफ्ते में दो बार खाना चाहिए.

नियमित रूप से करें व्यायाम

नियमित व्यायाम करना सभी के लिए आवश्यकहोता है,खासकर हाई ट्राइग्लिसराइड्स वाले लोगों के लिए वर्कआउट बहुत अधिक जरुरी होता है. इससे रक्त में शुगर की मात्रा कम होने के अलावा शरीर की क्षमता को बढाने में मदद मिलता है और शरीर द्वारा ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित होने वाली शर्करा की मात्रा को कम करता है. मध्यम एरोबिक व्यायाम से भी हृदय रोग वाले लोगों में ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में काफी सहायक होती है. हर दिन कम से कम 30 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि अवश्य करें.

वजन नियंत्रित रखें

वजन को नियंत्रित रखने की जरूरत हमेशा से ही होता आया है,हालाँकि कुछ लोगों की सोच है कि मोटापे से अगर उन्हें कोई तकलीफ नहीं, तो उन्हें इसे कम करने की जरुरत नहीं. कम उम्र में भले ही इसके साइड इफ़ेक्ट न दिखे, लेकिन उम्र के बढ़ने के साथ अधिक वजन होने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है. साथ ही मेटाबोलिक प्रक्रिया की काम करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उच्च ट्राइग्लिसराइड्स होता है. हेल्दी कैलोरीज का सेवन करस्वस्थ वजन बनाए रखें और ट्राइग्लिसराइड्स कम करें. त्योहारों के मौसम में खाने को छोड़ने या मिठाई से परहेज करने के बजाय छोटे-छोटे हिस्से में खाना खाएं. इससे वजन ठीक रहेगा और व्यक्ति स्वस्थ अनुभव कर सकेगा.

अंत में यही कहना सही रहेगा कि त्योहारों को तभी एन्जॉय किया जा सकता है, जब शरीर स्वस्थ और मजबूत हो, ऐसे में स्वस्थ जीवन शैली की आदतों को अपनाने की कोशिश करें. याद रखें, भोजन जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन समझदारी से खाना एक कला है. इसलिए अपने पोषण को बुद्धिमता से समझें.

अनुत्तरित प्रश्न: भाग 3- ज्योति कौन-सा अपमान न भूल सकी

क्या तुम मेरी दोस्ती का इतना भी मान नहीं रखोगी? मेरे इतने अनुनयविनय पर उस ने कहा कि वह सोच कर जवाब देगी. ये पत्र लौटाना शायद यही इंगित करता है कि वह अतीत भुला कर एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए अपनेआप को तैयार कर रही है. पर उस ने ये पत्र आप को क्यों लौटाए, ये मेरी समझ नहीं आ रहा है.’’

‘‘अब छोड़ो न,’’ मैं ने पत्र समेटते हुए बात समाप्त करनी चाही. मैं नहीं चाहती थी

कि गड़े मुरदे उखड़ें और मेरा वह कठोर एकतरफा रूप जतिन के सामने आए, ‘‘मैं ये खत जला दूंगी. ज्योति का अतीत यहीं खत्म. अब वह आराम से एक नई जिंदगी की शुरुआत करेगी.’’

‘‘हां मां, काश ऐसा ही हो,’’ जतिन के चेहरे पर प्रसन्नता की रेखा खिंच गई. उस ने सामने रखे खतों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. मैं समझ गई कि ज्योति का अध्याय इस की जिंदगी की किताब से निकल चुका है. संजना लौट आई थी.

जतिन और संजना लौट गए. मैं ज्योति के खत अलमारी से जलाने के लिए निकाल लाई. मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं ये खत वह मुझे क्यों दे गई है. मैं ने उस के चरित्र पर आक्षेप लगाते हुए उसे कालेज से निकालने की जो धमकी दी थी, उस से वह उस समय भले ही डर गई हो पर वह अपमान उसे हमेशा कचोटता रहा होगा. शायद अपनी बेगुनाही का सुबूत देने ही वह यहां आई थी. मुझे अपने सभी अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब मिल गया था, इसलिए इन पत्रों को जला देना ही उचित था.

मोमबत्ती की लौ में एक के बाद एक पत्र की होली जल रही थी. मेरे मस्तिष्क में विचारों का अंधड़ चल रहा था. मुझे शर्मिंदा करने आई थी यह लड़की. पर गुनहगार तो तुम हो ज्योति वर्मा. अपूर्ण होते हुए भी तुम ने प्यार करने का साहस कैसे किया और वह भी मेरे बेटे से? इन पत्रों को तुम ने अब तक संभाल कर रखा था, इसलिए न कि तुम जतिन से प्यार करती थीं.

अंतिम पत्र हाथ में लेते वक्त मुझे कुछ अजीब सा लगा. यह अन्य पत्रों के लिफाफों से अलग किस्म का लिफाफा था. मैं ने उसे मोमबत्ती की लौ से छुआ तो दिया, लेकिन पते पर नाम पढ़ते ही मुझे करंट सा लगा. यह तो मेरे नाम था. तुरंत मैं ने आग बुझाई. शुक्र है, लिफाफा ही जला था. कांपते हाथों से मैं ने अंदर से खत निकाला. पत्र मुझे संबोधित था:

डियर मैडम, सुना था वक्त के साथ इंसान के जख्म भर जाते हैं, किंतु यदि ये जख्म कटु वचनों ने दिए हैं तो युगों का अंतराल भी इन जख्मों को नहीं भर पाता. आप द्वारा दिए जख्म मेरे सीने

में अब तक हरे हैं. मैं अपनी गलती मानती हूं कि मुझे पढ़ाई पर ही ध्यान देना चाहिए था, लेकिन मुझ पर आरोप लगा कर और अपने

बेटे से एक बार भी पूछताछ किए बिना आप ने जो एकतरफा निर्णय सुना दिया, उस से मेरे दिल में बसी आप की सम्मानित छवि तारतार हो गई.

प्रिंसिपल की कुरसी पर एक पूर्वाग्रहग्रसित मां को बोलते देख मैं अवाक रह गई थी. चाहती तो ये पत्र मैं आप को अगले दिन ही ला कर दिखा सकती थी, लेकिन क्या फायदा? आप को मुझ पर विश्वास ही कहां था? आप ने मुझे अपनी सफाई पेश करने का एक मौका भी नहीं दिया. सीधा मुझे चरित्रहीन ठहराते हुए कालेज से निकालने की धमकी दे डाली. मामामामी के पास पल रही मुझ अनाथ के लिए अपमान का घूंट पी जाने के अलावा अन्य कोई चारा न था. जतिन को कहती, तो वह आप के खिलाफ विद्रोह पर उतर आता. मांबाप के प्यार को तरसती यह अनाथ मांबेटे के बीच दीवार नहीं बनना चाहती थी. प्यार तो और भी मिल सकता है, मां नहीं. इसलिए मैं ने एक मनगढ़ंत झूठ बोल कर जतिन से किनारा कर लिया…

पत्र थामे मेरे हाथ कांपने लगे थे पर नजरें उसी पर टिकी रहीं…

और देखिए संजना के रूप में जतिन को दूसरा प्यार भी मिल गया और मां भी साथ है. मेरा क्या, जिस के खाते में कोई प्यार नहीं लिखा, उसे कैसे मिल सकता है? मैं विदेश चली गई. नाम, दौलत सब कमा लेने के बावजूद जीवन में एक खालीपन सा महसूस होता रहा. शायद उसे ही भरने इंडिया लौट आई. दोस्त के रूप में जतिन से मिल कर अच्छा लगा, लेकिन दोस्त के रूप में उस की मुझ से जो अपेक्षाएं हैं वे शायद मैं पूरी नहीं कर पाऊंगी. मैं न तो उसे सच बता सकती हूं, न उस का प्रस्ताव मान सकती हूं. शायद मेरा इंडिया लौटने का निर्णय ही गलत था. मैं किसी को खुशी नहीं दे सकती, इसलिए मैं हमेशाहमेशा के लिए विदेश लौट रही हूं. जानेअनजाने आप लोगों की जिंदगी में आने और आप लोगों को दुख पहुंचाने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं.

ज्योति पत्र समाप्त कर मैं देर तक शून्य में आंखें गड़ाए बैठी रही. अहंकार का किला लड़खड़ा कर धराशायी हो चुका था. मैं जतिन और ज्योति के सच्चे प्यार को नहीं पहचान पाई. बेटे को उस के प्यार से दूर कर दिया. न तो मैं एक अच्छी मां बन पाई और न एक अच्छी प्रिंसिपल. अंधी ममता के वशीभूत एक छात्रा का जीवन बरबाद करने पर उतर आई और एक तरह से कर ही डाला. कुछ प्रश्न दिमाग में फिर से उभरने लगे थे. ज्योति इंडिया क्यों आई थी? क्या इस उम्मीद में कि शायद जतिन अब भी उस का इंतजार कर रहा हो? मेरे बेटे का घर तो बस गया, लेकिन क्या ज्योति बेगुनाह होते हुए भी जिंदगी में कभी किसी का हाथ थाम पाएगी? अनुत्तरित प्रश्नों की बौछार ने मुझे निरुत्तर कर दिया.

नशा: भाग 1- क्या रेखा अपना जीवन संवार पाई

‘‘अम्माजी, ऐसा कभी नहीं हो सकता. आप मेरी मां हैं, मैं आप की बात पर विश्वास करूंगा. किंतु लगता है आप को गलतफहमी हुई है. रेखा शराब पीने लगी है, यह कैसे मान लूं, मैं.’’

‘‘बेटा, तेरे घर में तूफान आया है. और मैं तेरी मां हूं. यदि तेरे घर को तबाह करने वाले तूफान की आहट न पा सकूं तो मुझ से बढ़ कर मूंढ़ कौन होगा. बस, मैं तो यही कहती हूं, जल्दी से जल्दी इंडिया आ जा और तूफान से होने वाली तबाही को रोक ले.’’

बेटे देवेश से बात कर के अम्माजी ने फोन रख दिया था. ‘देवेश आज यहां नहीं है, तो मेरा तो कर्तव्य है कि उस के घर के तिनके बिखरने से पहले उन्हें बचा लूं,’ सोचतेसोचते अम्माजी वहीं सोफे पर लेट गई थीं. बड़े आश्चर्य की बात है कि रेखा पीती है, वे जानती न थीं. वह तो सोसायटी के गेट पर बैठे चौकीदार ने सुबह बताया था, ‘माताजी, देवेश बाबू एक शरीफ और समझदार व्यक्ति हैं.

2 साल पहले जब वे विदेश जा रहे थे तो कहा था कि घर तुम पर छोड़ कर जा रहा हूं, मुझे यह भी याद है कि उन्होंने आप का फोन नंबर भी दिया था, कहा था कि जरूरत पड़े तो अम्माजी को सूचित कर देना. इसीलिए बता रहा हूं, मैम का देर से घर आना ठीक नहीं लगता. आप तो बुजुर्ग हैं. मैम आप की बहू हैं, कहते शर्म आती है. अच्छा हुआ जो आप आ गई हैं संभाल लेंगी.’ सुन कर अम्माजी सन्न रह गई थीं. चुपचाप फ्लैट पर आ गई थीं.

सुबह का समय था, रेखा घर में नहीं थी. ‘‘मैम तो सुबह निकल जाती हैं. देररात तक वापस आती हैं. मैं तो नौकरानी हूं, क्या कहूं? अच्छा हुआ आप आ गई हैं. अम्माजी, मैं अब यहां नहीं रहूंगी. आप ही ने मुझे यहां भेजा था, आप से ही छुट्टी चाहती हूं. बस, यह नशे की लत है ही बुरी. छोटा मुंह बड़ी बात. यदि झूठ बोलूं तो फूफी को सौ जूती मार लो…’’ नौकरानी फूफी ने भी जब चौकीदार की बात को दोहराया तो उन्हें लगा कि यहां हालात सचमुच ठीक नहीं हैं.

नौकरानी फूफी आगे बोली, ‘‘अम्माजी, बैठो, खाना तैयार है. मूली के परांठे बनाए हैं.’’ अम्माजी बड़ी अनमनी सी बोलीं, ‘‘छोड़ो फूफी, मन नहीं कर रहा. अभी तो बहू का इंतजार कर रही हूं. आज तो शनिवार है, जल्दी आ जाएगी.’’ वे सोफे पर बैठ गईं और अतीत में खो गईं.

देवेश और राकेश अम्माजी के 2 बेटे हैं. जब उन के पति की मृत्यु हुई थी तो दोनों की उम्र 12 वर्ष और 10 वर्ष थी. अम्माजी का वैसे तो नाम अल्पना है पर उन की समझदारी और सोच को देख पूरा महल्ला उन्हें अम्माजी कहता था. पति के न रहने पर उन्होंने बड़ी मुसीबतों में दिन काटे हैं. सब याद है उन्हें.

हरियाणा के छोटे से गांव में स्कूल की छोटी सी नौकरी थी. उसी में सारा गुजारा करना होता था. सो, बच्चों को भी कंजूसी से चलने की आदत थी.

अम्माजी ने दोनों बच्चों को इंजीनियर बनाया था. कितनी परेशानी से वे पढ़े थे, अम्माजी से ज्यादा कौन जानता था. फिर दोनों का विवाह भी किया था उन्होंने ही. ‘‘अम्माजी, खाना टेबल पर लगा दिया है,’’ नौकरानी की आवाज सुन कर वे वर्तमान में लौटीं.

अम्माजी 60 की होने वाली थीं. रिटायर होने के बाद देवेश के साथ रहने की सोच रही थीं. देवेश की शादी को 2 वर्ष बीते तो उसे कंपनी की तरफ से एक प्रोजैक्ट के लिए जरमनी जाना पड़ गया. 3 वर्षों का कौन्ट्रैक्ट था. पैसे भी अच्छे मिल रहे थे. ऐसे सुअवसर को देवेश छोड़ना नहीं चाहता था. देवेश के जाने के कुछ दिनों पहले रेखा ने भी एक नौकरी जौइन कर ली थी. औफिस, उस के घर से काफी दूर था.

एक दिन उस के एक सहयोगी ने कहा, ‘‘रेखा, यहीं औफिस के करीब सोसायटी फ्लैट है, चाहो तो किराए पर ले सकती हो. इतनी दूर आनंद विहार से द्वारका आनाजाना आसान नहीं है. आनंद विहार के फ्लैट सुंदर व सस्ते भी थे. कम किराए में सुंदर फ्लैट. अम्माजी, देवेश और रेखा तीनों को अच्छा लगा.

देवेश के जरमनी जाने से पहले घर बदल भी लिया था. एक रोज देवेश ने रेखा से कहा, ‘यह फ्लैट छोटा है पर गुजारे लायक है. जरमनी से लौटूंगा तो मैं काफी पैसा बचा लूंगा. 50 लाख रुपए के लगभग मेरे पास होंगे, तब मैं अपना फ्लैट खरीद लूंगा.’ ‘ठीक कहते हैं आप, दिल्ली में हमारा अपना मकान होगा. लोगों का यह सपना होता है. हमारा भी यह सपना है,’ रेखा बोली थी.

दरअसल, देवेश ने इस प्रोजैक्ट के लिए हामी भरी ही इसलिए थी. वह बरसों पहले देखा ‘अपना घर’ का सपना पूरा करना चाहता था. इसलिए एकएक पैसा इकट्ठा कर रहा था. बेशक, 3 वर्षों के लिए पत्नी से दूर होना पड़े, पर यही एक रास्ता था. यह बात रेखा भी जानती थी.

देवेश जरमनी चला गया. शुरू में रेखा को खालीपन लगता था. अकसर अम्माजी आ जाती थीं. पर उन की उम्र ढल रही थी. सो, आनाजाना आसान न था. महीनों गुजर जाते. बस, फोन पर सासबहू एकदूसरे का हाल ले लेतीं. रेखा एक समझदार लड़की है. आज तक सासबहू में तूतूमैंमैं कभी नहीं हुई. अम्माजी यहां आ कर पैर फैला कर सोती हैं. इस पर फूफी नौकरानी हमेशा कहती, ‘अच्छी बहू मिली है, अम्माजी.’ उसी फूफी के मुंह से यह सब सुन कर उन का मन खिन्न हो गया. तभी दरवाजे की घंटी बजी. अम्माजी ने समय देखा कि रात में पूरे 12 बजे थे. दिमाग घूम गया.

‘‘अरे फूफी, देखो, लगता है रेखा आ गई है.’’

‘‘हां, वही है.’’

अम्माजी को ड्राइंगरूम में बैठा देख वह सहम गई. ‘‘अम्माजी, आप?’’ उस ने खुद ही महसूस किया कि उस की आवाज लड़खड़ा रही है.

‘‘बहू, इतनी देर?’’

‘‘वह, मेरी सहेली की बेटी का जन्मदिन था. सो, लेट हो गई.’’ उस ने झूठ बोला था. अम्माजी जानती थीं. पर कुछ भी न कहा सिवा इस के, ‘‘अच्छा, हाथमुंह धो ले, मैं तेरे इंतजार में भूखी बैठी हूं.’’

वह हड़बड़ा कर बाथरूम में घुस गई थी. शावर लेते हुए वह सोचने लगी, कुछ देर पहले नशे में धुत्त थी. टैक्सी में बैठी बार वाली उस घटना पर हंस रही थी- नंदिनी और एक शराबी कैसे दोनों लिपटे हुए एकदूसरे को चूमचाट रहे थे. बाकी लोग तालियां बजा कर तमाशा देख रहे थे.

एक शराबी उस को खींच कर नाचने के डांस?फ्लोर पर ले आया. वह शर्म से पानीपानी हो गई थी. मौका ताड़ कर वह भाग कर बार से बाहर आ गई. नशा उतर रहा था, जो टैक्सी मिली, बैठ कर घर आ गई. अच्छा हुआ जो निकल आई, पता नहीं, शायद अम्माजी को शक हो गया है या उसे यों ही लग रहा है. और वह सोसायटी के गेट पर बैठा मुच्छड़ चौकीदार, गेट खोलते समय ऐसे घूर रहा था, जैसे कह रहा हो, ‘मैडमजी, आज तो बड़ी जल्दी घर लौट आईं.’

नहाधो कर वह काफी हलका महसूस कर रही थी. टेबल पर अम्माजी उस का इंतजार कर रही थीं.

‘‘बेटा, देवेश का फोन आया था. बता रहा था प्रोजैक्ट 6 महीने पहले खत्म हो रहा है. वह शायद इसी साल के दिसंबर में आएगा. और मैं भी दिसंबर में रिटायर हो कर तुम लोगों के पास रहूंगी.’’

‘देवेश जल्दी आ रहे हैं’ सुन कर रेखा के मन में खुशी की तरंग दौड़ गई. पर, अम्माजी हमारे साथ हेंगी, यह तो कभी सोचा भी न था.

‘‘अभी मैं 15 दिनों की छुट्टी ले कर आई हूं,’’ अम्माजी ने बरतन समेटते हुए सूचना दी थी. यानी 15 दिन अभी रहेंगी. उस के बाद रिटायर हो कर भी यहीं हमारे पास रहेंगी. इस का मतलब वह इन 15 दिनों तक डिं्रक से दूर रहेगी. और जब अम्मा यहां रहने आ जाएंगी तो फिर उस के पीने का क्या होगा? यही सब सोच रही थी रेखा.

वह डाइनिंग टेबल से उठ कर बिस्तर पर लेट गई और सोचने लगी, यह उसे क्या हो गया है ? उस की हर बात ड्रिंक से जुड़ी होती है. पीने के अलावा वह कुछ सोचती ही नहीं. अगर अम्माजी को पता लग गया, मैं क्लब जाती हूं, पीती हूं, तो क्या होगा? यह कैसा शौक पाल बैठी मैं?

बड़ा अजीब सा संयोग था जब दीपा ने उसे औफर दिया था, ‘तुम अकेली हो, तुम्हारे पति बाहर हैं, कैसे वक्त काटती हो?’

‘फिर क्या करूं खाली समय में?’ उस ने अचकचा कर दीपा से पूछा था.

‘अरे, मेरे साथ चलो, भूल जाओगी अकेलापन.’

‘कहां जाना होगा मुझे?’ मासूम सा प्रश्न किया रेखा ने.

‘चलोगी तो जान जाओगी,’ दीपा ने उस के साथ शाम का समय फिक्स किया था.

अनुत्तरित प्रश्न: भाग 2- ज्योति कौन-सा अपमान न भूल सकी

इस कल्पना से कि उस ने मेरे खिलाफ सब उगल दिया होगा, मेरा सर्वांग कांप उठा. ‘‘जल्दी कर, संजना आती होगी,’’ मैं ने अपनी बेकाबू धड़कनों को संभालने का प्रयास किया.

‘‘संजना जानती है ज्योति के बारे में. मैं ने उसे सब बता दिया है… सिवा इन पत्रों के,’’ जतिन नजरें झुकाए धीरे से बोला.

‘‘क्या? उसे यह सब बताने की क्या जरूरत थी, वह भी ऐसी अवस्था में?’’ मुझे जतिन पर गुस्सा आने लगा था. यह एक के बाद एक नादानियां किए जा रहा था. इसे क्या व्यावहारिकता की जरा भी समझ नहीं?

‘‘जरूरत थी मां और वह बहुत खुश है ज्योति के बारे में जान कर.’’

मुझे लगा, इस लड़के का दिमाग घूम गया है.

‘‘आप पहले पूरी बात सुन लीजिए, फिर सब समझ आ जाएगा. ज्योति ने बताया कि वह मुझ से शादी नहीं कर सकती, क्योंकि वह अपूर्ण है. एक दुर्घटना में वह अपने मातापिता के साथ अपनी प्रजनन क्षमता खो चुकी है, इसलिए वह किसी से विवाह नहीं कर सकती. आप की तरह मैं भी उस वक्त यह सुन कर जड़ रह गया था. इतनी बड़ी बात और ज्योति मुझे अब बता रही थी? अंदर से दूसरी आवाज आई, शुक्र है बता दिया. शादी के बाद पता चलता तो? तभी तीसरी आवाज आई, कहीं यह मुझे परख तो नहीं रही? मुझे असमंजस में खड़ा देख ज्योति आगे बोली कि इस स्थिति में तुम क्या, कोई भी लड़का मुझ से विवाह नहीं करेगा. मुझे तुम्हें पहले बता देना चाहिए था. पता नहीं अब तक किस गफलत में डूबी रही. खैर… अब हमारे रास्ते अलग हैं. वह जाने लगी तो मुझ से रहा नहीं गया. मैं ने आगे बढ़ कर उस का हाथ थाम लिया. नहीं ज्योति, मुझे छोड़ कर मत जाओ. मैं नहीं रह पाऊंगा. हम बच्चा गोद ले लेंगे.’’

मैं ने तमक कर जतिन को देखा, लेकिन इस वक्त उस पर मेरा रोब, खौफ, प्यार सब बेअसर था. वह ज्योति के खयालों में ही खोया हुआ था.

‘‘इस पर ज्योति का कहना था कि भावुकता में बह कर मैं न तुम्हारा जीवन बरबाद करना चाहती हूं, न अपना. आज भले ही तुम भावुकता में मेरा हाथ थाम लो, लेकिन कल लोगों के ताने, मां का विलाप तुम्हें यथार्थ के धरातल पर ला खड़ा करेगा. तब तुम्हें अपने निर्णय पर पछतावा होगा. फिर या तो तुम मेरी अवहेलना करोगे या सहानुभूति दर्शाओगे और मुझे दोनों ही मंजूर नहीं. मैं कालेज से निकल कर आगे और पढ़ना चाहती हूं. कुछ बन कर दिखाना चाहती हूं. अपनी अपूर्णता को अपनी प्रतिभा से मैं पूर्णता में बदल दूंगी. मैं ने उस से कहा था कि वह सब तुम मेरे साथ रह कर भी कर सकती हो ज्योति. लेकिन उस का कहना था कि नहीं जतिन, मुझे बैसाखियों पर चलने का शौक नहीं है.

‘‘उस समय जरूर मुझे ऐसा लगा था मां कि अति आत्मविश्वास ने इसे अंधा बना दिया है. यह अपना भलाबुरा नहीं सोच पा रही है. मैं स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा

था. लेकिन आज सोचता हूं तो लगता है उस ने जो भी किया, एकदम सही किया था. प्यार विशुद्ध प्यार होता है. जहां उस में दया, सहानुभूति, सहारे या विवशता का भाव आ जाता है, वहां प्यार खत्म हो जाता है. हम ने अपने प्यार को वहीं लगाम दी, तो कम से कम हमारा दोस्ताना तो जीवित रहा. कालेज खत्म कर के मैं नौकरी करने लगा और वह अपने सपने पूरे करने के लिए विदेश चली गई. व्यस्तता के कारण हमारा संपर्क घटतेघटते एकदम समाप्त हो गया.

‘‘कुछ महीने पहले मेरी उस से अचानक मुलाकात हो गई. पुणे की एक कंपनी में वह मैनेजर बन कर आई है. मैं तो अकसर पुणे जाता रहता हूं. एक व्यावसायिक मीटिंग में उसे देखा तो हैरान रह गया. मीटिंग के बाद हम मिले. दोस्तों की तरह साथ में डिनर भी किया. बहुत अच्छा लगा. पता चला, उस ने अभी तक शादी नहीं की है. बस मेरे दिमाग

में संजना के विधुर भैया का खयाल आ गया. आप तो जानती ही हैं मां, कितने संपन्न और अच्छे युवक हैं राजीव भैया. 2 साल होने को आए हैं सुरेखा भाभी के देहांत को. रिश्ते बहुत आ रहे हैं उन के लिए पर नन्ही सी नैना के मोह ने उन्हें जकड़ रखा है.

‘‘कहते हैं कि विवाह कर आने वाली लड़की खुद भी तो मां बनना चाहेगी और अपना बच्चा होते ही वह नैना की अवहेलना करने लग जाएगी. मां, यदि ज्योति की शादी उन से हो जाए तो कोई समस्या ही नहीं रहेगी, क्योंकि ज्योति तो मां बन ही नहीं सकती. दोनों एकदूसरे के लिए उपयुक्त पात्र हैं. मैं ने संजना को ज्योति के बारे में बताया तो वह भी बहुत खुश हुई. मां, ज्योति की कमी उस की गृहस्थी बसाने में उस की खूबी बन जाएगी,’’ जतिन बेहद उत्साहित हो चला था.

‘‘तुम ने ज्योति से बात की?’’ मैं अब भी सशंकित थी.

‘‘हां मां. उस ने इतनी अच्छी दोस्ती निभाई तो अब उस का घर बसाना मेरा फर्ज बनता है. मैं ज्योति से मिला और उस के सामने सारी बात स्पष्ट खोल कर रख दी.’’

‘‘वह मान गई?’’ मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था.

‘‘नहीं मां, ज्योति इतनी आसानी से मानने वालों में नहीं है मैं जानता था. वह नाराज हो गई थी कि मैं क्यों उसे अपनी जिंदगी जीने नहीं देता? लेकिन मैं ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं. मैं ने उसे अपनी दोस्ती का वास्ता दिया. जिंदगी की व्यावहारिकता समझाई कि इतनी पहाड़ सी जिंदगी बिना किसी सहारे के नहीं बिताई जा सकती. विशेषकर जीवन के संध्याकाल में जीवनसाथी की कमी तुम्हें अवश्य खलेगी. तुम आर्थिक रूप से सक्षम हो, अपने पैरों पर खड़ी हो, जब चाहो उचित न लगने पर संबंध तोड़ सकती हो. इस रिश्ते में तो कोई दया, सहानुभूति वाली बात भी नहीं है. राजीव भैया तुम्हारा सहारा बनेंगे तो तुम उन का सहारा बनोगी. 2 अपूर्ण मिल कर पूर्ण हो जाएंगे.

‘‘तुम ने मुझे यथार्थ के धरातल पर खड़ा कर के सोचने के लिए मजबूर किया था, आज मैं तुम से उसी यथार्थ के धरातल पर खड़ा हो कर सोचने की प्रार्थना कर रहा हूं.

UP के एक गांव की छात्रा को Google ने दिया 56 लाख रुपये का ऑफर

कहते हैं अगर आपके पास प्रतिभा है तो कामयाबी आपके कदम खुद चूमेगी. ऐसी ही एक खबर आई है यूपी गोठवां गांव से, जहां आराध्या त्रिपाठी नाम की लड़की के पास टैलेंट की कमी नहीं और ये बात तब साबित हो जाती है जब Google से उसे 56 लाख रुपये की नौकरी का ऑफर मिलता है. दरअसल आराध्या ने कम उम्र से ही पढ़ाई में प्रतिभा दिखाई. वह पढ़ने लिखने में काफी तेज रही, बचपन से ही हमेशा आगे रहने की सोची. गांव में रहते हुए भी कोई कमी उनके पढ़ाई के आगे नहीं आई. सेंट जोसेफ स्कूल में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक करने के लिए MMMUT में दाखिला लिया. आराध्या ने हर मुसीबत पार की.

एक गांव से गूगल तक का सफर आसान नहीं था, आराध्या के पिता वकील हैं और मां गृहिणी.  आराध्या ने कम उम्र से ही पढ़ाई में प्रतिभा दिखाई. सेंट जोसेफ स्कूल में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बी.टेक करने के लिए एमएमएमयूटी में शामिल हो गईं. तब से उन्होंने न केवल विश्वविद्यालय में ही नहीं बल्कि पूरे तकनीकी उद्योग में अपनी पहचान बनाई है और Google में सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में  प्रतिष्ठित भूमिका प्राप्त की है. 2023 में, आराध्या ने स्केलर में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया.

कंपनी में उनका कार्यकाल इस हद तक सफल रहा, कि उनकी इंटर्नशिप पूरी होने पर, स्केलर ने उन्हें 32 लाख रुपये का पैकेज दिया, जो एक अच्छी सैलरी थी, फिर भी उन्हें जल्द ही Google से एक बड़ा ऑफर मिला. अपनी इंटर्नशिप के दौरान, आराध्या ने काम करते हुए स्केलेबल उत्पादों और लाइव प्रोडक्शन ट्रैफिक को संभालने का व्यापक अनुभव प्राप्त किया. उन्होंने लिंक्डइन पर अपने कौशल के बारे में विस्तार से बताया है कि मेरे पास React.JS, React Redux, NextJs, टाइपस्क्रिप्ट, NodeJs, MongoDb, ExpressJS और SCSS जैसे कई टेक्नोलॉजी स्टैक पर मजबूत पकड़ और अनुभव है. लिंक्डइन पर आज कर हर कोई अपनी जॉब प्रोफाइल बनाता है, वैसे ही आराध्या ने भी बनाया. लिंक्डइन आजकल जॉब के लिए बहुत ही अच्छा साइट माना जाता है.

खबरों के मुताबिक आराध्या कहती हैं कि उन्हें डेटा स्ट्रक्चर्स और एल्गोरिदम में गहरी रुचि है और उन्होंने बहुत सारे कोडिंग प्लेटफॉर्म पर लगभग 1000+ प्रश्न हल किए हैं और उन पर मेरी अच्छी रेटिंग है. आराध्या त्रिपाठी की कहानी कड़ी मेहनत का एक उदाहरण है जिसने साबित कर दिया है कि गांव की लड़कियां भी अब पीछे नहीं रहीं. अगर आपके पास टैलेंट है और आप मेहनती हैं तो कामयाबी आपके पीछे पीछे भागेगी. दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं. जरूरत है तो मेहनत, संकल्प और लगन की.

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है… इससे पहले भी एक खबर आई थी कि.. पटना की एक लड़की को गूगल ने एक करोड़ की नौकरी का ऑफर दिया था. एक करोड़ से अधिक के सैलरी पैकेज पर प्लेसमेंट पाने वाली लड़की का नाम संप्रीति यादव है. इस वक्त संप्रीति अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रही हैं. उन्होंने गूगल 14 फरवरी 2022 को ज्वाइन किया था. रिपोर्ट के अनुसार गूगल ने उन्हें एक करोड़ 10 लाख का पैकेज दिया था. गूगल में उनका सेलेक्शन 9 राउंड इंटरव्यू के बाद हुआ था.

अनुत्तरित प्रश्न: भाग 1- ज्योति कौन-सा अपमान न भूल सकी

ज्योति को इतने बरसों बाद एकाएक सामने देख कर मैं हैरान हो उठी. उस ने मुझे जतिन की शादी की बधाई दी.

‘‘मैं काफी समय से विदेश में थी. अभी कुछ समय पूर्व ही इंडिया लौटी हूं. जतिन की शादी की बात सुनी तो बेहद खुशी हुई. आप को बधाई देने के लिए मैं खुद को न रोक सकी, इसीलिए आप के पास चली आई. ये कुछ खत हैं, अब ये आप की अमानत हैं. आप इन का जो करना चाहें करें, मैं चलती हूं.’’

‘‘अरे, कुछ देर तो बैठो… चाय वगैरह…’’ मैं कहती ही रह गई पर वह उठ कर खड़ी हो गई.

‘‘बस, आप को भी तो कालेज जाना होगा,’’ कह कर तेज कदमों से चल दी.

उस के जाने के बाद मैं ने खतों पर सरसरी निगाह डाली तो चौंक उठी. वे जतिन द्वारा ज्योति के नाम लिखे प्रेमपत्र थे. शुरू के 1-2 पत्र पढ़ कर मैं ने सब उठा कर रख दिए. कालेज में आएदिन ऐसे प्रेमपत्र पकड़े जाते थे, इसीलिए ऐसे पत्रों में मेरी कोई रुचि नहीं रह गई थी. पर चूंकि जतिन की लिखावट थी, इसलिए मैं ने 1-2 पत्र पढ़ लिए थे. उन से

ही मुझे प्रेम की गहराई का काफी कुछ अनुमान हो गया था. आश्चर्य था तो इस बात पर कि जतिन ने कभी मुझ से इस बारे में कुछ कहा क्यों नहीं?

कालेज में भी मेरा मन नहीं लगा. बारबार ज्योति का चेहरा आंखों के आगे घूमने लगा. वह पहले से भी ज्यादा आकर्षक लगी थी. सुंदरता में आत्मविश्वास के पुट ने उस के व्यक्तित्व को एक ओज और गरिमा प्रदान कर दी थी. यह मेधावी छात्रा कभी मेरी प्रिय छात्राओं में से एक थी, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि मैं इसे नापसंद करने लगी. इसी कालेज में पढ़ने वाले अपने बेटे के संग मैं ने इसे 2-3 बार देख लिया था.

जतिन, मेरा बेटा हमेशा मेरी कमजोरी रहा है. सुधीर के निधन के बाद से तो मैं उसी के लिए जी रही हूं. अपनी प्रिय वस्तु के छिन जाने का भय मुझ पर हावी होने लगा. अपने चैंबर में ज्योति को बुला कर अकेले में मैं ने उसे डांट दिया था.

‘‘तुम कालेज में पढ़ने आती हो या अपनी खूबसूरती और प्रतिभा का प्रदर्शन कर उसे भुनाने? अपनी पढ़ाई से मतलब रखो, वरना कालेज से निकाल दी जाओगी. मैं तुम्हारा बैकग्राउंड अच्छी तरह जानती हूं. एक बार शिकायत घर चली गई तो कहीं की नहीं रहोगी. नाऊ गेट लौस्ट,’’ उस समय प्रिंसिपल के कड़क मुखौटे के पीछे मैं एक आशंकित मां का चेहरा छिपाने में सफल हो गई थी.

ज्योति ने फिर कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया. मैं आश्वस्त हो गई थी. जतिन को अवश्य मैं ने कुछ दिनों परेशान देखा था पर फिर परीक्षाएं नजदीक देख कर वह भी पढ़ाई में रम गया था. मैं ने राहत की सांस ली थी. डिग्री मिलते ही अपने रसूखों से मैं ने उस की नौकरी लगवा दी. फिर संजना जैसी सुंदर और सुशील कन्या से उस का विवाह भी करा दिया.

फिर भी जतिन ने एक बार भी ज्योति का जिक्र नहीं किया. जतिन और संजना का वैवाहिक जीवन हंसीखुशी चल रहा था. उन के विवाह को 2 वर्ष होने वाले थे. पिछली बार जतिन ने जब मुझे मेरे दादी बनने की खबर सुनाई थी तो मैं खुशी से उछल पड़ी थी. संजना पर आशीर्वाद और हिदायतों की झड़ी लगा दी थी मैं ने.

वे दोनों मेरे पास आने वाले थे. सब कुछ कितना अच्छा चल रहा था और यह बीच में ज्योति जाने कहां से टपक पड़ी. वह भी जतिन के लिखे प्रेमपत्र ले कर. क्या चाहती है यह लड़की? ब्लैकमेल करना? तो फिर पत्र मुझे क्यों दिए? हो सकता है जेरौक्स कौपी हो उस के पास. यह भी हो सकता है कि जतिन की शादी का पता चला हो तब यह किस्सा ही खत्म कर देना चाहती हो. अगर ऐसा होता तो फिर खुद ही जला देती. जतिन को भी लौटा सकती थी. नहींनहीं, वहां तो संजना है.

आखिर, उस का क्या मंतव्य हो सकता है? शायद मेरी निगाहों में खुद को बेकुसूर साबित करना चाहती हो कि आप का बेटा मुझे प्यार करता था और खत लिखता था, मेरा कोई कुसूर नहीं था.

अनुत्तरित प्रश्नों की गूंज ने मुझे बेचैन कर दिया था. कभी मन करता खतों को जला डालूं. कभी मन करता इन्हें जतिन को दिखा कर पूछूं कि इन में कितनी सचाई थी? यदि उस का प्यार सच्चा था तो उस ने उस का इस तरह गला क्यों घोंटा? मेरे सभी प्रश्नों का जवाब जतिन ही दे सकता था. फोन पर पूछना संभव नहीं था. मैं उस के आने की राह देखने लगी.

जतिन आया मगर मुझे उसे खत दिखाने और बात करने का मौका नहीं मिल रहा था, जबकि उन के लौटने के दिन नजदीक आते जा रहे थे. मुझे बहू के लिए साड़ी और कुछ सामान खरीदने थे. जतिन से कहा तो उस ने हाथ खींच लिए.

‘‘मां, यह काम मेरे बस का नहीं है. आप दोनों हो आइए. मैं तब तक अपना कुछ काम कर लेता हूं.’’

मुझे उस की बात ठीक लगी. लौटते वक्त मैं ने अचानक गाड़ी रुकवाई, ‘‘संजना बेटी, मुझे यहीं उतार दो. मैं रिकशा कर के घर चली जाती हूं और खाने वगैरह की तैयारी कर लेती हूं. तुम तब तक नत्थू की दुकान से अपनी पसंद की मिठाई, नमकीन बंधवा लाओ और हां, थोड़े फल भी ले आना.’’

संजना ने मुझे उतार कर गाड़ी घुमा ली. मैं घर पहुंची तो जतिन चौंक पड़ा, ‘‘क्या हुआ मां, तुम अकेली कैसे आईं? तबीयत तो ठीक है न? संजना कहां है?’’

‘‘आ रही है नुक्कड़ से मिठाई ले कर. मुझे तुम से अकेले में कुछ जरूरी बात करनी थी,’’ कह कर मैं जल्दीजल्दी जा कर अपनी अलमारी से कपड़ों की तरह के नीचे दबे खत ले आई और जतिन के सामने रख दिए. पत्र देख कर वह सकपका गया.

‘‘ये आप के पास कैसे आए?’’ उस ने साहस कर के पूछा.

‘‘जाहिर सी बात है, ज्योति दे कर गई है. बहुत प्यार करते थे न तुम उस से? प्रेमपत्र लिखने का साहस था, शादी करने का नहीं? मुझ से कहने का भी नहीं?’’

‘‘ऐसी बात नहीं थी मां. मैं तो उसी से शादी करना चाहता था…’’

‘‘फिर?’’ पूछते हुए मैं मन ही मन कांप उठी. कहीं ज्योति ने डांट और धमकी की बात जतिन को तो नहीं बता दी थी? उस वक्त मुझे कहां पता था कि मेरा अपना ही सिक्का खोटा है.

‘‘वैसे मां ज्योेति कैसी लगती है तुम्हें?’’ जतिन अब तक सामान्य हो चला था पर अब चौंकने की बारी मेरी थी.

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा? कैसी ऊलजलूल बातें कर रहे हो तुम?’’ मैं गुस्से से बोली.

‘‘ओह मां, आप गलत समझ रही हैं. खैर, आप का भी दोष नहीं है. मैं आप को शुरू से सारी बातें बताता हूं. मैं कालेज के दिनों से ही ज्योति को पसंद करने लगा था. लेकिन वह मेरे बारे में क्या सोचती है, यह नहीं जान पाया.

मैं ने उसे खत लिखे पर उस ने कोई जवाब नहीं दिया. मुझे उस की आंखों में अपने लिए प्यार नजर आता था, लेकिन न जाने क्यों वह मुझ से कतराती थी. फिर मुझे समझ आया वह आप से यानी अपनी प्रिंसिपल से खौफ खाती थी, इसलिए उन के बेटे से प्यार करने की जुर्रत नहीं कर पा रही थी. मैं अकेले में उस से मिला. समझाया कि मां से डरने की जरूरत नहीं है. हम वक्त आने पर अपने प्यार का इजहार करेंगे और वे शादी के लिए मान जाएंगी. वह कुछ आश्वस्त हुई थी, पर फिर न जाने क्या हुआ, उस ने अचानक मुझ से मिलना बंद कर दिया. सामने भी पड़ जाती तो कतरा कर निकल जाती. मैं परेशान हो उठा. आखिर एक दिन मैं ने उसे पकड़ लिया…’’

अंतिम पड़ाव का सुख: क्या गलत थी रेखा की सोच

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बिग बॉस 17: मुनव्वर से ईशा की नजदीकियों से नाराज हुए अभिषेक

सलमान खान का कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो बिग बॉस 17 दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. बिग बॉस का आज का  एपिसोड काफी दिलचस्प था. कल बिग बॉस ने अभिषेक कुमार को उनके आक्रामक व्यवहार के लिए सजा दी. घर वालों से कहा गया कि वे उनसे अकेले में बातचीत न करें. उनकी एक्स गर्लफ्रेंड ईशा मालवीय ने अभिषेक को कंपनी देने की कोशिश की, लेकिन वह नाराज हो गए.

ईशा मालवीय और मुनव्वर फारुकी की नजदीकियों से भड़के अभिषेक कुमार

दरअसल, बिग बॉस के निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए, ईशा अभिषेक के कमरे में गईं और उनसे बात करने की कोशिश की क्योंकि वह परेशान दिख रहे थे. अभिषेक ने खुलकर बताया कि उन्हें कौन सी बात परेशान कर रही थी. उन्होंने बताया कि मुनव्वर शारीरिक रूप से ईशा के करीब बैठा था और उसके पैर को टच कर रहा था. अभिषेक ने फारुकी द्वारा ईशा का हाथ पकड़ने पर नाराजगी भी जताई. बातचीत के दौरान अभिषेक ने अपना आपा खो दिया और ईशा का हाथ पकड़ लिया. अभिषेक को नाराज छोड़कर ईशा कमरे से बाहर चली गईं.

 

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अभिषेक कुमार दिल रूम में घुस गए और ईशा मालवीय पर जमकर बरसे

इसके बाद, अभिषेक मक्कन नंबर 1- दिल रूम में घुस गए और ईशा पर भड़क गए और उससे कहते कि घर में किसी और के पास उसकी तरह उसे परेशान करने की क्षमता नहीं है. उसने ईशा से उसे परेशान न करने के लिए कहा. बाद में ईशा ने अभिषेक से कहा कि वह घर के अन्य सदस्यों के सामने हंगामा न करें. विक्की ने उनके बीच चीजों को सुलझाने की कोशिश की.

बिग बॉस में हुआ फेरबदल

बिग बॉस सभी को लिविंग रूम में इकट्ठा करते है और अलग-अलग कमरों से घर के सदस्यों के फेरबदल की घोषणा करने के लिए कहते हैं. उन्होंने अभिषेक को दिल रूम में रखा और मन्नारा चोपड़ा और मुनव्वर फारुकी को दिमाग रूम में रखा. फेरबदल के बाद, दिल रूम में अंकिता लोखंडे, विक्की जैन, ऐश्वर्या शर्मा, नील भट्ट, अभिषेक कुमार और ईशा मालवीय जैसी हस्तियां शामिल हैं.

Diwali Special: इस त्योहार पर बनाएं ब्रोकन व्हीट पैन केक

त्योहार नजदीक आ गए है ऐसे में आप सोच रहे हैं खाने में क्या टेस्टी और स्पेशल बनाएं तो घर ही ट्राई करे ब्रोकन व्हीट पैन केक, कोकोनट डैजर्ट और चीजी डिनर बन. आइए आपको बताते है इनकी रेसिपी.

  1. ब्रोकन व्हीट पैन केक

सामग्री

1. 1 कप दलिया

 2. 1 प्याज बारीक कटा

 3.  1 टमाटर बारीक कटा

 4.  2 बड़े चम्मच लाल,

 5. पीली व हरी शिमलामिर्च कटी

  6. 1/2 कप लौकी घिसी

  7.  1/2 कप पनीर कसा

 8.  1-2 हरीमिर्चें कटी

 9.  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

 10.  3 बड़े चम्मच तेल

11.  नमक स्वादानुसार.

विधि

दलिए को अच्छी तरह धो कर पानी डाल कर 1 घंटा भिगोए रखें. फिर मिक्सी में पेस्ट बना लें. एक बाउल में निकाल कर इस में सारी सब्जियां, स्वादानुसार नमक, हरीमिर्चें व धनियापत्ती मिला लें. तवा गरम कर चम्मच से दलिए के मिश्रण को गरम तवे पर फैलाएं. दोनों तरफ से तेल लगा कर सेंक लें. पैन केक चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

2. कोकोनट डैजर्ट

सामग्री

1. 1 कप कोकोनट दूध

 2.  1/2 कप मिल्क

 3.  2 बड़े चम्मच चीनी

 4.   1/4 कप क्रीम

 5.  1/4 कप बादाम का पेस्ट

 6.  थोड़ा सा कंडैंस्ड मिल्क.

विधि

एक कड़ाही में कोकोनट दूध, कंडैंस्ड मिल्क, बादाम का पेस्ट, चीनी और मलाई को गाढ़ा करें. गाढ़ा होने पर मोल्ड में डाल कर फ्रीजर में जमा लें. जमने पर मोल्ड से निकाल कर कटे बादाम डाल कर सर्व करें.

3.  चीजी डिनर बन

सामग्री

1.  3-4 बर्गर बन

 2.  2 प्याज कटे

3.  2 टमाटर कटे

 4.  100 ग्राम पीला कद्दू कटा

 5.  2 बड़े चम्मच लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च कटी

 6.  50 ग्राम पनीर

7.  1/2 चम्मच कालीमिर्च पाउडर

 8.  1 गाजर कटी

9.  10 बींस कटी

10. 1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस

11.  2 बड़े चम्मच मक्खन

12. 50 ग्राम मोजरेला चीज

 13.  नमक स्वादानुसार.

विधि

सारी सब्जियों को धो कर बारीक काट लें. कड़ाही में मक्खन गरम कर इस में प्याज भूनें. फिर इस में कटी लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च, गाजर, कद्दू व बींस डाल कर भूनें. इस में नमक और टमाटर डाल 2-3 मिनट भूनें. अब पनीर के टुकड़े डाल कर 1-2 मिनट ढक कर पकाएं. बर्गर बन बीच से काट लें. इस में सब्जी का मिश्रण भरें. ऊपर से मोजरेला चीज डाल गरम ओवन में चीज पिघलने तक बेक करें और फिर गरमगरम सर्व करें.

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