प्रैगनैंसी: भाग 1- अरुण को बड़ा सबक कब मिला

शिखा के पास क्या नहीं था. जितना उस ने सोचा भी नहीं था. उस से कहीं अधिक उसे मिला था. लंबाचौड़ा फ्लैट, जिस के छज्जे से समुद्र की लहरें अठखेलियां करती दिखाई पड़ती थीं. उस पर रखे सीमेंट के गमलों में उस ने खूब सारी लताएं लगाई थीं, जो सदाबहार फूलों से लदी रहती थीं. इन सब का सुख लेने के लिए उस ने छज्जे पर सफेद बेंत की कुरसियां डलवा रखी थीं. अकसर वह और उस का पति चांदनी रातों में वहां बैठ कर समुद्र की लहरों को मचलते देखा करते थे. ऐसे में किलकारी मारती उन की बच्ची रूपा उन्हें बारबार धरती पर खींच लाया करती थी.

शिखा का ड्राइंगरूम भी कम खूबसूरत नहीं था. ड्राइंगरूम में लगे बड़ेबड़े शीशे के दरवाजे छज्जे पर ही खुलते थे. उन में से भी समुद्र साफ दिखाई देता था. दीवारों पर लगी बड़ीबड़ी मधुबनी कलाकृतियां आने वाले अतिथियों का मन मोह लेती थीं. बढि़या रैक्सीन का सफेद सोफा तो जैसे ड्राइंगरूम की शान था. उस पर वह इधरउधर गुलदस्ते सजा देती थी. नीली लेस लगे सफेद परदों से पूरा ड्राइंगरूम बहुत भव्य लगता था.

इसी तरह शिखा ने अपना शयनकक्ष भी सजाया हुआ था. पूरा हलका गुलाबी. उस की हर चीज में गुलाबी रंग का स्पर्श था. उस से लगा स्नानघर समूचा संगमरमर से बना था. फ्लैट बनवाते समय उस ने स्नानघर और रसोई पर ज्यादा ध्यान दिया था. उस का खयाल है कि यही दोनों चीजें किसी फ्लैट की जान होती हैं. अगर ये दोनों चीजें अच्छी न हों तो सबकुछ बेकार. इसीलिए उस ने अपने बाथरूम का टब सफेद संगमरमर का बनवाया था. उस के एक तरफ हलके रंगों के प्लास्टिक के परदे थे. जब शिखा उस में नहाती थी तो अपने को रानीमहारानी से कम नहीं समझती थी.

अब तो कहते हुए भी शर्म आती है, पर शुरू में उस ने सोचा था कि उस के 4-5 बच्चे होंगे. इसीलिए उस के उस फ्लैट में 5 कमरे थे. पर वह केवल एक ही बच्ची की मां बन कर रह गई. एक बच्ची के साथ यह फ्लैट उस को बहुत बड़ा लगता था. इसलिए उस ने केवल 3 कमरे अपने लिए सजाए थे, शेष 2 को आने वाले मेहमानों के लिए खाली रख छोड़ा था.

जब से शिखा के पति ने ‘शिपिंग’ कंपनी खोली थी तब से तो वह और भी अकेली हो गईर् थी. उस के पति को अकसर बाहर जाना पड़ता था. कुछ कपड़ों तथा जरूरत के सारे छोटेमोटे सामान के साथ उस के पति की अटैची सदा तैयार रहती. उस की बेटी रूपा कुछ साल बाद बड़ी हो गई थी. कालेज में पढ़ने लगी थी. मां के लिए उस के पास ज्यादा टाइम नहीं था. 4 चौकरों के बीच खिलौनों की तरह चक्कर काटती रहती थी. शिखा क्या करे. करने को कुछ काम ही नहीं था.

कभी कुछ भी करने को न होता तो वह नौकरों से पूरा फ्लैट धुलवा डालती. वह सफाई की शुरू से ही शौकीन थी. इस सफाई में उस का आधा दिन निकल जाता था. कभीकभी वह ड्राइंगरूम के शीशे स्वयं साफ करने लगती थी. उस के नौकर जो पुराने हो चुके थे, उसे काम करने से रोकते रहते थे. पर मन लगाने के लिए उसे कुछ काम तो करना चाहिए ही था. वह उपन्यास पढ़पढ़ कर ऊब गई थी क्योंकि उस के पति का स्टेटस देखते हुए उसे इस आयु में कोई जौब नहीं देगा. वैसे भी वह नौकरी करने की बात सोच भी नहीं सकती थी. पैसों कीकोई कमी नहीं थी.

जब मन बिलकुल न लगता तो दोनों मांबेटी कार ले कर खरीदारी के लिए निकल जाती थीं. थोड़े दिन उसी खरीदारी को व्यवस्थित करने में निकल जाते थे. कुछ दिन तो रूपा की पोशाक के लिए नई डिजाइन सोचने तथा कुछ अलट्रेशन कराने की बताने में ही निकल जाते थे. शिखा को बहुत अच्छा लगता जब उस की डिजाइन पर सिला कपड़ा रूपा पर खूब फबता.

पूरी रौनक तो उन दिनों आती थी, जब उस का पति अरुण दौरे से लौट कर घर आता. नौकरों में भी चहलपहल बढ़ जाती थी. 2 नौकर तो रसोई में जुटे रहते थे. अरुण को जोजो चीजें पसंद होतीं वे सब बनतीं. ऐसे में खाने की मेज पर डोंगों और प्लेटों की एक बाढ़ सी आ जाती. तब शिखा सजीसंवरी घूमती रहती थी.

मगर रूपा तब भी अपने में मस्त रहती. उसे अपनी सहेलियों और मित्रों के साथ इतना अच्छा लगता था कि वह घर को भूल ही जाती थी. उसे पता था, पिताजी जैसे आए हैं, वैसे ही चले जाएंगे. शाम को तो उन से मिलना ही है. बस और क्या चाहिए. फिर बड़ों के साथ बैठ कर उसे क्या मिलेगा. केवल प्यार भरी कोई नसीहत कि ऐसा करो, वैसा न करो, लड़कियों को खाना बनाना आना ही चाहिए, लड़कियों का बाहर बहुत नहीं रहना चाहिए आदिआदि.

जब से रूपा कालेज में पढ़ने लगी थी उसे यह सुनना बहुत बुरा लगने लगा था. शिखा जब उस मोबाइल पर फोन कर के कहती कि रूपा घर आने में देर न किया करो तो रूपा झंझाला उठती और कहती कि बताइए, घर आ कर मैं क्या करूं. यहां तो मेरा मन ही नहीं लगता. इसलिए थोड़ा शीला के घर चली जाती हूं.

जब शिखा उस से कहती कि बेटी, लड़कियों का ज्यादा देर बाहर रहना ठीक नहीं है तो रूपा कहती कि मां, पिताजी तो कभी ऐसा नहीं कहते. तुम हो कि सदा मुझे रोकती ही रहती हो. मां, अब दुनिया पहले से बहुत बदल गई है. लड़केलड़कियों में कोई अंतर नहीं होता आदि  कहती हुई दनादन सीढि़यां उतर जाती.

शिखा यह सब सुन कर भी चुप रह जाती थी. वह सोचने लगती कि क्या सचमुच जमाना बदल गया है. अपने जमाने में उसे अपनी मां और दादी से कितना डर लगता था. उसे स्कूल भी घर का नौकर छोड़ने जाता था. छुट्टी होते ही नौकर स्कूल के दरवाजे पर खड़ा मिलता था. एक दिन स्कूल से सीधे वह सहेली के घर चली गई थी. घर आते ही देखा पिता छड़ी ले कर दरवाजे पर चक्कर लगा रहे थे. मां अंदर अलग परेशान हो रह थी. वह डर के मारे सहम गई थी. बस इतना ही कह पाई थी, ‘‘मां, उस सहेली की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए चली गई थी.’’

मगर आगे के लिए रास्ता बंद हो गया था. पिता बोले थे, ‘‘यदि तुम्हें जाना ही था तो पूछ कर जाती. अब आगे से कभी कहीं नहीं जाना.’’

दादी तो सीधे गालियां ही देने लगी थीं, ‘‘आजकल की लड़कियों को लोकलाज तो है नहीं. जहां चाहे घूमती फिरती हैं.’’

चाहे जो भी हो, वह जमाना था बड़ा अच्छा. लड़कियों में एक सलीका था, लिहाज था. छोटे बड़ों की इज्जत करते थे. पर अब तो हर बात का जवाब उन के पास मौजूद है. वह कैसे सम?ाए रूपा को. उसे लगता है जवानी के तूफान में रूपा बहकती जा रही है. वह कैसे रोके उसे.

एक दिन शिखा ने अरुण से भी कहा, ‘‘अरुण, रूपा को समझओ. तुम तो

बाहर रहते हो, वह दिनभर घर से बाहर रहती है. मेरी एक नहीं सुनती. तुम ने उसे प्यार में सिर पर चढ़ा रखा है. कालेज से भी देर से आने लगी हैं.’’

उत्तर में अरुण ने कहा, ‘‘शिखा, सच कहता हूं तुम अपने दकियानूसी विचारों को छोड़ नहीं पाईं. जमाना देखो, लड़कियां दुनिया नहीं देखेंगी तो सीखेंगी कैसे. फिर तुम किस की पत्नी हो,’’ उस के पति सिर ऊंचा कर के थोड़ा सीना तान कर कहते, ‘‘शिपिंग कंपनी के मालिक की, जिस के 3-3 कारखाने भी हैं. तुम्हें किसी बात की चिंता नहीं करनी चाहिए,’’ अरुण शिखा के कंधे पकड़ मुसकरा दिया.

अरुण उन की बातों से थोड़ा मुसकराने लगती. फिर सोचती, ये सुख के क्षण बेकार की बातों में चले जाएंगे. अरुण 4 दिन के लिए आए हैं, उन को सुख ही सुख देना चाहिए. यह सोच कर वह उन का हाथ पकड़ कर कहने लगती, ‘‘तुम आ जाते हो तो मुझ में नई ताकत आ जाती है. मन कहता है कि तुम से सबकुछ कह डालूं. मेरी आदत तो तुम समझाते ही हो, अकेले में घबरा जाती हूं,’’ कहते हुए वह चुपचाप अपना सिर अरुण के सीने पर रख देती और सुख का एहसास करने लगती.

अरुण भी धीरेधीरे उस के बाल सहलाने लगता और कहता, ‘‘तुम खुश रहती हो तो मुझे भी अच्छा लगता है.’’

मगर शिखा सोचती रहती, कभी आदमी अपना मन खोल कर नहीं रख सकता. रूपा के प्रति हो सकता है वह गलत हो, पर उस की आदतों में जो खुलापन आ रहा है, उसे वह कैसे रोके. अगर उस ने अरुण से कह भी दिया तो उस का क्या अर्थ निकलेगा. इस बात को सोच कर वह सबकुछ भूल कर अरुण के स्पर्श के सुख में खो जाती.

वैवाहिक विज्ञापन वर चाहिए : मेरी बेटी के लिए वर चाहिए

मेरी 25 वर्षीय बेटी कौन्वैंट एजुकेटेड डिगरीधारी है. एक एमएनसी यानी मल्टीनैशनल कंपनी के मैनेजिंग डायरैक्टर की पर्सनल सैक्रेटरी है. उस का सालाना पैकेज 15 लाख रुपए है. रंग गोरा, सुडौल, कदकाठी आकर्षक नयननक्श, कद 5 फुट 5 इंच के लिए गृहकार्य में दक्ष, सरकारी नौकरी करने वाला (प्राइवेट नौकरी वाले कृपया क्षमा करें), पढ़ालिखा, आधुनिक विचारों वाला, सहनशील, गौरवर्ण और कम से कम 5 फुट 9 इंच कद वाला आज्ञाकारी वर चाहिए. जो निम्न शर्तें पूरी करता हो वही संपर्क करें :

–       मेरी बेटी को देररात तक अपने पसंदीदा सीरियल देखने की आदत है. उसे ऐसा करने से रोका न जाए. रविवार या छुट्टी के दिन उसे जीभर कर सोने दिया जाए और उसे डिस्टर्ब न किया जाए.

–       पति स्वयं सुबह की गरमागरम चाय बनाने के बाद ही उसे जगाए.

–       जब वह निवृत्त हो कर बाथरूम से डैसिंगरूम में जाए तो डायनिंग टेबल पर  नाश्ता सर्व करना शुरू कर दिया जाए.

–       नाश्ता करने के बाद औफिस जाते समय उसे लंचबौक्स तैयार मिलना चाहिए.

–       औफिस में बहुत काम होते हैं, इसलिए वापसी में देर होने पर पूछताछ न की जाए.

–       उस का वेतन उस का अपना है, उस पर किसी तरह का अधिकार न जमाया जाए. साथ ही, पति अपना पूरा वेतन उस के हाथ में ला कर देगा क्योंकि पति के वेतन पर पत्नी का ही अधिकार होता है, अन्य किसी का नहीं.

–       हमारी लाड़ली बेटी को खाना बनाना नहीं आता है, इसलिए वह खाना नहीं बनाएगी. उसे खाना बनाने की कला सिखाने के लिए भी बाध्य न किया जाए. वहीं, यह ध्यान रखें कि घर में खाना उसी की पसंद का बनाया जाए.

–       साफसफाई का घर में पूरा ध्यान रखा जाए क्योंकि उसे गंदगी से सख्त नफरत है.

–       उस का बाथरूम कोई अन्य इस्तेमाल न करे. यदि प्रयोग किया है तो उसे पूरी तरह वायपर से रगड़ कर और पोंछा लगा कर साफ किया जाए.

–       हमारी बेटी व्हाट्सऐप और फेसबुक की फैन है. फोन पर व्यस्त रहते समय उसे बिलकुल भी डिस्टर्ब न किया जाए. उस की स्किल के कारण ही सैकड़ों लोग फ्रैंडरिक्वैस्ट भेज रहे हैं और उस की मित्रता पाने को तरस रहे हैं.

–       भूल कर भी उस के मोबाइल फोन को कोई हाथ न लगाए वरना दुष्परिणाम भुगतने के लिए परिवार को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

–       वह जो भी सूट या साड़ी पसंद करे उसे पति ही खरीद कर देगा. कोई नानुकुर सहन नहीं होगी.

–       जब भी कभी वह बच्चे को जन्म देगी तो बच्चे के लालनपालन की जिम्मेदारी बच्चे के पिता की ही होगी, मसलन नहलाना, डायपर्स बदलना, कपड़े पहनाना, दूध पिलाना, झूले पर झुलाना आदि. रात के समय बच्चे के रोने के कारण यदि उस की नींद डिस्टर्ब होगी तो इस के लिए सीधेसीधे बच्चे का पिता जिम्मेदार होगा और उसे ही कोपभाजन का शिकार होना पड़ेगा.

–       सास या ननद को उस की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा.

–       परिवार के किसी भी सदस्य को उस से जिरह करने और किसी तरह का ताना देने का हक नहीं होगा.

शेष शर्तें लड़का पसंद आने पर बता दी जाएंगी.

नोट : हम ने अपनी बेटी को राजकुमारी की तरह पाला है और साथ ही, आधुनिक संस्कार भी दिए हैं. हम दावा तो नहीं करते लेकिन वादा जरूर करते हैं कि यह जिस घर में भी जाएगी वह परिवार ऐसी संस्कारवान वधू पा कर धन्य हो जाएगा.

डायटीशियन, भक्ति सामंत ने पके हुए केले को नियमित डाइट में शामिल करने का राज क्या बताया, जानें यहां

अधिकतर ऐसा माना जाता है कि जिस खाने की चीज का स्वाद अच्छा न हो, वह ज्यादातर हेल्दी ही होती है, लेकिन पके हुए केले के साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि बच्चे से लेकर व्यस्क सभी तकरीबन केला खाना पसंद करते हैं. केला स्वाद में जितना अच्छा लगता है उससे कहीं ज्यादा अच्छे उसके फायदे होते हैं.

इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की चीफ डायटीशियन, भक्ति सामंत कहती है कि मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया का फल केला, दुनिया भर में सभी उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में उगाया जाता है. आसानी से मिलने वाले फलों में केले को अपने आहार में कई तरह से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. पोषक तत्वों का एक ऐसा किफायती पैकेज, जिसके लाभ सभी ले सकते हैं. अगर आप अपने आहार को बेहतर बनाने, उसमें पोषण और स्वाद जोड़ने के पॉकेट फ्रेंडली तरीके खोज रहे हैं, तो उसके लिए केले को एक बेहतरीन आहार कहा जा सकता है, रोज एक केला खाने से हमारे शरीर को रोगों से लड़ने में काफी मदद मिल सकती है और ये हानिकारक नहीं होता, साथ ही एक सप्लीमेंट का काम करता है.

केला सामयिक पेट भर सकता है, इसलिए राह चलते लोग भूख लगने पर इसे खाना उचित समझते है, क्योंकि छिलके के अंदर पके केले को हायजिनकली भी साफ माना जाता है, लेकिन इसमें इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि केला किसी बीमारी का इलाज नहीं है. इसका सेवन बीमारी से बचाव करने और उसके लक्षणों के प्रभाव को कम करने में कुछ हद तक सहायक हो सकता है.

इसके फायदे निम्न है,

  • यह फल फाइबर, पोटेशियम, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विभिन्न एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है.
  • केला स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य की कई समस्याओं में फायदा पहुंचाने वाला होता है, केले में भारी मात्रा में पोटेशियम होने के कारण यह रक्तचाप को कम करने में मदद करता है.
  • केला खाने से हृदय प्रणाली पर तनाव कम होने की वजह से हाइपरटेंशन होने का खतरा कम हो सकता है.
  • मधुमेह मरीज़ को आमतौर पर केले से पूरी तरह परहेज करने की सलाह दी जाती है, जो वास्तव में गलत है, केले में प्रोटीन और फाइबर काफी ज़्यादा होता है, उसे कभी – कभी खाने में कोई हर्ज नहीं. इसके अलावा एक मेडिकल रिसर्च की मानें, तो केले को मधुमेह के इलाज के लिए के ट्रेडिशनल मेडिसिन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, साथ ही बनाना स्टेम (डंठल) और इसके फूल भी मधुमेह की स्थिति में कुछ हद तक राहत पहुंचा सकता है.
  • केला फाइबर युक्त होता है, इसलिए यह वजन घटाने में भी सहायक होता है. यह शरीर में बिना कैलोरी बढ़ाये पेट भर सकता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है. इसके अलावा केले में रेजिस्टेंस स्टार्च भी रहता है, जो वजन को नियंत्रित कर सकता है.
  • आपने सुना होगा कि पुरानी पीढ़ी के लोग केला खाने से रोकते हैं, खासकर जब खांसी और सर्दी हो. वे कहते हैं कि इससे लक्षण और अधिक बढ़ जाते हैं, लेकिन अध्ययनों के अनुसार केले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट अस्थमा से पीड़ित बच्चों में घरघराहट के प्रभाव को कम करने में मदद करता हैं.
  • केले का सेवन कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन सी और ल्यूसीन के उच्च स्तर के कारण ये मजबूत एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो कैंसर विरोधी प्रभाव डालने का काम करते हैं.
  • BRAT आहार में ‘बी’ का मतलब केला है, जो दस्त के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाने वाला आहार है. लगातार दस्त होने पर कई बार डॉक्टर्स बच्चे या वयस्कों को पके केले खाने की सलाह देते है. इसमें काफी ज़्यादा फाइबर और पानी होता है, जो पाचन तंत्र को नियमित करने में मदद करते हैं और दस्त के दौरान होने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स के नुकसान को पूरा करने में मदद करके व्यक्ति को तुरंत ऊर्जा देता हैं.
  • इसमें पेक्टिन भी प्रचुर मात्रा में होता है जो मल को नरम करने और कब्ज को रोकने में मदद करता है.
  • केले में अमीनो एसिड- ट्रिप्टोफैन होने के कारण यह तुरंत मूड बूस्टर भी है, जो यादाश्त, सीखने की क्षमता और मूड में सुधार करने के लिए जाना जाता है.
  • कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से भरपूर होने के कारण, केला भूख मिटाने का भी अच्छा स्त्रोत है. यह तुरंत ऊर्जा देता है और इसे स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर एथलीटों तक सभी के लिए एक बहुत ही अच्छा स्नैक विकल्प है.
  • यही नहीं स्वस्थ और चमकती त्वचा भी केले के सेवन के कई लाभों में से एक है, क्योंकि केला एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन C और विटामिन A का एक समृद्ध स्रोत है.

कुल मिलाकर, पॉकेट फ्रेंडली केला पर्याप्त पोषक तत्वों, स्वास्थ्य लाभ और सुविधा के साथ एक उत्कृष्ट विकल्प है. इसे नियमित अपने डाइट में शामिल करें.

बेसन की बाटी

अगर आप भी किटी पार्टी में अपनी दोस्तों के लिए हेल्दी और टेस्टी रेसिपी बनाना चाहती हैं तो बेसन की बाटी रेसिपी आपके काम की है. बेसन की बाटी बनाना बेहद आसान है. इसे आप अपनी फैमिली के लिए कभी भी बनाकर परोस सकती हैं.

हमें चाहिए

11/2 कप बेसन

1/2 कप मक्के का आटा

2 बड़े चम्मच घी

1/2 कप पनीर

1 हरीमिर्च कटी

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

तलने के लिए तेल

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

मक्के के आटे को छान कर बेसन, घी और नमक मिला कर गूंध लें. उबलते पानी में आटे की लोइयां बना कर 8-10 मिनट पकाएं. पानी से निकाल कर अच्छी तरह मसल कर छोटीछोटी बौल्स बनाएं. पनीर को मसल कर उस में धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक मिलाएं. आटे की छोटीछोटी बौल्स के बीच पनीर का मिश्रण भर कर अच्छी तरह बंद कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें, सरसों के साग के साथ सर्व करें.

मेरे बाल कर्ली हैं, मै इन्हें सीधे करने के लिए क्या करूं?

सवाल

मेरे बाल कर्ली हैं जो देखने में अच्छे नहीं लगते और उन्हें बांधने का कोई नया स्टाइल भी नहीं बन पाता. बालों को सीधा करने का उपाय बताएं?

जवाब

आप के लिए परमानैंट स्ट्रेटनिंग करवाना सही रहेगा क्योंकि कर्ली बालों को टैंपरेरी स्ट्रेटनिंग करने पर यह आप को रोजरोज करनी पड़ेगी और इस से बारबार हीट लगने से बाल खराब भी हो जाएंगेजबकि परमानैंट स्ट्रेटनिंग में यूज होने वाले प्रोडक्ट्स बालों को न्यूट्रिशन प्रदान करेंगे और बाल लंबे समय के लिए सीधे रहने के साथसाथ खूबसूरत भी दिखेंगे. घर में आप बालों में कोई भी तेल लगा थोड़ा पानी लगा कर जूडे़ की तरह बांधें और सुबह खोलेंगी तो भी बाल कुछ हद तक स्ट्रेट हो जाते हैं.

सुरंग में कुरंग : शमशेर के सामने कैसे आई स्वामी की सच्चाई

स्वामीजी के आने से पहले ही सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं. मकान में स्थित बड़े कमरे से सारा सामान निकाल कर उसे खाली कर दिया गया था. स्वामीजी के आदेशानुसार दीवारों पर लगे चित्र भी हटा दिए गए थे. अनुष्ठान रात में 8 बजे के आसपास निकले मुहूर्त में स्वामीजी द्वारा प्रारंभ होना था.

स्वामीजी समय से आ गए थे और उचित समय पर एकांत कमरे में उन्होंने पूजा प्रारंभ कर दी. यह अनुष्ठान सुबह 4 बजे तक अनवरत चलना था और इस दौरान किसी को भी कमरे में आने की इजाजत नहीं थी.

स्वामी करमप्रिय आनंद का आश्रम मुख्य राष्ट्रीय मार्ग के दक्षिण में शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर था. आश्रम में बरगद के विशाल वृक्षों के अलावा नीम, बेल और आम आदि के वृक्ष थे, जिन पर लंगूरबंदरों का वास था.

स्वामीजी के आश्रम में भक्त जब भी जाते, बंदरों के खाने के लिए केले, चने, गुड़ आदि जरूर ले जाते. भक्तों के हाथ की उंगली पकड़ कर गदेली पर रखे चने, गुड़ आदि बंदर खाते और सफेद दांत दिखा कर उन को घुड़कते भी रहते. बाबा के संकेत पर यदि कोई बंदर किसी भक्त को अपनी पूंछ मार देता तो वह अपने को धन्य समझता कि उस आशीर्वाद से उस का कार्य निश्चित ही सफल हो जाएगा.

स्वामीजी के भक्तों की सूची बहुत लंबी थी, जिस में अतिसंपन्न लोगों से ले कर सामान्यजन तक सभी समानभाव से हाथ जोड़ कर आशीर्वाद लेते थे. ऐसा भक्तों में प्रचारित था कि आश्रम में स्थित मंदिर में दर्शन कर के मनौती मांगने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है. कोई भी विघ्नबाधा हो, स्वामीजी के बताए उपाय से संकट का समाधान जरूर हो जाता था. स्वामीजी विधिविधान से पूजा, अनुष्ठान आदि कर के भक्त की समस्या का हल निकाल ही लेते थे.

शमशेर बहादुर व उन के परिवार की श्रद्धा स्वामीजी पर शुरू से ही थी. वे शिक्षा विभाग में उच्च अधिकारी थे. मोटी आमदनी और अच्छे वेतन के बावजूद वे लालच से मुक्त नहीं थे. गलत काम कर के कमाई करने को स्वामीजी पाप की कमाई बताते और इस से बचने के तमाम उपाय भी पुजारीपंडों ने बता रखे थे. इसी क्रम में स्वामी करमप्रिय आनंद के दर्शन लाभ के बाद उन की व्यवस्था ने शमशेर बहादुर को इतना चमत्कृत किया कि वे सपरिवार स्वामीजी के अनन्य भक्त हो गए. जम कर कमाओ और जम कर स्वामीजी की सेवा करो, पापबोध से मुक्त हो कर पुण्यलाभ अर्जन का आशीर्वाद स्वामीजी से प्राप्त करते रहो, यही उन का जीवनदर्शन हो गया था.

नौकरी से रिटायर होने के बाद शमशेर सिंह ने आमदनी का जरिया बनाए रखने के लिए एक राइस मिल लगा दी. मिल घाटे में चलने लगी. जब तक अधिकारी थे, तमाम व्यापारी झुकझुक कर उन्हें सलाम करते थे. अब अधिकारी के पद से रिटायर हो कर व्यापारी बने तो किसी को झुक कर सलाम करना उन्हें गवारा नहीं हुआ. अत: व्यापार में घाटा होना शुरू हो गया. इस विपरीत आर्थिक स्थिति का कारण और उपाय जानने के लिए वे स्वामीजी की शरण में गए. तमाम तरह के फल, लाई, चना और गुड़ आदि खिलाने के बाद भी किसी बंदर ने अपनी पूंछ से उन की पिटाई नहीं की. सभी बंदर पुरानी जानपहचान होने के कारण उन्हें पीटना ठीक नहीं समझते थे. बिगड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने और घाटे को मुनाफे में बदलने के लिए पूरा परिवार स्वामीजी के चरणों में लोट गया.

पुराने और संपन्न भक्त के परिवार की समस्या का समाधान तो स्वामीजी को करना ही था. ज्योतिष से गणना कर के ग्रहनक्षत्र की स्थिति देख कर उन्होंने बताया कि शनिमंगल आमनेसामने हैं. षडष्टक योग बन रहा है. मेष राशि में उच्च के सूर्य की स्थिति बनी हुई है. अत: प्रचंड अग्नि में धनवैभव का जलना स्वाभाविक है. सूर्य के घर सिंह राशि में शनि होने के कारण सूर्य आगबबूला हो रहे हैं.

इस विकट परिस्थिति से राहत पाने के लिए ग्रह शांति के अनेक उपाय करने पड़ेंगे. इस का अनुष्ठान आज रात्रि से शुरू कर दिया जाएगा और समापन तुम्हारे भवन के किसी कक्ष में पूजन के बाद होगा.

अत: आश्रम में विधिपूर्वक विभिन्न प्रकार के पूजापाठ व अनुष्ठान करने के बाद शमशेरजी के घर के एक कमरे में स्वामी ने रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक लगातार मंत्रों का जाप कर विधिवत पूजा कर के अनुष्ठान का समापन किया.

प्रात:काल स्वामी ने परम संतुष्ट भाव से बताया कि इस कमरे में ही मुसीबत की जड़ तथा भाग्योदय के उपकरण छिपे हैं. अत: कमरे का फर्श 4-4 फुट गहरे तक खोदा जाए. जिस स्तर पर कच्ची मिट्टी मिल जाए उस स्तर पर पहुंचने पर ही आगे की कार्यवाही होगी.

नतीजतन, संगमरमर का फर्श उखाड़ दिया गया और फर्श की खुदाई शुरू कर दी गई. 4 फुट खुदाई के बाद कच्ची मिट्टी के स्तर पर पहुंचने पर 4 छोटीछोटी सुरंगें दृष्टिगोचर हुईं, जिन्हें शायद चूहों ने बनाया होगा. कमरे के ठीक बीच में से एक सुरंग दक्षिण दिशा की ओर गई थी और दूसरी उत्तरपूर्व दिशा में. भक्तजनों ने सुरंगों का यह चमत्कार देख कर स्वामीजी को पुन: सादर प्रणाम किया व जिज्ञासा जाहिर की.

स्वामीजी ने उत्तर दिया, ‘‘अनुष्ठान सफल हुआ पुत्र…पूजा के समय ही मुझे संकेत मिल गया था कि इस कमरे में स्वर्णकलश दबा पड़ा है, जिस में सोने की असंख्य मोहरों का खजाना छिपा है. पूजा के बाद उस की प्राप्ति का योग तुम्हारे लिए बन गया है. इस अतुल धनराशि से तुम्हारे सारे आर्थिक संकट दूर हो जाएंगे.’’

सभी परिवारजनों के चेहरे खिल गए. शमशेर अति उत्साह में खुद फावड़ा उठा लाए और आगे किस सुरंग की खुदाई करनी है, स्वामी से पूछा. वे स्वयं गड्ढा खोद कर स्वर्णकलश निकालना चाहते थे जिस से मजदूरों को या बाहर के किसी व्यक्ति को इस की जानकारी न हो.

स्वामीजी ने संकेत किया कि उत्तरपूर्व दिशा में जाने वाली सुरंग के नीचे कलश दबा पड़ा है पर अभी इधर फावड़ा न चलाना. इस में अभी बाधा है. इस भयंकर व्यवधान को दूर करना पड़ेगा. इस कलश का रक्षक दक्षिण दिशा में जाने वाली सुरंग में मणिधारी नाग के रूप में रहता है, जो अति विषैला और भयंकर है. प्रत्येक अमावस्या को वह आधी रात में इस कमरे में प्रकट होता है और अपनी मणि उत्तरपूर्व की सुरंग के दहाने पर रख कर उस के प्रकाश में अपना आहार प्राप्त करता है.

अत: तुम्हें अमावस्या तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. अमावस्या की रात को मैं आ कर स्वयं नाग देवता की आराधना कर के उन्हें अपने वश में कर लूंगा और फिर उन्हें अपने आश्रम में स्थापित कर दूंगा. उस के बाद उन से अनुमति ले कर इस स्वर्णकलश को हासिल करने की कार्यवाही करूंगा.

तुम्हें ज्ञात होगा कि बंदर सांप के फन को कौशल से पकड़ लेता है और उसे भूमि पर तब तक रगड़ता है जब तक वह मर नहीं जाता. यहां के नागराज अजेय हैं पर वानरों के सान्निध्य में जीवनरक्षा की प्राणीसुलभ चेष्टा के कारण निष्क्रिय हो जाएंगे और तब उन्हें मंत्रों द्वारा वश में कर लेना आसान हो जाएगा.

शमशेर सिंह और उन का परिवार यह जान गया था कि स्वर्णकलश मिलने में अभी देरी है पर निराशा की भावना पर विजय पाते हुए उन्होंने स्वामी से कहा कि हम सब उचित समय की प्रतीक्षा करेंगे. स्वामी ने कमरे को ठीक से बंद करा कर बड़ा सा ताला लगवा दिया.

एकादशी को स्वामी के आश्रम पर एक महायज्ञ का आयोजन था जिस में भंडारा भी होना था. यज्ञ 10 दिन तक चलना था. उस में पूजनहवन आदि में जो व्यय होना था वह भक्तों द्वारा दिए गए सामान और दान की धनराशि से संपन्न होना था.

शमशेर अति श्रद्धावान थे. भंडारे के लिए स्वामी को सवा लाख रुपए नकद दान में दिए. जहां करोड़ों की धनराशि मिलनी हो वहां सवा लाख दे कर स्वामी को प्रसन्न रखने में क्या बुराई है.

महायज्ञ के आयोजन में भक्तों द्वारा लगभग 3 लाख का सामान और नकद चढ़ावा आ गया. सभी कार्यक्रम आनंद से संपन्न हो गए. इस आयोजन के बाद स्वामीजी का 3 माह का तीर्थयात्रा का और अपने गुरुदर्शन का कार्यक्रम बना, जिस के लिए उन्होंने सब को आशीर्वाद देते हुए प्रस्थान किया.

शमशेर के कमरे पर अभी भी मोटा ताला लटक रहा था. हर अमावस्या को वे खिड़कीदरवाजों की झिरी (दरार) से झांक कर नाग देवता द्वारा छोड़ी गई मणि के प्रकाश को देखने का प्रयास करते थे.

अमावस्या की रात बीत गई. स्वामी तो अभी तीर्थयात्रा पर थे. उन का कड़ा निर्देश था कि कमरे का ताला न खोला जाए और न ही कमरे में कोई जाए. अमावस्या की सुबह शायद अपनेआप नाग के या मणि के दर्शन हो जाएं, इस आशा से खिड़की की झिरी से झांका तो देखा कि चोरों ने सेंध लगा कर 10-10 फुट तक फर्श खोद डाला है और मिट्टी का ढेर बाहर लगा है.

स्वर्णकलश की बात छिपाते हुए शमशेर ने पुलिस में चोरी की रिपोर्ट लिखाई. तेजतर्रार दारोगा को पटाया. सेंधमार चोर पकड़ा गया. रोते हुए उस ने बताया कि उसे किसी तरह खजाने की खबर लग गई थी. वह भी स्वामी का चेला था. रात भर फर्श को 10-10 फुट गहरा खोद कर मिट्टी का ढेर बाहर लगा दिया. अमावस्या की रात थी पर न तो स्वर्णकलश दिखाई दिया न नागमणि. रात भर खुदाई की मजदूरी भी मिट्टी में मिल गई.

2 कदम तुम चलो, 2 कदम हम

पति पत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है, जिस में अपने साथी के साथ प्यार होने के साथसाथ एकदूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के निर्वाह का भाव भी होना जरूरी है. जब हम अपने साथी के प्रति अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाह करते हैं, तो हमें अपने अधिकारों को मांगने की जरूरत नहीं पड़ती. वे स्वत: मिल जाते हैं. लेकिन जब हम अपने कर्तव्यों को तिलांजलि दे देते हैं और अधिकारों की मांग करते हैं, तो फिर यहीं से शुरुआत होती है प्रेमपूर्ण संबंधों में टकराव की. जैसाकि अनिल और रोमा के साथ हुआ.

‘‘यह क्या है, सारे कपड़े बिखरे पड़े हैं. जरा सी भी तमीज नहीं है,’’ घर को अस्तव्यस्त देख कर औफिस से आते ही अनिल का पारा चढ़ गया.

किचन में खाना बनाती रोमा उस की बात सुन कर एकदम से बोल पड़ी, ‘‘सामान बिखरा पड़ा है, तो ठीक कर दो न, क्या मेरी ही जिम्मेदारी है कि मैं ही घर के सारे काम करूं? मैं भी तो औफिस जाती हूं. लेकिन घर आने के बाद सारा काम मुझे ही करना पड़ता है. तुम तो सब्जी तक नहीं लाना चाहते. औफिस से आते ही खाना बनाऊं या घर समेटूं? खाने में देर होने पर भी तुम्हारा पारा चढ़ जाता है. खाना भी समय पर मिलना चाहिए और घर भी सजासंवरा. मैं भी इनसान हूं कोई मशीन नहीं.’’

रोमा की बात सही थी, लेकिन उस का कहने का तरीका तीखा था, जो अनिल को चुभ गया. फिर क्या था छोटी सी बात झगड़े में बदल गई और 3 दिनों तक दोनों में बोलचाल बंद रही.

एकदूसरे को समझें

आमतौर पर ऐसी स्थिति हर उस घर में होती है, जहां पतिपत्नी दोनों वर्किंग होते हैं. वहां काम को ले कर आपस में चिकचिक होती रहती है. इस का कारण यह है कि पति को पत्नी का पैसा तो चाहिए, लेकिन उस के काम में हाथ बंटाना उसे गंवारा नहीं. ऐसा नहीं है कि इस तरह की खटपट सिर्फ कामकाजी पतिपत्नी के बीच ही होती है. जो पत्नियां हाउसवाइफ हैं, उन के पति उन के बारे में यही सोचते हैं कि वे दिन भर औफिस में काम करते हैं और बीवी घर पर आराम करती है. जबकि सच यह है कि हाउसवाइफ भी दिन भर घरपरिवार की जिम्मेदारियों में आराम करने की फुरसत नहीं पाती है. सच तो यह है कि पतिपत्नी के बीच तकरार का कारण उन का एकदूसरे को न समझना और एकदूसरे के काम को कम आंकना है.

जब तक हम अपने साथी के प्रति प्रेम और आदर का भाव नहीं रखेंगे और उसे और उस के परिवार के सदस्यों को अपना नहीं समझेंगे, तब तक हम सुखमय पारिवारिक जीवन की कल्पना चाह कर भी नहीं कर सकते.

प्यार दो प्यार लो

प्यार कभी भी एकतरफा नहीं हो सकता है. अगर आप चाहते हैं कि आप का साथी आप को सराहे, तो इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप भी उसे उसी शिद्दत से प्यार करें, जिस तरह से वह करता है. सच तो यह है कि एकतरफा संबंधों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है. जब आप किसी के साथ वैवाहिक बंधन में बंध जाते हैं, तो यह बात बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि आप अपने साथी को उसी रूप में चाहें जैसा वह है. अगर आप उसे बदलने की कवायद में लग जाएंगे, तो आप दोनों के बीच कभी भी सहज प्रेमसंबंध नहीं बन पाएंगे. खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे से बिना शर्त प्यार करें.

थोड़ा आदर थोड़ा सम्मान

प्यार भरे संबंधों के लिए एकदूसरे को प्यार करने और एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करने के साथसाथ यह भी बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को वही आदरसम्मान दें, जिस की आप उस से अपेक्षा करते हैं. अगर आप को अपने साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती है या आप को उस से शिकायत है, तो उसे चार लोगों के सामने बुराभला कहने के बजाय अकेले में बात करना उचित होता है.

माना कि आप की पत्नी ने खाना बनाया और उस में थोड़ा सा नमक ज्यादा हो गया, मगर आप ने उसे परिवार के सभी सदस्यों के सामने खरीखोटी सुना दी. इस से आप की पत्नी की भावनाएं ही आहत नहीं होती हैं उस का सम्मान भी खंडित होता है.

इसी तरह से आप के पति कोई सामान लाएं और उस में कुछ खराब निकल गया और आप ने उन्हें सुना दिया कि आप को तो कोई भी सामान खरीदने का तरीका नहीं आता है. इस से उन की भावनाएं आहत होंगी और आप दोनों के संबंध में न चाहते हुए भी दूरी आने लगेगी. ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे की कमियों को दूसरों के सामने जाहिर कर के अपने साथी को अपमानित करने के बजाय एकदूसरे की कमियों को दूर कर के उसे पूरा करने की कोशिश करें. पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक होते हैं, आप को अपने जीवन में इस भावना को भरने की जरूरत है. तभी आप अपने जीवनसाथी को पूरा आदरसम्मान दे पाएंगे.

दायित्वों का निर्वाह

कोई भी काम किसी एक का नहीं है. अगर आप अपने मन में यह भावना रखेंगे तो कभी आप दोनों के बीच तकरार नहीं होगी. पतिपत्नी दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे किसी काम को किसी एक पर थोपने के बजाय उसे मिलजुल कर करें. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हैं, तो ऐसे में पत्नी से यह अपेक्षा करना कि औफिस से आने के बाद घर समेटना, खाना बनाना, बच्चों को होमवर्क कराना सारी उस की जिम्मेदारी है, गलत बात है. घर आप दोनों का है, इसलिए जिम्मेदारियां भी आप दोनों की हैं. अगर आप दोनों एकसाथ मिल कर दायित्वों का निर्वाह करेंगे, तो आप को जीवन में खुशियों का समावेश स्वत: हो जाएगा. अगर आप ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर घरेलू कामों को पूरा कर दिया, तो आप छोटे नहीं हो जाएंगे, उलटे इस से आप दोनों के संबंधों में प्रगाढ़ता ही आएगी. पतिपत्नी का संबंध साझेदारी का है, जिस में एकदूसरे के साथ अपना सुखदुख साझा करने के साथसाथ घरबाहर की जिम्मेदारियों में भी साझेदारी निभाने की जरूरत है. तभी आप अपने घर का माहौल हंसीखुशी से परिपूर्ण बना सकते हैं.

बहस है बेकार

यह सच है कि पतिपत्नी के संबंध में प्यार के साथ तकरार भी होती है, लेकिन छोटीछोटी बातों पर एकदूसरे से झगड़ना अच्छी बात नहीं है. अगर आप को अपने साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती है, तो उसे ले कर बेकार की बहस करना अच्छा नहीं है, क्योंकि कब छोटी सी बात भयंकर झगड़े का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता है. अगर आप दोनों के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव हो गया है, तो एकदूसरे से माफी मांगने में झिझकें नहीं. सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने संबंधों के बीच अपने अहं को न आने दें.

एकदूसरे की केयर करते हैं

‘‘आज की बिजी लाइफ में लोग अपना ही खयाल नहीं रख पाते, तो दूसरे का क्या रखेंगे. लेकिन पतिपत्नी के रिश्ते में यह लागू नहीं होता. भले ही वे अपना खुद का ध्यान न रख पाते हों, लेकिन अपने पार्टनर का ध्यान जरूर रखते हैं. यहीं से भावनात्मक जुड़ाव की शुरुआत होती है. वैसे रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए दांपत्य जीवन के पुराने ढर्रों से बाहर निकल कर उसे रोमांचित बनाने का भी प्रयास करना चाहिए. इस से बौंडिंग और भी मजबूत होती है.’’

– स्मिता व पोरस चड्ढा, शादी को 5 वर्ष बीत चुके हैं

इन बातों का रखें ध्यान

– सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह जरूरी है कि आप अपने साथी को उस की अच्छाईबुराई के साथ स्वीकार करें. उसे बदलने की कोशिश करने के बजाय उसे समझने की कोशिश करें.

– अपनेआप को अपने साथी से ज्यादा समझदार और महत्त्वपूर्ण समझने के बजाय उस का पूरक बनने की कोशिश करें. इस बात को समझें कि जिस तरह से साइकिल 1 पहिए से नहीं चल सकती है, उसी तरह पतिपत्नी रूपी साइकिल भी 1 पहिए से नहीं चल सकती. जब तक पतिपत्नी दोनों के बीच तालमेल नहीं होगा आप के जीवन में खुशियों का समावेश नहीं होगा.

– अपने जीवनसाथी के साथसाथ उस से जुड़े लोगों को भी पूरा आदरसम्मान दें.

– घर के काम को किसी एक की जिम्मेदारी समझने के बजाय उसे मिलबांट कर निबटाने की कोशिश करें.

– इस बात को समझें कि कोई भी संबंध एकतरफा नहीं चल सकता. अगर आप चाहते हैं कि आप का साथी आप को प्यार करे और आप का सम्मान करे, तो आप को भी ऐसा ही करना होगा.

– अपने जीवनसाथी की भावनाओं का खयाल रखें और महत्त्वपूर्ण दिनों पर उस का मनपसंद उपहार दें.

अच्छे दोस्त भी हैं

‘‘पतिपत्नी का रिश्ता ताउम्र हंसीखुशी निभाने के लिए आपस में दोस्ती का संबंध होना बहुत जरूरी है. यदि दोनों दोस्ती का रिश्ता रखेंगे, तो कभी भी दोनों के मध्य अहंकार का कोई स्थान नहीं होगा. यह सच है कि किसी महिला के लिए एक नए परिवार से जुड़ना, नए रिश्ते निभाना आसान नहीं होता. मगर यह चंद दिनों की बात होती है. बाद में यही अटपटी चीजें प्यारी लगने लग जाती हैं.’’

– डा. मीनाक्षी ओमर व रवि ओमर, शादी को 10 वर्ष बीत चुके हैं

साथी साथ निभाना

– अपने प्रेम को प्रगाढ़ करने के लिए एकदूसरे की भावनाओं को समझें.

– सरप्राइज उपहार दें. पत्नी अगर कामकाजी है और पति औफिस से पहले घर आए तो घर को सजासंवरा कर पत्नी को तारीफ करने का मौका दें.

– पत्नी अस्वस्थ है, तो पति घर पर रह कर पत्नी का खयाल रखे.

– एकसाथ घूमने जाएं. नए प्रेमी की तरह हाथ में हाथ डाले चलें.

– कभीकभी एकदूसरे को फूल उपहार में दें. इस से रिश्ते में गरमाहट बनी रहती है.

– हमेशा खुश रहने की कोशिश करें और संबंधों के बीच कभी भी स्वार्थ, अहं को न आने दें.

आजीविका बन सकती है Gardening

बागबानी सिर्फ शौक है. शहरों में हरियाली देखनी है तो बागबानी का सहारा लेना ही पड़ेगा. बागबानी से जुड़ी वस्तुओं के बाजार बन गए हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पहले राणा प्रताप मार्ग स्टेडियम के पीछे हजरतगंज में ही बागबानी का बाजार लगता था. अब गोमतीनगर, पीजीआई, महानगर और आलमबाग में भी इस तरह की तमाम दुकानें खुल गई हैं. यहां पौधे ही नहीं, तरहतरह के गमले, गमला स्टैंड और गमलों में डाली जाने वाली खाद बिकती है.

तेजी से हो रहे विकास के चलते शहरों के आसपास की हरियाली गायब हो गई है. ऐसे में घरों के अंदर, छत के ऊपर, बालकनी और लौन में छोटेछोटे पौधों को लगा कर हरियाली की कमी को पूरा करने का काम किया जा रहा है. यही वजह है कि बागबानी से जुड़े हुए कारोबार तेजी से बढ़ रहे हैं. एक ओर जहां सड़कों पर बागबानी को सरल बनाने वाली सामग्री की दुकानें मिल जाती हैं वहीं पौश कालोनियों में इस से जुड़े काम खूब होने लगे हैं.

बेच रहे हैं खाद और गमले

शहरों के आसपास की जगहों पर लोगों ने खाली पड़ी जमीन पर नर्सरी खोल ली है. कुछ कारोबारी नर्सरी से पौधे शहर में ला कर बेचते हैं. ये लोग कई बार गलीगली फेरी लगा कर भी पौधे, गमले और खाद बेचते मिल जाते हैं. जिन को पौधों की देखभाल करनी आती है वे समयसमय पर ऐसे पौधों की देखभाल करने भी आते हैं. इस के लिए वे तय रकम लेते हैं. ऐसे में बागबानी से जुड़ा हर काम आजीविका का साधन हो गया है. लखनऊ के डालीगंज इलाके में रहने वाला राजीव गेहार 20 साल से बागबानी के लिए गमले, खाद और दूसरे सामान बेचने का काम कर रहा है. उस का कहना है, ‘‘जुलाई से ले कर अक्तूबर तक लोग पौधे लगाने का काम करते हैं. इन 4 माह को हम बागबानी का सीजन भी कहते हैं.’’

पहले पौधों को रखने के लिए मिट्टी के गमले ही चलते थे. वे कुछ समय के बाद ही खराब हो जाते हैं. अब सिरेमिक और प्लास्टिक के गमले भी आते हैं. सिरेमिक के गमले महंगे होते हैं. ये देखने में बेहद सुंदर, रंगबिरंगे होते हैं और जल्दी खराब नहीं होते. प्लास्टिक के गमले देखने में भले ही कुछ कम अच्छे लगते हों पर यह टिकाऊ होते हैं. गमलों से गिरने वाला पानी फर्श को खराब न करे, इस के लिए गमलों के नीचे रखने की प्लेट भी आती है. झूमर की तरह पौधों को लटकाने के लिए हैंगिंग गमले भी आते हैं. इन को रस्सी या जंजीर के सहारे बालकनी, लौन या फिर दीवार पर लटकाया जा सकता है.

पौधों को मजबूत बनाने के लिए खाद देने की जरूरत पड़ती है. इस के लिए डीएपी, पोटाश, जिंक जैसी खादें बाजार में बिकती हैं. राजीव कहते हैं, ‘‘मैं खादें बेच कर ही अपने घर का खर्च चलाता हूं. बागबानी करने में मदद करने वाली चीजें, जैसे कटर, खुरपी, स्प्रे भी बेचता हूं.’’

देखभाल में है कमाई

घर के लौन में मखमली घास लगी हो तो आप की शान बढ़ जाती है. अब तो इंटीरियर में भी पेड़पौधों को पूरी जगह दी जाने लगी है. ऐसे में इन का कारोबार करना मुनाफे का काम हो गया है. शादी, बर्थडे या मैरिज ऐनिवर्सरी की पार्टी आने पर घर के किसी हिस्से को पौधे से सजाने का चलन बढ़ गया है. हर किसी के लिए पौधों को रखना और उन की देखभाल करना सरल नहीं होता. ऐसे में छोटेबड़े पौट में पौधे लगा कर बेचने का काम भी होने लगा है.

ऐसे ही पौधों का कारोबार करने वाले दिनेश यादव कहते हैं, ‘‘हम पौधे तैयार रखते हैं. खरीदने वाला जिन गमलों में चाहे उन को रखवा सकता है. इस के बाद समयसमय पर थोड़ीथोड़ी देखभाल कर के पौधों को सुरक्षित रखा जा सकता है.’’ पौधों की देखभाल करने वाले नीरज कुमार का कहना है, ‘‘मैं गांव से नौकरी करने शहर आया था. यहां 2 हजार रुपए महीने की नौकरी मिल गई. इस से काम नहीं चल रहा था. मैं समय बचा कर कुछ लोगों के पेड़पौधों की देखभाल करने लगा. इस के बदले में मुझे कुछ पैसा मिलने लगा. धीरेधीरे मेरे पास पेड़पौधों की देखभाल का काम बढ़ गया. मुझे नौकरी करने की जरूरत खत्म हो गई. आज मेरे पास 50 ग्राहक हैं. मेरा काम ठीक से चल रहा है.’’

बक्शी का तालाब (लखनऊ) इलाके में रहने वाला रामप्रसाद पहले गांव में मिट्टी के बरतन बनाने का काम करता था. उस की कमाई खत्म हो गई थी. इस के बाद उस ने मिट्टी और सीमेंट के गमले बनाने का काम शुरू किया. वह कहता है, ‘‘मैं सड़क किनारे अपनी दुकान लगाता हूं. इस से लोग राह आतेजाते मेरे यहां से गमलों की खरीदारी करने लगे हैं. मेरी आमदनी बढ़ने लगी है. कुछ लोग सीमेंट के गमले अपनी पसंद के अनुसार भी बनवाते हैं. सीमेंट के गमलों का ज्यादातर प्रयोग लौन में रखने के लिए किया जाता है.’’

इस तरह बागबानी लोगों की आजीविका का आधार बन रही है और उन की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही है.

12 टिप्स: रिबौन्डिंग से बढ़ाएं बालों की खूबसूरती

आज के बिजी लाइफस्टाइल में बालों की देखभाल करना काफी मुश्किल हो गया है. इसलिए आजकल अधिकांश महिलाएं बालों की खूबसूरती बरक़रार रखने के लिए रिबॉन्डिंग की मदद ले रही हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं दिल्ली के गेट सेट यूनिसेक्स सैलून के मैनेजर एंड हेयर एक्सपर्ट समीर से. उनका कहना है कि आपके बाल छोटे, घुंघराले या डल हैं और आप चाहती हैं कि यह ज्यादा चमकदार और सुंदर दिखें तो इसका समाधान मौजूद है. विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए जिनके बाल डल  हैं और उन्हें संभालना मुश्किल है. हेयर रिबॉन्डिंग ऐसी हेयर ट्रीटमेंट तकनीक है, जो आपके बालों को कोमल और चमकदार बना देगी.

क्या है हेयर रिबॉन्डिंग ट्रीटमेंट

स्टेटनिंग रिबॉन्डिंग में ज्यादा फर्क नहीं है. लेकिन हेयर रिबॉन्डिंग स्टेटरिंग की ही  स्पेशल तकनीक है. इसे परमानेंट स्ट्रैट हेयर केयर भी कहते हैं, लेकिन जब बालों  की नेचुरल ग्रोथ  आनी शुरू हो जाती है तो बाल दोबारा अपनी पहली पोजीशन पर धीरेधीरे  आने शुरू हो जाते हैं. अगर आपके बाल काफी घने व मोटे हैं तो आप इस ट्रीटमेंट को चुनें. इसमें पहले स्टेट्ररनेर की मदद से हेयर स्ट्रक्चर और नेचुरल बांड को तोड़ा जाता है. दरअसल हमारे बाल अमीनो एसिड से बने होते हैं और ये प्रोटीन ऐसे बांड्स से बने होते हैं, जो हमारे बालों का  स्ट्रक्चर पता लगाने में मदद करते हैं. यानि हमारे बाल घुंघराले हैं , वेवी हैं या फिर सीधे. रिबॉन्डिंग प्रक्रिया में केमिकल्स की मदद से इन्हीं बांड्स को तोड़ा जाता है, ताकि बालों के स्ट्रक्चर में मनमुताबिक परिवर्तन किया जा सके. इसके बाद हेयर न्यूट्रीलाइजर से हेयर बांड को फिक्स किया जाता है. इसे करने में कम से कम 4 से  5 घंटे का समय लगता है. इसमें केमिकल्स  आपके बालों  की अंदरूनी लेयर तक  जाता है . इस ट्रीटमेंट में काफी स्ट्रोंग केमिकल्स का इस्तेमाल होता है. ये बाकी ट्रीटमेंट की तुलना में महंगा होता है. इसमें बाल काफी कमजोर हो जाते हैं, इसलिए इस ट्रीटमेंट के बाद बालों की काफी केयर करने की जरुरत होती है. इसके बाद बाल काफी सॉफ्ट व स्मूद हो जाते हैं.

हेयर रिबॉन्डिंग ट्रीटमेंट प्रोसेस

1. स्टाइलिश बालों को बनावट और वोलुमन के आधार पर वर्गों में विभाजित करता है.

2. बालों को माइल्ड शैम्पू से धोया जाता है, शैम्पू से नहीं.

3. फिर बालों को प्राकर्तिक रूप से सूखने के लिए छोड़ देते हैं या फिर बालों को ब्लो ड्रायर से सुखाया जाता है.

4. फिर बालों को पतले प्लास्टिक बोङो की मदद से सीधे रखा जाता है. तब हेयर रिबॉन्डिंग किट में शामिल हेयर रीलैक्सेंट लगाया जाता है. स्टाइलिश रीलैक्सेंट लगाते समय यह ध्यान रहता है कि वह बालों के हर स्टैंड पर कोट लगाएं.

5. फिर बालों की बनावट के आधार पर रीलैक्सेंट को 30 से 45 मिनट तक लगा छोड़ दिया जाता है.

6. 15 से 20 मिनट बाद एक बाल को खींच कर देखा जाता है ,यदि बाल स्प्रिंग की तरह झूम रहा होता है तो समझ लिया जाता है कि सल्फर बंस टूट गए और अगर ऐसा नहीं होता तो 5 से 10 मिनट और रखते हैं.

7. इसके बाद बाल को उसकी स्थिति,मात्रा, बनावट आदि के आधार पर 10 से 15 मिनट तक स्टीम्ड किया जाता है.

8. अब बारी आती है बाल धोने और सुखाने की.

9. इसके बाद बालों पर केराटिन लोशन लगाया जाता है. और फिर बालों को 180 डिग्री सेल्सियस पर फ्लैट आयरन की मदद से सीधा किया जाता है. ऐसा करने के लिए एक सिरेमिक फ्लैट आयरन का इस्तेमाल किया जाता है.

10. बांड को सुरक्षित करने के लिए बालों पर न्यूट्रीलीजेर का उपयोग किया जाता है. और उसे 30 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है.

11. फिर बालों को ठंडे पानी से धोया जाता है.

12. बालों को ब्लो ड्रायर करके उसपर सीरम लगाया जाता है और बालों को एक बार फिर सीधा किया जाता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें