टेस्टी मसाला राइस डोनट और कैप्सिकम लौलीपौप घर पर बनाएं

जब हमें शाम को भूख लगती है तो कुछ न कुछ जरुर खाने का मन करता है. ऐसे में कुछ टेस्टी और झटपट बनने वाली डिश देखते है. तो घर में बनाएं टेस्टी मसाला राइस डोनट और कैप्सिकम लौलीपौप. आइए देखिए रेसिपी.

 1. मसाला राइस डोनट

सामग्री

1.  2 कप चावल उबले

 2.  2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर

 3. 2 आलू उबले 

 4. 1 बड़ा चम्मच प्याज बारीक कटा 

 5.  2 हरीमिर्चें बारीक कटी 

 6.  1 छोटा चम्मच अदरक का लच्छा 

 7.  1/4 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर 

 8.  1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

 9. 1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला 

 10. 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला 

 11. थोड़े से छोले उबले और तेल तलने के लिए

12.  नमक स्वादानुसार.

विधि

दोनों आलू छील लें. एक को कद्दूकस करें और दूसरे के छोटे टुकड़े कर लें. चावलों को मैश कर के कद्दूकस किए आलू के साथ मिला लें. तेल, आलू के टुकड़े व उबले छोले छोड़ बाकी सारी सामग्री इन के साथ अच्छी तरह मिला कर डो बना लें. इस डो को तेल लगे सिलीकौन के डोनट मोल्ड्स में भर कर डोनट बना लें.

कड़ाही में तेल गरम करें. सारे डोनट तेल में डाल कर मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें. मसाला राइस डोनट आलू के टुकड़े, उबले छोले व टोमैटो कैचअप के साथ सर्व करें.

2. टेस्टी कैप्सिकम लौलीपौप

सामग्री

1.  1 कप सूजी बारीक 

 2. 1/2 कप आलू उबले मैश किए 

 3. 2 बड़े चम्मच अरारोट 

 4. 1/4 हरी शिमलामिर्च

 5.   1/4 पीली शिमलामिर्च द

 6. 1/4  लाल शिमलामिर्च 

 7.  2 हरीमिर्चें 

 8. 1/2 प्याज

 9.  1/4 खीरा 

 10. 2 बड़े चम्मच हरा धनिया

 11.  1 छोटी गांठ अदरक 

 12. 1 छोटा चम्मच रैड चिली फ्लैक्स 

 13.  1 छोटा चम्मच चाटमसाला

 14.  1/4 कप हरी चटनी 

 15.  तलने के लिए तेल तथा कुछ आइसक्रीम स्टिक्स 

 13.  नमक स्वादानुसार.

विधि

सारी सब्जियां बारीक काट लें. हरी चटनी, तेल तथा आइसक्रीम स्टिक्स छोड़ कर बाकी सारी सामग्री एक बाउल में डाल कर अच्छी तरह मिला कर गूंध लें. आवश्यकता हो तो थोड़ा पानी मिला लें. 10 मिनट बाद तैयार मिश्रण से नीबू के आकार की बौल्स बनाएं. इन्हें हथेली से दबाएं और इन में आइसक्रीम स्टिक्स लगा कर लौलीपौप बना लें. पैन में तेल गरम करें. तैयार लौलीपौप्स को मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक फ्राई कर के हरी चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

महंगा पड़ता है कर्ज का जाल

फिल्मों में भव्य सैटों के पीछे बड़ी मेहनत होती है और हर फिल्म में आर्ट डाइरैक्टर का बड़ा काम होता है. नितिन देसाई ने  ‘1942 ए लव स्टोरी,’ ‘हम दिल दे चुके सनम,’ ‘लगान,’ ‘देवदास,’ ‘जोधा अकबर’ जैसी फिल्मों के सैट बना कर फिल्म इंडस्ट्री में उस का बड़ा नाम था. पर सफलता जब सिर पर चढ़ने लगती है तो अकसर अच्छेभले नाक के आगे देखना बंद कर देते हैं.

नितिन देसाई ने 2005 में कर्जत रोड, मुंबई के पास 52 एकड़ जगह में एक भव्य स्टूडियो बनाया और सोचा कि वह जल्द ही मालामाल हो जाएगा. बहुत सी फिल्मों और टीवी धारावाहियों की शूटिंग वहां हुई थी पर हर सफलता के लिए एक व्यावहारिक व व्यावसायिक बुद्धि चाहिए होती है. जिन के सपने ऊंचे होते हैं और कुछ सफलताओं के सर्टिफिकेट हाथ में होते हैं वे अकसर अपनी सीमाएं भूल जाते हैं नितिन देसाई भी उन्हीं में से एक था.

58 साल के नितिन देसाई पर 252 करोड़ का कर्ज चढ़ गया और उसे यह साफ हो गया कि सबकुछ बेचने के बाद भी यह कर्ज चुकाया नहीं जा सकता. इसलिए इस मेधावी, इन्नोवेटिव आर्ट डाइरैक्टर ने तमाशदारों की जिद के कारण अपने को फांसी लगा कर जीवन लीला समाप्त कर ली.

सफलता पर गर्व करना जरूरी है पर उस में अंधा हो जाना भी गलत है. नितिन देसाई जैसे लोग कागजों पर वैसे ही सपनों के महल बना लेते हैं जैसे वे कच्ची लकड़ी, प्लाईबोर्ड और प्लास्टर औफ पैरिस के महल बनाते हैं. कर्ज लेते समय उन्हें सफलता का पूरा अंदाजा होता है. व्यावहारिक बुद्धि काल्पनिक सैंटों में खो जाती है.

यह हर देशप्रदेश में होता है. सैकड़ों लोग केवल ओवर ऐंबीशियन में फिसल जाते हैं. देश के औद्योगिक क्षेत्र आज मरघटों की तरह लगते हैं तो इसलिए कि नितिन देसाई जैसों की कमी नहीं है. बैंक कर्जा दे तो देते हैं पर तब तक वसूली के पीछे पड़े रहते हैं, जब तक कर्ज लेने वाला कंगाल और कंकाल न बन जाए.

क्या है निपल कवर और ब्रैस्ट टेप

कानपुर की रहने वाली श्रुति सक्सेना बैंगलुरु में जौब करने वाली अपनी फ्रैंड ईशा मौर्य के फ्लैट पर आई है. आज श्रुति का 24वां बर्थडे है. वह पार्टी के लिए तैयार हो रही है. लेकिन उस के सामने एक प्रौब्लम आ गई. उस ने ईशा के कहने पर औफशोल्डर बैकलैस ड्रैस ले तो ली, लेकिन अब उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह इस ड्रैस को कैरी कैसे करे क्योंकि उस के पास जो भी ब्रा है. वह इस ड्रैस में रिवील हो रही है. परेशान हो कर श्रुति बैड के एक कोने में बैठ गई.

जब ईशा ने श्रुति को पुराने कपड़ों में देखा तो वह हैरान रह गई. ईशा ने श्रुति से रैडी न होने की वजह पूछी. तब श्रुति ने अपनी प्रौब्लम उसे बताई. ईशा कमरे के कबर्ड से एक बौक्स ले आई. फिर उसे श्रुति को देते हुए कहा कि यह लो तुम्हारी प्रौब्लम का सौल्यूशन. बौक्स में स्किन कलर के 2 सौफ्ट पैचिस थे. श्रुति समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या है.

श्रुति के पूछने पर ईशा ने बताया कि यह सिलिकौन लिफ्ट निपल कवर है. यह ब्रा का काम करता है, लेकिन बिना स्टैप और दर्द के. तुम इसे अपनी ड्रैस के नीचे ब्रैस्ट पर इस्तेमाल कर सकती हो. श्रुति चेंजिंगरूम में गई और अपनी ड्रैस पहन कर आ गई.

श्रुति ने ऐक्साइटेड हो कर ईशा से कहा, ‘‘यह तो बहुत ही कंफर्टेबल है. मुझे लग ही नहीं रहा कि ब्रैस्ट पर कोई बोझ है. बहुत हलकाहलका लग रहा है.’’‘‘यही तो कमाल है सिलिकौन लिफ्ट निपल कवर का. पहनो भी और लगे जैसे कुछ पहना ही न हो,’’ ईशा बोली.

सिलिकौन लिफ्ट निपल कवरसिलिकौन लिफ्ट निपल कवर ब्रैस्ट को लिफ्ट करने का काम करता है. यह आउटफिट की फीटिंग अच्छी देता है. आजकल लड़कियां और महिलाएं बड़ी संख्या में इस का इस्तेमाल कर रही हैं. यह एक तरह से ब्रा न होते हुए भी ब्रा का काम करता है. यह बैकलैस ड्रैस या टौप, एलाइन ड्रैस या टौप और ब्लाउज के साथ कैरी किया जाता है. यह स्किन और ब्लैक कलर में अवलेबल है.

अगर आप भी शादी या पार्टी में हौट ड्रैस पहनना चाहती हैं और चाहती हैं कि आप की ब्रा की स्टैप भी न दिखे तो आप सिलिकौन लिफ्ट निपल कवर का यूज कर सकती हैं. यह न सिर्फ आप को ब्रा के झंझट से छुटकारा दिलाएगा बल्कि गरमी में ब्रा से होने वाली इरिटेशन से भी बचाएगा.

हालांकि यह अभी औनलाइन ही खरीदा जा सकता है. औफलाइन इस के बारे में अभी कम ही लोग जानते हैं. ये पेयर में आते हैं और कीमत 250 रुपये से 1,000 रुपये तक है.

इसी तरह निपल कवर भी होते हैं जो सिलिकौन बेस्ड होते हैं, इसलिए बहुत सौफ्ट होते हैं और ये स्कीन कलर के होते हैं. इन का इस्तेमाल उभरे हुए निपल को हाइड करने के लिए किया जाता है. इस तरह के निपल कवर को नौन पैडेड ब्रा के साथ कैरी कर सकती हैं.

कौटन या सिंपल ब्रा पहनने वाली लड़कियां और महिलाएं अकसर आउटफिट से उभरते निपल के दिखने से अनकंफर्टेबल हो जाती हैं. ऐसा ज्यादातर ठंड के मौसम में होता है. लेकिन बिग ब्रैस्ट वाली महिलाएं इस प्रौब्लम से हमेशा झिझकती हैं. ऐसे में उन्हें सिलिकौन निपल कवर अजमाना चाहिए जो उन्हें आउटफिट से उभरते निपल से राहत दिलाएगा, साथ ही इस के इस्तेमाल से वे कौन्फिडैंट भी फील करेंगी. इसे कैरी कर के आप केयर फ्री हो कर कोई भी आउटफिट पहन सकती हैं. ध्यान रहे  निपल कवर सिर्फ निपल को कवर करते हैं. उन्हें लिफ्ट नहीं करते हैं.

अलगअलग शेप में  उपलब्ध

गरमियों में निपल कवर या निपल स्टोक का यूज ब्रा से होने वाली इरिटेशन से बचाता है. निपल कवर अलगअलग शेप में भी आते हैं जैसे स्टार शेप, हार्ट शेप. इन की कीमत क्व99 से क्व500 तक है. कीमत निपल कवर की क्वालिटी पर डिपैंड करती है. अगर निपल कवर को साफसफाई के साथ रखा जाए तो एक अच्छी क्वालिटी के निपल कवर को 12 बार यूज किया जा सकता है.

इसी कड़ी में उभरे हुए निपल को हाइड करने के लिए निपल कवर स्टोक को भी अपनाया जा सकता है. निपल स्टोक को निपल पैचेस भी कहते हैं. ये अलगअलग शेप में आते हैं. इन को भी निपल कवर की तरह यूज किया जाता है. ये स्टोक वन टाइम यूज के होते हैं. अगर आप ब्रा नहीं पहनना चाहतीं और चाहतीं कि आप रिविलिंग ड्रैस भी पहन सकें तो आप ब्रैस्ट टेप का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के साथ ही यह नैकलाइन को भी उभारता है जो आप की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है.

स्किन टाइप के लिए सूटेबल

सिलिकौन निपल लिफ्ट कवर की ही तरह ब्रैस्ट टेप या बूब टेप भी होती है. यह कौटन और लेटेक्स से बनी टेप होती है, जो हर स्किन टाइप के लिए सूटेबल होती है. यह फैब्रिक और स्किन के लिए डिजाइन की गई है. इस की एक साइड पर ग्लू लगा होता है और दूसरी साइड रूखी  होती है. ग्लू लगी टेप को अपनी ब्रैस्ट के साइज के अकौर्डिंग काटें और आराम से ब्रैस्ट पर पेस्ट करें.

कितनी टेप यूज करनी चाहिए इस का फैसला अपने ब्रैस्ट के साइज के आकौर्डिंग करें.इसे लंबाई या चौड़ाई किसी भी तरह यूज किया जा सकता है. अगर आप इस का इस्तेमाल ब्रैस्ट को लिफ्ट करने के लिए करना चाहती हैं तो इसे लंबाई में लगाएं. ब्रैस्ट टेप के इस्तेमाल से ब्रैस्ट एक ही पोजीशन में रहती है जिस से उस का शेप काफी टोन्ड दिखती है और ब्रैस्ट की शेप थोड़ी सी उठी हुई आती है. इस का इस्तेमाल ब्रैस्ट को हाइड करने के लिए भी किया जा सकता है.

अकसर महिलाओं को अलगअलग तरह की ड्रैस पहनने के लिए अलगअलग तरह की ब्रा खरीदनी पड़ती है जैसे औफशोल्डर ड्रैस के लिए ट्रांसपैरेंट स्टैप वाली ब्रा और अगर बैकलैस ड्रैस पहननी है तो आप सोच में पड़ जाती हैं कि इसे कैरी कैसे करें. नौर्मल ब्रा पहनने पर यह बैकलैस ड्रैस में साफ दिखाई देती है. कोई भी ब्रा पहन लो सभी बैकलैस ड्रैस में रिवील होंगी. अलगअलग ड्रैस के लिए अलगअलग तरह की ब्रा खरीदना आसान नहीं है.

यह महंगा सौदा है. ऐसे में ब्रैस्ट टेप का इस्तेमाल करना बेहद फायदेमंद साबित होगा क्योंकि इस का यूज किसी भी ड्रैस के साथ किया जा सकता है. यह किसी भी तरह की ड्रैस के साथ विजिबल नहीं होती है. अगर आप रिविलिंग ड्रैस पहनना चाहती हैं तो ब्रैस्ट टेप का यूज कर सकती हैं. जिन महिलाओं की ब्रैस्ट फ्लैट या कहें छोटी होती है. उन के क्लीवेज नहीं दिखती है वे इस टेप का इस्तेमाल कर के क्लीवेज क्रिएट कर सकती हैं. इसे बनाने के लिए ब्रैस्ट टेप को दोनों स्तनों पर चौड़ाई में लगा कर पास लाना होता है. ऐसा करने से क्लीवेज नजर आने लगेगी.

बढ़ता है कौन्फिडैंट

अगर आप बूब टेप को लिफ्ट करने के लिए इस्तेमाल करना चाहती हैं तो सब से पहले अपने निपल्स को ढकने के लिए निपल कवर का इस्तेमाल करें. शौयर्टी के लिए इस के ऊपर एक छोटा पैड या रुई रख सकती हैं. इस बात का ध्यान रखें कि टेप को सीधे अपने निपल पर नहीं लगाना है. ब्रैस्ट टेप कई कलर में आती है जैसे स्किन, ब्लैक, सिल्वर. यह किसी भी ड्रैस में विजिबल नहीं होती है. इस का इस्तेमाल किसी भी बैकलैस, औफशोल्डर, स्ट्रैपलैस, डीप नैकलाइन ड्रैस और टौप पहनने से ले कर ब्रैस्ट को लिफ्ट करने तक में किया जाता है. इस के इस्तेमाल से ब्रैस्ट को उभार, सपोर्ट और क्लीवेज मिल जाती है.

उम्र बढ़ने के साथसाथ महिलाओं को ब्रैस्ट में ढीलापन आने की समस्या हो जाती है. वह पहले जैसी अट्रैक्टिव नहीं लगती है. ऐसे में ब्रैस्ट टेप को लंबाई में लगाने पर ब्रैस्ट को लिफ्ट किया जा सकता है. इस से ब्रैस्ट सुडौल नजर आएगी. महिलाएं इस के इस्तेमाल से कौन्फिडैंट फील करती हैं.

ब्रैस्ट टेप लगाते समय रखें ये सावधानियां

  •  ब्रैस्ट टेप का इस्तेमाल करने से पहले पैच टैस्ट जरूर करें.
  • इस बात का ध्यान रखें कि ब्रैस्ट टेप लगाते समय ब्रैस्ट पर बिलकुल गंदगी न हो. ब्रैस्ट टेप को लगाने से पहले बूब्स को टौवेल से अच्छी तरह पोंछ लें. अगर आप ब्रैस्ट टेप लगा रही हैं तो यह देख लें कि बूब्स पर कोई लोशन, क्रीम या औयल न लगा हो.
  •  ब्रैस्ट टेप का इस्तेमाल करने से पहले यह जान लें कि आप की ब्रैस्ट पर बाल न हों. अगर आप की ब्रैस्ट के एरिए पर बहुत ज्यादा पसीना आता है तो ब्रैस्ट टेप का इस्तेमाल करने से बचें या  इसे टाइमटाइम पर निकाल कर पसीना पोंछ कर इस्तेमाल करें. बहुत अधिक पसीना आने पर ब्रैस्ट टेप का ग्लू ढीला हो जाता है.
  •  निपल कवर या ब्रैस्ट टेप लगा कर न सोएं. अच्छी क्वालिटी वाले निपल कवर या ब्रैस्ट टेप ही खरीदें.कैसे रिमूव करेंइस टेप को रिमूव करने के लिए आप इस के ऊपर हलका गरम पानी डाल कर या गरम पानी से नहा कर इसे आसानी से निकाल सकती हैं. अगर टेप को हटाने के बाद आप की स्किन पर चिपचिपाहट रह गई है तो उस पर बेबी औयल से मसाज करें. इस से चिपचिपाहट हट जाएगी.

हैल्थ ऐक्सपर्ट का मानना है कि निपल कवर और ब्रैस्ट टेप के कई नुकसान भी होते हैं. ये नुकसान क्या हैं, आइए जानते हैं:

  1. सांस लेने में दिक्कत

सिलिकौन हमारी हैल्थ के लिए सही नहीं है. इस से बनी बूब टेप और निपल कवर ब्रैस्ट से चिपक जाते हैं, जिस से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है भले ही टेप में कोई स्टैप न हो. इस की वजह से स्किन में जलन भी हो सकती है. लंबे समय तक इस का यूज करने पर ब्रैस्ट टेप से बेचैनी हो सकती है क्योंकि वह त्वचा को सांस नहीं लेने देती है. इस से निपल में दर्द भी हो सकता है.

2. इन्फैक्शन

ब्रा टेप का बाहरी हिस्सा प्लास्टिक का बना होता है. यही वजह है कि इस पर आसानी से धूलमिट्टी चिपक जाती है, जिस से बैक्टीरिया जम जाते हैं. अगर आप इसे नियमित यूज कर रही हैं तो इस में से स्मैल भी आ सकती है.स्किन में खुजली या जलन होना़  कभीकभी कंपनियां अपने फायदे के लिए सिलिकौन निपल कवर लो क्वालिटी के सिलिकौन से बनाती हैं. ऐसे में इस के इस्तेमाल से बौडी पर चकत्ते या जलन हो सकती है. इसे लगातार इस्तेमाल कर रही महिलाओं को इस से ऐलर्जिक रिएक्शन भी हो सकता है.

अगर आप बैकलैस, डीप नैकलाइन, औफशोल्डर ड्रैस और टौप पहनने की शौकीन हैं तो निपल कवर और ब्रैस्ट टेप को अपनी सखी बन सकती हैं. लेकिन अगर आप निपल कवर और ब्रैस्ट टेप को दिनरात लगा कर रखने की सोच रही हैं तो ये आप की हैल्थ के लिए बिलकुल सही नहीं हैं. हां, कभीकभी इन का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन इन्हें साफ रखना बहुत जरूरी है. जहां अलगअलग ड्रैस के लिए अलगअलग ब्रा पहननी पड़ती है वही ब्रैस्ट टेप अलगअलग ड्रैस के साथ आसानी से कैरी की जा सकती है क्योंकि यह अलगअलग ब्रा के मुकाबले किफायती जो है.

9 टिप्स पति को बनाएं अपना दीवाना

दिव्या ने जब विवाह के बाद अपनी ससुराल में पहला कदम रखा तो अपनी मम्मी की हिदायतों के अनुसार उस ने संजीव पर कम और उस के घर वालों पर अधिक ध्यान दिया. इस का नतीजा यह निकला कि विवाह के कुछ दिनों बाद ही संजीव दिव्या से खिंचाखिंचा सा रहने लगा.

दिव्या की रातदिन की जीहुजूरी के कारण ससुराल वालों की उम्मीदें भी बढ़ती चली गईं और जब दिव्या उन की उम्मीदों को पूरी कर पाने में असमर्थ रहने लगी तो वे उस की संजीव से शिकायतें करने लगे. दिव्या को लगा, संजीव उस का साथ देगा मगर उस ने तो कभी संजीव के साथ ऐसा संवाद ही नहीं रखा था.रश्मि ने भी विवाह होते ही बहू नंबर वन बनने की सोची. वह अपनी ननद, देवर, सासससुर के साथ इतनी घुलमिल गई कि इस बीच उस का पति साकेत कहीं खो सा गया. जब भी घूमनेफिरने की बात होती तो रश्मि अपने साथ अपनी ननद और देवर को भी ले कर जाती. साकेत रश्मि की इन हरकतों से चिढ़ जाता. उसे हर आउटिंग रोमांटिक नहीं बल्कि फैमिली पिकनिक लगती और जल्द ही साकेत अपनी रोमांस की जरूरतों के लिए अपनी सहकर्मी पर निर्भर होने लगा.

विवाह बाद एक महिला अपने नए जीवनसाथी के साथ संयुक्त होती है. महिला के इस नए रूप में दुलहन का एक महत्त्वपूर्ण निर्णय होता है कि उसे किन मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक मामलों पर ध्यान देना चाहिए. एक नई शादीशुदा महिला के लिए एक नए परिवार में आधारभूत सामाजिक, मानसिक और पारिवारिक स्थितियां उत्पन्न होती हैं. इस मामले में एक दुलहन का पति पर ध्यान परिवार के अन्य सदस्यों से अधिक होना चाहिए.

ये कुछ कारण दुलहन को अपने पति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं:

  1. पारिवारिक नवजात

जब एक महिला विवाह के बंधन में बंधती है, तो वह नए परिवार की भावनाओं, संस्कृति और प्रथाओं के साथ भी बंधती है. उसे इस नए परिवार की संपूर्णता और विशेषता में सम्मिलित होना चाहिए.

2. साझा बनाए रखें रिश्ते

एक स्वस्थ विवाह में पतिपत्नी के बीच एक अच्छा और स्नेहपूर्ण संबंध होना चाहिए. दुलहन को अपने पति के साथ एक नियमित और सजीला संबंध रखना चाहिए और पति के परिवार के सदस्यों के साथ भी नए और स्वीकार्य संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

3. स्वतंत्रता और स्वाधीनता

एक दुलहन को अपने व्यक्तिगत विकास और स्वतंत्रता की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जब एक महिला अपने पति के साथ संयुक्त होती है, तो वह मन में अपनी स्वाधीनता के खोने का डर रखती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह अपने स्वयं के विकास के लिए अपनी अधिकारिता बनाए रख सकती है.

4. विशेष अभिवावक नहीं

जब एक महिला दुलहन बनती है, तो उसे अपने पति के विशेष अभिवावक नहीं, बल्कि एक समान पार्टनर की भूमिका में अपनेआप को स्थापित करना चाहिए. दुलहन को अपने पति के साथ भागीदारी में रहना चाहिए और अपने बीच एक सामंजस्यपूर्ण और समान संबंध बनाना चाहिए.

5. पति के सपोर्ट में रहना

विवाहित जीवन में सफलता के लिए पत्नी को अपने पति की सपोर्ट में रहना जरूरी है. पति की प्राथमिकता को और उन की इच्छाओं को समझना आवश्यक है. आप को उन के सपनों को पूरा करने में उन की सहायता करनी चाहिए.

6.पति के संग वक्त बिताना

नई दुलहन का अपने पति के साथ समय बिताना बेहद महत्त्वपूर्ण है. विवाह के बाद नए परिवार के साथ रहने में वह नई है, लेकिन इस दौरान पति के साथ संवाद में रहने से संघर्षों को सम?ाने मे मदद मिलती है.

7. सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना

नई दुलहन को परिवार के साथ सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना चाहिए. ध्यान रखने योग्य बात है कि उसे अपने पति के साथ संबंधों को बनाए रखने के लिए समय देना चाहिए. इस से खुशहाल और समृद्ध जीवन जीने में मदद मिल सकती है.

8. परिवार के मामूली मुद्दों पर ध्यान न देना

नए दुलहन को पति के साथ विवाहित जीवन का आनंद उठाने के लिए परिवार के मामूली मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए. वह अपने पति के साथ रिश्ते को स्थाई बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है.

9. संबंधों में संवाद

विवाहित जीवन में संवाद का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. जब आप अपने पति के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं और उन्हें अपने मन की बातें बताते हैं तो आप के बीच समझता हो सकता है और इस विवाहित जीवन को खुशनुमा बनाने में मदद मिल सकती है. संबंधों में समझदारी और संवाद समृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं

.एक दुलहन के जीवन का यह समय खास और यादगार होता है. इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर एक दुलहन को ध्यान देने की जरूरत है कि वह अपने पति पर ध्यान केंद्रित करे पति के परिवार पर नहीं. एक संतुष्ट और संयुक्त शादीशुदा जीवन के लिए दुलहन को पति और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ स्नेहपूर्ण संबंध बनाने का प्रयास करना चाहिए. इस से अपने नए जीवन को संतुष्ट, सफलतापूर्वक और खुशहाली से जीने में मदद मिल सकती है.

कम शब्दों में बोला जाए तो यह कि अगर आप बीवी नंबर वन बन जाती हैं तो बहू नंबर वन तो अपनेआप ही बन जाएंगी.

रोजाना करेंगे ये काम तो स्किन बनेगी चमकदार

ज्यादातर लड़कियों की यह शिकायत रहती है कि उन की त्वचा ग्लोइंग और चार्मिंग नहीं दिखती. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि या तो उन्हें अपनी त्वचा के अनुसार सही स्किन केयर का पता नहीं होता या फिर वे त्वचा के प्रति लापरवाही बरतती हैं.

आइए जानते हैं त्वचा को साफसुथरा व चमकदार बनाए रखने के कुछ टिप्स:

  • त्वचा को हर मौसम में मौइश्चराइज करने की जरूरत होती है, क्योंकि रूखी त्वचा खुजली जैसी समस्याएं पैदा करती है. मौइश्चराइजर का चुनाव करते समय यह ध्यान रखें कि आप की त्वचा औयली है या रूखी.
  • क्लींजिंग के बाद भी यदि त्वचा की गंदगी पूरी तरह साफ न हो तो नियमित तौर पर टोनिंग करनी चाहिए. इस से त्वचा की गंदगी भी दूर होती है और उस में नमी भी बनी रहती है.
  • अगर आप की स्किन ड्राई है तो सौफ्ट क्लींजर ही प्रयोग करें. सैंसिटिव स्किन के लिए माइल्ड क्लींजर इस्तेमाल करें.
  •  त्वचा की टोनिंग और मौइश्चराइजिंग से पहले उसे ऐक्सफौलिऐट करना न भूलें. इस से त्वचा की डैड सैल्स हट जाती हैं और उस का नैचुरल ग्लो उभर कर आता है.
  •  यदि आप के पैर के नाखून साफ नहीं हैं, एडि़यां गंदी व कटीफटी हैं, पैरों पर अनचाहे बाल हैं तो कितनी भी स्टाइलिश ड्रैस व फुटवियर पहन लें, आप के ऊपर जंचेगा नहीं. शौर्ट ड्रैस या डैनिम के साथ ओपन फुटवियर पहनने का शौक है तो अपने पैरों की साफसफाई पर पूरा ध्यान दें. इस के लिए घरेलू उपाय अपनाना ही काफी नहीं है, र्पालर जा कर ऐक्सपर्ट से मैनिक्योर, पैडिक्योर, नेल कटिंग व क्लीनिंग नियमित तौर पर कराती रहें.

अंधविश्वास की दलदल: भाग 3- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

मुझे कुछ बोलते नहीं बन रहा था. अभी हम एकदूसरे को ठीक से जानतेपहचानते भी नहीं और यह अपनी मां समान सास के बारे में कैसीकैसी बातें बोल रही है. इस के लिए आंटी ने मेरे सहित न जाने कितनी ही लड़कियों को ठुकरा दिया था.

नंदा फिर कहने लगी, ‘‘सच कहती हूं मीराजी, आप बड़ी किस्मत वाली हैं, जो आप की सास नहीं है, वरना मेरी सास तो मेरे लिए पनौती बन कर रह गई हैं. और ये मेरे पति, लगता है जैसे मैं इन के पल्ले जबरदस्ती बांध दी गई हूं.’’

‘‘क्यों?’’ मेरे मुंह से निकल गया.

कहने लगी, अरे, देख रही हैं आप. कभी भी मुझे प्यार भरी नजरों से नहीं देखते. पता नहीं किस के खयालों में खोए रहते हैं?

‘‘तो क्या आज भी प्रतीक के दिल में मैं ही हूं? सोच कर मेरी आंखें नम हो गईं. किसी तरह नंदा से छिपा कर अपने आंसू पोंछ कर बोली, ‘‘ऐसी बात नहीं हैं नंदाजी, मांबाप हों या सासससुर, सब हमारे अपने हैं और जैसे उन्होंने हमें पालापोसा, पढ़ायालिखाया, हमारे सुख को सब से ऊपर रखा, तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम अपने मांबाप को मानसम्मान दें, उन का सहारा बनें.’’ भले ही आंटी ने मेरे साथ जो भी किया पर मैं उन का अपमान कैसे सह सकती थी. लेकिन मेरी एक भी बात उसे अच्छी नहीं लगी. कहने लगी, ‘‘ठीक है जरा मैं आप का घर देख लेती हूं.’’

मैं उसे देख कर सोच में पड़ गई कि इतनी कड़वाहट भरी है इस के दिल में आंटी के लिए.

जातेजाते प्रतीक कहने लगा, ‘‘मीरा, खुश तो हो न अपनी जिंदगी में?’’

‘‘हां, बहुत खुश हूं, और तुम?’’ मेरे पूछने पर वह मेरा मुंह ताकने लगा, जैसे मुझ से ही पूछ रहा हो, क्या तुम्हें मैं खुश दिख रहा हूं? उस ने कुछ न बोला और अपनी नजरें नीची कर कहने लगा, ‘‘पापा नहीं रहे, मां भी शायद ज्यादा दिन न बच पाए. तुम्हें ठुकरा कर आज भी वे पश्चाताप की अग्नि में जल रही हैं. तुम्हारे बारे में बताया था उन्हें. मिलने को तड़प उठी. हो सके तो एक बार मां से मिल लेना,’’ कहतेकहते प्रतीक की आंखें भर आईं. मैं भी अपनी रुलाई कहां रोक पाई.

सोचने लगी, ‘‘आखिर ऐसा हुआ क्यों? क्यों अंधविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई कि आंटी को हमारा प्यार, हमारी खुशी नहीं दिखी.’’ उन्हें यहां से जातेजाते शाम के 5 बज गए थे. रात में खाना खा कर सब सो गए. पर मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी. प्रतीक का मुरझाया हुआ चेहरा, उस की उदासी भरी बातें मेरे मन को तड़पा गईं. स्मृति की सारी पपडि़यां एकएक कर मेरे आंखों के सामने खुलने लगीं…

हम पहली बार तब मिले थे जब प्रोबेशनरी औफिसर की ट्रैनिंग के लिए हम गुड़गांव गए थे.

बातोंबातों में ही जाना की हम एक ही शहर से हैं. ट्रैनिंग के 15 दिन कैसे बीत गए हमें पता ही नहीं चला. यह संयोग ही था कि हमारी पहली पोस्टिंग भी अपने शहर में ही मिल गई. अब तो हमारा मिलनाजुलना अकसर होने लगा. दोस्त तो पहले ही बन चुके थे लेकिन हमें एकदूसरे से प्यार हो गया, यह तब पता चला जब रातरात तक एकदूसरे से फोन पर बातें करने लगे. एक दिन न मिल पाना भी हमे बेचैन कर जाता. हमारे प्यार पर हमारे घर वालों ने भी हरी झंडी दिखा दी. अब हम एकदूसरे के घर भी आनेजाने लगे थे और प्रतीक के मांपापा मुझे अपने घर का सदस्य समझने लगे थे.

प्रतीक के पापा ने तो यहां तक कहा था, ‘‘प्रतीक बेटा, तुम ने अपने वास्ते इतनी सुंदर और गुणी लड़की खुद ही ढूढ़ ली. ऐसी तो शायद हम न ढूंढ़ पाते.’’

ऐसा नहीं था कि मैं आंटी को पसंद नहीं थी पर कोई एक बात उन्हें परेशान कर रही थी. एक रोज मेरे पापा को बुला कर वे बोलीं, ‘‘भाई साहब, हो सके तो मीरा की जन्मकुंडली भेज दीजिएगा.’’

मेरे पापा आश्चर्य से बोले, ‘‘जन्मकुंडली? पर किस लिए? और हम तो इस कुंडली मिलान पर विश्वास ही नहीं करते. इसलिए कभी बनवाने की सोची भी नहीं. हां, पर जब मीरा बहुत छोटी थी तब इस की दादी ने इस की कुंडली बनवाई थी. पर अब पता नहीं कहां होगी.’’

फिर मेरे पापा हंस कर कहने लगे, ‘‘बहनजी, अब हमें ही देख लीजिए, हमारा कोई कुंडली मिलान नहीं हुआ फिर भी क्या मस्त जिंदगी कट रही है हमारी एकदूसरे के साथ.’’

प्रतीक की मां कहने लगीं, ‘‘सब तो ठीक है, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य को ले कर थोड़ा सतर्क तो रहना पड़ता है और हरज ही क्या है जो कुंडली मिलान हो जाए तो? हो सके तो भेज दीजिएगा.’’

प्रतीक और उस के पापा इशारों से मना करते रहे पर प्रतीक की मां जिद पर अड़ गईं. अब दादी तो रही नहीं, फिर भी पापा ने कहा ‘‘ठीक है मैं कोशिश करूंगा.’’

प्रतीक की जिद पर हमारी सगाई तो हो गई पर शादी की डेट 6 महीने बाद की रखी गई. धीरेधीरे हम शादी की तैयारियों में जुट गए.

एक रोज प्रतीक के मांपापा ने मुझ से कहा कि मैं प्रतीक के साथ जा कर अपने लिए गहने पसंद कर लूं. हमें लगा अब उन्हें कुंडलियों के बारे में कुछ जानना नहीं है और हमारे रिश्ते से भी उन्हें कोई एतराज नहीं है.

उस रोज जल्दीजल्दी मैं ने अपने बाल संवारे और प्रतीक की पसंद की ड्रैस पहनी. न जाने कितनी बार खुद को आईने में देखा और बारबार घड़ी पर भी नजरें टिकाई थी. मुझे इस बात का खटका लग रहा था कि कहीं घड़ी ही तो अटक नहीं गई? कहीं ज्यादा देर तो नहीं हो गई? जब यह भरोसा भी टूट गया और बहुत देर बाद भी प्रतीक मेरे घर नहीं आया तो मैं ने ही फोन लगाया यह पूछने के लिए कि हमें गहने पसंद करने जाना था तो आए क्यों नहीं? पर प्रतीक तो फोन ही नहीं उठा रहा था. उस के घर के नंबर पर भी फोन लगाया. वहां भी कोई नहीं उठा रहा था. मुझे चिंता होने लगी. सोचा चल कर खुद ही देख आती हूं पर जैसे ही मैं प्रतीक के घर के अंदर जाने लगी, सब की बातें सुन मेरे पांव वहीं बाहर ही रुक गए.

बेटी के हेयरस्टाइल को लेकर ट्रोल हुईं Aishwarya Rai यूजर्स ने कहीं ये बात

गणेश चतुर्थी के अवसर पर, मुकेश अंबानी और नीता अंबानी ने मुंबई में अपने निवास एंटीलिया में उत्सव की मेजबानी की, जिसमें बॉलीवुड के तमाम सितारों ने शिरकत की. शाहरुख खान अपने परिवार के साथ अंबानी के गणपति दर्शन के लिए पहुंचे, जबकि सलमान खान ने अपने ट्रेडिशनल लुक में स्टाइलिश एंट्री मारी. इस जश्न में ऐश्वर्या राय बच्चन अपनी बेटी आराध्या के साथ शामिल हुईं.

आराध्या हुई ट्रोल

दरअसल, ऐश्वर्या राय बच्चन और उनकी बेटी आराध्या भी अंबानी परिवार के गणपति उत्सव में शामिल हुईं. मां-बेटी की जोड़ी ने पटियाला सूट पहनना और वायरल वीडियो में मुस्कुराहट के साथ ऐश्वर्या अपनी बेटी के साथ पोज देना वास्तव में एक प्यारा इशारा था. ऐश्वर्या ने स्काई ब्लू रंग का खूबसूरत सूट पहना था, जबकि आराध्या चमकीले पीले रंग के सूट में बेहद मनमोहक लग रही थीं. अपने आउटफिट को पूरा करते हुए इन दोनों ने पारंपरिक बैग को चुना. अभिनेत्री ने अपने सिग्नेचर पार्टीशन हेयरस्टाइल में नजर आई, जबकि उनकी बेटी ने पूरे कार्यक्रम में सुंदरता बिखेरते हुए बैंग्स बनाए रखे. वीडियो में आराध्या का हेयर स्टाइल हर बार की तरह सेम लग रहा है. उनके वायरल वीडियो में यूजर्स कमेंट कर रहे हैं.

 

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यूजर्स ने लिखा

ऐश्वर्या राय अंबानी हाउस में गणेश उत्सव में पहुंची वह अपनी बेटी के साथ नजर आई. वायरल वीडियो में आराध्या ने बैंग्स बनाए रखे है, जिसको लेकर यूजर आराध्या को काफी ट्रोल कर रहे है. एक यूजर ने लिखा है कि, मुझे मरने से पहले आराध्या का फोरहेड देखना है. वहीं दूसरे ने लिखा- लगता है इनको लोहड़ी का इनविटेशन मिल गया था गलती से. वहीं एक ने लिखा- प्लीज इनका हेयरकट चेंज करवा दो.

पहले भी हेयरस्टाइल को लेकर ट्रोल हुई आराध्या

ऐसा पहली बार नहीं है कि आराध्या ट्रोल हुई है. अक्सर आराध्या हेयरस्टाइल को लेकर ट्रोल होती रहती है. यूजर्स हर वीडियो में उनकी हेयरस्टाइल चेंज करने की मांग करते है. तो कभी आराध्या का हाथ पकड़कर चलने की वजह से भी ट्रोल हुई है.

अनुपमा के जिंदगी में आया तूफान, समर की मौत से मिलेगी शो को TRP

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर अनुपमा में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे है. इन ट्विस्ट और टर्न्स को देखकर दर्शकों का दिमाग हिल गया है. वहीं शो में पाखी सही सलामत घर पहुंच गई है. धीरे-धीरे मालती देवी को याद आने लगा है. इसी बीच सीरियल ‘अनुपमा’ में बहुत बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. हाल ही में शो का नया प्रोमो वीडियो सामने आया है. जिसे देखकर दर्शक के भी होश उड़ गए है. शो के नए प्रोमो दिखाया गया है समर की मौत हो गई है, जिसका आरोप अनुज पर लगा है.

अनुज पर लगेगा समर की मौत का आरोप

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में कपाड़िया हाउस में अनुज का बर्थडे सेलिब्रेशन चल रहा है. इस दौरान घरवालों को पता चलता है कि डिंपल प्रेग्नेंट है और समर पिता बनने वाले है तो परिवार में खुशी दोगुनी हो जाती है.

अनुपमा के नए प्रोमो में देखने को मिलता है कि वनराज, अनुज, तोषु और समर पार्टी के बाहर जाते है लेकिन इसके बाद समर की मौत हो जाती है. वही प्रोमो मे यही भी दिखाया कि अनुपमा समर के लिए रक्षा सूत्र बांधेगी लेकिन वह बिना बांधे चला जाता है. लेकिन घरवालों को शॉक जब लगता है समर की बॉडी स्ट्रेचर पर घर में आती है.

 

अनुपमा का नया प्रोमो वीडियो आया सामने

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ के नए प्रोमो वीडियो में देखने को मिलता है किअनुपमा अपने बेटे की लाश को देख टूटकर बिखर जाती है तो वहीं लीला, हंसमुख, किंजल और पाखी भी फूट-फूटकर रोने लगते हैं. इसी  बीच वनराज शाह चिल्लाकर अनुपमा से कहता है कि क्या तुम्हें पता है कि समर की मौत का जिम्मेदार कौन है? इसके बाद वनराज अनुपमा को बताता है कि तुम्हारा अनुज समर की मौत का जिम्मेदार है.

‘अनुपमा’ के नए प्रोमो वीडियो पर दर्शकों ने दिया अपना रिएक्शन. प्रोमो को देखकर दर्शकों का फूटा गुस्सा. यूजर्स ने लिखा- “जब भी मुझे लगता है कि इस शो का इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता, तो निर्माता हर बार नए निचले स्तर पर जाकर मुझे गलत साबित कर देते हैं.” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “इस सीरियल में हीरोइन अनुज है क्या जो हर दिन उसे ब्लेम मिलता रहता है.”

हाईवे का प्रेम: शिवांगी ने कैसे सिंदूरा का पर्दाफाश किया

सिंदूरा शाह, बैंगलुरु शहर में रेस्तरां के बिजनैस में एक उभरता हुआ नाम था. वह एक महत्त्वाकांक्षी औरत थी और अन्य शहरों में भी रेस्तरां खोलना चाहती थी.

सिंदूरा एक बड़ी बिजनैस आइकोन बनना चाहती थी पर वह जानती थी कि मर्दों की बनाई इस दुनिया में मर्दों के बीच रह कर उन्हें पछाड़ना कितना कठिन है और इस के लिए सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं है बल्कि उसे सफलता पाने के लिए उस के पास मौजूद हर चीज को इस्तेमाल करना आना चाहिए.

रेस्तरां के बिजनैस का गुर उसे अपने पिताजी से विरासत में मिला था, सिंदूरा ने उनके द्वारा दिए गए एकमात्र रेस्तरां को 2 और फिर 3 में तबदील किया था.सिंदूरा शाह 45 साल की अविवाहितमहिला थी. उस ने शादी क्यों नहीं करी इस का उत्तर कोई नहीं जानता सिवा सिंदूरा के.

शायदउसे उस के मन का कोई पुरुष मिला नहीं था.पर इस उम्र में भी सिंदूरा बहुत आकर्षक दिखती थी. उस की ताजगी और सुंदरता देख कर लोग हैरानी में पड़ जाते थे. गोरा रंग और गहरी काली आंखें तथा तीखी सी नाक.

अपने गोरे शरीर पर जब सिंदूरा स्लीवलैस ब्लाउज पहनती और साड़ी को नाभि प्रदर्शना ढंग से बांधती तो बहुत आकर्षक लगती.अपनी इस खूबसूरती को अपने व्यवसाय की प्रगति के लिए बखूबी इस्तेमाल करती थी सिंदूरा.

वह अगर साड़ी का पल्लू अपने कंधेपर सजाना जानती  तो उसे गिरा कर अपनेजिस्म को दिखा कर भरपूर फायदा भी उठाना जानती थी.सिंदूरा ठीक इसी रेस्तरां की तर्ज पर एक और रेस्तरां शहर से बाहर जाने वाले हाईवे पर खोलना चाहती थी और इस के लिए वह हाईवेपर जमीन खरीदने के लिए प्रयासरत थी पर हर बार उसे निराशा ही हाथ लगती थी क्योंकि इस एरिए का प्रौपर्टी डीलर शुभांग सिंह जमीन को बेचना नहीं चाहता था, सिंदूरा ने कई बार अपने आदमियों को शुभांग के पास भेजा पर कोईलाभ नहीं हुआ.

प्रौपर्टी डीलर जमीन के मुद्दे पर कोई बात नहीं करना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि मौके की जमीन को जितना देरमें बेचा जाए उतनी ही कीमत बढ़ने का अवसर रहता है.जब सिंदूरा को और कोई रास्ता नहीं सूझ तब उस ने शुभांग से डाइरैक्ट मिल कर बात करने की बात सोची और एक दिन शुभांग के औफिस पहुंच गई.

शुभांग सिंह एक 38 वर्षीय विवाहित और काफी आकर्षक व्यक्ति था जो अपने औफिस में अपनी रिवौल्विंग चेयर पर बैठा हुआ काम कर रहा था. उस की आंखों पर चश्मा लगा हुआ था और उस ने अपने कंधे तक के लंबे बालों को ऊपर की ओर कस कर एक जूडे़ की शक्ल में बांधा हुआ था.

जिस तरह से उस ने सिंदूरा को ऊपर से नीचे तक घूरा था उस से सिंदूरा समझ गई कि वह खूबसूरती का पारखी है और उस का काम आसान होने वाला है.औपचारिक परिचय के बाद दोनों के बीच काम की बातचीत शुरू हुई पर सिंदूरा को झटका तब लगा जब शुभांग ने सिंदूरा को हाईवे वाली जमीन को बेचने से साफ मना कर दिया. सिंदूरा ने दोगुनी कीमत देने को कहा पर फिर भी शुभांग सिंह राजी नहीं हुआ.

सिंदूरा ने बहुत कोशिश करी पर शुभांग सिंह टस से मस नहीं हुआ. सिंदूरा हार कर अपने औफिस आ गई. उस ने कौफी मंगवाई और कुरसी पर बैठ कर सोचने लगी कि कैसे शुभांग सिंह से हाईवे वाली जमीन ली जाए, काम कठिन था और शुभांग भी अडि़यल मालूम होता है, पर थोड़ा दिमाग लगाने के बाद ही सिंदूरा को एक आइडिया आ ही गया.

शुभांग सिंह सोशल मीडिया पर अपने बिजनैस से संबंधित जानकारी अपलोड करता रहता था. सिंदूरा ने उस की सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक और कमैंट करना शुरू कर दिया. उस के कमैंट्स तारीफ भरे और चुटकीलापन लिए होते थे.

इस के अलावा सिंदूरा ने शुभांग के व्हाट्सऐप नंबर पर गुड मौर्निंग और सुविचार जैसे मैसेज भी भेजने शुरू कर दिए जिन के बदले शुभांग सिंह भी कभीकभी रिप्लाई कर देता.एक रात शुभांग सिंह के मोबाइल पर सिंदूरा के नंबर से फोटोज की शक्ल में लगातार 3 मैसेज आए पर इस से पहले कि शुभांग उन्हें देख पाता, सिंदूरा ने वे मैसेज डिलीट कर दिए पर एक फोटो डिलीट न हो सका तो उस ने घबराए से स्वर में शुभांग को फोन किया कि उस के मोबाइल पर सिंदूरा की कुछ निजी तसवीरें फौरवर्ड हो गई हैं जिन में से 2 तो डिलीट हो गई हैं पर एक किसी तकनीकी दिक्कत के कारण डिलीट नहीं हो पा रही है इसलिए वह प्लीज उसे न देखे और बिना देखे ही डिलीट कर दे.

मगर बिना देखे तो कुछ डिलीट हो भी नहीं सकता और फिर मनुष्य का स्वभाव होता है कि जो काम उसे करने के लिए मना किया जाए उसे  वह अवश्य करता है. शुभांग सिंह भी कोई अपवाद नहीं था इसलिए उस ने फौरन अपने मोबाइल में सिंदूरा के भेजे गए मैसेज को देखा. उसे देख कर वह दंग रह गया. यह सिंदूरा की एक ऐसी तसवीर थी जिस में वह लाल रंग की बिकिनी पहने थी और उस का गोरा शरीर गजब ढा रहा था. शुभांग सिंह हुस्न का पारखी था.

वह कई लड़कियों के साथ हमबिस्तर हो चुका था इसलिए सिंदूरा की ऐसी तसवीर देख कर वह उस के जिस्म को चूमने के लिए उतावला हो गया और  सिंदूरा के साथ रात गुजारने का मौका ढूंढ़ने लगा.कुछ दिन और बीते. इस बीच सिंदूरा ने शुभांग को हाईवे वाली जमीन के लिए टटोला पर वह तस से टस नहीं हुआ. लेकिन आज शुभांग सिंह को वह मौका मिल ही गया जिस की उसे तलाश थी.

वे दोनों एक पार्टी में मिले और शुभांग सिंह ने पार्टी समाप्त होने के बाद सिंदूरा को अपनी बड़ी सी गाड़ी में लिफ्ट औफर करी जिसे सिंदूरा ने मुसकरा कर स्वीकार कर लिया और अपने ड्राइवर को आंख के इशारे से गाड़ी घर ले जाने को कह दिया.शुभांग सिंह और सिंदूरा दोनों शहर से बाहर बने शुभांग के फार्महाउस पर पहुचे. यह एक शानदार जगह थी.

चारों तरफ रातरानी के फूलों की महक फैली थी और रंगबिरंगी रोशनी से हरा लौन एक नए ही रंग में नजर आ रहा था. दूसरी तरफ पूल में भरा पानी और उस पानी पर तैरते हुए टिमटिमाते दीए अलग ही माहौल बना रहे थे. शुभांग और सिंदूरा बैडरूम में न जा कर वहीं लौन में फूस से बनी एक गोल झोंपड़ी में बैठ गए जहां पर महंगी शराब और गोश्त का इंतजाम पहले से ही था.

शुभांग ने गोश्त खाया और शराब भी पी जबकि सिंदूरा ने सिर्फ शराब पी और गोश्त खाने से परहेज किया.शराब पीते समय शुभांग सिंदूरा के भीगे हुए होंठों को चूम भी ले रहा था. धीरेधीरे सिंदूरा की आंखें नशीली हो गईं और शुभांग उस पर छाता चला गया. दोनों जोश में थे. शुभांग ने सिंदूरा के कपड़ों को उतारने में देर नहीं करी.

सिंदूरा ने पहले तो शरमाने का अभिनय किया पर बाद में वह खुद सहज हो गई. चालक सिंदूरा ने इस सारे दृश्य को अपने मोबाइल में कैद कर लिया ताकि शुभांग को ब्लैकमेल कर के हाईवे वाली जगह हासिल कर सके.आधे घंटे बाद कमरे में आया तूफान ठंडा पड़ चुका था.

सिंदूरा ने जीवन में पहली बार किसी पुरुष के साथ को जीया था. कितना अच्छा था यह क्षणभर का आनंद, पर जैसे ही इसे जीना चाहा यह छूटता सा गया और मन फिर दोबारा इसी क्षण की मांग करने लगा. इस समय सिंदूरा द बिजनैस वूमन कहीं खो गई थी और जो बिस्तर पर निढाल पड़ी थी वह एक औरत थी.सिंदूरा ने देखा कि शुभांग के लंबे बाल बिखरे हुए थे और उस की आंखें भी गहन तृप्ति के भाव से भरी हुई थीं.

यह ठीक वही पल था जब सिंदूरा के मन में शुभांग के प्रति प्रेम का अंकुर फूटा और उस ने कुछ सोचते हुए मोबाइल में शूट की गई क्लिप्स को एक मुसकराहट के साथ डिलीट कर दिया.‘‘अब मुझे घर जाना होगा नहीं तो बीवी घर से बाहर कर देगी,’’ शुभांग ने नाटकीयता दिखाते हुए कहा और कपड़े पहनने लगा. सिंदूरा मुसकरा कर रह गई.

अगली शाम सिंदूरा को फोन कर केशुभांग ने बताया कि उस की खूबसूरती और बिस्तर पर उस की परफौर्मैंस देख कर वह सिंदूरा को हाईवे वाली जगह उसे देने को तैयार है. अब वह रेस्तरां का अपना बिजनैस उस जगह पर कर सकती है.

सिंदूरा जगह मिल जाने से खुश थी. वह गर्व भी कर रही थी कि आज फिर उस की सुंदरता ने उस के बिजनैस में उस की मदद करी है.सिंदूरा ने अब तक शादी नहीं करी थी क्योंकि उसे उस का मनचाहा पुरुष नहीं मिला था और आज शुभांग के रूप में उसे एक ऐसा व्यक्ति मिला है जिस से वह सच में प्रेम करने लगी है पर उस से विवाह नहीं कर सकती क्योंकि शुभांग पहले से ही विवाहित है.

तो क्या हुआ? प्रेम एक तरफ है तो प्रेम का विवाह में बदल जाना दूसरी तरफ, वह शुभांग को प्रेम करती है और ऐसे ही प्रेम करती भी रहेगी.आज सिंदूरा का जन्मदिन था. शुभांग ने उस के घर पर एक बड़ा सा पीले फूलों का बुके भेजा और फिर शाम तक तो तमाम गिफ्ट्स भेजने का क्रम यों ही चलता रहा.

सच कहा जाए तो सिंदूरा को यह लड़कपन वाला प्यार जताने का तरीका बहुत अच्छा लग रहा था.वे दोनों शाम को एक होटल में मिले और एकदूसरे के साथ समय गुजारा. शुभांग ने सिंदूरा को यह भी बताया कि वह आज से 3 दिन बाद  काम के सिलसिले में थाईलैंड के लिए रवाना हो रहा है जहां पर कुछ दिन बिताएगा और उस ने सिंदूरा को भी साथ चलने का औफर दिया.

‘‘पर मैं सारा बिजनैस कैसे छोड़ कर जाऊं?’’ सिंदूरा ने असमर्थता दिखाते हुए कहा.मगर शुभांग ने उस की एक न चलने दी और उसे थाईलैंड चलने के लिए मना ही लिया. सिंदूरा फूले नहीं समा रही थी. किसी ने कितने अधिकार से उस से अपने साथ चलने को कहा.

वह कहा टाल न सकी और थाईलैंड जाने की तैयारी करने लगी. लगभग 4 हजार किलोमीटर का सफर तय कर के वे दोनों थाईलैंड के बैंकौक शहर पहुंच गए, दिन में आराम करने के बाद दोनों एक रेस्तरां में खाने पहुंचे. बैंकाक का मुख्य भोजन ‘पैड थाई नूडल्स’ है जिस में चिकन तथा अन्य मांस की अधिकता रहती है. वैसे भी बैंकौक में सिंदूरा ने नौनवैज स्ट्रीट फूड बहुत देखा था.

तभी उस के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न बैंकाक में एक शाकाहारी रेस्तरां खोला जाए जो भारतीयों और शाकाहारी लोगों को बहुत आकर्षित करेगा.सिंदूरा थाई नूडल्स का मजा लेतेलेते इस आइडिया के बारे में और विचार करने लगी.

इस बीच शुभांग फोन पर अपनी पत्नी से बात कररहा था.ऐसा लगता था कि उस की पत्नी शुभांग के बारे में कुछ ज्यादा ही चिंतित हो रही थी. शुभांग ने उसे समझयाबुझाया और फिर वह भी नूडल्स खाने में व्यस्त हो गया.खाने के बाद दोनों शौपिंग करने के लिए ‘एशियाटिक द रिवरफ्रंट’ नाम के विशाल मौल में गए, यह काफी बड़ा मौल है जिस में पचासों बुटीक और रेस्तरां हैं. सिंदूरा ने इतनी चकाचौंध और विविधताओं से भरा हुआ मौल पहले कभी नहीं देखा था.

यहां दोनों ने अपनी फुट मसाज कराई और स्पा भी लिया तथा जम कर शौपिंग भी करी. रात हो चली थी. दोनों थक कर चूर हो गए थे. इसलिए अपने होटल के कमरे में चले आए. सिंदूरा ने कमरे में आ कर मौल से खरीदी हुई नाइटी पहनी जिस के अंदर उस का गोरा बदन और भी मादक लगने लगा.शुभांग और सिंदूरा कमरे में अकेले थे.

दोनों के दिल एकदूसरे को देख कर धड़क उठे और दोनों ने एकदूसरे को आगोश में भर लिया. शुभांग के हाथ सिंदूरा के चिकने बदन पर फिसल रहे थे. दोनों एकदूसरे में डूब जाना चाहते थे पर जैसे ही शुभांग ने सिंदूरा के शरीर में प्रवेश करना चाहा, वह कराह उठा.

उसे दर्द हो रहा था. वह दर्द किडनी वाली जगह पर था. शुभांग परेशान हो गया और दर्द के मारे सिंदूरा से अलग हो गया और बिस्तर पर करवट बदलते हुए बेहोश हो गया. सिंदूरा ने तुरंत रूम सर्विस को कौल कर के मैडिकल सुविधा प्रदान करने की गुहार लगाई.

होटल मैनेजमैंट ने तुरंत ऐक्शन लिया और होटल में ही मौजूद एक डाक्टर को बुलाया जिस ने तुरंत शुभांग को अस्पताल के लिए रैफर किया और वह खुद भी साथ में अस्पताल गया.डाक्टरों ने शुभांग के खून के ढेर सारेटैस्ट किए और उस के यूरिन को भी जांचा.

जब रिपोर्ट आने पर उन्होंने सिंदूरा को बताया कि रिपोर्ट गंभीर है और शुभांग की किडनिया जवाब दे चुकी हैं. सिंदूरा बिलख पड़ी. जीवन के इतने वर्ष के बाद उसे किसी मनचाहे पुरुष का साथ मिला था, भले ही वह एक विवाहित पुरुष था पर सिंदूरा ने उसे प्रेम किया था, सच्चा प्रेम और आज जब वह अपने प्रेमी के साथ समय बिताने विदेश आई तब शुभांग की किडनियां खराब हो गईं और वह मौत के मुंह में जा रहा है.

तो क्या शुभांग उस का साथ छोड़ जाएगा? डाक्टर को शुभांग की जान बचाने के लिए एक किडनी की तलाश थी पर इतनी जल्दी किडनी की व्यवस्था अस्पताल में नहीं थी और डोनर मिलने में पता नहीं कितना समय लगता.‘‘तो आप मेरी किडनी ले लीजिए.

मैं शुभांग को किडनी डोनेट करने के लिए तैयार हूं.’’ ‘‘देखिए, आप अच्छी तरह से सोच लीजिए. यदि आप अपने पति को किडनी देना ही चाहती हैं तो हम आप के शरीर की कुछ जांच करने के बाद ही बता पाएंगे कि आप की किडनी शुभांग के लायक है भी या नहीं,’’ डाक्टरों ने कहा. डाक्टरों के मुंह से शुभांग को उस के पति के रूप में बुलाया जाना सिंदूरा को बहुत अच्छा लगा था.सिंदूरा की भावनाएं प्रबल होती जा रही थीं. वह किसी भी हालत में शुभांग को नहीं खोना चाहती थी.

उस ने झट से अपने सारे टैस्ट करा लिए. सारी रिपोर्ट्स नौर्मल आईं. डाक्टर ने उसे यह भी बताया कि उस की किडनी शुभांग को सूट कर जाएगी और वे आराम से उस की किडनी ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. एक सुकून की सांस ली थी सिंदूरा ने.

किडनी सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट हो गई थी और आज 1 हफ्ता हो गया था और किडनी शुभांग के शरीर में सही तरीके से काम भी कर रही थी. सिंदूरा और शुभांग दोनों एक ही कमरे में पास के बैड पर थे.

सिंदूरा की हालत में तेजी से सुधार आ रहा था जबकि शुभांग को अभी भी काफी देखरेख की आवश्यकता थी. तभी नर्स ने आ कर बताया कि भारत से कोई महिला शुभांग सिंह से मिलना चाहती है.भारत से आई महिला का नाम सुन कर दोनों चौंक गए थे. आखिर वह कौन हो सकता है? जब वह महिला सामने लाई गई तो और कोई नहीं बल्कि शुभांग की पतनी रूही थी.

अपनी पत्नी को थाईलैंड में देख कर शुभांग बुरी तरह चौंक गया.‘‘रूही तुम यहां कैसे?’’ पर रूही ने जवाब देने की बजाय सवालों की ?ाड़ी लगा दी, ‘‘तुम्हें क्या हो गया? अगर तुम्हें कुछ समस्या थी तो तुम ने अपनी पत्नी को बताने की भी जरूरत नहीं समझ… एक फोन तो कर सकते थे? शुभांग मैं तुम्हारी पत्नी हूं, कोई गैर नहीं.’’

उस की व्यग्रता और प्रेम समझते हुएशुभांग मुसकरा उठा और बदले में उस ने सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘मेरी किडनी में भयंकर दर्द हुआ और मैं बेहोश हो गया. फिर क्या हुआ मुझे कुछ नहीं पता. उस के बाद जब मेरी आंख खुली तब मेरा औपरेशन हो चुका था और मुझे एक नई किडनी लगा दी गई थी,’’ शुभांग ने मुसकराते हुए उत्तर दिया. ‘‘पर तुम अचानक इतनी दूर यहां कैसे आईं?’’ रूही थोड़ा नौर्मल हुई तो उस ने बताया कि जब कई दिनों तक शुभांग का नंबर घंटीबजने के बाद भी नहीं उठा तब रूही ने शुभांग द्वारा चैकइन करने के समय भेजी गई होटलकी लोकेशन के अनुसार होटल के रिसैप्शनसे शुभांग सिंह का नाम पूछ कर जानकारीहासिल करी.

उन्होंने बताया कि इस नाम के मरीजकी हालत अचानक बिगड़ गई थी जिस के पश्चात उन्हें अस्पताल में भरती कराया गया है और वे किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं. इतनी खबर पाते ही रूही वहां से थाईलैंड के लिए निकल पड़ी.‘‘पर अचानक तुम्हारे लिए किडनी की व्यवस्था कैसी हुई? आई मीन किस ने डोनेट की?’’ रूही ने पूछा.पहले तो शुभांग ने सबकुछ छिपाना चाहा पर शायद अब उस की गुंजाइश नहीं बची थी. अत: उस ने बताया कि वह और सिंदूरा एकसाथ काम करते हैं और वह सिंदूरा के ही साथ थाईलैंड आया था और दोनों एक ही होटल में रुके थे.

तभी यह हादसा हुआ. सिंदूरा ने मुझे अपनी किडनी डोनेट कर के मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है.‘‘आगे मुझे कुछ जानने की जरूरत नहीं है. होटल के रिकौर्ड में सिंदूरा का नाम तुम ने अपनी पत्नी के नाम पर दर्ज कराया है,’’ रूही के स्वर में एक दर्द और कसैलापन था.

शुभांग कुछ न बोल सका. अब बारीसिंदूरा के बोलने की थी. बोली, ‘‘मैं क्या करती मैं इस उम्र में आ कर तुम्हारे पति से प्रेम करबैठी और जब मैं ने दिल दे ही दिया तो भला किडनी दे कर जान बचाने में क्यों चूंकती? हां, हम थोड़ी देर के लिए बहक जरूर गए थे, पर यकीन मानो मेरा शुभांग के प्रति प्रेम एकदम निस्वार्थ है.’’ रूही अजीब स्थिति में थी.

एक तरफ तो उसे सिंदूरा में अपनी सौतन नजर आ रही थी, एक ऐसी औरत जिस ने उस के पति के साथ बिस्तर पर रात बिताई है और दूसरी तरफ सिंदूरा में उस के पति की जान बचाने वाली औरत भी दिख रही थी जिस ने अपनी किडनी देने का निर्णय कर के उस के सुहाग की रक्षा करी है. बेचैनी रूही के मन में थी तो सिंदूरा के मन में भी और इस बेचैनी को खत्म करने का जिम्मा रूही ने ही उठाया.

बोली, ‘‘मैं तुम्हारी बहुत शुक्रगुजार हूं जो तुम ने मेरे पति की जान बचाई और मेरे लिए यह स्थिति भी बहुत विचित्र है कि तुम शुभांग से प्रेम करती हो, पर वे मेरा पति हैं.

मैं उन्हें तुम्हारे साथ किसी हालत में नहीं बांट सकती और मैं तुम्हारे और शुभांग के प्रेम को भी परवान चढ़ने नहीं देना चाहती, पर तुम ने मेरे पति की जान बचाई है इसलिए तुम उन के साथ एक हैल्दी रिलेशन रख सकती हो और वह रिलेशन है दोस्ती का. तुम मेरे पति की अच्छी दोस्त बन कर रह सकती हो.

उन से जब चाहे मिल सकती हो और मिलने घर भी आ सकती हो,’’ कह कर रूही ने सिंदूरा का हाथ अपने हाथों में ले लिया.सिंदूरा की आंखें नम हो चली थीं. रूही के चेहरे पर तनाव और मुसकराहट का मेलजोल दिख रहा था.शुभांग यह सब देख और सुन कर चकित हो रहा था.

उस के सामने 2 स्त्रियां थीं जिन में एक उस की पत्नी थी और दूसरी वह महिला थी जिस ने उस से प्रेम किया था.आज शुभांग अपनेआप को एक हाईवेपर खड़ा हुआ पा रहा था जहां चारों ओर कोई ट्रैफिक नहीं था, कोई शोर भी नहीं था बल्किप्रेम ही प्रेम था, रिश्तों का अजबगजब प्रेम,हाईवे का प्रेम.

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