अंधविश्वास की दलदल: भाग 4- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

प्रतीक बोल रहा था और उस की आवाज से लग रहा था कि वह काफी गुस्से में है, ‘‘आप तो मान गई थीं कि अब कोई कुंडली का मिलान नहीं करेंगी तो आज अचानक से क्या हो गया आप को? उस ढोंगी बाबा ने भड़काया है न आप को? ठीक है तो मेरी भी बात सुन लीजिए, अगर मीरा से मेरी शादी नहीं हुई तो मैं जिंदगी भर कुंवारा रह जाऊंगा पर किसी और से शादी नहीं करूंगा.’’

सुन कर मेरा हृदय व्याकुल हो उठा. कुछ देर तो मैं काठ की मूर्ति की तरह जड़वत चुपचाप वहीं खड़ी रह गई. फिर अंकल के चिल्लाने की आवाज से मेरा ध्यान टूटा.

‘‘अरे मूर्ख औरत, मैं ने तुम्हें कितनी बार समझाया, यह मंगलीफंगली कुछ नहीं होता है तो फिर कौन तुम्हें भड़का गया? वो ढोंगी बाबा? मत सुनो किसी की, यह शादी हो जाने दो. क्यों दो प्यार करने वालों को अलग करने का पाप अपने सिर पर ले रही हो?’’ अंकल आंटी को समझाने की कोशिश कर रहे थे.

आंटी कहने लगी, ‘‘देखोजी, सिर्फ प्यार से जिंदगी नहीं चलती है और दुनिया कितनी भी मौडर्न क्यों न हो जाए जो सही है सो है. मीरा मंगली तो है ही ऊपर से कालसर्प दोष भी है उस में. पंडितजी ने तो यहां तक कहा कि अगर हम अपने बेटे की शादी मीरा से कर देते हैं तो प्रतीक की जान को भयंकर खतरा है. उस की जान भी जा सकती है. अब बोलो, क्या जानबूझ कर मैं अपने बेटे को मौत के मुंह में डाल दूं? जो भी हो पर अब मैं यह शादी नहीं होने दे सकती.’’

‘‘पर मां आप समझती क्यों नहीं हैं. ऐसे पंडित ढोंगी और पाखंडी होते हैं. अपनेआप को महान साबित करने के लिए कुछ भी बोल देते हैं. अब भी कहता हूं छोड़ दो अपनी जिद. किसी के बातों में आ कर हमारी जिंदगी नर्क मत बनाओ. हो जाने दो हमारी शादी.’’ प्रतीक की बातों में बेबसी साफ झलक रही थी. आंटी जब अपनी बातों पर अड़ी रहीं तो प्रतीक यह कह कर वहां से चला गया कि ‘‘ठीक है आप को जो अच्छा लगता है कीजिए और मुझे जो अच्छा लगेगा मैं करूंगा.’’

अंकल कहने लगे, ‘‘देखना एक दिन तुम जरूर पछताओगी और तब मैं नहीं रहूंगा तुम्हारे आंसू पोंछने के लिए.’’ कह कर वे भी वहां से चले गए. समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है. मेरी आंखें पथरा गईं. जबान बंद हो गई, कान सुन्न हो गए. जैसे मेरी सारी शक्ति खत्म हो गई. घर आ कर मैं निढाल हो गई.

मां मेरे कमरे में चाय देने आईं और मेरा चेहरा देख कर पूछा भी कि मैं तो प्रतीक के साथ गहने पसंद करने जाने वाली थी तो गई क्यों नहीं, पर मैं ने चुप्पी साध ली. कुछ बताने की हिम्मत नहीं हुई. मां की जिद पर किसी तरह चाय समाप्त कर मैं सोने को हुई पर फिर उन की बातें याद कर झटके से उठी और वहां पड़े सामान को फेंकने लगी. मां डर गई और पूछने लगी, ‘‘क्या हो गया… सब ठीक है न?’’

मेरे होंठ कांप रहे थे. मैं बोलना चाह रही थी पर बोल नहीं पा रही थी. मां घबरा उठी, ‘‘मीरा क्या हुआ बेटा, सब ठीक तो है न?’’ फिर उन्होंने आवाज दे कर पापा को बुलाया. पापा मुझे रोते देख व्याकुल हो उठे. कहने लगे, ‘‘बेटा क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?’’

‘‘पापा…’’ रोतेरोते मेरी हिचकियां बंधने लगी थीं. तभी प्रतीक की मां का फोन आया. उन्होंने जो कहा सुन कर पापा वहीं जमीन पर बैठ गए. पापा की तबीयत न बिगड़ जाए, सोच कर मैं ही पापा को ढाढ़स देने लगी. शाम को प्रतीक ने मुझे मिलने को बुलाया. वहीं जहां हम हमेशा मिलते थे.

‘‘मीरा, सुनो मेरी बात और रोना बंद करो. कल ही जा कर हम मंदिर में शादी कर लेंगे. नहीं चाहिए मुझे मां का आशीर्वाद,’’ जैसे प्रतीक फैसला कर के आया था.

प्रतीक की बातों पर मैं चौंक गई, ‘‘पर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं प्रतीक?’’ मैं ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा.

‘‘तो मुझे भूल जाओ क्योंकि मां कभी हमें एक होने नहीं देंगी और मैं…? कहतेकहते प्रतीक चुप हो गया.’’

थोड़ी चुप्पी के बाद मैं ने ही कहा, ‘‘अभी मैं कुछ नहीं कह सकती हूं.’’ प्रतीक और मेरे बीच हुई बात मैं ने मां को बताई.

मां कहने लगी, ‘‘ऐसी शादी का क्या मतलब जिस से बड़ों का आशीर्वाद न मिले और जब उस की मां नहीं चाहतीं कि यह शादी हो तो मेरी बेटी कोई बोझ नहीं है हमारे ऊपर. और बेटा, शादी सिर्फ लड़का और लड़की से नहीं, बल्कि पूरे परिवार से होता है.’’

मैं ने सोचा कि मां सही कह रही थीं. अपने मन को कड़ा कर मैं ने अपना फैसला प्रतीक को सुना दिया. सब बातों को भूल, अपना मन काम और घर में रमाने लगी. पर जब आप किसी से बेइंतहा प्यार करते हैं तो उसे भूलना इतना आसान नहीं होता. पर मैं कोशिश कर रही थी. कई बार प्रतीक का फोन भी आया पर मैं ने कोई तवज्जो नहीं दी.

कुछ महीने बाद ही मेरी दीदी मेरे लिए एक रिश्ता ले कर आईं जो उन की ननद के रिश्ते में था. पर पापा ने लड़के वालों को सब बता दिया कि मैं मंगली हूं और इस वजह से मेरी शादी टूट गई थी.

लड़की के परिवार वाले कहने लगे, ‘‘हम मंगलीअंगली कुछ नहीं मानते. बस लड़कालड़की एकदूसरे को पसंद कर लें.’’

जल्द से जल्द मैं प्रतीक को अपनी यादों से मिटाना चाहती थी इसलिए शादी के लिए मैं ने तुरंत हां कर दिया. ज्यादा तामझाम लड़के वालों को भी नहीं पसंद था. बड़ी ही सादगी से मेरी शादी वरुण के संग हो गई. कहां मैं प्रतीक की दुलहन बनने वाली थी और बन गई वरुण की दुलहन. शादी के बाद मैं मुंबई आ गई और अपना तबादला भी मुंबई में ही करवा लिया. वरुण जैसा दिलोजान से प्यार करने वाला पति पा कर मैं पूरी तरह से प्रतीक को भूल चुकी थी. जिगर और साक्षी के आने के बाद तो हमारा जीवन और भी खुशियों से भर उठा था.

सुबह मन तो नहीं था पर प्रतीक ने बात ही ऐसी बोल दी थी कि जाने मां कब तक जिंदा रहें, यही सोच कर मैं ने आंटी से मिलने का मन बना लिया. सोचा अब क्या बैर रखना?

मुझे देखते ही, आंटी रो पड़ी और अपने सीने से लगाते हुए कहने लगीं, ‘‘बेटा, मुझ अभागन को माफ कर देना. तुम क्या गईं, तुम्हारे अंकल भी हमें छोड़ कर चले गए और जातेजाते बोल गए, ‘‘अपनी करनी पर पछताओगी. उन की बात लग गई. मैं बहुत पछता रही हूं. हीरा फेंक कांच का टुकड़ा उठा लिया अपने बेटे के लिए. बेटा, मैं अंधविश्वास के दलदल में फंस गई थी.’’ कह कर आंटी फिर फफक पड़ीं.

‘‘तो क्या हुआ जो हम सासबहू न बन पाए तो? मांबेटी सा रिश्ता तो है न हमारा, मां,’’ कह कर मैं उन के गले लग गई.’’

कैसे पाएं ब्लैकहैड्स फ्री त्वचा

ब्लैकहैड्स की समस्या सभी स्किन टोन पर हो जाती है. त्वचा कई प्रकार की होती है, जैसे नौर्मल, ड्राई, औयली और टीशेप्ड जिस में माथे और नाक की त्वचा गालों की अपेक्षा ज्यादा औयली होती है. ब्लैकहैड्स की समस्या ज्यादातर औयली और टीशेप्ड त्वचा पर होती है. सिबेशस गं्रथि के सीबम के अत्यधिक रिसाव से ब्लैकहैड्स, वाइट हैड्स, पिंपल्स, एक्ने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. त्वचा के औयली होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे आनुवंशिकता, खानपान, हारमोनल परिवर्तन, गर्भधारण, बर्थ कंट्रोल पिल्स, गलत कौस्मैटिक्स, आर्द्रता या गरम वातावरण. युवावस्था में औयली स्किन की समस्या ज्यादा परेशान करती है और आयु बढ़ने के साथ एक्ने में भी तबदील हो सकती है.

कैसे उत्पन्न होते हैं ब्लैकहैड्स 

त्वचा की बनावट 3 प्रमुख भागों में होती है- एपिडर्मिस, डर्मिस और सबडर्मिस. औयल ग्लैंड डर्मिस पार्ट में होती है. यही सीबम उत्पन्न करती है. जब सीबम हेयर फौलिकल ट्यूब में जम जाता है, तो ट्यूब ब्लौक हो जाती है. प्रत्येक हेयर फौलिकल, र्मिस लेयर से एपिडर्मिस लेयर में छोटेछोटे छिद्रों के द्वारा खुलता है. जब ये छिद्र ब्लौक हो जाते हैं, तब ब्लैकहैड्स बन जाते हैं. आमतौर पर ये नाक और चेहरे पर उत्पन्न होते हैं.

नियमित देखभाल

किशोरावस्था में ही यह समस्या शुरू हो जाती है. 12 से 16 साल की आयु में ब्लैकहैड्स ज्यादा हो सकते हैं. ये न हों, इस के लिए त्वचा की नियमित देखभाल जरूरी है. दिन में 2-3 बार फेसवाश इस्तेमाल करें या किसी अच्छे माइल्ड सोप से चेहरा धोएं ताकि चेहरे पर मैल जमा न हो. मैल से ब्लैकहैड्स पिंपल्स में तबदील हो जाते हैं. इन से नजात पाने के लिए क्लींजिंग करें ताकि सीबम डिजौल्व हो जाए. इस से ब्लैकहैड्स होने की संभावना कम हो जाती है. खासतौर से औयली स्किन वाली महिलाओं को माह में 1 बार फेशियल जरूर कराना चाहिए और औयली स्किन के हिसाब से सूटेबल सौंदर्य उत्पाद ही इस्तेमाल करने चाहिए. तैलीय त्वचा के लिए सूटेबल नाइट क्रीम का इस्तेमाल करें. रोज रात को चेहरा धो कर इसे लगाएं.

क्लीनिकल ट्रीटमैंट

ब्लैकहैड्स को क्लीनिकल ट्रीटमैंट से भी निकलवाया जा सकता है. पहले क्लीन से चेहरे को अच्छी तरह साफ किया जाता है, फिर स्क्रब करने के पश्चात स्टीम दे कर ब्लैकहैड्स रिमूव किए जाते हैं.

घरेलू तरीके

जूनियर औयल, ट्रीट्री औयल और सैंडलवुड औयल की 1-1 बूंद मिक्स कर के प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. फिर हलके हाथों से त्वचा को दबा कर कौटन से ब्लैकहैड्स हटाएं. इस के साथ ही डेली क्लींजिंग भी करें.

डाइट का रहे ध्यान

त्वचा संबंधी रोगों से बचने के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी है. जब तक शरीर से स्वस्थ नहीं होंगी, चेहरे से हैल्दी नहीं दिखेंगी. स्किन को ग्लोइंग बनाने और त्वचा के रोगों से बचने के लिए फल और ताजा सब्जियां लें. चाकलेट, अलकोहल, फास्टफूड और जंक फूड से परहेज करें. दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं. इस से शरीर के टाक्सिंस निकल जाते हैं.

Disha Parmar ने दिया नन्हीं परी को जन्म, खुशी में झूम उठे पापा राहुल वैद्य

बिग बॉस 14 फेम सिंगर राहुल वैद्य और एक्ट्रेस दिशा परमार टीवी इंडस्ट्री के सबसे क्यूट कपल है. इन दोनों की जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते है. अभी हाल ही में राहुल वैद्य और दिशा परमार एक बेटी के माता-पिता बन गए हैं! राहुल ने खुलासा किया था कि उनका बच्चा गणेश चतुर्थी के दौरान आने वाला है. अभिनेता-गायक ने अपने फैंस को बताया कि मां और बच्चा दोनों ठीक हैं.

राहुल-दिशा ने बेबी गर्ल का वेलकम किया

टीवी एक्ट्रेस दिशा परमार ने मई में प्रेग्नेंसी की घोषणा करने के बाद, राहुल वैद्य और दिशा परमार एक बच्ची के माता-पिता बन गए हैं. इसे साझा करते हुए, जोड़े ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “हमें एक बच्ची का आशीर्वाद मिला है! मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और पूरी तरह से ठीक हैं! हम अपने गाइनेक @dhrupidedhia को धन्यवाद देना चाहते हैं जो गर्भधारण करने से लेकर जन्म तक बच्चे की देखभाल कर रहे थे”. हम ख़ुश हैं! कृपया बच्चे को आशीर्वाद दें.”

 

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राहुल वैद्य दिशा परमार के साथ पहले बच्चे का स्वागत कर रहे हैं

राहुल वैद्य ने हाल ही में बताया था कि दिशा परमार की डिलीवरी 19 सितंबर से 25 सितंबर के बीच है. अपनी खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने मीडिया से कहा, ”मैं हर साल की तरह इस बार भी बप्पा को घर ला रहा हूं. और इस साल यह और भी खास है क्योंकि मेरा बच्चा भी लगभग उसी समय आने वाला है. दिशा की डिलीवरी 19-25 सितंबर के बीच होनी है. मैं बस यही उम्मीद कर रहा हूं कि सब कुछ ठीक हो जाए.”

 

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गणपति उत्सव के बारे में बात करते हुए, राहुल ने यह भी कहा, “आमतौर पर, मेरी मां बप्पा की मूर्ति का चयन करने जाती हैं. वह इसे हमारे पारिवारिक व्हाट्सएप ग्रुप में भेजती है और फिर हम सब मिलकर एक को चुनते हैं. दिशा सजावट का ख्याल रखती है और हम हर साल पांच दिनों के लिए बप्पा को घर लाते हैं, इसलिए लोगों का आना जाना लगा ही रहता है. हालांकि दिशा इस साल भी वह सब करेगी, लेकिन निश्चित रूप से, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वह ज़्यादा मेहनत न करे.”

Parineeti-Raghav Wedding: उदयपुर में होगी राघव-परिणीति की रॉयल शादी

बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति और आप नेता राघव चड्ढा जल्द ही शादी के बंधन में बधंने वाले है. राघव-परिणीति की प्री-वेडिंग फक्शन शुरु हो चुके है. बीते दिन कपल की मेहंदी सेरेमनी की तस्वीरें सामने आई है. अभी फिलहाल राघव-परिणीति की शादी के कुछ फक्शन दिल्ली में हो रहे है. उसके बाद 23 और 24 सितंबर को उदयपुर में शादी होगी.

जानें कब चूड़ा और सेहराबंदी की रस्में कब होगी.

वैसे तो राघव और परिणीति की शादी एकदम रॉयल अंदाज में होगी. इस शादी में परिवार-रिश्तेदार, फ्रेंड्स, बॉलीवुड सेलेब्स और तमाम राजनैतिक हास्तियां शिरकत करेंगी. परिणीति और राघव की शादी की तमाम रस्में द लीला पैलेस और ताज पैलेस होटल में की जाएंगी. कौन सी रस्म कब होगी इसका भी पूरा शेड्यूल तैयार है.

 

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23 सितंबर 2023 को ये हैं फक्शन

• दोपहर के 12 से 4 बजे तक गेस्ट के लिए वेलकम लंच रखा गया है. इसे ग्रेंस ऑफ लव नाम दिया गया है.
• 10 से 1 बजे के बीच फ्रेस्को आफ्टरनू होस्ट की जाएगी जिसे ब्लूम्स एंड बाइट्स नाम दिया गया है.
• सुबह 10 बजे ही परिणीति की चूड़ा रस्म की जाएगी. जिसका नाम परिणीति ज चूड़ी सेरेमनी का नाम दिया गया है.
• शाम 4 बजे गेस्ट के लिए 90’s थीम बेस्ड पार्टी होगी.

24 सितंबर 2023 को ये हैं फक्शन

• दोपहर 1 बजे राघव चड्ढा की सेहराबंदी की जाएगी.
• दोपहर 2 बजे राघव बारात लेकर ताज लैक पैलेस से रवाना होंगे.
• दोपहर 3.30 बजे जयमाला होगी और इसके बाद 4 बजे फेरो का टाइम तय हुआ
• शाम 6.30 बजे परिणीति की अपने पति संग लीला पैलेस से विदा होंगी.

इस समय पर किसी की निगाहें इन दोनों कपल की शादी पर टिकी है. लोग काफी ब्रेसब्री से परिणीति को राघव की दुल्हानियां बनें का इंतजार कर रहे है. अपनी शादी में परिणीति मनीष मल्होत्रा द्वारा डिजाइन किया गया आउटफिट पहनेंगी.

फेसबुक फ्रैंडशिप: भाग 1- वर्चुअल दुनिया में सचाई कहां है

शुरुआत तो बस यहीं से हुई कि पहले उस ने फेस देखा और फिदा हो कर फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी. रिक्वैस्ट 2-3 दिनों में ऐक्सैप्ट हो गई. 2-3 दिन भी इसलिए लगे होंगे कि उस सुंदर फेस वाली लड़की ने पहले पूरी डिटेल पढ़ी होगी.

लड़के के फोटो के साथ उस का विवरण देख कर उसे लगा होगा कि ठीकठाक बंदा है या हो सकता है कि तुरंत स्वीकृति में लड़के को ऐसा लग सकता है कि लड़की उस से या तो प्रभावित है या बिलकुल खाली बैठी है जो तुरंत स्वीकृति दे कर उस ने मित्रता स्वीकार कर ली.

यह तो बाद में पता चलता है कि यह भी एक आभासी दुनिया है. यहां भी बहुत झूठफरेब फैला है. कुछ भी वास्तविक नहीं. ऐसा भी नहीं कि सभी गलत हो. ऐसा भी हो सकता है कि जो प्यार या गुस्सा आप सब के सामने नहीं दिखा सकते, वह अपनी पोस्ट, कमैंट्स, शेयर से जाहिर करते हो.

अपनी भावनाएं व्यक्त करने का साधन मिला है आप को, तो आप कर रहे हैं अपने को छिपा कर किसी और नाम, किसी और के फोटो या किसी काल्पनिक तसवीर से. यदि अपनी बात रखने का प्लेटफौर्म ही चाहिए था तो उस में किसी अप्सरा की तरह सुंदर चेहरा लगाने की क्या जरूरत थी? आप कह सकती हैं कि हमारी मरजी. ठीक है, लेकिन है तो यह फर्जी ही. आप साधारण सा कोई चित्र, प्रतीक या फिर कोई प्राकृतिक तसवीर लगा सकते थे.

खैर, यह कहने का हक नहीं है. अपनी मरजी है. लेकिन जिस ने फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी उस ने उस मनोरम छवि को वास्तविक जान कर भेजी न आप को? आप शायद जानती हो कि मित्र संख्या बढ़ाने का यही साधन है, तो भी ठीक है, लेकिन बात जब आगे बढ़ रही हो तब आप को समझना चाहिए कि आगे बढ़ती बात उस सुंदर चित्र की वजह से है जो आप ने लगाई हुई है अपने फेसबुक अकांउट पर.

आप ने अपने विषय में ज्यादा कोई जानकारी नहीं लिखी. आप से पूछा भी मैसेंजर बौक्स पर जा कर. और पूछा तभी, जब बात कुछ आगे बढ़ गई थी. कोई किसी से यों ही तो नहीं पूछ लेगा कि आप सिंगल हो. और आप का उत्तर भी गोलमोल था. यह मेरा निजी मामला है. इस से हमारी फेसबुक फ्रैंडशिप का क्या लेनादेना?बात लाइक और कमैंट्स तक सीमित नहीं थी.

बात मैसेंजर बौक्स से होते हुए आगे बढ़ती जा रही थी. इतनी आगे कि जब लड़के ने मोबाइल नंबर मांगा तो लड़की ने कहा, ‘‘फोन नहीं, मेल से बात करो. फोन गड़बड़ी पैदा कर सकता है. किस का फोन था, कौन है वगैराहवगैरहा.’’अब मेल पर बात होने लगी. शुरुआत में लड़के  ने फेस देखा. मित्र बन जाने पर लड़के ने विवरण देखा उसे पसंद आया.

उसे किसी बात की उम्मीद जगी. भले ही वह उम्मीद एकतरफा थी. उसे नहीं पता था शुरू में कि वह जिस दुनिया से जुड़ रहा है वहां भ्रम ज्यादा है,  झूठ ज्यादा है. पहले लड़की के हर फोटो, हर बात पर लाइक, फिर अच्छेअच्छे कमैंट्स और शेयर के बाद निजी बातें जानने की जिज्ञासा हुई दोनों तरफ से. हां, यह सच है कि पहल लड़के की तरफ से हुई. लड़के ही पहल करते हैं. लड़कियां तो बहुत सोचनेविचारने के बाद हां या नहीं में जवाब देती हैं. बात आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी लड़के पर ही आती है समाज, संस्कारों के तौर पर. तो शुरुआत लड़के ने ही की.

इंटरनैट की दुनिया में आ जाने के बाद भी समाज, संस्कार नहीं छूट रहे हैं यानी 21वीं सदी में प्रवेश किंतु 19वीं सदी के विचारों के साथ. फे  सबुक पर सुंदर चेहरे से मित्रता होने पर लड़के के अंदर उम्मीद जगी. विस्तृत विवरण देख कर उस ने हर पोस्ट पर लाइक और सुंदर कमैंट्स के ढेर लगा दिए. बात इसी तरह धीरेधीरे आगे बढ़ती रही.

लड़की के थैंक्स के बाद जब गुडमौर्निंग, गुडइवनिंग और अर्धरात्रि में गुडनाइट होने लगी तो किसी भाव का उठना, किसी उम्मीद का बंधना स्वाभाविक था. लगता है कि दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई है. लड़के को तो यही लगा. लड़के ने विस्तृत विवरण में जाति, धर्म, शिक्षा, योग्यता, आयु सब देख लिया था. पूरा स्टेटस पढ़ लिया था और उस को ही अंतिम सत्य मान लिया था.

जो बातें स्टेटस मेें नहीं थीं, उन्हें लड़का पूछ रहा था और लड़की जवाब दे रही थी. जवाब से लड़के को स्पष्ट जानकारी तो नहीं मिल रही थी लेकिन कोई दिक्कत वाली बात भी नजर नहीं आ रही थी. फेसबुक पर ऐसे सैकड़ों, हजारों की संख्या में मित्र होते हैं सब के. आमनेसामने की स्थिति न आए, इसलिए एक शहर के मित्र कम ही होते हैं. होते भी हैं तो लिमिट में बात होती है. सीमित लाइक या कमैंट्स ही होते हैं खास कर लड़केलड़की के मध्य.लड़का छोटे शहर का था.

विचार और खयालात भी वैसे ही थे. लड़कियों से मित्रता होती ही नहीं है. होती है तो भाई बनने से बच गए तो किसी और रिश्ते में बंध गए. नहीं भी बंधे तो सम्मानआदर के भारीभरकम शब्दों या किसी गंभीर विषय पर विचारविमर्श, लाइक, कमैंट्स तक. ऐसे में और उम्र के 20वें वर्ष में यदि किसी दूसरे शहर की सुंदर लड़की से जब बात इतनी आगे बढ़ जाए तो स्वाभाविक है उम्मीद का बंधना.फोटो के सुंदर होने के साथसाथ यह भी लगे कि लड़की अच्छे संस्कारों के साथसाथ हिम्मत वाली है.

किसी विशेष राजनीतिक दल, जाति, धर्म के पक्ष या विपक्ष में पूरी कट्टरता और क्रोध के साथ अपने विचार रखने में सक्षम है और आप की विचारधारा भी वैसी ही हो. आप जब उस की हर पोस्ट को लाइक कर रहे हैं तो जाहिर है कि आप उस के विचारों से सहमत हैं. लड़की की पोस्ट देख कर आप उस के स्वतंत्र, उन्मुक्त विचारों का समर्थन करते हैं, उस के साहस की प्रशंसा करते हैं और आप को लगने लगता है कि यही वह लड़की है जो आप के जीवन में आनी चाहिए.

आप को इसी का इंतजार था.बात तब और प्रबल हो जाती है जब लड़का जीवन की किसी असफलता से निराश हो कर परिवार के सभी प्रिय, सम्माननीय सदस्यों द्वारा लताड़ा गया हो, अपमानित किया गया हो, अवसाद के क्षणों में लड़के ने स्वयं को अकेला महसूस किया हो और आत्महत्या करने तक का विचार मन में आ गया हो. तब जीवन के एकाकी पलों में लड़के ने कोई उदास, दुखभरी पोस्ट डाली हो. लड़की ने पूछा हो कि क्या बात है और लड़के ने कह दिया हाले दिल का.

लड़की ने बंधाया हो ढांढ़स और लड़के को लगा हो कि पूरी दुनिया में बस यही है एक जीने का सहारा.लड़के ने पहले अपने ही शहर में महिला मित्र बनाने का प्रयास किया था, जिस में उसे सफलता भी मिली थी. लड़की खूबसूरत थी. पढ़ीलिखी थी. स्टेटस में खुले विचार, स्वतंत्र जीवन और अदम्य साहस का परिचय होने के साथ कुछ जबानी बातें भी थीं.

लड़के ने इतनी बार उस लड़की का फोटो व स्टेटस देखा कि दोनों उस के दिलोदिमाग में बस गए. फोटो कुछ ज्यादा ही. अपने शहर की वही लड़की जब उसे रास्ते में मिली तो लड़के ने कहा, ‘‘नमस्ते कल्पनाजी.’’लड़की हड़बड़ा गई, ‘‘आप कौन? मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ लड़के ने खुशी से अपना नाम बताते हुए कहा, ‘‘मैं आप का फेसबुक फ्रैंड.’’और लड़की ने गुस्से में कहा, ‘‘फेसबुक फ्रैंड हो तो फेसबुक पर ही बात करो. घर वालों ने देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी.

गर्भावस्था में इसे करें अपनी डाइट में शामिल, स्वस्थ होता है बच्चा

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के खानपान का विशेष ध्यान दिया जाता है. इस दौरान गर्भवती महिला के डाइट का सीधा प्रभाव उसके बच्चे पर भी होता है. इसलिए जरूरी है कि उसके पोषण का खासा ख्याल रखा जाए. जानकारों की माने तो गर्भावस्था के दौरान अंडा खाना बेहद फायदेमंद होता है. अंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, सेलेनियम, जिंक, विटामिन A, D और कुछ मात्रा में B कौम्प्लेक्स भी पाया जाता है. जो शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करने का सबसे बेहतर सूपर फूड है.

कई तरह के स्टडीज से भी ये बात सामने आई है कि गर्भावस्था के दौरान अंडा खाने से बच्चे का दिमाग तेज होता है. इसके साथ ही उसकी सीखने की क्षमता भी तेज होती है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था में अंडा खाना कैसे लाभकारी है और आपके बच्चे पर उसका सकारात्मक असर कैसे होगा.

अंडा प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. इसमें प्रोटीन की प्रचूरता होती है. आपको बता दें कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए प्रोटीन बेहद जरूरी तत्व होता है. असल में उसकी हर कोशिका का निर्माण प्रोटीन से होता है. गर्भावस्था में अंडा खाने से भ्रूण का विकास बेहतर होता है.

आपको बता दें कि गर्भवती महिला के लिए एक दिन में दो सौ से तीन सौ तक एडिशनल कैलोरी लेनी चाहिए. इससे उसे और बच्चे, दोनों को पोषण मिलता है. अंडे में करीब 70 कैलोरी होती है जो मां और बच्चे दोनों को एनर्जी देती है.

आपको बता दें कि अंडे में 12 तरह के विटामिन्स होते हैं. इसके अलावा कई तरह के लवण भी इसमे होते हैं. इनमें मौजूद choline और ओमेगा-3 फैटी एसिड बच्चे के संपूर्ण विकास को बढ़ावा देते हैं. इसके सेवन से बच्चे को मानसिक बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है और उसका दिमागी विकास भी होता है.

अगर गर्भवती महिला का ब्लड कोलेस्ट्रौल स्तर सामान्य है तो वह दिन में एक या दो अंडे खा सकती है. अंडे में कुछ मात्रा में सैचुरेटेड फैट भी होता है. अगर महिला का कोलेस्ट्रौल लेवल अधिक है तो उसे जर्दी वाला पीला हिस्सा नहीं खाना चाहिए.

उन की फेसबुकिया फ्रैंड्स

जब हमारे मित्र हो सकते हैं तो उन की सहेलियां होना भी वाजिब है. मगर यह शब्द उस समय गले नहीं उतरता जब सारा दिन औफिस में मरखप कर आने के बाद हमें एक प्याली चाय के साथ साफसुथरे बिस्तर पर थोड़ा आराम करने की सख्त आवश्यकता होती है और बैठक में घुसते ही हमें ऐसा लगता है जैसे वहां अभीअभी संसद की काररवाई समाप्त हुई हो या हमारी बैठक से बजरंग दल की यात्रा गुजरी हो जो रास्ते में जो मिला नाटक करती जाती है.

चारों तरफ बिखरे कप और प्लेटें, सोफों पर गिरी चाय, फर्श पर बिखरी पानी की बोतलें और गिलास देख कर ऐसा लगता है मानो उन की सहेलियों की सभ्यता के सारे के सारे प्रतीकात्मक चिह्न वहां मौजूद हों.फिर उस वक्त तो बड़ी ही कोफ्त होती है जब औफिस से लौटते हुए ट्रैफिक जामों से जूझते हुए सारे रास्ते चिलचिलाती धूप से गला सूख जाता है और घर पर फ्रिज से पानी की सारी बोतलें तथा बर्फ की सारी ट्रे नदारद मिलती हैं.
फिर हमें झक मार कर टैंक के नल से आ रहे गरम पानी को पी कर ही अपने दिल को सांत्वना देनी पड़ती है.इन सारी बातों को हम सरकारी जीएसटी की तरह बरदाश्त कर जाते हैं और बड़ी शालीनता के साथ अपनी उन से यानी श्रीमतीजी से एक प्याला चाय की फरमाइश करते हैं क्योंकि हमें गरमी में भी चाय पीने की आदत है और एक वे हैं कि हमारी फरमाइश को नजरअंदाज करते हुए गुसलखाने में घुस जाती हैं.

5-6 बार याद दिलाने मेरा मतलब है कि आवाजें लगाने पर करीब 1 घंटे बाद हमारी वे तौलिए से हाथ पोंछती हुई आ कर कहती हैं, ‘‘क्या है… घर में घुसे नहीं कि चिल्लाना शुरूकर दिया.’’फिर हम उन्हें मनाने की गरज से अपने मतलब की बात न कह कर यह कहते हैं,‘‘क्या कर रही थीं. बहुत थकी हुई दिखाई पड़ रही हो.’’‘‘कुछ नहीं, जरा साड़ी धो रही थी.सुशीला की बच्ची ने गंदी कर दी थी. मैं नेसोचा, धो कर अभी डाल दूं वरना नई साड़ी खराब हो जाएगी.’’‘‘तो क्या वह साड़ी… मेरा मतलब है, कल जो क्व8 हजार की नई साड़ी लाया था वह खराब हो गई?’’ हम अपना सिर थाम लेते हैं.

हमारी समझ में नहीं आता कि उसे घर में पहनने की क्या जरूरत थी.‘‘अब छोडि़ए भी. कुछ सहेलियां आ गई थीं. सो पहन ली. फिर वह तो नासमझ बच्ची थी. अगर उस की जगह अपनी बच्ची होती तो?’’उन का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है क्योंकि फैमिली प्लानिंग के चक्कर में हमारे एक भी बच्चा नहीं है. अभी मैडम को नौकरी नहीं मिली है पर ढूंढ़ रही हैं और एक बच्चे की खातिर अपनी एमए बीएड की पढ़ाई को बरबाद नहीं करना चाहतीं.

फिर हम उन्हें कंधे से पकड़ कर बड़े प्यार से याद दिलाते हैं कि दफ्तर से आए लगभग डेढ़ घंटे से भी अधिक हो चुका है. 2 कप कौफी बनाए 1 घंटा हो गया. आप की कौफी को 2 बार गरम कर चुका हूं.इस से ज्यादा और कुछ कहने की हमारी हिम्मत नहीं होती क्योंकि आजकल देश में गवर्नमैंट तो पौराणिक है, पर घरों में स्त्री राज चलने लगा है.

क्या पता कब हमारा कोर्ट मार्शल हो जाए यानी वे हमें छोड़ कर मायके चली जाएं या अपना घर ले लें. पिछली बार जब वे गई थीं तो पूरे महीने में अपने सारे दोस्तों, आसपास के लोगों को, नानीपरनानी को ही नहीं, अपनी ननिहाल में होने वाली पहली नानी तक को याद करता रहा था.वे हमें बैठक की सफाई के लिए कहकर रसोईघर की ओर बढ़ जाती हैं.

मरता क्या नहीं करेगा. बैठक में प्याले समेटते समय हम सोचते हैं कि आज के जमाने में अच्छा घरहोना, सुखसुविधा के साधन होना भी सिरदर्द है और कम से कम जो सिरदर्द हमें है वह तोइस पंखे, एसी, फ्रिज और टैलीविजन और सबसे बड़ा व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम की ही देन है और इस सिरदर्द में सब से बड़ा योगदान हैहमारी उन की रोज नई बनने वाली फेसबुक सहेलियों का.एक दिन की बात है.

हम सिर में दर्दहोने के कारण दफ्तर से छुट्टी ले कर घर आगए थे. उस दिन पहली बार हम ने अपनी मैडम के सहेली मंडल के दर्शन अपने कमरे में लगे दरवाजे के चाबी वाले सूराख में से किए थे.इन लोगों का विचार था कि हम सो रहे हैं.

भला आप ही बताइए जब ऐसी महान हस्तियां, जिन्होंने हमारा रात और दिन का चैन हराम कर रखा हो, घर में मौजूद हों तो हम कैसे सोसकते हैं.वार्त्तालाप अपनी चरम सीमा पर था, ‘‘फलाना ऐसा है… फलाना वैसा है… इस बार ऊंटी में रिजौर्ट खुला है, ग्रेटर कैलाश में एक डिस्को चालू हुआ है वगैरहवगैरह.’’हम चुपचाप अपने पलंग पर लेट गए थे. वार्त्तालाप के दौरान भावावेश में ऊंचे स्वर में बोले गए शब्द तथा हर 5 मिनट बाद जोरदार ठहाके हमारे कानों में पड़ रहे थे.

उस दिन उन की सहेलियों के वार्त्तालाप का नमूना सुन कर हम ने यह अंदाजा लगाया कि उन की सहेलियों के मध्य होने वाले घंटों वार्त्तालाप में न कोई मतलब की बात होती है और न ही उन का आपस में कोई संबंध होता है. बस वही घिसीपिटी बातें, ‘‘उस की शक्ल कितनी अच्छी है, शक्ल न सूरत, उस पर ऐसा भयंकर मेकअप तोबा आदि.’’हां, एक बात जरूर उस दिन हमारी सम?ा में आ गई थी कि ये औरतें एक कुशल आलोचक होती हैं.

क्या मजाल जो वहां बैठी औरतों को छोड़ महल्ले की कोई भी औरत उन की आलोचना का शिकार हुए बगैर रह जाए और यही नहीं, गेहूं के साथ घुन यानी उन औरतों के साथ उन के पतियों का भी क्रियाकर्म ये लगे हाथों कर डालती हैं.

आखिर उस दिन की कृपादृष्टि हम परभी हो ही गई. बैठक समाप्त होने के बाद हमारी श्रीमतीजी धड़धड़ाती हुई अंदर आईं और बगैर कहीं कौमा या विराम लगाए लगातार बोलती्रही चली गईं, ‘‘क्यों जी, आजकल, दफ्तर की स्टैनो के साथ क्या गुलछर्रे उड़ाए जा रहे हैं.मैं भी कहूं रोज दफ्तर से लौटने में देर क्यों हो जाती है.

कान खोल कर सुन लो, अगर फिर उस कलमुंही के साथ कहीं इधरउधर गए तो ठीक नहीं होगा.’’रमा बता रही थी कि उस ने हमाराऔफिस पार्टी का एक फोटो फेसबुक पर देखा था जिस में हम मैंसी के साथ चिपके खड़ेखड़े देख रहे थे. शायद उन की किसी सहेली ने उन सेकह दिया था कि हम एक दिन अपने दफ्तर की स्टैनो के साथ काफी हाउस में बैठे थे जबकि हम कभी स्टैनो के साथ वहां गए ही नहीं थे.

हम ने बहुतेरा समझने की कोशिश की, पर सब बेकार. हम जितना खंडन करते उन का पारा उतना ही और चढ़ता जाता और फिर तो उन्होंने पुलिस में डोमैस्टिक वायलैंस की शिकायत की धमकी दे डाली. महीनेभर तक अपने हाथों की जलीभूनी रोटियां खिला कर उन की सहेलियों को कोसते रहे और उन की सेवा करते रहे.

पर हम पतियों की सब से बड़ी कमजोरी यही होती है कि शाम को 2 घंटे पत्नियों का लंबाचौड़ा भाषण सुनने के बाद जब हमें उन के हाथों की बनी गरमगरम मुलायम रोटियां मिल जाती हैं तो हमारा सारा ताब उसी तरह गायब हो जाता है जैसे आजकल राशन की दुकान से शक्कर.

अब जब हम ने उन्हें राजस्थान के जोधपुर में घुमा लाने का वादा किया तो वे मानीं और हमारी जान में जान आई और हम बाज आए. आइए, उन की सहेलियों के बारे में कुछ कहने या नैन्सी से हंसीमजाक करने से.

चपत: क्या शिखा अपने मकसाद में कामयाब हो पाई

औफिस  से निकल कर रितु आकाश रेस्तरां में पहुंची. वहां एक कोने में बैठी शिखा को उस ने फौरन पहचान लिया, क्योंकि समीर ने उसे उस का फोटो दिखा रखा था.

रितु जानबूझ कर उस की तरफ बढ़नेके बजाय किसी को खोजने वाले अंदाज में इधरउधर देखने लगी. वह नहीं चाहती थी कि शिखा को यह मालूम पड़े कि वह उसे पहले से पहचानती थी.‘‘रितु,’’ शिखा ने जब उसे पुकारा तभी वह उस की तरफ बढ़ी.

शिखा के सामने वाली कुरसी पर बैठते ही रितु ने उस से आक्रामक लहजे में पूछा, ‘‘तुम ने मुझे फोन कर के यहां क्यों बुलाया है?’’शिखा ने गहरी सांस लेने के बाद रितु के हाथ पर अपना हाथ रखा और फिर सहानुभूति भरी आवाज में पूछा, ‘‘क्या तुम समीर से शादी कर के खुश हो?’’‘‘तुम मुझ से यह सवाल क्यों पूछ रही हो?’’ रितु के माथे पर बल पड़ गए.

‘‘तुम मुझे अपनी शुभचिंतक समझे.’’‘‘तुम मेरा कुछ भला करने जा रही हो?’’‘‘हां.’’‘‘क्या?’’‘‘इन्हें देखो,’’ कह शिखा ने अपने पर्स से कुछ पोस्टकार्ड साइज की तसवीरें निकाल कर रितु को पकड़ा दीं.रितु उन तसवीरों को देख कर हक्कीबक्की रह गई. उफ, मुंह से सिर्फ इतना निकला और फिर सिर झुका लिया.

शिखा ने उत्तेजित लहजे में बोलना शुरू किया, ‘‘यों मायूस होने के बजाय तुम मेरी बात ध्यान से सुनो. ये तसवीरें साफ बता रही हैं कि तुम से शादी करने से पहले समीर ने मेरे साथ प्यार का नाटक खेला था. शादी का वादा करने के बाद मुझे धोखा दिया… मेरी जिंदगी बरबाद कर दी… देख लेना एक दिन वह तुम्हें भीधोखा देगा.’’‘‘ऐसा न बोलो,’’ रितु रोंआसीहो उठी.

‘‘वह भरोसे के काबिल है ही नहीं, रितु. उस ने मुझे छोड़ा, क्योंकि तुम एक अमीर बाप की बेटी थीं. अब किसी और कली का प्रेमी बन कर उसे धोखा देगा, क्योंकि वहलालची होने के साथसाथ स्वाद बदलने का भी आदी है.’’‘‘अगर उस ने मेरे साथ ऐसा कुछ किया, तो मैं उस की जान ले लूंगी,’’ रितु अचानक गुस्से से फट पड़ी.‘‘उसे सीधी राह पर रखने का यही तरीका है कि वह तुम से डरे, रितु.

तुम समीर पर कभी भरोसा न करना. उस की मीठी बातों में न आना. किसी भी औरत का दिल जीतने की कला मेंवह कितना निपुण है, इस का अंदाजा तो अबतक तुम्हें भी हो गया होगा. रितु, अगर तुम ने कभी उसे किसी भी सुंदर स्त्री के साथ घुलनेमिलने का मौका दिया, तो बुरी तरह पछताओगी.’’‘‘धन्यवाद शिखा. तुम ने मुझे वक्त से चेता दिया.

अब मैं पूरी तरह होशियार रहूंगी,’’ रितु ने फौरन उस का आभार प्रकट किया.‘‘मेरी शुभकामनाएं सदा तुम्हारे साथ हैं.’’‘‘मैं तुम से मिलती रहना चाहूंगी.’’‘‘मैं अपना फोन नंबर तुम्हें देती हूं.’’‘‘और अपना पता भी दे दो.’’‘‘ठीक है.’’‘‘इन तसवीरों को मैं रख लूं?’’‘‘क्या करोगी इन का?’’‘‘इन्हीं के बल पर तो मैं समीर की नाक में नकेल डाल पाऊंगी.’’‘‘तो रख लो.’’‘‘धन्यवाद. अब कुछ ठंडा या गरम पी लिया जाए?’’

रितु ने वार्त्तालाप का विषय बदला और फिर दोनों सहेलियों की तरह गपशप करने लगीं. रितु शाम 7 बजे के करीब घर पहुंची.समीर ने मुसकरा कर स्वागत किया. वह उसे अपने पास बैठाना चाहता था, पर रितु ने अपने पर्स से तसवीरें निकाल कर उसे पकड़ाईं और बिना कुछ बोले अपने कमरे में चली गई.

रितु ने अभी पूरे कपड़े भी नहीं बदले थेकि समीर कमरे में आ गया, ‘‘तो मेरी पुरानी सहेली आज तुम से मिलने पहुंच ही गई,’’और फिर रितु को बांहों में भर कर अपनी गरमगरम सांसें उस के कान में छोड़नी शुरूकर दीं.‘‘तुम मुझ से दूर रहो,’’ रितु उस की बांहों की कैद से निकलने की कोशिश करने लगी.‘‘मैं ने तुम से दूर रहने के लिए शादी नहीं की है, जानेमन.’’‘‘शिखा ने मुझे आगाह कर दिया है.’’‘‘किस बारे में?’’‘‘यही कि तुम औरतों का दिल जीतने की कला में बहुत ऐक्सपर्ट हो, पर अब से तुम मुझे उत्तेजित कर के बुद्धू नहीं बना सकोगे.’’‘‘कोशिश करने में क्या हरज है, स्वीटहार्ट,’’ समीर ने उस के गालों को चूमना शुरू कर दिया.‘‘तुम एक दिन किसी दूसरी औरत के चक्कर में जरूर फंस जाओगे.’’‘‘ऐसा शिखा ने कहा?’’‘‘हां.’’‘‘नैवर… बंदा तुम्हें जिंदगी भर सिर्फ तुम्हारा दीवाना बना रहने का वचन दे सकता है.’’‘‘उस ने कहा है कि तुम उस की मीठी बातों पर कभी विश्वास न करना.’’‘‘मेरी बातों पर नहीं, बल्कि मेरे ऐक्शन पर विश्वास करो, मेरी जान,’’ समीर ने उसे झटके से अपनी बांहों में उठा लिया और फिर गुसलखाने की तरफ चल दिया.‘‘अरे, गुसलखाने में क्यों जा रहे हो?’’ रितु घबरा उठी.‘‘आज साथसाथ नहाने का मूड है.’’‘‘मेरे कपड़े भीग जाएंगे.’’‘‘मेरे भी भीगेंगे, पर मैं तो शोर नहीं मचा रहा हूं.’’

रितु के रोके समीर रुका नहीं. जब फुहारे का ठंडा पानी दोनों पर पड़ने लगा, तो रितुमस्त हो अपनी आंखें मूंद समीर के बदन से लिपट गई.‘‘मेरा हनीमून जिंदगी भर चले,’’ ऐसी कामना करने के बाद उस ने अपने तनमन को समीर के स्पर्श से मिल रही उत्तेजक गुदगुदी के हवाले कर दिया.3 दिन बाद रितु ने लंच अवकाश में शिखा से फोन पर बात की.‘‘मैं अपनी अटैची ले कर आज सुबह मायके रहने आ गई हूं,’’ रितु ने उसे गंभीर स्वर में जानकारी दी.‘‘क्या झगड़ा हुआ समीर से?’’ शिखा की आवाज में फौरन उत्सुकता के भाव पैदा हुए.‘‘हां.’’‘‘किस बात पर?’’

‘‘बात लंबी है और मुझे तुम्हारी सलाह भी चाहिए. क्या शाम को मैं तुम से मिलने तुम्हारे घर आ जाऊं?’’‘‘हां, आ जाओ पर कुछ तो बताओ कि हुआ क्या है?’’‘‘अभी नहीं, आसपास कई लोग हैं.’’‘‘कितने बजे तक पहुंचोगी?’’‘‘7 तक.’’‘‘मैं इंतजार करूंगी.’’फोन बंद कर रितु रहस्यमयी अंदाज में मुसकरा रही थी. शाम को घंटी बजाने पर दरवाजा शिखा नेही खोला.

वह अपनी मां के साथ फ्लैट में रहती थी. दोनों ड्राइंगरूम में बैठीं तो उस की मां वहां से उठ कर अपने कमरे में टीवी देखने चली गईं. ‘‘क्या बहुत झगड़ा हुआ तुम दोनों के बीच?’’ शिखा से सब्र नहीं हुआ और उस ने बैठते ही वार्त्तालाप शुरू कर दिया.‘‘समीर का असली चेहरा बेनकाब करवाने में मेरी सहायता करने के लिए तुम्हारा बहुतबहुत धन्यवाद, शिखा,’’ रितु भावुक हो उठी.‘‘हुआ क्या है, यह तो बताओ?’’‘‘उस ने मेरी बहुत बेइज्जती की.’’‘‘क्या किया उस ने?’’‘‘मैं ने तो उस से तलाक लेने का मन बना लिया है.’’‘‘क्यों, तुम उस पर इतना गुस्सा हो रही हो?’’‘‘मेरा बस चले तो मैं उस की जान हीले लूं.’’‘‘रितु,’’ शिखा चिढ़ उठी, ‘‘तुम पहले मुझे वह सब क्यों नहीं बता रही हो, जो तुम दोनों के बीच घटा है?’’‘‘उस की बातों को याद कर के मेरा दिल करता है कि उसे कच्चा चबा…’’‘‘रितु,’’ शिखा चिल्ला पड़ी.

रितु ने उसे अजीब नजरों से देखने के बाद चिढ़े लहजे में कहा, ‘‘उस ने मुझ से साफसाफ कह दिया कि कोई न कोई प्रेमिका उस की जिंदगी में हमेशा रहेगी.’’‘‘क्या?’’‘‘और यह भी कहा कि मैं अकेली उसे कभी संतुष्ट नहींकर पाऊंगी.’’‘‘तुम्हारा ऐसा अपमान करने की उस की हिम्मत कैसे हुई?’’‘‘उस ने मुझे मोटी भैंसभी कहा.’’‘‘तुम ने उस के सिर पर कुछ फेंक कर क्यों नहीं मारा?’’‘‘मुझे बदसूरत भी कहा और यह भी ताना मारा कि न मुझे ढंग के कपड़े पहनने की तमीज है और न ही मेरे पास ढंग के कपड़े हैं.’’‘‘तुम ने अच्छा किया जो मायके चली आईं… अब जब तक वह तुम से हाथ जोड़ कर माफी न मांगे, तुम वापस मत जाना.’’‘‘मैं अपनी मरजी से मायके नहीं आई हूं, शिखा.’’‘‘तो?’’‘‘उस ने मुझे जबरदस्ती भेजा.’’‘‘क्यों?’’‘‘उस ने चेतावनी दी है कि जब तक मेरी पर्सनैलिटी में निखार न आ जाए.

तब तक वापस न आना.’’‘‘वह खुद शर्मिंदा होनेके बजाय उलटा तुम्हें धमकी देरहा है?’’‘‘हां, मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि अब मैं क्या करूं?’’‘‘तुम उस से न डरो और न उस के सामने झुको, रितु. इस बार तुम अगर कमजोर पड़ गईं, तो उसे दूसरी औरतों के साथ गुलछर्रे उड़ाने की खुली छूट मिल जाएगी.’’‘‘अगर मैं अपनी जिद पर अड़ी रही, तो मेरा घर उजड़सकता है.’’‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा.’’रितु इस का कोई जवाब दे पाती, उस से पहले ही किसी ने घंटी बजा दी तो शिखा दरवाजा खोलने चली गई.

ड्राइंगरूम में जब गुस्से से आगबबूला हो रहे समीर ने शिखा के आगेआगे कदम रखा तो रितु चौंक कर खड़ीहो गई.‘‘मुझे पता था कि तुम यहीं मिलोगी,’’ समीर की आवाज गुस्से के मारे कांप रही थी, ‘‘इस चालाक औरत की बातों में आ कर तुम क्यों अपना घर बरबाद कर रही हो?’’‘‘इन्हें तुम्हारा असली चेहरा क्या है, यह मालूम पड़ना ही चाहिए,’’ शिखा ने रितु की तरफदारी की.‘‘क्या ये तुम्हारा असली चेहरा पहचानती हैं?’’ समीर ने अपनी भूतपूर्व प्रेमिका को गुस्सेसे घूरा.‘‘ये जानती हैं कि मैं इन की शुभचिंतक…’’‘‘नहीं,’’ समीर ने उसे टोक दिया, ‘‘तुम्हारा इरादा तो हमारे विवाहित जीवन की खुशियों को बरबाद करने का है.

क्या तुम ने इसे यह बताया है कि हमारा रिश्ता क्यों टूटा था?’’‘‘तुम्हारे गंदे दिमाग में जो बेबुनियाद शक…’’‘‘मेरा शक बेबुनियाद होता, तो उस शाम तुम मेरे हाथों चुपचाप मार न खातीं.’’ समीर ने फिर रितु को संबोधित किया, ‘‘इस की बदचलनी का ब्योरा मैं तुम्हें सुनाता हूं. मैं वायरल बुखार की चपेट में आ कर करीब 10 दिनों तक बिस्तर पर पड़ा रहा था.

इस धोखेबाज ने इसी घर के अंदर अपने एक सहयोगी के साथ मुंह काला किया. मैं ने इन्हें रंगे हाथों पकड़ा था. उस शाम मैं बड़ी कठिनाई से इसे सरप्राइज देने आया था, पर जो सरप्राइज मु?ो मिला उस का जख्म आज भी टीसता है तो मैं ढंग से सो नहीं पाता हूं, रितु.’’‘‘यह झूठ बोल रहा है,’’ शिखा चिल्लाई.‘‘कौन सच्चा है और कौन झूठा, इस की गवाही के लिए तुम्हारे पड़ोसियों को बुलाऊं?’’‘‘तुम जैसे घटिया आदमी से मैं सारे संबंध पहले ही तोड़ चुकी हूं.

तुम इसी वक्त यहां से चले जाओ.’’‘‘अगर सारे संबंध तोड़ चुकी थीं, तो फिर मेरी पत्नी को मेरे खिलाफ भड़ाकने की कोशिश क्यों की?’’‘‘मैं ने ऐसी कोई कोशिश नहीं…’’‘‘चुप,’’ उसे डांट कर चुप कराने के बाद समीर ने रितु की तरफ घूम कर उसे धमकी दी, ‘‘इस के कहे में आ कर मेरा दिमाग खराब करने की सजा तुम्हें भी मिलेगी. जब तक तुम मेरे मनमुताबिक चलने और दिखने लायक न हो जाओ, तब तक अपने मायके में ही सड़ो,’’ पत्नी को धमकी दे कर समीर गुस्से से पैर पटकता दरवाजे की तरफ चल पड़ा.

कुछ कदम चल कर वह अचानक पलटा और क्रूर मुसकान होंठों पर सजा कर शिखा से बोला, ‘‘तुम ने जो फोटो मेरे घर में आग लगाने के लिए रितु को दिए थे, अब वही फोटो तुम्हारी ऐसी की तैसी करेंगे. मैं देखता हूं कि तुम्हारी शादी अब नीरज से कैसे होती है.’’ समीर को शिखा ने रोकने की कोशिश जरूर की, पर उस के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल पाया.

उस का चेहरा पीला पड़ गया था. बेहद चिंतित नजर आते हुए वह थकीहारी सी सोफे पर बैठ गई.रितु के कई बार पूछने पर शिखा ने उसे रोंआसी आवाज में बताया, ‘‘नीरज से मेरा रिश्ता पक्का होने जा रहा है.’’‘‘तब तो समीर उन फोटोज के बलपर तुम्हारे लिए गंभीर समस्या खड़ी करसकता है,’’ रितु भी चिंतित नजर आने लगी.‘‘वे फोटो मैं ने तुम्हारी हैल्प करने के लिए तुम्हें दिए थे.

प्लीज, अब उन को तुम ही वापस ला कर दो, रितु,’’ शिखा बहुत घबराई सी नजर आ रही थी.‘‘वे फोटो मैं तुम्हें जरूर लौटाऊंगी… तुम फिक्र न करो, लेकिन…’’‘‘लेकिन क्या?’’‘‘मैं तो वापस घर नहीं जा सकती. अभी तुम ने समीर की धमकी सुनी थी न.’’‘‘मेरी खातिर वापस चली जाओ, प्लीज,’’ शिखा ने उस के सामने हाथ जोड़ दिए.‘‘नहीं,’’ रितु ने सख्ती से इनकार कर दिया.‘‘प्लीज.’’‘‘तुम समझ नहीं रही हो… मैं ने पक्का इरादा कर लिया है कि अपनी फिगर ठीक करने के लिए पहले जिम जाना शुरू करूंगी… कुछ नई ड्रैसेज खरीदूंगी… ब्यूटीपार्लर से ब्राइडल पैकेज लूंगी, जो मुझे दुलहन सा आकर्षक बना दे.

मैं अगर इन सब कदमों को उठाए बिना लौट गई, तो मेरी कितनी किरकिरी होगी, जरा सोचो तो,’’ रितु परेशान नजर आने लगी.‘‘मेरे सुखद भविष्य की खातिर उन फोटोज का वापस मिलना क्या जरूरी नहीं है?’’‘‘यह भी ठीक है, पर मैं नहीं चाहतीकि समीर मुझे दुत्कार कर फिर से मायकेभेज दे.’’‘‘तो कल ही तुम इन सब सोचे हुए कामों को कर डालो.

फिर फौरन लौट कर उस से फोटो ले कर मुझे लौटा दो.’’‘‘मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकती हूं, शिखा,’’ रितु ने गहरी सांस छोड़ी.‘‘क्यों?’’‘‘मैं अपनी सारी पगार समीर को दे देती हूं. मेरे अकाउंट में मुश्किल से क्व2 हजार होंगे. अपने मम्मीपापा से मैं ने आर्थिक सहायता न लेने का प्रण कर रखा है, क्योंकि वे रुपए देते हुए मुझे बहुत शर्मिंदा करते हैं.’’‘‘तब सारा खर्चा कैसे करोगी?’’‘‘अगले महीने से अपनी पगार मैं अपने पास रखूंगी.’’‘‘पर तब तक तो समीर न जाने क्याकर बैठेगा.’’‘‘शायद कुछ न करे,’’ रितु ने उसे तसल्ली देने की कोशिश की, पर शिखा की चिंता कम नहीं हुई.

शिखा बहुत देर तक भुनभुनाते हुए कभी समीर को तो कभी रितु को भलाबुरा कहतीरही. उस की सारी बातें को रितु ने खामोश रह कर सुना.कुछ वक्त तो लगा, पर अपना बहुत सारा खून फूंकने के बाद आखिर में शिखा को यहबात समझ आ ही गई कि अगर फोटो लानेके लिए उसे रितु को फौरन लौटने के लिएराजी करना है, तो उसे अपनी ही जेब हलकी करनी पड़ेगी. अगले दिन शिखा ने क्व5 हजार दे कररितु की 3 महीने की जिम कीफीस भरी.

फिर बाजार से कपड़ों की खरीदारीमें क्व8 हजार खर्च किए. बाद में ब्यूटीपार्लर में क्व10 हजार ऐडवांस जमा कराते हुए शिखा रोंआसी हो उठी थी.‘‘धन्यवाद शिखा. मैं अभी यहीं से अपने घर लौट जाती हूं. कल तक वे फोटो तुम्हें कूरियर से मिल जाएंगे, यह मेरा वादा रहा,’’ कह रितु बहुत खुश नजर आ रही थी.‘‘मेरा काम जरूर कर देना, प्लीज,’’ परेशान नजर आ रही शिखा उसे मन ही मन खूब गालियां दे रही थी.‘‘चिंता न करो… मुझे भी तुम अपना शुभचिंतक समझे,’’ रितु ने उसे जबरदस्ती गले लगाया और फिर अपने घर चल दी.

रितु को पलपल दूर होता देख रही शिखा उस घड़ी को कोस रही थी जब उस ने समीर की विवाहित जिंदगी में अशांति पैदा करने के लिए रितु को रेस्तरां में बुलाया था. उसे क्व23 हजार की चपत तो लगी ही थी, पर जो बात उसे बहुत ज्यादा चुभ रही थी, वह यह एहसास था कि समीर और रितु ने मिल कर बड़ी चतुराई से उसे बुद्धू बनाया.

मेरे पिताजी को डायबिटीज है, उन्हें चश्मा से कम दिखता है, क्या ये गंभीर समस्या है

सवाल

मेरे पिताजी को डायबिटीज है. उन्हें चश्मा लगाने के बाद भी धुंधला दिखाई देता है? क्या यह आंखों से संबंधित किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत है?

जवाब

यह समस्या उन्हें डायबिटिक रैटिनोपैथी के कारण हो रही है. रक्त में शुगर के उच्च स्तर के कारण रैटिना क्षतिग्रस्त हो जाता है. अगर समय रहते इस का डायग्नोसिस और उपचार न कराया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इसीलिए जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें हर 6 महीनों में अपनी आंखों की जांच कराने के लिए कहा जाता है. आप तुरंत उन की आंखों की जांच कराएं और रक्त में शुगर के स्तर को भी अनियंत्रित न होने दें.

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मैं एक इवेंट मैनेजमैंट कंपनी में काम करती हूं. मैं दूर का चश्मा लगाती है लेकिन मैं इस से छुटकारा पाना चाहती हूं. क्या मैं लैसिक सर्जरी करा सकती हूं?

जवाब

लैसिक यानी लेजर असिस्टेचड इन सिटु केरैटोमिलियोसिस, निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) और दूर दृष्टिन दोष (हाइपरमैट्रोपिया) को ठीक करने के लिए उपचार का एक नवीनतम विकल्प है. यह एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है, जिसे करने में 15 मिनट से कम का समय लगता है. लैसिक प्रत्येक के लिए उपयुक्त नहीं है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें अधिक नंबर के चश्मे लगते हैं और जिन का कार्निया पतला है. आप किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ से इस बारे में सलाह लें कि लैसिक आप के लिए कितनी उपयुक्त है या आप के लिए उपचार का कोई और विकल्प ठीक रहेगा.

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