सेलेब्स की नजर में रक्षाबंधन का त्यौहार है क्या, जानें यहां

रक्षाबंधन यानि राखी का त्यौहार केवल आम बहनों के लिए ही नहीं, बल्कि सेलेब्स भाई – बहन भी पूरे साल इसका इंतजार करते है और इसे यादगार बनाना चाहते है. उनके लिए एक दूसरे का प्यार और बॉन्डिंग बहुत अहमियत रखता है. इस प्यारे रिश्ते को वे कैसे नॉरिश करते है, याद करते है और इस अवसर पर उनके गिफ्ट्स क्या होते है, आइये जानें, उनकी खुशियां.

फरनाज शेट्टी

एक वीर की अरदास फेम अभिनेत्री फरनाज शेट्टी कहती है कि मेरा एक छोटा भाई है, जो मुझसे 2 साल का छोटा है, लेकिन मैं उससे छोटी दिखती हूं. पर मैं उससे काफी मैच्योर हूं, स्वभाव से वह अभी भी बच्चा है. उसकी देखभाल करना मुझे पसंद है, लेकिन एक बात उसकी बहुत अच्छी है, जब भी मुझे उसकी जरुरत होती है, एक फ़ोन कॉल पर वह हमेशा हाज़िर रहता है. ये मेरे लिए बहुत सुकून भरी है, क्योंकि जो बातें मैं किसी से शेयर नहीं कर सकती, उसे मैं उससे शेयर कर सकती हूं.

समय के साथ -साथ हम दोनों जितने मैच्योर हो रहे है, हमारी इमोशनल बोन्डिंग उतनी गहरी होती जा रही है. मेरी बिजी सिड्यूल में दोस्त भले ही न हो, एक भाई मेरे लिए काफी है. एक प्यारा रिश्ता जिसे मैं हमेशा बहुत अच्छा फील करती हूं. मेरे आसपास सारे कजिन्स रहते है और मुझे रक्षाबंधन का त्यौहार मनाना बहुत पसंद है, क्योंकि इस त्यौहार पर मैं बचपन की सारी यादों को एक बार फिर से ताजा कर लेती हूं. वैसे तो सारे साल एक दूसरे को गिफ्ट देते रहते है, लेकिन इस दिन का मिला गिफ्ट सबसे खास होता है.

नवीन प्रभाकर

अभिनेता नवीन प्रभाकर कहते है कि बचपन से हम दोनों भाई-बहन के बीच नोंक-झोंक, मजाक चलती रहती थी, जो पूरी ड्रामे की तरह हुआ करती थी, जिसमे हंसी-ख़ुशी के साथ-साथ रोना-धोना सब चलता रहता था. ये सबकुछ हम दोनो को एक अच्छी बोन्डिंग देने में सक्षम रही. रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के बीच ही नहीं, बल्कि हर भाइयों और बहनों के बीच भी एक अच्छे बोन्डिंग का एहसास दिलाती है. ये रिश्ते अनमोल होते है, जिसे बयां करना आसान नहीं.

पहले की सारी नोंक-झोंक समय के साथ एक दोस्ती और अपनेपन का एहसास दिलाती है. विश्व के किसी भी देश में रहने पर भी बहन भाई को राखी भेजती है. आज व्हाट्स एप एक ऐसी तकनिकी सुविधा है, जिसने सारी दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है, जो आज से पहले नहीं था. मैं अपने बहनों और परिवार के साथ इस पर्व को मनाने की इच्छा रखता हूं. उस दिन मैं अपनी बहनों को कुछ स्पेशल गिफ्ट देने की प्लान कर रहा हूँ.

आदित्य देशमुख

पुनर्विवाह फेम अभिनेता आदित्य देशमुख कहते है कि मेरे पास बायोलॉजिकल बहन की कमी है, लेकिन मेरी कजिन्स कई है और उनका प्यार मेरे ऊपर हमेशा बरसता रहता है. ऐसी बोन्डिंग और किसी रिश्ते में नहीं हो सकती, मैं उनके साथ बचपन से जुड़ा हुआ हूं. शूटिंग में अधिक देर होने पर कई बार मुझे बहन के साथ रहना पड़ता है, वह दिन मेरे लिए खास होता है. उनके साथ मेरी बॉन्डिंग मस्ती, जोक्स, नोंक-झोंक आदि के साथ चलती रहती है. मैं उनसे छोटा होने की वजह से मेरे लिए हर बात माफ़ होती है. रक्षाबंधन मेरे लिए बहुत स्पेशल है, उस दिन राखी के साथ प्यार और गिफ्ट्स दोनों ही मुझे मिलने वाला है. इस बार मैं बहनों को गोल्ड या सिल्वर कॉइन से अलग कुछ गिफ्ट्स देने वाला हूं.

रोहित चौधरी

अभिनेता रोहित चौधरी कहते है कि मैं अपने तीन बहनों में सबसे छोटा हूं. मेरी सबसे बड़ी बहन तो मेरी मां की तरह मुझे प्रोटेक्ट करती रहती है. शादी के बाद भी उनका रिश्ता मेरे साथ पहले जैसा ही है. रक्षाबंधन, भाई – बहन के इस रिश्ते को हमेशा मजबूती और प्यार से भर देती है. बहने कितनी भी दूर रहे लेकिन उनका प्यार भाइयों तक हमेशा पहुंचता रहता है. मेरा उनसे रिश्ता मजबूत, ख़ुशी और गम को शेयर करने का है, जो दिन हो या रात है, हमेशा रहता है. वैसे तो सभी बहनों के साथ मेरा अच्छा रिश्ता है, लेकिन बड़ी बहन मेरे लिए सबसे कीमती, दोस्त, मैटरनल फिगर और फॅमिली लिंक है. मैंने उनकी इच्छाओं को पूरा करने के बारें में सोचा है. भाई – बहन एक दूसरे से कितनी भी दूर हो, लेकिन रक्षाबंधन का त्यौहार उनके रिश्ते को मजबूत बनाने का काम करती है.

चारू मलिक

अभिनेत्री चारू कहती है कि बचपन से मुझे एक भाई की बहुत इच्छा रही, और मेरी विश पूरी हुई, जब रक्षाबंधन से पहले मेरे भाई गौरव मलिक का जन्म हुआ और मैंने इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया. हालांकि अभी वह अमेरिका में है, लेकिन उसका प्यार मुझ तक हमेशा पहुंचता है. मेरी बहन पारुल मुझे हमेशा राखी बांधती है. इस साल मैं फ़ोन कॉल से राखी को स्पेशल बनाने वाली हूं. हमारे सबसे बड़ी गिफ्ट्स भाई का यहां आना और हम दोनों बहनों का वहां जाना है. समय बदल गया है, लेकिन हमारा प्यार और रिश्ता सादा के लिए एक ही रहेगा. पारुल, गौरव और मैं हमेशा फ़ोन कॉल पर बातचीत करते है, जहां एक दूसरे की बातों को शेयर करते है, जो मुझे बहुत ख़ुशी देती है.

Raksha Bandhan: खूबसूरती में चार चांद लगा देगा ब्लशर

चेहरे पर खिली सुंदर मुस्कान हर किसी को आपकी तरफ आकर्षित कर सकती है. आपकी इसी मुस्कान चार चांद लगा देता है ब्लशर. लेकिन, यदि आपने इसका गलत इस्तेमाल किया तो आप दस साल बड़ी उम्र की भी लग सकती हैं.

आप बिना मेकअप किए भी ब्लशर लगाने से बेहद खूबसूरत दिखाई दे सकती हैं. ब्‍लशर लगाने में आपसे कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए आपका कुछ बातों का जानना बेहद जरूरी है. आपको बता रहे हैं ब्लशर के इस्तेमाल का तरीका.

रोजी ग्लो के लिए

मेकअप में ब्लशर सबसे जरूरी है. इसका इस्तेमाल डल स्किन में फ्रेश और रोजी ग्लो लाने में मदद करता है. इसमें थोड़ा गोल्डेन शिमर मिलाने से यह फीचर्स को बैलेंस कर देगा. इससे आप हल्‍के फीचर्स को उभार सकती हैं. उसे एक डेफिनिशन दे सकती हैं.

दें सही कवरेज

क्रीम ब्लशर, मूस ब्लशर पाउडर, लिक्विड या जेल ब्लशर लगाने का सही तरीका जानना जरूरी है.

पाउडर ब्लशर

पाउडर ब्लशर आपको बोल्ड लुक लेता है. क्योंकि इसकी कवरेज मीडियम से हेवी होती है. यह चीक्स को शेप, शेड और कॉन्टूर करने के लिए बेस्ट है. इसे लगाने का सही तरीका है, डोम-शेप्ड ब्लशर ब्रश को ब्लशर पर रखकर गोलाई में घुमाएं. फिर मुस्कराएं और चीक्स के एपल पर हल्‍का स्ट्रोक्स देते हुए लगाएं. माथे की तरफ ले जाते हुए लगाएं. ब्रश से अच्छी तरह ब्लेंड करें.

लिक्विड/जेल ब्लशर

इसे आप चीक्स और लिप्स दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर दूसरे शेड्स और प्रोडक्ट भी इसके साथ प्रयोग कर सकती हैं. लिक्विड से क्रीम जेल का टेक्सचर अलग-अलग होता है. ये लॉन्गलास्टिंग व नैचुरल मैट स्टेन लुक देते हैं. इन्हें हर प्रकार की त्वचा के लिए प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन यह ऑयली व कॉम्बिनेशन कॉम्प्लेक्स के लिए परफेक्ट है. क्योंकि एक बार लगाने के बाद यह लंबे समय तक टिकता है. फैलता या बहता नहीं है.

लिक्विड और जेल ब्लशर लगाते ही चीक्स में कलर ऐड कर देते हैं. चीक्स के बीच (एपल्स पर) थोड़ा सा जेल या लिक्विड ब्लशर रखें. फिर अपनी उंगली या छोटे फर्म ब्लशर ब्रश से लार्ज सर्कुलर मोशन में चीक्स पर ब्लेंड करें. चीक्स के एपल के बाहर तक ब्लेंड करें. चीक्स पर अच्छी तरह ब्लेंड होने बाद आप फेस को शेप देने, कंटूर और हाइलाइट करने के लिए मूस, क्रीम, पाउडर ब्लशर और ब्रॉन्जर भी लगा सकती हैं.

जैसी त्वचा वैसा ब्लश

आपका ब्‍लश हमेशा आपकी त्‍वचा के हिसाब से होना चाहिए.

पेल स्किन

ऐसा शेड चुनें जो आपको नैचलर ब्लश दे. पेल पीच और पिंक शेड ऐसी त्वचा के लिए सही नहीं होते. इसलिए इवनिंग पार्टी के लिए हनी-टोंड ब्रॉन्जर का इस्तेमाल करें. जैसे कि चीक कलर 12 एप्रिकॉट शिमर, चीक कलर 04 गोल्डेन पिंक , लिप और चीक स्टेन 01 रोज पिंक या फिर चीक कलर 03 हेदर पिंक प्रयोग कर सकती हैं.

मीडियम स्किन

मीडियम पिंक, गोल्डन पीच और मोव-टोंड बेरी हमेशा मीडियम स्किन टोन को कॉप्लिमेंट देते हैं. सन किस्ड ग्लो के लिए इस पर गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लश लगाएं. जैसे कि चीक कलर 4 गोल्डन पिंक, चीक कलर 10 स्वीट नटमेग, नेचर्स मिनरल चीक कलर 3 वार्म कलर.

ऑलिव स्किन

ऐसी स्किन पर ब्राइटर और पॉप शेड्स अच्छे लगते हैं. जैसे ब्रिक ब्रोज, डीप रोजेज, प्लम और लाइट बेरी टोंस. फ्रेश शिमर लुक के लिए थोड़ा -सा शियर ब्रॉन्जर भी लगाएं.

डार्क स्किन

ऐसा ब्लशर चुनें जो आपके कॉम्प्लेक्शन को उभारे. पेल पेस्टल शेड्स से बचें. यह आपके कॉम्प्लेक्शन को चॉकी और ग्रे कर देंगे. इसलिए डीप रेड टोंस, रिच रोज, ब्रिक रेड्स, रस्ट, बरगंडी, रिच मोव्स और सक्युलंट बेरी ह्यू शेड चुनें. इसे चाहे अकेले इस्तेमाल करें या फिर सन किस्ड ग्लो के लिए डीप गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लशर ऊपर से लगाएं.

क्या करें

यदि ब्लशर अधिक लग जाए तो उसे बिना मेकअप हटाए टोन डाउन कैसे करें. इसके लिए पाउडर पफ लें और उस पर साफ टिश्यू लपेटें. बॉडी शॉप का विटमिन ई फेस मिस्ट या फासन मिस्ट वॉटर स्प्रे टिश्यू में हल्‍का सा लगाएं और चीक्स पर रखकर दबाएं. चीक्स रगडें या मलें नहीं. यह हल्‍के से अतिरिक्त कलर को हटा देगा. ध्यान दें कि कहीं फाउंडेशन या पाउडर न निकल जाए या खराब हो जाए.

हर सीजन के लिए ट्रेंडी

ट्रेंड आते और जाते हैं, लेकिन ब्लशर हमेशा ट्रेंड में रहता है. फिर चाहे आप ब्लशर का इस्तेमाल शेप, शेड और कंटूर के लिए करें या शियर लुक के लिए. या फिर फीचर्स को हाइलाइट करने के लिए. एक अच्छा ब्लशर, जो आपकी स्किन टोन को सूट करे आप साल के 365 दिन तक लगा सकती हैं.

आप शियर ब्लशर किसी भी सीजन में आसानी से लगा सकती हैं. स्प्रिंग टिंट देने के लिए इस पर शियर हनी टोंड ब्रॉन्जर लगाएं. गर्मियों में इस पर आप शिमरिंग गोल्डन ह्यू और सर्दियों में शिमरिंग हाइलाइटर लगा सकती हैं. स्प्रिंग स्किन फ्रेश और फ्लर्टी लुक देती है. समर कॉम्प्लेक्शन सन-किस्ड और ग्लोइंग दिखना चाहिए. इसलिए ब्लशर के ऊपर हनी टोंड शिमर जरूर लगाएं. यह अनोखी चमक देगा और आप यंग नजर आएंगी. सर्दियों में क्रीम ब्लशर और शियर हाइलाइटर लगाने से चेहरे में मॉयस्चर लेवल भी संतुलित रहता है और पैची नहीं लगता. इसके ऊपर पाउडर ब्लशर, ब्रॉन्जर और हाइलाइटर लगाने से बेहतरीन ग्लो आ जाता है.

Raksha Bandhan: भाई-बहन आपकी सबसे बड़ी संपत्ति 

टीनएज जीवन का ऐसा पड़ाव होता है, जहां अपने पराए लगने लगते हैं और पराए अपने. इस उम्र में हमारी आंखों पर ऐसी पट्टी पड़ जाती है कि हमें अपने भाईबहन भी अपने जानी दुश्मन लगने लगते हैं. हम उनसे भी अपनी बातें शेयर करना पसंद नहीं करते हैं. यहां तक कि मुसीबत में पड़ने पर भी उन्हें बताने से डरते हैं कि इन्हें बताने से पापामम्मी को पता चल जाएगा और जिससे उन्हें डांट पड़ेगी , जिसका नतीजा यह होता है कि हम गलतियां करते जाते हैं और उनका खामियाजा अकेले ही भुगातना पड़ता है और कई बार तो हमें इसकी वजह से कई मुसीबतों का भी सामना करना पड़ता है. इसलिए ये समझना बहुत जरूरी है कि भाईबहन हमारे दुश्मन नहीं बल्कि हमारी असली संपत्ति होते हैं. जी हां , आइए जानते हैं कैसे.

1. मुसीबत में हमें बचाते

नेहा जो बहुत ही स्मार्ट और पैसे वाली थी, जिसके कारण हर लड़का उससे फ्रेंडशिप करने को उत्सुक रहता था. और जिसके कारण नेहा भी किसी को खुद के सामने कुछ नहीं समझती थी. और उसकी इसी बेवकूफी का फायदा उसके बोयफ्रेंड साहिल ने उठाया. उसने नेहा से पैसे ऐंठने के चक्कर में उससे कुछ न्यूड फोटोज क्लिक करने को कहा. कहते हैं न कि प्यार में सब जायज होता है. उसने बिना सोचेसमझे साहिल को फोटोज भेज दी. अब तो वह उसे इन फोटोज से ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठने लगा. जिसके कारण वह परेशान रहने लगी. लेकिन उसके भाई से ये सब देखा न गया और उसने बहन को कसमें देकर उससे परेशानी की वजह को जान ही लिया. और फिर भाई का फर्ज निभाते हुए उसने मम्मीपापा को बताए बिना साहिल को ऐसा सबक सिखाया कि आगे वह कभी नेहा जैसी लड़कियों को धोखा देने के बारे में सोचेगा भी नहीं. इस घटना के बाद नेहा को समझ आ गया कि भाई से प्यारा कोई नहीं. इससे धीरेधीरे दोनों के बीच बोंडिंग स्ट्रोंग बनती चली गई.

2. चीजें शेयर करने में हिचकिचाते नहीं 

भाईबहन का रिश्ता ऐसावैसा नहीं होता है. चाहे आपस में कितनी भी लड़ाई क्यों न हो जाए , लेकिन मुसीबत या फिर एकदूसरे के चेहरे पर खुशी लाने के लिए दोनों एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. यहां तक कि अपनी सबसे प्यारी चीज भी शेयर करने से नहीं  हिचकिचाते हैं. शोभा जो पढ़ाई के साथसाथ पार्टटाइम जोब करती थी, क्योंकि एक तो वह खुद कुछ करना चाहती थी और दूसरा पिता के बीमार होने के बाद से उसके घर की हालत भी ठीक नहीं थी. उसने मेहनत करके पैसा कमाया. और फिर घर की जरूरतों को पूरा करते हुए फिर अपने लिए एक लैपटोप भी खरीदा. जिसे खरीदने का वह काफी समय से सपना देख रही थी. इसे पाकर वह बहुत खुश भी थी. लेकिन इस बीच उसके भाई की भी ऑनलाइन क्लासेज शुरू हो गई और उसे भी लैपटोप की जरूरत पड़ी. तो शोभा ने बिना कुछ सोचे अपनी सबसे प्यारी चीज को अपने भाई को दे दिया. ताकि उसे किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो. जो इस बात की और इशारा करता है कि चाहे चीज कितनी भी कीमती व जरूरी  क्यों न हो, लेकिन इस रिश्ते से बड़ी व कीमती नहीं हो सकती.

3. करते हैं  मोटिवेट 

कई बार जीवन में ऐसे पड़ाव भी आते हैं , जिसमें हम हिम्मत छोड़ने लगते हैं. जीवन जीने की इच्छा ही खत्म होने लगती है. हमें ऐसा लगने लगता है कि हम कुछ नहीं कर सकते, बस सामने हार ही हार नजर आती है. ऐसे में भाई हो या बहन एकदूसरे का हौसला बढ़ाकर उसे आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते हैं. राहुल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसके नौंवी में बहुत कम मार्क्स आए , जिससे उसके मन में ये बात बैठ गई कि उसका कैरियर चौपट सा हो गया है, अब इसकी वजह से न ही घर में उसे प्यार सम्मान मिलेगा और न ही स्कूल में. सब उसका मजाक बनाएंगे. जिसकी वजह से उसके चेहरे की हंसी भी गायब होने लगी थी. ऐसे में उसकी बहन ने उसे समझाया कि जरूरी नहीं कि जो जीवन में एक बार हार जाए या फिर असफल हो जाए , उसे बारबार हार का ही सामना करना पड़ेगा. हमारे सामने है अल्बर्ट अ ाइंटरिन का उदाहरण. जो दुनिया में जीनियस के तौर पर जाने जाते हैं. वे चार साल तक बोल और सात साल तक की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे. जिससे उनके शिक्षक और पेरेंट्स उन्हें सुस्त  छात्र के रूप में देखते थे. जिसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया. इन सबके बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए. तुम्हें  भी इससे सीख लेकर आगे कुछ कर दिखाने के लिए जीतोड़ मेहनत करने की जरूरत है न की आज की परिस्तितियों से हार मानकर बैठ जाने की. और इसमें मैं तुम्हें जितना सपोर्ट कर सकूंगी करूंगी , लेकिन तुम्हें  इस तरह हार नहीं मानने दूंगी. यही होती है भाईबहन के रिश्ते की असली सच्चाई.

4. इमोशनली स्ट्रौंग बनाते

हम जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं , कई बार हम उनसे दूर हो जाते हैं. जैसे अचानक से परिवार के किसी प्रिय सदस्य का निर्धन हो जाना , या फिर पढ़ाई या जॉब के कारण अपनों से दूर हो जाना या फिर बेस्ट फ्रेंड का दूर हो जाना, जो हमें अंदर ही अंदर परेशान करके रख देता है. ऐसे में भाईबहन ही वो टूल होते हैं , जो हमें इन परिस्तितियों से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं. हमें प्यार से समझाते हैं कि भले ही आज ये वक्त थम सा गया है, लेकिन हमें खुद को अंदर से इतना ज्यादा कमजोर नहीं बनाना है कि हम भी बस इस वक्त के साथ थम कर रह जाएं. बल्कि स्ट्रौंग बनकर आगे बढ़ना सीखना होगा. परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा, एकदूसरे को समझना होगा. अगर खुद को  इमोशनली स्ट्रौंग बनाओगे तो ये वक्त भी गुजर जाएगा. ऐसे समय में भले ही भाईबहन खुद टूट जाए , लेकिन चेहरे पर नहीं दिखाते हैं और अपने भाईबहन को फुल सपोर्ट करके इस परिस्तिथि से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं.

5. हमारे लिए लड़ जाते हैं लोगों से 

ये तो दुनिया की रीत है कि आप चाहे लोगों के लिए कितना भी अच्छा कर लो, लेकिन जरूरी नहीं कि वह आपकी तारीफ करे ही. किसी बात पर कोई आपकी तारीफ भी कर सकता है तो कोई आपकी बुराई भी . लेकिन हम किसी का मुंह नहीं रोक सकते. तनवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसने एक बार अपने फ्रेंड के साथ असाइनमेंट क्या शेयर नहीं किया, कि उसके फ्रेंड्स ने उससे बात करनी ही छोड़ दी. और वे  सब यूनिटी बनाकर उसका मजाक बनाने लगे. जिससे परेशान होकर तनवी ने कॉलेज जाना ही छोड़ दिया. ऐसे में उसके भाई ने उसे लोगों का मुकाबला करना सिखाया और यहां तक कि उसके लिए उसके दोस्तों तक से भी लड़ गया. वे ये हरगिज नहीं देख पाया कि किसी और की वजह से उसकी बहन की आंखों में आंसू आए. यही वो रिश्ता है , जिसमें चाहे भाईबहन आपस में कितना भी लड़ लें , लेकिन कोई और उनके अपने को परेशान करे, ये उन्हें गवारा नहीं होता.

6. लाइफ को मेमोरेबल बनाते 

कभी बहन के कपड़े छुपा देना तो कभी भाई का फोन छुपा देना, खाना खाते हुए कोई ऐसी बात कर देना, जिससे भाई या बहन गुदगुदा कर हंस दे. बचपन में तू कैसे कपड़े पहनती थी, कैसी सी लगती थी, बालों में तेल और दो चोटी करके स्कूल जाना, जिसके कारण तेरे फ्रेंड्स तुझे चिपकूचिपकू कहते थे. भाई तू भी कुछ कम नहीं था. याद है मुझे वो श्रुति का किस्सा , जिसके पीछे तूने मम्मीपापा से भी झूठ बोला था. तू कितना उसके पीछे पड़ा था और वो तुझे पतलू कहकर तुझे घास तक नहीं डालती थी. यही सब बातें भाईबहन के रिश्ते को यादगार बनाती है और ताउम्र हसने का मौका देती है.

7. उदासी को पल में दूर भगाते 

तुम मेरे लिए कितने कीमती हो, इसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. बस इतना कह सकता हूं कि तुझे उदास देख मैं भी हो उठता हूं उदास. ऐसे में भाईबहन एकदूसरे की उदासी को दूर करने के लिए कभी उनकी पसंद की डिश बनाते हैं , तो कभी उन्हें घुमाने के बहाने उनका दिल बहलाने की कोशिश करते हैं. उनके चेहरे की उदासी को दूर करने के लिए उनके लिए गुनगुनाते हैं , क्योंकि संगीत से मन को खुशी जो मिलती है. उनके साथ खेलते हैं , साथ वक्त बिताते हैं , उनकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करते हैं. उन्हें कोई कुछ न कहे , और परेशान न करें इसके लिए उनके बॉडीगार्ड बनकर आगे पीछे घूमते रहते हैं. बस इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि भाई या बहन के चेहरे की उदासी दूर हो जाए और वह फिर से मुस्कुराने लगे.  इस तरह भाईबहन का रिश्ता बहुत अनमोल होता है, जिसकी हमेशा कद्र करनी चाहिए.

Anupama: अनुज के सामने आया काव्या का राज, बाबूजी ने लगाई बा की क्लास

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में इन दिनों काफी ड्रामा चल रहा है. ‘अनुपमा’ में इतना ड्रामा देखकर दर्शक के दिमाग का दही कर दिया है. सीरियल में पाखी-अधिक और डिंपल व काव्या  करेंट ट्रेक चल रहा है.

बीते एपिसोड में देखने को मिला था कि बा और डिंपल का झगड़ा देखकर वनराज वहां आ जाता है. वनराज की बाते सुनकर काव्या भी वहां आ जाती है. काव्या बा को शांत कराती है. काव्या जैसे ही बा को पानी पिलाती की है, तो डिंपल उस गिलास को गिराकर वहां से निकल जाती है. उसी गिलास की वजह से काव्या जमीन पर फिसलकर गिर जाती है. काव्या को दर्द में देखकर हर कोई परेशान हो जाता है. वनराज जल्दी से उसे अस्पताल लेकर जाता है.

अनुज को पता चला काव्या का सच

टीवी सीरियल अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अनुपमा और अनुज घर जाते है तो अनुज, अनुपमा से पूछता है उस दिन आधी रात को वनराज इसलिए आया था. अनुपमा सॉरी बोलती है तो अनुज कहता है सॉरी मत बोलों. मैं बस अनुपमा और काव्या के बारे में सोच रहा हूं. वैसे यह बात अनुपमा किसी को पता है क्या? किसी को कोई शक? अनुपमा बोलती है वनराज ने काव्या को मना किया था. अनुज कहता है लेकिन ये छुपाना गलत है. इस पर अनुपमा कहती है बाबूजी और बा को बुरा लगेगा इसलिए ये बताना उचित नहीं है.

 

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अनुपमा की गुरु मां से होगी मुलाकात

आगे सीरियल में अनुज गाड़ी मंदिर के पास रोकता है वहां एक औरत उनकी गाड़ी से टकराती है वह औरत कोई नहीं बल्कि गुरु मां होती है. गुरु मां की यह हालत देखकर सब हैरान हो जाते है.

 

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बाबूजी ने बा को सुनाया

बा डिंपल को काफी बुरा-बुरा सुनाती है. बा कहती है कि डिंपी की वजह से काव्या की जान खतरे में आ गई. तो डिंपी कहती है कि आप की वजह से कान के पर्दे भी खतरे में आ जाते है. बा की बातें सुनकर बाबूजी गुस्से में बा की क्लास लगा देते है.

राधाकृष्ण फेम मल्लिका सिंह को बिग बॉस 17 के मेकर्स ने किया अप्रोच, जानें एक्ट्रेस का रिएक्शन

बिग बॉस 17 के लिए फैंस का काफी उत्साह बढ़ रहा है, और ऐसा लगता है कि निर्माता आगामी सीजन के लिए तैयार हो रहे हैं. बिग बॉस कंट्रोवर्शियल और कंटेस्टेंट के दिलचस्प मिक्स अप के कारण दर्शकों के बीच एक लोकप्रिय रियलिटी शो है.

हर सीजन में, यह शो अपने मनमोहक कंटेंट से ध्यान खींचने में कामयाब रहता है. सलमान खान द्वारा होस्ट किए जाने वाला रियलिटी शो के 17वें सीज़न की तैयारी शुरु हो चुकी है, ऐसी चर्चा है कि बिग बॉस 17 के लिए कुछ प्रसिद्ध हस्तियों से संपर्क किया जा रहा है.

बिग बॉस 17 के लिए मल्लिका सिंह को किया अप्रोच

टीवी सीरियल  राधाकृष्ण में राधा की भूमिका निभाने वाली मल्लिका सिंह को भी कंट्रोवर्शियल रियलिटी शो में भाग लेने की अफवाह तेजी से फैल रही है. मीडिया से बात करते हुए मल्लिका ने बिग बॉस 17 को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.

अभिनेत्री ने खुलासा किया कि उन्हें सलमान खान के रियलिटी शो बिग बॉस 17 के लिए संपर्क किया गया था. उन्होंने आगे कहा, ”हां, मुझे शो के लिए अप्रोच किया गया है, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रही हूं.” ऐसे में मल्लिका ने साफ कह दिया है कि वह बिग बॉस 17 का हिस्सा नहीं बनेंगी.

 

राधाकृष्ण फेम सुमेध मुदगलकर किया अप्रोच

ऐसी कई रिपोर्टें थीं जिनमें दावा किया गया था कि राधाकृष्ण फेम सुमेध मुदगलकर को भी बिग बॉस 17 के लिए अप्रोच किया गया है.हालांकि, इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है.

 

इन सेलेब्स का भी नाम आया सामने

मल्लिका सिंह के साथ, Soundous Moufakir, Alice Kaushik, कंवर ढिल्लन और पूजा भट्ट जैसे सेलेब्स को कथित तौर पर सलमान खान के रियलिटी शो बिग बॉस 17 में भाग लेने के लिए अप्रोच किया गया है.

मीडिया से बात करते हुए, बिग बॉस ओटीटी 2 फेम बेबिका धुर्वे ने बिग बॉस 17 के लिए संपर्क किए जाने की पुष्टि की, लेकिन उन्होंने साझा किया कि बिग बॉस के अगले सीजन के लिए हामी भरने से पहले उन्हें कुछ समय लगेगा.

इस दिन से शुरु हो रहा है बिग बॉस 17

बिग बॉस 17 में सिंगल बनाम कपल का एक दिलचस्प थीम होगा और इसलिए प्रतियोगियों को उस मानदंड के अनुसार चुना जा सकता है. अफवाहों के मुताबिक, बिग बॉस 17 का प्रीमियर 30 सितंबर को कलर्स टीवी पर होगा. हालांकि, इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है.

रक्षाबंधन पर आसानी से बनाइये ये टेस्टी मिठाईयां

रक्षाबंधन का त्यौहार यूं तो भाई बहन के प्यार दुलार के प्रतीक का त्यौहार है परन्तु कोई भी त्यौहार मिठाई के बिना अधूरा होता है. बाजार से लाई गई मिठाइयों में रंग, प्रिजर्वेटिव आदि को भरपूर मात्रा में मिलाया जाता है जिससे वे स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद तो नहीं ही होतीं साथ ही बहुत महंगी भी होती हैं. वहीं घर पर बनी मिठाईयां शुद्ध और मिलावट रहित तो होती ही हैं साथ ही सस्ती भी पड़तीं है. इसी क्रम में हम आज आपको ऐसी ही मिठाई बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप घर के सामान से बड़ी आसानी से बना समतीं हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

  1. लौकी कलाकंद

कितने लोगों के लिए –  6

बनने में लगने वाला समय -30 मिनट

मील टाइप – वेज

सामग्री

1. लौकी  500 ग्राम

  2. फूल क्रीम दूध 1 लीटर

  3.  नीबू का रस  1टीस्पून

   4. शकर   50 ग्राम

    5. चांदी का वर्क  6 पत्ते

    6. घी  1 टीस्पून

विधि

लौकी को छीलकर बीच का बीज वाला भाग चाकू से काटकर अलग कर दें और लौकी को किस लें. अब एक पैन में दूध डालें जब दूध में उबाल आ जाये तो किसी लौकी डाल दें. इसे तेज आंच पर चलाते हुए 5 मिनट तक पकाएं. 1/4 टीस्पून नीबू का रस डालकर चलाएं. नीबू का रस डालने के बाद दूध धीरे धीरे फटना शुरू कर देगा. 5 मिनट उबालकर फिर से 1/4 टीस्पून नीबू का रस डालकर चलाएं. जब मिश्रण गाढ़ा सा होने लगे तो  50 ग्राम शकर और 1 टीस्पून घी डालें. लगातार चलाते हुए तब तक पकाएं जब तक कि मिश्रण पैन में चिपकना न छोड़ दे. अब इसे चिकनाई लगी ट्रे में जमाकर चांदी का वर्क लगाएं. चौकोर टुकड़ों में काटकर सर्व करें.

2. पीनट रोज कतली

कितने लोगों के लिए-  8

बनने में लगने वाला समय –  30 मिनट

मील टाइप –  वेज

सामग्री

 1. मूंगफली दाना  500 ग्राम

   2. शकर 300 ग्राम

   3. रोज एसेंस 1/4 टीस्पून

   4. पिस्ता कतरन  1 टीस्पून

   5. घी  1 टेबलस्पून

   6. पानी 1/2 कप

विधि

मूंगफली दाना को गैस या माइक्रोवेब में भून लें. ठंडा होने पर इनके छिल्के निकाल दें. अब मूंगफली दाना को मिक्सी में पल्स मोड पर चलाते हुए बारीक पीस लें.  अब एक पैन में पानी और शकर डाल कर चलाएं. जब शकर पूरी तरह घुल जाए तो  पिसी मूंगफली दाना और रोज एसेंस डाल दें. जब मिश्रण थोड़ा  सा गाढ़ा होने लगे तो  घी और पिस्ता कतरन  डालकर चलाएं और मिश्रण को एक चिकनाई लगी ट्रे में निकाल लें. 1-2 मिनट तक ट्रे में ही मिश्रण को उलटें पलटें जिससे यह ठंडा हो जाये. अब एक बटर पेपर या पॉलीथिन पर रखकर इसे बेलन से पतला बेल लें. गर्म में ही चाकू से कतली काट लें. एयर टाइट डिब्बे में भरकर प्रयोग करें.

ऐडवांस लैप्रोस्कोपिक सर्जरी महिलाओं के लिए वरदान

पिछले कुछ वर्षों में स्त्रीरोग से जुड़े मामलों में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी काफी प्रभावशाली साबित हुई है. इन मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं में स्त्रीरोग से जुड़े मामलों में बीमारी का पता लगाने और इलाज करने के लिए छोटे कट लगाए जाते हैं और स्पैशलाइज्ड उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है. लैप्रोस्कोपी सर्जरी ने गाइनोकोलौजी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है जिस से मरीज की रिकवरी कम वक्त में हो जाती है, निशान कम आते हैं और बेहतर परिणाम आते हैं.गुरुग्राम के सीके बिरला हौस्पिटल में ओब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनोकोलौजी विभाग की डाइरैक्टर डाक्टर अंजलि कुमार ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी.

  1. लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी

परंपरागत रूप से हिस्टरेक्टोमी (सर्जरी के जरीए यूटरस निकालना) पेट में चीरे के माध्यम से की जाती थी, जिस में मरीज की रिकवरी में लंबा समय लग जाता था. हालांकि लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है जिस के चलते मरीज की रिकवरी तुरंत होती है, औपरेशन के बाद दर्द कम होता है और निशान भी बहुत कम होते हैं.

रोबोटिक असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी जैसी ऐडवांस तकनीक से इलाज को और मजबूती मिली है.इस में जटिल शारीरिक संरचनाओं को भी डाक्टर ज्यादा आसानी से नैविगेट कर लेते हैं और औपरेशन में इस से काफी मदद मिलती है. जिन महिलाओं को यूटरिन फाइब्रौयड, ऐंडोमिट्रिओसिस या पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है उन के लिए यह प्रक्रिया काफी कारगर है.

2. ऐंडोमिट्रिओसिस

ऐंडोमिट्रिओसिस में यूटरस के बाहर ऐंडोमिट्रियल टिशू बढ़ जाते हैं. ये गंभीर पैल्विक पेन और बां?ापन के कारण बन सकते हैं. ऐंडोमिट्रिओसिस घावों के लिए लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया एक बहुत ही स्टैंडर्ड ट्रीटमैंट मैथड बन गया है. इस में डाक्टर ऐंडोमिट्रिओसिस इंप्लांट्स को विजुलाइज करने, उन का मैप बनाने और ठीक से हटाने के लिए लैप्रोस्कोपिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जिस से मरीजों को लंबे समय तक राहत मिलती है.

इस मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया से न केवल लक्षण कम होते हैं, बल्कि प्रजनन क्षमता भी प्रिजर्व होती है. महिलाओं को इस का काफी लाभ मिलता है.

3. ओवेरियन सिस्टेक्टोमी

ओवेरियन अल्सर, तरल पदार्थ से भरी थैली जो अंडाशय पर बनती है में दर्द, हारमोनल असंतुलन और फर्टिलिटी संबंधी परेशानियां होने का डर रहता है. लैप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी की मदद से डाक्टर अल्सर को हटाते हैं और स्वस्थ ओवेरियन टिशू को संरक्षित करते हैं. इस से ओवेरियन फंक्शन बेहतर होता है और फर्टिलिटी भी सुधरती है.इंट्राऔपरेटिव अल्ट्रासाउंड और फ्लोरेसैंस इमेजिंग जैसी ऐडवांस तकनीक से अल्सर की सटीक पहचान की जाती है और फिर उसे हटाया जाता है. इस प्रक्रिया में जोखिम कम रहता है. ओपन सर्जरी की तुलना में लैप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी के बाद दर्द कम होता है, मरीज को अस्पताल में कम वक्त रहना पड़ता है और वह रोजमर्रा के काम भी जल्दी करने लग जाता है.

4. मायोमेक्टोमी

यूटेरिन फाइब्रौयड के कारण पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है, पेल्विक पेन होता है और प्रजनन संबंधी परेशानियां भी हो जाती हैं. मायोमेक्टोमी में गर्भाशय को संरक्षित करते हुए फाइब्रौयड को सर्जरी के जरीए हटाया जाता है. जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहती हैं उन के लिए यह एक बेहतर उपाय है. लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी पारंपरिक ओपन सर्जरी से ज्यादा पौपुलर है क्योंकि इस में छोटे चीरे लगाए जाते हैं, ब्लड लौस कम होता है और मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है.

5. रोबोटिक

असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी से सर्जरी काफी सटीक हुई है और इस के परिणामस्वरूप बेहतर प्रजनन रिजल्ट आते हैं.

6. ट्यूबल रिवर्सल

जिन महिलाओं की ट्यूबल लिगेशन (सर्जिकल नसबंदी) होती है, उन के लिए ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी प्रजनन क्षमता को बहाल करने का अवसर प्रदान करती है. लैप्रोस्कोपिक ट्यूबल रीनास्टोमोसिस में फैलोपियन ट्यूबों को फिर से जोड़ा जाता है, जिस से प्राकृतिक गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ती हैं.मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से निशान कम आते हैं और औपरेशन के बाद मरीज को कम परेशानी होती है जिस से महिलाओं को अपनी रूटीन की गतिविधियों में जल्दी लौटने में मदद मिलती है. लैप्रोस्कोपिक तकनीक, माइक्रोसर्जिकल स्किल्स से साथ जुड़ी होती है जिस से ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी की सफलता दर और परिणामों में काफी सुधार होता है.

ऐडवांस गाइनोकोलौजी लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के आने से प्रजनन आयु के दौरान स्त्रीरोग संबंधी तमाम परेशानियों को ठीक करने के मामलों में क्रांति आई है. मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं जैसेकि लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी, ऐंडोमिट्रिओसिस ऐक्साइशन, ओवेरियन सिस्टेक्टोमी, मायोमेक्टोमी और ट्यूबल रिवर्सल से मरीजों को ओपन सर्जरी की तुलना में काफी लाभ पहुंचा है.तेजी से रिकवरी, कम निशान और बेहतर प्रजनन रिजल्ट के चलते लैप्रोस्कोपिक सर्जरी से स्त्रीरोगों से पीडि़त महिलाओं के लिए आशा की किरण मिली है. तकनीक भी लगातार बढ़ रही है, जिस से यह उम्मीद की जा रही है कि लैप्रोस्कोपिक तकनीक आगे और भी विकसित होगी जिस से और बेहतर रिजल्ट प्राप्त होंगेऔर महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हैल्थ में सुधार आएगा.

मेरी शादी होने वाली है घर का काम और शौपिंग मैं ही कर रहीं हूं, ऐसे में चिड़चिड़ी हो गई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

2 महीनों में मेरी शादी होने वाली है और घर में अभी बहुत सारी तैयारियां बाकी हैं. दरअसल, घर में लोग कम होने के कारण मुझे सभी कामों में हाथ बंटाना पड़ता है और शादी की शौपिंग भी खुद ही करनी पड़ती है. ऐसे में आराम का वक्त ही नहीं मिलता है, मैं हर वक्त तनाव महसूस करती हूं, चिड़चिड़ी भी हो गई हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

शादी पास आने तक होने वाली दुलहन अकसर तनावग्रस्त महसूस करने लगती है. इस के कारण अलगअलग होते हैं लेकिन इन्हें सम?ाना थोड़ा मुश्किल होता है. हालांकि आप को घर के कामों में हाथ बंटाना पड़ता है. इस का मतलब यह नहीं है कि बिलकुल आराम नहीं करेंगी. शादी के तनाव भरे माहौल में खुद के लिए वक्त अवश्य निकालें. काम के साथ आराम करेंगी तो चिड़चिड़ेपन से भी छुटकारा मिलेगी. लोगों के साथ मिल कर थोड़ी हंसीठिठोली करें तो मन शांत और खुश रहेगा.

रात को जल्दी सो जाएं और 7-8 घंटों की नींद लें. सोने से पहले कुनकुने पानी से नहाएं और फिर सरसों का तेल गरम कर के हाथपैरों की मालिश करें. इस के अलावा हलके हाथों से स्कैल्प की भी मसाज करें. इस से दिनभर की थकान दूर होगी और नींद भी अच्छी आएगी. अच्छा खाएं और खूब पानी पीएं.

-डाक्टर गौरव गुप्ता

साइकोलौजिस्ट, डाइरैक्टर,

तुलसी हैल्थकेयर

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आशीर्वाद- भाग 2 : क्यों टूट गए मेनका के सारे सपने

‘‘मैं नहीं जाऊंगी. तुम पता नहीं क्यों बारबार मुझे अपने गुरुजी के पास ले जाना चाहते हो जबकि मैं किसी गुरुवुरु के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. अखबारों में और टैलीविजन पर आएदिन अनेक गुरुओं की करतूतों का भंडाफोड़ होता रहता?है,’’ मेनका बोली.

‘‘सभी गुरु एकजैसे नहीं होते. आज मैं ने जब गुरुजी से फोन पर कहा कि आप के दर्शन करना चाहता हूं तो उन्होंने कहा कि मेनका को भी साथ लाना. हम उसे भी आशीर्वाद देना चाहते हैं.’’

‘‘मुझे किसी आशीर्वाद की जरूरत नहीं है. तुम ही चले जाना.’’

‘‘मैं ने गुरुजी को वचन दिया है कि तुम्हें जरूर ले कर आऊंगा. तुम्हें मेरी कसम मेनका, तुम्हें मेरे साथ चलना होगा. अगर इस बार भी तुम मेरे साथ नहीं गईं तो मैं वहीं गंगा में डूब जाऊंगा,’’ अमित ने अपना फैसला सुनाया.

यह सुन कर मेनका कांप कर रह गई. वह जानती थी कि अमित गुरुजी के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस चुका है. उस पर गुरुजी का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है. वह भावुक भी है. अगर वह साथ न गई तो हो सकता है कि गुरुजी अमित को इतना बेइज्जत कर दें कि उस के सामने डूब कर मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता न बचे.

मेनका को मजबूरी में कहना पड़ा, ‘‘ऐसा मत कहो… मैं तुम्हारे साथ हरिद्वार चलूंगी.’’

अमित के चेहरे पर मुसकान फैल गई, ‘‘यह हुई न बात. मेनका, तुम्हें गुरुजी से मिल कर बहुत अच्छा लगेगा. वहां मुझे, तुम्हें और पिंकी को आशीर्वाद मिलेगा.’’

मेनका ने कोई जवाब नहीं दिया.

एक हफ्ते बाद अमित मेनका और पिंकी के साथ हरिद्वार जा पहुंचा. रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर उस ने एक आटोरिकशा किया और गुरुजी के आश्रम जा पहुंचा. शिष्यों ने उन के लिए एक कमरा खोल दिया.

सामान रख कर अमित ने मेनका से कहा, ‘‘कुछ देर आराम कर लेते हैं. शाम को गुरुजी से मिलेंगे और आरती देखेंगे. 2-3 दिन हरिद्वारऋषिकेश घूमेंगे.’’

शाम को तकरीबन 6 बजे अमित मेनका व पिंकी के साथ गुरुजी के कमरे के बाहर इंतजार में बैठ गया. कुछ देर बाद शिष्य ने उन को कमरे में भेजा.

कमरे में पहुंचते ही अमित ने हाथ जोड़ कर गुरुजी के चरणों में सिर रख दिया. मेनका ने भी चरण छू कर प्रणाम किया.

‘‘सदा सुखी रहो, सौभाग्यवती रहो,’’ गुरुजी ने आशीर्वाद दिया, ‘‘तुम्हारे घर में अपार सुख और वैभव आ रहा?है मेनका. तुम्हें जल्दी पुत्र रत्न भी प्राप्त होगा.

‘‘यह तुम्हारा पति अमित बहुत भोला और सीधासादा सच्चा इनसान है.’’

मेनका कुछ नहीं बोली.

गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा, ‘‘शाम की आरती में जरूर शामिल होना.’’

‘‘जी गुरुजी,’’ अमित ने तुरंत जवाब दिया.

शाम को साढ़े 7 बजे आश्रम के मंदिर में खूब जोरशोर से आरती हुई. गुरुजी और शिष्य आरती में लीन थे.

प्रसाद ले कर कमरे में लौट कर अमित ने कहा, ‘‘मुझे तो यहां आ कर बहुत अच्छा लगता है मेनका. तुम्हें कैसा लगा?’’

‘‘ठीक है.’’

कुछ देर बाद एक शिष्य ने आ कर कहा, ‘‘गुरुजी मेनका को बुला रहे हैं.’’

‘‘अभी आ रही है,’’ अमित बोला.

‘‘जाओ मेनका. लगता है, गुरुजी तुम्हें कुछ खास आशीर्वाद देना चाहते हैं.’’

‘‘मैं अकेली नहीं जाऊंगी,’’ मेनका ने कहा.

‘‘अरे मेनका, हम तो भाग्यशाली हैं. गुरुजी हमें बुला कर दर्शन और आशीर्वाद दे रहे हैं. बहुत से लोग तो इन से मिलने को तरसते रहते हैं. जाओ, देर न करो. पिंकी यहीं है मेरे पास,’’ अमित ने कहा.

मेनका को अकेले ही जाना पड़ा. वह धड़कते दिल से नमस्कार कर गुरुजी के सामने बैठ गई.

तख्त पर बैठे हुए गुरुजी ने उस की ओर देख कर कहा, ‘‘मेनका, तुम्हारा भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है. जरा अपना हाथ दिखाओ. हम देखना चाहते हैं कि तुम्हारा भाग्य क्या कह रहा है?’’

मेनका ने न चाहते हुए भी गुरुजी की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया. उस की कोमल हथेली पकड़ कर गुरुजी गंभीर मुद्रा में खो गए.

मेनका के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं. उसे यह सब जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था.

‘‘देखो मेनका, जब तक अमित तुम्हारे पास है तुम्हें बहुत सुख मिलेगा, पर…’’ कहतेकहते गुरुजी रुक गए.

‘‘लेकिन क्या गुरुजी…?’’ मेनका चौंकी.

‘‘अमित ज्यादा दिनों तक तुम्हारी जिंदगी में नहीं रहेगा. वह तुम्हारी जिंदगी से काफी दूर निकल जाएगा. बिना पति के पत्नी की हालत कटी पतंग की तरह होती है. यह तुम भी अच्छी तरह जानती हो. मुझे अमित और तुम्हारे बीच के संबंध के बारे में पूरी जानकारी है. जो तुम चाहती हो, वह नहीं चाहता.’’

‘‘गुरुजी, इस में गलती पर कौन है?’’ मेनका ने पूछा.

‘‘गलती पर कोई नहीं है. अपनेअपने सोचने का ढंग है. मैं तुम्हारे मन की हालत समझ रहा हूं. तुम एक प्यासी नदी की तरह हो मेनका. तुम सुंदर ही नहीं, बहुत सुंदर हो, पर तुम्हारे रूप का असर अमित पर जरा भी नहीं पड़ रहा है. अमित इस समय मेरे प्रभाव में है. अगर मैं चाहूं तो वह कभी भी सबकुछ छोड़ कर मेरी शरण में आ सकता है,’’ गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा.

‘‘आप कहना क्या चाहते हैं?’’

‘‘मेनका, तुम जितनी सुंदर हो, अमित उतना ही भोला है. वह तुम्हारी इच्छाओं को आज तक समझ नहीं पाया. तुम्हारा यह सुंदर रूप देख कर मेरी प्यास बढ़ गई है. मैं भी एक प्यासा सागर हूं,’’ कहते हुए गुरुजी ने मेनका की हथेली चूमनी चाही.

मेनका को लगा, जैसे उस के शरीर में कोई बिच्छू डंक मार देना चाहता है. उस ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हैं आप? यहां बुला कर आप ऐसी हरकतें करते हैं क्या?’’

‘‘मेनका, तुम्हें मेरी बात माननी होगी, नहीं तो तुम्हारा अमित तुम्हें छोड़ कर मेरी शरण में आ जाएगा. उस के बिना क्या तुम अकेली रह लोगी?’’

‘‘मैं अकेली रह लूंगी या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन मैं आप की असलियत जान चुकी हूं. इस देश में आप की तरह अनेक ढोंगी व पाखंडी गुरु हैं जिन के बारे में अखबारों में छपता रहता है.

‘‘अमित भोला है, पर मैं नहीं. मैं तो यहां आना ही नहीं चाहती थी. मुझे तो अमित की कसम के सामने मजबूर होना पड़ा. अब मैं आप के इस आश्रम में नहीं रहूंगी,’’ मेनका ने गुस्से में कहा.

यह सुनते ही गुरुजी खिलखिला कर हंस पड़े. मेनका हैरान सी गुरुजी की ओर देखती रह गई.

‘‘सचमुच तुम बहुत समझदार हो मेनका, तुम भोली नहीं हो. मैं तो तुम्हारा इम्तिहान ले रहा था. मैं यह देखना चाह रहा था कि तुम कितने पानी में हो. अब तुम जा सकती हो,’’ गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा.

मेनका बाहर निकली और तेजी से कमरे में लौट आई. आते ही मेनका ने कहा, ‘‘अब हम यहां नहीं रहेंगे.’’

‘‘क्यों, क्या बात हुई?’’ अमित ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘यह तुम्हारे गुरुजी भी उन ढोंगी बाबाओं की तरह हैं जो पकड़े जा रहे हैं. असलियत खुल जाने पर जिन की जगह आश्रम में नहीं, जेल में होती है. कई गुरु जेल में हैं. देखना, किसी न किसी दिन तुम्हारा यह ढोंगी गुरु भी जरूर पकड़ा जाएगा.’’

‘‘क्या हुआ? कुछ बताओ तो सही? तुम तो गुरुजी के पास आशीर्वाद लेने गई थीं, फिर क्या हो गया जो तुम गुरुजी के लिए ऐसे शब्द बोल रही हो?’’

‘‘मैं तो पहले ही यहां आने के लिए मना कर रही थी. पर तुम्हारी कसम ने मुझे मजबूर कर दिया,’’ कहते हुए मेनका ने पूरी घटना सुना दी.

अमित कुछ कहने ही वाला था, तभी एक शिष्य ने कमरे में आ कर कहा, ‘‘अमितजी, आप को गुरुजी बुला रहे हैं.’’

अमित शिष्य के साथ चल दिया.

मेनका धड़कते दिल से कमरे में बैठी रही. उस की आंखों के सामने बारबार गुरुजी का चेहरा और वह सीन याद आ रहा था, जब गुरुजी ने उस का हाथ पकड़ कर चूमना चाहा था. उस के मन में गुरुजी के प्रति नफरत भर उठी.

कुछ देर बाद अमित लौटा और बोल उठा, ‘‘मेनका, यह तुम ने अच्छा नहीं किया जो गुरुजी की बेइज्जती कर दी. गुरुजी ने तो तुम्हें आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था लेकिन तुम ने गुरुजी की शान में ऐसी बातें कह दीं, जो नहीं कहनी चाहिए थीं. अब तुम्हें मेरे साथ चल कर गुरुजी से माफी मांगनी पड़ेगी.’’

यह सुन कर मेनका समझ गई कि गुरुजी ने अमित से झूठ बोल दिया है. वह बोली, ‘‘अमित, यहां आ कर तो मैं बेइज्जत हुई हूं. गुरुजी ने जो हरकत मेरे साथ की है, उस के बाद तो मैं ऐसे गुरु की शक्ल भी देखना नहीं चाहूंगी. माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं उठता है.’’

अमित का भी पारा ऊपर चढ़ने लगा. वह मेनका को घूरता हुआ बोला, ‘‘मेनका, मुझे गुस्सा न दिलाओ. मेरे गुरुजी झूठ नहीं बोलते. मेरे साथ चल कर तुम्हें माफी मांगनी पड़ेगी.’’

‘‘मुझे नहीं जाना तुम्हारे ढोंगी गुरु के पास.’’

अमित अपने गुस्से पर काबू न रख सका. उस ने एक जोरदार थप्पड़ मेनका के मुंह पर दे मारा और कहा, ‘‘मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना नहीं चाहता…’’

‘‘मैं यहां से चली जाऊंगी अपनी बेटी को ले कर. आज की रात किसी होटल में रुक जाऊंगी. कल सुबह होते ही बस या टे्रन से वापस मेरठ चली जाऊंगी. तुम चाहे जितने दिन बाद आना.

‘‘देख लेना किसी न किसी दिन इस ढोंगी गुरु की पोल भी खुलेगी और यह भी जेल में पहुंचेगा.’’

मेनका ने एक बैग में अपने व पिंकी के कपड़े भरे और पिंकी को गोद में उठा कर आश्रम से बाहर निकल गई.

मेनका एक होटल में पहुंची और एक कमरा ले कर बिस्तर पर कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी.

आश्रम के कमरे में बैठे अमित को बारबार मेनका पर गुस्सा आ रहा था. मेनका ने गुरुजी की बेइज्जती कर दी. वह माफी मांगने भी नहीं गई. वह बहुत हठी है. न जाने खुद को क्या समझती है वह. चली जाएगी जहां जाना होगा, वह तो अब उस से कभी बात नहीं करेगा. उसे ऐसी पत्नी नहीं चाहिए जो गुरुजी और उस की बात ही न सुने. इस के लिए उसे तलाक भी लेना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा.

प्रायश्चित्त: क्या शिशिर को मिला सुकून

शिखा की आंखों से नींद कोसों दूर थी. मन में तरहतरह की आशंकाएं घुमड़ रही थीं. उस की बेचैन निगाहें बारबार घड़ी की ओर जा टिकतीं. रात का 1 बज चुका था, कहां रह गए शिशिर?

दोपहर में इंदौर से आए फोन ने उसे लगभग चेतना शून्य ही कर दिया था. बड़ी भाभी ने रुंधे गले से बमुश्किल इतना बताया कि तुम्हारे भैया को हार्ट अटैक हुआ है… आईसीयू में भरती करा दिया है. डाक्टरों ने तुरंत बाईपास सर्जरी की आवश्यकता बताई है, जिस पर करीब 2 लाख रुपए खर्च आएगा.

भाभी इस बात को ले कर काफी व्यथित थीं कि इस समय इतने रुपए की व्यवस्था कहां से और कैसे हो सकेगी. शिखा ने भाभी को हौसला बनाए रखने की सलाह दी व शीघ्र इंदौर पहुंचने का आश्वासन दिया.

कुछ संयत हो कर शिखा ने सब से पहले शिशिर को फोन कर के घटना की जानकारी दी. शिशिर की व्यस्तता से वह भलीभांति परिचित थी इसलिए अकेले ही भैया के पास जाने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन शिशिर का अब तक घर न पहुंचना अनेक आशंकाओं को जन्म दे रहा था. एकएक मिनट घंटों के समान बीत रहा?था. इंतजार के इन पलों में उस के मानस पटल पर वह कभी न भूलने वाली घटना चलचित्र की भांति जीवंत हो उठी.

शिखा के विवाह से पहले की बात है. मां को ब्रेन हैमरेज हो गया था. काफी इलाज के बाद वह ठीक तो हुईं पर अकसर बीमार रहने लगीं. शिखा पर पढ़ाई के साथसाथ घरगृहस्थी की पूरी जिम्मेदारी भी आ पड़ी. कभी पीएच.डी. को अपना ध्येय बना चुकी शिखा ने पारिवारिक कर्तव्यों की पूर्ति के लिए अपने लक्ष्य को तिलांजलि दे दी और एक स्थानीय स्कूल में शिक्षिका की नौकरी कर ली.

भैया तो नौकरी के सिलसिले में पहले ही इंदौर शिफ्ट हो चुके थे. छोटे भाईबहन और मां की देखभाल की जिम्मेदारी बखूबी निबाहते हुए वह पूरी तरह परिवार को समर्पित हो गई.

समय पंख लगाए उड़ रहा था. मां को रहरह कर उस के विवाह की चिंता सताए जाती थी. शिखा के सद्गुणों व घरेलू कार्यों में निपुणता की प्रशंसा सुन कर कई प्रस्ताव आ रहे थे किंतु शिखा इस शहर से दूर शादी करने को कतई तैयार नहीं हुई. उस का अपना वजनदार तर्क था कि दूर की ससुराल से वह जरूरत पड़ने पर मां के पास जल्दी नहीं आ सकेगी.

आखिर उस की इच्छानुसार इसी शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार में उस का विवाह हो गया. नए परिवार में नई जिम्मेदारियों ने शिखा का स्वागत किया. नौकरी व परिवार के बीच सामंजस्य बिठाती हुई शिखा की व्यस्तता दिनोंदिन बढ़ती गई.

पहले हफ्ते 10 दिन में मायके का चक्कर लग जाता था पर बिटिया के जन्म के बाद धीरेधीरे यह अवधि बढ़ने लगी. फिर?भी समय निकाल कर कभीकभी टेलीफोन पर मां का हालचाल पूछ लिया करती.

एक दिन शिखा स्कूल से घर लौटी ही थी कि छोटे भाई का फोन आ गया, ‘दीदी, मां की तबीयत बिगड़ गई है. डाक्टर ने चेकअप कर कुछ टेस्ट कराए हैं… रिपोर्ट देख कर पूरी दवा लिखेंगे.’

शिखा का मन मां से मिलने को व्याकुल हो उठा. शिशिर के आफिस में आडिट चल रहा था इसलिए वह रोज देर से घर लौट रहे थे. इधर गुडि़या को भी सुबह से बुखार था. उसे ले कर सर्दी के इस मौसम में कैसे घर से निकले, यह प्रश्न शिखा को दुविधा में डाल रहा था. रात को थकेमांदे लौटे शिशिर को उस ने मां की तबीयत खराब होने की बात बताई तो उन्होंने, ‘कल देखने चलेंगे,’ कह कर बात समाप्त कर दी.

अगला दिन भी नियमित दिनचर्या से कतई अलग नहीं था. फिर भी समय निकाल कर शिखा ने भाई से फोन पर मां के हालचाल पूछे और शाम को आने का वादा किया. शाम को शिशिर का फोन आ गया कि चीफ आडिटर आज ही काम समाप्त कर वापस जाना चाहते हैं अत: घर लौटने में देर हो जाएगी. शिखा मनमसोस कर रह गई लेकिन उसे यह जान कर तसल्ली हुई कि बड़े भैया आ गए हैं और मां को अस्पताल में भरती कराया जा रहा है.

सुबह आफिस के लिए निकलते हुए शिशिर ने कहा, ‘मैं आडिट रिपोर्ट डाक से भिजवा कर लंच तक वापस लौट आऊंगा… तुम तैयार रहना… मां को देखने अस्पताल चलेंगे.’ शिखा ने कोई जवाब नहीं दिया. पिछले 3 दिन से ये कोरे आश्वासन ही तो मिल रहे थे.

गुडि़या को सुबह की दवा दे कर शिखा उठी ही थी कि अचानक फोन की घंटी बजी. किसी अनहोनी की आशंका से उस का दिल धड़क उठा. आशंका निर्मूल नहीं थी. ‘मां नहीं रहीं…’ ये शब्द पिघले शीशे की तरह उस के कानों में उतरते चले गए.

मातृशोक ने उस के हृदय को छलनी कर दिया. जिस मां की सेवा में कभी उस ने रातदिन एक कर दिया था, आज एक ही शहर में रहते हुए उन्हें अंतिम बार जीवित भी न देख सकी.

खबर मिलते ही शिशिर भी तुरंत घर लौट आए और दोनों अस्पताल जा पहुंचे. सभी का रोरो कर बुरा हाल था. भैया ने बताया कि आखिरी वक्त तक मां की आंखें बस, शिखा को ही तलाश रही थीं. गमगीन माहौल में शिशिर एक कोने मेें स्तब्ध से खड़े थे. उन्हें आत्मग्लानि हो रही थी कि अपनी व्यस्तता के कारण वह एक महत्त्वपूर्ण पारिवारिक दायित्व को नहीं निभा सके.

वक्त हर जख्म का मरहम है. ‘मां’ अतीत हो गईं किंतु एक टीस, शिखा और शिशिर के मन में हमेशा के लिए छोड़ गईं.

शिखा की वैचारिक तंद्रा टूटी. आज पुन: वही मंजर सामने था. उस के भैया जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे… क्या इस बार भी वही कहानी दोहराई जाएगी… नियति उस की राह में रोड़े अटका रही है या शिशिर को काम के अलावा किसी की परवा नहीं… क्या इस संकट की घड़ी में वह भैयाभाभी का संबल बन सकेगी…

तभी दरवाजे की घंटी बजी… शिखा ने बेसब्री से दरवाजा खोला. सामने शिशिर खड़े थे, चेहरे पर दिनभर की भागदौड़ के स्पष्ट निशान लिए. शिखा ने सोचा कि अभी कोई व्यस्तता का नया बहाना सुनने को मिलेगा जिस के लिए वह मानसिक रूप से तैयार भी थी.

सोफे पर बैठते हुए शिशिर ने चुपचाप बैग खोला और 500 के नोटों की 4 गड्डियां उसे सौंपते हुए कहा, ‘‘सौरी शिखा… तुम्हारा फोन आने के बाद से ही आपरेशन के रुपए की व्यवस्था करने में जुट गया था. बैंक की एफडी तो दिन में तुड़वा ली थी, बाकी रुपयों की व्यवस्था दोस्तों से करने में इतनी रात हो गई… जल्दी तैयारी कर लो.. सुबह की ट्रेन से हम इंदौर जा रहे हैं.’’

शिखा हतप्रभ रह गई. उस के मन से संशय और अनिश्चय का कुहासा छंट गया. आज शिशिर ने वह कर दिखाया था जिस की उस ने उम्मीद भी नहीं की थी. वह कितना गलत समझ रही थी. उस की आंखों से अश्रुधार बहने लगी… इन आंसुओं ने वह फांस निकाल कर बाहर की, जो मां के निधन के वक्त से उस के हृदय में धंसी हुई थी.

शिशिर बेहद आत्मिक शांति का अनुभव कर रहे थे. शायद उन्होंने बरसों पहले हुई चूक का प्रायश्चित्त कर लिया था.

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