अंधविश्वास की दलदल: भाग 4- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

प्रतीक बोल रहा था और उस की आवाज से लग रहा था कि वह काफी गुस्से में है, ‘‘आप तो मान गई थीं कि अब कोई कुंडली का मिलान नहीं करेंगी तो आज अचानक से क्या हो गया आप को? उस ढोंगी बाबा ने भड़काया है न आप को? ठीक है तो मेरी भी बात सुन लीजिए, अगर मीरा से मेरी शादी नहीं हुई तो मैं जिंदगी भर कुंवारा रह जाऊंगा पर किसी और से शादी नहीं करूंगा.’’

सुन कर मेरा हृदय व्याकुल हो उठा. कुछ देर तो मैं काठ की मूर्ति की तरह जड़वत चुपचाप वहीं खड़ी रह गई. फिर अंकल के चिल्लाने की आवाज से मेरा ध्यान टूटा.

‘‘अरे मूर्ख औरत, मैं ने तुम्हें कितनी बार समझाया, यह मंगलीफंगली कुछ नहीं होता है तो फिर कौन तुम्हें भड़का गया? वो ढोंगी बाबा? मत सुनो किसी की, यह शादी हो जाने दो. क्यों दो प्यार करने वालों को अलग करने का पाप अपने सिर पर ले रही हो?’’ अंकल आंटी को समझाने की कोशिश कर रहे थे.

आंटी कहने लगी, ‘‘देखोजी, सिर्फ प्यार से जिंदगी नहीं चलती है और दुनिया कितनी भी मौडर्न क्यों न हो जाए जो सही है सो है. मीरा मंगली तो है ही ऊपर से कालसर्प दोष भी है उस में. पंडितजी ने तो यहां तक कहा कि अगर हम अपने बेटे की शादी मीरा से कर देते हैं तो प्रतीक की जान को भयंकर खतरा है. उस की जान भी जा सकती है. अब बोलो, क्या जानबूझ कर मैं अपने बेटे को मौत के मुंह में डाल दूं? जो भी हो पर अब मैं यह शादी नहीं होने दे सकती.’’

‘‘पर मां आप समझती क्यों नहीं हैं. ऐसे पंडित ढोंगी और पाखंडी होते हैं. अपनेआप को महान साबित करने के लिए कुछ भी बोल देते हैं. अब भी कहता हूं छोड़ दो अपनी जिद. किसी के बातों में आ कर हमारी जिंदगी नर्क मत बनाओ. हो जाने दो हमारी शादी.’’ प्रतीक की बातों में बेबसी साफ झलक रही थी. आंटी जब अपनी बातों पर अड़ी रहीं तो प्रतीक यह कह कर वहां से चला गया कि ‘‘ठीक है आप को जो अच्छा लगता है कीजिए और मुझे जो अच्छा लगेगा मैं करूंगा.’’

अंकल कहने लगे, ‘‘देखना एक दिन तुम जरूर पछताओगी और तब मैं नहीं रहूंगा तुम्हारे आंसू पोंछने के लिए.’’ कह कर वे भी वहां से चले गए. समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है. मेरी आंखें पथरा गईं. जबान बंद हो गई, कान सुन्न हो गए. जैसे मेरी सारी शक्ति खत्म हो गई. घर आ कर मैं निढाल हो गई.

मां मेरे कमरे में चाय देने आईं और मेरा चेहरा देख कर पूछा भी कि मैं तो प्रतीक के साथ गहने पसंद करने जाने वाली थी तो गई क्यों नहीं, पर मैं ने चुप्पी साध ली. कुछ बताने की हिम्मत नहीं हुई. मां की जिद पर किसी तरह चाय समाप्त कर मैं सोने को हुई पर फिर उन की बातें याद कर झटके से उठी और वहां पड़े सामान को फेंकने लगी. मां डर गई और पूछने लगी, ‘‘क्या हो गया… सब ठीक है न?’’

मेरे होंठ कांप रहे थे. मैं बोलना चाह रही थी पर बोल नहीं पा रही थी. मां घबरा उठी, ‘‘मीरा क्या हुआ बेटा, सब ठीक तो है न?’’ फिर उन्होंने आवाज दे कर पापा को बुलाया. पापा मुझे रोते देख व्याकुल हो उठे. कहने लगे, ‘‘बेटा क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?’’

‘‘पापा…’’ रोतेरोते मेरी हिचकियां बंधने लगी थीं. तभी प्रतीक की मां का फोन आया. उन्होंने जो कहा सुन कर पापा वहीं जमीन पर बैठ गए. पापा की तबीयत न बिगड़ जाए, सोच कर मैं ही पापा को ढाढ़स देने लगी. शाम को प्रतीक ने मुझे मिलने को बुलाया. वहीं जहां हम हमेशा मिलते थे.

‘‘मीरा, सुनो मेरी बात और रोना बंद करो. कल ही जा कर हम मंदिर में शादी कर लेंगे. नहीं चाहिए मुझे मां का आशीर्वाद,’’ जैसे प्रतीक फैसला कर के आया था.

प्रतीक की बातों पर मैं चौंक गई, ‘‘पर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं प्रतीक?’’ मैं ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा.

‘‘तो मुझे भूल जाओ क्योंकि मां कभी हमें एक होने नहीं देंगी और मैं…? कहतेकहते प्रतीक चुप हो गया.’’

थोड़ी चुप्पी के बाद मैं ने ही कहा, ‘‘अभी मैं कुछ नहीं कह सकती हूं.’’ प्रतीक और मेरे बीच हुई बात मैं ने मां को बताई.

मां कहने लगी, ‘‘ऐसी शादी का क्या मतलब जिस से बड़ों का आशीर्वाद न मिले और जब उस की मां नहीं चाहतीं कि यह शादी हो तो मेरी बेटी कोई बोझ नहीं है हमारे ऊपर. और बेटा, शादी सिर्फ लड़का और लड़की से नहीं, बल्कि पूरे परिवार से होता है.’’

मैं ने सोचा कि मां सही कह रही थीं. अपने मन को कड़ा कर मैं ने अपना फैसला प्रतीक को सुना दिया. सब बातों को भूल, अपना मन काम और घर में रमाने लगी. पर जब आप किसी से बेइंतहा प्यार करते हैं तो उसे भूलना इतना आसान नहीं होता. पर मैं कोशिश कर रही थी. कई बार प्रतीक का फोन भी आया पर मैं ने कोई तवज्जो नहीं दी.

कुछ महीने बाद ही मेरी दीदी मेरे लिए एक रिश्ता ले कर आईं जो उन की ननद के रिश्ते में था. पर पापा ने लड़के वालों को सब बता दिया कि मैं मंगली हूं और इस वजह से मेरी शादी टूट गई थी.

लड़की के परिवार वाले कहने लगे, ‘‘हम मंगलीअंगली कुछ नहीं मानते. बस लड़कालड़की एकदूसरे को पसंद कर लें.’’

जल्द से जल्द मैं प्रतीक को अपनी यादों से मिटाना चाहती थी इसलिए शादी के लिए मैं ने तुरंत हां कर दिया. ज्यादा तामझाम लड़के वालों को भी नहीं पसंद था. बड़ी ही सादगी से मेरी शादी वरुण के संग हो गई. कहां मैं प्रतीक की दुलहन बनने वाली थी और बन गई वरुण की दुलहन. शादी के बाद मैं मुंबई आ गई और अपना तबादला भी मुंबई में ही करवा लिया. वरुण जैसा दिलोजान से प्यार करने वाला पति पा कर मैं पूरी तरह से प्रतीक को भूल चुकी थी. जिगर और साक्षी के आने के बाद तो हमारा जीवन और भी खुशियों से भर उठा था.

सुबह मन तो नहीं था पर प्रतीक ने बात ही ऐसी बोल दी थी कि जाने मां कब तक जिंदा रहें, यही सोच कर मैं ने आंटी से मिलने का मन बना लिया. सोचा अब क्या बैर रखना?

मुझे देखते ही, आंटी रो पड़ी और अपने सीने से लगाते हुए कहने लगीं, ‘‘बेटा, मुझ अभागन को माफ कर देना. तुम क्या गईं, तुम्हारे अंकल भी हमें छोड़ कर चले गए और जातेजाते बोल गए, ‘‘अपनी करनी पर पछताओगी. उन की बात लग गई. मैं बहुत पछता रही हूं. हीरा फेंक कांच का टुकड़ा उठा लिया अपने बेटे के लिए. बेटा, मैं अंधविश्वास के दलदल में फंस गई थी.’’ कह कर आंटी फिर फफक पड़ीं.

‘‘तो क्या हुआ जो हम सासबहू न बन पाए तो? मांबेटी सा रिश्ता तो है न हमारा, मां,’’ कह कर मैं उन के गले लग गई.’’

कैसे पाएं ब्लैकहैड्स फ्री त्वचा

ब्लैकहैड्स की समस्या सभी स्किन टोन पर हो जाती है. त्वचा कई प्रकार की होती है, जैसे नौर्मल, ड्राई, औयली और टीशेप्ड जिस में माथे और नाक की त्वचा गालों की अपेक्षा ज्यादा औयली होती है. ब्लैकहैड्स की समस्या ज्यादातर औयली और टीशेप्ड त्वचा पर होती है. सिबेशस गं्रथि के सीबम के अत्यधिक रिसाव से ब्लैकहैड्स, वाइट हैड्स, पिंपल्स, एक्ने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. त्वचा के औयली होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे आनुवंशिकता, खानपान, हारमोनल परिवर्तन, गर्भधारण, बर्थ कंट्रोल पिल्स, गलत कौस्मैटिक्स, आर्द्रता या गरम वातावरण. युवावस्था में औयली स्किन की समस्या ज्यादा परेशान करती है और आयु बढ़ने के साथ एक्ने में भी तबदील हो सकती है.

कैसे उत्पन्न होते हैं ब्लैकहैड्स 

त्वचा की बनावट 3 प्रमुख भागों में होती है- एपिडर्मिस, डर्मिस और सबडर्मिस. औयल ग्लैंड डर्मिस पार्ट में होती है. यही सीबम उत्पन्न करती है. जब सीबम हेयर फौलिकल ट्यूब में जम जाता है, तो ट्यूब ब्लौक हो जाती है. प्रत्येक हेयर फौलिकल, र्मिस लेयर से एपिडर्मिस लेयर में छोटेछोटे छिद्रों के द्वारा खुलता है. जब ये छिद्र ब्लौक हो जाते हैं, तब ब्लैकहैड्स बन जाते हैं. आमतौर पर ये नाक और चेहरे पर उत्पन्न होते हैं.

नियमित देखभाल

किशोरावस्था में ही यह समस्या शुरू हो जाती है. 12 से 16 साल की आयु में ब्लैकहैड्स ज्यादा हो सकते हैं. ये न हों, इस के लिए त्वचा की नियमित देखभाल जरूरी है. दिन में 2-3 बार फेसवाश इस्तेमाल करें या किसी अच्छे माइल्ड सोप से चेहरा धोएं ताकि चेहरे पर मैल जमा न हो. मैल से ब्लैकहैड्स पिंपल्स में तबदील हो जाते हैं. इन से नजात पाने के लिए क्लींजिंग करें ताकि सीबम डिजौल्व हो जाए. इस से ब्लैकहैड्स होने की संभावना कम हो जाती है. खासतौर से औयली स्किन वाली महिलाओं को माह में 1 बार फेशियल जरूर कराना चाहिए और औयली स्किन के हिसाब से सूटेबल सौंदर्य उत्पाद ही इस्तेमाल करने चाहिए. तैलीय त्वचा के लिए सूटेबल नाइट क्रीम का इस्तेमाल करें. रोज रात को चेहरा धो कर इसे लगाएं.

क्लीनिकल ट्रीटमैंट

ब्लैकहैड्स को क्लीनिकल ट्रीटमैंट से भी निकलवाया जा सकता है. पहले क्लीन से चेहरे को अच्छी तरह साफ किया जाता है, फिर स्क्रब करने के पश्चात स्टीम दे कर ब्लैकहैड्स रिमूव किए जाते हैं.

घरेलू तरीके

जूनियर औयल, ट्रीट्री औयल और सैंडलवुड औयल की 1-1 बूंद मिक्स कर के प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. फिर हलके हाथों से त्वचा को दबा कर कौटन से ब्लैकहैड्स हटाएं. इस के साथ ही डेली क्लींजिंग भी करें.

डाइट का रहे ध्यान

त्वचा संबंधी रोगों से बचने के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी है. जब तक शरीर से स्वस्थ नहीं होंगी, चेहरे से हैल्दी नहीं दिखेंगी. स्किन को ग्लोइंग बनाने और त्वचा के रोगों से बचने के लिए फल और ताजा सब्जियां लें. चाकलेट, अलकोहल, फास्टफूड और जंक फूड से परहेज करें. दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं. इस से शरीर के टाक्सिंस निकल जाते हैं.

Disha Parmar ने दिया नन्हीं परी को जन्म, खुशी में झूम उठे पापा राहुल वैद्य

बिग बॉस 14 फेम सिंगर राहुल वैद्य और एक्ट्रेस दिशा परमार टीवी इंडस्ट्री के सबसे क्यूट कपल है. इन दोनों की जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते है. अभी हाल ही में राहुल वैद्य और दिशा परमार एक बेटी के माता-पिता बन गए हैं! राहुल ने खुलासा किया था कि उनका बच्चा गणेश चतुर्थी के दौरान आने वाला है. अभिनेता-गायक ने अपने फैंस को बताया कि मां और बच्चा दोनों ठीक हैं.

राहुल-दिशा ने बेबी गर्ल का वेलकम किया

टीवी एक्ट्रेस दिशा परमार ने मई में प्रेग्नेंसी की घोषणा करने के बाद, राहुल वैद्य और दिशा परमार एक बच्ची के माता-पिता बन गए हैं. इसे साझा करते हुए, जोड़े ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “हमें एक बच्ची का आशीर्वाद मिला है! मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और पूरी तरह से ठीक हैं! हम अपने गाइनेक @dhrupidedhia को धन्यवाद देना चाहते हैं जो गर्भधारण करने से लेकर जन्म तक बच्चे की देखभाल कर रहे थे”. हम ख़ुश हैं! कृपया बच्चे को आशीर्वाद दें.”

 

View this post on Instagram

 

A post shared by RAHUL VAIDYA (@rahulvaidyarkv)

 

राहुल वैद्य दिशा परमार के साथ पहले बच्चे का स्वागत कर रहे हैं

राहुल वैद्य ने हाल ही में बताया था कि दिशा परमार की डिलीवरी 19 सितंबर से 25 सितंबर के बीच है. अपनी खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने मीडिया से कहा, ”मैं हर साल की तरह इस बार भी बप्पा को घर ला रहा हूं. और इस साल यह और भी खास है क्योंकि मेरा बच्चा भी लगभग उसी समय आने वाला है. दिशा की डिलीवरी 19-25 सितंबर के बीच होनी है. मैं बस यही उम्मीद कर रहा हूं कि सब कुछ ठीक हो जाए.”

 

View this post on Instagram

 

A post shared by RAHUL VAIDYA (@rahulvaidyarkv)

 

गणपति उत्सव के बारे में बात करते हुए, राहुल ने यह भी कहा, “आमतौर पर, मेरी मां बप्पा की मूर्ति का चयन करने जाती हैं. वह इसे हमारे पारिवारिक व्हाट्सएप ग्रुप में भेजती है और फिर हम सब मिलकर एक को चुनते हैं. दिशा सजावट का ख्याल रखती है और हम हर साल पांच दिनों के लिए बप्पा को घर लाते हैं, इसलिए लोगों का आना जाना लगा ही रहता है. हालांकि दिशा इस साल भी वह सब करेगी, लेकिन निश्चित रूप से, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वह ज़्यादा मेहनत न करे.”

Parineeti-Raghav Wedding: उदयपुर में होगी राघव-परिणीति की रॉयल शादी

बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति और आप नेता राघव चड्ढा जल्द ही शादी के बंधन में बधंने वाले है. राघव-परिणीति की प्री-वेडिंग फक्शन शुरु हो चुके है. बीते दिन कपल की मेहंदी सेरेमनी की तस्वीरें सामने आई है. अभी फिलहाल राघव-परिणीति की शादी के कुछ फक्शन दिल्ली में हो रहे है. उसके बाद 23 और 24 सितंबर को उदयपुर में शादी होगी.

जानें कब चूड़ा और सेहराबंदी की रस्में कब होगी.

वैसे तो राघव और परिणीति की शादी एकदम रॉयल अंदाज में होगी. इस शादी में परिवार-रिश्तेदार, फ्रेंड्स, बॉलीवुड सेलेब्स और तमाम राजनैतिक हास्तियां शिरकत करेंगी. परिणीति और राघव की शादी की तमाम रस्में द लीला पैलेस और ताज पैलेस होटल में की जाएंगी. कौन सी रस्म कब होगी इसका भी पूरा शेड्यूल तैयार है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Instant Bollywood (@instantbollywood)

 

23 सितंबर 2023 को ये हैं फक्शन

• दोपहर के 12 से 4 बजे तक गेस्ट के लिए वेलकम लंच रखा गया है. इसे ग्रेंस ऑफ लव नाम दिया गया है.
• 10 से 1 बजे के बीच फ्रेस्को आफ्टरनू होस्ट की जाएगी जिसे ब्लूम्स एंड बाइट्स नाम दिया गया है.
• सुबह 10 बजे ही परिणीति की चूड़ा रस्म की जाएगी. जिसका नाम परिणीति ज चूड़ी सेरेमनी का नाम दिया गया है.
• शाम 4 बजे गेस्ट के लिए 90’s थीम बेस्ड पार्टी होगी.

24 सितंबर 2023 को ये हैं फक्शन

• दोपहर 1 बजे राघव चड्ढा की सेहराबंदी की जाएगी.
• दोपहर 2 बजे राघव बारात लेकर ताज लैक पैलेस से रवाना होंगे.
• दोपहर 3.30 बजे जयमाला होगी और इसके बाद 4 बजे फेरो का टाइम तय हुआ
• शाम 6.30 बजे परिणीति की अपने पति संग लीला पैलेस से विदा होंगी.

इस समय पर किसी की निगाहें इन दोनों कपल की शादी पर टिकी है. लोग काफी ब्रेसब्री से परिणीति को राघव की दुल्हानियां बनें का इंतजार कर रहे है. अपनी शादी में परिणीति मनीष मल्होत्रा द्वारा डिजाइन किया गया आउटफिट पहनेंगी.

फेसबुक फ्रैंडशिप: भाग 1- वर्चुअल दुनिया में सचाई कहां है

शुरुआत तो बस यहीं से हुई कि पहले उस ने फेस देखा और फिदा हो कर फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी. रिक्वैस्ट 2-3 दिनों में ऐक्सैप्ट हो गई. 2-3 दिन भी इसलिए लगे होंगे कि उस सुंदर फेस वाली लड़की ने पहले पूरी डिटेल पढ़ी होगी.

लड़के के फोटो के साथ उस का विवरण देख कर उसे लगा होगा कि ठीकठाक बंदा है या हो सकता है कि तुरंत स्वीकृति में लड़के को ऐसा लग सकता है कि लड़की उस से या तो प्रभावित है या बिलकुल खाली बैठी है जो तुरंत स्वीकृति दे कर उस ने मित्रता स्वीकार कर ली.

यह तो बाद में पता चलता है कि यह भी एक आभासी दुनिया है. यहां भी बहुत झूठफरेब फैला है. कुछ भी वास्तविक नहीं. ऐसा भी नहीं कि सभी गलत हो. ऐसा भी हो सकता है कि जो प्यार या गुस्सा आप सब के सामने नहीं दिखा सकते, वह अपनी पोस्ट, कमैंट्स, शेयर से जाहिर करते हो.

अपनी भावनाएं व्यक्त करने का साधन मिला है आप को, तो आप कर रहे हैं अपने को छिपा कर किसी और नाम, किसी और के फोटो या किसी काल्पनिक तसवीर से. यदि अपनी बात रखने का प्लेटफौर्म ही चाहिए था तो उस में किसी अप्सरा की तरह सुंदर चेहरा लगाने की क्या जरूरत थी? आप कह सकती हैं कि हमारी मरजी. ठीक है, लेकिन है तो यह फर्जी ही. आप साधारण सा कोई चित्र, प्रतीक या फिर कोई प्राकृतिक तसवीर लगा सकते थे.

खैर, यह कहने का हक नहीं है. अपनी मरजी है. लेकिन जिस ने फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी उस ने उस मनोरम छवि को वास्तविक जान कर भेजी न आप को? आप शायद जानती हो कि मित्र संख्या बढ़ाने का यही साधन है, तो भी ठीक है, लेकिन बात जब आगे बढ़ रही हो तब आप को समझना चाहिए कि आगे बढ़ती बात उस सुंदर चित्र की वजह से है जो आप ने लगाई हुई है अपने फेसबुक अकांउट पर.

आप ने अपने विषय में ज्यादा कोई जानकारी नहीं लिखी. आप से पूछा भी मैसेंजर बौक्स पर जा कर. और पूछा तभी, जब बात कुछ आगे बढ़ गई थी. कोई किसी से यों ही तो नहीं पूछ लेगा कि आप सिंगल हो. और आप का उत्तर भी गोलमोल था. यह मेरा निजी मामला है. इस से हमारी फेसबुक फ्रैंडशिप का क्या लेनादेना?बात लाइक और कमैंट्स तक सीमित नहीं थी.

बात मैसेंजर बौक्स से होते हुए आगे बढ़ती जा रही थी. इतनी आगे कि जब लड़के ने मोबाइल नंबर मांगा तो लड़की ने कहा, ‘‘फोन नहीं, मेल से बात करो. फोन गड़बड़ी पैदा कर सकता है. किस का फोन था, कौन है वगैराहवगैरहा.’’अब मेल पर बात होने लगी. शुरुआत में लड़के  ने फेस देखा. मित्र बन जाने पर लड़के ने विवरण देखा उसे पसंद आया.

उसे किसी बात की उम्मीद जगी. भले ही वह उम्मीद एकतरफा थी. उसे नहीं पता था शुरू में कि वह जिस दुनिया से जुड़ रहा है वहां भ्रम ज्यादा है,  झूठ ज्यादा है. पहले लड़की के हर फोटो, हर बात पर लाइक, फिर अच्छेअच्छे कमैंट्स और शेयर के बाद निजी बातें जानने की जिज्ञासा हुई दोनों तरफ से. हां, यह सच है कि पहल लड़के की तरफ से हुई. लड़के ही पहल करते हैं. लड़कियां तो बहुत सोचनेविचारने के बाद हां या नहीं में जवाब देती हैं. बात आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी लड़के पर ही आती है समाज, संस्कारों के तौर पर. तो शुरुआत लड़के ने ही की.

इंटरनैट की दुनिया में आ जाने के बाद भी समाज, संस्कार नहीं छूट रहे हैं यानी 21वीं सदी में प्रवेश किंतु 19वीं सदी के विचारों के साथ. फे  सबुक पर सुंदर चेहरे से मित्रता होने पर लड़के के अंदर उम्मीद जगी. विस्तृत विवरण देख कर उस ने हर पोस्ट पर लाइक और सुंदर कमैंट्स के ढेर लगा दिए. बात इसी तरह धीरेधीरे आगे बढ़ती रही.

लड़की के थैंक्स के बाद जब गुडमौर्निंग, गुडइवनिंग और अर्धरात्रि में गुडनाइट होने लगी तो किसी भाव का उठना, किसी उम्मीद का बंधना स्वाभाविक था. लगता है कि दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई है. लड़के को तो यही लगा. लड़के ने विस्तृत विवरण में जाति, धर्म, शिक्षा, योग्यता, आयु सब देख लिया था. पूरा स्टेटस पढ़ लिया था और उस को ही अंतिम सत्य मान लिया था.

जो बातें स्टेटस मेें नहीं थीं, उन्हें लड़का पूछ रहा था और लड़की जवाब दे रही थी. जवाब से लड़के को स्पष्ट जानकारी तो नहीं मिल रही थी लेकिन कोई दिक्कत वाली बात भी नजर नहीं आ रही थी. फेसबुक पर ऐसे सैकड़ों, हजारों की संख्या में मित्र होते हैं सब के. आमनेसामने की स्थिति न आए, इसलिए एक शहर के मित्र कम ही होते हैं. होते भी हैं तो लिमिट में बात होती है. सीमित लाइक या कमैंट्स ही होते हैं खास कर लड़केलड़की के मध्य.लड़का छोटे शहर का था.

विचार और खयालात भी वैसे ही थे. लड़कियों से मित्रता होती ही नहीं है. होती है तो भाई बनने से बच गए तो किसी और रिश्ते में बंध गए. नहीं भी बंधे तो सम्मानआदर के भारीभरकम शब्दों या किसी गंभीर विषय पर विचारविमर्श, लाइक, कमैंट्स तक. ऐसे में और उम्र के 20वें वर्ष में यदि किसी दूसरे शहर की सुंदर लड़की से जब बात इतनी आगे बढ़ जाए तो स्वाभाविक है उम्मीद का बंधना.फोटो के सुंदर होने के साथसाथ यह भी लगे कि लड़की अच्छे संस्कारों के साथसाथ हिम्मत वाली है.

किसी विशेष राजनीतिक दल, जाति, धर्म के पक्ष या विपक्ष में पूरी कट्टरता और क्रोध के साथ अपने विचार रखने में सक्षम है और आप की विचारधारा भी वैसी ही हो. आप जब उस की हर पोस्ट को लाइक कर रहे हैं तो जाहिर है कि आप उस के विचारों से सहमत हैं. लड़की की पोस्ट देख कर आप उस के स्वतंत्र, उन्मुक्त विचारों का समर्थन करते हैं, उस के साहस की प्रशंसा करते हैं और आप को लगने लगता है कि यही वह लड़की है जो आप के जीवन में आनी चाहिए.

आप को इसी का इंतजार था.बात तब और प्रबल हो जाती है जब लड़का जीवन की किसी असफलता से निराश हो कर परिवार के सभी प्रिय, सम्माननीय सदस्यों द्वारा लताड़ा गया हो, अपमानित किया गया हो, अवसाद के क्षणों में लड़के ने स्वयं को अकेला महसूस किया हो और आत्महत्या करने तक का विचार मन में आ गया हो. तब जीवन के एकाकी पलों में लड़के ने कोई उदास, दुखभरी पोस्ट डाली हो. लड़की ने पूछा हो कि क्या बात है और लड़के ने कह दिया हाले दिल का.

लड़की ने बंधाया हो ढांढ़स और लड़के को लगा हो कि पूरी दुनिया में बस यही है एक जीने का सहारा.लड़के ने पहले अपने ही शहर में महिला मित्र बनाने का प्रयास किया था, जिस में उसे सफलता भी मिली थी. लड़की खूबसूरत थी. पढ़ीलिखी थी. स्टेटस में खुले विचार, स्वतंत्र जीवन और अदम्य साहस का परिचय होने के साथ कुछ जबानी बातें भी थीं.

लड़के ने इतनी बार उस लड़की का फोटो व स्टेटस देखा कि दोनों उस के दिलोदिमाग में बस गए. फोटो कुछ ज्यादा ही. अपने शहर की वही लड़की जब उसे रास्ते में मिली तो लड़के ने कहा, ‘‘नमस्ते कल्पनाजी.’’लड़की हड़बड़ा गई, ‘‘आप कौन? मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ लड़के ने खुशी से अपना नाम बताते हुए कहा, ‘‘मैं आप का फेसबुक फ्रैंड.’’और लड़की ने गुस्से में कहा, ‘‘फेसबुक फ्रैंड हो तो फेसबुक पर ही बात करो. घर वालों ने देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी.

गर्भावस्था में इसे करें अपनी डाइट में शामिल, स्वस्थ होता है बच्चा

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के खानपान का विशेष ध्यान दिया जाता है. इस दौरान गर्भवती महिला के डाइट का सीधा प्रभाव उसके बच्चे पर भी होता है. इसलिए जरूरी है कि उसके पोषण का खासा ख्याल रखा जाए. जानकारों की माने तो गर्भावस्था के दौरान अंडा खाना बेहद फायदेमंद होता है. अंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, सेलेनियम, जिंक, विटामिन A, D और कुछ मात्रा में B कौम्प्लेक्स भी पाया जाता है. जो शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करने का सबसे बेहतर सूपर फूड है.

कई तरह के स्टडीज से भी ये बात सामने आई है कि गर्भावस्था के दौरान अंडा खाने से बच्चे का दिमाग तेज होता है. इसके साथ ही उसकी सीखने की क्षमता भी तेज होती है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था में अंडा खाना कैसे लाभकारी है और आपके बच्चे पर उसका सकारात्मक असर कैसे होगा.

अंडा प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. इसमें प्रोटीन की प्रचूरता होती है. आपको बता दें कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए प्रोटीन बेहद जरूरी तत्व होता है. असल में उसकी हर कोशिका का निर्माण प्रोटीन से होता है. गर्भावस्था में अंडा खाने से भ्रूण का विकास बेहतर होता है.

आपको बता दें कि गर्भवती महिला के लिए एक दिन में दो सौ से तीन सौ तक एडिशनल कैलोरी लेनी चाहिए. इससे उसे और बच्चे, दोनों को पोषण मिलता है. अंडे में करीब 70 कैलोरी होती है जो मां और बच्चे दोनों को एनर्जी देती है.

आपको बता दें कि अंडे में 12 तरह के विटामिन्स होते हैं. इसके अलावा कई तरह के लवण भी इसमे होते हैं. इनमें मौजूद choline और ओमेगा-3 फैटी एसिड बच्चे के संपूर्ण विकास को बढ़ावा देते हैं. इसके सेवन से बच्चे को मानसिक बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है और उसका दिमागी विकास भी होता है.

अगर गर्भवती महिला का ब्लड कोलेस्ट्रौल स्तर सामान्य है तो वह दिन में एक या दो अंडे खा सकती है. अंडे में कुछ मात्रा में सैचुरेटेड फैट भी होता है. अगर महिला का कोलेस्ट्रौल लेवल अधिक है तो उसे जर्दी वाला पीला हिस्सा नहीं खाना चाहिए.

मेरे पिताजी को डायबिटीज है, उन्हें चश्मा से कम दिखता है, क्या ये गंभीर समस्या है

सवाल

मेरे पिताजी को डायबिटीज है. उन्हें चश्मा लगाने के बाद भी धुंधला दिखाई देता है? क्या यह आंखों से संबंधित किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत है?

जवाब

यह समस्या उन्हें डायबिटिक रैटिनोपैथी के कारण हो रही है. रक्त में शुगर के उच्च स्तर के कारण रैटिना क्षतिग्रस्त हो जाता है. अगर समय रहते इस का डायग्नोसिस और उपचार न कराया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इसीलिए जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें हर 6 महीनों में अपनी आंखों की जांच कराने के लिए कहा जाता है. आप तुरंत उन की आंखों की जांच कराएं और रक्त में शुगर के स्तर को भी अनियंत्रित न होने दें.

ये भी पढ़ें…

मैं एक इवेंट मैनेजमैंट कंपनी में काम करती हूं. मैं दूर का चश्मा लगाती है लेकिन मैं इस से छुटकारा पाना चाहती हूं. क्या मैं लैसिक सर्जरी करा सकती हूं?

जवाब

लैसिक यानी लेजर असिस्टेचड इन सिटु केरैटोमिलियोसिस, निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) और दूर दृष्टिन दोष (हाइपरमैट्रोपिया) को ठीक करने के लिए उपचार का एक नवीनतम विकल्प है. यह एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है, जिसे करने में 15 मिनट से कम का समय लगता है. लैसिक प्रत्येक के लिए उपयुक्त नहीं है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें अधिक नंबर के चश्मे लगते हैं और जिन का कार्निया पतला है. आप किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ से इस बारे में सलाह लें कि लैसिक आप के लिए कितनी उपयुक्त है या आप के लिए उपचार का कोई और विकल्प ठीक रहेगा.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055. व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

टेस्टी मसाला राइस डोनट और कैप्सिकम लौलीपौप घर पर बनाएं

जब हमें शाम को भूख लगती है तो कुछ न कुछ जरुर खाने का मन करता है. ऐसे में कुछ टेस्टी और झटपट बनने वाली डिश देखते है. तो घर में बनाएं टेस्टी मसाला राइस डोनट और कैप्सिकम लौलीपौप. आइए देखिए रेसिपी.

 1. मसाला राइस डोनट

सामग्री

1.  2 कप चावल उबले

 2.  2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर

 3. 2 आलू उबले 

 4. 1 बड़ा चम्मच प्याज बारीक कटा 

 5.  2 हरीमिर्चें बारीक कटी 

 6.  1 छोटा चम्मच अदरक का लच्छा 

 7.  1/4 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर 

 8.  1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

 9. 1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला 

 10. 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला 

 11. थोड़े से छोले उबले और तेल तलने के लिए

12.  नमक स्वादानुसार.

विधि

दोनों आलू छील लें. एक को कद्दूकस करें और दूसरे के छोटे टुकड़े कर लें. चावलों को मैश कर के कद्दूकस किए आलू के साथ मिला लें. तेल, आलू के टुकड़े व उबले छोले छोड़ बाकी सारी सामग्री इन के साथ अच्छी तरह मिला कर डो बना लें. इस डो को तेल लगे सिलीकौन के डोनट मोल्ड्स में भर कर डोनट बना लें.

कड़ाही में तेल गरम करें. सारे डोनट तेल में डाल कर मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें. मसाला राइस डोनट आलू के टुकड़े, उबले छोले व टोमैटो कैचअप के साथ सर्व करें.

2. टेस्टी कैप्सिकम लौलीपौप

सामग्री

1.  1 कप सूजी बारीक 

 2. 1/2 कप आलू उबले मैश किए 

 3. 2 बड़े चम्मच अरारोट 

 4. 1/4 हरी शिमलामिर्च

 5.   1/4 पीली शिमलामिर्च द

 6. 1/4  लाल शिमलामिर्च 

 7.  2 हरीमिर्चें 

 8. 1/2 प्याज

 9.  1/4 खीरा 

 10. 2 बड़े चम्मच हरा धनिया

 11.  1 छोटी गांठ अदरक 

 12. 1 छोटा चम्मच रैड चिली फ्लैक्स 

 13.  1 छोटा चम्मच चाटमसाला

 14.  1/4 कप हरी चटनी 

 15.  तलने के लिए तेल तथा कुछ आइसक्रीम स्टिक्स 

 13.  नमक स्वादानुसार.

विधि

सारी सब्जियां बारीक काट लें. हरी चटनी, तेल तथा आइसक्रीम स्टिक्स छोड़ कर बाकी सारी सामग्री एक बाउल में डाल कर अच्छी तरह मिला कर गूंध लें. आवश्यकता हो तो थोड़ा पानी मिला लें. 10 मिनट बाद तैयार मिश्रण से नीबू के आकार की बौल्स बनाएं. इन्हें हथेली से दबाएं और इन में आइसक्रीम स्टिक्स लगा कर लौलीपौप बना लें. पैन में तेल गरम करें. तैयार लौलीपौप्स को मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक फ्राई कर के हरी चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

महंगा पड़ता है कर्ज का जाल

फिल्मों में भव्य सैटों के पीछे बड़ी मेहनत होती है और हर फिल्म में आर्ट डाइरैक्टर का बड़ा काम होता है. नितिन देसाई ने  ‘1942 ए लव स्टोरी,’ ‘हम दिल दे चुके सनम,’ ‘लगान,’ ‘देवदास,’ ‘जोधा अकबर’ जैसी फिल्मों के सैट बना कर फिल्म इंडस्ट्री में उस का बड़ा नाम था. पर सफलता जब सिर पर चढ़ने लगती है तो अकसर अच्छेभले नाक के आगे देखना बंद कर देते हैं.

नितिन देसाई ने 2005 में कर्जत रोड, मुंबई के पास 52 एकड़ जगह में एक भव्य स्टूडियो बनाया और सोचा कि वह जल्द ही मालामाल हो जाएगा. बहुत सी फिल्मों और टीवी धारावाहियों की शूटिंग वहां हुई थी पर हर सफलता के लिए एक व्यावहारिक व व्यावसायिक बुद्धि चाहिए होती है. जिन के सपने ऊंचे होते हैं और कुछ सफलताओं के सर्टिफिकेट हाथ में होते हैं वे अकसर अपनी सीमाएं भूल जाते हैं नितिन देसाई भी उन्हीं में से एक था.

58 साल के नितिन देसाई पर 252 करोड़ का कर्ज चढ़ गया और उसे यह साफ हो गया कि सबकुछ बेचने के बाद भी यह कर्ज चुकाया नहीं जा सकता. इसलिए इस मेधावी, इन्नोवेटिव आर्ट डाइरैक्टर ने तमाशदारों की जिद के कारण अपने को फांसी लगा कर जीवन लीला समाप्त कर ली.

सफलता पर गर्व करना जरूरी है पर उस में अंधा हो जाना भी गलत है. नितिन देसाई जैसे लोग कागजों पर वैसे ही सपनों के महल बना लेते हैं जैसे वे कच्ची लकड़ी, प्लाईबोर्ड और प्लास्टर औफ पैरिस के महल बनाते हैं. कर्ज लेते समय उन्हें सफलता का पूरा अंदाजा होता है. व्यावहारिक बुद्धि काल्पनिक सैंटों में खो जाती है.

यह हर देशप्रदेश में होता है. सैकड़ों लोग केवल ओवर ऐंबीशियन में फिसल जाते हैं. देश के औद्योगिक क्षेत्र आज मरघटों की तरह लगते हैं तो इसलिए कि नितिन देसाई जैसों की कमी नहीं है. बैंक कर्जा दे तो देते हैं पर तब तक वसूली के पीछे पड़े रहते हैं, जब तक कर्ज लेने वाला कंगाल और कंकाल न बन जाए.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें