क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी और कब की जाती है

मोटापा एक गंभीर वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बन चुका है जिसके कारण कई तरह के क्रोनिक विकार जैसे कि मधुमेह (डायबिटीज़), हृदय रोग (कार्डियोवास्‍क्‍युलर डिज़ीज़) और जोड़ों की समस्‍याएं (बोन ज्‍वाइंट्स) पनपने लगती हैं. बेहद गंभीर किस्‍म के मोटापे से पीड़ि‍त लोगों के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी एक ऐसे संभावित समाधान के रूप में सामने आयी है जो वज़न घटाने के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य में भी सुधार लाने में मददगार है. लेकिन यह याद रखना महत्‍वपूर्ण है कि बेरियाट्रिक सर्जरी सभी के लिए एक जैसे तरीके से उपयोगी साबित नहीं होती और लंबे समय तक इसकी कामयाबी के लिए अपने लक्ष्‍यों के लिए प्रतिबद्धता होना और लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाना जरूरी होता है.

एक्सपर्ट व्यू

डॉ संजय वर्मा, डायरेक्‍टर, मिनीमल एक्‍सेस, जीआई एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली बताते हैं कि बेरियाट्रिक सर्जरी में कई तरह की प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है, जिसमें गैस्ट्रिक बायपास, स्‍लीव गैस्‍ट्रैक्‍टमी, और एडजस्‍टैबल गैस्ट्रिक बैंडिंग प्रमुख हैं. ये प्रक्रियाएं या तो पेट में खाद्य पदार्थों के समाने की क्षमता सीमित करती हैं या न्यूट्रिएंट्स का अवशोषण घटाती हैं. जिसके चलते तेजी से न सिर्फ वज़न कम होता है बल्कि मोटापे से जुड़ी कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी दूर होती हैं. इस प्रक्रिया से मरीजों को न केवल ब्‍लड शुगर कंट्रोल होता है, वरन ब्‍लड प्रेशर और कलेस्‍ट्रॉल में भी सुधार होता है और इनसे जुड़े रोगों का जोखिम भी घटता है.

कैसे करती है कार्य

बेरियाट्रिक सर्जरी द्वारा लंबे समय के लिए वज़न कम होने की संभावना के पीछे एक प्रमुख कारण है कि यह भूख को नियंत्रित करती है. इस प्रक्रिया से आंतों और मस्तिष्‍क के बीच संचार में बदलाव होता है. जिसके परिणामस्‍वरूप भूख घटती है और मरीज को पेट भरा होने का अहसास बना रहता है. लेकिन बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता मरीज द्वारा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और उसका पालन करने पर निर्भर करती है. हालांकि सर्जरी के बाद से ही वेट लॉस की शुरुआत हो जाती है लेकिन वजन को बढ़ने नहीं देने के लिए आहार में सुधार, नियमित शारीरिक व्‍यायाम और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट की आवश्‍यकता भी होती है.

 क्या व्यक्ति हमेशा के लिए वजन कम कर पता है

यह भी समझना होगा कि बेरियाट्रिक सर्जरी भविष्‍य में वजन न बढ़ने की गारंटी नहीं होती. इस प्रक्रिया को करवाने वाले मरीजों को आहार संबंधी निर्देशों और बतायी गई शारीरिक गतिविधियों का नियमित रूप से पालन करना जरूरी है, ताकि पेट की थैली में कोई फैलाव न हो. जिसकी वजह से वजन दोबारा बढ़ने लगता है. इसके अलावा, बेरियाट्रिक सर्जरी की उपयोगिता अलग-अलग व्‍यक्तियों पर अलग-अलग ढंग से अपना असर दिखाती है जो उनकी मेडिकल तथा मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर निर्भर है.

यह सर्जरी कब है कामयाब

बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता काफी हद तक पोस्‍ट-ऑपरेटिव सपोर्ट तथा फौलो-अप पर टिकी होती है. चिकित्‍सक, आहार-विशेषज्ञ और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों की भी भूमिका अहम् होती है जो मरीजों को खान-पान की नई आदतों के मुताबिक ढालने की चुनौतियों और भावनात्‍मक स्‍तर पर आ रहे बदलावों के लिए तैयार करते हैं. नियमित जांच और लगातार दिया गया मार्गदर्शन मरीजों को वजन घटाने की राह में आने वाली परेशानियों से निपटने में भी सहायक साबित होता है.

निष्कर्ष

संक्षेप में, बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे को दूर करने का एक संभावनाशील समाधान है, जो तुरंत वेट लॉस की शुरुआत कर संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में भी सुधार ला सकती है. लेकिन यह समझना महत्‍वपूर्ण है कि सर्जरी अपने आप में कोई जादू की छड़ी नहीं. लंबे समय तक वजन नियंत्रित रखने के लिए काफी कुछ करना जरूरी है जैसे कि लाइफस्‍टाइल में बदलाव, खान-पान में सुधार, नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां और मनोवैज्ञानिक स्‍तर पर सपोर्ट. बेरियाट्रिक सर्जरी ऐसा टूल है जो मरीजों के समर्पण और सहयोगी हेल्थकेयर टीम के साथ मिलकर वेट लॉस के लक्ष्‍य को स्‍थायी रूप से साकार कर मरीजों के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार का भरोसा भी दिला सकता है.

एक्सपर्ट के मुताबिक बेरियाट्रिक सर्जरी वास्‍तव में, मोटापे के खिलाफ एक महत्‍वपूर्ण टूल साबित हो सकता है, लेकिन इसके लिए मरीजों का अपना नजरिया और स्‍वस्‍थ जीवनशैली के लिए उनके खुद के प्रयास भी काफी मायने रखते हैं.

अगर ड्राई स्किन है तो ब्राइड कैसे करें मेकअप

आपकी शादी का दिन आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और यादगार दिनों में से एक होता है. इस खास दिन पर आपके लुक को परफेक्ट दिखना महत्वपूर्ण है, खासकर अगर आपकी त्वचा शुष्क है तो. शुष्क त्वचा के साथ मेकअप करना कुछ मुश्किल हो सकता है, लेकिन सही तरीके और तकनीकों के साथ, आप शानदार दुल्हन लुक पा सकती हैं, जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा.

  1. त्वचा केयर

अपने ब्राइडल मेकअप रुटीन की शुरुआत करें. पर्याप्त पानी पीकर अपनी त्वचा को हाइड्रेट करें. एक साफ्ट क्लींस़र का उपयोग करें. उसके बाद एक हाइड्रेटिंग टोनर और एक थिक मोइस्चराइज़र का उपयोग करके मेकअप बेस बनाएं.

2. एक्सफोलिएंट का प्रयोग

सूखी त्वचा के लिए नियमेकअप के लिए एक समरस आधार मिले।मित रूप से एक्सफोलिएशन महत्वपूर्ण है. हफ्ते में एक या दो बार एक्सफोलिएट करें ताकि  सूखी और पापड़ेदार त्वचा हट जाए.

3. प्राइमर और हाइड्रेशन

हाइड्रेटिंग प्राइमर का चयन करें जो आपकी त्वचा में नमी को लॉक करके मेकअप के लिए एक बेस बना सके. ग्लिसरीन व हायल्यूरोनिक एसिड जैसे  जैसे प्राइमर का चयन करें ताकि त्वचा को अतिरिक्त हाइड्रेशन मिल सके.

4. फाउंडेशन का चयन

जब आप फाउंडेशन का चयन कर रहे हैं, तो शुष्क त्वचा के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए फार्मूला का चयन करें. तरल या क्रीम फाउंडेशन आदर्श हैं क्योंकि वे एक ग्लो प्रदान करते हैं और त्वचा को फ्लेकी या केकी दिखने से बचाते हैं.

5. हाइड्रेटिंग कंसीलर

किसी भी दाग या आँख के नीचे के घेरे के लिए, एक क्रीमी, हाइड्रेटिंग कंसीलर का उपयोग करें जो आपकी त्वचा में सहजता से मिक्स हो जाए. मैट या सुखाने वाले कंसीलर से बचें, जो शुष्क स्किन को और अधिक शुष्क बना सकता है.

6. क्रीम ब्लश और हाइलाइटर

क्रीम ब्लश और हाइलाइटर शुष्क त्वचा के लिए बेहतर विकल्प हैं. यह दोनों की स्किन पर रेडिएंट ग्लो प्रदान करते हैं और स्किन को पैची दिखने से बचाते हैं. ब्लश का प्रयोग गालों को हाईलाइट करता है, जो कि आपके फेस का जरूरी हिस्सा है‌.

7. आई और लिप स्किन

क्रीमी आईशैडो का प्रयोग करें. इससे आंखों के नीचे के हिस्से की ड्राइनेस छिपेगी और आपकी नेचुरल ब्यूटी एनहांस होगी. होठों के लिए हाइड्रेटेड लिप बाम का प्रयोग करें जो की होठों की त्वचा को नमी प्रदान कर सकता है और लिप पर उभरे दाग धब्बों को छिपा सकता है. इससे आपकी ओवर ऑल लुक निखर कर आएगी.

8. सेटिंग स्प्रे

अपने मेकअप के लिए सुनिश्चित करें कि यह पूरे दिन रहे इसके लिए हाइड्रेटिंग सेटिंग स्प्रे का उपयोग करें. यह कदम न केवल आपके मेकअप को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि आपकी त्वचा में अतिरिक्त हाइड्रेशन की भी एक अतिरिक्त परत जोड़ता है.

9. टच उप 

दिन के लिए एक छोटा टच अप किट पैक करें, जिसमें एक हाइड्रेटिंग फेशियल मिस्ट, ब्लॉटिंग पेपर्स, एक कॉम्पैक्ट मिरर, और लिपस्टिक या लिप बाम हो.

10. सलाह

अगर शुष्क त्वचा है तो एक्सपर्ट की सलाह लें. वे आपकी त्वचा के मुताबिक सलाह देंगे. शुष्क त्वचा वाली दुल्हन के परफेक्ट मेकअप लुक के लिए उचित स्किनकेयर, हाइड्रेटिंग मेकअप प्रोडक्ट और एक्सपर्ट सलाह जरूरी है.

डिप्रेशन से कैसे करें डील?

WHO के अनुसार, अवसादग्रस्तता विकार (जिसे डिप्रेशन भी कहा जाता है) एक सामान्य मानसिक विकार है. इसमें उदास मनोदशा या लंबे समय तक गतिविधियों में आनंद या रुचि की हानि शामिल है.

डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है. जो लोग दुर्व्यवहार, गंभीर नुकसान या अन्य तनावपूर्ण घटनाओं से गुज़रे हैं उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक होती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अवसाद होने की संभावना अधिक होती है.

डिप्रेशन के कुछ लक्षण, जिनमें शामिल हो सकते हैं:

  •  कमज़ोर एकाग्रता
  • कम आत्मसम्मान की भावनाएँ
  •  भविष्य के प्रति निराशा
  • मरने या आत्महत्या के बारे में विचार
  • नींद में खलल
  • भूख या वजन में परिवर्तन
  • बहुत अधिक थकान या ऊर्जा की कमी महसूस होना।

डिप्रेशन या अवसाद से कुछ इस तरह लड़ा जा सकता है:

  1. किसी थेरेपिस्ट से बात करें

एक चिकित्सक के साथ काम करना अक्सर डिप्रेशन को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. मनोचिकित्सा लोगों को उनकी जीवनशैली को संभव तरीकों से समायोजित करने, उनके तनाव को कम करने और तनाव से निपटने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करती है.जिन मुद्दों को आप मिलकर संबोधित कर सकते हैं उनमें ये हैं कि अपने आत्म-सम्मान को कैसे सुधारें, नकारात्मक से सकारात्मक सोच की ओर कैसे जाएं और तनाव प्रबंधन का अभ्यास कैसे करें.

2. लेखन में स्वयं को अभिव्यक्त करें 

जर्नल में लिखना एक बेहतरीन थेरेपी है और यह अवसाद को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है. आप अपने लेखन में अपने विचारों, भावनाओं और चिंताओं के बारे में खुलकर बात करके तनाव से राहत पा सकते हैं. अपनी निजी पत्रिका में पूरी तरह ईमानदार रहें. अवसाद से जुड़ी अपनी भावनाओं और चुनौतियों को लिखने से दबी हुई भावनाएं दूर हो सकती हैं. आप यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि हर दिन बस कुछ मिनटों के लिए कागज पर कलम रखने के बाद आप कितना बेहतर महसूस करते हैं.

3. अपनी आत्म-छवि को बढ़ावा दें

स्ट्रेस और डिप्रेशन से ग्रस्त लोग अक्सर कम आत्मसम्मान का अनुभव करते हैं, इसलिए अपने बारे में बेहतर महसूस करने के तरीके ढूंढना उपचार का एक महत्वपूर्ण पहलू है. अपने विचारों को अपने सर्वोत्तम गुणों पर केंद्रित करके सकारात्मक सोच का अभ्यास करें. आप जीवनशैली में बदलाव भी कर सकते हैं जो आपके आत्म-सम्मान में सुधार कर सकता है, जैसे स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और उन दोस्तों के साथ समय बिताना जो आपको अच्छा महसूस कराते हैं.

4. शामिल रहें 

यदि आप अवसाद का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आप कम आत्मसम्मान या रुचि की कमी के कारण सामाजिक रूप से अलग हो जाना चाहते हैं और अपने तक ही सीमित रहना चाहते हैं. लेकिन याद रखें कि सामाजिक जीवन महत्वपूर्ण है. अपने दोस्तों के साथ जुड़े रहने के लिए खुद को प्रेरित करें. सामाजिक संपर्क आपको गहरे डिप्रेशन में जाने से और अकेले होने से बचाने में मदद कर सकता हैं. फ़िल्म देखने जाएँ, सैर करें, या बस किसी करीबी दोस्त से मिलें या बाहर डिनर करने चले जाएं, इससे आपका उत्साह बढ़ेगा और आप बेहतर महसूस करेंगे.

5. दूसरों पर निर्भर रहना 

जब अवसाद आपको उदास कर देता है तो परिवार और दोस्त आपको अपने बारे में बेहतर महसूस करने में मदद कर सकते हैं. जब आपको प्रियजनों की आवश्यकता हो तो स्वयं को उन पर निर्भर रहने दें. वे आपको अपनी उपचार योजना का पालन करने, व्यायाम करने, स्वस्थ आहार खाने और आम तौर पर अपना ख्याल रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. आप अन्य लोगों से बात करने के अवसर के लिए अवसादग्रस्त लोगों के लिए एक सहायता समूह में भी शामिल हो सकते हैं जो समझते हैं कि आप किस दौर से गुजर रहे हैं.

6. भोजन और मनोदशा का संबंध बनाएं 

कुछ अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा-3 का उच्च दैनिक सेवन, जो आपको सैल्मन जैसी मछली से या मछली के तेल की खुराक के माध्यम से मिल सकता है, मूड में सुधार कर सकता है. आहार के तत्वों और अच्छे पोषण और डिप्रेशन के बीच कई संबंध हैं. स्वस्थ आहार खाने से आप स्वस्थ, फिट और आकर्षक महसूस कर सकते हैं, जिससे आपका मूड लाइट होगा और साथ ही आत्म-सम्मान में सुधार भी होता है, जबकि अस्वस्थ महसूस करने से डिप्रेशन बढ़ सकता है और नकारात्मक आत्म-धारणा हो सकती है.

7. व्यायाम करें 

व्यायाम शारीरिक लाभ प्रदान करता है जो स्ट्रेस, एंजाइटी या डिप्रेशन से गुजर रहे लोगों की मदद कर सकता है. शारीरिक गतिविधि तनाव से राहत दिलाती है और आपको अच्छा महसूस करा सकती है. साथ ही, एक आकर्षक और चुनौतीपूर्ण कसरत को पूरा करने से आपको जो संतुष्टि मिलती है, वह आपके आत्म-सम्मान को बढ़ा सकती है क्योंकि आप मजबूत और शारीरिक रूप से अधिक फिट हो जाते हैं. जब आप नियमित व्यायाम से अवसाद से लड़ते हैं, तो आप भावनात्मक और शारीरिक रूप दोनो से ही बेहतर महसूस करेंगे.

8. शराब को कहें ना 

जब आप अवसाद से जूझ रहे हों तो शराब कोई समाधान नहीं है, लेकिन कई लोग प्रोब्लम से दूर भागने के लिए शराब का सहारा लेते है. हालांकि, शराब पीने से अवसाद के लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं, और इसको नियंत्रित करने के लिए आप जो दवाएं ले रहे हैं, उन पर शराब का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है. अवसाद को प्रबंधित करने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता होती है, और नशीली दवाओं और शराब से बचना एक स्वस्थ जीवन शैली की कुंजी है.

चावल के आटे से बनाएं हैल्दी स्नैक्स

सुबह के नाश्ते, लंच और डिनर के बाद शाम को या फिर चायकौफी के साथ अथवा छोटीमोटी भूख के लिए हमें अकसर किसी न किसी स्नैक्स की आवश्यकता पड़ती है. यों तो बाजार भांतिभांति के स्नैक्स से भरे होते हैं परंतु बाजार में मिलने वाले स्नैक्स उतने स्वास्थ्यवर्धक नहीं होते. इस का कारण है उन्हें बनाने में खराब क्वालिटी का तेल, मैदा, लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए ढेरों प्रिजर्वेटिव और कलरफुल बनाने के लिए भांतिभांति के रंगों का प्रयोग किया जाता है जो सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह होते हैं.ऐसे क्यों न घर पर ही थोड़े से प्रयास से हैल्दी स्नैक्स बनाए जाएं. घर पर बनाने से ये हैल्दी होने के साथसाथ बाजार की अपेक्षा बहुत अधिक सस्ते भी पड़ते हैं. हम आप को 2 हैल्दी स्नैक्स बनाना बता रहे हैं जिन्हें मैदे की जगह चावल के आटे से बनाया है. ये बहुत हैल्दी भी हैं. आइए जानते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है:

  1. शेजवान राइस रोल

सामग्री

1. 2 कप चावल का आटा 

  2. 1 छोटा चम्मच घी

  3. 1/2 लिटर पानी

   4. 1 शिमलामिर्च बारीक कटी

   5. 1 गाजर 

  6. 1 प्याज बारीक कटा 

   7. 4 हरीमिर्च कटी

    8. 1 टमाटर बारीक कटा 

     9. 1 छोटा चम्मच धनियापत्ती 

     10. 1/4 छोटा चम्मच जीरा 

      11. 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला पाउडर 

      12. 1/4 छोटा चम्मच गरम अमचूर पाउडर 

       13. 1 छोटा चम्मच शेजवान चटनी 

        14.  2 छोटे चम्मच तेल 

         15.  नमक स्वादानुसार.

विधि

पानी में 1/2 चम्मच नमक और 1/2 छोटा चम्मच घी डाल कर उबालें. अब पानी को चावल के आटे में धीरेधीरे मिलाएं. केवल उतना ही पानी मिलाएं जितने में आटा मुट्ठी में बंधने लगे. अब इसे आधा घंटे के लिए ढक कर रख दें.आधे घंटे बाद चावल के आटे को शेष घी डाल कर हाथों से मसल कर चिकना कर लें. इस में सभी सब्जियां, शेजवान चटनी और मसाले मिला कर 3-4 मोटेमोटे रोल बना लें. एक भगौने में 2 लिटर पानी गरम करें. उस पर छलनी रख कर तीनों रोल रख दें. 20 मिनट तक ढक कर पकाएं. 20 मिनट बाद इन्हें ठंडा कर के आधे आधे इंच के गोल टुकड़ों में काट लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल डाल कर इन रोल्स को तेज आंच पर सुनहरा होने तक शैलो फ्राई करें. टिशू पेपर पर निकाल कर टोमैटो सौस या हरी चटनी के साथ सर्व करें.

2. स्पिनैच राइस नाचोज

सामग्री

1.  250 ग्राम पालक

  2. 1 आलू 

   3. 4 हरीमिर्चें

   4. 1 इंच अदरक 

   5. 1 छोटा चम्मच धनियापत्ती

   6. 2 कप चावल का आटा 

    7. 1/4 छोटा चम्मच अजवाइन 

    8. हींग चुटकी भर द्य तलने के लिए तेल 

     9. नमक स्वादानुसार.

विधि

पालक, आलू, हरीमिर्च, अदरक और धनियापत्ती को 1 छोटा चम्मच पानी के साथ ग्राइंड कर के पेस्ट बना लें. अब चावल के आटे में अजवाइन, नमक, हींग और 1 छोटा चम्मच तेल अच्छी तरह मिलाएं ताकि मोयन और नमक पूरे आटे में मिक्स हो जाए. पालक और आलू की प्यूरी को धीरेधीरे आटे में मिलाते हुए आटा गूंधें. तैयार आटे को दो भागों में बांटें, एक हिस्से को एक पौलिथीन पर रखें. ऊपर से दूसरी पौलिथीन रख कर हलके हाथ से बेलन से रोटी बेल कर तवे पर मध्यम आंच पर दोनों तरफ से सेंक लें. इसी प्रकार अन्य रोटियां भी तैयार कर लें. गरम रोटियों से तिकोनी शेप में नाचोज काट लें. अब इन कटे नाचोज को गरम तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तल कर बटरपेपर पर निकालें. इसी प्रकार सारे नाचोज तैयार कर लें. नोट : आटे को गूंध कर न रखें वरना पानी छोड़ देगा.

बुरे नहीं दूर रहने वाले बेटेबहू

लखनऊ के फैमिली कोर्ट के अंदर वकीलों और मुकदमा करने वालों की भीड़ लगी थी. जज साहब के कोर्ट के बाहर एक कोने में लड़का अपने पेरैंट्स और लड़की अपने पेरैंटस के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. कुछ समय में ही चपरासी ने दोनों के नाम की आवाज दी. लड़कालड़की अंदर गए.जज साहब ने पहले फाइल को उलटापलटा फिर लड़की से सवाल किया, ‘‘तुम इन के साथ क्यों नहीं रहना चाहती?’’लड़की बोली, ‘‘सर मैं भी नौकरी करती हूं. औफिस जाती हूं. वहां से वापस आ कर सारा काम करना होता है.

मैं नौकरानी लगाना चाहती हूं तो सासससुर नौकरानी के हाथ का खाना खाने से मना करते हैं. मैं ने बहुत प्रयास किया कि बात बनी रहे. मैं यह भी नहीं चाहती कि ये अपने मातापिता को हमारी वजह से छोड़े. ऐसे में अलग हो जाना ही एक रास्ता बचता है.’’जज साहब ने लड़के के पेरैंट्स को बुलवाया. उन को सम?ाया कि वे कुछ दिन बेटाबहू को अलग रहने दें. इस बीच अपनी सेवा के लिए नौकर रख लें. यह सोच लीजिए कि बेटाबहू किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गए हैं. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.जज साहब की बात सुन कर पेरैंट्स राजी हो गए. धीरेधीरे सबकुछ सामान्य हो गया. इस तरह से एक घर टूटने से बच गया.ऐसे बहुत सारे मामले हैं. फैमिली कोर्ट की वकील मोनिका सिंह कहती है, ‘‘तलाक के लिए आने वाले मुकदमों में सब से बड़ी संख्या ऐसे मामलों की होती है जिन में लड़की सासससुर के साथ नहीं रहना चाहती है.’’

जरूरी है प्राइवेसी

लड़कालड़की की शादी की उम्र कानूनी रूप से भले ही 21 और 18 साल हो पर औसतन शादी की उम्र 25-30 साल हो गई है. ज्यादातर लड़कालड़की नौकरी या बिजनैस करने के बाद ही शादी करते हैं. ऐसे में उन को परिवार के साथ रहने में दिक्कत होने लगती है. कई मसलों में विवाद का कारण पति का परिवार के साथ रहना हो जाता है, जिस का खमियाजा लड़के के मातापिता को भी भुगतना पड़ता है.घरेलू हिंसा के कई मामलों में लड़के के मातापिता को जबरन घसीटा जाता है. ऐसे में बुढ़ापे में उन्हें भी कचहरी और थाने के चक्कर काटने पड़ते हैं. दूसरी बात यह भी है कि मातापिता के साथ रहते हुए बच्चे अपनी जिंदगी खुल कर नहीं जी पाते हैं.

एकदूसरे की जरूरत

इन परेशानियों से निबटने के लिए जरूरी है कि युवा कपल खुद अपनी जिम्मेदारी उठाएं. शादी के बाद वे मातापिता के साथ रहने की जगह अलगअलग रहें. जब उन्हें मातापिता की और मातापिता को उन की जरूरत हो तो एकदूसरे की मदद के लिए आ जाएं. इस से दोनों के बीच कोई बिगाड़ भी नहीं होगा और एकदूसरे की जरूरत पर खडे़ भी रहेंगे.

मातापिता को इस में बड़ा मन दिखाते हुए फैसला लेना पडे़गा और बच्चों को यह समझना होगा कि वे अलग नहीं रह रहे केवल दूर रह रहे जैसे दूसरे शहर में नौकरी करते समय अलग रहते हैं.इस में समाज को भी अपना नजरिया बदलना होगा. अलग रहने वाले लड़के और बहू को गलत नजरों से नहीं देखना चाहिए. हमारा समाज मातापिता से अलग रहने वाले बेटाबहू का सब से बड़ा आलोचक होता है. इस तरह की आलोचना से बचना चाहिए. शादी के बाद हर बेटाबहू अपनी प्राइवेसी चाहते हैं. पेरैंट्स को इस का खयाल रखते हुए इस की आजादी देनी चाहिए. इस से उन के आपसी संबंध अच्छे बने रहेंगे.

बुरे नहीं हैं दूर रहने वाले बेटेबहू

हमारे समाज में मुख्य रूप से परिवार के 2 प्रकार होते हैं, जिन में एकल परिवार और संयुक्त परिवार. एकल परिवार यानी सिंगल फैमिली का अर्थ ऐसे परिवार से होता है, जिस में सदस्यों की संख्या संयुक्त परिवार के मुकाबले कम हो. सिंगल फैमिली को पारिवारिक संरचना का सब से छोटा रूप माना जाता है. इस में सिर्फ पतिपत्नी और उन के बच्चे ही शामिल होते हैं.हमारे समाज में एकल परिवार को अच्छा नहीं माना जाता है, जबकि यह परिवार अब समय की जरूरत है. सिंगल फैमिली के लाभ और हानि दोनों ही हैं. अगर प्राइवेसी के हिसाब से देखें तो सिंगल फैमिली सब से अच्छी होती है. इस के कई लाभ हैं:

आज के इस महंगाई भरे दौर में अपनी निजी जरूरतों को पूरा कर पाना भी एक कठिन काम हो गया है. ऐसे हालात में सिंगल फैमिली ही एक बढि़या विकल्प है. सिंगल फैमिली में निजी जरूरतों को पूरा कर पाना थोड़ा सरल हो जाता है. परिवार को चलाने के लिए मातापिता दोनों ही कार्य करते हैं.परिवार में सीमित सदस्य होने के कारण कार्य का ज्यादा बो?ा भी नहीं रहता है.परिवार की सीमित जरूरतों को सरलता से पूरा कर लिया जाता है, जिस से जीवन में उल्लास बना रहता है. सिंगल फैमिली में मातापिता बच्चों को अच्छी शिक्षा के पूरे प्रयास करते हैं.

नई और आशावादी जीवनशैली

सिंगल परिवार में किसी भी महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के बाद शीघ्रता से निर्णय लिया जाता है. निश्चित सदस्यों के बीच आपस में बातचीत के बाद सरलता से किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. सभी के साथ चर्चा के बाद आपस में पारिवारिक कलह होने की संभावना भी कम हो जाती है और सदस्यों में मतभेद भी कम होता है. संयुक्त परिवार में बड़ेबुजुर्ग तथा अन्य लोगों की विचारधारा काफी रूढि़वादी होती है.

संयुक्त परिवार के सदस्य किसी नई विचारधारा को अपनाने के लिए तैयार नहीं रहते हैं. लेकिन एकल परिवार में सभी लोग एक नई और आशावादी जीवनशैली को अपनाने के लिए कभी पीछे नहीं हटते हैं. एकल परिवार के सदस्यों को अपनेअपने ढंग से कार्य और विचार करने की पूरी आजादी होती है.सिंगल फैमिली सभी रूढि़वादी विचारधाराओं को पीछे छोड़ कर समाज में एक नए तरीके से अपना जीवन व्यतीत करती है. अपने जीवन में नए और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नईनई चीजों को सीखती है. आज के समय में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें अपने कार्य के अलावा कुछ और करने का समय ही नहीं बच पाता है.

पारिवारिक कलह

ऐसे में एकल परिवार के सदस्य अपने परिवार के लोगों को भी समय नहीं दे पाते हैं. व्यस्त जीवनशैली के कारण जब प्रत्येक सदस्य अपनेअपने कार्य में बिजी रहेगा तो उसे किसी मुद्दे पर वादविवाद करने का समय ही नहीं मिलेगा.

इसी कारण मतभेद और पारिवारिक कलह की संभावनाएं एकल परिवार में बहुत हद तक घट जाती हैं. संयुक्त परिवार में परिवार के सभी सदस्यों का बो?ा केवल 1 अथवा 2 लोगों पर पड़ जाता है.ऐसी स्थिति में घर के मुखिया पर काम का दबाव तो बढ़ता ही है, साथ ही घर के अन्य सदस्य परिवार के मुखिया पर ही निर्भर रहते हैं. सिंगल फैमिली में प्रत्येक सदस्य घर चलाने के लिए अपना योगदान देता रहता है. जब माता पिता को उन के बच्चे परिश्रम करते देखते हैं, तो उन के मन में भी बड़ा हो कर आर्थिक स्वावलंबी बनने की भावना विकसित होती है.

दूर रहने वाले बेटेबहू नजदीकी बनाए रखें

अब हालात पहले जैसे नहीं रह गए हैं. बदलती लाइफस्टाइल में बुढ़ापा कम हो गया है. 70 साल तक आदमी हैल्दी जीवन जीते हैं. ऐसे में वे अपना ध्यान रखें तो स्वस्थ रह सकते हैं. इस तरह से उन्हें परिवार की बहुत जरूरत नहीं पड़ती है. अगर बेटाबहू दूर भी रहें तो बहुत दिक्कत वाली बात नहीं होती है. दूरदूर रहने से बेटे और बहू के साथ आपसी संबंध अच्छे रहने के चांस ज्यादा होते हैं.

संबंध ऐसे रखने चाहिए कि जब किसी भी तरह से परिवार की जरूरत किसी को महसूस हो तो सब साथ खडे़ हो जाएं. तब परिवार की कमी महसूस नहीं होगी.बाजारवाद के इस दौर में बहुत कुछ पैसे की बदौलत मिलने लगा है. किसी भी तरह की खरीदारी करने के लिए किसी के साथ या बाजार जाने की जरूरत नहीं होती है. कई बेटाबहू ऐसे हैं जो बाहर शहर में रहते हैं. कई तो विदेश में रहते हुए भी वीडियो और दूसरे माध्यमों से एकदूसरे से इतने जुडे़ होते हैं जितने कि पास रह रहे बेटेबहू भी नहीं जुड़ पाते हैं. औनलाइन जरूरत का सामान भेज देते हैं. किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो भी मैनेज कर देते हैं.

कभी खुद मिलने चले आते हैं तो कभी पेरैंट्स को बुला लेते हैं.दूर या पास रहना कोई बड़ी बात नहीं होती है. जरूरी यह है कि दिल से बच्चे आप के साथ जुडे़ रहें. समय के साथ परिवर्तित होना अति आवश्यक है. सिंगल फैमिली या अलग रहने वाले बेटेबहू को गलत समझना ठीक नहीं होता है. फैस्टिवल पर पेरैंट्स के साथ रहें. उन के साथ मजे करें. फैस्टिवल में अकेले रहना ठीक नहीं होता. परिवार के साथ खुशियां मनाएं. अलगअलग रहते हुए भी अकेलापन महसूस न हो इस का ध्यान रखें.

कठिन परिस्थितियों में पेरैंट्स के साथ खड़े रहें.आर्थिक और भावनात्मक सहायता देने में पीछे न हटेंकोई भी बड़ा फैसला करना हो तो पेरैंट्स की राय जरूर लें. उन की राय बिना किसी स्वार्थ के होती है. अलग रहते हुए भी कोई ऐसे काम न करें जो उचित न हो. मातापिता अपने बच्चों का पालनपोषण इसीलिए करते हैं कि उन के बच्चे बड़े हो कर वृद्धावस्था में उन्हें सहारा दें. उन से दूर भले ही रहना पडे़ पर उन्हें अकेला न छोड़ें खासतौर पर जब मातापिता में से कोई एक हो. तब बहुत ध्यान रखें. तब अलग रहने पर सवाल नहीं उठेंगे.

कुकिंग काम नहीं कौशल

अकसर हम सभी सुनते हैं कि खाना बनाना लड़कियों का काम है, लड़कों का नहीं, लेकिन खाना पकाना सिर्फ एक काम नहीं बल्कि एक कौशल है, जिसे कोई भी साख सकता है. लड़कों को इसे सीखना क्यों चाहिए और यह कितने काम आता है इस का अंदाजा भी उन्हें नहीं होता.

आइए, जानते हैं इस कौशल को सीख कर आप कितने फायदे में रह सकते हैं:

बराबरी का मामला है

अकसर घर वाले लड़कियों को खाना बनाने, किचन के काम सीखने की सलाह देते हैं, जबकि लड़के भी इस कार्य को बेहतर तरीके से कर सकते हैं. होटल, रेस्तरां में भी हमेशा लड़के ही शेफ की भूमिका में होते हैं. इसलिए यह टैग तो हट ही जाना चाहिए कि यह किस का काम है. इस के साथ ही जब हर बात में बराबरी होती है तो इस में भी बराबर का हक होना चाहिए.

बदलाव अच्छे हैं

घर में हमेशा मां, पत्नी या बहन ही खाना बनाती है. ऐसे में वे भी रोज खाना पका कर ऊब जाती हैं. अगर आप उन्हें अपने हाथ का खाना बना कर खिलाएंगे तो उन्हें भी अच्छा लगेगा. इसी के साथ अगर पूरा खाना नहीं बना रहे, तो उन के खाते समय रोटीपरांठे सेंक दें. आप को वे गरम खिलाती हैं तो आप का भी हक बनता है कि आप उन्हें भी गरम भोजन कराएं. इसलिए कुछ बदलाव लाएं और फिर घर के माहौल को महसूस करें. फर्क आप खुद पाएंगे.

निर्भरता होगी कम

लड़के खानेपीने को ले कर हमेशा निर्भर रहते हैं. फिर चाहे मां पड़ोस में गई हों या पत्नी मायके. ऐसे में खाना बनाना न आने पर दिक्कत आती है. इसलिए थोड़ाबहुत सीख कर दूसरों पर निर्भरता कम कर सकते हैं. इस के अलावा घर पर अकेले रहने पर दोस्तों को बुला कर पार्टी कर सकते हैं, जिस में आप अपने हाथ से बना खाना उन्हें परोस सकते हैं. इस से उन्हें भी साख मिलेगी और आप को खुशी.

वैरायटी मिलती है

सभी के हाथों का स्वाद और बनाने का तरीका अलग होता है. ऐसे में लड़कों को खाना बनाना आएगा तो घर वालों का भी नए स्वाद से परिचय होगा. इस के साथ ही खाने में वैरायटी

भी मिलेगी. इस के अलावा घर में मेहमान आने वाले हों तो पति अपनी पत्नी या मां की खाना बनाने में मदद कर सकते हैं. इस से उन का काम भी कम होगा और भोजन भी आसानी से बन जाएगा.

मिलेगा स्पैशल ट्रीटमैंट

लड़कियों को हमेशा ऐसे लड़के पसंद आते हैं जो उन का खयाल रखें. इसलिए शादी के बाद आप एक दिन रसोई की जिम्मेदारी खुद ले सकते हैं और पत्नी को इस जिम्मेदारी से मुक्त कर सकते हैं. इस से उन्हें भी अलग अनुभव होगा और आपसी तालमेल और प्रेम भी बढ़ेगा. इस के साथ ही दोनों मिल कर भी खाना बना सकते हैं और साथ समय भी बिता सकेंगे तथा काम भी बोझिल नहीं बनेगा.

सेहत के लिए फायदेमंद

आजकल नौकरी या पढ़ाई करने के लिए बाहर दूसरे शहर जाना ही पड़ता है. ऐसे में होस्टल और मैस का खाना खाना मजबूरी बन जाता है और रोज बाहर का खाना महंगा भी पड़ता है. अगर खाना बनाना आता होगा तो आप खुद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं. इस से घर का बना सेहतमंद खाना भी खा सकेंगे और स्वस्थ भी रहेंगे.

शुरुआत कैसे करें

अब बात आती है कि लड़के खाना बनाने की शुरुआत कैसे करें? इस का बड़ा आसान सा तरीका है. शुरू में इस्टैट फूड बनाएं जैसे वैज सैंडविच, मैगी आदि, फिर धीरेधीरे पोहा, पुलाव, नूडल्स आदि बनाएं. धीरेधीरे आसान सब्जियां सीखें. फिर आटा बनाना, रोटियां बनाना भी सीख लें. एक बार शुरुआत करेंगे तो फिर मन भी लगेगा और मजा भी आएगा.

Raksha Bandhan: बहनें- रिश्तों में जलन का दर्द झेल चुकीं वृंदा का बेटिंयों के लिए क्या था फैसला?

आशीर्वाद- भाग 3 : क्यों टूट गए मेनका के सारे सपने

तभी एक शिष्य अमित के पास आया और बोला, ‘‘आप को गुरुजी ने याद किया है.’’

अमित एकदम उठा और शिष्य के साथ चल दिया.

गुरुजी के कमरे में पहुंच कर अमित हाथ जोड़ कर बैठ गया.

सामने बैठे गुरुजी ने पूछा, ‘‘क्या हुआ अमित? मेनका नहीं आई?’’

‘‘गुरुजी, मैं ने उसे बहुत कहा, पर वह नहीं आई. कहने लगी कि मैं माफी नहीं मांगूंगी. इस पर मैं ने उसे थप्पड़ भी मार दिया और वह गुस्से में बेटी के साथ कहीं चली गई.’’

‘‘चली गई? कहां चली गई? इस तरह अपनी पत्नी से हमें अपमानित करा कर तुम ने उसे जानबूझ कर यहां से भेजा है. यह तुम ने अच्छा नहीं किया,’’ गुरुजी ने अमित की ओर गुस्से से देखा.

अमित घबरा गया. वह गुरुजी के चरणों में सिर रख कर बोला, ‘‘मैं ने उसे नहीं भेजा गुरुजी. मैं सच कह रहा हूं. मेरा विश्वास कीजिए.’’

‘‘विश्वास… कैसा विश्वास? मुझे तुम जैसे अविश्वासी भक्त नहीं चाहिए. जिन की पत्नी अपने पति की बात न मानती हो. हम ने मेनका को इसलिए बुलाया था कि उसे भी आशीर्वाद मिल जाता.’’

‘‘गुरुजी, आप कहें तो मैं उसे छोड़ दूं. उस से तलाक ले लूं.’’

‘‘हम कुछ नहीं कहेंगे. जो तुम्हारी इच्छा हो करो…’’ गुरुजी ने नाराजगी

भरी आवाज में कहा, ‘‘अब तुम जा सकते हो.’’

‘‘गुरुजी, मेनका की ओर से मैं माफी मांगता हूं.’’

‘‘ऐसा नहीं होता कि किसी के अच्छेबुरे कर्मों का फल किसी दूसरे को दिया जाए. तुम अपने कमरे में जाओ,’’ गुरुजी ने अमित की ओर गुस्से से देखते हुए कहा.

अमित चुपचाप थके कदमों से अपने कमरे में पहुंचा.

कुछ देर बाद 2 शिष्य अमित के पास आए और उस के बैग में से कपड़े निकाल कर बाहर डालने लगे मानो कुछ ढूंढ़ रहे हों.

अमित समझ नहीं पाया कि यह क्या हो रहा है? उस ने पूछा, ‘‘भैयाजी, यह क्या कर रहे हो? बैग से कपड़े क्यों निकाल रहे हो?’’

‘‘अभी पता चल जाएगा,’’ कहते हुए एक शिष्य ने बैग में से एक लाल रंग की बहुत सुंदर सी डब्बी निकाल कर खोली. उस में हीरे की एक अंगूठी थी.

दूसरा शिष्य बोला, ‘‘आज ही यह अंगूठी गुरुजी को दिल्लीवासी एक भक्त ने भेंट में दी थी. उस भक्त की आभूषण की दुकान है. यह डब्बी कुछ देर पहले से गायब थी. हमें तुम पर शक था, पर अब तो पता चल गया कि यह चोरी तुम ने ही की है.’’

‘‘नहीं, मैं ने अंगूठी नहीं चुराई. मैं चोर नहीं हूं. मुझे अंगूठी के बारे में कुछ नहीं मालूम. मैं बेकुसूर हूं,’’ अमित घबरा कर बोला.

‘‘अंगूठी तेरे पास से मिली है और तू कहता है कि तू ने चोरी नहीं की,’’ एक शिष्य ने कहा.

तभी 2 शिष्य और आ गए. उन चारों ने अमित के साथ मारपीट शुरू कर दी.

अमित के साथ हो रही मारपिटाई की आवाज सुन आश्रम में कुछ भक्त कमरों से बाहर निकल कर देखने गए. जब उन्हें पता चला कि गुरुजी की अंगूठी चुराने पर उस की पिटाई की जा रही है तो किसी ने भी उसे छुड़ाने की कोशिश नहीं की. सभी नफरत और गुस्से से अमित की ओर देख रहे थे.

सभी का कहना था कि ऐसे चोर की तो खूब पिटाई कर के पुलिस में देना चाहिए.

चारों शिष्यों ने अमित की इतनी पिटाई कर दी कि वह बेहोश हो गया. आश्रम से बाहर उसे सड़क के किनारे फेंक दिया.

गाडि़यां आतीजाती रहीं. लोग देखते रहे कि सड़क के किनारे कोई शख्स पड़ा हुआ है.

पुलिस की गश्ती गाड़ी उधर से जा रही थी. सड़क के किनारे किसी को पड़ा हुआ देख कर गाड़ी रुकी. दारोगा और

2 सिपाही उतरे. उन्होंने अमित को देखा. उस के चेहरे पर मारपिटाई के निशान थे. मुंह व सिर से खून भी निकला था.

पुलिस ने उसे उठा कर जिला अस्पताल में भरती करा दिया. डाक्टर से कह दिया कि जब यह होश में आ जाए तो सूचना दे देना.

सुबह तकरीबन 7 बजे अमित को होश आया तो उस का पूरा शरीर बुरी तरह से दुख रहा था.

डाक्टर ने अमित के पास आ कर पूछा, ‘‘आप का नाम?’’

‘‘अमित.’’

‘‘क्या रात को किसी से झगड़ा हो गया था?’’ डाक्टर ने सवाल किया.

अमित ने सबकुछ बता दिया कि वह गुरुजी का एक भक्त है. पत्नी के साथ यहां आश्रम में आया था. रात पत्नी से कहासुनी होने पर वह चली गई. गुरुजी के शिष्यों ने उस पर चोरी का आरोप लगा कर मारपिटाई कर सड़क पर फेंक दिया.

‘‘तुम्हारा समय अच्छा है अमित कि उन शिष्यों ने तुम्हारी जान नहीं ली. वे तुम्हें बेहोशी की हालत में गंगा में भी फेंक सकते थे. अब उन्होंने तुम्हारा बैग, मोबाइल वगैरह सामान जरूर फेंक दिया होगा गंगा में.’’

अमित चुप रहा.

‘‘अब तुम्हारी पत्नी कहां होगी?’’ डाक्टर ने पूछा.

‘‘पता नहीं. वह बेटी को ले कर चली गई थी कि रात को किसी होटल में रुकेगी. सुबह बस या टे्रन से वापस जाने की बात कह रही थी.’’

‘‘उस के पास मोबाइल फोन होगा. जरा उस का नंबर बताओ.’’

अमित ने मेनका का मोबाइल नंबर बताया. डाक्टर ने नंबर मिलाया तो उधर घंटी बजने लगी.

‘हैलो,’ उधर से आवाज सुनाई दी.

‘‘मैडम मेनका बोल रही हैं?’’

‘हां, बोल रही हूं. आप कौन?’

‘‘मैं यहां सिविल अस्पताल से डाक्टर विपिन बोल रहा हूं. आप के पति अमित यहां अस्पताल में भरती हैं. अब वे काफी ठीक हैं. लीजिए उन से बात कीजिए,’’ कहते हुए डाक्टर ने मोबाइल अमित को दे दिया.

‘‘हैलो,’’ अमित की कराहती सी आवाज निकली.

‘क्या हुआ? तुम ठीक तो हो न? अस्पताल में क्यों? तुम्हारी तो आवाज भी नहीं निकल रही है.’

‘‘तुम यहां आ जाओ मेनका. मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं सकूंगा,’’ कहतेकहते अमित को रुलाई आ गई.

‘मैं आ रही हूं. बस अभी पहुंच रही हूं,’ उधर से मेनका की घबराई सी आवाज सुनाई पड़ी.

डाक्टर ने पुलिस को सूचना दे दी कि अमित को होश आ गया है.

कुछ देर बाद चिंतित व डरी सी मेनका पिंकी के साथ अस्पताल में अमित के पास पहुंची. अमित के चेहरे पर चोट के निशान थे. सिर पर पट्टी बंधी हुई थी.

अमित को देखते ही वह कांप उठी. उस ने पूछा, ‘‘यह कैसे हुआ?’’

अमित ने सबकुछ बता दिया.

तभी दारोगा व एक सिपाही उन के पास आए. दारोगा ने पूछा, ‘‘अब कैसे हो आप?’’

‘‘ठीक हूं…’’ अमित ने कहा, ‘‘यह मेरी पत्नी और बेटी हैं.’’

‘‘अच्छा, अब आप यह बताओ कि हमें क्या करना है? आप चाहें तो रिपोर्ट लिखा सकते हो.’’

‘‘नहीं सर, हमें कोई रिपोर्ट नहीं लिखवानी है. हमें यह भी पता चल गया है कि गुरुजी की पहुंच ऊपर तक है. कई मंत्री व बड़ेबड़े नेता भी यहां आश्रम में आते रहते हैं. गुरुजी का कुछ नहीं बिगड़ेगा,’’ अमित ने कहा.

‘‘जिस दिन भी इस शैतान गुरु के पाप का घड़ा भर जाएगा, उस दिन यह भी नहीं बचेगा,’’ मेनका बोली.

कुछ देर तक बातचीत कर के दारोगा सिपाही के साथ वापस चला गया.

पछतावे के साथ अमित बोला, ‘‘कल सुबह अस्पताल से मुझे छुट्टी मिल जाएगी. हम वापस घर चले जाएंगे.

‘‘मेनका, मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस गुरु को मैं भगवान समझता रहा, वह एक शैतान है. इस गुरु की अंधभक्ति में मैं ने जिंदगी के इतने साल बरबाद कर दिए.

‘‘मैं ने हमेशा तुम्हारी कही गई बातों की अनदेखी की. तुम तो इन ढोंगी बाबाओं से नफरत करती थीं, लेकिन मैं उस की वजह नहीं समझ पाया.

‘‘तुम ने इशारोंइशारों में कई बार मुझे समझाने की कोशिश भी की थी, पर मेरी अक्ल पर तो जैसे पत्थर पड़ गए थे. दुख की बात तो यह है कि मैं ही तुम्हें यहां जबरदस्ती लाया था.’’

‘‘पुरानी बातों को सोच कर अपना मन मत दुखाओ. अगर मैं इस शैतान का कहना मान लेती तो कुछ भी न होता. तुम पर कोई आरोप न लगता. मारपिटाई भी न होती और न ही मुझे पिंकी के साथ होटल में जाना पड़ता.

‘‘मैं उन औरतों जैसी नहीं हूं जो अपने पति से विश्वासघात कर ऐसे ढोंगी गुरु की हर बात मान लेती हैं,’’ मेनका बोली.

‘‘मेनका, तुम तो बहुत पहले से ही मुझे समझा रही थीं, पर मैं ही गहरी नींद में आंखें बंद किए हुए था. काश, मैं भी तुम्हारी तरह गुरुजी के जाल में न फंसता.’’

‘‘कोई बात नहीं, जब जागो तभी सवेरा,’’ मेनका ने अमित की ओर देखते हुए कहा.

अमित एक नई सीख ले कर अस्पताल से सीधा अपने घर की ओर चल दिया. उस ने मन में ठान लिया था कि घर जाते ही वह उस ढोंगी गुरु के दिए गए सामान को फिंकवा देगा.

सेलेब्स की नजर में रक्षाबंधन का त्यौहार है क्या, जानें यहां

रक्षाबंधन यानि राखी का त्यौहार केवल आम बहनों के लिए ही नहीं, बल्कि सेलेब्स भाई – बहन भी पूरे साल इसका इंतजार करते है और इसे यादगार बनाना चाहते है. उनके लिए एक दूसरे का प्यार और बॉन्डिंग बहुत अहमियत रखता है. इस प्यारे रिश्ते को वे कैसे नॉरिश करते है, याद करते है और इस अवसर पर उनके गिफ्ट्स क्या होते है, आइये जानें, उनकी खुशियां.

फरनाज शेट्टी

एक वीर की अरदास फेम अभिनेत्री फरनाज शेट्टी कहती है कि मेरा एक छोटा भाई है, जो मुझसे 2 साल का छोटा है, लेकिन मैं उससे छोटी दिखती हूं. पर मैं उससे काफी मैच्योर हूं, स्वभाव से वह अभी भी बच्चा है. उसकी देखभाल करना मुझे पसंद है, लेकिन एक बात उसकी बहुत अच्छी है, जब भी मुझे उसकी जरुरत होती है, एक फ़ोन कॉल पर वह हमेशा हाज़िर रहता है. ये मेरे लिए बहुत सुकून भरी है, क्योंकि जो बातें मैं किसी से शेयर नहीं कर सकती, उसे मैं उससे शेयर कर सकती हूं.

समय के साथ -साथ हम दोनों जितने मैच्योर हो रहे है, हमारी इमोशनल बोन्डिंग उतनी गहरी होती जा रही है. मेरी बिजी सिड्यूल में दोस्त भले ही न हो, एक भाई मेरे लिए काफी है. एक प्यारा रिश्ता जिसे मैं हमेशा बहुत अच्छा फील करती हूं. मेरे आसपास सारे कजिन्स रहते है और मुझे रक्षाबंधन का त्यौहार मनाना बहुत पसंद है, क्योंकि इस त्यौहार पर मैं बचपन की सारी यादों को एक बार फिर से ताजा कर लेती हूं. वैसे तो सारे साल एक दूसरे को गिफ्ट देते रहते है, लेकिन इस दिन का मिला गिफ्ट सबसे खास होता है.

नवीन प्रभाकर

अभिनेता नवीन प्रभाकर कहते है कि बचपन से हम दोनों भाई-बहन के बीच नोंक-झोंक, मजाक चलती रहती थी, जो पूरी ड्रामे की तरह हुआ करती थी, जिसमे हंसी-ख़ुशी के साथ-साथ रोना-धोना सब चलता रहता था. ये सबकुछ हम दोनो को एक अच्छी बोन्डिंग देने में सक्षम रही. रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के बीच ही नहीं, बल्कि हर भाइयों और बहनों के बीच भी एक अच्छे बोन्डिंग का एहसास दिलाती है. ये रिश्ते अनमोल होते है, जिसे बयां करना आसान नहीं.

पहले की सारी नोंक-झोंक समय के साथ एक दोस्ती और अपनेपन का एहसास दिलाती है. विश्व के किसी भी देश में रहने पर भी बहन भाई को राखी भेजती है. आज व्हाट्स एप एक ऐसी तकनिकी सुविधा है, जिसने सारी दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है, जो आज से पहले नहीं था. मैं अपने बहनों और परिवार के साथ इस पर्व को मनाने की इच्छा रखता हूं. उस दिन मैं अपनी बहनों को कुछ स्पेशल गिफ्ट देने की प्लान कर रहा हूँ.

आदित्य देशमुख

पुनर्विवाह फेम अभिनेता आदित्य देशमुख कहते है कि मेरे पास बायोलॉजिकल बहन की कमी है, लेकिन मेरी कजिन्स कई है और उनका प्यार मेरे ऊपर हमेशा बरसता रहता है. ऐसी बोन्डिंग और किसी रिश्ते में नहीं हो सकती, मैं उनके साथ बचपन से जुड़ा हुआ हूं. शूटिंग में अधिक देर होने पर कई बार मुझे बहन के साथ रहना पड़ता है, वह दिन मेरे लिए खास होता है. उनके साथ मेरी बॉन्डिंग मस्ती, जोक्स, नोंक-झोंक आदि के साथ चलती रहती है. मैं उनसे छोटा होने की वजह से मेरे लिए हर बात माफ़ होती है. रक्षाबंधन मेरे लिए बहुत स्पेशल है, उस दिन राखी के साथ प्यार और गिफ्ट्स दोनों ही मुझे मिलने वाला है. इस बार मैं बहनों को गोल्ड या सिल्वर कॉइन से अलग कुछ गिफ्ट्स देने वाला हूं.

रोहित चौधरी

अभिनेता रोहित चौधरी कहते है कि मैं अपने तीन बहनों में सबसे छोटा हूं. मेरी सबसे बड़ी बहन तो मेरी मां की तरह मुझे प्रोटेक्ट करती रहती है. शादी के बाद भी उनका रिश्ता मेरे साथ पहले जैसा ही है. रक्षाबंधन, भाई – बहन के इस रिश्ते को हमेशा मजबूती और प्यार से भर देती है. बहने कितनी भी दूर रहे लेकिन उनका प्यार भाइयों तक हमेशा पहुंचता रहता है. मेरा उनसे रिश्ता मजबूत, ख़ुशी और गम को शेयर करने का है, जो दिन हो या रात है, हमेशा रहता है. वैसे तो सभी बहनों के साथ मेरा अच्छा रिश्ता है, लेकिन बड़ी बहन मेरे लिए सबसे कीमती, दोस्त, मैटरनल फिगर और फॅमिली लिंक है. मैंने उनकी इच्छाओं को पूरा करने के बारें में सोचा है. भाई – बहन एक दूसरे से कितनी भी दूर हो, लेकिन रक्षाबंधन का त्यौहार उनके रिश्ते को मजबूत बनाने का काम करती है.

चारू मलिक

अभिनेत्री चारू कहती है कि बचपन से मुझे एक भाई की बहुत इच्छा रही, और मेरी विश पूरी हुई, जब रक्षाबंधन से पहले मेरे भाई गौरव मलिक का जन्म हुआ और मैंने इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया. हालांकि अभी वह अमेरिका में है, लेकिन उसका प्यार मुझ तक हमेशा पहुंचता है. मेरी बहन पारुल मुझे हमेशा राखी बांधती है. इस साल मैं फ़ोन कॉल से राखी को स्पेशल बनाने वाली हूं. हमारे सबसे बड़ी गिफ्ट्स भाई का यहां आना और हम दोनों बहनों का वहां जाना है. समय बदल गया है, लेकिन हमारा प्यार और रिश्ता सादा के लिए एक ही रहेगा. पारुल, गौरव और मैं हमेशा फ़ोन कॉल पर बातचीत करते है, जहां एक दूसरे की बातों को शेयर करते है, जो मुझे बहुत ख़ुशी देती है.

Raksha Bandhan: खूबसूरती में चार चांद लगा देगा ब्लशर

चेहरे पर खिली सुंदर मुस्कान हर किसी को आपकी तरफ आकर्षित कर सकती है. आपकी इसी मुस्कान चार चांद लगा देता है ब्लशर. लेकिन, यदि आपने इसका गलत इस्तेमाल किया तो आप दस साल बड़ी उम्र की भी लग सकती हैं.

आप बिना मेकअप किए भी ब्लशर लगाने से बेहद खूबसूरत दिखाई दे सकती हैं. ब्‍लशर लगाने में आपसे कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए आपका कुछ बातों का जानना बेहद जरूरी है. आपको बता रहे हैं ब्लशर के इस्तेमाल का तरीका.

रोजी ग्लो के लिए

मेकअप में ब्लशर सबसे जरूरी है. इसका इस्तेमाल डल स्किन में फ्रेश और रोजी ग्लो लाने में मदद करता है. इसमें थोड़ा गोल्डेन शिमर मिलाने से यह फीचर्स को बैलेंस कर देगा. इससे आप हल्‍के फीचर्स को उभार सकती हैं. उसे एक डेफिनिशन दे सकती हैं.

दें सही कवरेज

क्रीम ब्लशर, मूस ब्लशर पाउडर, लिक्विड या जेल ब्लशर लगाने का सही तरीका जानना जरूरी है.

पाउडर ब्लशर

पाउडर ब्लशर आपको बोल्ड लुक लेता है. क्योंकि इसकी कवरेज मीडियम से हेवी होती है. यह चीक्स को शेप, शेड और कॉन्टूर करने के लिए बेस्ट है. इसे लगाने का सही तरीका है, डोम-शेप्ड ब्लशर ब्रश को ब्लशर पर रखकर गोलाई में घुमाएं. फिर मुस्कराएं और चीक्स के एपल पर हल्‍का स्ट्रोक्स देते हुए लगाएं. माथे की तरफ ले जाते हुए लगाएं. ब्रश से अच्छी तरह ब्लेंड करें.

लिक्विड/जेल ब्लशर

इसे आप चीक्स और लिप्स दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर दूसरे शेड्स और प्रोडक्ट भी इसके साथ प्रयोग कर सकती हैं. लिक्विड से क्रीम जेल का टेक्सचर अलग-अलग होता है. ये लॉन्गलास्टिंग व नैचुरल मैट स्टेन लुक देते हैं. इन्हें हर प्रकार की त्वचा के लिए प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन यह ऑयली व कॉम्बिनेशन कॉम्प्लेक्स के लिए परफेक्ट है. क्योंकि एक बार लगाने के बाद यह लंबे समय तक टिकता है. फैलता या बहता नहीं है.

लिक्विड और जेल ब्लशर लगाते ही चीक्स में कलर ऐड कर देते हैं. चीक्स के बीच (एपल्स पर) थोड़ा सा जेल या लिक्विड ब्लशर रखें. फिर अपनी उंगली या छोटे फर्म ब्लशर ब्रश से लार्ज सर्कुलर मोशन में चीक्स पर ब्लेंड करें. चीक्स के एपल के बाहर तक ब्लेंड करें. चीक्स पर अच्छी तरह ब्लेंड होने बाद आप फेस को शेप देने, कंटूर और हाइलाइट करने के लिए मूस, क्रीम, पाउडर ब्लशर और ब्रॉन्जर भी लगा सकती हैं.

जैसी त्वचा वैसा ब्लश

आपका ब्‍लश हमेशा आपकी त्‍वचा के हिसाब से होना चाहिए.

पेल स्किन

ऐसा शेड चुनें जो आपको नैचलर ब्लश दे. पेल पीच और पिंक शेड ऐसी त्वचा के लिए सही नहीं होते. इसलिए इवनिंग पार्टी के लिए हनी-टोंड ब्रॉन्जर का इस्तेमाल करें. जैसे कि चीक कलर 12 एप्रिकॉट शिमर, चीक कलर 04 गोल्डेन पिंक , लिप और चीक स्टेन 01 रोज पिंक या फिर चीक कलर 03 हेदर पिंक प्रयोग कर सकती हैं.

मीडियम स्किन

मीडियम पिंक, गोल्डन पीच और मोव-टोंड बेरी हमेशा मीडियम स्किन टोन को कॉप्लिमेंट देते हैं. सन किस्ड ग्लो के लिए इस पर गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लश लगाएं. जैसे कि चीक कलर 4 गोल्डन पिंक, चीक कलर 10 स्वीट नटमेग, नेचर्स मिनरल चीक कलर 3 वार्म कलर.

ऑलिव स्किन

ऐसी स्किन पर ब्राइटर और पॉप शेड्स अच्छे लगते हैं. जैसे ब्रिक ब्रोज, डीप रोजेज, प्लम और लाइट बेरी टोंस. फ्रेश शिमर लुक के लिए थोड़ा -सा शियर ब्रॉन्जर भी लगाएं.

डार्क स्किन

ऐसा ब्लशर चुनें जो आपके कॉम्प्लेक्शन को उभारे. पेल पेस्टल शेड्स से बचें. यह आपके कॉम्प्लेक्शन को चॉकी और ग्रे कर देंगे. इसलिए डीप रेड टोंस, रिच रोज, ब्रिक रेड्स, रस्ट, बरगंडी, रिच मोव्स और सक्युलंट बेरी ह्यू शेड चुनें. इसे चाहे अकेले इस्तेमाल करें या फिर सन किस्ड ग्लो के लिए डीप गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लशर ऊपर से लगाएं.

क्या करें

यदि ब्लशर अधिक लग जाए तो उसे बिना मेकअप हटाए टोन डाउन कैसे करें. इसके लिए पाउडर पफ लें और उस पर साफ टिश्यू लपेटें. बॉडी शॉप का विटमिन ई फेस मिस्ट या फासन मिस्ट वॉटर स्प्रे टिश्यू में हल्‍का सा लगाएं और चीक्स पर रखकर दबाएं. चीक्स रगडें या मलें नहीं. यह हल्‍के से अतिरिक्त कलर को हटा देगा. ध्यान दें कि कहीं फाउंडेशन या पाउडर न निकल जाए या खराब हो जाए.

हर सीजन के लिए ट्रेंडी

ट्रेंड आते और जाते हैं, लेकिन ब्लशर हमेशा ट्रेंड में रहता है. फिर चाहे आप ब्लशर का इस्तेमाल शेप, शेड और कंटूर के लिए करें या शियर लुक के लिए. या फिर फीचर्स को हाइलाइट करने के लिए. एक अच्छा ब्लशर, जो आपकी स्किन टोन को सूट करे आप साल के 365 दिन तक लगा सकती हैं.

आप शियर ब्लशर किसी भी सीजन में आसानी से लगा सकती हैं. स्प्रिंग टिंट देने के लिए इस पर शियर हनी टोंड ब्रॉन्जर लगाएं. गर्मियों में इस पर आप शिमरिंग गोल्डन ह्यू और सर्दियों में शिमरिंग हाइलाइटर लगा सकती हैं. स्प्रिंग स्किन फ्रेश और फ्लर्टी लुक देती है. समर कॉम्प्लेक्शन सन-किस्ड और ग्लोइंग दिखना चाहिए. इसलिए ब्लशर के ऊपर हनी टोंड शिमर जरूर लगाएं. यह अनोखी चमक देगा और आप यंग नजर आएंगी. सर्दियों में क्रीम ब्लशर और शियर हाइलाइटर लगाने से चेहरे में मॉयस्चर लेवल भी संतुलित रहता है और पैची नहीं लगता. इसके ऊपर पाउडर ब्लशर, ब्रॉन्जर और हाइलाइटर लगाने से बेहतरीन ग्लो आ जाता है.

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