मुझे एक युवती से प्यार हो गया है, लेकिन मेरी फैमिली पुराने खयालों की है?

सवाल-

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है. वह भी मुझ से प्यार करती है पर वह बहुत बोल्ड है. हमारी फैमिली पुराने खयालों की है. मैं चाहता हूं कि वह शादी के बाद मेरे परिवार के अनुसार चले. क्या करें?

जवाब

आप की प्रेमिका बोल्ड है यह तो अच्छी बात है, लेकिन आप भौंदुओं वाली बात क्यों करते हैं. अपनी आजादी हरेक को प्यारी होती है क्या आप को नहीं? फिर पुराने खयालों में ही जीते रहने का क्या फायदा, रही बात संस्कार की तो बोल्ड होने का मतलब संस्कारहीन होना नहीं.

आजकल युवतियां समय अनुसार चलने, आगे बढ़ने पर जोर देती हैं, जो अच्छी बात है फिर आप तो उस से प्यार करते हैं. उस के लिए खुद को बदलिए, पेरैंट्स को पुराने खयालों से नए विचारों की ओर मोडि़ए. वह युवती आप के घर आ कर आप की व आप के परिवार की तरक्की की राह ही खोलेगी, हां, उस की रिस्पैक्ट जरूर कीजिए, क्योंकि वह जमाने के अनुसार ताल से ताल मिला कर चलने वाली है, तो तरक्की के रास्ते खोलेगी.

जब प्रेमिका हो बलात्कार की शिकार

फिल्म ‘काबिल’ में सुप्रिया यानी गौतम जब बलात्कार का शिकार होती है तब रोहन यानी रितिक रोशन फटाफट उसे पुलिस स्टेशन व जांच के लिए हौस्पिटल ले जाता है ताकि सुप्रिया के गुनहगारों को सजा मिल सके. लेकिन पुलिस के अजीबोगरीब सवालों से वह इतना परेशान हो जाता है कि सुप्रिया की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाता. वह सुप्रिया को संभालने के बजाय उस से बात ही नहीं करता. वह यह सोचसोच कर खुद को दोषी मानने लगता है कि वह इस काबिल भी नहीं है कि सुप्रिया की रक्षा कर पाए? रोहन को इस तरह शांत देख कर सुप्रिया को लगने लगता है कि रेप की घटना की वजह से रोहन उस के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जिस का परिणाम यह होता है कि सुप्रिया रोहन मेरे कारण और परेशान न हो इसीलिए वह आत्महत्या कर लेती है.

यह तो कहानी है फिल्म की, लेकिन वास्तविक जीवन में भी जब प्रेमिका बलात्कार की शिकार होती है तो रिश्ते में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. कुछ प्रेमी सोचते हैं काश, मैं ने उसे अकेला न छोड़ा होता, काश, मैं ने डिं्रक करने से मना किया होता, मैं उस के साथ होता तो ऐसा कभी नहीं होता और खुद को दोषी मानने लगते हैं.

कुछ प्रेमी प्रेमिका को इस का दोषी मान कर ब्रेकअप तक कर लेते हैं, जबकि यह समय ऐसा होता है जिस में पार्टनर को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है इस गम से बाहर निकालने में.

प्रेमिका बलात्कार की शिकार हो तो क्या करें

– मोरली सपोर्ट करें :  इस वक्त प्यार व सपोर्ट की खास जरूरत होती है, इस से लगता है कि कोई है जिस के साथ जिंदगी गुजारी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की घटना के बाद लड़की को ऐसा लगने लगता है कि कोई उस के साथ नहीं रहेगा. अब वह किसी काबिल नहीं है और वह खुद को दोषी मानने लगती है. इसलिए जब भी आप की प्रेमिका ऐसा कुछ कहे तो कुछ सकारात्मक बातें कहें ताकि उस का मनोबल बढ़े. इस वक्त परिवार को भी काफी सपोर्ट की जरूरत होती है, उन का भी साथ दें. जब जांचपड़ताल के मामले में उन्हें कहीं जाना हो तो साथ जाएं ताकि उन का हौसला बरकरार रहे.

– हर गम की दवा प्यार :  गम कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्यार से निभाया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता, इसलिए प्यार से इस स्थिति से प्रेमिका को बाहर निकालें. ऐसा भी हो सकता है कि प्रेमिका के घर वाले उस का साथ न दें उसे भलाबुरा सुनाएं, लेकिन यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उस के परिवार वालों को समझाएं कि इस में किसी का दोष नहीं है. उन की बेटी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया कि आप उस के साथ ऐसा व्यवहार करें बल्कि आप अपनी बेटी का साथ दें, ताकि वह इस गम से बाहर निकल सके.

– स्मार्ट माइंड से लें स्मार्ट ऐक्शन : जब आप की प्रेमिका के साथ रेप हो रहा है तब आप हाथ पर हाथ रखे न बैठे रहें बल्कि स्मार्ट माइंड से स्मार्ट ऐक्शन लें. जैसे तुरंत पुलिस को कौल करें, फोन से पुलिस की गाड़ी का हौर्न बजाएं, वीडियो बना लें ताकि अपराधियों के खिलाफ सुबूत मिल सके.

– प्रीकौशन पिल्स दें : रेप हो गया है अब क्या करें, कितनी बदनामी होगी, ऐसी बातें ही न सोचते रहें बल्कि थोड़ा स्मार्ट बनें ताकि आप की प्रेमिका के साथ और बड़ा हादसा न हो. इसलिए प्रेमिका को प्रीकौशन पिल्स दें ताकि गर्भ न ठहरे, क्योंकि पता चला आप दोनों रेप के गम में डूबे रहें और कोई बड़ा हादसा हो जाए.

– दोषी को मीडिया से करें हाईलाइट :  खुद से हीरो बनने की कोशिश न करें बल्कि दोषी को हाईलाइट करने के लिए मीडिया का सहारा लें. अगर मीडिया मामले को उजागर करता है तो पुलिस भी तुरंत ऐक्शन लेती है. आप चाहें तो किसी एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं. ऐसे कई एनजीओ हैं जो इस तरह के मामलों में सहायता करते हैं.

– गम से उभरने का वक्त दें :  ऐसी उम्मीद न कर बैठ जाएं कि कुछ दिन बाद वह नौर्मल हो जाएगी. अगर वह नौर्मल नहीं होती तो आप उसे डांटने न लगें कि क्या ड्रामा कर रखा है, इतने दिन से समझा रहा हूं, लेकिन तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, बल्कि उसे इस गम से उभरने का वक्त दें. बारबार न कहते रहें कि जो हुआ भूल जाओ, ऐसा कर के आप उसे और गम में धकेलते हैं.

– काउंसलिंग न करें मिस : इस दौरान मैंटल और इमोशनल कई तरह की समस्याएं होती हैं. इन्हें काउंसलिंग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. काउंसलिंग से न केवल गम से उभरने में मदद मिलती है बल्कि जीने की एक नई राह भी मिलती है, इसलिए काउंसलिंग कभी मिस न करें. संभव हो तो आप भी साथ जाएं ताकि ऐसा न लगे कि आप जबरन भेज रहे हैं.

– दूसरों के लिए मिसाल बनें : ऐसा न करें कि दब्बू बन कर चुपचाप बैठ जाएं और प्रेमिका को भी भूल जाने को कहें बल्कि इस के खिलाफ कठोर कदम उठाएं ताकि आप को देख कर बाकी युवाओं को हिम्मत व प्रेरणा मिले.

क्या न करें

– रिश्ता तोड़ने की गलती न करें : आप की प्रेमिका का बलात्कार हुआ है, आप उस के साथ रहेंगे तो लोग आप के बारे में भी तरहतरह की बातें करेंगे, ऐसी बातें सोचसोच कर रिश्ता तोड़ने की गलती न करें. जरा सोचिए, अगर आप की बहन का बलात्कार हुआ होता, तो क्या आप अपनी बहन से रिश्ता तोड़ लेते नहीं न? तो फिर इस रिश्ते में ऐसा क्यों? इसलिए रिश्ता तोड़ने के बजाय अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और पार्टनर का साथ दें.

– प्रेमिका को दोषी न मानें : इस हादसे के लिए कभी भी अपनी प्रेमिका को दोष न दें कि रात में बाहर घूमने व छोटे कपड़े पहनने की वजह से ऐसा हुआ है बल्कि उस पर विश्वास करें, उस की बातें सुनें. हो सकता है आप की प्रेमिका उस वक्त कुछ अजीब तरह की बातें करे, लेकिन आप उन बातों पर गुस्सा करने के बजाय सुनें और प्यार से समझाएं कि इस में उस की कोई गलती नहीं है.

– मरजी के बिना न करें सैक्स : यह ठीक है कि आप अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए प्रेमिका के करीब जाना चाहते हैं ताकि उसे इस बात का एहसास करा सकें कि वह आप के लिए अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वह इस घटना से इतनी डिस्टर्ब हो कि आप की इस भावना को समझ ही न पाए और आप पर गुस्सा करने लगे, जोरजोर से चिल्लाने लगे कि आप उस का रेप कर रहे हैं. इसलिए कभी भी खुद से सैक्स का प्रयास न करें.

अगर प्रेमिका सहमति से संबंध बनाना चाहती है तो उस का साथ दें, मना न करें. आप के ऐसा करने से प्रेमिका को लग सकता है कि उस का रेप हुआ है. इसलिए आप मना कर रहे हैं.

कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद पहल कर संबंध बनाए, लेकिन बाद में सारा दोष आप पर डाल दे और चिल्लाने लगे. ऐसी स्थिति के लिए भी खुद को तैयार रखें. ऐसा न करें कि आप भी उलटा चिल्लाने लगें कि तुम ही आई थी संबंध बनाने, मैं तो नहीं चाहता था, बल्कि धैर्य से काम लें.

– गलत कदम न उठाएं और न उठाने दें : कई बार युवा जोशजोश में ऐसे कदम उठा लेते हैं जिस का खमियाजा बाद में भुगतना पड़ता है इसलिए न तो आप गलत कदम उठाएं और न ही प्रेमिका को उठाने दें.

5 तरीकों से जानें आई कांटेक्ट फ्लर्टिंग के पीछे का छिपा विज्ञान

फ्लर्टिंग बड़ी दिलचस्प चीज है. खासकर जब आप आंखों-आंखों में फ्लर्ट करने की कोशिश करें. अब जरा सोचिए कि क्या कभी आपने अपने प्यार को या कहें अपने क्रश को दूर से घूरा है? क्या आपने कभी दूर से ही उसके साथ आंखों से संपर्क साधने की कोशिश की है? क्या कभी अपने प्यार को तब तक देखा है जब तक उसके चेहरे पर मुस्कुराहट न आए जाए या फिर वह शर्माने न लगे? क्या ये सारी बातें आपके मन में रोमांच नहीं पैदा करती हैं?

बहरहाल आप ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो आंखों-आंखों में फ्लर्ट करते हुए संकोच महसूस करते हैं. आपकी तरह तमाम ऐसे लोग हैं जो अपने क्रश को एकटक निहार नहीं पाते. असल में दूसरों की आंखों में घूरना जबरदस्त भाव है. यह न सिर्फ सकरात्मक प्रभाव छोड़ता है वरन यह आपको नकारात्मकता की ओर भी ले जा सकता है. अब कविता की बात सुनें. कविता कहती है कि मैं पिछले दिनों पार्टी में गयी थी जहां एक लड़का मुझे एकटक घूर रहा था. मैंने पार्टी के मेजमान से उसकी शिकायत की जिसके बाद उस लड़के को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया गया.

आंखों-आंखों में देखकर फ्लर्ट करना दिलचस्प तो है साथ ही अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रभावशाली भी है. हैरानी की बात यह भी है कि यदि आप आंखों-आंखों में फ्लर्ट नहीं करेंगे तो आपके रिश्ते को पिक अप मिलने में मुश्किलें भी आ सकती हैं. बहरहाल इस लेख में आंखों-आंखों में फ्लर्ट के पीछे छिपे विज्ञान पर चर्चा करेंगे.

  1. दूसरों को खुश करना

आप चाहें फ्लर्ट करें या न करें यदि आप अपने क्रश को मुस्कान देते हुए एकटक निहारते हैं तो उस  पर सकरात्मक असर पड़ता है. असल में यह उसे खुश करने का एक तरीका भी है. इससे वह आपके बारे में अच्छा सोचने के लिए बाध्य होती है. यही नहीं वह आपके पास आ भी सकती है या फिर उम्मीद करती है कि आप उसके पास जाएं.

2. दूसरों को पढ़ने की कोशिश

आंखों-आंखों में संपर्क कर फ्लर्टिंग करने से दोनों एक दूसरे को जानने की कोशिश भी करते हैं. यही नहीं एक दूसरे के प्रति आलोचनात्मक रुख भी इख्तियार करते हैं. दरअसल आंखों-आंखों में संपर्क करना कोई सहज क्रिया नहीं है. मन में चोर हो तो भी आंखों में आंखें डालकर संपर्क नहीं किया जा सकता है. अतः यह पुरुष और महिला दोनों को एक दूसरे के लिए प्रति न्यायपरख बनाता है और एक दूसरे को जानने में मदद भी करता है.

3. विश्वसनीय बनाता है

क्या आप जानते हैं कि जिसे आप प्यार करते हैं या जिस पर आपका क्रश है, यदि आप उसे एकटक निहारते हैं तो यह आप दोनों का विश्वास भी बढ़ाता है. दरअसल %

वर्किंग मदर, बदलता नजरिया

टीवी सीरियल ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीजन 5 के अंतिम खिलाड़ी के रूप में पुष्पा उदेनिया खेलने के लिए आई थीं. पुष्पा उदेनिया मध्य प्रदेश के दमोह जिले की रहने वाली हैं. उन के पिता चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं. वे बड़ी मुश्किल से पुष्पा की शादी कमलेश उदेनिया से करा पाए. कमलेश की भी कोई नौकरी नहीं थी. पुष्पा एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं. उन को शादी के 2 साल बाद बेटा हो गया. अब परेशानी यह थी कि बेटे की देखभाल कौन करे? पुष्पा और उन के पति की हालत ऐसी नहीं थी कि वे बेटे की देखभाल के लिए किसी नातेरिश्तेदार को बुला सकें या बेटे को क्रैच में रख सकें. ऐसे में पतिपत्नी ने मिल कर फैसला किया कि जिस का वेतन कम है, वह घर पर रह कर बेटे की देखभाल करेगा. कमलेश का वेतन कम था, इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर पर रह कर बच्चे की देखभाल करने लगे. पुष्पा ज्यादा वेतन पाती थीं, इसलिए वे अपनी स्कूल टीचर की नौकरी करती रहीं. लेकिन पुष्पा को वेतन के रूप में सिर्फ क्व 3,000 ही मिलते थे अत: घर का खर्च चलाने के लिए वे अपने घर पर ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगीं.

पुष्पा ने बताया, ‘‘घर पर काम करने को ले कर शुरूशुरू में मेरे पति की बहुत आलोचना होती थी, लेकिन धीरेधीरे लोगों का विरोध कम हो गया.’’ पुष्पा के पति कमलेश का मानना है कि 2 साल की बात और है. जब बच्चा बड़ा हो जाएगा, वह स्कूल जाने लगेगा तब वे भी नौकरी करने लगेंगे. वे अपनी पत्नी को प्रोफैसर बनाने का सपना देख रहे हैं.

डे बोर्डिंग स्कूल बन रहे सहारा

यह बात केवल पुष्पा की ही नहीं है. समाज में पुष्पा जैसी बहुत सी महिलाएं हैं. सीमा और राकेश की कहानी भी ऐसी ही है. सीमा और राकेश दोनों ही नौकरीपेशा हैं. जब उन का पहला बच्चा हुआ तब उन के सामने भी परेशानी आई. राकेश ऐसी नौकरी करते थे, जिस में शिफ्टवार ड्यूटी थी. उस वक्त राकेश की ड्यूटी दिन की थी. ऐसे में परेशानी यह आने लगी कि बच्चे की देखभाल कौन करे? कुछ दिन बच्चा क्रैच में रखा गया, इस में भी परेशानी आ रही थी. तब राकेश और सीमा ने तय किया कि उन में से ही कोई एक अपने बच्चे की देखभाल करेगा. राकेश ने अपनी ड्यूटी बदलवा ली. 4 बजे के बाद सीमा जब बच्चे की देखभाल करने के लिए आ जाती, तब राकेश नौकरी करने जाते. इस बीच सीमा को दूसरा बच्चा भी हो गया. तब बड़े बच्चे को डे बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिला कर राकेश ने छोटे बेटे की देखभाल करनी शुरू कर दी. वे कहते हैं, ‘‘कुछ दिनों की बात है. इस के बाद छोटा बेटा भी डे बोर्डिंग स्कूल में जाने लगेगा, तब सब ठीक हो जाएगा.’’

क्रैच को छोड़ डे बोर्डिंग स्कूल में बच्चे का दाखिला दिलाने के सवाल पर राकेश ने बताया, ‘‘कै्रच में बच्चे की केवल देखभाल हो पाती है. वहां रहने वाली आया बच्चे को पढ़नालिखना या दूसरी चीजें नहीं सिखा पाती. डे बोर्डिंग स्कूल में 2 साल की उम्र के बाद दाखिला मिल जाता है. यहां पर बच्चे कई तरह के रचनात्मक कामों और खेल से तो जुड़ते ही हैं, उन की पढ़ाई की शुरुआत भी हो जाती है, जिस से किसी अच्छे स्कूल में बच्चे को दाखिल कराने में काफी मदद मिल जाती है. डे बोर्डिंग स्कूल में बच्चा दिन भर स्कूल में रहता है. वहां खाने और खेलने की सुविधाएं देने के साथ ही बच्चे को मैनर्स सिखाए जाते हैं. क्रैच के मुकाबले यह थोड़ा महंगा जरूर होता है पर बच्चा यहां ठीक से रहता है.’’

क्रैच का नहीं जवाब

निशा सरकारी नौकरी में हैं. उन के पति बाहर नौकरी करते हैं. उन्हें जब बच्चा हुआ तो पहले 3 माह की छुट्टी औफिस से मिल गई. इस के बाद उन्हें औफिस जाना था. निशा ने अपनी परेशानी औफिस में अपने सहयोगियों को बताई. उन से निशा को पता चला कि उन के औफिस में ही एक क्रैच खुला है, जिस में महिला कर्मचारी अपने बच्चों को रखती हैं. वे जब घर जाती हैं तो अपनेअपने बच्चे को साथ वापस ले जाती हैं. ऐसे में बच्चा उन से दूर भी नहीं रहता और उन्हें औफिस के काम में कोई परेशानी भी नहीं रहती. बच्चे की देखभाल के एवज में निशा को केवल क्व 3 सौ प्रतिमाह देने होते थे. आमतौर पर बड़े सरकारी औफिसों के अंदर ही क्रैच खुले होते हैं. सरकारी औफिसों में खुले क्रैच में बाहरी लोग भी अपने बच्चे को रख सकते हैं. इस के लिए बस उन को फीस कुछ ज्यादा देनी पड़ती है. प्राइवेट नौकरी करने वाली रजनी कहती हैं कि क्रैच और डे बोर्डिंग स्कूल में अंतर होता है. क्रैच में आप छोटे से छोटे बच्चे को भी रख सकती हैं जबकि डे बोर्डिंग स्कूल में 2 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे ही रखे जा सकते हैं. रजनी को अपने औफिस से केवल 2 माह की छुट्टी मिली थी, उन को 2 माह की उम्र में ही बच्चे को क्रैच में भेजना शुरू करना पड़ा. समाज में वर्किंग मदर की बढ़ती संख्या को देखते हुए क्रैच खोलना अब एक कैरियर भी बन गया है. लगभग हर बड़े शहर की बड़ी कालोनी या रिहायशी इमारतों के आसपास क्रैच खुल रहे हैं.

अपने हों साथ तो क्या बात

रीना एनजीओ सैक्टर में काम करती हैं. वे कहती हैं, ‘‘हमें कभीकभी काम के सिलसिले में घर पहुंचतेपहुंचते काफी रात हो जाती थी. ऐसे में हमारे सामने कई मुश्किलें थीं. इन मुश्किलों से बचने के लिए हम ने अपनी मां को अपने पास बुला लिया. वे आ कर बच्चे की देखभाल करने लगीं. मैं कभीकभी रात में घर नहीं भी आती थी तो भी वे बच्चे की देखभाल कर लेती थीं. मुझे लगता है कि अगर संभव हो तो हम कोई ऐसी व्यवस्था कर दें जिस से घर का कोई बड़ाबुजुर्ग बच्चे की देखभाल करने को तैयार हो जाए. इस से बच्चे की तनिक भी चिंता नहीं रहती. रात में भी यह नहीं सोचना होता कि अब बच्चे को कहां रखें? ‘‘हम कितना भी महंगा क्रैच क्यों न खोज लें, उस में वह बात नहीं होती जो घर के बड़ेबुजुर्ग में होती है. आज की पीढ़ी अपने घर के बड़ेबुजुर्गों की देखभाल से बचने के लिए उन्हें अपने साथ नहीं रखती. अगर बच्चा घर के लोगों के साथ रहेगा, तो वह ज्यादा सुरक्षित रहेगा, उसे अच्छे संस्कार भी मिलेंगे.’’ मजदूर तबके की और स्वतंत्र रूप से काम करने वाली कुछ महिलाएं काम के दौरान भी बच्चे को साथ रखने का काम करती हैं. लेकिन जो नौकरी करती हैं उन के लिए बच्चे को साथ रखना मुनासिब नहीं होता. उन की कार्यक्षमता और तरक्की पर भी असर पड़ता है. ऐसे में क्रैच, घर के लोग और डे बोर्डिंग स्कूल उन का सहारा बन सकते हैं. पर इन जगहों पर बच्चे को रखने के लिए पहले मानसिक रूप से खुद को तैयार कर लें. बच्चे को भी पूरा सहारा दें ताकि उसे इस बात का एहसास न हो सके कि वह बिना मांबाप के अकेला रहता है. कई बार ऐसे हालात बच्चे के लिए नुकसानदायक साबित होती है.

पुरुषों को क्यों भाती हैं बड़ी उम्र की महिलाएं

1981 में रिलीज हुई ‘प्रेम गीत’ फिल्म के गाने की एक लाइन ‘न उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बंधन…’ बौलीवुड सितारों पर एकदम सटीक बैठती है. इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में मलाइका अरोड़ा और एक्टर अर्जुन कपूर के अफेयर की चर्चा है और इस से ज्यादा चर्चा उन के बीच एज गैप की है. दोनों की उम्र में लगभग 11 साल का अंतर है. इस वजह से उन्हें अकसर सोशल मीडिया पर ट्रोल होना पड़ रहा है.

एक इंटरव्यू के दौरान मलाइका अरोड़ा ने कहा था कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां अगर एक उम्रदराज उम्र की महिला अपने से कम उम्र के लड़के से प्यार करे, तो लोग उसे ऐक्सैप्ट नहीं करते हैं.

समाज में यह धारणा है कि शादी के वक्त लड़की की उम्र लड़के से कम होनी चाहिए क्योंकि माना जाता है कि पति घर का मुखिया होता है तो उसे अनुभवी और ज्यादा सम  झदार होना चाहिए. भारत में सरकार की तरफ से भी शादी की कानूनन उम्र लड़के के लिए 21 साल और लड़की के लिए 18 रखी है.

मगर बदलते समय में प्यार करने के अंदाज में भी काफी बदलाव आया है और इस का सब से बड़ा उदाहरण है लड़कों का अपनी उम्र से बड़ी लड़कियों के प्रति आकर्षित होना. अब उम्र के अंतर को नजरअंदाज कर प्यार और सम्मान के भाव से देखा जा रहा है. लड़के अपने से उम्र में छोटी नहीं, बल्कि खुद से बड़ी लड़कियों को ज्यादा पसंद करने लगे हैं. बौलीवुड से ले कर हौलीवुड तक में इस तरह के कई कपल्स मिल जाएंगे जिन की उम्र में काफी अंतर है.

इमैनुएल मैक्रों: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपनी पत्नी ब्रिजेट मैक्रों से 24 साल छोटे हैं. जिस वक्त इमैनुएल मैक्रों स्कूल में पढ़ते थे तब ब्रिजिट उन की टीचर थीं और दोनों के बीच उसी समय प्रेम परवान चढ़ा था.

उर्मिला मातोंडकर: ऐक्ट्रैस उर्मिला मातोंडर ने अपने से 9 साल छोड़े लड़के मीर मोहसिन अख्तर से शादी की. मोहसिन बिजनैस करने वाले कश्मीरी परिवार से हैं.

फराह खान: बौलीवुड की जानीमानी डायरैक्टर और कोरियाग्राफर फराह खान ने भी अपने से 9 साल छोटे शिरीष कुंदर से 2004 में शादी की और आज वे 3 बच्चों के मातापिता हैं. फराह खान ‘मैं हूं न’ फिल्म के सैट पर शिरीष कुंदर से पहली बार मिली थीं और फिर दोनों में प्यार हो गया.

प्रीति जिंटा: ऐक्ट्रैस प्रीति जिंटा ने अपने से 10 साल छोटे जीन गुडइनफ से 2016 में शादी की और आज वे अपने पति के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही हैं.

प्रियंका चोपड़ा: ऐक्ट्रैस प्रियंका चोपड़ा ने कुछ अरसा पहले ही क्रिश्चियन और हिंदू रीतिरिवाज के साथ हौलीवुड ऐक्टर और सिंगर निक जोनस से शादी की थी. दोनों का अफेयर काफी चर्चा में रहा. निक जोनस प्रियंका से 10 साल छोटे हैं.

सैक्सुअल प्रैजेंटेशन महिलाओं के लिए बेहद माने रखता है, साथ ही फिजिकल और इमोशन दोनों ही भावनाओं को बांटती हैं. इसलिए पुरुष और महिलाओं की उम्र का यह कौंबिनेशन परफैक्ट कहा जा रहा है. और भी बहुत से कारण है जिन के चलते पुरुष को बड़ी उम्र की महिलाएं भा रही हैं जैसे:

आत्मविश्वास: बड़ी उम्र की महिलाएं अपनेआप को बहुत अच्छी तरह सम  झती हैं. कोईर् भी फैसला वे बचपने में नहीं, बल्कि बहुत सोचसम  झ कर लेती हैं. वे अपनेआप में बहुत हद तक मैनेज्ड होती हैं. वे जानती हैं कि उन्हें अपनी लाइफ से क्या अपेक्षाएं रखनी चाहिए और क्या नहीं. वे आत्मविश्वासी होती हैं और इसीलिए पुरुष को मैच्योर महिलाएं ज्यादा आकर्षित करती हैं.

जिम्मेदार: समय और तजरबे के साथ मैच्योर महिलाएं जहां अपनी सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना सीख जाती हैं, वहीं वे मुश्किल परिस्थियों का भी अच्छी तरह से सामना कर पाती हैं. कई मामलों में वे न सिर्फ अपने तजरबे की मदद लेती हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर इन के हल भी ढूंढ़ निकालती हैं जिस की वजह से कई जगहों पर पुरुष उन के साथ रिलैक्स महसूस करते हैं. ऐसी महिलाएं अपने कैरियर को ले कर काफी सैट होती हैं. अपनी लाइफ को और बेहतर बनाने के लिए पुरुषों को ऐसी ही जिम्मेदार साथी की जरूरत होती है जो हर पथ पर उन के साथ कंधे से कंधा मिला कर चले.

स्वतंत्र: युवतियों और किशोरियों से एकदम अलग सोच रखने वाली बड़ी उम्र की महिलाएं मानसिक तौर पर स्वतंत्र होती हैं. अकसर बड़ी उम्र की महिलाएं कमाऊ होती हैं और पूरी तरह से आत्मनिर्भर होती हैं. जरूरत पड़ने पर वे अपने साथी की आर्थिक रूप से सपोर्ट भी करती हैं.

ईमानदार: प्रेम संबंधों में सम्मान और स्पेस दोनों ही अलग महत्त्व रखते हैं. और बड़ी उम्र की महिलाएं यह बात सम  झती हैं. वे अपने रिश्ते के प्रति बहुत ईमानदार होती हैं, साथ ही अपने साथी की भावनाओं को भी सम  झती हैं.

अनुभवी: बड़ी उम्र की महिलाएं अनुभवी होती हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ अनुभव कर लिया होता है. इसलिए जीवन में आने वाली मुश्किलों के लिए वे तैयार रहती हैं.

बात करने का सलीका: बड़ी उम्र की महिलाओं का व्यवहार, पल में तोला पल में मासा की तरह नहीं होता यानी जल्दीजल्दी बदलता नहीं रहता. वे कोई भी काम सोचसम  झ कर और बड़े सलीके से करती हैं.

सैक्स: शरमाने की जगह बड़ी उम्र की महिलाएं सैक्स के दौरान अपने पार्टनर को सपोर्ट करती हैं. वे स्पष्ट तौर पर बता देती हैं कि उन्हें अपने पार्टनर से क्या अपेक्षाएं हैं जो पुरुष को काफी पसंद आता है.

उम्र से नहीं पड़ता खास फर्क

आज के तेजी से बदलते समय में किसी की उम्र का सही अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल काम है खासतौर से महिलाओं की और वैसे भी आज के युवाओं के लिए जीवनसाथी की उम्र से ज्यादा उस की प्रतिभा, सम  झ और सूरत ज्यादा माने रखती है.

स्वाभाविक प्रक्रिया

पुरुषों का महिलाओं की ओर आकर्षित होना हमेशा से ही स्वाभाविक प्रक्रिया रही है. प्रकृति ने वैसे भी पुरुष और महिला को एकदूसरे के पूरक के तौर पर बनाया है जिस की वजह से इन दोनों के बीच परस्पर आकर्षण होना स्वाभाविक है. लेकिन जब यह आकर्षण अपने से बड़ी उम्र की महिला के प्रति होने लगे तो यह खास बन जाता है.

हाल ही मेें एक रिसर्च में पाया गया है कि पुरुष अपने से बड़ी उम्र की महिला से संबंध बनाने के बाद मानसिक और शारीरिक रूप से ज्यादा संतुष्टि प्राप्त करते हैं.

मर्द और औरत की उम्र में इस अंतर में रिलेशनशिप बनते देखे जाना आज आम बात होती जा रही है. लेकिन इस के क्या कारण हैं? क्या उम्र के साथ जहां खूबसूरती ढलती है, वहीं कुछ सकारात्मक चीजें महिलाओं में बढ़ जाती हैं जिन्हें पुरुष शायद नोटिस करते हैं या ऐसी क्या चीजें हैं जो पुरुष को बड़ी उम्र की महिलाओं की ओर आकर्षित कर रही है. चलिए जानते हैं, इस संबंध में क्या कहते हैं साइकोलौजिस्ट:

कुछ साइकोलौजिस्ट ऐसा मानते हैं कि 45 से 50 की उम्र में महिलाओं में सेक्स के प्रति उत्तेजना और सम  झ बढ़ जाती है और किसी कम उम्र महिला की तुलना में वे पुरुष को ज्यादा संतुष्ट कर सकती हैं. तो यह भी एक कारण है कि पुरुष मैच्योर महिलाओं के प्रति आकर्षित होते हैं. वहीं कई शोध बताते हैं कि जहां पुरुष इंटीमेट होने में ज्यादा वक्त नहीं लगाते वहीं महिलाओं को इस के लिए वक्त चाहिए होता है. वे भी अपने से कम उम्र पुरुष की ओर अट्रैक्ट होती हैं क्योंकि वे अधिक ऊर्जावान होते हैं.

किशोरावस्था में यौन संबंधों पर नियंत्रण

एक अध्ययन के अनुसार हाल के वर्षों में किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों में तेजी से वृद्धि होने का मुख्य कारण विवाह की उम्र का बढ़ना है. जीव विज्ञानियों के अनुसार, बच्चे शारीरिक रूप से 13 साल की उम्र में परिपक्व हो जाते हैं और उन में सैक्स की इच्छा जाग्रत होने लगती है, जबकि अब उन का विवाह औसतन 27 वर्ष की उम्र में होता है. ऐसी स्थिति में वे इतने लंबे समय तक सैक्स की इच्छा को दबा पाने में असमर्थ होते हैं और वे यौन संबंध स्थापित कर लेते हैं.

अध्ययन में पाया गया है कि लड़कियों की तुलना में लड़के सैक्स संबंध में अधिक रुचि लेते हैं, जबकि लड़कियां भावनात्मक लगाव पसंद करती हैं. लेकिन लड़कियां जब लड़कों से भावनात्मक रूप से जुड़ती हैं, तो वे भी यौन संबंध की इच्छा प्रकट करने लगती हैं. आम धारणा है कि लड़कियां खुद को सैक्स से दूर रखना चाहती हैं, लेकिन इस का कारण परिवार और समाज का डर होता है. इसलिए इस से यह साबित नहीं होता कि लड़कियों में यौन इच्छा कम होती है.

कुछ लड़कियों का मानना है कि यौन संबंध के बगैर भी किसी लड़के से दोस्ती निभाई जा सकती है, लेकिन कुछ समय बाद भी जब लड़की यौन संबंध के लिए राजी नहीं होती है, तो उसे असामान्य मान लिया जाता है और उन की दोस्ती टूट जाती है. इसलिए मजबूरीवश भी लड़कियों को इस के लिए तैयार होना पड़ता है. कुछ लड़कों का कहना है कि लड़कियां शर्मीले स्वभाव की होती हैं, इसलिए वे सैक्स के मामले में पहल नहीं करती हैं, लेकिन बाद में इस के लिए तैयार हो जाती हैं.

किशोर लड़केलड़कियों के बीच यौन संबंध महानगरों में तो आम बात हैं ही, छोटे शहर व कसबे भी अब इन से अछूते नहीं हैं. कुछ लड़कों का कहना है कि कौमार्यता उन के लिए कोई माने नहीं रखती. शादी से पहले यौन संबंध बनाना कोई बुरी बात नहीं है. जबकि कुछ लड़कियों का कहना है कि इस मामले में लड़के दोहरा मानदंड अपनाते हैं. एक तरफ तो वे शादी से पूर्व शारीरिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन शादी के मामले में वे ऐसी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं, जिस ने शादी से पूर्व यौन संबंध स्थापित न किए हों.

यौन संबंधों की शुरुआत

किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों की शुरुआत शारीरिक आकर्षण से होती है. जब लड़कालड़की एकदूसरे से सम्मोहित हो जाते हैं, तो वे एकदूसरे को प्यार से छूते और चूमते हैं और फिर बहुत जल्द ही उन में यौन संबंध कायम हो जाते हैं. लेकिन प्यार और दोस्ती उसी अवस्था में अधिक दिनों तक कायम रह पाती है जब शारीरिक संबंधों को महत्त्व न दिया जाए. जब प्यार पर सैक्स हावी हो जाता है तो जल्द ही उन का मन सैक्स से भर जाता है और संबंध टूट जाते हैं, क्योंकि यहां भावनात्मक लगाव कम या कह सकते हैं कि न के बराबर होता है. माना जाता है कि ऐसे मामलों में लड़कियां खुद को अधिक असुरक्षित महसूस करती हैं.

अधिकतर मामलों में वे लड़कों पर आंख बंद कर विश्वास नहीं करतीं. कभीकभी वे बड़ों से भी सलाह लेती हैं. लड़कियां किशोरावस्था में अपने व्यक्तित्व के विकास पर अधिक ध्यान देती हैं. वे लड़कों के बराबर चलना चाहती हैं. लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि लड़कियां संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं लेतीं, बल्कि वे इस में बराबर की भागीदार होती हैं. कुछ लड़कों का तो यहां तक कहना है कि आज के समय में लड़कियां लड़कों से आगे हो गई हैं. वे लड़कों के बीच भेदभाव पैदा कर देती हैं. सैक्स एवं यौन संबंधों के बारे में जानकारी के मुख्य स्रोत टैलिविजन, पत्रपत्रिकाएं, सिनेमा आदि हैं. लेकिन सैक्स शिक्षा के अभाव तथा सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे भटक जाते हैं. इस का सब से अधिक खमियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ता है.

लड़कियां यौन संबंध स्थापित तो कर लेती हैं, लेकिन गर्भनिरोध की जानकारी के अभाव में वे गर्भवती हो जाती हैं. हालांकि अधिकतर मातापिता का यह कहना है कि भारत में गैरशादीशुदा किशोर लड़कियों में गर्भवती होने के बहुत कम मामले होते हैं. शिक्षकों का भी यही मानना है. इस का कारण यह है कि मातापिता और शिक्षक इस मामले में अनभिज्ञ होते हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में उन्हें पता ही नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध बनाए हुए हैं. बच्चे भी डर से ऐसी बातें मातापिता या शिक्षकों को नहीं बताते. लड़केलड़कियां खुद ही गर्भपात कराने डाक्टर के पास चले जाते हैं. ऐसे मौके पर उन के दोस्त उन का साथ देते हैं. हालांकि कुछ मामलों में लड़कियां गर्भपात नहीं कराना चाहतीं, लेकिन चूंकि उन के पास दूसरा कोई उपाय नहीं होता, इसलिए अंतत: उन्हें गर्भपात कराना ही पड़ता है.

इंटरनैशनल प्लांड पैरेंटहुड फैडरेशन के अनुसार विश्व भर में हर साल कम से कम 20 लाख युवतियां गैरकानूनी गर्भपात कराती हैं. चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं की तुलना में किशोरवय की लड़कियों में गर्भपात अधिक घातक साबित होता है. अवैध और असुरक्षित यौन संबंध एड्स का बहुत बड़ा कारण है. हालांकि एड्स के भय से अब एक ही साथी से यौन संबंध बनाने में लड़केलड़कियां अधिक रुचि रखने लगे हैं, फिर भी शारीरिक संबंध बनाने के समय वे कोई सावधानी नहीं बरतते. कुछ स्कूलों में बच्चों को एड्स के बारे में शिक्षा दी जाने लगी है और कुछ मातापिता भी अपने बच्चों को एड्स तथा सुरक्षित सैक्स की जानकारी देने लगे हैं. फिर भी एचआईवी के नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे एकीकृत राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी के नए मामलों में 60% मामले 15 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं के पाए गए. इन में लड़कों की तुलना में दोगुनी लड़कियों में एड्स के मामले पाए गए.

अधिकतर मामलों में मातापिता को पता नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध स्थापित किए हुए हैं. फिर भी यदि मातापिता और शिक्षक चाहें तो सैक्स अपराध को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं. इस के लिए बच्चों को समय पर उचित सैक्स शिक्षा दी जानी चाहिए. प्रतिकूल हालात में उन की मदद करनी चाहिए. इस के अलावा उन्हें अपनी ऊर्जा किसी खेल या इसी तरह के दूसरे किसी शौक में लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

आज एड्स जैसी बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. ऐसे में किशोरों में फैल रही यौन उच्छृंखलता पर नियंत्रण आवश्यक है. इस के लिए किशोरों को सैक्स से दूर रहने की शिक्षा देने या सैक्स के बारे में आधीअधूरी जानकारी देने के बजाय उन्हें सही अर्थों में सैक्स के बारे में ज्ञानवान बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सही मार्ग अपना सकें.

टीन क्रश: जिम्मेदारी का एहसास

किशोरावस्था मनुष्य के जीवनकाल का वह समय है, जब न तो बचपन रहता है और न ही जवानी आई होती है. यह दौर किशोरों में शारीरिक व मानसिक परिवर्तन व विकास का होता है. बदलावों के इस दौर से गुजर रहे किशोरों में क्रश के भाव उपजना आम बात है. क्रश एक तरह का आकर्षण है, जो उस के साथ पढ़ने वाले किशोर या किशोरी किसी के प्रति भी उपज सकता है.

क्रश को ज्यादातर लोग प्यार की श्रेणी में ही रख कर देखते हैं, लेकिन यह प्यार से एकदम अलग होता है, क्योंकि प्यार एक बार हो गया तो यह जीवन भर बना रहता है. किशोरों में होने वाला क्रश जनून की हद तक जा सकता है. क्लास में एकदूसरे के हावभाव, बौडी लैंग्वेज, पढ़ाई में तेजतर्रार होने, अलग पहनावा व हेयरस्टाइल, बनसंवर कर रहने के चलते भी हो सकता है. कभीकभी किसी की मासूमियत देख कर भी क्रश हो सकता है.

किशोरावस्था में होने वाले क्रश के दौर में अगर सावधानी न बरती जाए तो यह कैरियर व पढ़ाई को तो बरबाद करता ही है साथ ही जिस के प्रति आकर्षण है उस की पढ़ाई व कैरियर भी चौपट हो सकता है. ऐसे में क्रश विपरीत लिंग के प्रति मात्र आकर्षण ही नहीं बढ़ाता बल्कि जिम्मेदारी का एहसास कराने की पहली सीढ़ी भी माना जाना चाहिए. अगर आप के किशोर मन में किसी के प्रति आकर्षण है तो उस के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा कर उस की नजर में अच्छे बन सकते हैं.

क्रश को बनाएं जिम्मेदारी

आप को जब भी किसी के प्रति क्रश हो तो उस के पीछे न भागें और न ही उसे ले कर पढ़ाई व कैरियर से मुंह मोड़ें बल्कि उसे भी समझने की कोशिश करें और जरूरत पड़ने पर उस की पढ़ाईलिखाई में भी मदद करें. कई बार देखा गया है कि जिस के प्रति आप क्रश के भाव रखते हैं वह अपनी पढ़ाई व कैरियर को ले कर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होता. ऐसे में उसे एहसास करा सकते हैं कि आप उस के करीबियों में से हैं और उस की समस्या का निदान आसानी से कर सकते हैं. अगर आप को उस के पढ़ाई व कोर्स से जुडे़ सवालों के जवाब न भी पता हों तो अपने किसी जानने वाले की मदद से उस की मदद कर सकते हैं.

कभीकभी पढ़ाई के बीच कैरियर का सवाल आप के क्रश के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर देता है. ऐसे में आप उसे उबारने में बेहतर मददगार साबित हो सकते हैं. आप उसे समझा सकते हैं कि उस का मन जिस कैरियर को चुनने के लिए गवाही दे रहा हो, वह उसे चुने.

आप की यह जिम्मेदारी आप के क्रश को एहसास करा सकती है कि आप उस का भला ही सोचते हैं. जैसा कि जाहनवी के साथ हुआ. 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली जाहनवी का अपने सहपाठी नीरज के साथ क्रश था, जिस के चलते वह स्कूल जल्दी पहुंच जाती और स्कूल के गेट पर खड़ी हो कर नीरज का इंतजार करती. नीरज के स्कूल आने के बाद जाहनवी का मन गुलजार हो जाता, लेकिन  जिस दिन नीरज स्कूल न आता उस दिन जाहनवी का मन पढ़ाई में नहीं लगता.

जब नीरज को जाहनवी के इस लगाव के बारे में पता चला तो उस का भी जाहनवी के प्रति आकर्षण बढ़ गया. परंतु वह समझदार निकला. उसे लगा कि इस के चलते जाहनवी की पढा़ई व कैरियर पर प्रभाव पढ़ रहा है. अत: उस ने उसे सचेत किया और कहा कि हम एकदूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन इस का हमारी पढ़ाई पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए.

साथ ही उस ने उस की पढ़ाई में भी मदद की. इस से जाहनवी अपनी क्लास के बच्चों के समकक्ष पहुंच गई. इस प्रकार जिम्मेदारी का एहसास हो तो क्रश मजबूत बनता है वरना बरबादी का कारण.

बुरी आदतों को छुड़ाने में करें मदद

अगर आप के साथ किसी का क्र्रश है तो आप सिर्फ उस की पढ़ाईलिखाई या कैरियर के मामले में ही मदद नहीं कर सकते बल्कि आप उस में आई बुराई को भी दूर करने में मदद कर सकते हैं. आप के क्रश को तंबाकू, सिगरेट, गुटका, शराब आदि व्यसनों की लत है तो उस की इस बुरी लत को छुड़ाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं. आप इन से होने वाली हानि से बचाने के लिए उस से जुड़ी जागरूकता सामग्री, पत्रपत्रिकाएं, साहित्य, गिफ्ट कर उन की मदद कर सकते हैं. अगर आप के प्रयास के चलते आप का क्रश इन बुरी आदतों को छोड़ता है तो निश्चित ही उस का लगाव आप के प्रति और बढ़ जाएगा.

सोशल मीडिया से डालें मदद करने की आदत

अगर आप खुद के क्रश के लिए सचमुच समर्पित हैं तो इस में सोशल मीडिया आप का बेहतर मददगार साबित हो सकता है. आप सोशल मीडिया के जरिए अपने साथी के सवालों का समाधान चैट बौक्स या वीडियो कौलिंग के जरिए कर सकते हैं.

सैक्स संबंध बनाने से बचें

चिकित्सक डा. श्यामनारायण चौधरी के अनुसार किशोरावस्था में अपने से विपरीत लिंग के प्रति क्रश होना और उस को ले कर सैक्स संबंध बनाने के सपने देखना आम बात है. इस का एक बड़ा कारण किशोरों में कई तरह के हारमोनल चेंज

होना है. ऐसी स्थिति में किशोर जिस से क्रश रखते हैं उस के साथ सैक्स अपराध करने में भी नहीं हिचकते. ऐसे में जब तक आप इस स्थिति में न पहुंच जाएं कि आप परिपक्व सैक्स के बारे में पूरी तरह से जानकारी प्राप्त कर लें, इन चीजों से दूरी बना कर रखना ही ज्यादा उचित होगा.

क्रश के चलते जिम्मेदार बनें व निम्न बातों का ध्यान रख कर आदर्श प्रस्तुत करें : 

– अपने क्रश को ले कर खुद की भावनाओं पर संतुलन बनाना सीखें.

– अपने क्रश की रुचि और पसंदनापसंद को जानें, इस से आप को उस की मदद करने में आसानी होगी.

– अगर आप का क्रश अत्यधिक शरमीला है तो आप आत्मविश्वास जगाने में उस की मदद करें.

– आप अपने क्रश की दिनचर्या की जानकारी रखें. इस से आप को उस की मदद करने में आसानी होगी.

– क्रश पर भरोसा करना सीखें.

– अच्छे कपडे़ पहनें, अच्छा हेयरस्टाइल रखें, खुद साफसफाई रखें और क्रश को भी इस के लिए प्रेरित करें.

– जब भी क्रश के साथ बैठें तो पढ़ाई से जुड़ी बातों से शुरुआत करें ताकि वह भी अपनी पढ़ाई व कैरियर से जुड़ी समस्याओं को आप से शेयर करे, जिस से आप उस की मदद कर पाएंगे, लेकिन जब लगे कि वह आप की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहा, तो टौपिक चेंज करें और हलकीफुलकी बातें करें.

मैं अपनी नाराज दोस्त से दोबारा कैसे मिलूं?

सवाल-

कुछ महीनों पहले एक युवक से इंटरनैट के माध्यम से मेरी दोस्ती हुई. नैट पर चैटिंग के अलावा फोन पर भी हम दिन में कई बार बात करते हैं. अब तक वह मुझे काफी शरीफ और संजीदा युवक लगा पर एक दिन उस ने अचानक मुझे डिनर के लिए एक होटल में आमंत्रित किया तो मैं सन्न रह गई. मैं ने कहा कि दिन में कहीं मिल सकती हूं पर रात में और वह भी किसी होटल में नहीं. मेरे घर वाले इस की इजाजत नहीं देंगे. इस पर उस ने मुझे काफी भलाबुरा कहा कि मैं किस जमाने में जी रही हूं. ऐसी छोटी सोच रखने वाली लड़की से वह दोस्ती नहीं रख सकता वगैरहवगैरह. उस दिन से हमारी बात नहीं हुई है. मुझे उस की बहुत याद आती है. क्या उस की बात मान लूं? 

जवाब-

दोस्ती के बीच किसी प्रकार की शर्त या जिद नहीं आनी चाहिए. यदि आप के दोस्त को आप से मिलना था तो वह अपनी सुविधा को देखते हुए दिन में भी मिल सकता था. यदि वह इतनी सी बात के लिए आप से दोस्ती खत्म कर रहा है तो आप को इस अध्याय को यहीं बंद कर देना चाहिए. उस के आगे झुकने की जरूरत नहीं है. जहां तक उस की याद आने की बात है, तो वह समय के साथ धूमिल पड़ जाएगी.

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सोनिका सुबह औफिस के लिए तैयार हो गई तो मैं ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटी, आराम से नाश्ता कर लो, गुस्सा नहीं करते, मन शांत रखो वरना औफिस में सारा दिन अपना खून जलाती रहोगी. मैनेजर कुछ कहती है तो चुपचाप सुन लिया करो, बहस मत किया करो. वह तुम्हारी सीनियर है. उसे तुम से ज्यादा अनुभव तो होगा ही. क्यों रोज अपना मूड खराब कर के निकलती हो?’’

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- जूनियर, सीनियर और सैंडविच: क्यों नाराज थी सोनिका

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लव या लस्ट, क्या है पहली नजर का प्यार

फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘बेफिक्रे’, ‘ओके जानू’, ‘वजह तुम हो’ आदि फिल्मों को देखने के बाद प्यार के नाम पर परोसा जाने वाला मसाला, लव, इमोशंस, इज्जत से परे केवल ‘लस्ट’ यानी सैक्स या कामुकता के आसपास दिखाया जाता है. युवकयुवती की मुलाकात हुई, थोड़ी बातचीत हुई और बैडरूम तक पहुंच गए. आज की सारी लव स्टोरी फिल्मों से ले कर दैनिक जीवन में भी ऐसी ही कुछ देखने को मिलती है. यह सही है कि फिल्में समाज का आईना हैं और निर्मातानिर्देशक मानते हैं कि आज की जनरेशन इसे ही स्वीकारती है.

आज यूथ के लिए प्यार की परिभाषा बदल चुकी है. प्यार का अर्थ जो आज से कुछ साल पहले तक एहसास हुआ करता था, उसे आज गलत और पुरानी मानसिकता कहा जाता है. ऐसे में सामंजस्य न बनने की स्थिति में ऐसे रिश्ते को तोड़ना आज आसान हो चुका है और यूथ लिव इन रिलेशनशिप को बेहतर मानने लगा है, क्योंकि शादी के बाद अगर कोई समस्या आती है, तो कानूनी तौर पर अलग होना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यह सही है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा अवश्य होता है.

दरअसल, असल जीवन में जब युवकयुवती मिलते हैं तो उन्हें यह समझना मुश्किल होता है कि वे लव में जी रहे हैं या लस्ट में. कभीकभार वे समझते हैं कि लव में जी रहे हैं, जबकि वह लव नहीं, लस्ट होता है. जब तक वे इसे समझ पाते हैं कि उन का रिश्ता किधर जा रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और रिश्ता टूट जाता है.

जानकारों की मानें तो जब आप पहली बार किसी से मिलते हैं तो पहली नजर में प्यार नहीं लस्ट होता है, जो बाद में प्यार का रूप लेता है. फिर एकदूसरे को आप पसंद कर अपने में शामिल कर लेते हैं.

एमएनसी में काम करने वाली मधु बताती है कि पहले मैं राजेश से बहुत प्यार करती थी. हम दोनों एक फैमिली फंक्शन में मिले थे. करीब एक साल बाद उस ने मुझे घर बुलाया और उस दिन हम दोनों ने सारी हदें पार कर दीं. इस तरह जब भी समय मिलता हम मिलते रहते, लेकिन जब मैं ने उस से शादी की बात कही, तो वह यह कह कर टाल गया कि थोड़े दिन में वह अपने मातापिता को बता कर फिर शादी करेगा. जब घर गया तो वहां से उस ने न तो फोन किया और न ही कोई जवाब दिया. जब मुंबई वापस आया तो उस के साथ उस की पत्नी थी.

मैं चौंक गई, वजह पूछी तो बोला कि उस के मातापिता ने जबरदस्ती शादी करवा दी है. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई. मैं क्या कर सकती थी. उस ने कहा कि वह अब भी मुझ से प्यार करता है और उसे तलाक दे कर मुझ से शादी करेगा, लेकिन आज तक कुछ समाधान नहीं निकला. अब मुझे समझ में आया कि यह उस का लव नहीं लस्ट था, क्योंकि अगर वह असल में प्यार करता तो किसी भी प्रकार के दबाव में शादी नहीं करता.

इस बारे में मैरिज काउंसलर डा. संजय मुखर्जी कहते हैं कि युवकयुवती का रिश्ता तभी तक कायम रहता है जब तक वह एकदूसरे को खुशी दें. प्यार में पैसा जरूरी है जो केवल 10त्न तक ही खुशी दे सकता है, इस से अधिक नहीं. प्यार भी कई प्रकार का होता है, रोमांटिक प्यार जो सब से ऊपर होता है, जिस का उदाहरण रोमियोजूलिएट, हीररांझा, लैलामजनूं आदि की कहानियों में दिखाई पड़ता है. महिलाएं अधिकतर लव को महत्त्व देती हैं जबकि पुरुषों के लिए लव अधिकतर लस्ट ही होता है. तकरीबन 75 से 80त्न महिलाएं लव और लस्ट को इंटरलिंक्ड मानती हैं. महिलाएं मोनोगेमिक नेचर की होती हैं, जबकि पुरुष का नेचर पोल्य्गामिक होता है. एक स्त्री एक साल में एक ही बच्चा पैदा कर सकती है, जबकि पुरुष 100 बच्चों को जन्म दे सकता है. आकर्षण के बाद भी लव हो सकता है और जब आकर्षण होता है, तो उस में शारीरिक आकर्षण अधिक होता है. ये सारी प्रक्रियाएं हमारे मस्तिष्क द्वारा कंट्रोल की जाती हैं.

इस के आगे वे कहते हैं कि सबकुछ हर व्यक्ति में अलगअलग होता है. ऐसा देखा गया है कि शादी के बाद भी कुछ युवतियों में शारीरिक संबंधों को ले कर कुछकुछ गलत धारणाएं होती हैं, जिन्हें ले कर भी वे अपने रिश्ते खराब कर लेती हैं और तलाक ले लेती हैं.

लव मन की भावनाओं के साथ जुड़ता है जिस के साथ लस्ट जुड़ा होता है. लव एक मानसिक जरूरत को दर्शाता है तो दूसरा शारीरिक जरूरत को बयां करता है.

कई बार महिलाएं केवल लस्ट का अनुभव करती हैं, लव का नहीं, जिस से वे रियल प्यार की खोज में विवाहेत्तर संबंध बनाती हैं. किसी एक की कमी आप के रिश्ते को खराब करती है.

लव में सैक्सुअल कंपैटिबिलिटी होना बहुत जरूरी है. रिलेशनशिप में रहना गलत नहीं, लेकिन इस में एक तरह की सोच रखने वाले ही सफल जीवनसाथी बन पाते हैं.

लव और लस्ट के बारे में चर्चा सालों से चली आ रही है. क्या पहली नजर में प्यार होता है या वह लस्ट ही होता है? क्या अच्छा है, लव या लस्ट? हमारे आर्टिस्ट जो इन्हीं विषयों पर धारावाहिक और फिल्में बनाते हैं. आइए जानें इस बारे में उन की अपनी सोच क्या है :

अदा खान : लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. प्यार पहली नजर में हो सकता है पर इसे पनपने में समय लगता है. दोनों ही नैचुरल हैं, पर लव की परवरिश करनी पड़ती है. जब आप किसी से प्यार करते हैं तो आप का दिल जोरजोर से धड़कता है, लेकिन मेरे हिसाब से ‘रियल सोलमेट’ के मिलने से आप शांत अनुभव करते हैं. लव और लस्ट में काफी अंतर है. लस्ट आप के सिर के ऊपर से चला जाता है, लेकिन प्यार का नशा हमेशा जारी रहता है. प्यार आप एक बार ही कर सकते हैं, लेकिन लस्ट आप बारबार कहीं भी कर सकते हैं.

अंजना सुखानी : अभिनेत्री अंजना सुखानी कहती हैं कि लव और लस्ट दोनों ही हमारी जरूरत हैं. एक मानसिक तो दूसरा शारीरिक है, लेकिन दोनों में सामंजस्य अवश्य होना चाहिए. प्यार आप को सुरक्षा, सम्मान, खुशी, चाहत आदि सबकुछ देता है, जबकि लस्ट क्षणिक होता है. लस्ट प्यार को अधिक दिन तक आगे नहीं ले जा सकता.

श्रद्धा कपूर : श्रद्धा कपूर बताती हैं कि लव में लस्ट होता है, लेकिन इसे सहेजना पड़ता है. मुझे कोई पहली नजर में अच्छा लग सकता है, पर प्यार हो जाए यह जरूरी नहीं. उस के लिए मुझे सोचना पड़ेगा. मैं परिवार के अलावा हर निर्णय सोचसमझ कर लेती हूं. इतना सही है कि अगर प्यार मिले तो उस में लस्ट अवश्य होगा. इस के लिए सही जांचपरख भी होगी.

पूनम पांडेय : पूनम के अनुसार लव में 60% लस्ट का होना जरूरी होता है. तभी उस का मजा आता है, लेकिन इस के लिए दोनों को ही सही तालमेल बनाए रखना जरूरी है. मैं यह मानती हूं कि पहली नजर में प्यार होता है और उस के बाद लस्ट आता है.

करण वाही : क्रिकेटर से मौडल और ऐक्टर बने करण वाही कहते हैं कि पहली नजर में अगर किसी से प्यार हो जाए तो इस से बढ़ कर और अच्छी बात कोई नहीं है. जब आप किसी से मिलते हैं तो एक अजीब तरह का आकर्षण महसूस करते हैं. हालांकि लव की परिभाषा गहन है, लेकिन यही आकर्षण लव में परिवर्तित हो सकता है. जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो उस की हर बात आप को अच्छी लगने लगती है. लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. इस में फीलिंग्स की गुंजाइश कम होती है.

ज्योत्स्ना चंदोला : ‘ससुराल सिमर का’ धारावाहिक में नकारात्मक भूमिका निभा कर चर्चित हुई ज्योत्स्ना चंदोला कहती हैं कि लव मेरे लिए लौंग टर्म रिलेशनशिप है, जहां आप किसी से इतना जुड़ जाते हैं कि आप को उस के लिए कुछ भी करना अच्छा लगता है. लस्ट शौर्टटर्म और शारीरिक संबंध है. लव पहली नजर में नहीं हो सकता लेकिन लस्ट पहली नजर में हो जाता है. मैं अभी लव में हूं तो मुझ से बेहतर इसे कोई और समझ नहीं सकता.

कृतिका सेंगर धीर : टीवी अभिनेत्री कृतिका कहती हैं कि लस्ट खोखला इमोशन है, जो थोड़े दिन बाद खत्म हो जाता है, जबकि लव मजबूत, शक्तिशाली और जीवन को बदलने वाला होता है. लव से आप को खुशी मिलती है. इस से सकारात्मक सोच बनती है. मुझे इस का बहुत अच्छा अनुभव है, क्योंकि काम के दौरान मुझे सच्चा प्यार मेरे पति के रूप में निकितिन धीर से मिला.

सुदीपा सिंह : धारावाहिक ‘नागार्जुन’ में मोहिनी की भूिमका निभा रहीं सुदीपा सिंह कहती हैं कि आजकल रिश्तों के माने बदल चुके हैं. ऐसे में सही प्यार का मिलना मुश्किल है, अधिकतर लस्ट ही हावी होता है. लस्ट हर जगह आसानी से मिल जाता है. एक  सही प्यार आप की जिंदगी बदल देता है और लस्ट आप को अधूरा कर सकता है. पहली नजर में प्यार कभी नहीं होता, लेकिन आप को एक एहसास जरूर होता है, जो समय के साथ प्रगाढ़ होता है. मुझे इस का अनुभव है. मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि किसी को भी अगर कोई ‘सोलमेट’ मिले तो उसे संभाल कर रखें.

लव और लस्ट में अंतर

– लव एक प्रकार का आंतरिक एहसास है, जबकि लस्ट प्यार के साथसाथ एक शारीरिक खिंचाव भी है.

–  लव में एकदूसरे के प्रति मानसम्मान, इज्जत, ईमानदारी, विश्वसनीयता, आपसी सामंजस्य अधिक होता है, लेकिन लस्ट में चाहत, पैशन और गहरे इमोशंस होते हैं.

– लव में एक व्यक्ति दूसरे की खुशी को अधिक प्राथमिकता देता है जबकि लस्ट थोड़े समय की खुशी देता है.

– लव कुछ देने में विश्वास रखता है, जिस में व्यक्ति सुरक्षा का अनुभव करता है, जबकि लस्ट में अर्जनशीलता अधिक हावी रहती है, इस से असुरक्षा अधिक होती है.

– लव समय के साथसाथ मजबूत होता है, जबकि लस्ट का प्रभाव धीरेधीरे कम होने लगता है.

–  लव का एहसास सालोंसाल रहता है जबकि लस्ट पूरा हो जाने पर भुलाया भी जा सकता है.

– लव अनकंडीशनल होता है, जबकि लस्ट में व्यक्ति अपनी खुशी देखता है, कई बार लस्ट, लव में भी बदल जाता है पर वह लस्ट के साथसाथ ही चलता है. बाद में उस की अहमियत नहीं रहती.

दोस्ती करें और ब्रेकअप फीवर से बचें

अकसर ब्रेकअप के बाद प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे को भूलने के लिए हर फंडा अपनाते हैं. एकदूसरे को सोशल साइट्स पर ब्लौक करते हैं. वैसी जगहों पर जाना छोड़ देते हैं जहां उन के पार्टनर आते हैं. कुछ तो कौमन फ्रैंड्स से भी दूरी बना लेते हैं ताकि उन्हें ब्रेकअप का कारण न बताना पड़े.

पर कभी ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती करने के बारे में नहीं सोचते, जबकि ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती रखना  न केवल फायदेमंद होता है, बल्कि यह आप को मानसिक रूप से भी सबल बनाता है, जिस से आप खुश रहते हैं और डिप्रैशन से बाहर निकलते हैं.

क्यों पसंद नहीं करते दोस्ती करना

आमतौर पर ब्रेकअप के बाद दोस्ती रखना इसलिए पसंद नहीं किया जाता, क्योंकि इस से साथी और उस की यादों से निकलने में काफी तकलीफ होती है, पर ब्रेकअप के बाद आपस में दोस्ती का रिश्ता रख कर आप एकदूसरे की मदद कर सकते हैं. इस में कोई बुराई नहीं है बल्कि इस से यह स्पष्ट होता है कि आप के दिल में एकदूसरे के प्रति कोई गलत धारणा नहीं है.

बौलीवुड अदाकारा दीपिका पादुकोण ने अपने ऐक्स बौयफ्रैंड रणवीर कपूर से ब्रेकअप के बाद भी बहुत ही प्यारा और दोस्ताना रिश्ता रखा है. दीपिका की कई बातें ब्रेकअप के बाद मूवऔन करना और अपने ऐक्स के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना सिखाती हैं. पर्सनल बातों को किनारे रखते हुए प्रोफैशनली दीपिका ने रणवीर कपूर के साथ फिल्म साइन की और दर्शकों ने इस फिल्म को काफी सराहा. इस बात से पता चलता है कि हमें प्यार और काम में कैसे बैलेंस बना कर रखना चाहिए. अगर आप और आप का ऐक्स एक ही जगह पढ़ते या काम करते हैं तो अपने काम को कभी भी रिश्ते की खातिर इग्नोर न करें और न ही ब्रेकअप को खुद पर हावी होने दें.

बौलीवुड कपल्स जिन्होंने ब्रेकअप के बाद भी निभाई दोस्ती

रणवीर दीपिका

रणवीर और दीपिका की दोस्ती को बौलीवुड सलाम करता है. ब्रेकअप के बाद दोस्ती के रिश्ते को मैंटेन रखना कोई इन से सीखे.

अनुष्का रणबीर

रणबीर सिंह और अनुष्का शर्मा ने अपनी पहली फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ के बाद एकदूसरे को डेट करना शुरू कर दिया था. लेकिन इन का यह रिश्ता बहुत समय तक चल नहीं पाया और ब्रेकअप हो गया. ब्रेकअप के बाद ये कुछ समय के लिए एकदूसरे से दूर थे, लेकिन फिर दोनों ने दोस्ती कर ली.

शिल्पा अक्षय

90 के दशक में इन की हिट जोड़ी थी, लेकिन कुछ समय बाद ये अलग हो गए और अक्षय ने टिंवकल से शादी कर ली और शिल्पा ने राज कुंदरा में प्यार ढूंढ़ लिया, लेकिन आज भी दोनों अच्छे दोस्त की तरह मिलते हैं.

ऋषि डिंपल

रणवीर ने दीपिका से ब्रेकअप के बाद दोस्ती काफी अच्छे से बरकरार रखी. आखिरकार इतने अच्छे से मैनेज करना उन्होंने अपने पापा से सीखा है. ऋषि कपूर ने भी एक जमाने में डिंपल कापडि़या के साथ दोस्ती मैंटेन की थी.

क्या न करें

सोशल प्लेटफौर्म न छोड़ें

अकसर ऐसा होता है कि ब्रेकअप के बाद हम सोशल प्लेटफौर्म छोड़ देते हैं, अकाउंट डिऐक्टिवेट कर देते हैं या फिर पार्टनर को ब्लौक कर देते हैं. ऐसे में सोशल साइट्स पर बने रहें, लेकिन वहां अपने इमोशंस को ज्यादा पोस्ट न करें.

इंसल्ट करने की गलती न करें

ब्रेकअप की वजह से हम इतने तनाव में आ जाते हैं कि हम क्या करते हैं, हमें खुद भी पता नहीं होता, इसलिए इंसल्ट करने की गलती न करें. अगर आप ऐसा करती हैं तो नुकसान आप का ही है.

इमोशनल ब्लैकमेल न करें

युवतियां ब्रेकअप के बाद काफी इमोशनल ब्लैकमेल करती हैं, बारबार फोन पर रोती हैं. इस तरह की हरकत न करें. ऐसा करने से पार्टनर को लगने लगता है कि अगर वह आप के टच में रहेगा तो उसे हमेशा आप का यह ड्रामा झेलना पड़ेगा.

ब्रेकअप के बाद न दिखाएं पजैसिवनैस

कुछ युवतियां जब तक रिलेशन में होती हैं तब तक वे रिलेशन को तवज्जो नहीं देतीं, लेकिन जैसे ही ब्रेकअप होता है वे पजैसिव बनने लगती हैं, अजीबअजीब हरकतें करने लगती हैं और दोस्ती बरकरार रखने का मौका खो देती हैं.

शहर व जौब न छोड़ें

ब्रेकअप के बाद अकेलापन लगता है, किसी काम में मन नहीं लगता. ऐसे में कुछ तो जौब छोड़ देते हैं या फिर शहर बदल लेते हैं ताकि सबकुछ भूल जाएं. लेकिन ऐसा करना समस्या का हल नहीं है. ऐसा कर के आप खुद का भविष्य खराब करते हैं.

अवौइड करने की भूल न करें

ब्रेकअप के बाद आप पार्टनर को अवौइड न करें. ऐसा न करें कि जहां आप का पार्टनर जा रहा हो, आप वहां सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दें कि वहां आप का ऐक्स बौयफ्रैंड भी आ रहा है. अवौइड कर के आप लोगों को बातें बनाने का मौका देती हैं.

क्या करें

मिलें तो नौर्मल बिहेव करें

ब्रेकअप के बाद जब पार्टनर से मिलें तो नौर्मल बिहेव करें, ऐसा न हो कि आप उसे हर बात पर पुरानी बातें याद दिलाते रहें, कहते रहें कि पहले सबकुछ कितना अच्छा था, हम कितनी मस्ती करते थे और आज देखो, हमारे पास बात करने के लिए भी कुछ नहीं है. ऐसा भी न करें कि ब्रेकअप के बाद मिलें तो ओवर ऐक्साइटेड बिहेव करें, यह दिखाने के लिए कि आप पहले से ज्यादा खुश हैं, बल्कि ऐसे रहें जैसे आप अपने बाकी फैं्रड्स के साथ रहती हैं.

चिल यार का फंडा अपनाएं

ब्रेकअप के बाद खुद को स्ट्रौंग रखने के लिए चिल यार का फंडा अपनाएं. आप सोच रही होंगी कि चिल यार का फंडा क्या है? चिल यार का फंडा है जैसे अपना मेकओवर करवाएं, फ्रैंड्स के साथ पार्टी करें, वे सारी चीजें करें जो आप रिलेशनशिप की वजह से नहीं कर पाती थीं.

अपनी तरफ से दें फ्रैंडशिप प्रपोजल

भले ही सामने वाला आप से फ्रैंडशिप रखने में रुचि न दिखाए, लेकिन आप फिर भी खुद से फ्रैंडशिप का प्रपोजल दें. आप के व्यवहार को देख कर सामने वाला भी आप से दोस्ती बरकरार रखेगा.

एक सीमा तय करें

ब्रेकअप के बाद की दोस्ती में एक दायरा तय करें, क्योंकि पहले की बात कुछ और थी. अब चीजें बदल चुकी हैं. अब आप दोनों दोस्त हैं. ऐसा न हो कि आप के बीच का रिश्ता तो खत्म हो गया है लेकिन इस के बाद भी आप के बीच कभी शारीरिक संबंध बन जाएं. इसलिए एक दायरा तय करें. अगर आप ने तय किया है कि दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे तो इस रिश्ते की गरिमा को बना कर रखें.

इन 5 वजहों से गर्लफ्रेंड से दूरी बनाते हैं बौयफ्रैंड

गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड के रिश्ते में हल्की फुल्की नोंक झोंक तो चलती ही रहती है. ये नोंक-झोंक प्यार को और मजबूत बनाती है. लेकिन कभी-कभी झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है. वैसे तो झगडे में कोई एक जिम्मेदार नहीं होता गलती दोनों तरफ से ही होती है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे वो बातें जिससे ब्वॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड से दूरी बनाने लगता है.

1. शक

महिलाएं अक्सर बहुत जल्द शक करने लगती हैं. उनका ब्वॉयफ्रेंड कहां है और क्या कर रहे हैं. इसे जानने के लिए सभी प्रकार की मुखर्तापूर्ण व्यवहार करने लगती हैं. महिलाओं द्वारा किए जाने वाले इस व्यवहार को मर्द बिल्कुल पसंद नहीं करते.

2. जरूरत से ज्यादा खर्चा

ज्यादार गर्लफ्रेंड अपने ब्वॉयफ्रेंड का वॉलट अनावश्यक रूप से शॉपिंग करके खाली करवा देती हैं. गर्लफ्रेंड द्वारा जरूरत से ज्यादा खर्चा करवाए जाने को ज्यादातर ब्वॉयफ्रेंड पसंद नहीं करते. ऐसी स्थिति में भी ब्वॉयफ्रेंड इस रिश्ते से दूरी बनाने लगता है.

3. पर्सनल स्पेस

गर्लफ्रेंड द्वारा पर्सनल स्पेस ना दिए जाने के कारण भी ब्वॉयफ्रेंड को अपनी गर्लफ्रेंड पर गुस्सा आना लगता है. ज्यादातर लड़कियां अपने ब्वॉयफ्रेंड को अपने दोस्ते के साथ टाइम बिताने नहीं देती है. ऐसी स्थिति किसी भी रिश्ते के लिए सही नहीं होती है.

4. मजाक नहीं पसंद

ब्वॉयफ्रेंड को यह कतई पसंद नहीं आता कि उनकी गर्लफ्रेंड किसी और सामने उनका मजाक बनाएं. महिलाओं अक्सर अपनी सहेलियों और दोस्तों के सामने अपने ब्वॉयफ्रेंड का मजाक बनाने से नहीं चूंकती. बता दें कि ब्वॉयफ्रेंड ऐसा चीजे बिल्कुल पसंद नहीं करते और धीरे-धीरे इस रिश्ते से दूरी बनाने लगते हैं.

5. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा

ज्यादातर लड़किया छोटी-छोटी बातों को लेकर अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ झगड़ा करती रहती हैं.वे भूल जाती है उनका द्वारा किया जा रहा यह मूर्खतापूर्ण व्यवहार उनके अच्छे लाइफ पार्टनर को कितनी परेशानी में डाल सकता है.

इसीलिए जरुरी है कि गर्लफ्रैंड औऱ बौयफ्रेंड के रिश्ते की डोर को संभाल कर रखा जाए ताकि एक छोटे से झटके रिश्ता ना टूट जाए.

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