मैं और मेरी गर्लफ्रैंड शादी करने जा रहे हैं,मैं अपनी मैरिड लाइफ सक्सैसफुल बनाना चाहता हूं, इसके लिए हमे क्या करना चाहिए?.

सवाल

मेरी उम्र 28 साल की है और फाइनली मैं और मेरी गर्लफ्रैंड शादी करने जा रहे हैं. हम दोनों ही बहुत खुश हैं. फ्यूचर प्लानिंग करते हैं. नएनए सपने देख रहे हैं. सबकुछ बहुत सुंदर लग रहा है. बसएक बात फिर भी दिल के कोने में बैठी हैवह यह है कि अकसर लोग कहते हैं कि शादी के बाद बहुतकुछ बदल जाता है. जो हमें बहुत खूबसूरत लग रही है हकीकत की दुनिया में आ कर सब धूमिल हो जाएगी. इसलिए थोड़ा सा डर भी लग रहा है. मैं अपनी मैरिड लाइफ सक्सैसफुल बनाना चाहता हूं. आप कुछ सलाह दीजिए ताकि मेरे अंदर का डर खत्म हो सके.

जवाब 

शादी के बाद हर कपल की लाइफ में ढेरों बदलाव आते हैं. जिन का सामना हर कपल को करना पड़ता है. इन बदलावों को स्वीकार कर के ही मैरिड लाइफ सक्सैसफुल बनती है. ये बदलाव कुछ ऐसे हैं जैसे भले ही दोस्त और औफिस आप की प्राथमिकता हुआ करते थे पर शादी के बाद पार्टनर सही माने में प्राथमिकता बन जाता है. कई बार दूर रह कर जो व्यक्ति आप को बहुत आकर्षित करता है कभीकभी शादी के बाद ऐसा कुछ नहीं रहता. आप ने जितनी खूबसूरत जिंदगी की कल्पना की होती हैवैसा कुछ नहीं होता. ऐसे में कुछ दिनों में ही सम?ा आ जाता है कि अब आप को अपने पार्टनर की कमियों को भी ऐक्सैप्ट करना पड़ेगा. अचानक से लाइफ बदल जाती है. कई जिम्मेदारियां सिर पड़ जाती हैं. जिस से पहले के रूटीन और अपनी आदतों में बदलाव करने पड़ जाते हैं. लेकिन ये जिम्मेदारियां आप को जिम्मेदार बना देती हैं. शादी के बाद कपल एकदूसरे के प्रति अधिक सहज हो जाते हैं. पहले जिन चीजों को ले कर शर्मिंदगी महसूस होती थी वे रोज की बातें हो जाती हैं. कई चीजों का जो क्रेज बना होता हैवह कम हो जाता है.इस सब का यह मतलब नहीं कि आप शादी के नाम से अब घबराने लगें. बदलाव ही तो जिंदगी का नाम हैउन्हें कैसेकिस तरह से बखूबी टैकल करना हैयह आप की सम?ादारी है. होप फौर द बैस्ट.

हेवी नाश्ते से करें दिन की शुरुआत

नाश्ता प्रत्येक घर में प्रतिदिन खाया जाता है परन्तु हर दिन नाश्ते में क्या बनाया जाए यह भी हर रोज का ही यक्ष प्रश्न होता है. आहार विशेषज्ञों के अनुसार नाश्ता हमारे भोजन का सबसे अहम भाग होता है क्योंकि रात्रि भोजन के लंबे अंतराल के बाद नाश्ता पहला मील होता है जिससे हमारे शरीर को पोषण प्राप्त होता है. इन दिनों बाजार में पालक, मैथी और बथुआ जैसी हरी सब्जियों की भरमार है तो क्यों न इन सब्जियों का प्रयोग करके कुछ हैल्दी सा बनाया जाए, आज हम आपको ऐसे ही 2 नाश्ते बनाना बता रहे हैं जो बहुत हैल्दी भी हैं और जिन्हें आप बहुत आसानी से घर में उपलब्ध चीजों से ही बना भी सकते हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-पालक पनीर सर्कल्स

कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री (सर्कल्स के लिए)
बेसन 1 कप
पालक 1/2 कप
ताजा दही 1 टेबलस्पून
तेल 1 टीस्पून
हरी मिर्च 2
अदरक 1 छोटी गांठ
नमक स्वादानुसार
अजवायन 1/8 टीस्पून
चिली फ्लैक्स 1/8 टीस्पून
सामग्री(फिलिंग के लिए)
पनीर 100 ग्राम
काली मिर्च 1/4 टीस्पून
चाट मसाला 1/2 टीस्पून
बारीक कटा हरा धनिया 1 टेबलस्पून
टोमेटो सॉस 1बड़ा चम्मच

विधि

पालक को दही, हरी मिर्च, अदरक, के साथ मिक्सी में पीस लें. अब इसमें बेसन, अजवाइन, नमक और 1/4 कप पानी मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें. पनीर को किस कर सभी सामग्री मिलाएं. अब तैयार बेसन के मिश्रण में से 1 बड़ा चम्मच मिश्रण लेकर चिकनाई लगे नॉनस्टिक तवे पर छोटे छोटे गोलाकार में फैलाएं जैसे ही हल्का सा रंग बदले पलटकर दूसरी तरफ सेंक लें. इसी प्रकार सारे सर्कल्स तैयार कर लें.
अब एक सर्कल पर चम्मच से टोमेटो सॉस की पतली सी लेयर लगाकर पनीर के मिश्रण को अच्छी तरह फैलाकर दूसरे सर्कल से कवर कर दें. अब इसे घी लगाकर धीमी आंच पर तवे पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेंक कर सर्व करें.

-चिली गार्लिक रोल

कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
प्लेन ओट्स 1 कप
सूजी 1/2 कप
बथुआ प्यूरी 1/4 कप
ताजा दही 1 कप
पानी 1/2 कप
हरी मिर्च 3-4
अदरक 1 छोटी गांठ
पिघला बटर 2 टीस्पून
बारीक कटा लहसुन 6 कली
बारीक कटी हरी मिर्च 6
बारीक कटा हरा धनिया 1 टेबल्स
चिली फ्लैक्स 1/4 टीस्पून
नमक 1/4 टीस्पून
चाट मसाला 1 टीस्पून

विधि

ओट्स को मिक्सी में दही, बथुआ, लहसुन और हरी मिर्च के साथ पीस लें. अब इसमें पानी, नमक, सूजी मिलाकर 30 मिनट के लिए ढककर रख दें. दूसरे बाउल में बटर, हरी धनिया, लहसुन, हरी मिर्च और चिली फ्लैक्स अच्छी तरह मिलाएं. 30 मिनट बाद बटर को ओट्स में भली भांति मिला दें. अब एक नॉनस्टिक पैन पर तैयार मिश्रण से एक बड़ा चम्मच मिश्रण फैलाएं. धीमी आंच पर दोनों तरफ से चिकनाई लगाकर सेंकें. इसी प्रकार सारे रोल्स सेंक लें. अब इन पर चाट मसाला बुरकेँ आए गर्मागर्म रोल करके सर्व करें.

सर्वाइकल कैंसर का प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले असर को समझना

कैंसर का पता चलना भारी सदमा पहुँचाने वाला हो सकता है, और कैंसर के उपचार से प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) और संपूर्ण सेहत, दोनों प्रभावित हो सकते हैं. सर्वाइकल कैंसर, कैंसर का एक प्रकार है जो गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्‍स) में होता है. गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होती है और वजाइना की ओर आगे निकली होती है.

हाल में किए गए शोध के मुताबिक, 30-35 साल की उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2019 में 45,300 भारतीय महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गँवानी पड़ी. इसलिए, सही कदमों और उपायों के साथ इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी जानलेवा खतरों का सामना करने के लिए शिक्षित और जागरूक होना बहुत महत्वपूर्ण है.

डॉ. गुंजन सभरवाल, गुरुग्राम में आईवीएफ विशेषज्ञ, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, का कहना है कि-

कैंसर के उपचार के बाद प्रजनन दर में कमी आती है

सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए उपचार के अनेक विकल्प उपलब्ध हैं। हालाँकि, इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियों का भविष्य में गर्भधारण के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है :

सर्जरी :

कैंसर के ग्रेड के आधार पर सर्वाइकल कैंसर का इलाज कोनाइजेशन, एलईईपी, रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी या हिस्टेरेक्टॉमी जैसी सर्जरी की मदद से किया जाता है. ये प्रक्रियाएँ प्रजनन क्षमता में बाधा डाल सकती हैं.

कीमोथेरेपी :

कीमोथेरेपी साइटोस्टैटिक्स और साइटोटॉक्सिन नामक दवाओं का उपयोग करके तेजी से विभाजित होने वाली कैंसर कोशिकाओं के विभाजन को नष्ट करती या रोकती है। चूँकि,दवा आमतौर पर “व्‍यवस्थित रूप से” रक्तप्रवाह के माध्यम से दी जाती है, इसलिए यह विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को भी लक्षित कर सकती है। यदि इसका असर अंडों के डीएनए पर असर पड़ता जाता है (यानी, अंडा आनुवंशिक रूप से असामान्य हो जाता है), तो हो सकता है इसका निषेचन (फर्टिलाइजेशन) नहीं हो, या इसके कारण गर्भपात या जन्म दोष हो सकता है.

रेडिएशन थेरेपी :

रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की उम्‍मीद में उच्च-ऊर्जा किरणों को निर्देशित करना शामिल है. लेकिन, इस उपचार के दौरान, शरीर कैंसर से अप्रभावित हिस्सों पर भी बहुत जोखिम हो जाता है, जिससे महिला के सभी अंडाणु नष्ट हो जाते हैं. विकिरण गर्भाशय की परत को भी प्रभावित करेगा और उन पर घाव के दाग पैदा करेगा. रेडिएशन थेरेपी से गुजरने वाली महिलाओं के समय से पहले मेनोपॉज होने की संभावना नहीं होती है.

सर्वाइकल कैंसर से लड़ने वाली महिलाओं के लिए प्रजनन के विकल्प

कैंसर से जंग जीतने वाले जो लोग उपचार से पहले प्रजनन संरक्षण करा लेते हैं, उनके पास परिवार शुरू करने के कई विकल्प होते हैं. आईवीएफ, आईयूआई, एग या एम्ब्रियो फ्रीजिंग जैसे अत्‍याधुनिक फर्टिलिटी समाधान कैंसर के उपचार से पीड़ित महिलाओं या उसके बाद के चरण में पैरेंटहुड  की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होता है.

अन्य प्रक्रियाओं, जैसे कि डिम्बग्रंथि के ऊतकों की फ्रीजिंग के लिए अपनी प्रजनन योजनाओं को शुरू करने से पहले आपको अपने प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श करने और उनका मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता होती है. आपके प्रजनन संबंधी विकल्पों और प्रजनन क्षमता पर कैंसर के उपचार के संभावित प्रभाव के बारे में अपने डॉक्टर के साथ व्यापक बातचीत करना महत्वपूर्ण है. सही दृष्टिकोण के साथ, कपल्‍स के पास भविष्य में माता-पिता बनने की सबसे अच्छी संभावना हो सकती है.

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और टीकाकरण

सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद के लिए आप जो दो सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं, वह है जल्दी टीका लगवाना और नियमित रूप से जाँच कराना. एचपीवी वैक्सीन एचपीवी के उन प्रकारों से रक्षा कर सकता है जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं, और पैप टेस्‍ट और एचपीवी टेस्‍ट जैसे नियमित जाँच कराने से सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता लगा सकते हैं, खासकर जब यह सबसे अधिक उपचार के योग्य होता है.

एक्स बौयफ्रैंड बन न जाए मुसीबत

नेहा की शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी. पति के नए घरपरिवार में नेहा को स्पैशल ट्रीटमैंट मिल रहा था. अक्षय अपने मातापिता का इकलौता बेटा था, ऐसे में उस की पत्नी नेहा की आवभगत भला क्यों न होती. 3 महीने हो गए थे, सास ने उसे रसोई में घुसने नहीं दिया था. नेहा 15 दिन के हनीमून के बाद लौटी तो जरूरत की हर चीज उस के कमरे में ही पहुंच जाती थी. घर के तीनों नौकर हर वक्त उस की खिदमत में हाजिर रहते थे.

किट्टी पार्टी, रिश्तेदारों और महल्ले में उस की सास उस की खूबसूरती और व्यवहार के कसीदे सुनाते घूमती थी. शाम को नेहा अकसर सजधज कर हसबैंड के साथ घूमने निकल जाती. दोनों फिल्म देखते, रैस्तरां में खाना खाते, शौपिंग करते. जिंदगी मस्त बीत रही थी. मगर अचानक एक दिन नेहा के सुखी वैवाहिक जीवन का महल भरभरा कर गिर पड़ा.

उस दिन उस की सास पड़ोसी के यहां बैठी थी. जब पड़ोसी के बेटे ने अपने कंप्यूटर पर नेहा के अश्लील चित्र उस की सास को दिखाए. ये चित्र उस ने नेहा के फेसबुक अकाउंट से डाउनलोड किए थे, जहां वह अपनी अर्र्द्धनग्न तसवीरें पोस्ट कर के सैक्स के लिए युवकों को आमंत्रित करती थी. शर्म, अपमान और दुख से भरी नेहा की सास ने बेटे को फोन कर के तुरंत घर बुलाया. पड़ोसी के कंप्यूटर पर बैठ कर नेहा का फेसबुक अकाउंट चैक किया गया तो अक्षय के भी पैरोंतले धरती डोल गई.

तसवीरें देख कर इस बात से इनकार ही नहीं किया जा सकता था कि यह नेहा नहीं थी और इस अकाउंट से यह साफ था कि वह एक प्रौस्टिट्यूट थी. उस ने वहां पर बाकायदा घंटे के हिसाब से अपने रेट डाल रखे थे. अपनी अश्लील कहानियां तसवीरों के साथ डाल रखी थीं. बड़ा हंगामा खड़ा हो गया. नेहा के परिवार वालों को बुलाया गया. खूब कहासुनी हुई. नेहा मानने को ही तैयार नहीं थी कि वह फेसबुक अकाउंट उस का था, मगर जो तसवीरें सामने थीं वे उसी की थीं. नेहा के मातापिता भी हैरान थे.

नेहा का कहना था कि वह फेसबुक पर कभी थी ही नहीं. उस ने लाख मिन्नतें कीं, लाख सफाई दी, लाख कहा कि यह फर्जी अकाउंट है, मगर सब बेकार. उस को उसी दिन उस के मातापिता के साथ मायके वापस जाना पड़ा. उस की ससुराल वाले ऐसी बहू को एक पल के लिए भी अपने घर में नहीं रखना चाहते थे जिस के चरित्र के बारे में महल्ले वालों को भी पता चल चुका था. अक्षय के परिवार के लिए यह घटना शर्म से डूब मरने जैसी थी. जैसे उन के मुंह पर भरे बाजार किसी ने कालिख पोत दी थी. इस परिवार का महल्ले में बड़ा आदरसम्मान था.

उधर नेहा का रोरो कर बुरा हाल था. मायके लौटते वक्त उसे बारबार अपने ऐक्स बौयफ्रैंड नितिन का खयाल आ रहा था. हो न हो, यह काम उसी का हो सकता है. उसी ने बदला लेने के लिए उस की ऐसी तसवीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की हैं. मगर ये तसवीरें उस ने कब और कैसे खींचीं, यह बात नेहा को परेशान कर रही थी.

नितिन के साथ वह 3 साल प्रेम में रही. कालेज खत्म होने के बाद उस ने पाया कि नितिन शादी या अपने फ्यूचर को ले कर बिलकुल चिंतित नहीं है. न तो वह जौब ढूंढ़ रहा था, न किसी कंपीटिशन की तैयारी कर रहा था. वह, बस, सैरसपाटा, मौजमस्ती में ही जी रहा था. ज्यादातर समय उस की जेब खाली होती थी. यहां तक कि जब वे घूमने जाते या फिल्म देखने जाते तो सारा खर्चा नेहा ही करती थी क्योंकि उस को कालेज खत्म करते ही जौब मिल गई थी.

एक साल तक तो नेहा ने नितिन के इस लापरवाह व्यवहार को बरदाश्त किया मगर फिर उस ने फ्यूचर प्लानिंग को ले कर उस से सवाल पूछने शुरू कर दिए. आखिर उस की भी जिंदगी का सवाल था. उस के सवालों से नितिन खी?ा उठता. उस से लड़ने लगता. नेहा को एहसास हो गया कि नितिन पति लायक मैटीरियल नहीं है. वह घरगृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है. जबकि नेहा अब सैटल होना चाहती थी. नेहा के मातापिता को उस की शादी की जल्दी थी. एक से एक रिश्ते आ रहे थे. अच्छे पढ़ेलिखे और बढि़या जौब वाले हैंडसम पुरुषों के रिश्ते थे, जिन्हें नजरअंदाज करना बेवकूफी थी.

आखिरकार तंग आ कर नेहा ने नितिन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला कर लिया. नितिन को उस का दूर होना काफी अखरा था.

ब्रेकअप की बात पर वह उस से काफी लड़ा?ागड़ा भी. मगर, कब नौकरी करोगे? कब शादी करोगे? कब अपने मांबाप से मिलवाओगे? नेहा के ऐसे सवालों का उस के पास कोई जवाब न था. नितिन से अलग होने के सालभर के अंदर ही नेहा की शादी अक्षय से हो गई. इस बीच वह न तो नितिन से मिली और न ही उस से फोन पर कोई बात हुई. इतना वक्त गुजरने के बाद नितिन इस तरह नेहा के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बना कर बदला लेगा, उसे बदनाम करने की कोशिश करेगा, ऐसा उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

नेहा के कहने पर उस के मातापिता ने पुलिस के साइबर सैल में नितिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, मगर पुलिस की लेटलतीफी के चलते 6 महीने बीत चुके हैं, नितिन अभी तक उन के हत्थे नहीं चढ़ा है. इधर अक्षय के वकील की ओर से नेहा को तलाक का नोटिस मिल चुका है. ऐक्स बौयफ्रैंड की जलन और बदले की भावना ने नेहा की अच्छीभली खुशहाल जिंदगी खत्म कर दी है.

मेरठ की रागिनी भी अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की हरकतों से परेशान है. पेशे से टीचर रागिनी को उस का ऐक्स बौयफ्रैंड मधुर आएदिन रास्ते में रोक कर डरानेधमकाने की कोशिश करता है. रागिनी 5 साल तक मधुर के साथ रिलेशनशिप में थी. मधुर की मोहक छवि ने रागिनी के दिलोदिमाग पर जैसे कब्जा कर लिया था. वह अपनी आधी से ज्यादा सैलरी उस पर लुटाने लगी थी. मगर शादी की बात पर मधुर भी चुप लगा जाता था.

रागिनी के मातापिता ने भी कई बार मधुर से शादी के बारे में पूछा, मगर उस ने कोई पक्का जवाब नहीं दिया. आखिरकार तंग आ कर रागिनी ने उस से संबंध तोड़ लिए. कोलकाता के एक बड़े बिजनैसमैन प्रकाश के साथ जब से रागिनी का रिश्ता तय हुआ है, वह खुश तो बहुत है मगर दिल में मधुर का भय भरा हुआ है. यह डर इतना हावी है कि वह न तो शादी की खरीदारी के लिए घर से बाहर निकल रही है, न किसी से अपने रिश्ते की बात शेयर कर रही है. उसे और उस के मातापिता को डर है कि जैसे ही मधुर को पता चलेगा कि उस की शादी तय हो गई है, वह जरूर कोई न कोई गलत हरकत करेगा. हो सकता है वह उस के होने वाले पति की जानकारी प्राप्त कर के वहां कोई ऐसी बात पहुंचा दे जिस से यह रिश्ता टूट जाए. हो सकता है वह रागिनी के साथ मारपीट करे या उसे शारीरिक नुकसान पहुंचाए. ये तमाम बुरे खयाल रागिनी की खुशियों पर ग्रहण की तरह चस्पां हो गए हैं.

इस डर से रागिनी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी डिलीट कर दिए हैं, अपना मोबाइल फोन का नंबर भी बदल दिया है, मगर डर है कि, जाता ही नहीं है. मधुर के कारण ही रागिनी के मातापिता बेटी की शादी कोलकाता जा कर कर रहे हैं. लड़के वालों को पहले तो यह बात अटपटी लगी थी, मगर इस में उन्हें ही सहूलियत नजर आई कि चलो, भारीभरकम बरात ले कर मेरठ नहीं जाना पड़ेगा. काफी खर्चा बच जाएगा, यह सोच कर वे राजी भी हो गए.

मेरठ में रागिनी के मातापिता ने बेटी की शादी की बात बहुत नजदीकी रिश्तेदारों को बताई है. कुछ गिनेचुने लोग ही शादी अटैंड करने के लिए कोलकाता जा रहे हैं. सबकुछ बेहद गुपचुप तरीके से प्लान हो रहा है. ऐक्स बौयफ्रैंड रागिनी के लिए ऐसा हौआ बन गया है कि वह अपनी खुशियां तक एंजौय नहीं कर पा रही है.

‘प्यार’ शब्द किसी के भी मन में उमंग जगा देता है. 2 लोग जब प्यार में होते हैं तो उन के लिए एकदूसरे की खुशी सब से ज्यादा जरूरी होती है. लेकिन हर लव स्टोरी सक्सैसफुल हो, ऐसा होता नहीं है. रिश्ते टूटते भी हैं और यहीं से पैदा होती है नफरत. जरूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो, लेकिन ज्यादातर में ऐसा होता है. ब्रेकअप होने पर कुछ लोग अपनी जिंदगी में मस्त हो जाते हैं या दूसरा साथी ढूंढ़ लेते हैं, वहीं कुछ लोग बदला लेने की ठान लेते हैं. सोचते हैं कि वह मेरी नहीं हुई तो किसी और की कैसे हो सकती है?

शाहरुख खान की फिल्म ‘डर’ आप को याद होगी. ‘क…क….क… किरण’ वाली. यह भी दिल टूटे आशिक की कहानी है, जो ऐसा ही सोचता कि तू मेरी न हुई तो तु?ो किसी और का होने न दूंगा. खैर, वह तो फिल्म थी जिस में जूही चावला एक पगलाए आशिक से बच जाती हैं, मगर नेहा और रागिनी की जिंदगी कोई फिल्म नहीं है, हकीकत है. वे अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की गलत हरकतों, साजिश और बदले का शिकार बन गई हैं.

रिश्ता तोड़ते वक्त रखें सावधानी

एक मशहूर गीत के बोल हैं, ‘वो अफसाना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…’ किसी के साथ रिश्ते में होना बेहद खूबसूरत एहसास है, मगर यह सुंदर सपना जब टूटता है तो बड़ी चोट पहुंचती है.

प्रेम संबंध टूटने की कुछ वजहें होती हैं, जैसे दोनों में से किसी एक का शादी के लिए राजी न होना, घरवालों का दबाव होना, धर्मजाति का अलगअलग होना, लड़के का नौकरी न करना, कोई फ्यूचर प्लानिंग न होना वगैरहवगैरह. जब आप को लगे कि आप का रिश्ता किसी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता तो ठीकठीक वजहें सामने रख कर अलगअलग राह चुनने के लिए अपने पार्टनर से खुल कर बात करें. अगर वह आप से सचमुच प्यार करता है तो वह आप की बात को जरूर सम?ोगा.

ऐसे में आप आपसी सम?ाते के साथ एकदूसरे से खुशीखुशी अलग हो सकते हैं. यदि आप का बौयफ्रैंड आप से किसी मतलब से जुड़ा हुआ है तो वह आप को धमकी देने की या डराने की कोशिश करेगा. हो सकता है वह आप को ब्लैकमेल भी करे. ऐसे में तुरंत अपने मातापिता को उस के बारे में बताएं और उस की पुलिस कंपलैंट करें. ऐसे लोगों से डरने की कतई जरूरत नहीं है. डरने से उन के हौसले बुलंद होंगे और आप ठगी व ब्लैकमेलिंग का शिकार बन सकती हैं.

इस के अलावा, ब्रेकअप के वक्त और उस के बाद कुछ बातें आप को ध्यान में रखनी चाहिए ताकि भविष्य में जिस से भी आप की शादी हो, उस के साथ आप खुश रह सकें और कभी अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की किसी साजिश का शिकार न बनें.

बौयफ्रैंड से धीरेधीरे दूरी बनाएं

अगर आप की शादी तय हो गई है तो जरूरी नहीं कि आप एक ?ाटके में अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ दें. जब रिश्ता बनने में वक्त लगता है तो उसे खत्म करने में भी लगेगा. इसलिए दूरी धीरेधीरे बनाएं. उसे उन बातों का एहसास दिलाएं कि वे क्या मजबूरियां हैं जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं. आप उस को इस बात के लिए तैयार करें कि वह उन मजबूरियों को सम?ो और अपनी उन कमियों को माने जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं.

खुल कर सारी बात करें. अपनी परेशानी और अपनी इच्छाएं बताएं. एक पल में सबकुछ खत्म करने की कोशिश न करें, क्योंकि हो सकता है कि सामने वाला अचानक हुए खालीपन को बरदाश्त न कर पाए. उसे समय दें और धीरेधीरे सारे कौन्टैक्ट खत्म करें. अगर आप के फोटोज या अन्य चीजें उस के पास हों तो उन्हें वापस लेने की कोशिश करें.

बौयफ्रैंड के दिए गिफ्ट नष्ट कर दें

जब हम किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं तो हमारे बीच तमाम चीजों का आदानप्रदान होता है. हम बर्थडे, वैलेंटाइन डे या अन्य कई मौकों पर अपने प्रिय को गिफ्ट देतेलेते हैं. आप के बौयफ्रैंड ने भी आप को गिफ्ट, कार्ड या कपड़े इत्यादि दिए होंगे. उन्हें आप जितनी जल्दी खुद से दूर कर देंगी, उतनी जल्दी आप उस की यादों से मुक्त हो पाएंगी. बौयफ्रैंड के दिए गिफ्ट को संभाल कर रखना कोई सम?ादारी नहीं है और उन्हें अपने साथ अपने पति के घर ले जाना तो महाबेवकूफी कहलाएगी. इसलिए उन तमाम चीजों को या तो लौटा दें या नष्ट कर दें. कोशिश करें कि आप ने भी उसे जो गिफ्ट या कार्ड्स वगैरह दिए हैं, वे सब उस से वापस मिल जाएं. उन चीजों को भी नष्ट कर दें. नए जीवन में पुरानी चीजों की छाया नहीं पड़नी चाहिए.

ब्रेकअप के बाद खुद को समय दें

ब्रेकअप के बाद अकसर यह एहसास होता है कि यह कुछ वक्त की दूरी है, हम फिर एक हो जाएंगे. इस एहसास से निकलना आसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद उत्पन्न हुए खालीपन को भरने के लिए तुरंत कोई दूसरा दोस्त ढूंढ़ लेते हैं या शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. बौयफ्रैंड के साथ बिताए पलों को भूलने के लिए और सचाई को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए खुद को समय दें, चिंतन करें और अपनेआप को सम?ाएं कि आप ने जो कदम उठाया है वह बिलकुल ठीक है. नया दोस्त या जीवनसाथी चुनने में हड़बड़ी न करें. ठंडे दिमाग से अच्छे भविष्य की आशा संजो कर, ठोंकबजा कर नए रिश्ते में जाएं ताकि दोबारा आप को जुदाई का दर्द न सहना पड़े. इस के लिए अगर ब्रेकअप के बाद आप को सालदोसाल का वक्त लेना पड़े तो गलत नहीं है. इस बीच आप अपनी पसंदीदा चीजें करें. ध्यान, व्यायाम, खानपान आदि पर ध्यान दें.

चाहें तो कहीं फुलटाइम या शौर्टटाइम नौकरी कर लें. इस से आप को पुरानी बातें भूल कर भविष्य की योजनाएं बनाने में आसानी होगी.

शादी में बौयफ्रैंड को भूल कर भी न बुलाएं

भले आप आपसी सम?ाते के तहत अपने बौयफ्रैंड से अलग हुई हों और हो सकता है आप शादी के बाद भी अपने लवर को दोस्त की हैसियत से अपने करीब रखना चाहें तो इस में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि आप उसे अपनी शादी पर न बुलाएं क्योंकि उस वक्त एकदूसरे का सामना करना मुश्किल होगा और आप खुद उस की मौजूदगी में किसी और से शादी करने में असहज महसूस करेंगी.

वहीं, आप का ऐक्स बौयफ्रैंड उस व्यक्ति से जलन महसूस करेगा जिस के गले में आप वरमाला डाल रही हैं. यह जलन कब बदले की भावना में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. अपनी शादी की फोटोज भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर न डालें, न दोस्तों को व्हाट्सऐप वगैरह करें. इन फोटोज के सामने आने पर आप के ऐक्स के मन में जलन पैदा होगी, जो भविष्य में आप के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

हसबैंड को सबकुछ न बताएं

यह गलत होगा कि आप अपने जीवनसाथी से अपने पिछले रिश्ते की बात छिपाएं, लेकिन जरूरी यह भी नहीं कि अपने अतीत के बारे में ‘सबकुछ’ बताया जाए. आजकल स्कूलकालेज में बौयफ्रैंडगर्लफ्रैंड बनना आम बात है. इस को ले कर अकसर पति अपनी पत्नी से सवाल नहीं करते हैं. जवानी में अपोजिट सैक्स के प्रति आकर्षण होना एक स्वाभाविक क्रिया है. लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि स्कूलकालेज में आप का कोई प्रेमी या प्रेमिका नहीं रहा होगा. यह आम चलन है. इसलिए पति से यह बताना कि हां, आप का प्रेमी था, कोई गजब ढाने वाली बात नहीं होगी.

हां, अगर आप अपने प्रेमी के बेहद करीब थीं और उस से आप के शारीरिक संबंध थे, या आप उस से कभी प्रैग्नैंट हुईं या आप का अबौर्शन हुआ तो जरूरी नहीं कि आप अपने पति को ये सारी बातें बताएं, क्योंकि यह कन्फेशन आप के रिश्ते में कड़वाहट भर देगा. इसलिए भावुकता में बह कर अतीत को पति के सामने खोल कर रख देना कोई सम?ादारी नहीं होगी. कोई भी पुरुष भले खुद को बेहद आधुनिक या खुले विचारों का बताए मगर यह बात कतई बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस की पत्नी पहले किसी के साथ सो चुकी है.

पैसों का हिसाबकिताब खत्म करें

ऐसे कई प्रेमी जोड़े होते हैं जो जौइंट अकाउंट, इंश्योरैंस पौलिसी, प्रौपर्टी इंवैस्टमैंट मिल कर करते हैं शायद यह सोच कर कि उन दोनों को रिश्ते को साथ आगे ले कर जाना है. लेकिन अगर ब्रेकअप हो रहा है तो यह सुनिश्चित कर लें कि आप पैसेप्रौपर्टी से जुड़े सारे हिसाबकिताब निबटा लें ताकि अन्य व्यक्ति से आप की शादी के बाद कोई परेशानी पैदा न हो.

शादी दूसरे शहर में करें

बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद जब आप नए रिश्ते में नया जीवन शुरू करें तो कोशिश करें कि किसी नए शहर में करें. अपने शहर में वही जगहें, वही पिक्चर हौल, वही बाजार, वही पार्क जहां आप अपने बौयफ्रैंड की बांहों में बांहें डाले घूमा करती थीं, जहां आप ने अपने जीवन के सब से सुखद पल बिताए थे. ऐसे में पुरानी यादें हर वक्त आप के दिल पर तारी रहेंगी और आप को अपने नए जीवनसाथी के रंग में कभी रंगने न देंगी. जब आप पति के साथ उन्हीं जगहों पर होंगी तो मन ही मन पति की तुलना अपने बौयफ्रैंड से भी करती रहेंगी. बौयफ्रैंड की हर हरकत आप को याद आएगी. दिल में टीस उठेगी और आप अपने पति के साथ अपना वैवाहिक जीवन कभी एंजौय नहीं कर पाएंगी. इसलिए कोशिश करें कि शादी के लिए किसी अन्य शहर में रहने वाले पुरुष को चुनें. यदि ऐसा संभव न हो और शादी अपने ही शहर के लड़के से हो जाए तो अन्य शहर में नौकरी करने के लिए उन्हें प्रेरित करें. पुरानी जगह छोड़ने पर पुरानी यादें भी पीछे छूट जाती हैं और आने वाला वक्त हर घाव भर देता है.

पति की तुलना बौयफ्रैंड से न करें

हर शख्स की अपनी पर्सनैलिटी, आदतें, चाहतें और काम करने के तरीके होते हैं. हमारी दोस्ती किसी व्यक्ति से तब होती है जब उस की बातें, आदतें, पसंदनापसंद हम से मिलतीजुलती होती हैं. आप के बौयफ्रैंड की बहुत सी बातें शायद आप से मिलती होंगी, तभी आप की दोस्ती हुई और हो सकता है जिस व्यक्ति से आप की शादी हुई है, उस की आदतें आप से कतई न मिलती हों. उस हालत में आप को अपने बौयफ्रैंड का खयाल आ सकता है.

सुमन को गाने का शौक था. उस का बौयफ्रैंड भी गाता था. इस हौबी के चलते ही दोनों एकदूसरे के करीब आए थे. मगर किसी कारणवश दोनों शादी नहीं कर पाए. सुमन की शादी एक चार्टर्ड अकाउंटैंट से हुई है, जो गीतसंगीत में जरा भी रुचि नहीं रखता. ऐसे में सुमन को हर वक्त अपने बौयफ्रैंड की याद आती है और वह अकसर अपने रूखे पति की तुलना उस से करती है. यही वजह है कि उस का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है.

वह हर वक्त अनमनी सी रहती है. हालांकि उस के पति में और कई खूबियां हैं, मगर सुमन ने उन खूबियों की ओर अब तक नजर नहीं डाली है. याद रखें कि आप ने जिस व्यक्ति से शादी की है वह आप के ऐक्स से बहुत बेहतर है, क्योंकि उस ने आप को स्थायित्व दिया है, आप को आर्थिक सुरक्षा दी है, समाज के सामने आप को अपना बनाया है, आप पर विश्वास किया है और अपना घर आप के हवाले किया है.

क्या आप का बौयफ्रैंड आप को कभी इतना सब दे सकता था? शायद नहीं. तो इसलिए कभी भी अपने पति की तुलना उस व्यक्ति से न करें जो बेहद कमजोर था, जिस के अंदर आप को अपनाने की ताकत नहीं थी, जिस ने आप को प्रेम में धोखा दिया, आप के भोले मन को छला और आप को पीड़ा पहुंचाई.

कृष्णा: कायरा क्यूं सब कुछ छोड़ कर चली गई- भाग 3

नंदिनी कायरा की बात सुन कर सोच में पड़ गई थी. क्या कायरा की लापरवाही इस के लिए जिम्मेदार है या फिर आरव का बड़ी उम्र की महिलाओं के प्रति रुझान या फिर नंदिनी ने ही आरव को इतनी ढील दे रखी है कि वह नंदिनी को सास नहीं, एक दोस्त समझता हैं.

नंदिनी जब अपने मन की टोह नहीं ले पा रही थी तो उस ने अपनी सब से अच्छी दोस्त श्वेता को फ़ोन लगा दिया था. श्वेता बेहद बिंदास और मस्तमौला इंसान थी. जिंदगी को भरपूर जीती थी और कभी किसी को जज नहीं करती थी.

फ़ोन पर श्वेता चहकती हुई बोली, ‘भई, तुम ने तो इंस्टा पर अपनी नई तसवीरों से आग लगा रखी है. तुम्हारा दामाद आरव अभी भी तुम से उतना ही  इंफैचुएटेड है जितना शादी की रात को था!’

नंदिनी ने छूटते ही बोला, ‘तुम्हें कैसे पता?’

श्वेता हंसती हुइ बोली, ‘अरे, उसे देख कर कोई भी बता सकता हैं?’

नंदिनी अनमनी सी बोली, ‘श्वेता, मुझे भी अच्छा लगता है आरव का अपने आगेपीछे घूमना.’

श्वेता बोली, ‘तो क्या हुआ, तुम एक खूबसूरत औरत हो और तारीफ़ किसे पसंद नहीं हैं, यार.’

नंदिनी बोली, ‘पर यार, मैं आरव से रिश्ते में, गरिमा में और उम्र में बड़ी हूं.’

श्वेता ने कहा, ‘नंदिनी, तुम जितना खुद को रोक कर रखोगी उतना  ही बंधा हुआ महसूस करोगी. यह कुछ गलत नहीं है, यह प्राकृतिक है. तुम्हारा इसे नकारना तुम्हें ग्लानि से भर देता है.’  नंदिनी बोली, ‘क्या करूं मैं, यार? मैं बहुत परेशान हूं’

श्वेता बोली, ‘आरव तुम्हारा दामाद होने से पहले एक इंसान भी है. क्या ग़लत है अगर वह तुम्हें पसंद करता है? अगर तुम दोनों को एकसाथ मित्रों की तरह बात करना पसंद हैं तो इस में गलत क्या है? मेरी और मेरी बहू में बहुत दोस्ती है तो अगर तुम्हारी अपने दामाद से दोस्ती है तो इस में कुछ गलत नही हैं. हां, अगर तुम उस की कुछ बातों को ले कर असहज हो तो एक मित्र होने के नाते क्यों नहीं तुम उसे सही दिशा दिखा सकती हो. कुछ भी गलत नही है, बस, तुम्हारी सोच गलत है.’

नंदिनी को अपनी बात का उत्तर मिल गया था. उसे समझ आ गया था कि उसे क्या करना है.

शनिवार का दिन था. आरव ने बाहर लंच का प्रोग्राम बनाया था. नंदिनी ने कायरा के लिए प्याजी रंग की शिफ्फोन साड़ी और मेल खाती हुई ज्वैलरी निकाली. मन ही मन वह सोच रही थी कि इस लापरवाह लड़की को तो अपने ऊपर ध्यान देने की भी फुरसत नहीं हैं.  तैयार हो कर कायरा वाक़ई में बेहद खूबसूरत लग रही थी. वहीं, नंदिनी ने पिस्ता रंग की साड़ी डाल ली थी जो उस की गोरी रंगत में मिलजुल गई थी.  लंच पर हंसीखुशी का माहौल था. तभी कायरा के दफ़्तर से कौल आई और वह बीच में ही सब छोड़ कर चली गई.

आराव झुंझलाहट के साथ बोला, ‘देखा आप ने, मैं  उस के साथ हो कर भी अकेला हूं.   अगर मैं उस से कुछ कहूंगा तो फिर ये हो जाएगा कि मैं अपनी बीवी की नौकरी करने के ख़िलाफ़ हूं. नंदिनी जी, आप मुझे जिस तरह समझती हैं वैसा वह क्यों नहीं कर पाती है.’

नंदिनी बोली, ‘आरव, मैं अपनी बेटी की तरफदारी नहीं कर रही हूं पर क्या तुम ने कायरा से  उस के दफ़्तर के प्रोग्राम के बारे में पूछा था पहले?’

आरव बोला, ‘अरे, शनिवार को सब की छुट्टी होती है.’

नंदिनी बोली, ‘पर उस की नहीं थी. फिर भी वह तैयार हो कर तुम्हारे कारण आई. अकसर जब हम एकसाथ रहने लगते हैं तो एकदूजे को टेकेन फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं, जीवन की आपाधापी में हम यह बात अपने जीवनसाथी को बताना भूल जाते हैं कि वह हमारे लिए कितना ख़ास है. कायरा तुम से बहुत प्यार करती है. जानते हो, वह मुझे क्यों रोक कर रखे हुए है?’

आरव बोला, ‘क्यों?’

‘क्योंकि मेरे आने के बाद से तुम खुश रहते हो. कायरा तुम पर बहुत विश्वास करती है. वह लापरवाह हो सकती है मगर प्यार तुम से बहुत करती है. होगी कोई ऐसी बीवी जो इस बात का बिलकुल भी बुरा नहीं मानती है कि उस का पति उस से ज्यादा उस की मां को अहमियत देता हैं.’

आराव बोला, ‘आप को लगता है, सारी गलती मेरी है?’

नंदिनी बोली, ‘नहीं, गलती तुम्हारी नहीं हैं मगर एकदूसरे को समझने में समय लगता हैं.’

आराव बोला, ‘आप मदद करोगी मेरी कायरा को समझने में.’

नंदिनी बोली, ‘हां, इस के लिए सब से पहले तुम लोग अपने घर और दफ़्तर के तनाव से दूर कहीं घूमने जाओ.’

आराव बोला, ‘ठीक है मगर आप प्रौमिस करो कि आप एक दोस्त की  तरह मेरा ऐसे ही मार्गदर्शन करती रहोगी.’

नंदिनी बोली, ‘जरूर करूंगी अगर मेरा यह दोस्त अपनी सीमारेखा का ध्यान रखेगा.’

आरव बोला, ‘तभी तो मुझे आप इतनी अच्छी लगती हैं क्योंकि आप को सब पता है. कभीकभी लगता है कि आप मेरी ज़िंदगी की कृष्णा हो, मेरी हर समस्या का समाधान होता है आप के पास.’

नंदिनी बोली, ‘लगता है इस कृष्णा को अपनी जीवन पहेली का भी समाधान मिल गया है  आज.’

नंदिनी बिना किसी आत्मग्लानि के आरव से बात कर रही थी. उस के मन में जो पिछले कुछ माह से मंथन चल रहा था, आज वह समाप्त हो गया था.

चोरी का फल: भाग 3- क्या राकेश वक्त रहते समझ पाया?

यह सच है कि मैं अपने घर वालों से कट कर रहने लगा. आफिस के सहयोगियों या पड़ोसियों के साथ खाली समय में उठनाबैठना भी मैं ने कम कर दिया. किसी से फालतू बात कर के मैं उसे शिखा व अपने बारे में कुछ पूछने या कहने का मौका नहीं देना चाहता था. इस तरह सामाजिक दायरा घटते ही मैं धीरेधीरे अजीब से असंतोष, तनाव व खीज का शिकार बनने लगा.

एक दिन शिखा को अपनी बांहों में भर कर बोला, ‘‘मेरा मन करता है कि तुम हमेशा मेरी बांहों में इसी तरह बनी रहो. अब तो अपने इस घर का अकेलापन मुझे काटने लगा है.’’

उदास से लहजे में शिखा ने जवाब दिया, ‘‘हम दोनों को सामाजिक कायदेकानून का ध्यान रखना ही होगा. अपने पति व सास को छोड़ कर सदा के लिए आप के पास आ जाने की हिम्मत मुझ में नहीं है. फिर मेरा ऐसा कदम बेटे रोहित के भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा और उस के हित की फिक्र मैं अपनी जान से ज्यादा करती हूं.’’

‘‘मैं तुम्हारे मनोभावों को समझता हूं, शिखा. देखो, तकदीर ने मेरे साथ कैसा मजाक किया है. मेरी पत्नी मुझे बहुत प्यारी थी पर उसे जिंदगी छोटी मिली. तुम्हें मैं बहुत प्रेम करता हूं, पर तुम सदा के लिए खुल कर मेरी नहीं हो सकती हो. जब कभी इस तरह की बातें सोचने लगता हूं तो मन बड़ा अकेला, उदास और बेचैन हो जाता है.’’

जो बात दिमाग में बैठ जाए फिर उसे भुलाना या निकाल कर बाहर फेंकना बड़ा कठिन होता है. शिखा मेरे दिल के बहुत करीब थी, फिर भी मेरे अंदर का असंतोष व बेचैनी बढ़ती ही गई.

रोहित के जन्म की 5वीं सालगिरह पर मेरे असंतोष का घड़ा पूरा भर कर एक झटके में फूट गया.

इत्तफाक से जन्मदिन के कुछ रोज पहले संजीव को स्टाक मार्किट से अच्छा फायदा हुआ. तड़कभड़क से जीने के शौकीन संजीव ने फौरन रोहित के जन्मदिन की पार्टी धूमधाम से मनाने का फैसला कर लिया.

उस दिन घर के आगे टेंट लगा. हलवाई ने खाना तैयार किया. डी.जे. सिस्टम पर बज रहे गानों की धुन पर खूब सारे मेहमान थिरकने लगे. कम से कम 250-300 लोग वहां जरूर उपस्थित रहे होंगे.

रोहित उस दिन स्वाभाविक तौर पर सब के आकर्षण का केंद्र बना. उस के साथ घूमते हुए शिखा व संजीव ने इतनी अच्छी पार्टी देने के लिए खूब वाहवाही लूटी.

मैं एक तरफ उपेक्षित सा बैठा रहा. शिखा को फुर्सत नहीं मिली, मेरे साथ चंद मिनट भी गुजारने की. शायद मेरे साथ हंसबोल कर वह अपने करीबी रिश्तेदारों को बातें बनाने का मौका नहीं देना चाहती थी.

मैं पार्टी का बिलकुल भी मजा नहीं ले सका. उस बड़ी भीड़ में मैं अपने को अकेला, उदास व उपेक्षित सा महसूस कर रहा था.

मेरा मन एक तरफ तो मांग कर रहा था कि शिखा को मेरे पास आ कर मेरा भी ध्यान रखना चाहिए था. उस के परिवार की हंसीखुशी में मेरा योगदान कम नहीं था. दूसरी तरफ मन शिखा के पक्ष में बोलता. मैं उस का प्रेमी जरूर था पर यह कोई भी समझदार स्त्री खुलेआम अपने करीबी लोगों के सामने रेखांकित नहीं कर सकती.

मैं जब इस तरह की कशमकश से तंग आ गया तो बिना किसी को बताए घर चला आया.

उस रात मुझे बिलकुल नींद नहीं आई. जिस ढर्रे पर मेरी जिंदगी चल रही थी उस से गहरा असंतोष मेरे दिलोदिमाग में पैदा हुआ था.

मेरी सारी रात करवटें बदलते गुजरी पर सुबह मन शांत था. पिछली परेशानी भरी रात के दौरान मैं ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए थे.

अगले दिन शिखा 11 बजे के करीब आई. मेरे गंभीर चेहरे को देख कर चिंतित स्वर में बोली, ‘‘क्या आप की तबीयत ठीक नहीं है?’’

‘‘मैं ठीक हूं,’’ मैं ने उसे अपने सामने बैठने का इशारा किया.

‘‘कल पार्टी में किसी ने कुछ गलत कहा? गलत व्यवहार किया?’’ वह परेशान हो उठी.

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं हुई.’’

‘‘फिर यों बुझेबुझे से क्यों लग रहे हो?’’

‘‘रात को ठीक से सो नहीं पाया.’’

‘‘किसी बात की परेशानी थी?’’

‘‘हां, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था, शिखा. कुछ जरूरी बातें करनी हैं मुझे तुम से.’’

‘‘कहो.’’

मैं ने कुछ लम्हों की खामोशी के बाद भावहीन स्वर में उसे बताया, ‘‘मैं आज मेरठ वाली उस लड़की को देखने जा रहा हूं जिस का मेरे लिए रिश्ता आया है.’’

‘‘मैं तो हमेशा आप को मेरठ जाने की सलाह देती रही हूं.’’

‘‘शिखा, मैं खुद नहीं जाता था क्योंकि तुम्हारे अलावा किसी और स्त्री को अपनी जिंदगी में प्रवेश देना मुझे अनुचित लगता था…वैसा करना उस मेरठ वाली लड़की के साथ धोखा करना होता.’’

‘‘क्या अब आप ने मुझे अपने दिल से निकालने का फैसला कर लिया है?’’ यह कहतेकहते शिखा की आंखों में आंसू छलक आए.

‘‘शिखा, तुम बिना आंसू बहाए मेरी बात को समझने की कोशिश करो, प्लीज,’’ मैं ने अपनी आवाज को कमजोर नहीं पड़ने दिया, ‘‘देखो, तुम्हारी घरगृहस्थी सदा तुम्हारी रहेगी. मैं चाह कर भी उस का स्थायी सदस्य कभी नहीं बन सकता हूं. तुम्हारा नाम संजीव के साथ ही जुड़ेगा, मेरे साथ नहीं.

‘‘यह बात कल रात मुझे बिलकुल साफ नजर आई.

‘‘चोरी का मीठा फल खाने का अपना मजा है…तुम्हारे प्यार को मैं बहुत कीमती व महत्त्वपूर्ण मानता रहा हूं. अब थक गया हूं, अकेले इस घर में रातें बिताते हुए… अब मैं सिर्फ फल खाना नहीं बल्कि अपनी छोटी सी बगिया बनाना चाहता हूं जिसे मैं अपना कह सकूं…जिसे फलताफूलता देख मैं ज्यादा खुशी व सुकून महसूस कर सकूं.’’

‘‘मैं ने आप को अपनी घरगृहस्थी की बगिया बनाने से कभी नहीं रोका,’’ शिखा भावुक स्वर में बोली, ‘‘आप जरूर शादी कर लें. आप की इच्छा होगी तो मैं खुशीखुशी आप की जिंदगी में प्रेमिका बन कर बनी रहूंगी.’’

‘‘नहीं, शिखा, वैसा करना बिलकुल गलत होगा,’’ मैं ने तीखे स्वर में उस के प्रस्ताव का विरोध किया.

‘‘तब क्या आज आप मुझे हमेशा के लिए अलविदा कह रहे हैं?’’ वह रोंआसी हो उठी.

भीगी पलकें और भारी मन से मैं इतना भर कह सका, ‘‘आई एम सारी, शिखा, दोस्ती की सीमाएं लांघ कर तुम्हें अपनी प्रेमिका नहीं बनाना चाहिए था मुझे. मैं सिर्फ तुम्हारे मन में जगह बना कर रखता तो आज मेरी भावी शादी के कारण हमें एकदूसरे से दूर न होना पड़ता.’’

शिखा उठ कर खड़ी हो गई और थके से स्वर में बोली, ‘‘सर, आप जैसे नेक इनसान को कभी भुला नहीं पाऊंगी. पर शायद आप का फैसला बिलकुल सही है. मैं चलती हूं.’

अगर वह उसे माफ कर दे: भाग 1- पिता की मौत के बाद क्या हुआ ईशा के साथ

मीठी नींद के झोंकों में रेखा ने सहसा महसूस किया कि दरवाजे की घंटी बज रही है. धीरे से आंखें खोलीं और सामने रखी घड़ी में समय देखा तो 5 बज रहे थे. इतनी सुबह कौन घंटी बजा रहा है? सोचते हुए वह अलसाई सी लेटी रही.

दरवाजे की घंटी लगातार बजती गई. आखिर वह बिस्तर से उठी और अपने कमरे से निकल कर गैलरी में आई. बगल के कमरे में झांका तो बेटी ईशा सो रही थी. असमंजस में वह दरवाजे की तरफ बढ़ी और ताला खोलने के बाद दोनों पट खोल दिए.

सामने सी.आर.पी.एफ. के 2 अधिकारी गंभीर भाव लिए खड़े थे. उन की टोपियां उन के हाथों में थीं. रेखा ने हैरत भरी नजरों से उन्हें देखा तो जवाब में उन की आंखों में आंसू छलक आए. उसे अचानक अपने पतिका ध्यान आ गया, ‘‘रवि…’’ वह बौखलाई सी बोली, ‘‘वह ठीक तो हैं न?’’

उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं. आंसू बंद आंखों से बह कर गालों पर ढुलकने लगे. दर्द की कई रेखाएं उन के चेहरों पर उभर आईं.

‘‘क्या हुआ रवि को?’’ रेखा चिल्लाई.

कमांडर पंत आगे बढ़े और रेखा का कंधा पकड़ लिया. उन के साथ सुपरिंटेंडेंट कमांडर गुप्ता भी आगे बढ़ आए, ‘‘मैडम, रवि हमारे बीच नहीं रहे. कल रात बोडो उग्रवादियों ने उन को…’’

इस के आगे रेखा कुछ न सुन सकी. एक दर्दनाक चीख उस के कंठ से निकल गई. खुले मुंह पर हाथ चला गया. वह बेहोश सी होने लगी कि पंत व गुप्ता ने उसे संभाल लिया. इस के बाद तो रेखा की दबी आवाज वीभत्स चीखों में बदल गई. ईशा अपने कमरे से उठ कर आंखें मलते हुए ड्राइंगरूम में आई.

सी.आर.पी.एफ. के अधिकारियों के बीच अपनी मां को रोतेबिलखते देख एक पल के लिए उस का माथा ठनका. फिर उस ने भी पूछा, ‘‘क्या हुआ पापा को?’’

जवाब में रेखा की चीखें और तेज हो गईं. पंत और गुप्ता भी अपने आंसू पोंछने लगे.

‘‘नहीं…नहीं…’’ ईशा चिल्लाई, ‘‘पापा ने मेरे जन्मदिन पर आने का वादा किया था. वह मर नहीं सकते…’’ बुदबुदाते हुए वह नीचे फर्श पर लुढ़क गई.

अब रेखा को छोड़ कर पंत और गुप्ता ईशा को संभालने लगे. वह बेहोश हो गई थी. कमांडर पंत ने ईशा को उठा कर दीवान पर लिटाया और उस के मुंह पर ठंडे पानी के छींटे मारने लगे मगर उस की बेहोशी नहीं टूटी. डाक्टर को घर बुलाना पड़ा.

डाक्टर ने ईशा की नब्ज देखी, ब्लडप्रेशर चेक किया, एक इंजेक्शन लगाया और एक तरफ निर्लिप्त बैठी रेखा से बोला, ‘‘मैडम,  आप की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है. अपने गम को भुला कर बेटी को संभालिए. पिता की मौत का बहुत सदमा लगा है इसे. ऐसे में अगर आप ने भी इसे सहारा नहीं दिया तो…’’

चेहरे से हथेलियां हटा कर रेखा ने ईशा के सुंदर व मासूम चेहरे की तरफ देखा. बेटी गहरी बेहोशी में डूबी हुई थी. रवि से उसे बहुत लगाव था. 3 दिन बाद उस का 15वां जन्मदिन था और रवि ने घर पहुंचने का वादा किया था. रवि चाहे कितनी भी संवेदनशील पोस्टिंग में रहा हो, ईशा के जन्मदिन पर वह अवश्य घर पहुंचता था.

रेखा को अपनी बेटी पर तरस आने लगा. किशोरवय में ही उस ने पिता खो दिया. रेखा को अपनी किशोरावस्था के दिन सहसा याद आ गए. कहते हैं  इतिहास खुद को दोहराता है. वह भी सिर्फ 15 साल की थी कि उस के पिता की हार्ट अटैक से अकस्मात मौत हो गई थी. लेकिन उस के 2 बड़े भाई थे, जिन का साया उस के लिए उस के पिता से बढ़ कर था. ईशा का तो कोई भी नहीं, न भाई न बहन… यह सोच कर सिहरते हुए रेखा ने बेटी को भींच लिया. उस के खुद के लिए भी अब ईशा के सिवा कौन रह गया है? नहीं, उसे ईशा को संभालना है. पिता की असमय हुई मौत के गम से उसे उबारना है.

‘‘यहां दिल्ली में आप के कोई रिश्तेदार वगैरह रहते हैं?’’ कमांडर पंत ने पूछा.

‘‘मेरे भाई व मां यहीं बसंत कुंज में रहते हैं मगर इस समय वे सभी बदरीनाथ घूमने गए हैं. परसों तक पहुंच जाएंगे. परसों यहां रवि को भी पहुंचना था. 3 दिन बाद बेटी का जन्मदिन है,’’ हताशा में वह फिर से विलाप करने लगी.

पूरे दिन ईशा दीवान पर बेहोश लेटी रही. उसे ग्लूकोज चढ़ाना पड़ा. कितने ही लोग रेखा के पास अफसोस जाहिर करने आ रहे थे. किस ने उन्हें खबर दी, उसे नहीं मालूम. वह बस, लगातार ईशा की बगल में बैठी रवि के संग बिताए दिनों की यादों में खोेई रही.

शाम को जब ईशा की बेहोशी टूटी तो इन दुख भरे लमहों में भी खुशी की हलकी लकीरें उस के चेहरे पर छा गईं.

‘‘पापा?’’ ईशा बोली.

‘‘तेरे पापा एक वीर व साहसी इनसान थे. उन्होंने असम में बोडो उग्रवादियों का सामना करते हुए अपनी जान दी है. वे देश के लिए शहीद हुए हैं. हमें उन की कुर्बानी पर अफसोस नहीं, फख्र करना चाहिए,’’ कहते हुए रेखा उठी और रसोई में जा कर उस ने चाय बनाई. खुद भी पी और ईशा को भी पिलाई.

‘‘चल, नहाधो ले,’’ वह उसे पुचकारते हुए बोली, ‘‘तेरे पापा को सुस्ती कभी पसंद नहीं आती थी.’’

पापा का नाम सुन कर ईशा उठ गई. दोनों ने स्नान किया. अफसोस जाहिर करने वालों का प्रवाह थम गया था.

‘‘तेरे पापा का पूरे देश में गुणगान हो रहा होगा,’’ वह बेटी से बोली, ‘‘खबरों में भी उन की बहादुरी के बारे में बताया जा रहा होगा. गर्व कर अपने पापा पर, वह एक महान इनसान थे. तू उन जैसी बनने की कोशिश करना,’’ ईशा को प्रेरित करते हुए रेखा ने टीवी चला दिया.

अधिकतर खबरें हाल में हुए चुनाव पर थीं. फिर इधरउधर की कुछ अन्य सामान्य खबरें बताई गईं. अंत में समाचारवाचक ने कमांडर रवि शर्मा का नाम लिया तो रेखा व ईशा के दिलों की धड़कनें बढ़ गईं.

वह दोनों एकटक स्क्रीन पर नजरें टिकाए समाचार सुनने लगीं. रवि की वरदी पहनी तसवीर स्क्रीन पर उभरी तो रेखा व ईशा की रुलाई फूट पड़ी.

‘‘कमांडर रवि शर्मा की कल रात किन्हीं अज्ञात कारणों से बड़े रहस्यमय तरीके से हत्या हो गई है. कहा जाता है कि उन के बोडो संगठन की एक महिला उग्रवादी रेशमा से नाजायज संबंध थे. 2 साल से रेशमा कमांडर शर्मा की रखैल बन कर रह रही थी…’’

आगे पढ़ें- रेखा ने अपना सिर पकड़ लिया. पति…

Anupamaa: समर-नंदनी के बाद क्या अब राखी दवे भी करेगी शो को अलविदा!

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ शुरुआत से ही लोगों के दिलों पर तो राज कर ही रहा है, साथ ही टीआरपी लिस्ट में भी नंबर वन पर छाया हुआ है. ‘अनुपमा’ में इन दिनों पूरी कहानी माया, छोटी और पारितोष के इर्द-गिर्द घूम रही है, जिसमें अनुपमा और अनुज की जिंदगी भी उलझकर रह गई है. वहीं ‘अनुपमा’ के ही कुछ किरदार ऐसे भी हैं जो बिल्कुल किनारे कर दिये गये हैं. बता दें कि मेकर्स द्वारा किरदारों की अनदेखी करने पर कई सितारों ने शो को अलविदा भी कह दिया था. इस लिस्ट में पारस कलनावत से लेकर अल्मा हुसैन तक का नाम शामिल है. वहीं अब खबर आ रही है कि तसनीम शेख ने भी किरदार में बदलाव न होने पर दूसरे प्रोजेक्ट तलाशना शुरू कर दिया है.

 

 

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1-पारस कलनावत (Paras Kalnawat)

पारस कलनावत ने ‘अनुपमा’ में समर का किरदार निभाया था. उनके किरदार में ज्यादा बदलाव नहीं हो रहा था, जिससे उन्होंने ‘झलक दिखला जा 10’ में हाथ आजमाने का फैसला किया था. हालांकि कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन करने के लिए मेकर्स ने ही पारस का पत्ता काट दिया था

 

2-अनघा भोसले (Anagha Bhosale)

‘अनुपमा’ में अनघा भोसले ने नंदिनी का रोल अदा किया था. शो में एक पल के लिए वह भी साइड होकर रह गई थीं. वहीं कुछ ही समय बाद अनघा ने ग्लैमर की दुनिया छोड़ ईश्वर की भक्ति की ओर रुख कर लिया.

 

3-अल्मा हुसैन (Alma Hussein)

अल्मा हुसैन ने ‘अनुपमा’ में बरखा की बेटी सारा का रोल निभाया था. शो में उनका किरदार कुछ खास नहीं कर रहा था, ऐसे में अल्मा ने ‘अनुपमा’ को छोड़कर दूसरे प्रोजेक्ट्स में हाथ आजमाने का फैसला किया.

4-अपूर्व अग्निहोत्री (Apurva Agnihotri)

अपूर्व अग्निहोत्री ने ‘अनुपमा’ में अहम रोल अदा किया था. उन्होंने शो में अनुपमा को कैंसर और वनराज को डिप्रेशन से लड़ने में मदद की. लेकिन कुछ ही वक्त बाद अपूर्व ने भी ‘अनुपमा’ को बाय-बाय कह दिया. गौरव खन्ना की एंट्री से पहले अपूर्व के साथ अनुपमा की जोड़ी खूब पसंद की जा रही थी.

 

 

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5-अनेरी वजानी (Aneri Vajani)

अनेरी वजानी ने ‘अनुपमा’ में मालविका का रोल अदा किया था. एक वक्त पर आकर उनका रोल भी बिल्कुल किनारे कर दिया गया. ऐसे में उन्होंने ‘अनुपमा’ को बाय-बाय कहकर ‘खतरों के खिलाड़ी 12’ में हिस्सा लिया.

 

 

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6-वरुण शर्मा (Varun Sharma)

वरुण शर्मा ने अनुपमा में नंदिनी के एक्स बॉयफ्रेंड का रोल अदा किया था. कुछ ही वक्त के बाद वरुण शर्मा को भी मेकर्स ने अहमियत देनी बंद कर दी. ऐसे में उन्होंने रुपाली गांगुली के शो को अलविदा कह दिया.

7-तसनीम शेख (Tassnim Sheikh)

तसनीम शेख ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि वह दूसरे प्रोजेक्ट्स में हाथ आजमाएंगी. उनकी इस बात के बाद से ही यह अटकलें लगनी तेज हो गईं कि वह रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ को बाय-बाय कहेंगी.

 

क्या सच में ‘अनुपमा’ छोड़ेंगी तसनीम शेख

राखी दवे यानी तसनीम शेख ने इन अटकलों को साफ करते हुए कहा कि उन्होंने भले ही दूसरे प्रोजेक्ट्स में हाथ आजमाने का मन बनाया है. लेकिन वह ‘अनुपमा’ नहीं छोड़ रही हैं. तसनीम शेख ने इस बारे में आगे कहा कि पहले उन्होंने शो में वैंप का किरदार अदा किया था. लेकिन पिछले कुछ महीनों से उनके लिए शो में कुछ खास नहीं बचा है.

 

सेहत का दुश्मन ऑनलाइन फूड

फ्रूड होम डिलिवरी सॢवस स्वीगी का इस साल का नुकसान 3629 करोड़ है. उस के साथ काम कर रही जामाटो भी भारी नुकसान में है और उस से 550 करोड़ की सहायता अभी किसी फाइनैंशियल इनवैस्टर से भी है. स्वीगी को पिछले साल 1617 करोड़ का नुकसान था पर फिर भी उस का मैनेजमैंट धड़ाधड़ पैसा खर्च करता रहा और अब यह नुकसान दोगुना से ज्यादा हो गया.

स्वीगी की डिलिवरी से फूले नहीं समा रहे ग्राहक यह भूल रहे हैं कि इस नुकसान की कीमत उन से आज नहीं तो कल वसूली ही जाएगी. जितनी भी ऐप बेस्ड सेवाएं हैं वे मुफ्त या सस्ती होने के कारण भारी नुकसान कुछ साल चलती हैं पर जब वे मार्केट पर पूरी तरह कब्जा कर लेती हैं तो खून चूसना शुरू कर देती हैं. स्वीगी अब धीरेधीरे छोटे रेस्तरांओं का बिजनैस खत्म कर रही है वह क्लाइड किचनों से काम करा रही है. वह अब डिलिवरी बौयज को दी गई शर्तों पर काम करने को मजबूर कर रही है. स्वीगी से जो रेस्तरां नहीं जुड़ता वह देरसबेर बंद हो जाता है चाहे उस की रेस्तरां की सेवा कितनी ही अच्छी हो. स्वीगी न घरों की औरतों को काम न करने का नशा डाल दिया है और इस के लिए एक साल का 3600 करोड़ रुपए का खर्च सस्ता है. अगर औरतें घरों की किचन में नहीं घुसेंगी तो उन्हें देरसबेर वही खाना पड़ेगा जो स्वीगी या उस जैसा कोई ऐप मुहैया करेगा. घरों में से किचन गायब हो जाएगी तो लोग दानेदाने के लिए किसी ऐप को तलाशेंगे.

जैसे किराने की दुकानों को अमेजन व जियो भारी नुकसान सह कर बंद करा रहे हैं वैसे ही स्वीगी लोगों का स्वाद बदल रही है. आप वह खाइए जो मां या पत्नी ने नही बनाया और डिलिवर हुआ. मां या पत्नी का प्रेम उस खाने से पैदा होता है जो वे प्रेम से बनाती हैं. खिलाती हैं. जब इस प्रेम की ही जरूरत नहीं होगी तो घर की छतें टूटने लगेंगी. यह बड़ी कौरपोरेशनों के लिए अच्छा है. सदियों तक राजा और धर्मों के ठेकेदार घरों से आदमियों को निकाल कर पैसा या धर्म प्रचार में लगाते रहे हैं और दोनों काम करने वालों को जम कर लूटते रहे थे. उन की औरतें बेबस, अनचाही, केवल बच्चे पैदा करने वाली मशीनें बन कर रह जाती थीं. अब इन औरतों को भी कौरपोरेशनों ने खापना शुरू कर दिया है और उन से किचन छीनवा दी है, सैनिकों या धर्म के सेवकों की तरह मैसों व लंगरों में खाना खाना पड़ता था, एक जैसा. वही स्वीगी करेगा. दिखावटी, नकली सुगंध वाला खाना जिस में सस्ती सामग्री लगे लेकिन पैङ्क्षकग बढिय़ा हो और दाम इतने कि न दो तो खाना मिले ही नहीं.

भारत में नए साल पर स्वीगी ने 13 लाख खाने डिलिवर किए क्योंकि इतने घरों की औरतों ने खाना बनाने से इंकार कर दिया. इस डिलिवरी में कौन लगा था. स्वीगी की एलेब लेबर जो भीड़ में गर्म खाना डिलिवर करने में लगी थी. उन के लिए न अब दीवाली त्यौहार रह गया है, न नया साल. 3600 करोड़ का खर्च इतनी बड़ी जनता को घरों में कैद करने में या मोटरबाइक पर गुलामी करने में कुछ ज्यादा नहीं है. इस का फायदा कोई तो उठा रहा है चाहे आप को वह दिखे न.

नई दुल्हन के लिए 10 कुकिंग आइडियाज

शादियों का सीजन प्रारम्भ हो चुका है. नई नवेली दुल्हन से पहली बार आमतौर पर मीठा बनवाने की परंपरा रही है परन्तु आजकल एक पूरा भोजन या थाली बनवाने का फैशन जोरों पर है. आजकल की लड़कियां आमतौर पर कामकाजी होती हैं जिससे उन्हें खाना बनाने या सीखने का अवसर ही प्राप्त नहीं हो पाता. विवाह के बाद ससुराल में अपनी पहली रसोई बनाने में कोई परेशानी न हो इसके लिए आवश्यक है कि आप पहले से ही अपनी कुकिंग की थोड़ी बहुत तैयारी करके जाएं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे हैं जो ससुराल में पहली रसोई बनाने में आपके लिए काफी मददगार साबित होंगे-

1-पहले जमाने में जहां दुल्हन से पहली बार मीठा ही बनवाया जाता था वहीं आजकल कम्प्लीट मील बनवाया जाने लगा है जिसके लिए यह जरूरी है कि आप पहले से अपने दिमाग में एक पूरा मील प्रिपेयर करके जाएं.

2-आमतौर पर टोमेटो सूप सभी को पसन्द आता है, इसे जब आप स्टार्टर के तौर पर बनाएं तो 1 किलो टमाटर के सूप में एक सैशे रेडीमेड नॉर सूप का मिला दें इससे सूप का स्वाद और गाढ़ापन दोनों ही बढ़ जाएंगे. सूप में डालने के लिए सूप स्टिक के स्थान पर ब्रेड के क्यूब्स को रोस्ट करके डालें.

3-स्टार्टर में कोई नया प्रयोग करने के स्थान पर पापड़ मसाला बनाएं. पापड़ को बीच से चार भागों में काट लें फिर इसे तेल में सेंककर या रोस्ट करके सर्व करें. खीरा, टमाटर,प्याज,हरी मिर्च के सलाद को पापड़ के ऊपर रखने के स्थान पर प्लेट के साइड में रख दें इससे पापड़ जल्दी नरम नहीं होगा.

4-मेनकोर्स में एक पनीर की सब्जी का चयन अवश्य करें क्योंकि पनीर की सब्जी अधिकांश लोगों को पसन्द होती है साथ ही सब्जी को गाढ़ा करने के लिए तरबूजे खरबूजे के बीज/काजू/मूंगफली और तिल/भुना बेसन में से किसी एक का प्रयोग करें.

5-सब्जी की ग्रेवी में ग्लेज और तरी लाने के लिए सूखे मसालों को 1 बड़ा चम्मच ताजे दही या मलाई में फेंटकर तेल में डालें.

6-परांठा, पूरी अथवा रोटी में से आप जो भी बनाएं उसमें पालक, बथुआ प्यूरी डालकर दूध से आटा लगाएं इससे पूरी परांठा का रंग और  स्वाद दोनों ही बहुत अच्छे हो जाएंगे.

7-यदि आपका पूरी, परांठा या रोटी गोल नहीं बन पाता तो बेलने के बाद उसे किसी बड़ी गोल कटोरी से काट दें.

8-डेजर्ट में सूजी/गाजर का हल्वा, गाजर/केसर की खीर जैसी आसान चीजें बनाने का प्रयास करें. सूजी को पानी के स्थान पर दूध में पकाएं. इसी तरह खीर को गाढ़ा करने के लिए मिल्क पाउडर का प्रयोग करें इससे हल्वा और खीर दोनों का ही स्वाद लाजबाब और टेक्सचर क्रीमी होगा.

9-प्लेन गाजर, मूली, खीरा का सलाद बनाने के स्थान पर स्प्राउट, या पीनट सलाद बनाने का प्रयास करें. इसके लिए सभी खीरा, गाजर, शिमला मिर्च आदि को 1 टीस्पून ऑलिव ऑइल में 2-3 मिनट रोस्ट कर लें. फिर चाट मसाला, काला नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिलाकर सर्व करें. यदि सम्भव हो तो बीच में टमाटर का एक फूल बनाकर रख दें.

10-बच्चों के लिए नूडल्स, पास्ता जैसी कोई डिश अवश्य बनाएं इससे बच्चे आपके फैन हो जाएंगे. साथ ही यदि परिवार में सादा खाना खाने वाला कोई बुजुर्ग है तो उसकी डाइट का ध्यान रखते हुए दलिया, खिचड़ी जरूर बनाएं.

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