Makar Sankranti Special: सर्दियों में गजक, लड्डू और गुड़ की चिक्की खाने से स्वास्थ्य को होते हैं ये फायदे

सर्दी के दिनों में हम सभी सुस्ती और आलस महसूस करते हैं. साल के इस समय बिस्तर से बाहर निकलना भी बड़ा काम  लगता है. हालांकि, ऐसा तब  होता है, जब आप इस मौसम में अपनी बढ़ती भूख पर ध्यान नहीं देते.  इसलिए आपको इस मौसम में खासतौर से अपनी खाने की आदतों पर ध्यान देना चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो न केवल हमें ऊर्जावान महसूस कराते हैं, बल्कि दैनिक कार्यों को इच्छा और लगन के साथ पूरा करने में हमारी मदद करते हैं. ये खाद्य पदार्थ कुछ अलग नहीं हैं, बल्कि सर्दियों में हर घर में आने वाली गजक, लड्डू और चिक्की हैं. वैसे स्वस्थ रहने के लिए हमेशा मीठी चीजों से परहेज करने की हिदायत दी जाती है, लेकिन हममें से कई लोग सर्दियों में इन स्वादिष्ट मीठे व्यंजनों का स्वाद लेकर ही बड़े हुए हैं. दरअसल, इन खाद्य पदार्थों को कुछ ऐसे अवयवों को इस्तेमाल करके बनाया जाता है, जो सुपर हेल्दी होते हैं. बता दें कि सर्दी का मौसम भूख को बढ़ाता है और आपके शरीर की जरूरत को पूरा न करने के कारण आपको थकान होती है. इसलिए अपने आहार में इन मीठे खाद्य पदार्थों को लेना फायदेमंद होगा .

ठंड के दिनों में खाने चाहिए पंजीरी के लड्डू

ठंड के दिनों में पंजीरी के लड्डू खाने की सलाह दी जाती है. पंजीरी को प्रतिरक्षा बढ़ाने  और सर्दियों में समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जानाजाता है. दरअसल, पंजीरी गेहूं के आटे के साथ घी, सूखे मेवे और गोंद से बनाई जाती है. ये सभी चीजें ठंड के मौसम में हमें कई बीमारियों से बचाती  हैं. पंजीरी शरीर में गर्मी पैदा करती है. पंजीरी में मौजूद तत्व गले की मांसपेशियों को शांत  करने, जोड़ों को चिकनाई देने और शरीर के दर्द को कम करने में मदद करते हैं. इतना ही नहीं यह स्वादिष्ट मिठाई इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ सर्दी और खांसी सहित मौसमी संक्रमणों को भी दूर करने में करगार है. बता दें कि पंजाब और राजस्थान में पंजीरी के लड्डू काफी मशहूर हैं. यहां की लगभग हर मिठाई की दुकान में यह हेल्दी लडड्डू बड़ी आसानी से मिल जाते हैं.

सर्दियों में गजक खाने से पाचन में होता है सुधार-

सर्दियों के मौसम में बाजार में हर जगह गजक बिकती हुई दिख जाएगी. गजक तिल से बनाई जाती है. तिल में कैल्शियम, मैगनीज , फॉस्फोरस, आयान, जिंक , सेलेनियम और डायट्री फाइबर जैसे मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. पोषक तत्वों से भरपूर तिल न केवल आपके पाचन में सुधार करती है, बल्कि हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने का बेहतरीन घरेलू उपाय भी  है. इसे खाने से स्ट्रेस और डिप्रेशन से उबरने में मदद मिलती है. वहीं गजक को बनाने के लिए गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है. यह न केवल आपको ऊर्जा देता है बल्कि एंटीऑक्सीडेंट और तमाम मिनरल्स से भरपूर है. शायद आप नहीं जानते, लेकिन गुड़ एक डिटॉक्स के रूप में भी काम करता है और पाचन में भी आपकी बहुत  हेल्प करता है. अगर आप भी ठंड के दिनों में गजक का स्वाद लेना चाहते हैं, तो मेरठ, मुरैना, रोहतक, आगरा, दिल्ली, बीकानेर और भोपाल से गुड़ और शक्कर की गजक मंगा सकते हैं. इन शहरों की गजक का स्वाद आपको देशभर में और कहीं नहीं मिलेगा.

इम्यूनिटी बूस्टर है चिक्की-

ठंड के दिनों में गुड़ और मूंगफली की चिक्की खाना सबको पसंद होता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर गुड़ की चिककी का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए, तो यह हमारे सिस्टम के लिए इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती है. कैल्शियम और आयरन से भरपूर होने के कारण यह न केवल हमारे हीमोग्लोबिन लेवल को बढ़ाती है, बल्कि दांतों और हड्डियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है. बस, इतना ही नहीं यह एक नेचुरल स्वीटरनर भी है, जो बदलते मूड को हल्का करने के लिए आपको जरूर खानी चाहिए. बता दें कि देशभर में बिहार , तेलांगना, आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश की चिक्की की डिमांड सबसे ज्यादा है. इस तरह के व्यंजन बंग्लादेश में भी काफी लोकप्रिय है. यहां इसे पेडी मोलेक के नाम से जाना जाता है.

तो अब आप सर्दियों में गजक, लड्डू और गुड़ व मूंगफली की चिक्की खाने के फायदे जान गए होंगे. पर ध्यान  रखें, इन्हें सीमित मात्रा में ही खाएं. इनका जरूरत से ज्यादा सेवन आपकी सेहत बिगाड़ सकता है.

महिलाएं ऐसे करें अपनी सुरक्षा

आजकल समाचारपत्र और पत्रिकाएं महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, छेड़खानी, यौन उत्पीड़न आदि घटनाओं की खबरों से भरी रहती हैं. विशेषरूप से नवयुवतियों, किशोरियों के लिए राह चलना मुश्किल हो गया है. कानून की पहुंच हर जगह सुलभ नहीं हो पाती और न ही उस की मदद समय से मिल पाती है. फिर ऐसी घटनाएं सामने होते हुए भी लोग तमाशबीन बने रहते हैं. ऐसे में युवतियों को अपनी सुरक्षा व संकट की स्थिति से निबटने के लिए खुद को तैयार रखना बहुत जरूरी हो गया है.

यहां कुछ ऐसी सावधानियों और सुरक्षा के उपायों के बारे में बताया जा रहा है, जिन के उपयोग से महिलाएं, युवतियां ऐसी अप्रिय स्थितियों का शिकार होने से बच सकती हैं:

लड़के व लड़कियों में मित्रता

शिक्षा के अवसर बढ़ने तथा सामाजिक परिवर्तनों के कारण आजकल युवकयुवतियों में मित्रता आम बात हो गई है. आजकल आधुनिक परिवार इस दोस्ती को बुरा भी नहीं मानते. पर ध्यान रखें कि जहां लड़कियों में मित्रता का भाव एक साथी, मददगार और निस्स्वार्थ दोस्त पाने का होता है, वहीं औसतन लड़कों का भाव सैक्स से प्रभावित होता है. ऐसी स्थिति में युवतियों के लिए युवकों से दोस्ती करने के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

शुरू में ही बहुत अधिक खुल जाना या अपने परिवार के बारे में सारी जानकारी देना उचित नहीं है. धीरेधीरे व सोचसमझ कर, परख कर आगे बढ़ना चाहिए.

शुरू में ही अपनी दोस्ती की सीमा साफ कर देनी चाहिए.

बहुत अच्छा होगा यदि अपने दोस्त को अपने पेरैंट्स से एक बार मिलवा दें.

अपने मित्र के साथ कभी एकांत जगह पर जाने का जोखिम न लें. और यदि जाना ही पड़े तो अपने मोबाइल से पेरैंट्स को सूचना अवश्य दे दें कि आप अमुक स्थान पर जा रही हैं और इतना समय लगेगा. फोन बौयफ्रैंड के सामने करें ताकि वह भी सुन सके. यदि आप के फोन के बाद वह गंतव्य स्थान बदलता है, तो आप को सावधान हो जाना चाहिए. कोई बहाना कर बदले स्थान पर जाना टाल दें.

अपने मोबाइल व पेरैंट्स के मोबाइल पर जीपीएस सिस्टम व रिकौर्डिंग सिस्टम अवश्य डाउनलोड करवा लें. बहुत से मोबाइलों में यह सुविधा पहले से उपलब्ध होती है.

डेटिंग पर जाते समय सावधानियां

शुरू में ही साफ कर दें कि किस स्तर तक आप सहज महसूस करेंगी.

ड्रिंक्स न लें. इस से आप की स्वयं की सुरक्षा की क्षमता पर फर्क पड़ता है. आप की सोचनेपरखने की क्षमता प्रभावित होती है.

ब्लाइंड डेट न लें तो अच्छा है. यदि लेना ही है तो अपनी फ्रैंड्स से लड़के के बारे में पूछ लें. ब्लाइंड डेट पर पब्लिक प्लेस पर ही जाएं. अनजान, सुनसान जगह व लड़के के कथित दोस्त के घर न जाएं.

ड्रिंक्स लेने के बारे में सावधानियां

पार्टी अथवा डेटिंग में कभी भी ऐसा ड्रिंक न लें जिसे कोई अनजान व्यक्ति दे या जो अलग से आप को दिया जाए. आजकल इस तरह की घटनाएं बहुत हो रही हैं, जिन में ड्रिंक्स में कोई नशीला पदार्थ मिला दिया जाता है. उस के नशे का लाभ उठा कर लोग मनमानी कर जाते हैं. ड्रिंक या तो वेटर की ट्रे से या फिर जहां सम्मिलित रखा हो वहां से लें.

अपने ड्रिंक को अकेला न रखें. यदि थोड़ी देर के लिए कहीं रखना ही पड़े तो ऐसी जगह रखें कि आप की निगाह में रहे अथवा किसी मित्र अथवा परिचति व्यक्ति को दे कर जाएं.

ड्रिंक में ड्रग्स का स्वाद पहचाना नहीं जा सकता. पर इन के लक्षणों को जरूर जाना जा सकता है. मसलन:

एक प्रकार के ड्रग के सामान्य लक्षण मांसपेशियों में कमजोरी, आवाज का लड़खड़ाना, हाथपांवों की गतिविधियों से नियंत्रण हटना यानी हाथ कहां जा रहा है, पैर किधर पड़ रहा है, इस पर से नियंत्रण खोना और सोचने की क्षमता का प्रभावित होना आदि होते हैं.

दूसरे प्रकार के ड्रग से उनींदापन, सिर भारी होना, मितली सी आना, चक्कर आना, तेजी से नींद आने लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं.

कभीकभी लोग कोल्डड्रिंक में ऐस्प्रिन या नींद लाने वाली गोलियां भी पीस कर मिला देते हैं. यह ड्रिंक बेहोशी की ओर ले जाता है.

लक्षण इसलिए बताए जा रहे हैं ताकि आप को जो ड्रिंक दिया जाए आप उस के हलके और थोड़ाथोड़ा रुक कर सिप लें. यदि आप को स्वाद में जरा सा भी चेंज महसूस हो या ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण महसूस करें तो तुरंत ड्रिंक छोड़ दें और किसी सुरक्षित स्थान जहां ज्यादा लोग हों जाएं. किसी शुभचिंतक को बता दें ताकि जरूरत होने पर वह आप को डाक्टर के पास ले जा सके.

आप पानी अधिक पिएं. यदि उलटियां आती हैं तो किसी के साथ बाथरूम जा कर करें. तालू में उंगली से मालिश करें.

सड़क पर चलते समय सावधानियां

सदैव ऐसा रास्ता चुनें जिस पर हर समय लोगों की आवाजाही रहती हो, भले ही यह रास्ता थोड़ा लंबा क्यों न हो. शौर्टकट के चक्कर में सुनसान रास्ता न चुनें.

नाइट पार्टी में ज्यादा देर तक न रुकें.

यदि हो सके तो किसी रिश्तेदार, साथी, महिला को ले लें.

यदि आप को कभी ऐसा लगे कि एकाएक आप के आसपास लोगों का घेरा तंग हो रहा है या कुछ लोग अनापेक्षित रूप से पास आते जा रहे हैं, तो आप का उस जगह से हटना उचित रहेगा.

रात्रि में वाहन का चुनाव

प्राइवेट बस या जिस वाहन में बहुत कम यात्री बैठे हों उस में यात्रा न करें.

बस ज्यादातर बसस्टैंड से ही पकड़ें. रास्ते में कोई वाहन वाला आप को बैठने के लिए रास्ते में कहे तो भूल कर भी न बैठें.

यदि किसी टैक्सी या औटो में रात में बैठ रही हैं और अकेली हैं तो अपने मोबाइल से घर में फोन करें व वाहन का नंबर अवश्य बता दें और फोन पर जोरजोर से बोलें ताकि वाहन चालक भी सुन ले.

बसअड्डा में प्रीपेड वाहन मिलते हैं. इन्हें लेते समय रिकौर्ड में यात्री का नामपता, मोबाइल नंबर व वाहन नंबर दर्ज कर लिया जाता है.

इस के अतिरिक्त कैब सर्विस भी होती है, जो किलोमीटर के हिसाब से चार्ज करती हैं. कंपनी आप का नाम पता, फोन नंबर आदि सब नोट कर के आप को गाड़ी भेजती है और आप को गाड़ी का नंबर, ड्राइवर का नाम, मोबाइल नंबर आदि भी बताती है.

नाइट पार्टी में जाने के लिए बेहतर तो यह होगा यदि आप का अपना वाहन हो.

चलती गाड़ी में खींचने की कोशिश

ऐसा कुछ होने पर सब से पहले तो आप को यह ध्यान रखना है कि आप को अपना होशोहवास नहीं खोना है. आमतौर पर ऐसे लोग इसलिए कामयाब हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बहुत घबरा जाती हैं, अपना होशोहवास खो देती हैं. तब उन के हाथपांव काम नहीं करते. ऐसी स्थिति आने पर आप को 3 चीजें साथसाथ करनी चाहिए. पहली, मदद के लिए जितनी जोर से चिल्ला सकें चिल्लाएं, दूसरी, जितना प्रतिरोध हाथपांव, नाखूनों से कर सकें करें और तीसरी, अपने पैर को गाड़ी की बौडी से ऐसे अड़ा दें कि उन्हें आप को खींचने में कठिनाई हो.

सब से जरूरी यह है कि आप को जो भी 2-3 लोग खींच रहे हों उन में सब से निकट वाले को आप घायल कर दें. पैर से उस के अंग पर प्रहार करें, नाखूनों से उस के चेहरे विशेषकर आंखों पर आक्रमण करें, सैंडल की हील को पैर पर मारें.

आजकल युवतियों की सुरक्षा के लिए कई उपकरण भी उपलब्ध हैं, जिन से आप विकट स्थिति उत्पन्न होने पर अपने को सुरक्षित रख सकती हैं. इन में कुछ प्रमुख हैं:

डिस्टैंस अलार्म: आप के ऊपर खतरा आने पर अलार्म बहुत तेज आवाज में बजने लगता है. 100-200 गज के दायरे में इस की आवाज गूंजती है. इस से अपराधी दहशत में आ कर वहां से भागने की कोशिश करेगा क्योंकि अलार्म से बहुत लोगों को ध्यान आप की ओर आकर्षित होगा. लोग आप की सुरक्षा के लिए आप की ओर दौड़ना शुरू कर सकते हैं.

गन: यह छोटी गन (पिस्टल टाइप) है, जिस से सामने वाला बिजली का तेज करंट खाता है तथा वह कुछ देर (15 मिनट से ले कर आधे घंटे के लिए) तक निष्क्रिय हो जाता है. इस से आप को उस जगह से सुरक्षित हट जाने का अवसर मिलता है.

स्प्रे: ये कई प्रकार के होते हैं. बटन दबाने पर निकलने वाला स्प्रे बदमाशी करने वाले को थोड़ी देर के लिए निष्क्रिय कर देता है. उस के हाथपांव सुन्न हो जाते हैं. दूसरे प्रकार का स्प्रे जिस पर डाला जाए उसे थोड़ी देर के लिए अंधा कर देता है. इस में कैमिकल स्प्रे भी है और पिपर (कालीमिर्च) जैसी स्प्रे भी.

फ्लर्ट से जिंदगी में नया मजा

‘‘मेरा पति मुझे प्यार करता है, मेरी पूरी इज्जत करता है, मेरा पूरा ध्यान रखता है, इस बात का विश्वास दिलाता है कि वह मुझे धोखा नहीं देगा, विश्वासघात नहीं करेगा, लेकिन अपने मन की बहुत सी बातें मुझ से शेयर करता हुआ वह यह भी कहता है कि वह अन्य औरतों की ओर आकर्षित होता है. ‘‘यह बात मुझे हैरान भी करती है और परेशान भी. हैरान इसलिए कि वह मुझे अपने मन की सचाई बता रहा है, लेकिन वह शादीशुदा होते हुए अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित कैसे हो सकता है, यह बात मुझे परेशान करती है.’’ वैवाहिक संबंधों की एक सलाहकार के सामने बैठी महिला उन्हें यह बता कर अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास कर रही है. मैरिज काउंसलर का इस बारे में कहना है, ‘‘मुझे पता है कि किसी भी पत्नी के लिए अपने पति का अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित होना परेशानी व ईर्ष्या का विषय है. पत्नी के लिए यह मानसिक आघात व पीड़ादायक स्थिति होती है.

‘‘लेकिन पति आप से अपने इस आकर्षण के बारे में बात करता है, तो वह सच्चा है, आप के प्रति ईमानदार है. इस के विपरीत वे पुरुष, जो अन्य महिलाओं की तरफ आकर्षित होते हैं, उन से रिश्ता रखते हैं, लेकिन पत्नी से छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, वे ईमानदार पतियों की श्रेणी में नहीं आते. ऐसी बात तो पत्नियों के लिए चिंता का विषय है.’’

कुछ भी गलत नहीं

आप चाहे किसी जानीमानी हीरोइन जैसी दिखती हों पर अगर कोई दूसरी आकर्षक शख्सीयत कमरे में आएगी तो आप के पति का उस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. यह स्थिति परेशान करती है पर बदलेगी नहीं, क्योंकि यह प्राकृतिक है. इस में कुछ भी गलत नहीं है. क्या पत्नियां आकर्षक सजीले पुरुषों की ओर आकर्षित नहीं होतीं, उन्हें नहीं निहारतीं, उन की तारीफ नहीं करतीं? अगर आप के सामने कोई जानामाना शख्स होगा तो आप भी अपने पति को छोड़ कर उसे निहारेंगी, उस की ओर आकर्षित होंगी.

सहजता से लें

किसी भी सुंदर, अच्छी चीज की ओर आकर्षण मानव का स्वभाव है. यह हमारे जींस में है. यह एक हैल्दी धारणा है. आप शादी के बंधन में बंध गए तो आप किसी अन्य महिला या पुरुष की ओर नहीं देखेंगे, यह किसी ग्रंथ या किताब में लिखा भी है तो भी प्रकृति का दिया नहीं है. इसलिए जब कभी कोई एक किसी अन्य को देख कर उस की तरफ निहारे तो कोपभाजन में न जा कर उसे सहजता से लें. देखने भर से अगर किसी को सुकून मिलता है तो इस में आप का कुछ बिगड़ नहीं जाता. आप एक नई कार खरीदते हैं पर आप सड़क पर चल रही अन्य बड़ी, आकर्षक कारों की ओर आकर्षित भी होेते हैं, तारीफ भी करते हैं, बल्कि उसे अपना बनाने की चाहत भी रखते हैं. यह तो कार की बात है, लेकिन रिश्ते में आकर्षण यानी विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण स्वाभाविक है.

नीरसता को तोड़ता है

मैनेजमैंट के 2 छात्र आकांक्षा व प्रतीक अपना कोर्स खत्म हो जाने के बाद अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए. सालों बाद जब फेसबुक पर वे मिले तो दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना. दोनों की शादी हो गई थी, लेकिन दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. हां, दोनों ने अपनी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया. थोड़ा सा रोमानी हो जाना रुटीन की नीरसता को तोड़ता है. आकांक्षा को सास की टोकाटाकी, घर की जिम्मेदारियों व पति के असहयोगी रवैए की अपेक्षा प्रतीक काफी सुलझा हुआ, नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाला लगा. वहीं प्रतीक को बेतरतीबी से रहने वाली अपनी पत्नी की अपेक्षा आकांक्षा कहीं अधिक सजग व आकर्षक लगी. दोनों के बीच मैसेज और औनलाइन चैटिंग होने लगी. दोनों अपने कालेज, दोस्तों, परिवार, समस्याओं और भावनाओं को एकदूसरे के साथ बांटने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे की आदत सी हो गई.

जीवन का हिस्सा

प्रतीक की पत्नी सीमा और आकांक्षा के पति गौरव को यह आकर्षण, यह मेलजोल बिलकुल नहीं सुहाता था, लेकिन गौरव और सीमा को अगर कोई पुराना दोस्त मिलेगा और उस में उन्हें आकर्षण नजर आएगा, तो क्या वे आकर्षित हुए बिना रह पाएंगे? हर इंसान एक रुटीन वाली दिनचर्या से नजात चाहता है, जिंदगी में नयापन चाहता है. ऐसे में क्या शादी हो जाने का मतलब अपनी सोचसमझ खो कर सिर्फ एकदूसरे की जिंदगी में बेवजह शक करना और रोज की किचकिच को वैवाहिक जीवन का हिस्सा बनाना है?

परिवर्तन के लिए

आज जब कामकाज के मामले में स्त्रीपुरुष में भेद करना रूढिवादिता है, ऐसे में जब स्त्रीपुरुष दोनों घर से बाहर निकलते हैं, तो उन में यौनाकर्षण होना स्वाभाविक है. चाहे प्राइवेट औफिस हो या विश्वविद्यालय, पुरुष अपनी भावनाओं, अनुभवों को साथ बांटने वाली स्त्री के साथ समीपता महसूस करता है, जो पत्नी के साथ संभव नहीं होता. औरत अकेलेपन से घबराती है, इसलिए वह किसी के साथ ऐसा रिश्तानाता जोड़ती है. घर से बाहर का पुरुष, जिस का स्वभाव उस से मिलता जुलता है, जो उसे घरेलू समस्याओं से दूर रखता है, उस की दिलचस्पी वाले विषयों पर उस से बातें करता है, उस के साथ बैठ कर कामकाजी महिला को थोड़े समय के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है, उसे घर की कैद से राहत की सांस मिलती है, जो उसे मानसिक सुकून देती है. घर में साफसफाई, बच्चों की जिम्मेदारी, घर के खर्च, बजट, मैनेजमैंट आदि के मुद्दे पतिपत्नी के अहंकारों के टकराने का कारण बनते हैं, जिस से जीवन प्रेमविहीन होने लगता है. ऐसे में पुरुष व महिलाओं के एकदूसरे की ओर आकर्षण को अपराध मानना गलत है और एकदूसरे को शक के कठघरे में खड़ा करना शादीशुदा जीवन का अंत बन जाता है.

आकर्षण स्वस्थ धारणा है

आप ने बहुत सैक्सी ड्रैस पहनी है. आप के पति आप से पूछेंगे कहां जा रही हो? आप न कहेंगी तो वे हैरान होंगे कि आप ऐसे तैयार क्यों हुई हैं और आप की ओर आकर्षित होंगे ताकि कोई और आप की ओर आकर्षित न हो. आकर्षण एक स्वस्थ धारणा है, इसे शक के दायरे में ला कर इस की खूबसूरती को बदसूरत बनाना समझदारी नहीं है. आप एक नई ड्रैस खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी और ने अधिक अच्छी ड्रैस पहनी है तो क्या आप उस ड्रैस की ओर नहीं देखेंगी या उस की ओर आकर्षित नहीं होंगी. यह मानवीय स्वभाव है कि जब आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप आजाद हो कर नियम तोड़ना चाहते हैं. ऐसे में विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण प्राकृतिक है, यह बेईमानी या विश्वासघात नहीं है. वास्तविकता यह है कि आप का पति बेहद आकर्षक है लेकिन उन के आगे आप को कोई मशहूर शख्स अधिक आकर्षक लगेगा. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

मजे के लिए

जब पतिपत्नी में से कोई विपरीत सैक्स की ओर आकर्षित होता है, फ्लर्ट करता है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि उन में से कोई पति या पत्नी को छोड़ देगा. उन से रिश्ता तोड़ देगा. साथी आकर्षित हो कर फ्लर्ट सिर्फ जिंदगी में नएपन या मजे के लिए करता है और आप को इस की जानकारी है तो इसे स्वस्थ और सकारात्मक नजरिए से देखिए. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं, दोनों को एकदूसरे पर विश्वास है, तो परपुरुष या परस्त्री की ओर आकर्षित होना अपराध नहीं है.

खूबसूरत त्वचा के लिए अपनाएं ये उपाय

अच्छा आपने कभी ये सोचा है कि जिस जमाने में कॉस्मेटिक सर्जरी, वाइटनिंग ट्रीटमेंट जैसी चीजें नहीं थीं, उस जमाने में भी लोगों की स्क‍िन इतनी खूबसूरत कैसे होती थी?

पुराने समय में जब ये सारी चीजें नहीं थी तो लोग नेचुरल उपायों पर ही निर्भर थे. किचन में मौजूद चीजों से, जड़ी-बूटियों से वो अपनी त्वचा की देखभाल करते थे. नेचुरल तरीके अपनाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे किसी तरह के साइड-इफेक्ट का खतरा नहीं होता. जबकि आज के समय में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर चीजें केमिकल बेस्ड होती हैं और उनसे त्वचा को नुकसान होने का खतरा बना रहता है.

यूं तो उपाय कई हैं लेकिन गुलाब जल और बादाम के तेल का ये उपाय आपकी सारी प्रॉब्लम्स को दूर कर देगा. इसके लिए दो चम्मच बादाम का तेल और दो चम्मच गुलाब जल अच्छी तरह मिला लें. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट सूखने दें. इसके बाद चेहरे को हल्के गुनगुने पानी से साफ कर लें.

क्या हैं फायदे?

1. गुलाब जल और बादाम का ये उपाय बढ़ती उम्र के सामान्य लक्षणों को कम करता है.

2. इस मिश्रण में मौजूद दोनों ही चीजों में हाइड्रेटिंग एजेंट्स पाए जाते हैं. जिससे त्वचा कोमल और मुलायम बनती है.

3. आंखों के नीचे के काले घेरों को दूर करने में भी ये मिश्रण बहुत फायदेमंद है.

4. अगर आपको कील-मुंहासों की समस्या है तो भी ये उपाय आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

5. अगर आपके चेहरे पर लाल चकत्ते पड़ गए हैं या फिर आपको रैशेज की प्रॉब्लम है तो भी ये उपाय कारगर है.

6. मेकअप उतारने के लिए पानी का इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप इस मिश्रण का इस्तेमाल करें.

Golden Globe: RRR के गाने ‘Natu Natu’ को मिला बेस्ट सांग का अवॉर्ड

गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स में ‘नाटू नाटू’ सॉन्ग के लिए बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड लेना कंपोजर एमएम कीरावानी के लिए गर्व की बात है. गाने को अवॉर्ड मिलने की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिखाई दी. स्पीच देते हुए उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए, आखिर उन्होंने इस गाने को बनाने में जो मेहनत की थी, वो पूरी तरह से रंग लाई है.

लॉस एंजिल्स में आयोजित 80वें गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स में एस.एस. राजामौली की फिल्म RRR ने इतिहास रच दिया है. RRR के गाने ‘नाटू नाटू’ ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन का अवॉर्ड जीता है. ये पल इंडियन सिनेमा के लिए बेहद खास है. इस उपलब्धि पर फैंस और सेलेब्स खुशी से झूम रहे हैं. वहीं, इतने बड़े मंच पर अपने गाने के लिए अवॉर्ड लेते हुए ‘नाटू नाटू’ के कंपोजर एमएम कीरावानी इमोशनल होते दिखे.

 

 

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खुशी से नम हुईं कंपोजर एमएम कीरावानी की आंखें

गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स में ‘नाटू नाटू’ सॉन्ग के लिए बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड लेना कंपोजर एमएम कीराव के लिए गर्व की बात है. गाने को अवॉर्ड मिलने की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिखाई दी. स्पीच देते हुए उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए, आखिर उन्होंने इस गाने को बनाने में जो मेहनत की थी, वो पूरी तरह से रंग लाई है.

एमएम कीरावानी ने एसएस राजामौली को कहा थैंक्यू

कंपोजर ने स्पीच में आगे कहा- सदियों से ये कहने की प्रथा चल रही है कि यह अवॉर्ड किसी ओर से जुड़ा है. लेकिन मैं सोच रहा था कि अगर मुझे अवॉर्ड मिलेगा तो मैं उन शब्दों को नहीं कहूंगा. लेकिन माफ करिएगा मैं उस परंपरा को दोहराने जा रहा हूं. इस अवॉर्ड का क्रेडिट सबसे पहले मेरे भाई और फिल्म के निर्देशक एसएस राजामौली और उनके विजन को देता हूं. मेरे काम पर लगातार विश्वास करने के लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं. इसके अलावा कंपोजर एमएम कीरावानी ने नाटू-नाटू गाने के लिए मिले अवॉर्ड के लिए उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया, जो इस गाने से जुड़े हुए हैं.

 

 

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जश्न मनाती RRR की टीम 

अवॉर्ड सेरेमनी में राम चरण, जूनियर एनटीरआर और एसएस राजामौली उपस्थित रहे. बता दें कि नाटू-नाटू सॉन्ग के साथ टेलर स्विफ्ट का सॉन्ग ‘कैरोलीना’ Guillermo del Toro’s Pinocchio का सॉन्ग ‘ciao papa’, ‘टॉप गनः मैवरिक’ का सॉन्ग ‘होल्ड माय हैंड’, लेडी गागा, ब्लडपॉप और बेंजामिन राइस का सॉन्ग ‘लिफ्ट मी अप’ नॉमिनेट हुआ था. इन सभी को पीछे छोड़ते हुए RRR फिल्म के गाने ‘नाटू नाटू’ ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड अपने नाम कर लिया है.

राखी सावंत ने बॉयफ्रेंड आदिल दुर्रानी से की छुपकर शादी, फैंस ने दिया ये रिएक्शन

बॉलीवुड इंडस्ट्री की ड्रामा क्वीन राखी सावंत (Rakhi Sawant) ने अपनी निजी जिंदगी को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. बीते दिनों काफी समय वह अपने बॉयफ्रेंड आदिल दुर्रानी के साथ रिलेशनशिप को लेकर लाइमलाइट बटोर रही थीं. दोनों अक्सर मीडिया के सामने एक-दूसरे के लिए अपना प्यार का इजहार करते दिखते थे. लेकिन अब राखी और आदिल ने अपने रिश्ते को एक कदम आगे बढ़ा दिया है. राखी सावंत और आदिल दुर्रानी ने दुनिया की नजरों से छुपकर शादी रचा ली है. कपल ने कोर्ट मैरिज की है और दोनों की पहली तस्वीर भी सामने आ गई है, जिसमें दोनों गले में वरमाला डाले नजर आ रहे हैं.

 

 

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राखी सावंत ने रचाई शादी

दरअसल, सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसमें राखी व्हाइट और पिंक कलर का शरारा पहने हुए दिख रही हैं और एक्ट्रेस ने माथे पर दुपट्टा डाल रखा है. वहीं, आदिल अपने सिंपल लुक में दिख रहे हैं. उन्होंने ब्लैक शर्ट के साथ डेनिम जिंस पहनी है. तस्वीर में दोनों ने अपनी कोर्ट मैरिज का सर्टिफिकेट भी पकड़ रखा है. वहीं, दूसरी तस्वीर में दोनों अपनी शादी के पैपर्स पर साइन करते हुई दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर राखी और आदिल की इन तस्वीर को देखकर फैंस के होश उड़ गए हैं. कई लोगों ने राखी को उनकी शादी के लिए बधाई दी है.

 

 

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साइन करती दिखीं राखी

दूसरी तस्वीर में राखी सावंत को डॉक्युमेंट पर साइन करते हुए देखा जा सकता है. कहा जा रहा है कि ये मैरिज सर्टिफिकेट है, जिस पर राखी साइन कर रहे हैं. उनके पास में ही आदिल भी बैठे हुए हैं.

रितेश के बाद थामा था आदिल का हाथ

बता दें कि राखी सावंत की ये दूसरी शादी है. उन्होंने कुछ समय पहले रितेश राज से शादी रचाई थी. एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर अपनी शादी की तस्वीरें शेयर की थीं. उस समय तक राखी ने रितेश का चेहरा किसी को नहीं दिखाया था. हालांकि, बिग बॉस 15 में राखी के साथ रितेश ने भी एंट्री ली थी और तब लोग रितेश को देख हैरान रह गए थे. शो में राखी ने ये भी खुलासा किया था कि उनकी और रितेश की शादी मान्य नहीं है क्योंकि रितेश पहले से शादीशुदा है. वहीं, शो से बाहर आने के बाद राखी ने रितेश से रिश्ते तोड़ दिए थे, जिसके बाद से ही वह आदिल को डेट कर रही थीं और अब दोनों शादी कर चुके हैं.

आस्तीन का सांप: कैसे हुई स्वाति की मौत

उस दिन गुरुवार था. तारीख थी 2018 की 13 दिसंबर. कोटा के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रैट (एनआई एक्ट) राजेंद्र बंशीलाल की अदालत में काफी भीड़ थी. वजह यह थी कि एक नृशंस हत्यारे को उस के अपराध की सजा सुनाई जानी थी. हत्यारे का नाम लालचंद मेहता था और जिन्हें उस ने मौत के घाट उतारा था, वह थीं बीएसएनएल की उपमंडल अधिकारी स्वाति गुप्ता. लालचंद मेहता उन का ड्राइवर रह चुका था. उस के अभद्र व्यवहार को देखते हुए स्वाति गुप्ता ने घटना से 2 दिन पहले ही उसे नौकरी से निकाला था.

3 साल पहले 21 अगस्त, 2015 की रात को लालचंद ने स्वाति की हत्या उन के घर के बाहर तब कर दी थी, जब वह औफिस से लौट कर घर पहुंची थीं. लालचंद ने स्वाति गुप्ता पर चाकू से 10-15 वार किए थे. इस केस में गवाहों के बयान, पुलिस द्वारा जुटाए गए सबूत और अन्य साक्ष्य अदालत के सामने पेश किए जा चुके थे. दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह भी हो चुकी थी. सजा के मुद्दे पर बचाव पक्ष के वकील ने कहा था, ‘‘आरोपी का परिवार है, उसे सुधरने का अवसर देने के लिए कम सजा दी जाए.’’

जबकि लोक अभियोजक नित्येंद्र शर्मा तथा परिवादी के वकील मनु शर्मा और भुवनेश शर्मा ने दलील दी थी कि आरोपी लालचंद मेहता मृतका स्वाति का ड्राइवर-कम-केयरटेकर था. परिवादी पक्ष ने उस की हर तरह से मदद की थी, लेकिन उस ने मामूली सी बात पर जघन्य हत्या कर दी थी. इसलिए अदालत को उस के प्रति जरा भी दया नहीं दिखानी चाहिए.

विशेष न्यायिक मजिस्ट्रैट राजेंद्र बंशीलाल जब न्याय के आसन पर बैठ गए तो अदालत में मौजूद सभी लोगों की नजरें उन पर जम गईं. गिलास से एक घूंट पानी पीने के बाद न्यायाधीश ने एक नजर भरी अदालत पर डाली. फिर फाइल पर नजर डाल कर पूछा, ‘‘मुलजिम कोर्ट में मौजूद है?’’

‘‘यस सर,’’ एक पुलिस वाले ने जवाब दिया जो लालचंद को कस्टडी में लिए हुए था.

न्यायाधीश राजेंद्र बंशीलाल ने अपने 49 पेजों के फैसले की फाइल पलटते हुए कहना शुरू किया, ‘‘अदालत ने इस केस के सभी गवाहों को गंभीरतापूर्वक सुना, प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को कानून की कसौटी पर परखा, जानसमझा. बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की सभी दलीलों को सुना. तकनीकी साक्ष्यों का गहन अध्ययन किया. पूरे केस पर गंभीरतापूर्वक गौर करने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि लालचंद मेहता ने स्वाति की हत्या बहुत ही नृशंस तरीके से की. यहां तक कि जब उस का चाकू हड्डियों में अटक गया, तब भी उस ने चाकू को जोरों से खींच कर निकाला और फिर वार किए. निस्संदेह यह उस का गंभीर, जघन्य और हृदयविदारक कृत्य था.’’

इस केस का निर्णय जानने से पहले आइए जान लें कि 35 वर्षीय गजेटेड औफिसर स्वाति गुप्ता को क्यों जान गंवानी पड़ी.

बुधवार 20 अगस्त, 2015 को रिमझिम बरसात हो रही थी. रात गहरा चुकी थी और तकरीबन 9 बज चुके थे. बूंदाबादी तब भी जारी थी. घटाटोप आकाश को देख कर लगता था कि देरसवेर तूफानी बारिश होगी.

कोटा शहर के आखिरी छोर पर बसे उपनगर आरके पुरम के थानाप्रभारी जयप्रकाश बेनीवाल तूफानी रात के अंदेशे में अपने सहायकों से रात्रि गश्त को टालने के बारे में विचार कर रहे थे, तभी टेलीफोन की घंटी से उन का ध्यान बंट गया. उन्होंने रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ से भर्राई हुई

आवाज आई, ‘‘सर, मेरा नाम दीपेंद्र गुप्ता है. मेरी पत्नी स्वाति गुप्ता का कत्ल हो गया है. हत्यारा मेरा ड्राइवर-कम-केयरटेकर रह चुका लालचंद मेहरा है.’’

हत्या की खबर सुनते ही थानाप्रभारी के चेहरे का रंग बदल गया. उन्होंने पूछा, ‘‘आप अपना पता बताइए.’’

‘‘ई-25, सेक्टर कालोनी, आर.के. पुरम.’’

‘‘ठीक है, मैं फौरन पहुंच रहा हूं.’’ कहते हुए थानाप्रभारी ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. बेनीवाल पुलिस फोर्स के साथ उसी वक्त घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. उस समय रात के करीब साढ़े 9 बज रहे थे.

थानाप्रभारी बेनीवाल अपनी टीम के साथ 15 मिनट में दीपेंद्र गुप्ता के आवास पर पहुंच गए. उन के घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी. बेनीवाल की जिप्सी आवास के मेन गेट पर पहुंची. जिप्सी से उतर कर जैसे ही वह आगे बढ़े तो एकाएक उन के पैर खुदबखुद ठिठक गए. गेट पर खून ही खून फैला था. उन्होंने बालकनी की तरफ नजर दौड़ाई तो व्हीलचेयर पर बैठे एक व्यक्ति को लोग संभालने की कोशिश कर रहे थे, जो बुरी तरह बिलख रहा था.

स्थिति का जायजा लेने के बाद थानाप्रभारी बेनीवाल ने फोन कर के एसपी सवाई सिंह गोदारा को वारदात की सूचना दे दी. इस से पहले कि बेनीवाल तहकीकात शुरू करते, एसपी तथा अन्य उच्चाधिकारी फोटोग्राफर व फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट के साथ वहां पहुंच गए..

एसपी सवाई सिंह गोदारा और उच्चाधिकारियों के साथ थानाप्रभारी बेनीवाल बालकनी में व्हीलचेयर पर बैठे बिलखते हुए व्यक्ति के पास गए. पता चला कि दीपेंद्र गुप्ता उन्हीं का नाम था. बेनीवाल के ढांढस बंधाने के बाद उन्होंने बताया, ‘‘सर, फोन मैं ने ही किया था.’’

दीपेंद्र गुप्ता ने उन्हें बताया कि उस की पत्नी स्वाति गुप्ता बीएसएनएल कंपनी में उपमंडल अधिकारी थीं. लगभग 9 बजे वह कार से घर लौटी थीं.

जब वह मेनगेट बंद करने गई तभी अचानक वहां छिपे बैठे उन के पूर्व ड्राइवर लालचंद मेहता चाकू ले कर स्वाति पर टूट पड़ा और तब तक चाकू से ताबड़तोड़ वार करता रहा जब तक स्वाति के प्राण नहीं निकल गए. चीखतीचिल्लाती स्वाति लहूलुहान हो कर जमीन पर गिर पड़ीं.

दीपेंद्र की रुलाई फिर फूट पड़ी. उन्होंने सुबकते हुए कहा, ‘‘अपाहिज होने के कारण मैं अपनी पत्नी को हत्यारे से नहीं बचा सका. बादलों की गड़गड़ाहट में हालांकि स्वाति की चीख पुकार और मेरा शोर भले ही दब गया था, लेकिन जिन्होंने सुना वे दौड़ कर पहुंचे, लेकिन तब तक लालचंद भाग चुका था.’’

एक पल रुकने के बाद दीपेंद्र गुप्ता बोले, ‘‘संभवत: स्वाति की सांसों की डोर टूटी नहीं थी, इसलिए पड़ोसी लहूलुहान स्वाति को तुरंत ले अस्पताल गए, लेकिन…’’ कहतेकहते दीपेंद्र का गला फिर रुंध गया.

‘‘स्वाति को बचाया नहीं जा सका. मुझ से बड़ा बदनसीब कौन होगा. जिस की पत्नी को उस के सामने वहशी हत्यारा चाकुओं से गोदता रहा और मैं कुछ नहीं कर पाया?’’

वहशी हत्यारे की करतूत और लाचार पति की बेबसी पर एक बार तो पुलिस अधिकारियों के दिल में भी हूक उठी.

एसपी सवाई सिंह गोदारा ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘हत्यारे के बारे में मालूम है. वह जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा.’’ उन्होंने बेनीवाल से कहा, ‘‘बेनीवाल, मैं चाहता हूं हत्यारा जल्द से जल्द तुम्हारी गिरफ्त में हो. अभी से लग जाओ उस की तलाश में.’’

इस बीच फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और फोटोग्राफर अपना काम कर चुके थे.

‘‘…और हां,’’ एसपी ने बेनीवाल का ध्यान वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की तरफ दिलाते हुए कहा, ‘‘इस मामले में लालचंद को पकड़ना तो पहली जरूरत है ही. लेकिन सीसीटीवी फुटेज भी खंगालो, फुटेज में पूरी वारदात नजर आ जाएगी.’’

पुलिस की तत्परता कामयाब रही और देर रात लगभग 2 बजे आरोपी लालचंद को रावतभाटा रोड स्थित मुरगीखाने के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने उस के कब्जे से हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद कर लिया.

इस बीच दीपेंद्र गुप्ता की रिपोर्ट पर भादंवि की धारा 402 और 460 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया था.

गुप्ता परिवार ने खुद पाला था मौत देने वाले को  मौके पर की गई पूछताछ के बाद पुलिस ने स्वाति गुप्ता की लाश मोर्चरी भिजवा दी. पोस्टमार्टम के बाद स्वाति का शव अंत्येष्टि के लिए घर वालों को सौंप दिया गया.

पुलिस के लिए अहम सवाल यह था कि आखिर इतनी हिंसक मनोवृत्ति के व्यक्ति को दीपेंद्र गुप्ता ने ड्राइवर जैसे जिम्मेदार पद पर कैसे नौकरी पर रख लिया. लालचंद पिछले 20 सालों से दीपेंद्र गुप्ता के यहां नौकरी कर रहा था. आखिर उसे किस की सिफारिश पर नौकरी दी गई थी. पुलिस ने यह सवाल दीपेंद्र गुप्ता से पूछा

‘‘उस आदमी के बारे में तो अब मुझे कुछ याद नहीं आ रहा.’’ दीपेंद्र गुप्ता ने कहा, ‘‘उस का कोई रिश्तेदार था, जिस के कहने पर मैं ने लालचंद को अपने यहां नौकरी पर रखा था. लालचंद झालावाड़ जिले के मनोहरथाना कस्बे का रहने वाला था. शायद उस का सिफरिशी रिश्तेदार भी वहीं का था.’’

बेनीवाल ने पूछा, ‘‘जब वह पिछले 20 सालों से आप को यहां काम कर रहा था तो जाहिर है काफी भरोसेमंद रहा होगा. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि आप ने उसे नौकरी से निकाल दिया.’’

‘‘उस में 2 खामियां थीं…’’ कहतेकहते दीपेंद्र गुप्ता एक पल के लिए सोच में डूब गए. जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहे हों.

वह फिर बोले, ‘‘दरअसल, उसे एक तो शराब पीने की लत थी और दूसरे वह परिवार की जरूरतों का रोना रो कर हर आठवें दसवें दिन पैसे मांगता. शुरू में मुझे उस की दारूबाजी की खबर नहीं थी. पारिवारिक मुश्किलों का हवाला दे कर वह इस तरह पैसे मांगता था कि मैं मना नहीं कर पाता था. लेकिन स्वाति को यह सब ठीक नहीं लगता था.

दीपेंद्र गुप्ता ने आगे कहा, ‘‘स्वाति ने मुझे कई बार रोका और कहा, ‘बिना किसी की जरूरत को ठीक से समझे बगैर इतनी दरियादिली आप के लिए नुकसानदायक हो सकती है.’ लेकिन मैं ने यह कह कर टाल दिया कि कोई मजबूरी में ही पैसे मांगता है.’’

बेनीवाल दीपेंद्र की बातों को सुनने के साथसाथ समझने की भी कोशिश कर रहे थे. दीपेंद्र ने आगे कहा, ‘‘लेकिन…लालचंद ने शायद मेरी पत्नी स्वाति की आपत्तियों को भांप लिया था. कई मौकों पर मैं ने उसे स्वाति से मुंहजोरी भी करते देखा. मैं ने उसे आड़ेहाथों लेने की कोशिश की. लेकिन उस की मिन्नतों और आइंदा ऐसा  कुछ नहीं करने की बातों पर मैं ने उसे बख्श दिया.’’

दीपेंद्र गुप्ता से लालचंद के बारे में काफी जानकारियां मिलीं. लालचंद पिछले 20 सालों से गुप्ता परिवार के यहां काम कर रहा था. अपंग गुप्ता के लिए उसे निकाल कर नए आदमी की तलाश करना पेचीदा काम था.

दरअसल, दीपेंद्र गुप्ता भी एक सफल बिजनैसमैन थे, लेकिन जीवन में घटी एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया. दीपेंद्र गुप्ता को उन के दोस्त विनय गुप्ता के नाम से जानते थे. कभी शैक्षिक व्यवसाय से जुड़े दीपेंद्र का लौर्ड बुद्धा कालेज नाम से अपना शैक्षणिक संस्थान था. लेकिन सन 2011 में चंडीगढ़ से कोटा लौटते समय हुए एक रोड ऐक्सीडेंट में उन्हें गंभीर चोटें आईं. ऊपर से इलाज के दौरान उन्हें पैरालिसिस हो गया. तब उन्हें अपना संस्थान बेचना पड़ा.

उन की पत्नी स्वाति गुप्ता उपमंडल अधिकारी थीं, जिन का अच्छाखासा वेतन घर में आता था. इस के अलावा गुप्ता ने अपने आवास के एक बड़े हिस्से को किराए पर भी दे दिया, जिस से मोटी रकम मिलती थी. लालचंद मेहता को दीपेंद्र गुप्ता ने सन 2003 में ड्राइवर की नौकरी पर रखा था. उन की शादी स्वाति से सन 2004 में हुई थी, यानी लालचंद मेहता उन की शादी के एक साल पहले से ही उन के यहां नौकरी कर रहा था.

दीपेंद्र गुप्ता के व्हीलचेयर पर आने के बाद लालचंद सिर्फ ड्राइवर ही नहीं रहा, बल्कि गुप्ता का केयरटेकर भी बन गया. एक तरह से अब दीपेंद्र गुप्ता लालचंद पर निर्भर हो गए थे. लालचंद ने उन की इस लाचारी का फायदा उठाया. वह शराब पी कर घर आने लगा था. गुप्ता के सामने ही स्वाति से बदतमीजी से पेश आने लगा था. अब वह पैसे भी दबाव के साथ मांगने लगा था. उस पर गुप्ता की इतनी रकम उधार हो गई थी कि अपनी 2 सालों की तनख्वाह से भी नहीं चुका सकता था.

उस की दाबधौंस 20 अगस्त, 2015 को दीपेंद्र गुप्ता के सामने आई. उस समय वह दारू के नशे में धुत था. उस की आंखें चढ़ी हुई थीं और स्वाति से अनापशनाप बोल कर पैसे ऐंठने पर उतारू था.

आजिज आ कर स्वाति ने डांटा था लालचंद को पानी सिर से गुजर चुका था. इस से पहले कि गुप्ता कुछ कह पाते, स्वाति ने उसे दो टूक लफ्जों में कह दिया, ‘‘तुम्हें इतना पैसा दिया जा चुका है कि तुम सात जनम तक नहीं उतार सकते. तुम परिवार की जरूरतों के बहाने पैसे मांगते हो और दारू में उड़ा देते हो. फौरन यहां से निकल जाओ. आइंदा इधर का रुख भी मत करना.’’

एसपी सवाई सिंह गोदारा ने इस मामले की सूक्ष्मता से जांच कराई. इस केस में चश्मदीद गवाह कोई नहीं था, लेकिन तकनीकी साक्ष्य इतने मजबूत थे कि उन्हीं की बदौलत केस मृत्युदंड की सजा तक पहुंच पाया.

घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी वारदात की फुटेज मिल गई थी, जिस में लालचंद स्वाति गुप्ता पर चाकू से वार करता हुआ साफ दिखाई दे रहा था.

जांच के दौरान मौके से मिले खून के धब्बे, चाकू में लगा खून और पोस्टमार्टम के दौरान मृतका के शरीर से लिए गए खून के सैंपल का मिलान कराया गया. मौके से मिले फुटप्रिंट का भी आरोपी के फुटप्रिंट से मिलान कराया गया. इन सारे सबूतों को अदालत ने सही माना.

न्यायाधीश राजेंद्र बंशीलाल ने सारे सबूतों, गवाहों और दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह सुनने के बाद 49 पेज का फैसला तैयार किया था. अभियुक्त लालचंद को दोषी पहले ही करार दे दिया गया था. 13 दिसंबर, 2018 को उसे सजा सुनाई जानी थी.

न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘इस में कोई दो राय नहीं कि लालचंद मेहता ने जिस तरह स्वाति की जघन्य हत्या की, वह रेयरेस्ट औफ रेयर की श्रेणी में आता है. लेकिन इस के साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि उस ने केवल स्वाति की हत्या ही नहीं की बल्कि अपाहिज दीपेंद्र गुप्ता का सहारा भी छीन लिया. साथ ही उन की मासूम बेटी के सिर से मां का साया भी उठ गया.’’

न्यायाधीश राजेंद्र बंशीलाल ने आगे कहा, ‘‘सारी बातों के मद्देनजर दोषी लालचंद को मृत्युदंड और 30 हजार रुपए जुरमाने की सजा देती है.’’

फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अपने चैंबर में चले गए.

जज द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुलजिम लालचंद मेहता को हिरासत में ले लिया. अदालत द्वारा मुलजिम को मौत की सजा सुनाए जाने पर लोगों ने संतोष व्यक्त किया. ?

गहराइयां : विवान को शैली की कौनसी बात चुभ गई?

हाई हील सताए तो अपनाएं ये उपाय

फैशन और ग्लैमर वर्ल्ड की ओर आकर्षित महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे बिना ही किसी भी प्रकार की हाई हील पहनने लगती हैं. एक सर्वेक्षण के मुताबिक हाई हील पहनने वाली 90% महिलाएं घुटनों, कमर, कूल्हों, कंधों और जोड़ों के दर्द से परेशान रहती हैं.

और्थोपैडिक सर्जन हमेशा हाई हील पहनने से होने वाली इन परेशानियों से महिलाओं को अवगत कराते हैं. पर महिलाएं इस पर ध्यान न दे कर हाई हील पहनती हैं. फलस्वरूप वे जोड़ों में दर्द, नसों में खिंचाव, कमर के आसपास चरबी बढ़ना आदि समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं. कई बार तो कम उम्र में ही नी कैप बदलने तक की नौबत आ जाती है.

इस बारे में मुंबई के और्थोफिट के मोबिलिटी कंसलटैंट और पीडियाट्रीशियन, जो 15 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, कहते हैं कि 10 में से 1 महिला सप्ताह में कम से कम 3 बार हाई हील पहनती है. इस से एडि़यां ऊंची हो जाती हैं, जिस से शरीर का झुकाव आगे की ओर हो जाता है. फलस्वरूप शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है. पंजों एवं एडि़यों में दर्द के अलावा पीठ दर्द, नसों में खिंचाव, घुटनों में दर्द जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं.

हाई हील सोचसमझ कर खरीदें

अब महिलाएं हील न पहनें ऐसा तो मुमकिन ही नहीं, लेकिन वे परेशानियों से बचने के लिए इन बातों पर ध्यान दें:

– हाई हील कम से कम पहनें.

– 1 से डेढ़ इंच की हाई हील पहनने में कोई हरज नहीं पर 4-5 इंच की पहने पर परेशानी होती है. अत: 4-5 इंच की हाई हील कभीकभार ही पहनें.

– कम समय के लिए शौपिंग पर जाती हैं, तो हील पहन सकती हैं. शौपिंग मौल में जाते समय हील पहनने से बचें.

– घूमनेफिरने जाते समय हाई हील कभी न पहनें.

– पैंसिल हील से आप के पैरों पर शरीर का वजन बढ़ता है, जिस से कमर और हिप्स में दर्द होता है. अत: इन्हें कम पहनें.

– औफिस में पूरा दिन हाई हील न पहनें. बीचबीच में उन्हें उतार दें.

– हमेशा हील शाम को ही खरीदें, क्योंकि पूरा दिन काम करने के बाद शाम तक पैरों का आकार थोड़ा बढ़ जाता है.

– हील खरीदते समय ध्यान दें कि वे कंफर्टेबल हैं या नहीं. फैंसी फुटवियर पर न जाएं. कोई भी ब्रैंड यह दावा नहीं कर सकता कि उस की हाई हील पहनने पर पैरों में दर्द न होगा.

– कभी औनलाइन हील की खरीदारी न करें.

– पैरों के दर्द को कभी सहन न करें. उसे व्यायाम या चिकित्सा से दूर करें. 

बालों का रखें खयाल

आमतौर पर देखा जाता है कि सर्दी के जातेजाते, मौसम बदलने पर बाल किनारों से दोमुंहे हो कर कमजोर होने लगते हैं. कमजोर बाल दिखने में तो खराब लगते ही हैं, चेहरे के सौंदर्य को भी कम कर देते हैं. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उपाय अपनाया जाता है हेयर कट, जिस में बालों को ट्रिम कर के दोमुंहे बालों को निकाल दिया जाता है. सर्दी के खत्म होते ही बालों को फिर से स्वस्थ व चमकदार बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उन में दोबारा नई जान लाई जाए. परंतु इस शुष्क मौसम में कुछ लोग जो बालों की अच्छी देखभाल को नजरअंदाज कर देते हैं, उन के बाल रूखे, भुरभुरे, भद्दे हो जाते हैं व किनारों से दोमुंहे होने लगते हैं. सर्दी के तुरंत बाद गरमी का आगमन भी बालों की सेहत को नुकसान पहुंचाता है. वैसे देखा जाए तो वसंत रहने तक अधिक गरमी नहीं होती लेकिन पिछले महीनों में जाड़े की ठंडी और शुष्क हवाओं के आदी हो चुके बालों के लिए ये हवाएं उन की तुलना में अधिक गरम होती हैं और इसी कारण बालों की उपत्वचा खुलने लगती है, जिस से बाल सिरों (किनारों) से दोमुंहे होने लगते हैं.

वसंत में बालों की देखभाल

आमतौर पर बालों के सिरों (किनारों) से दोमुंहे होने पर बाल रूखे और बेजान लगने लगते हैं. इस से बचने के लिए 2 महीनों में एक बार बालों की ट्रिमिंग करानी चाहिए और यह ट्रिमिंग सर्दी के मौसम में हर 6 हफ्तों में कराई जाए तो बेहतर है. बालों को स्टाइलिश करने के लिए हीटेड स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल करने से पहले बालों की सुरक्षा के  लिए हेयर कंडीशनर का प्रयोग करें. ऐसे में बालों की कंडीशनिंग या बालों की मरम्मत के लिए उपयोग में लाई जाने वाली क्रीम का भी प्रयोग करें. सर्दी के दौरान चूंकि बालोें को ज्यादा देखरेख की आवश्यता होती है, इसलिएएक डीप थेरैपी मास्क का उपयोग किया जाना चाहिए, खासतौर पर तब, जब बाल घुंघराले हों.

खानपान की बात की जाए तो संतुलित आहार का बालों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है. संतुलित आहार लेते हुए जाड़े में भी यकीनन बालों को स्वस्थ व संतुलित बनाए रखा जा सकता है. आमतौर पर जो लोग पौष्टिक आहार कम लेते हैं, उन के बाल रूखे हो जाते हैं. गरमी में तो यह समस्या नहीं आती परंतु सर्दी में बाल अधिक रूखे लगते हैं. ऐसे में खूब पानी पीना चाहिए. सर्दी के मौसम में स्कार्फ और हैट लगाने से भी बाल फ्लैट हो जाते हैं. इस के लिए सिर की त्वचा पर उंगलियों के पोरों से मसाज करें.

केश उपचार के टिप्स

बालों को चैमोमाइल टी से धोने पर न सिर्फ बालों में रंगत व चमक आती है, बल्कि यह बालों के रोमकूपों के लिए भी सहायक है.

सर्दी के शुष्क मौसम के बाद बालों को नई जान देने के लिए हर प्रकार के बालों को डीप मौइश्चराइजिंग ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, इस से बालों का रूखापन खत्म होता है.

कंडीशनर केशों में मौइश्चर लेवल को बढ़ाता है, जिस से बाल स्वस्थ व जवां नजर आते हैं और इसी के साथ सर्दी में गायब हुई बालों की चमक भी वापस लौट आती है.

बालों को धोते समय ध्यान रखें कि बाल धोने के बाद उन्हें अच्छे हेयर ब्लोड्रायर्स से सुखाएं.

बालों व सिर की त्वचा के लिए हौट स्टीम बाथ लेना भी फायदेमंद है. गरम तेल से सिर की त्वचा की मसाज करें और इस के बाद गरम तौलिए को कुछ मिनटों के लिए सिर पर लपेटें. इस के अलावा सोते समय भी गरम तेल से सिर की त्वचा की मसाज करें और अगली सुबह स्नान करने से 1 घंटे पहले नीबू के रस को सिरके के साथ मिला कर कौटन से सिर की त्वचा पर लगाएं और सिर को धोते समय आखिर में नीबू का रस मिला 1 कप गरम पानी इस्तेमाल किया जा सकता है. 2 बड़े चम्मच कौस्मैटिक विनेगर के साथ 6 बड़े चम्मच गरम पानी मिला कर इस मिश्रण को कौटन से सिर की त्वचा पर लगाएं व रात भर लगा छोड़ दें. अगली सुबह बालों को शैंपू करें. यह घरेलू उपचार भी रूखे बालों के लिए फायदेमंद रहेगा.

सिर की त्वचा व बालों पर थोड़ा सा दही लगाएं और 1 घंटे बाद बालों को अच्छी तरह तरह धो लें. इस से बालों की शुष्कता कम होगी और चमक बढ़ेगी.  आइए, जानें, बालों की खास समस्याओं को और पहचानें उन के दुरुस्त समाधानों को:

समस्या : डैंड्रफ का बारबार होना.

समाधान : बालों में डैंड्रफ होने का कारण सिर की त्वचा का शुष्क होना नहीं बल्कि सिर की त्वचा पर एक पपड़ीदार परत का बनना है. डैंड्रफ मृत त्वचा के कण होते हैं, इसलिए डैंड्रफयुक्त बालों को मैडिकेटेड शैंपू से साफ करें. लेकिन शैंपू का प्रयोग जल्दीजल्दी न करें. डैंड्रफ अधिक होने पर चर्मरोग भी हो सकता है, इसलिए अपने बालों की सफाई पर विशेष ध्यान दें.

समस्या : बालों का दोमुंहा होना और झड़ना.

समाधान : बालों की तेल से नियमित मालिश करें व पौष्टिक आहार लें. इस से आप के बालों को पोषक तत्त्व मिलेंगे जिस से वे स्वस्थ रहेंगे.

समस्या : बालों का सही तरह साफ न होना.

समाधान : झाग बनाने वाले शैंपू का मतलब यह नहीं है कि वह बालों को अच्छी तरह साफ करेगा ही. झागदार शैंपू के निर्माण में झाग बनाने वाले रसायनों को अधिक मिलाया जाता है. इन में बालों को अच्छी तरह साफ करने की क्षमता नहीं होती है. इसलिए हमेशा ऐसा शैंपू इस्तेमाल में लाएं, जिस में रसायन कम हों और बाल भी अच्छी तरह साफ हो सकें.

समस्या : बालों का चमकदार न होना.

समाधान : ध्यान रहे कि कंडीशनर्स केवल बालों की बाहरी सतह को ही चमकाने का काम करते हैं और उन की संरचना को सही नियंत्रण में रखते हैं. लेकिन ये बालों को अंदर से ठीक नहीं करते. इस के लिए बालों की देखभाल व उचित आहार से उन के पोषण पर उचित ध्यान दें.

क्या न करें

बालों में बारबार कंघी चलाना. इस से बाल अधिक मात्रा में टूटेंगे और उन की जड़ें कमजोर होंगी.   

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