गरबा 2022: फैमिली के स्पैशल मूमैंट्स को सैलिब्रेशन के साथ बनाएं यादगार

सुबह बच्चों को स्कूल और पति को औफिस भेजने के बाद घर के कामों में व्यस्त होने के बाद कब शाम हो जाती है, पता ही नहीं चलता. बस यही रह जाता है हमारा डेली रूटीन. ऐसे में हमारे स्पैशल डेज भी आ कर कब निकल जाते हैं पता ही नहीं चलता. यह ठीक नहीं. तो नए साल में नए जोश के साथ थोड़ा समय अपने लिए भी निकालें और डेली लाइफ में कुछ छोटेबड़े सैलिब्रेशन करते रहें. आइए, जानें कैसे:

जब हो शादी की सालगिरह या जन्मदिन

शादी की सालगिरह हर कपल की लाइफ का बहुत महत्त्वपूर्ण दिन होता है. अगर आप की भी सालगिरह नजदीक है तो उसे यादगार बनाएं. उस दिन के लिए खास प्लानिंग पहले से कर लें ताकि सालगिरह को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें. जिस से आप प्यार करते हैं, जो आप का साथी है अगर इस एक दिन उस के लिए कुछ स्पैशल किया जाए तो सोचिए उसे कितनी खुशी मिलेगी और फिर उसे खुश देख कर आप को भी बहुत खुशी मिलेगी. जानिए, कुछ टिप्स:

अगर आप की शादी की 5वीं, 10वीं, 12वीं, 14वीं या फिर 20वीं सालगिरह भी है तो फिर उसे यादगार बनाने के लिए 25वीं वर्षगांठ का ही इंतजार क्यों? उसे आज ही क्यों न यादगार बना दें. हां, इस के लिए थोड़ा पैसा जरूर खर्च होगा और अगर आप ऐसा करने में सक्षम हैं तो इस दिन को यादगार बना दें. अपने सभी सगेसंबंधियों को बुला कर पार्टी का आयोजन करें. अगर आप बाहर पार्टी नहीं करना चाहतीं तो घर पर ही मेहमानों को बुलाएं और ऐंजौय करें. यह सस्ता भी पड़ेगा. हां, इस काम की सारी जिम्मेदारी आप अकेली न उठाएं, बल्कि कुछ काम आप अपने बच्चों और परिवार के बाकी सदस्यों को भी बांट दें. यह आप का दिन है तो बाकी लोगों का भी काम करना बनता है.

द्य यदि अकेले सैलिब्रेशन करना चाहती हैं तो इस दिन अपनी वैडिंग नाइट का मेन्यू दोहरा सकती हैं. सारा नहीं, बल्कि उस दिन जो आप को अच्छा लगा हो वह. अगर आप चाहें तो खाना बाहर से भी और्डर कर के पति को सरप्राइज दे सकती हैं अथवा खुद ही उन के साथ मिल कर टाइम स्पैंड करते हुए डिनर तैयार करें. वैडिंग केक लाना न भूलें. डिनर से पहले केक काटते हुए अपनी सालगिरह कुछ अलग अंदाज में मनाएं.

इस दिन आप दोनों कुछ न करें बस एकदूसरे के साथ रहें और अपनी शादी का अलबम, वीडियो देख कर पुरानी यादें ताजा करें. पूरा दिन छोटेछोटे सरप्राइज दे कर एकदूसरे को स्पैशल फील कराएं. अपनी फीलिंग्स जो बरसों से आप ने एकदूसरे को नहीं बताईं उन्हें बताएं.

एक सरप्राइज ट्रिप प्लान करें, जिस में सिर्फ आप दोनों हों. इस के लिए अगर संभव हो तो बच्चों को 2-3 दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के घर छोड़ दें. अगर यह संभव नहीं है तो बच्चों को साथ ले जाएं लेकिन वहां एकदूसरे के लिए समय जरूर निकालें.

लवस्टोरी थीम का फोटो शूट करें. आजकल प्रोफैशनल फोटोग्राफर हर जगह होते हैं, जो आप के इस दिन को पूरी तरह यादगार बना सकते हैं.

एकदूसरे को उपहार भी दें, एक नहीं कई छोटेछोटे उपहार दें जो साथी को पसंद हों. यहां उपहार को कीमत से न तोल कर उस के पीछे छिपी साथी की भावनाओं को समझें.

इसी तरह अगर साथी का बर्थडे है तो भी इस दिन को कुछ इस अंदाज में सैलिब्रेट करें कि वह उसे कभी न भूले. इस दिन वह सब करें जो साथी को पसंद है. अगर उसे अपनी फैमिली का साथ अच्छा लगता है तो बिना झिझके उस की फैमिली के साथ पार्टी प्लान करें और वह भी बिना साथी को बताए. उस के पुराने फ्रैंड्स को कौल कर के कुछ प्लान करें. कोई रोमांटिक मूवी देखें और स्पैशल कैंडल लाइट डिनर ऐंजौय करें. तोहफा भी ऐसा दें जिस की तमन्ना उसे कई बरसों से रही हो. इस तरह छोटीछोटी खुशियां ढूंढ़ कर साथी के इस खास दिन को सैलिब्रेट करें.

बच्चों की सफलता पर सैलिब्रेशन

रिजल्ट आने पर बच्चे अपनी पसंद का गिफ्ट तो ले ही लेते हैं, साथ ही अपने स्कूलकालेज के दोस्तों के साथ पार्टी भी करते हैं. लेकिन आप का क्या? हम में से कितने पेरैंट्स हैं जो बच्चों के ऐग्जाम को अपने खुद के ऐग्जाम की तरह देखते हैं और परीक्षा की तैयारी करने के लिए बच्चों के साथ पूरीपूरी रात जागते हैं. जब बच्चे अच्छे नंबरों से पास होते हैं या उन्हें अच्छी नौकरी मिलती है, तो जितनी खुशी बच्चों को होती है उस से कहीं ज्यादा पेरैंट्स को होती है. तो फिर इस मौके पर जब बच्चे पार्टी कर सकते हैं, तो आप का तो पार्टी करना बनता ही है, कुछ इस तरह:

एक फैमिली गैटटूगैदर रखें, जिस में परिवार के सभी लोग शामिल हों. इस से पिछले कुछ दिनों की पूरी थकान उतर जाएगी और परिवार के साथ अच्छा समय बिताने को भी मिलेगा.

अगर बच्चे को उस की सफलता के लिए कोई गिफ्ट दे रही हैं तो एक गिफ्ट अपने लिए लेने में बिलकुल कंजूसी न करें, क्योंकि यह आप का भी अचीवमैंट है.

बच्चों के लिए काफी समय से मेहनत करतेकरते आप भी थक गई होंगी, इसलिए क्यों न अब थोड़ा समय अपने लिए निकालें. अपने घर में एक पार्टी रखें, जिस में बच्चों के दोस्तों को भी बुलाएं और अपने मिलनेजुलने वालों को भी. इसी बहाने एक अच्छी पार्टी भी हो जाएगी.

गृहिणी का आउटडोर सैलिब्रेशन

क्या आप के घर में भी आप की ननद, देवर या फिर आप के अपने बेटे या बेटी की शादी हुई है अथवा कोई भी ऐसा समारोह? फंक्शन चाहे कोई भी हो, उस की लगभग सारी जिम्मेदारी गृहिणी की हो जाती है. भले ही वह जिम्मेदारियों को बांट कर काम करे, लेकिन उसे अपनी नजर हर जगह रखनी पड़ती है. यही वजह है कि घर के किसी भी खास समारोह के बाद गृहिणी पूरी तरह थक जाती है और उसे भी रिलैक्स करने की जरूरत होती है. इस बार क्यों न आप भी रिलैक्स करने के लिए अपने फ्रैंड्स के साथ आउटडोर पार्टी करें. पेश हैं, कुछ टिप्स:

यह मौका है गर्ल्सगैंग आउटिंग का. जी हां, पति, बच्चे सब से दूर. आखिर आप कब तक इन में उलझी रहेंगी. इसलिए अपने गैंग को तैयार कर आज शाम ही पार्टी पर निकल जाएं. अरे सोच क्या रही हैं, ऐसा कर के तो देखें, कालेज के दिन दोबारा न याद आ जाएं तो कहना.

अगर बहुत दिन से आप का किसी हिल स्टेशन पर जाने का मन है और वह किसी न किसी वजह से टलता रहा है तो क्यों न यह प्रोग्राम फ्रैंड्स के साथ सैट कर लें.

यह न भूलें कि सब का खयाल रखने के साथसाथ खुद की खुशी के बारे में सोचना और छोटेछोटे पलों को सैलिब्रैट करना आप को आप से मिलवाता है.

गरबा 2022: निखारें नाखूनों की सुंदरता

पूरा दिन हमारे हाथ क्या कुछ नहीं सहते? कभी साबुन का रूखापन, कभी फूड आइटम्स का चिपचिपापन, कभी कैमिकल का इफैक्ट, तो कभी धूलमिट्टी, टैनिंग का दुष्प्रभाव. हाथों की त्वचा में तैलीय गं्रथियां न होने के कारण उन्हें ज्यादा केयर की जरूरत होती है ताकि वे सुंदर दिखाई दें. हाथों की त्वचा को ड्राई स्किन, डार्क टैनिंग, ऐलर्जी, रैशेज, इन्फैक्शन, खुजली और नेल इंजरी आदि समस्याओं से दोचार होना पड़ता है. ऐसे में अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.

हाथों की केयर

हाथ धोने के लिए कैमिकलयुक्त ऐंटीसैप्टिक साबुन की जगह सौम्य लिक्विड सोप का इस्तेमाल करें. हफ्ते में कम से कम 2 बार हाथों पर माइल्ड स्क्रब करें ताकि डैडसैल्स से छुटकारा पाया जा सके. हार्ड नेल्स काटने में दिक्कत हो तो नेलसौफ्टनर का इस्तेमाल करें. यह किसी भी मैडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होता है. नेलपौलिश रिमूव करने के लिए ऐसोटेन फ्री रिमूवर का ही इस्तेमाल करें. रात को सोने से पहले ब्रैंडेड हैंड क्रीम व औयल से हाथों की नियमित मसाज करें ताकि हाथों की त्वचा सौम्य और हाइड्रेट हो सके.

  1. न्यूट्रीजीना हैंड क्रीम, 1,128
  2. ब्लौसम कोचर अरोमा मैजिक 135
  3. एच2ओ+हैंड ऐंड नेल क्रीम, 1,100
  4. विवल सैल रिन्यू रिपेयर,169
  5. नैचुरल बीवैक्स हैंड क्रीम 100.

सैलून/पार्लर ट्रीटमैंट

हफ्ते में 1-2 बार सैलून जा कर नेल व हैंड ट्रीटमैंट लें. मैनीक्योर, मैनीस्पा, चौकलेट मैनीक्योर, स्किन पौलिशिंग, हैंड ऐक्सफौलिएशन, पैराफिन ट्रीटमैंट, कैमिकल पीलिंग आदि ट्रीटमैंट्स में से आप अपने हाथों की जरूरत के हिसाब से ट्रीटमैंट ले सकती हैं.

नेल केयर

खूबसूरत व लंबे नाखून हर महिला की चाह होती है. लेकिन जरूरत से ज्यादा लंबे नाखून हाथों की सुंदरता छीन लेते हैं. इसलिए उन्हें समयसमय पर ट्रिम करती रहें. नाखूनों के पोषण के लिए फाइबरयुक्त भोजन लें. नाखूनों की मजबूती के लिए खाने में सोया, पालक, चुकंदर, ड्राई फू्रट्स, योगर्ट, मछली, अंडा, लहसुन आदि का इस्तेमाल करें. विटामिन ई कैप्सूल से नाखूनों की मसाज करें. अधिक मीठे पेयपदार्थों के सेवन से परहेज करें.

पीले नाखून

खराब नेलपौलिश के ज्यादा उपयोग से नाखून पीले पड़ने लगते हैं. इसलिए हमेशा ब्रैंडेड नेलपौलिश का ही इस्तेमाल करें. कुछ दिन नाखूनों को नेलपौलिश लगाए बिना रखें. पीलेपन से छुटकारा पाने के लिए कुनकुने पाने में नीबू का टुकड़ा डुबो कर नाखूनों की मालिश करें. व्हाइट विनेगर से नाखूनों की स्क्रबिंग करें. रोजाना के इस्तेमाल से नाखून चमकने लगेंगे.

ब्रैंडेड नेलपौलिश व रिमूवर

  1. मेबिलिन कलर 75 रुपए
  2. मेबिलेन ग्लिटर कलर, 125
  3. एल 18 नेल पौपस, 50
  4. लैक्मे नेल कलर, 100
  5. लोटस हर्बल, 110.
  6. कलरबार नेल इनैमल 110.

नेल रिमूवर

  1. लैक्मे नेल रिमूवर 70
  2. रेवलौन प्रोफैशनल नेल रिमूवर 160
  3. कलरबार अल्टीमेट रिमूवर 125
  4. एवौन कंडीशनिंग रिमूवर, 149.

नेल आर्ट

नाखूनों की सुंदरता को और निखारने के लिए विभिन्न प्रकार के नेल आर्ट कराए जाते हैं जैसे नीडल्स डिजाइन, मार्बल्स आर्ट, 3डी आर्ट, स्ट्रोक ब्रश डिजाइन, स्वरोस्की स्टोन, ग्लिटर्स ट्रैंड, नेल पियर्सिंग, फ्लौवर आर्ट, वर्टिकल लाइंस, नेल टैटू, स्टैंपर्सिंग, जैल नेल आर्ट, न्यूजपेपर प्रिंट, ऐक्रेलिक नेल्स ऐक्सटैंशन, परमानैंट फ्रैंच नेल्स, टौप डौट, मैग्नेट नेल मैजिक, ड्रिपिंग ड्रौप, रेनबो आर्ट, ज्वैल नेलआर्ट आदि.

स्वरोस्की स्टोन

नेल्स पर बेस कोट लगा कर उस पर स्टोन्स लगाए जाते हैं, फिर ग्लौसी ट्रांसपैरेंट नेलपौलिश की टौप कोटिंग की जाती है. यह डिजाइन 1 हफ्ते तक टिका रहता है.

मार्बल नेल

इस डिजाइन के लिए पानी पर एक के ऊपर एक नेलपौलिश ड्रौप कुछ सैकंड्स के अंतराल पर डालें. ज्यादा से ज्यादा 3-4. फिर इस मिश्रण को सूई या टूथपिक से घुमाव दें. इस मिश्रण में आर्टिफिशियल नाखूनों को डुबो कर धीरे से निकाल लें. नाखूनों पर मार्बल डिजाइन उभर आएगा.

नेल पियर्सिंग

नेल पियर्सिंग के लिए आर्टिफिशियल नेल्स का ही इस्तेमाल करें ताकि नाखून खराब न हों. नकली नाखूनों में छेद कर के बाली या छोटी लटकन डाल लें. ध्यान रखें कि एक हाथ में केवल एक नाखून में ही लटकन डालें. ज्यादा डालेंगी तो अच्छी नहीं लगेंगी.

फ्लौवर आर्ट

सब से पहले न्यूट्रल बेस कोट लगाएं. फिर जैल नेलपौलिश की कुछ बूंदें डालें. टूथपिक की मदद से बीच में हलकी सी लाइन डालें. आप का फ्लौवर पैटर्न तैयार है. एक नेल पर 2-3 से ज्यादा फ्लौवर न बनाएं.

नीडल्स डिजाइन

नेल्स पर नीडल्स से ही सुंदर डिजाइन बनाए जाते हैं. मार्केट में नेलपैन भी उपलब्ध हैं. आप उन की मदद से बेज न्यूट्रल शेड पर अपने मनपसंद नेलकलर पैन से डिजाइन बना सकती हैं. मसलन, कोई सनीडे, फौरैस्ट आदि.

न्यूजपेपर प्रिंट आर्ट

नेल्स पर बेज या व्हाइट कोट लगाएं. न्यूजपेपर कटिंग को पानी में डिप कर के बेस कोट पर हलका दबाव देते हुए लगाएं. न्यूजपेपर प्रिंट नेल पर ट्रांसफर होते ही ट्रांसपैरेंट टौप कोट लगा दें. न्यूजपेपर प्रिंट आर्ट तैयार है.

ड्रिपिंग ड्रौप आर्ट

पहले नेल्स पर बेस कोट लगाएं, फिर नेल्स की टिप्स पर एक पतली लाइन खींचें. अब नेलपेंट की कुछ बूंदें लाइन पर डालते हुए हलका सा फैलाएं. फिर सूखने पर टौप कोट लगाएं. ड्रिपिंग ड्रौप इफैक्ट तैयार है.

ट्रिप्पली आर्ट

इस के लिए नेल्स पर थिक बेस कोट लगाएं. उस के बाद कलर फैमिली (लाइट, मीडियम व डार्क) शेड लें और उन्हें लहरिया स्टाइल में मिक्स करते हुए लगाएं. उस के बाद ट्रांसपैरेंट बेस कोट लगाएं.

नेल आर्ट किट

मार्केट में विभिन्न प्रकार की नेल आर्ट किट उपलब्ध हैं, जिन से थोड़े समय में आप आसानी से अपने नाखूनों की सुंदरता बढ़ा सकती हैं.

कोनाड नेल डैको ग्लिटर सैट, क्व3,745

कोनाड नेल आर्ट किट, क्व480

चाइनीज नेल आर्ट किट क्व350

सैलून ऐक्सप्रैस स्टैंप किट क्व949

लोरियल पैरिस नेल आर्ट किट क्व300.

आप चाहें तो यह किट टैलीशौपिंग व औनलाइन भी डिस्काउंट के साथ मंगवा सकती हैं.

कुछ हट कर

अगर आप ऐक्सपैरिमैंट ऐक्सपर्ट हैं, तो अपने लिए ट्राई करें नेल आर्ट 3डी ब्रो पीस, नेल स्टैंसिल, डौटिंग पैन, नियोन स्टड किट, नेलपेंट पैन, नेलग्लिटर पाउडर, मैटेलिक नेलपेंट, ग्लिटर नेल जैल, जैल पौलिश, मैटे मैटेलिक नेलपेंट, क्यूटिकल औयल, रेवलौन शाइनी मैट इनैमल आदि.

जानें एटीएम कार्ड सुरक्षित रखने के 12 टिप्स

देश के सबसे बड़े बैंक ने एटीएम से बढ़ते फ्रॉड को देखते हुए यूजर्स के लिए 12 गोल्डेन टिप्स बनाए हैं. जिन्हें इस्तेमाल कर आप अपने एटीएम कार्ड को किसी भी तरह के रिस्क से सेफ करते हैं. आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के पास सबसे ज्यादा शिकायतें एटीएम कम डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से होने वाले फ्रॉड की आती है.

60 फीसदी कार्ड हाई रिस्क पर

कुल शिकायतों में 22 फीसदी तक शिकायतें इसी से रिलेटेड होती है. इसके अलावा अभी भी देश में 60 फीसदी डेबिट और क्रेडिट कार्ड हाई रिस्क में आते हैं. इसे देखते हुए एसबीआई के ये 12 गोल्डेन टिप्स यूज कर फ्रॉड से अपने आप को बचा सकते हैं.

1. हमेशा  ATM  की ग्रीन लाइट का रखें ध्यान

बैंक के अनुसार ज्यादातर यूजर्स एटीएम से पैसा निकालते वक्त उसमें ब्लिंक करने वाली लाइट पर ध्यान नहीं देते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के चांस बढ़ जाते हैं. इसे देखते हुए यह जरूरी है एटीएम से निकलने के पहले यह जरुर चेक कर लें, कि लाइट ग्रीन कलर में ब्लिंक करने लगी हो. ऐसा होने के बाद ही आपका ट्रांजैक्शन पूरी तरह से सेफ होता है.

2. एटीएम स्लिप को हमेशा रखें पास

एटीएम स्लिप को कभी भी उसके केबिन में मत फेंके. बैंक के अनुसार स्लिप में आपके बैंक अकाउंट की डिटेल होती है. ऐसे में स्लिप का इस्तेमाल अकाउंट हैक करने में किया जा सकता है. स्लिप को हमेशा छोटे-छोटे टुकड़ों में फाड़कर भी डस्टबिन में फेंके. इसके लिए कोशिश करें की स्लिप प्रिंट करने का ऑप्शन एटीएम को न दें, क्योंकि आपके सारे ट्रांजैक्शन डिटेल ऑनलाइन और मोबाइल पर आ ही जाती है.

3. कार्ड स्वैप करते समय कभी न करें ये गलतियां

बैंक के अनुसार शॉपिंग करते वक्त कई बार यूजर अपने कार्ड को सर्विस मैन को स्वैप करने के लिए दे देते हैं. ऐसा अकसर पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट , या शॉपिंग मॉल में होता है. यूजर्स को कभी ऐसा नहीं करना चाहिए. बैंक के अनुसार इस तरह के भी मामले आए हैं, कि यूजर्स यह सोच कर सर्विस मैन को पिन भी बता देते हैं, कि यह सामने ही यूज करेगा. इस तरह के कदम नुकसान दे होते हैं. ऐसा करने से आपका डाटा चोरी हो सकता है.

4. पिन डालते समय रहें सावधान

शॉपिंग के दौरान पिन डालते समय होटल, शॉप, पेट्रोल पंप या दूसरी जगहों पर यूजर सेफ्टी का ध्यान नहीं देते हैं. वह अपने पिन को बिना छुपाए फीड करते हैं. ऐसे में पिन की जानकारी लीक होने का डर होता है. इसी तरह एटीएम में पैसे निकालते वक्त भी यूजर पिन फीड करने में सेफ्टी नहीं बरतते हैं. उस समय भी डाटा लीक होने का डर बना रहता है.

5. अस्थायी स्टॉल से शॉपिंग करते समय रहें सावधान

बैंक के अनुसार आजकल ऑनलाइन शॉपिंग के ऑप्शन बहुत सारे अस्थायी इवेंट में भी मौजूद होते हैं. मसलन आईपीएल मैच, प्रोकबड्डी मैच, ट्रेड फेयर, ऑटो फेयर, कई सारी प्रदर्शनी, दूसरे स्टेज शो में भी कई सारे अस्थायी स्टॉल लगाए जाते हैं. वहां पर भी कार्ड से पेमेंट होता है. ऐसे में वहां कार्ड पेमेंट से बचें या फिर केवल रेप्युटेड कंपनी के स्टॉल पर ही कार्ड का यूज करें.

6. पुराने कार्ड से भी डाटा होता है चोरी.

ज्यादातर बैंक एक कार्ड की लाइफ 3 से 4 साल रखते हैं. ऐसे में जब वह कार्ड एक्सपायर होता है, तो उसके बदले में बैंक आपको नया कार्ड आपके एड्रेस पर भेज देते हैं. ऐसे में हम अपने पुराने कार्ड को कई बार इधर-उधर यह सोच कर फेक देते हैं, कि वह अब बेकार हो गया है. ऐसा लेकिन नहीं होता है, उस कार्ड पर आपका 16 या 19  डिजिट नंबर होता है. जिसका इस्तेमाल हैकर कर सकते हैं. ऐसे में नया कार्ड मिलने पर पुराने कार्ड को जरुर नष्ट करें.

7. बैंक अकाउंट को Insta Alert डालें.

कई बार हम अपने अकाउंट नंबर को मोबाइल से लिंक करते हैं. ऐसे में एटीएम से फ्रॉड होने पर हमें रियल टाइम जानकारी नहीं मिलती है. ऐसे में अपने अकाउंट को हमेशा आपके द्वारा यूज किए जाने वाले मोबाइल नंबर से जरूर लिंक करें. उसमें भी इंस्टा अलर्ट फैसिलिटी बैंक से ले. इसके अलावा अकाउंट को अपने ई-मेल से भी लिंक रखे. इससे आप 24 घंटे अपने अकाउंट पर नजर रख सकते हैं.

8. बैंक से मांगे ईवीएम चिप वाले कार्ड

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार देश में करीब 60 फीसदी कार्ड ऐसे हैं, जो मैगनेटिक चिप वाले हैं. जो कि अभी नए फ्रॉड के तरीकों से पूरी तरह से सेफ नहीं है. ऐसे बैंकों को साल 2018 तक ईवीएम चिप वाले कार्ड पर शिफ्ट होना है और पुराने कार्ड को रिप्लेस करना है. ऐसे में अगर आपके पास मैगनेटिक चिप वाला कार्ड हैं, तो उसे रिप्लेस कराएं और ईवीएम चिप वाला कार्ड लें.

9. एटीएम के बैक साइड पर अपना साइन जरूर करें.

10. इसके अलावा एक निश्चित समय पर अपने एटीएम का पिन जरुर चेंज करें.

11. पिन नंबर को हमेशा याद करें, कहीं लिखे नहीं, चाहे वह फोन हो या फिर आपका ई-मेल आईडी.

12. कभी भी किसी बैंक, आरबीआई, बैंकिंग कॉरस्पॉडेंट, एजेंट आदि को अपना पिन नंबर न बताएं.

विद्रोह- भाग 2: क्या राकेश को हुआ गलती का एहसास

राकेश शादी के बाद से ही उसे अपमानित कर नीचा दिखाता आया था. घर व बाहर वालों के सामने बेइज्जत कर उस का मजाक उड़ाने का वह कोई मौका शायद ही चूकता था.

सीमा के सुंदर नैननक्श की तारीफ नहीं बल्कि उस के सांवले रंग का रोना वह अकसर जानपहचान वालों के सामने रोता.

घर की देखभाल में जरा सी कमी रह जाती तो उसे सीमा को डांटनेडपटने का मौका मिल जाता. उस का कोई काम मन मुताबिक न होता तो वह उसे बेइज्जत जरूर करता.

बच्चों के बडे़ होने के साथ सीमा की जिम्मेदारियां भी बढ़ी थीं. 2 साल पहले सास के निधन के बाद तो वह बिलकुल अकेली पड़ गई थी. उन के न रहने से सीमा का सब से बड़ा सहारा टूट गया था.

राकेश के गुस्से से बच्चे डरेसहमे से रहते. उस के गलत व्यवहार को देख सारे रिश्तेदार, परिचित और दोस्त उसे एक स्वार्थी, ईर्ष्यालु व गुस्सैल इनसान बताते.

सीमा मन ही मन कभीकभी बहुत दुखी व परेशान हो जाती पर कभी किसी बाहरी व्यक्ति के मुंह से राकेश की बुराई सुनना उसे स्वीकार न था.

‘वह दिल के बहुत अच्छे हैं…मुझे बहुत प्यार करते हैं और बच्चों में तो उन की जान बसती है. मैं बहुत खुश हूं उन के साथ,’ सीमा सब से यह कहती भी थी और अपने मन की गहराइयों में इस विश्वास की जड़ें खुद भी मजबूत करती रहती थी.

घर में डरेसहमे से रह रहे मयंक व शिखा के व्यक्तित्व के समुचित विकास को ध्यान में रखते हुए वह उन्हें पिछले साल होस्टल में डालने को तैयार हो गई थी.

उन की पढ़ाई व घर का ज्यादातर खर्चा वह अपनी तनख्वाह से चलाती थी. राकेश करीब 1 साल से घरखर्च के लिए ज्यादा रुपए नहीं देता था. यह सीमा को उस रात ही समझ में आया कि वह जरूर अपनी प्रेमिका पर जरूरत से ज्यादा खर्चा करने के कारण घर की जिम्मेदारियों से हाथ खींचने लगा है.

अगले दिन वह आफिस नहीं गई थी. घर छोड़ कर मायके जाने की सूचना उस ने राकेश को उस के आफिस जाने से पहले दे दी थी.

‘तुम जब चाहे लौट सकती हो. मैं तुम्हें कभी लेने नहीं आऊंगा, यह ध्यान रखना,’ उसे समझानेमनाने के बजाय उस ने उलटे धमकी दे डाली थी.

‘मैं इस घर में कभी नहीं लौटूंगी,’ सीमा ने अपना निर्णय उसे बताया तो राकेश मखौल उड़ाने वाले अंदाज में हंस कर घर से बाहर चला गया था.

राकेश चाहेगा तो वह उसे तलाक दे देगी, पर उस के पास अब कभी नहीं लौटेगी, सीमा की इस विद्रोही जिद को उस के मातापिता लाख कोशिश कर के  भी तोड़ नहीं पाए थे.

लेकिन एक मां अपने बच्चों के मन की सुखशांति व खुशियों की खातिर अपने बेवफा पति के घर लौटने को तैयार हो गई थी.

सीमा को अगले दिन उस के मातापिता राकेश के पास ले गए. उस ने वहां पहुंचते ही पहले घर की साफसफाई की और फिर रसोई संभाल ली. अपने बेटाबेटी के लिए वह उन की मनपसंद चीजें बडे़ जोश के साथ बनाने के काम में जल्दी ही व्यस्त हो गई थी.

राकेश और उस के बीच नाममात्र की बातें हुईं. दोनों बच्चों को स्टेशन से ले कर राकेश जब 11 बजे के करीब घर लौटा, तब घर भर में एकदम से रौनक आ गई. मयंक और शिखा के साथ खेलते, हंसतेबोलते और घूमतेफिरते सीमा के लिए समय पंख लगा कर उड़ चला. दोनों बच्चे अपने स्कूल व दोस्तों की बातें करते न थकते. उन के हंसतेमुसकराते चेहरों को देख कर सीमा फूली न समाती.

जब कभी सीमा अकेली होती तो उदास मन से यह जरूर सोचती कि अपने कलेजे के टुकड़ों को कैसे बताऊंगी कि मैं ने उन के पापा को छोड़ कर अलग रहने का फैसला कर लिया है. उन हालात को यह मासूम कैसे समझेंगे जिन के कारण मुझे इतना कठोर फैसला करना पड़ा है.

वह रात को बच्चों के साथ उन के कमरे में सोती. दिन भर की थकान इतनी होती कि लेटते ही गहरी नींद आ जाती और मन को परेशान या दुखी करने वाली बातें सोचने का समय ही नहीं मिलता.

राकेश इन तीनों की उपस्थिति में अधिकतर चुप रह कर इन की बातें सुनता. उस में आए बदलाव को सब से पहले मयंक ने पकड़ा.

‘‘मम्मी, पापा बहुत बदलेबदले लग रहे हैं इस बार,’’ मयंक ने घर आने के तीसरे दिन दोपहर में सीमा के सामने अपनी बात कही.

‘‘वह कैसे?’’ सीमा की आंखों में उत्सुकता के भाव जागे.

‘‘वह पहले की तरह हमें हर बात पर डांटतेधमकाते नहीं हैं.’’

‘‘और मम्मी आप से भी लड़ना बंद कर दिया है पापा ने,’’ शिखा ने भी अपनी राय बताई.

‘‘मुझे तो इस बार पापा बहुत अच्छे लग रहे हैं.’’

‘‘मुझे भी बहुत प्यारे लग रहे हैं,’’ शिखा ने भी भाई के सुर में सुर मिलाया.

अपने बच्चों की बातें सुन कर सीमा मुसकराई भी और उस की आंखों में आंसू भी छलक आए. राकेश की बेवफाई को याद कर उस के दिल में एक बार नाराजगी, दुख व अफसोस से मिश्रित पीड़ा की तेज लहर उठी. जल्दी ही मन को संयत कर वह बच्चों के साथ विषय बदल कर इधरउधर की बातें करने लगी.

उस दिन शाम को राकेश बैडमिंटन खेलने के 4 रैकिट और शटलकौक खरीद लाया. दोनों बच्चे खुशी से उछल पड़े. उन की जिद के आगे झुकते हुए सीमा को भी उन तीनों के साथ बैडमिंटन खेलना पड़ा. यह शायद पहला अवसर था जब राकेश के साथ उस ने किसी गतिविधि में सहज व सामान्य हो कर हिस्सा लिया था.

उस रात सीमा बच्चों के कमरे में सोने के लिए जाने लगी तो राकेश ने उसे रोकने के लिए उस का हाथ पकड़ लिया था.

‘‘नो,’’ गुस्से और नफरत से भरा सिर्फ यह एक शब्द सीमा ने मुंह से निकाला तो राकेश की इस मामले में कुछ और कहने या करने की हिम्मत ही नहीं हुई.

बच्चों का मन रखने के लिए सीमा राकेश के साथ उस के दोस्तों के घर चायनाश्ते व खाने पर गई.

राकेश के सभी दोस्तों व उन की पत्नियों ने सीमा के सामने उस के पति के अंदर आए बदलाव पर कोई न कोई अनुकूल टिप्पणी जरूर की थी. उन के हिसाब से राकेश अब ज्यादा शांत, हंसमुख व सज्जन इनसान हो गया है.

सीमा ने भी उस में ये सब परिवर्तन महसूस किए थे, पर उस से अलग रहने के निर्णय पर वह पूर्ववत कायम रही.

भाभी- भाग 2: क्या अपना फर्ज निभा पाया गौरव?

थोड़ी देर में वह फिर आ कर मेरे पास बैठ गई, बोली, ‘‘गौरव, तुम आज ही चले जाओ, पता नहीं भाभी किस मुसीबत में हैं.’’

मैं ने कहा, ‘‘हां बेला, यदि मैं ने उन की आज्ञा नहीं मानी तो मैं स्वयं को क्षमा नहीं कर पाऊंगा.’’

‘‘इतने बड़े भक्त हो भाभी के?’’

‘‘हां, बेला. मेरे लिए वे भाभी ही नहीं, मेरी मां भी हैं, उन का मुझ पर बहुत कर्ज है, बस यों समझ ले, भाभी न होतीं तो मैं आज जो हूं वह न होता, एक आवारा होता और फिर तुम जैसी इतनी सुंदर, इतनी कुशल पत्नी मुझे कहां मिलतीं.’’

‘‘हांहां, बटरिंग छोड़ो, हमेशा भाभी, भाभी की रट लगाए रहते हो.’’

‘‘अरे, मैं बेला, बेला भी तो रटता हूं, पर तुम्हारे सामने नहीं,’’ कह कर मैं मुसकराया.

‘‘दूसरों के सामने बेला ही बेला रहता है मेरी जबान पर, मेरे सारे फ्रैंड्स से पूछ कर तो देखो,’’ कह कर मैं चुप हो गया और सोचने लगा कि हो सकता है कि वहां भाभी का मन न लग रहा हो, टैलीफोन पर रहरह कर भाभी का असंतोष झलकता रहता है, बेटेबहुओं से वे प्रसन्न नहीं. ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए? क्या भाभी को यहां ले आऊं? यहां ले आया तो क्या बेला निभा पाएगी उन से? बेला को निभाना चाहिए, उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया है, मुझ जैसे आवारा को एक सफल आदमी बनाया है.

वह घटना रहरह कर मेरी आंखों के सामने घूमती रहती है जब मैं बी.एससी. फाइनल में था. मेरी बुद्धि प्रखर थी, परीक्षा में सदा फर्स्ट आता था, पर कुछ साथियों की सोहबत में पड़ कर मैं सिगरेट पीने लगा था. पैसों की कमी कभी भाभी ने होने नहीं दी. एक दिन…

‘‘भाभी…ओ भाभी.’’

‘‘क्या बात है?’’

‘‘जल्दी से एक सौ का नोट निकालो, जल्दी करो, नहीं तो भैया आ जाएंगे.’’

‘‘डरता है भैया से?’’

‘‘हां, उन से डर लगता है.’’

‘‘और मुझ से नहीं?’’ कह कर वे मुसकराईं.

‘‘अरे, तुम से क्या डरना? भाभी मां से भी कोई डरता है?’’ कह कर मैं ने उन की कोली भर ली और उन का एक चुंबन ले लिया.

वे मुसकरा कर गुस्सा दिखाती हुई बोलीं, ‘‘हट बेशर्म कहीं का… बचपना नहीं गया अब तक.’’

‘‘मेरा बचपना चला गया तो तुम बूढ़ी न हो जाओगी, फिर कौन बेटा मां को चूमता है, अच्छा है, यों ही बच्चा बना रहूं.’’

उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया और मेरे सिर पर हाथ फेरती हुई बोलीं, ‘‘चल हट, ले 100 रुपए का नोट.’’

एक दिन भाभी ने आवाज लगाई, ‘‘गौरव, मशीन लगा रही हूं कपड़े हों तो दे दो.’’

मैं ने अपनी कमीज, पैंट, बनियान उन्हें दे दिए. जब वे कपड़े मशीन में डालती थीं तो पैंट, कमीजों की जेबें देख लिया करती थीं. वे मेरी कमीज की जेब में हाथ डालते हुए बड़बड़ाईं, ‘यह भी नहीं होता इस से कि अपनी जेबें देख लिया करे, देख यह क्या है?’

जेब में सिगरेट का पैकेट था. उसे देख कर वे वहीं माथा पकड़ कर बैठ गईं, गौरव और सिगरेट. वे चिल्लाईं, ‘‘गौरव.’’

‘‘हां, भाभी?’’

‘‘यह क्या है?’’ मुझे पैकेट दिखाते हुए वे लगभग चीखीं.

‘‘यह, यह…’’ और मैं चुप.

‘‘बोलता क्यों नहीं, क्या है यह?’’ कह कर मेरे मुंह पर एक जोर का तमाचा मारा और फिर फफकफफक कर रो पड़ीं.

काफी देर बाद वे चुप हुईं, अपने आंसू पोंछते हुए कुछ सोचती सी मुझ से बोलीं, ‘‘गौरव, सौरी, मैं ने तुम्हें थप्पड़ मारा… अब कभी नहीं मारूंगी. मारने का मेरा हक खत्म हुआ.’’

थोड़ी देर मौन रह कर वे पुन: बोलीं, ‘‘अपने भैया से मत कहना, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं,’’ उन्होंने हाथ जोड़ते हुए मेरी ओर कातर नजरों से देखा.

मैं काठ की मूर्ति बना खड़ा रहा. बहुत कुछ बोलना चाहता था, पर मुंह से शब्द नहीं फूटे अपनी सफाई में… मैं कुछ कह भी नहीं सकता था, क्योंकि वह सब झूठ होता, मैं ने सिगरेट पीनी शुरू कर दी थी. बस, इतना ही कह पाया था, ‘‘सौरी भाभी मां.’’

भाभी ने मुझ से बोलचाल बंद कर दी. दिन में 2 बार ही वे मुझे आवाज लगाती थीं, ‘‘गौरव नाश्ता तैयार है, गौरव खाना तैयार है, गौरव कपड़े हों तो दे दो.’’

भाभी मेरे कमरे में आतीं और मेरी मेज पर 100 रुपए का नोट रखते हुए कहतीं, ‘‘और जरूरत हो तो बोल देना.’’

एक दिन मैं ने कहा, ‘‘जब आप मुझ से कोई संबंध ही नहीं रखना चाहतीं तो रुपए क्यों देती हैं?’’

‘‘इसलिए कि एक ऐब के साथ तुम दूसरे ऐब के शिकार न हो जाओ, चोरी न करने लगो. सिगरेट की तलब बुझाने के लिए तुम्हें पैसों की जरूरत पड़ेगी, पैसे न मिलने पर तुम चोरी करने लगोगे और मैं नहीं चाहती कि तुम चोर भी बन जाओ.’’

‘‘आप की बला से, मैं चोर बनूं या डाकू.’’

इस पर वे बोलीं, ‘‘सिर्फ इंसानियत के नाते मैं नहीं चाहती कि कोई भी नवयुवक किसी ऐब का शिकार हो कर अपनी प्रतिभा को कुंठित करे, तुम मेरे लिए एक इंसान से अधिक कुछ नहीं,’’ कह कर वे चली गईं.

मैं काफी परेशान रहा. फिर सिगरेट न पीने का संकल्प कर लिया. भाभी का स्वास्थ्य दिन ब दिन गिरता जा रहा था. वे पीली पड़ती जा रही थीं, हर समय उदास रहती थीं, जैसे उन के भीतर एक झंझावात चल रहा हो. भैया ने भी कई बार कहा था कि सुमित्रा, क्या तबीयत खराब है? वे हंस कर टाल जाती थीं. उन की बनावटी हंसी से मैं दहल उठता था. एक दिन वे मेरे कमरे में आईं. मेज पर 100 का नोट रखते हुए बोलीं, ‘‘और चाहिए तो बोल देना.’’

जैसे ही वे बाहर जाने को हुईं, मैं ने उन का हाथ पकड़ा और कहा, ‘‘भाभी.’’

उन्होंने झटके से हाथ खींच लिया, बोलीं, ‘‘मत कहो मुझे भाभी, उसे मरे तो काफी दिन हो गए.’’

‘‘माफ नहीं करोगी?’’

‘‘माफ तो अपनों को किया जाता है, गैरों को कैसी माफी? रोजाना इतने जुर्म होते हैं, क्या सभी को माफी देने का ठेका मैं ने ले रखा है? मैं कोई जज हूं, जो अपराधी की अपील को सुन कर उसे माफ कर दूं?’’

‘‘क्या सौमित्र के साथ भी ऐसा ही बरताव करतीं?’’

‘‘अरे, उस से तो यही कहती कि घर से बाहर हो जाओ.’’

‘‘फिर मुझे क्यों नहीं कहा?’’

‘‘तुम मेरे पेट के जाए जो नहीं.’’

‘‘ठीक, यही मैं सुनना चाहता था, मैं तुम्हारा दिखावे का बेटा था, मतलब सगे और पराए में अंतर बना ही रहता है. मैं पराया हूं,

मैं ने भूल की जो आप को अपना समझा. ठीक है, अब मेरा आप का वास्तव में कोई रिश्ता नहीं, अब के बाद आप मेरी सूरत नहीं देखेंगी… गुड बाय,’’ कह कर मैं किताब के पन्ने पलटपलट कर पढ़ने का बहाना करने लगा.

मैं आत्मग्लानि के भंवर में फंसा था, अपराध तो मुझ से हुआ था, इतना बड़ा विश्वासघात? मेरी आंखों से आंसू टपकने लगे, मैं ने निर्णय किया कि मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा,

जब मांबाप ही नहीं रहे तो भैयाभाभी पर कैसा अधिकार?

अगले दिन भैया दफ्तर चले गए तो मैं ने अपनी पुस्तकें, कुछ कपड़े अटैची में रखे और घर छोड़ कर निकल जाने को तैयार हुआ. भाभी ने देख लिया था कि मैं अटैची लगा रहा हूं. वे कमरे में आईं, ‘‘यह क्या हो रहा है? कहीं जाने की तैयारी है?’’

‘‘हां, आप का घर छोड़ कर जा रहा हूं.’’

‘‘घर आप का भी है, मेरा ही नहीं. इस के आधे के मालिक हैं आप, आप घर छोड़ कर क्यों जाएंगे, घर छोड़ कर तो मुझे जाना चाहिए, क्योंकि असली कसूरवार तो मैं हूं.

भाभी- भाग 1: क्या अपना फर्ज निभा पाया गौरव?

आज सुबहसुबह ही भाभी का फोन आया कि जरूरी बात करनी है, जल्दी आ जाओ और फोन काट दिया. मैं ने चाय का प्याला मेज पर रख दिया और अखबार एक ओर रख कर सोचने लगा कि कोई बात जरूर है, जो भाभी ने एक ही बात कह कर फोन काट दिया. लगता है, भाभी परेशान हैं… सोचतेसोचते मैं अपनी युवावस्था में पहुंच गया जब मैं बी.एससी. का छात्र था.

‘‘अरे, चाय ठंडी हो गई है… क्या सोच रहे हैं?’’ बेला ने आवाज लगाई, तो मैं जैसे सोते से जाग उठा और बोला, ‘‘अरे, ध्यान ही नहीं रहा.’’ मैं ने चाय का प्याला उठाया. चाय वाकई ठंडी हो गई थी. मैं ने कहा, ‘‘पी लूंगा, कोई खास ठंडी नहीं हुई है.’’

‘‘ऐसे कैसे पी लोगे? मैं अभी दूसरी चाय बना लाती हूं,’’ बेला ने मेरे हाथ से चाय का प्याला पकड़ा और फिर ‘न जाने बैठेबैठे क्या सोचते रहते हैं,’ कहती हुई चली गई.

मैं ने अखबार उठा कर पढ़ना शुरू किया ही था कि बेला चाय ले कर आ गई, ‘‘लो, चाय पी लो पहले वरना फिर ठंडी हो जाएगी,’’ कह कर वह खड़ी हो गई.

मैं ने कहा, ‘‘पी लेता हूं भई, अब तुम खड़ी क्यों हो, जाओ अपने काम निबटा लो.’’

‘‘नहीं, पहले चाय पी लो… मैं ऐसे ही खड़ी रहूंगी.’’

‘‘मैं कोई बच्चा हूं?’’

‘‘हां… कुछ भी ध्यान नहीं रहता, न जाने कहां खोए रहते हैं. बताइए न, क्या बात है?’’ कह कर बेला मेरे बराबर वाली कुरसी पर बैठ गई.

मैं ने चाय का घूंट भरा और बोला, ‘‘देखो बेला, कुछ समस्याएं व्यक्ति की पारिवारिक हो कर भी कभीकभी निजी बन जाती हैं. बस, समझ लो कि यह मेरी निजी समस्या है, इसे मुझे ही हल करना है.’’

‘‘अब तुम्हारी कोई भी समस्या निजी नहीं हो सकती, कहीं न कहीं वह मुझ से जुड़ी होगी. अत: मिलजुल कर ही हमें उसे सुलझाना है… अच्छा, बताओ क्या बात है?’’

मैं ने चाय का खाली प्याला मेज पर रख दिया और बोला, ‘‘सुबह ही भाभी का फोन आया था कि कोई जरूरी बात करनी है, ‘जल्दी आ जाओ’ कह कर उन्होंने फोन काट दिया. काफी दिनों से मैं महसूस कर रहा हूं कि भाभी परेशान हैं. लगता है, बेटेबहुओं के साथ कुछ खटपट चल रही है. जब से भैया गए हैं, वे अकेली हो गई हैं… अपने मन की बात किस से करें?’’

‘‘क्यों, बेटेबहुएं उन के अपने नहीं हैं? मंजरी उन की अपनी नहीं है? क्यों नहीं बांट सकतीं वे अपनी परेशानियों को अपने बच्चों के साथ?’’ बेला ने कहा.

‘‘अरे, मंजरी तो अब दूसरे घर की हो गई है. रह गए सौमित्र और राघव, वे दोनों अपने व्यापार और गृहस्थी में मशगूल हैं. तीनों बच्चों में कोई ऐसा नहीं, जिस से भाभी अपने मन की बात कह सकें.’’

‘‘आप हैं न उन की समस्याओं के समाधानकर्ता?’’ बेला ने कहा.

‘‘मैं…हां, मैं हो सकता हूं. मुझे वे अपना मानती हैं, सौमित्र और राघव के साथ वे मुझे अपना तीसरा बेटा मानती हैं. वे बेटों से अकसर कहा करती थीं कि नालायको, तुम बुढ़ापे में हमारे सुखदुख में काम नहीं आओगे. गौरव मेरा तीसरा बेटा है, उस के होते मुझे तुम्हारी सहायता की जरूरत नहीं.’’ कह कर मैं चुप हो गया.

बेला बोली, ‘‘ठीक है, अगर आप कुछ कर सकते हैं तो जरूर करिए… मैं समझती हूं कि उन्हें कोई आर्थिक परेशानी तो नहीं होनी चाहिए. भैया काफी रुपया, बड़ी कोठी, जायदाद छोड़ कर गए हैं. हमारे पास तो उन से आधा भी नहीं. वही पारंपरिक सासबहू या बेटों की समस्या होगी, मुझे तो इस के अलावा कुछ नजर नहीं आता.’’

‘‘लगता तो मुझे भी ऐसा ही है. भाभी बड़े घर की हैं, उन्होंने सदा हुक्म चलाया है, भैया और अपने बच्चों पर ही नहीं, मुझ पर भी. अब जमाना बदल गया है, उन की हुक्मउदूली हो रही होगी, जो उन्हें बरदाश्त नहीं हो रही होगी,’’ कह कर मैं ने बेला की ओर देखा.

‘‘ऐसा करो तुम आज ही चले जाओ… भाभी से मिल कर देखो कि क्या बात है और उसे किस प्रकार सुलझाया जा सकता है,’’ कह कर बेला चली गई.

कालेज के दिनों की मेरी स्मृतियां मेरी आंखों के सामने रहरह कर घूमने लगीं…

‘‘भाभी, ओ भाभी… सुनती हो…’’

‘‘आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो, यही न?’’ कह कर भाभी ने मेरा वाक्य पूरा किया.

‘‘भाभी, सच्चीमुच्ची, आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो.’’

‘‘तो?’’

‘‘तो कुछ नहीं, बस लग रही हो, मन करता है तुम्हारी कोली भर लूं और तुम्हारी पप्पी ले लूं. भाभी प्लीज, एक पप्पी…’’

‘‘जरूर,’’ कह कर वे आगे बढ़ीं और ‘‘ले पप्पी,’’ कह कर मेरी कमर पर प्यार से धौल जमा दी, ‘‘कैसी लगी?’’

इस पर मैं ने कहा, ‘‘बहुत मीठी.’’

वे चली गईं.

ठीक है, ले कर ही रहूंगा पप्पी, मैं ने उन्हें पीछे से सुनाया. उन से पैसे झटकने का मेरा यह अपना अंदाज था. एक दिन मैं ने उन से कहा, ‘‘भाभी, आज तो गजब ढहा रही हो, बड़ी सुंदर लग रही हो.’’

‘‘बिना किसी बात के ही मैं सुंदर लग रही हूं?’’

‘‘हां भाभी, बिना किसी बात के.’’

‘‘थैंक्स.’’

मैं बोला, ‘‘भाभी, बस थैंक्स और कुछ नहीं?’’

‘‘और क्या… बोलो, लग रही हूं सुंदर? बिना बात तो मैं सुंदर लगती नहीं, मैं ने तो पूछा था, बता क्या बात है, क्यों लग रही हूं

मैं आज सुंदर? तू ने नहीं बताया तो क्या मैं थैंक्स भी नहीं देती?’’ कह कर वे मुसकाईं

और बोलीं, ‘‘अच्छा बता, आज कितने रुपए चाहिए?’’

‘‘चलो, आप जिद कर रही हैं तो बस 1 नोट.’’

भाभी ने झट 5 रुपए का नोट मेरी ओर बढ़ाया.

मैं ने कहा, ‘‘मैं बैरा हूं क्या? फिर 5 रुपए तो आजकल उन्हें भी टिप नहीं दी जाती. मेरी औकात 5 रुपए?’’

‘‘अरे, तो बोल न कितने की औकात है तेरी, 10, 20, 50 कितने की?’’

‘‘50 से आगे गिनती नहीं आती क्या?’’

भाभी ने 100 रुपए का नोट मेरी ओर बढ़ाया और फिर मेरे मुंह पर हलकी सी चपत लगाई और मुसकरा कर चली गईं.

भैया यह सब देख रहे थे. उन्होंने भाभी से कहा, ‘‘देखो सुमित्रा, तुम गौरव को बिगाड़ रही हो, उस से यह भी नहीं पूछतीं कि किसलिए चाहिए, तुझे रुपए?’’

‘‘अरे बच्चा है, अपने सौमित्र और राघव भी तो ऐसे ही जिद करते हैं, गौरव को रुपए दे देती हूं तो क्या हुआ?’’

‘‘इस तरह रुपए दे कर तुम सौमित्र और राघव को भी बिगाड़ोगी तो मैं बरदाश्त नहीं करूंगा. मानता हूं तुम गौरव को बेटे जैसा मानती हो, पर इस तरह बच्चे बिगड़ जाते हैं.’’

उस दिन भाभी का मूड खराब हो गया. वे भैया से बोलीं, ‘‘मेरी अजीब मुश्किल है. गौरव पर सख्ती बरतती हूं तो अजीब सी उथलपुथल मच उठती है दिल में, ढील देती हूं तो तुम्हें अच्छा नहीं लगता. सोच नहीं पाती हूं कि मुझे क्या करना चाहिए.’’

भाभी जब बैठी हुई होती थीं तो मैं अकसर पीछे से जाता और उन के गले में दोनों बांहें डाल कर उन की पीठ पर झूल जाया करता था.

वे कह उठती थीं, ‘‘हट रे, मेरी जान निकालेगा क्या?’’

मैं कहता, ‘‘क्या भैया से भारी हूं?’’

‘‘तो क्या उन्हें अपनी पीठ पर बैठाती हूं?’’

‘‘पीठ पर नहीं, सिर पर तो बैठाती हो.’’

वे बोलीं, ‘‘अरे, सिर पर तो मैं ने तुझे चढ़ा रखा है. तेरे भैया यही शिकायत करते हैं कि मैं ने तुझे सिर पर चढ़ाया हुआ है, उसे बिगाड़ कर छोड़ेगी.’’

‘‘उन्होंने कभी मेरे मजाक का बुरा नहीं माना. जब तक तुम नहीं आई थीं बेला, भाभी के साथ जिंदगी हंसीमजाक में कटती थी.’’

‘‘फिर रोतेझींकते कटने लगी जिंदगी मेरे साथ, यही कहना चाहते हो न?’’ बेला तुरंत बोली.

मैं ने कहा, ‘‘ऐसा तो मैं नहीं सोचता, लेकिन इतना सुखी, इतना दुविधारहित जीवन मैं ने फिर कभी नहीं देखा, न किसी की फिक्र न फाका. मां तो बचपन में ही मर गई थीं और जब भैया की शादी हुई तो मैं ज्यादा छोटा नहीं था, 10वीं कक्षा में पढ़ता था. मां मुझे बहुत याद आती थीं. लेकिन भाभी के प्यार ने मां की याद भुला दी. मेरे हर सुखदुख की साथी बनीं भाभी.’’

तभी बेला चौंक पड़ी, ‘‘अरे दूध?’’ कह कर रसोई की ओर भागी.

मैं जोर से चिल्लाया, ‘‘अरे, क्या हुआ?’’

‘‘होना क्या था, सारा दूध उबल कर बह गया तुम्हारे भाभीपुराण के चक्कर में.’’

अनमोल उपहार- भाग 2: सरस्वती के साथ क्या हुआ

विश्वनाथ की बूआ कमला अपने परिवार के साथ शादी के बाद से ही मायके में रहती थीं. उन के पति ठेकेदारी करते थे. बूआ की 3 बेटियां थीं. इसलिए भी अब विश्वनाथ ही सब की आशाओं का केंद्र था. तेज दिमाग विश्वनाथ ने जिस दिन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास की सारे घर में जैसे दीवाली का माहौल हो गया.

‘मैं जानती थी, मेरा विशू एक दिन सारे गांव का नाम रोशन करेगा. मां, तेरे पोते ने तो खानदान की इज्जत रख ली.’  विश्वनाथ की बूआ खुशी से बावली सी हो गई थीं. प्रसन्नता की उत्ताल तरंगों ने सरस्वती के मन को भी भावविभोर कर दिया था.

विश्वनाथ पहली पोस्टिंग पर जाने से पहले मां के पांव छूने आया था.

‘सुखी रहो, खुश रहो बेटा,’ सरस्वती ने कांपते स्वर में कहा था. बेटे के सिर पर हाथ फेरने की नाकाम कोशिश करते हुए उस ने मुट्ठी भींच ली थी. तभी बूआ की पुकार ‘जल्दी करो विशू, बस निकल जाएगी,’ सुन कर विश्वनाथ कमरे से बाहर निकल गया था.

समय अपनी गति से बीतता रहा. विशू की नौकरी लगे 2 वर्ष बीत चुके थे. उस की दादी का देहांत हो चुका था. अपनी तीनों फुफेरी बहनों की शादी उस ने खूब धूमधाम से अच्छे घरों में करवा दी थी. अब उस के लिए अच्छेअच्छे रिश्ते आ रहे थे.

एक शाम सरस्वती की ननद कमला एक लड़की की फोटो लिए उस के पास आई. उस ने हुलस कर बताया कि लड़की बहुत बड़े अफसर की इकलौती बेटी है. सुंदर, सुशील और बी.ए. पास है.

‘क्या यह विशू को पसंद है?’ सरस्वती ने पूछा.

‘विशू कहता है, बूआ तुम जिस लड़की को पसंद करोगी मैं उसी से शादी करूंगा,’ कमला ने गर्व के साथ सुनाया, तो सरस्वती के भीतर जैसे कुछ दरक सा गया.

धूमधाम से शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. सरस्वती का भी जी चाहता था कि वह बहू के लिए गहनेकपड़े का चुनाव करने ननद के साथ बाजार जाए. पड़ोस की औरतों के साथ बैठ कर विवाह के मंगल गीत गाए. पर मन की साध अधूरी ही रह गई.

धूमधाम से शादी हुई और गायत्री ने दुलहन के रूप में इस घर में प्रवेश किया.

गायत्री एक सुलझे विचारों वाली लड़की थी. 2-3 दिन में ही उसे महसूस हो गया कि उस की विधवा सास अपने ही घर में उपेक्षित जीवन जी रही हैं. घर में बूआ का राज चलता है. और उस की सास एक मूकदर्शक की तरह सबकुछ देखती रहती हैं.

उसे लगा कि उस का पति भी अपनी मां के साथ सहज व्यवहार नहीं करता. मांबेटे के बीच एक दूरी है, जो नहीं होनी चाहिए. एक शाम वह चाय ले कर सास के कमरे में गई तो देखा, वह बिस्तर पर बैठी न जाने किन खयालों में गुम थीं.

‘अम्मांजी, चाय पी लीजिए,’ गायत्री ने कहा तो सरस्वती चौंक पड़ी.

‘आओ, बहू, यहां बैठो मेरे पास,’ बहू को स्नेह से अपने पास बिठा कर सरस्वती ने पलंग के नीचे रखा संदूक खोला. लाल मखमल के डब्बे से एक जड़ाऊ हार निकाल कर बहू के हाथ में देते हुए बोली, ‘यह हार मेरे पिता ने मुझे दिया था. मुंह दिखाई के दिन नहीं दे पाई. आज रख लो बेटी.’

गायत्री ने सास के हाथ से हार ले कर गले में पहनना चाहा. तभी बूआ कमरे में चली आईं. बहू के हाथ से हार ले कर उसे वापस डब्बे में रखते हुए बोलीं, ‘तुम्हारी मत मारी गई है क्या भाभी? जिस हार को साल भर भी तुम पहन नहीं पाईं, उसे बहू को दे रही हो? इसे क्या गहनों की कमी है?’

सरस्वती जड़वत बैठी रह गई, पर गायत्री से रहा नहीं गया. उस ने टोकते हुए कहा, ‘बूआजी, अम्मां ने कितने प्यार से मुझे यह हार दिया है. मैं इसे जरूर पहनूंगी.’

सामने रखे डब्बे से हार निकाल कर गायत्री ने पहन लिया और सास के पांव छूते हुए बोली, ‘मैं कैसी लगती हूं, अम्मां?’

‘बहुत सुंदर बहू, जुगजुग जीयो, सदा खुश रहो,’ सरस्वती का कंठ भावातिरेक से भर आया था. पहली बार वह ननद के सामने सिर उठा पाई थी.

गायत्री ने मन ही मन ठान लिया था कि वह अपनी सास को पूरा आदर और प्रेम देगी. इसीलिए वह साए की तरह उन के साथ लगी रहती थी. धीरेधीरे 1 महीना गुजर गया, विश्वनाथ की छुट्टियां खत्म हो रही थीं. जिस दिन दोनों को रामनगर लौटना था उस सुबह गायत्री ने पति से कहा, ‘अम्मां भी हमारे साथ चलेंगी.’

‘क्या तुम ने अम्मां से पूछा है?’ विश्वनाथ ने पूछा तो गायत्री दृढ़ता भरे स्वर में बोली, ‘पूछना क्या है. क्या हमारा फर्ज नहीं कि हम अम्मां की सेवा करें?’

‘अभी तुम्हारे खेलनेखाने के दिन हैं, बहू. हमारी चिंता छोड़ो. हम यहीं ठीक हैं. बाद में कभी अम्मां को ले जाना,’ बूआ ने टोका था.

‘बूआजी, मैं ने अपनी मां को नहीं देखा है,’ गायत्री बोली, ‘अम्मां की सेवा करूंगी, तो मन को अच्छा लगेगा.’

आखिर गायत्री के आगे बूआ की एक न चली और सरस्वती बेटेबहू के साथ रामनगर आ गई थी.

कुछ दिन बेहद ऊहापोह में बीते. जिस बेटे को बचपन से अपनी आंखों से दूर पाया था, उसे हर पल नजरों के सामने पा कर सरस्वती की ममता उद्वेलित हो उठती, पर मांबेटे के बीच बात नाममात्र को होती.

गायत्री मांबेटे के बीच फैली लंबी दूरी को कम करने का भरपूर प्रयास कर रही थी. एक सुबह नाश्ते की मेज पर अपनी मनपसंद भरवां कचौडि़यां देख कर विश्वनाथ खुश हो गया. एक टुकड़ा खा कर बोला, ‘सच, तुम्हारे हाथों में तो जादू है, गायत्री.’

‘यह जादू मां के हाथों का है. उन्होंने बड़े प्यार से आप के लिए बनाई है. जानते हैं, मैं तो मां के गुणों की कायल हो गई हूं. जितना शांत स्वभाव, उतने ही अच्छे विचार. मुझे तो ऐसा लगता है जैसे मेरी सगी मां लौट आई हों.’

धीरेधीरे विश्वनाथ का मौन टूटने लगा  अब वह यदाकदा मां और पत्नी के साथ बातचीत में भी शामिल होने लगा था. सरस्वती को लगने लगा कि जैसे उस की दुनिया वापस उस की मुट्ठी में लौटने लगी है.

समय पंख लगा कर उड़ने लगा. वैसे भी जब खुशियों के मधुर एहसास से मन भरा हुआ होता है तो समय हथेली पर रखी कपूर की टिकिया की तरह तेजी से उड़ जाता है. जिस दिन गायत्री ने लजाते हुए एक नए मेहमान के आने की सूचना दी, उस दिन सरस्वती की खुशी की इंतहा नहीं थी.

‘बेटी, तू ने तो मेरे मन की मुराद पूरी कर दी.’

‘अभी कहां, अम्मां, जिस दिन आप का बेटा आप को वापस लौटा दूंगी, उस दिन वास्तव में आप की मुराद पूरी होगी.’

गायत्री ने स्नेह से सास का हाथ दबाते हुए कहा तो सरस्वती की आंखें छलक आईं.

अनमोल उपहार- भाग 1: सरस्वती के साथ क्या हुआ

दीवार का सहारा ले कर खड़ी दादीमां थरथर कांप रही थीं. उन का चेहरा आंसुओं से भीगता जा रहा था. तभी वह बिलखबिलख कर रोने लगीं, ‘‘बस, यही दिन देखना बाकी रह गया था उफ, अब मैं क्या करूं? कैसे विश्वनाथ की नजरों का सामना करूं?’’

सहसा नेहा उठ कर उन के पास चली आई और बोली, ‘‘दादीमां, जो होना था हो गया. आप हिम्मत हार दोगी तो मेरा और विपुल का क्या होगा?’’

दादीमां ने अपने बेटे विश्वनाथ की ओर देखा. वह कुरसी पर चुपचाप बैठा एकटक सामने जमीन पर पड़ी अपनी पत्नी गायत्री के मृत शरीर को देख रहा था.

आज सुबह ही तो इस घर में जैसे भूचाल आ गया था. रात को अच्छीभली सोई गायत्री सुबह बिस्तर पर मृत पाई गई थी. डाक्टर ने बताया कि दिल का दौरा पड़ा था जिस में उस की मौत हो गई. यह सुनने के बाद तो पूरे परिवार पर जैसे बिजली सी गिर पड़ी.

दादीमां तो जैसे संज्ञाशून्य सी हो गईं. इस उम्र में भी वह स्वस्थ हैं और उन की बहू महज 40 साल की उम्र में इस दुनिया से नाता तोड़ गई? पीड़ा से उन का दिल टुकड़ेटुकड़े हो रहा था.

नेहा और विपुल को सीने से सटाए दादीमां सोच रही थीं कि काश, विश्वनाथ भी उन की गोद में सिर रख कर अपनी पीड़ा का भार कुछ कम कर लेता. आखिर, वह उस की मां हैं.

सुबह के 11 बज रहे थे. पूरा घर लोगों से खचाखच भरा था. वह साफ देख रही थीं कि गायत्री को देख कर हर आने वाले की नजर उन्हीं के चेहरे पर अटक कर रह जाती है. और उन्हें लगता है जैसे सैकड़ों तीर एकसाथ उन की छाती में उतर गए हों.

‘‘बेचारी अम्मां, जीवन भर तो दुख ही भोगती आई हैं. अब बेटी जैसी बहू भी सामने से उठ गई,’’ पड़ोस की विमला चाची ने कहा.

विपुल की मामी दबे स्वर में बोलीं, ‘‘न जाने अम्मां कितनी उम्र ले कर आई हैं? इस उम्र में ऐसा स्वास्थ्य? एक हमारी दीदी थीं, ऐसे अचानक चली जाएंगी कभी सपने में भी हम ने नहीं सोचा था.’’

‘‘इतने दुख झेल कर भी अब तक अम्मां जीवित कैसे हैं, यही आश्चर्य है,’’ नेहा की छोटी मौसी निर्मला ने कहा. वह पास के ही महल्ले में रहती थीं. बहन की मौत की खबर सुन कर भागी चली आई थीं.

दादीमां आंखें बंद किए सब खामोशी से सुनती रहीं पर पास बैठी नेहा यह सबकुछ सुन कर खिन्न हो उठी और अपनी मौसी को टोकते हुए बोली, ‘‘आप लोग यह क्या कह रही हैं? क्या हक है आप लोगों को दादीमां को बेचारी और अभागी कहने का? उन्हें इस समय जितनी पीड़ा है, आप में से किसी को नहीं होगी.’’

‘‘नेहा, अभी ऐसी बातें करने का समय नहीं है. चुप रहो…’’ तभी विश्वनाथ का भारी स्वर कमरे में गूंज उठा.

गायत्री के क्रियाकर्म के बाद रिश्तेदार चले गए तो सारा घर खाली हो गया. गायत्री थी तो पता ही नहीं चलता था कि कैसे घर के सारे काम सही समय पर हो जाते हैं. उस के असमय चले जाने के बाद एक खालीपन का एहसास हर कोई मन में महसूस कर रहा था.

एक दिन सुबह नेहा चाय ले कर दादीमां के कमरे में आई तो देखा वे सो रही हैं.

‘‘दादीमां, उठिए, आज आप इतनी देर तक सोती रहीं?’’ नेहा ने उन के सिर पर हाथ रखते हुए पूछा.

‘‘बस, उठ ही रही थी बिटिया,’’ और वह उठने का उपक्रम करने लगीं.

‘‘पर आप को तो तेज बुखार है. आप लेटे रहिए. मैं विपुल से दवा मंगवाती हूं,’’ कहती हुई नेहा कमरे से बाहर चली गई.

दादीमां यानी सरस्वती देवी की आंखें रहरह कर भर उठती थीं. बहू की मौत का सदमा उन्हें भीतर तक तोड़ गया था. गायत्री की वजह से ही तो उन्हें अपना बेटा, अपना परिवार वापस मिला था. जीवन भर अपनों से उपेक्षा की पीड़ा झेलने वाली सरस्वती देवी को आदर और प्रेम का स्नेहिल स्पर्श देने वाली उन की बहू गायत्री ही तो थी.

बिस्तर पर लेटी दादीमां अतीत की धुंध भरी गलियों में अनायास भागती चली गईं.

‘अम्मां, मनहूस किसे कहते हैं?’ 4 साल के विश्वनाथ ने पूछा तो सरस्वती चौंक पड़ी थी.

‘बूआ कहती हैं, तुम मनहूस हो, मैं तुम्हारे पास रहूंगा तो मैं भी मर जाऊंगा,’ बेटे के मुंह से यह सब सुन कर सरस्वती जैसे संज्ञाशून्य सी हो गई और बेटे को सीने से लगा कर बोली, ‘बूआ झूठ बोलती हैं, विशू. तुम ही तो मेरा सबकुछ हो.’

तभी सरस्वती की ननद कमला तेजी से कमरे में आई और उस की गोद से विश्वनाथ को छीन कर बोली, ‘मैं ने कोई झूठ नहीं बोला. तुम वास्तव में मनहूस हो. शादी के साल भर बाद ही मेरा जवान भाई चल बसा. अब यह इस खानदान का अकेला वारिस है. मैं इस पर तुम्हारी मनहूस छाया नहीं पड़ने दूंगी.’

‘पर दीदी, मैं जो नीरस और बेरंग जीवन जी रही हूं, उस की पीड़ा खुद मैं ही समझ सकती हूं,’ सरस्वती फूटफूट कर रो पड़ी थी.

‘क्यों उस मनहूस से बहस कर रही है, बेटी?’ आंगन से विशू की दादी बोलीं, ‘विशू को ले कर बाहर आ जा. उस का दूध ठंडा हो रहा है.’

बूआ गोद में विशू को उठाए कमरे से बाहर चली गईं.

सरस्वती का मन पीड़ा से फटा जा रहा था कि जिस वेदना से मैं दोचार हुई हूं उसे ये लोग क्या समझेंगे? पिता की मौत के 5 महीने बाद विश्वनाथ पैदा हुआ था. बेटे को सीने से लगाते ही वह अपने पिछले सारे दुख क्षण भर के लिए भूल गई थी.

सरस्वती की सास उस वक्त भी ताना देने से नहीं चूकी थीं कि चलो अच्छा हुआ, जो बेटा हुआ, मैं तो डर रही थी कि कहीं यह मनहूस बेटी को जन्म दे कर खानदान का नामोनिशान न मिटा डाले.

सरस्वती के लिए वह क्षण जानलेवा था जब उस की छाती से दूध नहीं उतरा. बच्चा गाय के दूध पर पलने लगा. उसे यह सोच कर अपना वजूद बेकार लगता कि मैं अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिला सकती.

कभीकभी सरस्वती सोच के अथाह सागर में डूब जाती. हां, मैं सच में मनहूस हूं. तभी तो जन्म देते ही मां मर गई. थोड़ी बड़ी हुई तो बड़ा भाई एक दुर्घटना में मारा गया. शादी हुई तो साल भर बाद पति की मृत्यु हो गई. बेटा हुआ तो वह भी अपना नहीं रहा. ऐसे में वह विह्वल हो कर रो पड़ती.

समय गुजरता रहा. बूआ और दादी लाड़लड़ाती हुई विश्वनाथ को खिलातीं- पिलातीं, जी भर कर बातें करतीं और वह मां हो कर दरवाजे की ओट से चुपचाप, अपलक बेटे का मुखड़ा निहारती रहती. छोटेछोटे सपनों के टूटने की चुभन मन को पीड़ा से तारतार कर देती. एक विवशता का एहसास सरस्वती के वजूद को हिला कर रख देता.

Bigg Boss 16 का हिस्सा होंगे ये सितारे! पढ़ें पूरी लिस्ट

कलर्स के पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस के 16वें सीजन (Bigg Boss 16) का आज यानी 1 अक्टूबर को आगाज होने जा रहा है, जिसके चलते शो सुर्खिय़ों में आ गया है. वहीं इस सीजन में टीवी की दमदार बहुए नजर आने वाली है. इसके साथ ही कई दमदार कंटेस्टेंट भी देखने को मिलने वाले हैं. वहीं अब शो की फाइनल कंटेस्टेंट की लिस्ट (Bigg Boss 16 Contestent) और घर के एक एक कोने की जानकारी और फोटोज सामने आ चुकी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

चर्चा में हैं ये कंटेस्टेंट

 

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बॉलीवुड डायरेक्टर और फराह खान के भाई साजिद खान का नाम बिग बॉस 16 के कंफर्म कंटेस्टेंट में शामिल हो गया है. Me too आरोपों के कारण सुर्खियों में रहे साजिद अब शो में एंटरटेन करते हुए नजर आएंगे. इसके अलावा टीवी की बहुएं यानी उतरन सीरियल फेम टीना दत्त, उडारिया की तेजो यानी मेहर चौधरी, छोटी सरदारनी फेम निम्रत कौर अहलूवालिया और इमली सीरियल फेम सुंबुल तौकीर खान शो में हुस्न का तड़का लगाते हुए दिखेंगी. इसके अलावा शो में उड़ारिया के फतेह यानी अंकित गुप्ता भी हिस्सा लेते हुए नजर आने वाले हैं.

ये कंटेस्टेंट भी होंगे शो का हिस्सा

 

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इन पौपुलर कंटेस्टेंट के अलावा शो में बिग बॉस 13 का हिस्सा रह चुकीं एक्ट्रेस दलजीत कौर के एक्स हस्बैंड शालिन भनोट भी शो का हिस्सा बनने वाले हैं. इसके अलावा मिस इंडिया रनरअप का ताज जीतने वाली मान्या सिंह, भोजपुरी एक्ट्रेस सौंदर्या शर्मा, एक्ट्रेस श्रीजिता डे और एक्टर गौतम सिंह नजर आएंगे. साथ ही राजस्थान की सपना चौधरी यानी डांसर गोरी नागोरी भी शो का हिस्सा बनेंगी. इसके अलावा बिग बॉस मराठी सीजन 2 के विनर शिव ठाकरे और कंफर्म कंटेस्टेंट सिंगर अब्दु रोजिक शो में नजर आएंगे.

बता दें, इस बार शो के होस्ट सलमान खान नहीं बल्कि बिग बौस खुद नजर आने वाले हैं. वहीं बिग बॉस 16 के घर की बात करें तो इस बार सर्कस के लुक  में सजा हुआ घर दर्शकों को दिखने वाला है.

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भाभी- भाग 6: क्या अपना फर्ज निभा पाया गौरव?

‘बहुओं की क्यों नहीं आएगी, आखिर बड़े चाव से उन्हें घर लाई हूं, उन के सभी अरमान पूरे कर के मैं ने अपने ही मन की साध पूरी की है, पहनओढ़ कर कितनी सुंदर लगती हैं, जब कभी शृंगार कर लेती हैं तो मेरा मन उन की नजर उतारने को करता है, उन्हें देख कर तो मेरी चाल में एक घमंड उभर आता है. पता है गौरव कभीकभी तो मैं रिश्तेदारों की बहुओं से उन की तुलना करने बैठ जाती हूं कि पासपड़ोस में, रिश्तेदारों में है कोई जो मेरी बहुओं से अधिक सुंदर हो.’’

तभी बेला बोल उठी, ‘‘और भाभी मैं?’’

‘‘अरी, तू किसी और की पसंद की है क्या? तुझे भी तो मैं ही ठोकबजा कर लाई थी, तू किसी से कम कैसे हो सकती है? बहुएं छांटने में मैं ने कोई समझौता नहीं किया, मैं दहेज के लोभ में कभी नहीं आई, बस गुण, शील, सौंदर्य के पीछे ही भागी.’’

तभी फोन की घंटी बजी, तो गौरव ने रिसीवर उठाया, ‘‘हैलो.’’

‘‘हैलो, चाचाजी, प्रणाम. सौमित्र बोल रहा हूं… वहां सब ठीक है?’’

‘‘हां बेटा सब ठीकठाक है और तुम लोग?’’

‘‘यहां सब कुशलमंगल हैं, जरा मां से बात करा दो.’’

‘‘हांहां,’’ कह कर मैं ने भाभी को रिसीवर थमा दिया, ‘‘भाभी, सौमित्र का फोन है.’’

‘‘हैलो मां, प्रणाम.’’

‘‘सुखी रह, इतने दिनों बाद मां की याद आई, नालायक. इतने दिनों तक फोन क्यों नहीं किया?’’

‘‘फोन किसलिए करता, आप कहीं गैर जगह थोड़े ही न गई हैं, अपने तीसरे बेटे के पास गई हैं, बड़े के पास आप हो तो क्या हालचाल पूछता? वैसे मैं उन से बातचीत करता रहता हूं. हां मां, फोन इसलिए किया है कि डा. योगेश की लड़की की शादी है. परसों ही वे कह रहे थे कि सौमित्र तुम्हारी माताजी को जरूर आना है. आप आ जाइए. कहें तो मैं लेने आ जाऊं? पूछ लीजिए चाचाजी से.’’

भाभी बोलीं, ‘‘अरे गौरव, सौमित्र बुला रहा है कि डा. योगेश की लड़की की शादी है, आ जाएं, मुझे जाना चाहिए. डा. योगेश हमारे फैमिली डाक्टर हैं, उन से बिलकुल घर जैसे संबंध हैं. सौमित्र पूछ रहा है कि मैं लेने आ जाऊं?’’

मैं ने कहा, ‘‘नहीं भाभी, वह क्या करेगा आ कर, कल शनिवार है, मेरी छुट्टी है. मैं छोड़ आऊंगा आप को.’’

मैं भाभी को शनिवार की प्रात: आगरा छोड़ कर शाम को ही वापस दिल्ली लौट आया.

उस के बाद जो वहां हुआ उस की खबर मुझे सौमित्र ने एक दिन फोन पर दी.

भाभी… के आदेशानुसार दोनों बहुएं डा. योगेश की लड़की की शादी के लिए सजधज कर तैयार हो गईं.

भाभी ने आदेश दिया, ‘‘अरी, बड़की, छुटकी जल्दी करो, बरात आने का समय हो चला है.’’

दोनों बहुओं ने साड़ी और गहने पहने, शृंगार किया और फिर सिर पर साड़ी का पल्लू रखा, आ कर भाभी के सामने खड़ी हो गईं और बोलीं, ‘‘चलिए मम्मीजी, हम तैयार हैं.’’

बैंकटहाल की सजावट से आंखें चौंधिया रही थीं. ऐसा लगता था मानो बच्चों से ले कर बड़ेबूढ़ों तक सभी नरनारियों की कोई सौंदर्य प्रतियोगिता हो, नवयुवतियां, बहुएं खासतौर से जम रही थीं. सभी की नजर वहां उपस्थित बहुओं पर थी, पर पता ही नहीं लग रहा था कि कौन बहू है, कौन बेटी. हाथ में चूड़ा पहने कोईकोई नववधू तो पहचानी जा सकती थी.

अधिकतर बहुएं, लड़कियां घाघरे पहने थीं, जो फर्श पर घिसटते हुए पोंछा सा लगाते प्रतीत हो रहे थे. कुछ स्त्रियां साड़ी पहने हुए थीं, सभी नंगे सिर, मात्र छोटा सा ब्लाउज पहने थीं. चुन्नी शायद ही किसी के सिर पर हो. यदि किसी के पास चुन्नी थी भी तो वह एक कंधे पर लटकी हुई, मात्र कंधे की शोभा बढ़ा रही थी.

भाभी की दोनों बहुएं, जरी की भारी कीमती साड़ी पहने हुए थीं, सिर साड़ी के पल्लू से ढके थे. भाभी को अपनी बहुएं सब से अलगथलग सी लग रही थीं. अजीब सी दिखाई दे रही थीं, भाभी ने सोचा कि इतने प्यारे लंबे, घने, काले बालों के जूड़े बनाए हुए हैं बहुओं ने… क्या फायदा? सिर ढके हुए हैं.

भाभी को बहुओं का यह रंगढंग कुछ जंचा नहीं. इतनी महंगी साडि़यां पहने हुए हैं बहुएं, जो किसी के पास ऐसी नहीं, लेकिन जो चीप तो नहीं कहनी चाहिए, पर अपेक्षाकृत सस्ती हैं, उन में जो बात नजर आती है, वह बात मेरी बहुओं के परिधान में नहीं दिखाई दे रही थी.

भाभी सारे समारोह का गहराई से निरीक्षण कर रही थीं, सब के हावभाव, एकदूसरे से हंसहंस कर बातें करना, मटकमटक कर चलना. भाभी को लगा कि मेरी बहुएं तो इन के सामने सेठानी सी लग रही हैं. उन्हें बरदाश्त नहीं हुआ, वे बहुओं के पास गईं. वे अकेली बैठी हुई थीं.

भाभी ने धीरे से कहा, ‘‘गवारों की तरह सिर क्यों ढके बैठी हो?’’

बहुओं ने झट से सिर से साड़ी के पल्लू उतार लिए. भाभी को वे पहले से अच्छी लगीं.

घर लौटतेलौटते रात का 1 बजने जा रहा था. रास्ते में भाभी ने कहा, बेटों से पूछा ‘‘तुम लोग कहां थे, दिखाई नहीं पड़े?’’

‘‘वहीं तो थे यारदोस्तों के साथ,’’ सौमित्र ने कहा.

‘‘और बीवियां कहां हैं, यह पता ही नहीं रहा तुम दोनों को? अपनीअपनी पत्नी के साथ क्यों नहीं थे? मैं देख रही थी कि सब अपनीअपनी पत्नी के साथ घूमघूम कर खापी रहे थे. कितना अच्छा लग रहा था. उन के प्यार को देख कर, लगता था कितने खुश हैं ये लोग और तुम्हारा कुछ पता नहीं, कहां छिप गए थे? जरा भी मैनर्स नहीं तुम लोगों में.’’

अगले दिन भाभी ने सुबह ही बहुओं को हुक्म दिया, ‘‘अरी बड़की, छुटकी सुनो, आज मार्केट चलना है, थोड़ी शौपिंग करनी है. खाने से जल्दी निबट लेना.’’

दोपहर के बाद भाभी बहुओं को ले कर एक प्रसिद्ध मौल में पहुंची. सब से पहले साडि़यों के शोरूम में प्रविष्ट हुईं. बोलीं, ‘‘देखो बड़की, छुटकी अपनीअपनी पसंद की कुछ डिजाइनर साडि़यां ले लो.’’

‘‘पर मम्मीजी, हमारे पास तो एक से बढ़ कर कीमती साडि़यों से अलमारियां भरी पड़ी हैं, क्या करना है और साडि़यां ले कर?’’ बड़की ने कहा और पीछे से छुटकी को चुटकी काटी.

छुटकी बोली, ‘‘दीदी ले लेंगी, मुझे नहीं चाहिए.’’

बड़की बोली, ‘‘अरी, मैं बड़ी हूं, तेरे सामने पहनती क्या मैं अच्छी लगूंगी? नहीं, तू ही ले ले.’’

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