बायोडर्मा का एंटी एक्ने सैबियम फेस वाश 

प्रोब्लम फ्री स्किन की चाहा हर महिला को होती है. लेकिन इन सबके बावजूद भी कभी ऑयली स्किन की प्रोब्लम हो जाती है तो कभी स्किन पर एक्ने. जो चेहरे की सुंदरता व रौनक को तो गायब करने का काम करते ही हैं , साथ ही एक्ने की वजह से स्किन पर इतनी ज्यादा जलन व इचिंग होती है कि कई बार तो उसे सहन करना भी मुश्किल हो जाता है. ये प्रोब्लम वैसे तो किसी भी मौसम में हो सकती है, लेकिन गर्मियों में ऑयली स्किन व उस पर एक्ने की प्रोब्लम ज्यादा देखने को मिलती है. क्योंकि गर्मियों में सेबेसियस ग्लैंड्स स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए ज्यादा सीबम का उत्पादन करना शुरू कर देते हैं , जो एक्ने का कारण बनते हैं. जिसके लिए जरूरी है ऑयली व कॉम्बिनेशन स्किन की खास तौर पर केयर करने की.

किन कारणों से होती है 

ऑयली कोम्बिनेशन स्किन 

आज ऑयली स्किन की समस्या आम हो गई है. बता दें कि ऑयली स्किन में लिपिड का स्तर , पानी और वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है. और जब सेबेसियस ग्लैंड्स जरूरत से ज्यादा सीबम का उत्पादन करना शुरू कर देते हैं तो एक्ने, ब्रेअकाउट्स, वाइटहेड्स  व ब्लैकहेड्स की समस्या होने लगती है. और ब्रेकआउट्स के कारण सीबम डेड स्किन सेल्स के साथ मिलकर पोर्स को ब्लौक करने का काम करते हैं , जो स्किन की हालत को और बिगाड़ने का काम करते हैं.  वहीं कोम्बिनेशन स्किन में टी जोन जैसे फोरहेड, नोज व चिन में आयल ग्लैंड्स ओवर एक्टिव हो जाते हैं. जबकि चेहरे का बाकी हिस्सा नार्मल व ड्राई होता है. इसलिए ऐसी स्किन के बीच बैलेंस ठीक नहीं होने की वजह से ऐसी स्किन के डैमेज होने का ज्यादा डर रहता है. इसलिए स्किन केयर की खास जरूरत होती है.

– ऑयली स्किन होने का एक कारण जेनेटिक भी होता है. जिसकी वजह से सेबेसियस ग्लैंड्स ओवर एक्टिव होकर हमेशा ज्यादा सीबम का उत्पादन करते हैं. जो एक्ने का कारण बनता है.

–  हाइपरकेराटिनआईजशन और बैक्टीरियल प्रोलिफ़ेरेशन , यह यौवन के दौरान ट्रिगर होने वाली हार्मोनल गतिविधि के परिणामस्वरूप सीबम का अतिरिक्त उत्पादन करता है. जिसके कारण स्किन ज्यादा ऑयली व शाइनी नजर आने लगती है. और साथ ही स्वस्थ सीबम से इसकी संरचना अलग भी होती है. जिसके कारण ये ज्यादा मोटा होने के कारण इसे फोलिकल से बाहर निकलने में दिक्कत होती है. जिससे कोमेडोम बनने का जोखिम बढ़ जाता है.

– हाइपरकेराटिनआईजशन , इसमें स्किन सेल्स में तेजी से बढ़ोतरी पोर्स को क्लोग करके सीबम को बाहर निकलने से रोकती है,  जो कोमेडोम का कारण बनता है. जिससे उसके आसपास की स्किन पिग्मेंट नजर आने लगती है.

– बता दें कि एक्ने के बैक्टीरिया के पनपने के लिए सीबम न्यूट्रिएंट का काम करता है. जिसके कारण कोमेडोम रेड पिंपल्स में बदल कर जलन व दर्द का कारण बनता है.

– कई बार बड़े पोर्स , जिसका कारण उम्र व पुराने ब्रेकआउट्स होते हैं. जिसकी वजह से इसमें ज्यादा आयल उत्पनन होने लगता है. ऐसे स्तिथि में पोर्स को श्रिंक करना संभव नहीं होता, लेकिन स्किन की खास केयर करके इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.

– कई बार हम देखादेखी या फिर बिना सोचेसमझे अपनी स्किन पर गलत स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर लेते हैं , जिसकी वजह से स्किन और ज्यादा ऑयली हो जाती है. जो एक्ने व ढेरों स्किन प्रोब्लम्स का कारण बनती है. ऐसे में जरूरी है एक्ने व कोम्बिनेशन स्किन वालों के लिए कि वे जब भी स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें तो अपनी स्किन टाइप को जरूर ध्यान में रखें. ऐसी स्किन वालों के लिए लाइटवेट मॉइस्चराइजर व जैल बेस्ड क्लीनज़र्स का इस्तेमाल करना ज्यादा सही होता है.

क्या है जरूरी 

अवोइड सन 

असल में सूर्य की हानिकारक किरणें स्किन को ड्राई कर देती हैं. यहां तक की ऑयली स्किन को भी मोइस्चर की जरूरत पड़ सकती है. ऐसी स्तिथि में वसामय ग्रंथी ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं , जो ज्यादा सीबम का निर्माण करने के साथ स्किन ब्लेमिशेज का कारण बनती है. यही नहीं बल्कि स्किन के ड्राई होने से ये नेचुरल रूप से डेड स्किन सेल्स को निकलने से रोकने  का काम करता है, जिससे पोर्स से सीबम बाहर निकलने में सक्षम नहीं हो पाता है. इसलिए जितना हो सके तेज धूप में बाहर निकलने से बचें. और अगर निकले भी तो कवर करके निकलें.

रेगुलर फोलो ट्रीटमेंट 

किसी भी ट्रीटमेंट का स्किन पर एकदम से असर नहीं आता है. बल्कि रेगुलर ट्रीटमेंट के साथ स्किन की एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है. जैसे डे व नाईट क्लींजिंग के रूटीन को फोलो करने के साथ मेडिकेशन ट्रीटमेंट लेने की. ऐसा करके आपको  4 – 6 हफ्ते में रिजल्ट दिखने लगेगा.

पिंपल्स को छूए 

आपको पिंपल्स होने के साथ उसमें दर्द भी है, तो यह स्तिथि काफी गंभीर है. इसलिए इर्रिटेशन होने पर उसे टच न करें. क्योंकि इससे इंफेक्शन फैलने के साथसाथ दाग होने का भी डर रहता है.

क्लींजिंग इस मस्टबायोडर्मा का सैबियम फेस वाश 

कोम्बिनेशन से ऑयली स्किन की बात हो, या फिर एक्ने स्किन की, क्लींजिंग बहुत ही अहम प्रोसेस है. ऐसे में सिर्फ क्लींजिंग से नहीं बल्कि सही क्लींज़र का भी इस्तेमाल करने की जरूरत होती है. ऐसे में बायोडर्मा का सैबियम फेस वाश  , जो जेंटल क्लींज़र का काम करने के साथ चेहरे से गंदगी को रिमूव करने के साथ ज्यादा सीबम का उत्पादन करने से तो रोकता ही है, साथ ही पोर्स को भी क्लोग नहीं होने देता. इससे स्किन धीरेधीरे प्रोब्लम फ्री होने लगती है. ये स्किन को ड्राई नहीं होने देता. इसमें जिंक सलफेट और कॉपर सलफेट , एपिडर्मिस को क्लीन करके , सीबम सेक्रेशन को कम करके दागधब्बों को कम करने में मदद करता है. साथ ही इसका सोप फ्री फार्मूला स्किन के पीएच लेवल को बैलेंस में बनाए रखने का काम करता है. आपको इसके अप्लाई के कुछ ही दिनों में रिजल्ट दिखने लगेगा. तो फिर अब ऑयली व एक्ने स्किन को कहे बाय.

8 TIPS: नेचुरल प्रौडक्ट से करें स्किन की देखभाल

आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में महिलाओं को अपनी त्वचा का ध्यान रख पाना बहुत मुश्किल है. ऐसे में उन्हें प्राकृतिक प्रसाधनों मसलन हलदी, चंदन, केसर, मलाई, ऐलोवेरा, बादाम, व्हाइट लिली और गुलाबजल से भरपूर प्रोडक्ट की तलाश रहती है. क्योंकि यही वे तत्त्व हैं जो त्वचा को अच्छी तरह से नरिश कर के उन्हें खूबसूरत बनाते हैं. आइए जानते हैं इन तत्त्वों की विशेषताएं.

1. हलदी

हलदी सब से सस्ता और अच्छा बौडी स्क्रबर है.  ऐंटीसैप्टिक, ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीइनफ्लेमैट्री गुणों से भरपूर हलदी में करक्यूमिन नामक तत्त्व पाया जाता है. इस में मौजूद यलो पिगमैंट  त्वचा को निखारने का काम करते हैं. हलदी में एेंटी औक्सीडैंट भी होते हैं जो त्वचा को फ्री रैडिकल्स के आक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करते हैं.

2. व्हाइट लिली

ऐंटीपिगमैंटेशन, व्हाइटनिंग और ब्लीचिंग जैसे गुणों से भरपूर व्हाइट लिली में ग्लायकोलिक ऐसिड पाया जाता है, जो डैड स्किन व ऐजिंग स्पौट्स को हलका करने में मददगार होता है. व्हाइट लिली जैल से युक्त क्रीम के इस्तेमाल से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें भी त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं.

3. ऐलोवेरा

ऐलोवेरा एक प्राकृतिक मौइश्चराइजर है. यह हर तरह के स्किन टाइप के लिए लाभदायक है. यह सैल रिन्यूअल प्रौसेस को तो बढ़ाता ही है साथ ही इस में मौजूद हीलिंग प्रौपर्टीज स्किन सैल्स मुलायम रखती हैं और त्वचा को चमकदार बनाती हैं.  ऐलोवेरा जैल में कूलिंग और ऐंटीइनफ्लेमैट्री प्रौपर्टीज की मौजूदगी भी त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद है. त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए इस में विटामिन सी और विटामिन ई भी पाए जाते हैं.

4. चंदन

चंदन में मौजूद लाइटनिंग और कूलिंग एजेंट त्वचा के अंदर तक जा कर उस में निखार के साथ चमक भी लाते हैं. साथ ही यह ऐंटीसैप्टिक भी है. इसलिए चोट या फिर जलनेकटने पर भी इसे दवा की तरह लगाया जा सकता है. चंदन के तेल से मसाज करने से ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा हो जाता है जिस से त्वचा पर झुर्रियां नहीं पड़तीं.

5. केसर

चंदन की तरह ही केसर में भी लाइटनिंग एजेंट मौजूद रहते हैं, जो त्वचा का रंग निखारते हैं और उसे ग्लोइंग बनाते हैं. प्रदूषण, धूलमिट्टी से होने वाले स्किन इन्फैक्शन से त्वचा को बचाने में भी केसर सुरक्षा कवच का काम करता है, क्योंकि इस में ऐंटी बैक्टीरियल प्रौपर्टीज भी पाई जाती हैं.

6. मलाई

मलाई जितनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है उतनी ही त्वचा के लिए जरूरी भी होती है. मलाई में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है जो त्वचा को चमकदार बनाता है, साथ ही फुंसियों से मुक्ति दिलाता है. इस की चिकनाई से त्वचा की खुश्की दूर हो जाती है.

7. बादाम

बादाम त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद है. इस को खाने से जहां दिमाग तेज होता है, वहीं बादाम का तेल त्वचा पर लगाने से त्वचा का रंग साफ और चमकदार हो जाता है. बादाम में एल्फा टोकोफेरल सब्सटैंस होता है जो विटामिन ई का एक मजबूत स्रोत होता है. विटामिन ई त्वचा को नरिश करता है.

8. गुलाबजल

अरोमा थेरैपी के लिए सब से उपयोगी माने जाने वाले गुलाबजल में ऐस्ट्रिंजैंट होता है जो स्किन टोनर का काम करता है. इस के रोजाना इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियां कम हो जाती हैं और त्वचा यूथफुल लगने लगती है.

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6 टिप्स: Dry Skin को ऐसे करें हाईड्रेट

हाईड्रेटेड त्वचा की उम्र धीरे धीरे बढ़ती है और ऐसी त्वचा पर मुंहासे आने की संभावना भी कम होती है. त्वचा को मॉस्चराइज करने से मुंहासे आने की संभावना कम हो जाती है. त्वचा के पी एच स्तर को सामान्य बनाये रखने के लिए उचित मात्रा में नमी की आवश्यकता होती है. यदि पी एच का स्तर सामान्य नहीं रहा तो मुंहासे आने की संभावना बहुत अधिक होती है.

कई बार त्वचा के बहुत अधिक तैलीय (ऑइली) होने पर चेहरे को मॉस्चराइज करने के लिए तेलों का ही प्रयोग किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह अतिरिक्त ऑइल पहले से ही उपस्थित ऑइल के प्रभाव को प्रभावहीन बना देता है.

1. ग्लिसरीन

ग्लिसरीन अत्यंत शुष्क त्वचा के लिए बहुत अच्छा मॉस्चराइजर है. नहाने से पहले या मुंह धोने से पहले चेहरे पर ग्लिसरीन लगायें. अधिक लाभ के लिए अपने मॉस्चराइजर में ग्लिसरीन मिलकर लगायें.

2. नारियल का तेल

जी हां, नारियल तेल का उपयोग चेहरे पर किया जा सकता है. रात में सोते समय नारियल के तेल से चेहरे की मालिश करें तथा सुबह उठकर नरम और मुलायम त्वचा पायें. स्किन को हाईड्रेटेड रखने के लिए इस उपाय को अवश्य अपनाएं.

3. एलो वेरा जैल

त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए एलो वेरा सबसे अच्छा घटक है. इसका उपयोग आप दिन में कभी भी कर सकते हैं.

4. विटामिन ई ऑइल

विटामिन सी के कैप्सूल से तेल निकालकर उसे अपने लोशन या क्रीम में मिलाकर लगायें और त्वचा को मॉस्चराइज करें. विश्वास करें, त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए इसे अपनाएं और आप बाद में अवश्य हमें शुक्रिया कहेंगे.

5. ऑलिव ऑइल (जैतून का तेल)

ऑलिव ऑइल त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि इसमें पोषक तत्व तथा विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. रात में सोने से पहले इस तेल से त्वचा की मालिश करें और सुबह आपकी त्वचा नरम और मुलायम हो जायेगी.

6. रोज वॉटर (गुलाब जल)

चेहरे को दिन भर नम बनाये रखने के लिए चेहरे पर गुलाब जल छिडकें. जब भी आपको त्वचा सूखी लगे तब आप इसका छिड़काव करें. यह हाईड्रेटेड त्वचा पाने का सबसे आसान तरीका है.

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Summer Special: जानिए कैसी है आपकी स्किन

स्किन का वह असामान्य हिस्सा, जहां के रंग में बदलाव आ गया हो, एक आम समस्या है जिस के कई संभावित कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि आप की स्किन के उस हिस्से के मेलानिन के स्तर में अंतर की वजह से पिग्मैंटेशन में बदलाव आ गया हो. दागधब्बे वाली स्किन के भी कई संभावित कारण होते हैं, जो साधारण से जटिल भी हो सकते हैं, जैसे कीलमुंहासे, धूप या अन्य किसी कारण से झुलसना, संक्रमण, ऐलर्जी, हारमोन में बदलाव, जन्मजात निशान आदि. परंतु आम धारणा के उलट, आप के चेहरे के दाग सिर्फ मुंहासों की वजह से ही नहीं होते.

कीलमुंहासों की वजह से होने वाले घाव भी दाग छोड़ सकते हैं. यहां तक कि उन्हें आप नहीं छेड़ते तो भी आप उन से नहीं बच सकते. कुछ द्रव से भरे घाव ऐसे होते हैं, जिन की वजह से स्किन के भीतर दर्द महसूस होता है और वास्तव में ऐसे घाव स्किन की बाहरी सतह पर नहीं होते. जलन सा दर्द देने वाले ये मुंहासे ऐसे होते हैं, जिन में श्वेत रक्तकण की मात्रा अधिक जमा होती है और इस वजह से उस क्षेत्र में ज्यादा ऐंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं और ये ज्यादा घातक होते हैं. ऐसी स्थिति में आप की स्किन स्वयं ही घाव भरने की कोशिश करती है और इस की वजह से दागधब्बे उभर आते हैं. मुंहासे अकेले स्किन पर बदरंग दाग के कारक नहीं होते. अन्य गहरे रंग के धब्बे और ज्यादा पिग्मैंटेशन वाली स्किन के प्रकार के लिए आप की ढलती उम्र, धूप से होने वाला नुकसान, यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां तक जिम्मेदार हो सकती हैं. अगर धब्बे, ऐलर्जी या हाइपरपिग्मैंटेशन जैसी स्किन की गंभीर समस्या है तो स्किन रोग विशेषज्ञ के पास जाने से गुरेज न करें.

निशान और धब्बों में फर्क

मुंहासों के निशान और स्किन के धब्बों में बहुत फर्क होता है. इन के बीच फर्क समझने में जिस एक बिंदु पर लोग भ्रमित होते हैं, वे हैं वास्तविक मुंहासे के दाग और उस के फटने के बाद लाल धब्बा अथवा डिसकलरेशन. स्किन की उपरी सतह पर जो गुलाबी, लाल अथवा भूरे निशान होते हैं वे तो समय के अंतराल के साथ ठीक हो जाते हैं. वे असल में मुंहासे होते ही नहीं, पर वास्तविक मुंहासों के धब्बे स्किन के अंदरूनी नुकसान का परिणाम होते हैं, और अपने पीछे धब्बे छोड़ सकते हैं.

दरअसल, स्किन की अंदरूनी परत में नुकसान के ही परिणाम होते हैं ये धब्बे, जो स्किन को सहारा देने वाली संरचना में टूटफूट की वजह से होते हैं. ये कोलेजन और ऐलेस्टिन के टूटने के कारण बनते हैं. स्वाभाविक तौर पर स्किन पर आए निशान बिना चिकित्सीय इलाज के ठीक नहीं होते. उन्हें खत्म होने में ज्यादा समय लगता है और सिर्फ लेजर उपचार के जरीए ही उन्हें हटाया जा सकता है, क्योंकि ये स्किन के अंदरूनी हिस्सों में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं, जो प्राय: मुंहासों को छेड़ने की वजह से होता है. हालांकि हमेशा ही ऐसा नहीं होता.

रक्ताल्पता के परिणामस्वरूप बने ऐट्रौफिक निशान खरोंच या गहराई जैसे दिखते हैं. जिन्हें प्राय: आइस पिक के नाम से जाना जाता है. वहीं हाइपरट्रौफिक निशान ज्यादा मोटे दिखते हैं. ये स्किन की ऊपरी सतह पर उभार लिए फोड़े की तरह होते हैं. सांवले रंग की स्किन वाले लोगों में प्राय: पोस्टइनफ्लैमेटरी हाइपरपिग्मैंटेशन का मामला देखने को मिलता है. इस के निशान भूरे रंग के होते हैं. तुलनात्मक तौर पर गोरे रंग के लोगों में पोस्टइनफ्लैमेटरी ऐरीथेमा होता है, जो पर्पल और लाल रंग का होता है.

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सचेत रहना जरूरी

वास्तव में मुंहासे के दाग उस चरण में दिखते हैं, जब शरीर के भीतर घाव भरने की प्रक्रिया चल रही होती है और इस वजह से सामान्य तरीके से कोलेजन नहीं बन पाता. मुंहासे के घाव अपने आसपास मौजूद कोलेजन और ऐलेस्टीन जैसे सारे ऐंजाइम को खत्म कर देते हैं. इस दौरान स्किन में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है. कोलेजन और ऐलेस्टीन के ऊतक और अधिक कोलेजन और ऐलेस्टीन उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं या फिर यों कहें कि वे विकृत और लचर ढंग से ऐसा कर पाते हैं और चेहरे पर दागधब्बे छोड़ जाते हैं.

स्वस्थ और सुंदर स्किन पाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस, आप को स्किन की देखभाल के मामले में लगातार गंभीर रहने की जरूरत है. पिग्मैंटेशन, काला धब्बा, झांइयां और असमान स्किन टोन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन का हम सामना करते हैं. यहां तक कि एक दाग के साथ भी बाहर निकलना बहुत परेशान करने वाली स्थिति होती है. इसलिए सब से पहले आप अपनी स्किन के प्रकार के बारे में जानें और फिर उस के अनुसार ही उत्पाद का इस्तेमाल करें. सामान्य, तैलीय, मिश्रित, शुष्क व संवेदनशील आदि स्किन के प्रकार हैं. कुछ लोगों के मामले में उन की स्किन विभिन्न जगहों पर भिन्नभिन्न प्रकार की होती है. बदलते वक्त के साथ स्किन के प्रकार में भी परिवर्तन हो सकता है. स्किन के प्रकार का बदलना विभिन्न तथ्यों पर निर्भर करता है मसलन:

पानी के अवयव, जो स्किन को आराम पहुंचाते हैं. इन से इस की लोच प्रभावित होती है.

तेल (लिपिड) सामग्री, जो स्किन की कोमलता को प्रभावित करती है.

संवेदनशीलता का स्तर.

सामान्य स्किन

सामान्य स्किन न तो ज्यादा शुष्क और न ही ज्यादा तैलीय होती है. इस में न के बराबर खामियां होती हैं. इस में ज्यादा संवेदनशीलता नहीं होती और मुश्किल से दिखने लायक रोमछिद्र होते हैं. इस का रंग चमकदार होता है.

मिश्रित स्किन

मिश्रित प्रकार की स्किन का कुछ हिस्सा शुष्क या सामान्य हो सकता है, तो दूसरे हिस्से जैसे टीजोन (नाक, माथा और ठुड्डी) तैलीय हो सकते हैं. कई लोगों की स्किन मिश्रित प्रकार की होती है, जो अपने भिन्नभिन्न हिस्सों की स्किन के अलगअलग प्रकार के लिए अलगअलग तरह की देखभाल का लुत्फ ले सकते हैं. मिश्रित स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

ज्यादा फैले हुए रोमछिद्र.

कीलमुंहासे.

चमकदार स्किन.

शुष्क स्किन

शुष्क स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

लगभग न दिखने वाले रोमछिद्र.

बिना चमक का रूखा रंग.

लाल धब्बे.

कम लोचदार.

ज्यादा दिखने वाली धारियां.

शुष्क स्किन के निम्न कारण हो सकते हैं या इन की वजह से स्थिति और बदतर हो सकती है:

आनुवंशिक कारक.

ढलती उम्र या हारमोन में बदलाव.

तेज हवा, धूप या ठंड जैसे मौसम.

पराबैगनी विकिरण.

बंद कमरे को गरम करना.

लंबे समय तक गरम पानी से नहाना.

साबुन, सौंदर्य प्रसाधन या क्लींजर्स की सामग्री.

दवा का प्रयोग.

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स्किन की देखभाल

ज्यादा देर तक न नहाएं.

हलके व कोमल साबुन अथवा क्लींजर्स का इस्तेमाल करें.

नहाने के बाद मौइचराइजर जरूर लगाएं. शुष्क स्किन के मामले में लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं, परंतु लोग प्राय: इन से दूर रहते हैं. दिन भर में जरूरत पड़ने पर इन्हें दोहराएं.

बंद कमरे का तापमान ज्यादा न बढ़ने दें.

तैलीय स्किन

तैलीय स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

बढ़े हुए रोमछिद्र.

चमकदार या बिना चमक वाली स्किन.

कीलमुंहासे और अन्य दागधब्बे.

मौसम के परिवर्तन पर तैलीय स्किन में परिवर्तन आ सकता है. निम्न तथ्य तैलीय स्किन के कारक हो सकते हैं या स्किन को और अधिक तैलीय बना सकते हैं:

प्रौढता या हारमोन में असंतुलन.

तनाव.

गरमी या बहुत ज्यादा आर्द्रता का होना.

स्किन की देखभाल

दिन भर में 2 बार से ज्यादा चेहरे को न धोएं.

हलके क्लींजर का इस्तेमाल करें और स्किन को न रगड़ें.

मुंहासों को न छेड़ें. इस से उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

संवेदनशील स्किन

अगर आप की स्किन संवेदनशील है, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि संवेदनशीलता किनकिन चीजों को ले कर है. फिर उन से परहेज करें. संवेदनशील स्किन के कई कारक हो सकते हैं परंतु कई मामलों में स्किन की देखभाल से संबंधित उत्पाद भी इस के कारण हो सकते हैं.

स्किन में अगर लाली, खुजलाहट, जलन व रूखापन हो तो ये लक्षण संवेदनशील स्किन के हो सकते हैं.

डा. पंकज चतुर्वेदी स्किन रोग विशेषज्ञ, मेडलिंक्स

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सांवली स्किन की करें देखभाल

सांवली त्वचा के नाम से ही हम भारतीय अपनी सुंदरता में कमी महसूस करने लगते हैं. कई महिलाएं तो सांवले रंग को ले कर हीनभावना का शिकार हो जाती हैं, जबकि सांवलासलोना रंग अधिक आकर्षित करता है. अगर एक ब्यूटीशियन की नजर से देखा जाए तो हर तरह की रंगत खूबसूरत होती है. सिर्फ जरूरत है अपनी त्वचा को पहचानने की और उसे संवारने की.

सांवली त्वचा की देखभाल

रोज सुबह नहाने से पहले 1 चम्मच कच्चा दूध, 1 चुटकी नमक, 2 बूंदें नीबू का रस व 2 बूंदें शहद डाल कर 5 मिनट तक चेहरे पर लगाएं. बाद में साफ पानी से चेहरा धो लें.

हफ्ते में 2 बार चंदन व गुलाबजल का फेस पैक जरूर लगाएं.

धूप में सांवली त्वचा गोरी त्वचा से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

किसी अच्छी कंपनी के वाइटनिंग फेस वाश से चेहरे को दिन में 2 बार जरूर धोएं.

रात को सोते समय अपनी त्वचा के अनुसार वाइटनिंग क्रीम लगाएं.

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भोजन

दिन में 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं.

संतरा, मौसमी, अनन्नास और आंवला जैसे फल अधिक खाएं.

विटामिन सी वाली चीजें अधिक इस्तेमाल करें.

दिन में 2 बार दूध पीएं.

खाली पेट खुली हवा में सैर करें.

वस्त्र

सांवली त्वचा वालों को अधिक भड़कीले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए.

नीला, हरा और पीला रंग कम पहनें.

मिक्स रंग भी कम पहनें.

हलका गुलाबी, मैरून, आसमानी, हलके जामुनी आदि रंग अधिक पहनें.

मेकअप

हलकाफुलका मेकअप करें. अपने चेहरे को पाउडर या फाउंडेशन की मोटी परत से न ढकें. रंग को अधिक गोरा दिखाने वाला फाउंडेशन न लगाएं. गोल्डन आइवरी कलर का फाउंडेशन इस्तेमाल करें. सांवली रंगत पर आंखों में काजल अच्छा लगता है. आईलाइनर और मस्कारा भी जरूर लगाएं. रंगबिरंगा आईलाइनर लगाया जा सकता है पर रंग अधिक शोख नहीं होने चाहिए. ग्रे या भूरे रंग के लेंस भी लगाए जा सकते हैं. ब्लशआन का रंग गाजरी, पीच या गुलाबी होना चाहिए. चेहरा कभी भी रूखा नहीं लगना चाहिए. चेहरे पर मास्चराइजर अवश्य लगाएं. गुलाबी, मैरून या ब्राउन लिपस्टिक अच्छी लगेगी.

सांवली त्वचा पर बालों का रंग ब्राउन या काला होना चाहिए. बालों को हफ्ते में 2 बार शैंपू से अवश्य धोएं. कंडीशनर करें और बालों में हेयर सीरम लगाएं. बालों की स्ट्रेटनिंग भी करा सकती हैं. इस प्रकार अगर आप सांवलीसलोनी त्वचा को संवारती रहें तो आप की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे.

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ब्यूटी सोप से निखारें Skin

गोरी काया हर स्त्री की चाहत होती है. पहले महिलाएं अपने कामकाज से समय निकाल कर बेसन, चंदन, हलदी व मुलतानी मिट्टी के लेप बना कर अपनी त्वचा पर लगाती थीं, परंतु आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इतना समय कहां. शरीर में चेहरे की त्वचा सब से ज्यादा संवेदनशील होती है और भागमभाग से भरपूर दिनचर्या का सब से ज्यादा बुरा असर इसी पर पड़ता है. यदि सही देखभाल न की जाए तो हवा के थपेड़ों व धूप की तपिश से चेहरे की त्वचा अपनी आभा खोने लगती है.

त्वचा के प्रकार

यदि 2 से 4 घंटों के अंतराल पर आप को अपनी त्वचा चिपचिपी प्रतीत होती है तो त्वचा का स्वभाव तैलीय है और इस प्रकार की त्वचा के रखरखाव की ज्यादा जरूरत होती है.

घर से बाहर निकलने के कुछ समय बाद ही यदि आप त्वचा में खिंचाव महसूस करती हैं तो आप की त्वचा रूखी है.

यदि धूप और हवा का असर त्वचा पर तुरंत नजर आने लगे तो आप की त्वचा अति संवेदनशील है.

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सांवलेपन का कारण

त्वचा का सीधे तेज धूप में संपर्क में आना, सांवलेपन का प्रमुख कारण है. सूर्य की पराबैगनी किरणें और तपिश त्वचा के बाहरी आवरण को नुकसान पहुंचाती हैं. त्वचा पर जमा होती गंदगी त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देती है और इन से निकलने वाले पोषक तत्त्व निष्क्रिय हो जाते हैं. इन कारणों से ब्लैक स्पौट, पिगमैंटेशन व सांवलेपन की समस्या पैदा हो जाती है.

त्वचा का रखरखाव

ब्यूटी सोप त्वचा की देखभाल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथसाथ आप को तरोताजा भी रखता है. परंतु ब्यूटी सोप का चुनाव करते समय सावधानी बरतना जरूरी है. इसे खरीदने से पहले प्रोटीन फार्मूला व सौंदर्य निखारने वाले अन्य तत्त्वों की जानकारी अवश्य लें. ध्यान रखें कि सोप में कैमिकल की मात्रा ज्यादा न हो, क्योंकि यह त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है.

अपने चेहरे पर दिन में कई बार पानी का छिड़काव कर साफ करें. इस से गंदगी भी साफ होगी और त्वचा की आभा भी बनी रहेगी.

अच्छे ब्यूटी सोप से अपने चेहरे को साफ करें.

ब्यूटी सोप का इस्तेमाल करने से पहले रुई के फाहे में गुलाबजल डाल कर चेहरे को हलके हाथों से साफ करें.

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स्क्रबिंग से करें स्किन की देखभाल

सुंदर व कोमल त्वचा हर किसी को आकर्षित करती है और सभी इसे पाना चाहते हैं. लेकिन हमारा चेहरा मौसम, प्रदूषण, धूलमिट्टी, थकान सभी कुछ  झेलता है और इस का प्रभाव सब से ज्यादा चेहरे की त्वचा पर नजर आता है. थकी, कांतिहीन त्वचा,  झांइयां और आंखों के नीचे काले घेरे चेहरे का आकर्षण कम करते हैं. ऐसे में फेस स्क्रबिंग करना एक ऐसा जादुई तरीका है, जो मिनटों में आप की स्किन को नरम, मुलायम और चमकदार बना सकता है. स्क्रबिंग से त्वचा दोबारा चमकदार व जवान लगने लगती है. इसे एक्सफोलिएशन भी कहा जाता है व इसे अपने नियमित स्किन केयर रूटीन में शामिल करना चाहिए. फेस स्क्रब द्वारा आप मेकअप के उन छिपे कणों को भी हटा सकती हैं, जो रोमछिद्रों में घुस जाते हैं और सामान्य तौर पर क्लींजर या पानी से साफ करने से नहीं हटते. कुछ फेस स्क्रब्स में मास्चराइजर भी होता है, जिस से त्वचा को पोषण भी मिलता है.

कैसे करें स्क्रबिंग

स्क्रब्स में कुछ ऐसे खुरदरे पदार्थ होते हैं, जिन्हें त्वचा पर रगड़ने से मृत त्वचा की ऊपरी परत हट जाती है. स्क्रब को हाथों में ले कर उंगलियों की सहायता से भी आप लगा सकती हैं और कास्मेटिक पैड की सहायता से भी. इसे आप चाहे कैसे भी लगाएं, पर एक बात का ध्यान रखें कि स्क्रब को चेहरे पर गोलाकार घुमाते हुए हलके हाथों से लगाएं, साथ ही यह भी सुनिश्चित कर लें कि यह पूरे चेहरे और गरदन पर अच्छी तरह से लग जाए. स्क्रब करने के बाद चेहरे को पानी से धो कर मास्चराइज कर लें. फेस स्क्रब में बहुत सी चीजें शामिल की जा सकती हैं जैसे बैंबू फाइबर्स, ओटमील, चोकर, चीनी, फलोें का गूदा, मूंगफली के छिलके, अखरोट आदि. नमक, मिट्टी जैसी चीजें स्क्रब्स में इस्तेमाल नहीं की जातीं. एक अच्छे स्क्रब में कोई क्रीम, अच्छी क्वालिटी की खुशबू, एसेंशियल आयल, मास्चराइजर आदि भी होते हैं.

चेहरे पर स्क्रब लगाने से पहले उस का पैच टेस्ट जरूर कर लें. इस के लिए थोड़ा सा स्क्रब ले कर कलाई की अंदरूनी तरफ लगाएं. कलाई पर स्क्रब लगा कर थोड़ी देर रुकें और फिर साफ पानी से धो लें. यदि किसी प्रकार की खारिश, जलन न हो तभी इसे चेहरे पर लगाएं. स्क्रब की हमेशा थोड़ी मात्रा ही लें. इसे फेस पैक की तरह न लगाएं. यदि आप के चेहरे पर पिंपल्स हैं तो स्क्रबिंग न करें. रगड़ने व स्क्रब में मौजूद खुरदरी चीजों से आप के पिंपल्स फूट सकते हैं. हमेशा ऐसे स्क्रब्स ही इस्तेमाल करें, जिन में मौजूद स्क्रबिंग एजेंट घुलनशील हों, वरना वे रोमछिद्रों में फंस कर उन्हें बंद कर सकते हैं.

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घरेलू फेस स्क्रब्स

आयली स्किन के लिए

1/2 कप हरे चने मैश कर लें. उस में 1 बड़ा चम्मच दही व पानी मिला कर पेस्ट बना लें. इस से हलके हाथों से चेहरे को स्क्रब करें. ठंडे पानी से धो लें. साबुन न लगाएं.

1/2 कप चावल के आटे में 1/2 कप कच्चा पपीता मैश कर के मिला लें और इस में आधे नीबू का रस भी मिला लें. चेहरे को हलका गीला कर के इस पेस्ट से स्क्रब करें.

ड्राई स्किन के लिए

विटामिन ई आयल में 1 बूंद नीबू का रस और 1 बूंद ग्लिसरीन मिला लें. इस से चेहरे की मसाज कर के ठंडे पानी से धो लें.

1/2 चम्मच बादाम के चूरे में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच गुलाबजल मिला कर लगा लें और फिर गीले कौटन पैड से साफ कर लें.

सामान्य त्वचा के लिए

आटे का चोकर या बारीक दलिया लें. उस में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच दूध मिलाएं और चेहरे पर लगाएं. कुछ देर बाद हलके हाथों से रगड़ कर छुड़ा लें.

जेंटल फेस स्क्रब

3 चम्मच पिसे बादाम में 3 चम्मच ओटमील, 3 चम्मच मिल्क पाउडर, 2 चम्मच सूखी गुलाब की पत्तियां और बादाम का तेल मिला लें. इस मिश्रण को कांच के जार में भर कर रख लें और सप्ताह में 1 बार इस्तेमाल करें.

बाजार से रेडीमेड स्क्रब खरीदते समय ध्यान रखें कि स्क्रब अच्छी कंपनी का ही हो और उस में किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायन न हों. चाहे स्क्रब घरेलू हो या रेडीमेड, सप्ताह में 1 बार इस का प्रयोग अवश्य करें.

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सेंसिटिव स्किन से फाइट करे सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र

हर महिला चाहती है कि उसकी स्किन ग्लोइंग, अट्रैक्टिव होने के साथ हर तरह की प्रोब्लम से फ्री हो. लेकिन लाख सोचने के बावजूद भी जरूरी नहीं कि हर महिला की स्किन ठीक हो ही. क्योंकि स्किन एक प्रोटेक्टिव लेयर से बनी होती है. लेकिन मौसम में आए बदलाव, केमिकल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स, धूलमिट्टी व गंदगी के ज्यादा संपर्क में जब हम रहते हैं तो वो हमारी स्किन की सेंसिटिविटी का कारण बनते हैं. जिससे ढेरों स्किन प्रोब्लम्स का हमें सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है सही स्किनकेयर करने के साथ सही स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की, ताकि हमेशा हमारी स्किन चमकतीदमकती रहे. ऐसे में बायोडर्मा का सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र एक ऐसा प्रोडक्ट है , जो आपकी स्किन की खास केयर करने का काम करता है. तो आइए जानते हैं , कैसे करें स्किन की केयर.

कौन से कारण है स्किन की सेंसिटिविटी के लिए जिम्मेदार

– हार्मफुल इंग्रीडिएंट्स

आए रोज या लंबे समय तक ऐसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने, जिसमें मिनरल ऑयल्स, सिलिकोंस व स्किन को नुकसान पहुंचाने वाले इंग्रीडिएंट्स होते हैं. इनका इस्तेमाल करने से पोर्स बंद होने के साथ स्किन पर एक्ने , जलन जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है. जिसके समाधान के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में इंग्रीडिएंट्स को देखकर ही प्रोडक्ट को खरीदें. कोशिश करें नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से बने प्रोडक्ट्स व माइल्ड प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करें. साथ ही रात को सोते समय मेकअप को रिमूव करना न भूलें.

– पोलुशन

चाहे हम घर में रहें या फिर बाहर निकलें , हम अपने चारों ओर पोलूशन से घिरे हुए हैं. पोलुशन के कारण न सिर्फ हमें अपनी स्किन गंदी लगती है, बल्कि प्रदूषण के कणों से जुड़े कुछ केमिकल्स त्वचा की परतों में प्रवेश कर जाते हैं , जो ओक्सिडेशन स्ट्रेस का कारण बनने के कारण हमारी स्किन बैरियर को कमजोर बनाने के साथ सूजन , एजिंग का भी कारण बनते हैं . जिससे सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र आपको फुल प्रोटेक्शन देने का काम करता है.

– गंदगी

अगर हम स्किन की हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं , तो स्किन की हालत खराब हो जाती है. जिसके कारण वह मुरझाई मुरझाई सी लगने लगती है और समय से पहले बूढ़ी नजर आने लगती है. बता दें कि आपकी स्किन केमिकल्स व रोगजनकों के खिलाफ एक नेचुरल बैरियर का काम करती है. ऐसे में अगर आप स्किन की हाइजीन यानि उसे प्रोपर रोजाना क्लीन करते हैं , तो वह त्वचा की सतह से डेड स्किन सेल्स, गंदगी व रोगाणुओं को हटाने में सक्षम बन पाती है.

– टेप वाटर

टेप वाटर बैक्टीरिया, कैल्शियम व अन्य अवशेषों से भरा होता है, जो हमारी स्किन की बाहरी परत कहे जाने वाली एपिडर्मिस को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे स्किन में जलन व एलर्जी जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे में सही फेस क्लीन्ज़र का इस्तेमाल करके आप सेंसिटिव स्किन की प्रोब्लम से लड़ कर इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं.

– फेस मास्क

कोविड 19 वायरस के कारण जहां आज खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए मास्क लगाना जरूरी हो गया है, वहीं ये स्किन के लिए किसी मुसीबत से कम साबित नहीं हो रहा है. क्योंकि इसके कारण चेहरे के निचले हिस्से में मुंहासों की समस्या हो जाती है, साथ ही सेंसिटिव स्किन वालों को इससे स्किन में जलन, स्किन का लाल पड़ना और यहां तक की इससे एक्जिमा की समस्या भी हो जाती है. इसके लिए फेस को क्लीन करते रहना बहुत जरूरी है , ताकि स्किन को ठंडक मिल सके.

क्या है बायोडर्मा का सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र

25 साल पहले बायोडर्मा ने एक नए उत्पाद के रूप में मिसेलर टेक्नोलोजी का अविष्कार किया, जो आज एक प्रतिष्ठित प्रोडक्ट के रूप में स्थापित हो गया है. सेंसीबायो H2O एक डर्माटोलोजिकल मिसेलर वाटर है, जो सेंसिटिव स्किन की केयर करता है. इसका यूनिक फार्मूला , स्किन के पीएच लेवल को बनाए रखकर स्किन को क्लीन व स्मूद बनाए रखने का काम करता है. बता दें कि मिसेलर टेक्नोलोजी हर तरह की अशुद्धियों और प्रदूषण कणों को प्रभावी तरीके से हटाकर स्किन को क्लीन करने में सक्षम है. इसके लिए आपको इसकी थोड़ी सी मात्रा को कॉटन में लेकर उससे सुबह और शाम चेहरे को क्लीन करना है. इसकी खास बात यह है कि इसे न तो चेहरे पर रब करना है और न ही इसके बाद चेहरे को धोने की जरूरत है. तो हुआ न इफेक्टिव व आसान तरीका. और इजी टू अवेलेबल भी.

बेसिक रूल्स फोर स्किन सेंसिटिविटी

– स्किन दिन के दौरान पर्यावरण के खिलाफ सुरक्षात्मक भूमिका निभाने के लिए खुद को तैयार करती है. इसके लिए जरूरी है कि आप रात भर की अशुद्धियो को दूर करने के लिए स्किन को जेंटल क्लीन्ज़र से क्लीन करें. ठीक इसी तरह चेहरे से दिनभर की अशुद्धियो को दूर करना बहुत जरूरी है, वरना चेहरे पर जमा गंदगी आसानी से स्किन में प्रवेश करके उसे नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए स्किन को डे व नाईट में सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र से क्लीन करना न भूलें.

– सेंसिटिव स्किन वालों को इस बात का ध्यान रखना है कि अगर फेस को किसी प्रोडक्ट से क्लीन करने के बाद आपको फेस पर टाइटनेस फील हो, तो इसका मतलब आप समझ जाएं कि वो प्रोडक्ट आपकी स्किन के लिए अच्छा नहीं है.

– आप सनस्क्रीन, मेकअप, क्रीम्स को कभी भी फेस पर ओवरनाईट लगाकर न सोएं. बल्कि क्लीन्ज़र से क्लीन करके स्किन को डीटोक्स करें.

– अपनी स्किन को हमेशा हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं. ताकि आपकी स्किन हेल्दी रहे.

Women’s Day: पाएं चमकदार और खूबसूरत Skin

हर औरत का ख्वाब होता है कि उसकी त्वचा चमकदार व सुंदर हो. हर मौसम में त्वचा हर मौसम के हिसाब से खुद को बदलती है और हम उस की जरूरतों को पूरा करना चाहिए, वैक्सिंग से आपका कान्फिडेंस चार गुना बढ़ जायेगा अगर अगर आप अपनी त्वचा का ख्याल रखेंगे, क्या आप जानना चाहते है कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. प्रदूषण और अधिकधूप आप की त्वचा में एजिंग ला सकती है, इन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप अपनी त्वचा को ड्रायनेस और एजिंग से बचा सकते हो.

वैक्सिंग के बाद स्किन को प्रोटेक्ट करे

वैक्सिंग के बाद, अगर आपकी स्किन औयली है तो एस्ट्रिजेंट का इस्तेमाल करें और अगर आपकी स्किन ड्राई है तो क्लीजिंग मिल्क या टोनर का इस्तेमाल करना न भूलें, ये आपकी त्वचा को जवान और खूबसूरत रखेगा, वैक्सिंग के बाद हमारी त्वचा ड्राई और रूखी हो जाती है, तो उसका ख्याल रखना बहुत जरूरी है. अनचाहे बाल किसे पसंद होते है? वैक्सिंग एक सबसे अच्छा तरीका है उनसे छुटकारा पाने का, पर हमें अपनी त्वचा का भी ख्याल रखना चाहिए. वैक्सिंग के बाद रेडनेस और डायनेस लाजमी है, उसकी केयर करना हमारे हाथ में है. लोशन, एस्ट्रिजेंट, टोनर और गुलाब जल का इस्तेमाल करे और अपनी त्वचा को सुरक्षित बनाएं.

अपने लिए सब से बेहतर चुनने

बाजार में हर प्रकार की वैक्स उपलब्ध है, अपने लिए सबसे बेहतर वैक्स चुने जिससे आपको किसी भी तरह का नुकसान न हो और आपकी त्वचा कोमल रहे, ताकि आप पेनलेस वैक्सिंग का आनंद ले सकें. वैक्सिंग सबसे अच्छा तरीका है अनचाहे बालों से छुटकारा पानें का, क्योंकि रेजर और हेयर रिमूवल क्रीम्स आपकी त्वचा को रफ करती है, जिससे आपकी स्किन का मॉइस्चर कम या थोड़े वक्त में खत्म भी हो सकता है. वैक्सिंग के लिए अच्छे प्रोड्क्ट का होना बहुत जरूरी है जो आपकी स्किन को कोई नुकसान न पहुंचाए.

अपनी त्वचा के बारे में स्टडी करें

कुदरत ने हर किसी की त्वचा अलग बनाई हैं, और ये जरूरी है हमें त्वचा के बारे में सब पता होना चाहिए कि हमारी त्वचा का टाइप क्या है और हमारी त्वचा पर क्याक्या प्रोडक्ट्स सूट करेंगे और क्या प्रोडक्ट्स सूट नहीं करेंगे. अपनी त्वचाका टाइप जानिए, अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो क्लीजिंग मिल्क का इस्तेमाल करे और अगर आपकी त्वचा औयली है तो एस्ट्रिजेंट का इस्तेमाल करें. वैक्सिंग के बाद एस्ट्रिजेंट या क्लीजिंग पोर्स ओपन करने का काम करता है, इसके बाद आप टोनर का इस्तेमाल करें जिससे आपकी स्किन के पोर्स मिनीमाइज हो जाए. आपकी त्वचा की देखभाल आपके हाथ में है, अपने लिए सबसे बेहतर चुनें.

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वैक्सिंग के बाद स्क्रब का इस्तेमाल बिलकुल न करे

वैक्सिंग से ही हमारी त्वचा की सन टैन और डेड स्किन सेल्स हट जाते हैं. पर वैक्सिंग के बाद हमारी स्किन बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है और हमें उसका खास ख्याल रखना चाहिए. वैक्सिंग के बाद अपनी स्किन को तौलिये से न पोछे और स्क्रबिंग न करें, ये हमारी स्किन को ड्राई बना सकता है. अकसर वैक्सिंग के बाद हमारी स्किन के पोर्स ओपन हो जाते हैं और हमें उन्हें मिनीमाइज कर देना चाहिए ताकि प्रदूषण और डर्ट से हमारी स्किन खराब न हो. अच्छे लोशन व एस्ट्रिजेंट का इस्तेमाल करें और अपनी स्किन को मॉइश्चराइज करें.

टाइट कपड़े न पहनें

वैक्सिंग के बाद हमारी त्वचा को आराम की जरूरत होती है, तो हमें टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए, इससे हमारी स्किन में एयर पास नहीं होगी और हमारी स्किन पर रेडनेस और दानें होने की संभावना बढ़ जाएगी. अपनी स्किन को थोड़ा समय दे, उससे सांस लेने दे, ताकि वो और चमकदार और स्मूथ हो. काटन के लूज कपड़े पहनें जिससे आपकी स्किन को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो और आप कोई भी आउटफिट अच्छे से कैरी कर पाएं.

वैक्सिंग के समय रखें इन चीजों का ख्याल

वैक्स की थिक लेयर न लगाए, इससे आपकी स्किन पे चोट लग सकती है, स्किन पील भी हो सकती है, या स्किन जल भी सकती है. अपनी स्किन पर पहने टेलकम पाउडर लगाए और वैक्स की पतली लेयर लगाए जिससे आपकी स्किन को किसी प्रकार का नुकसान न हो. वैक्स के बाद अपनी स्किन को वेट वाइप्स से पोंछे ताकि स्किन के ओपन पोरस मिनीमाइज हो जाएं.

अपने पर्सनल वैक्सिंग वेट वाइप्स कैसे बनाये?

  1. काटन पैड्स को काटें.
  2. काटन पैड को एस्ट्रिजेंट या रोज वाटर में डिप करें.
  3. काटन पैड को फ्रिज में स्टोर करे.
  4. उस से वैक्सिंग के बाद इस्तेमाल करें.

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वैक्स और उनके प्रकार

एलोवेरा वैक्स: ये वैक्स ऑयली स्किन के लिए बेस्ट है, क्योंकि ये आपकी स्किन को मॉइश्चरीज्ड और औयल फ्री रखेगी. एलोवेरा बढ़ते दाने और रेडनेस को रोकती है और आपकी त्वचा को हैल्थी बनाता है.

वाइट चॉकलेट वैक्स: ये वैक्स ड्राई स्किन के लिए बैस्ट है, क्योंकि ये आपकी स्किन को हाइड्रेट करता है और उसका रूखापन और रिंकल्स हटाती है. इस वैक्स से आपकी स्किन कोमल और टैन फ्री हो जायेगी.

डार्क चॉकलेट वैक्स: ये वैक्स हर स्किन टाइप के लिए बेस्ट है क्योंकि ये हर मौसम के लिए बेहतरीन है. ये स्किन को स्क्रब करती है और डेड स्किन सेल्स निकालती है.

Holi 2023: होली खेलने जा रही हैं तो ये 7 काम करना ना भूलें

होली के रंग में सराबोर होने से पहले आपको अपनी त्वचा और बालों की सुरक्षा के संबंध में कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए. इससे आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.

कुछ लोग होली खेलने के पहले यह सोचकर बाल नहीं धोते हैं कि रंग खेलने के बाद बाल गंदे होंगे ही. लेकिन पहले से गंदे बाल में रंग लगने से आपके बालों को और नुकसान पहुंच सकता है और बाल रूखे हो सकते हैं. इसलिए बाल धोकर, सुखाने के बाद बालों में अच्छी तरह से तेल लगाकर ही होली खेलें.

1. होली खेलने निकलने से पहले सनस्क्रीन क्रीम लगाना ना भूलें. तेज धूप में आपकी त्वचा झुलस सकती है और रंग काला पड़ सकता है.

2. बाजार में उपलब्ध सिंथेटिक रंगों में हानिकारक केमिकल हो सकते हैं जिससे आपकी त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए त्वचा और बालों पर अच्छे से तेल लगाएं और हो सके तो प्राकृतिक रंगों या घर पर बने टेसू के फूल वाले रंग से होली खेलें. कानों के पीछे, उंगिलयों के बीच में भी तेल अच्छे से लगाएं और नाखूनों पर नेल पॉलिश लगाना ना भूलें.

3. बालों में नारियल तेल डालकर अच्छे से मसाज करें, इससे आपके बाल रूखे नहीं होंगे.

4. शरीर के अधिकांश हिस्सों को रंगों से बचाने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें. कोशिश करें कि सूती कपड़े पहनें क्योंकि भींगने पर सिंथेटिक कपड़े शरीर से चिपक जाते हैं और आपको उलझन महसूस हो सकती है.

5. फलों और सब्जियों के छिलकों को सुखाकर उसमें टेल्कम पाउडर और संतरे के सूखे छिलकों के पाउडर को मिलाकर होली खेलना एक अच्छा विकल्प है. लेकिन इन पाउडर को जोर से त्वचा पर मले नहीं, क्योंकि इससे लालिमा, खरोंच या दाने पड़ सकते हैं और त्वचा में जलन हो सकती है.

6. होली खेलने के बाद सॉफ्ट फेसवॉश या साबुन का ही इस्तेमाल करें. हार्श साबुन से त्वचा रूखी हो सकती है. नहाने के बाद मॉइश्चराइजर और बॉडी लोशन जरूर लगाएं.

7. बालों को हर्बल शैम्पू से अच्छी तरह से धोएं ताकि अभ्रक युक्त और केमिकल वाले रंग बालों से अच्छी तरह से निकल जाएं. शैम्पू के बाद बालों का रूखापन दूर करने के लिए एक मग पानी में एक नींबू का रस मिलाकर धोएं या फिर बीयर से भी बाल धो सकते हैं. इससे आपके बाल मुलायम रहेंगे.

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