सवाल-

मैं 40 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. कुछ समय से मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है. किसी-किसी दिन तो तकलीफ इतनी बढ़ जाती है कि रोजाना के कामकाज यहां तक कि चलनेफिरने में भी परेशानी महसूस होने लगती है. मन ही मन बहुत चिंतित हूं कि इतनी कम उम्र में ही घुटने बिगड़ गए तो आगे जीवन कैसे चलेगा, कहीं यह गठिया का लक्षण तो नहीं है? समस्या आगे न बढ़े, उस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

क्या मुझे किसी डाक्टर के पास जाना चाहिए? 40 की उम्र में शुरू हुए घुटनों के दर्द के पीछे कई प्रकार के गठिया और घुटनों के तंतु व स्नायु पेशियों का चोटिल होना जिम्मेदार हो सकता है. रह्यूमेटाइड आर्थ्राइटिस, औस्टियोआर्थ्राइटिस, दूसरे कई तरह के आर्थ्राइटिस तो दोषी हो ही सकते हैं, कहीं उठतेबैठते, चलतेफिरते, दौड़तेभागते तंतु और स्नायु पेशियों को पहुंची ऐसी भी बड़ी समस्या बन जाती है. आप योग्य और्थोपैडिक सर्जन रह्यूमेटाइड से संपर्क करें. दोष का पता कर उपचार कराएं.

दिल्ली-एनसीआर में आर्थराइटिस की एक बड़ी वजह अंडरग्राउंड वौटर या बोरवेल के पानी का इस्तेमाल भी है. डाक्टरों का कहना है कि अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से लोगों की हड्डियों के जौइंट खराब हो रहे हैं. उन्हें आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी बीमारी हो रही है. देश के जिन इलाकों में अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है, उनमें दिल्ली भी शामिल है.

इंडियन कार्टिलेज सोसायटी और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य ने बताया कि दिल्ली के वेस्ट, नौर्थ-वेस्ट, ईस्ट, नौर्थ ईस्ट और साउथ वेस्ट जोन में इस बीमारी के मरीज ज्यादा हैं. आए दिन लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी लगातार पीने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. जोड़ों में कड़ापन आ जाता है. इसके बाद आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी समस्याएं हो जाती हैं. गंभीर स्थिति में हाथ-पैर की हड्डियां टेड़ी हो जाती हैं. जब कोई ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी लगातार पीता है तो उसे फ्लोरोसिस होने का खतरा भी होता है. जिन एरिया में पाइपलाइन की सप्लाई नहीं है, वहां बोरवेल का पानी खूब इस्तेमाल हो रहा है.

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