सवाल-

मेरे बेटे की उम्र 4 साल है. उसे 3 बार निमोनिया हो चुका है. उसे बारबार निमोनिया क्यों हो रहा है और यह कितना खतरनाक है?

जवाब-

5 साल से छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है. इसलिए उन के संक्रमण का शिकार होने की आशंका अधिक होती है. बच्चों में वायरस से होने वाले निमोनिया के मामले अधिक सामने आते हैं. बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए पीसीवी वैक्सीन लगाया जाता है. अगर आप ने अपने बच्चे को नहीं लगवाया तो जरूर लगवाएं. बच्चे की साफसफाई का ध्यान रखें. जब भी जरूरी हो उस के हाथ धुलवाएं. अपने बेटे को ऐसे लोगों से दूर रखें जो बीमार हों या जिन्हें श्वसन मार्ग का संक्रमण हो. आप इन बातों का ध्यान रखेंगी तो आप के बच्चे के लिए निमोनिया की चपेट में आने का खतरा कम हो जाएगा. आप किसी अच्छे बालरोग विशेषज्ञ से भी इस बारे में सलाह ले सकती हैं.

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मां का दूध शुरुआत से ही इम्यूनिटी को बूस्ट करने वाली ऐंटीबौडीज से भरपूर होता है. कोलोस्ट्रम, जो ब्रैस्ट मिल्क की पहली स्टेज कहा जाता है, ऐंटीबौडीज से भरा होता है. यह गाढ़ा व पीले रंग का होने के साथसाथ प्रौटीन, फैट सोलुबल विटामिंस, मिनरल्स व इम्मुनोग्लोबुलिंस में रिच होता है. यह बच्चे की नाक, गले व डाइजेशन सिस्टम पर प्रोटैक्टिव लेयर बनाने का काम करता है, जिसे अपने बच्चे की इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए जरूर देना चाहिए.

फौर्मूला मिल्क में ब्रैस्ट मिल्क की तरह पर्यावरण विशिष्ट ऐंटीबौडीज नहीं होती हैं और न ही इस में शिशु की नाक, गले व आंतों के मार्ग को ढकने के लिए ऐंटीबौडीज यानी फौर्मूला मिल्क बेबी को कोई खास प्रोटैक्शन देने का काम नहीं करता है. इसलिए शिशु के लिए मां का दूध ही है सब से उत्तम व हैल्दी.

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