शशि बंसल गोयल
खुशबू की तरह सांसों में बसती है तू
लहू बनकर मेरी आँखों से बहती है तू
जिसके साये से भी ग़म दूर भाग जाए
ऐसी है मेरी प्यारी दोस्त मेरी जान तू
ज़माने ने दिए हों भले ही लाख दोस्त
मेरी होठों की हंसी का कारण सिर्फ़ तू
जिसके नाम के शुरू में ही 'संग' है जुड़ा
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