भाइयों में विवाद होना कोई नई बात नहीं है. इस बार फिर चुनावी राजनीति में कितने ही घरों में टूट हो गई है क्योंकि कोई सदस्य एक पार्टी के साथ तो कोई दूसरी के साथ. भाजपा ने रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को एक बार फिर अपने साथ मिला कर 5 सीटें उसे बिहार में दे दीं और उस के चाचा पशुपति कुमार पारस को कुछ नहीं दिया.आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी की बहन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना कर भाईबहन में फूट डाल दी. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ने पहले भतीजे अजीत पंवार को नैशनल कांग्रेस पार्टी के वृद्ध शरद पंवार से अलग कर दिया और अजीत पंवार का भाई श्रीनिवास ही उस से अलग हो गया है.भाइयोंबहनों के विवाद पौराणिक युग से चले आ रहे हैं.

उस सनातनकाल जिस से राग खूब उछाला जाता है असल में पुराणों में कलह की कहानियों का काल्पनिक लेखाजोखा ही दिखता है. दशरथ के घर में भाइयों के हकों को ले कर राम वनवास हुआ और फिर राम के लौटने तक किसी न किसी तरह चलता रहा. महाभारत में तो है ही भाइयों की अनबन की कथा जिस में कृष्ण ने हरसंभव तरीके से भाईभाई विवाद जिंदा रखा और उसे ही धर्म की रक्षा करना कहा.आज भी हर घर में भाईभाई और भाईबहन विवाद हो रहा हैऔर जम कर हो रहा है तो इसलिए कि उस के बीज हमारे मन में पौराणिक कहानियों से डाल दिए जाते हैं. जब भी पैसे या पावर की बात होती है तो भाई खून के रिश्तों को भूल कर खून के प्यासे हो जाते हैं. विभीषण ने रावण को मरवा दिया, हिरण्यकश्यप ने बहन को जलवा डाला.आज अदालतें भाइयों और भाईबहनों के अधिकारों के मामलों से भरने लगी हैं.

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