नागरिकता संशोधन कानून को चुनावों से पहले लागू कर के भारतीय जनता पार्टी ने अपने कट्टर समर्थकों को बोलने का एक और मुद्दा दे दिया है. इस कानून से कुछ ज्यादा होगा इस में शक है क्योंकि हर सुविधा देने वाले कानून की तरह इस में भी सैकड़ों तरह के दस्तावेज मांगे गए हैं और जिस के पास भी अंतिम ठप्पा लगाने का हक होगा वह क्या कीमत वसूलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता.

इस कानून की राजनीति में न जाते हुए यही देखें कि कोई औरत अफगानिस्तान, बंगलादेश, पाकिस्तान में पैदा हुई थी. वह हिंदू, बौद्ध या सिख थी और 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ गई थी, साबित करने के लिए कितने ही डौक्यूमैंट्स चाहिए. पहली बात तो यह साबित करनी होगी कि इन देशों की ही नागरिकता थी और किसी देश की नहीं. भारत में बाहर से आने वाले लोग तिब्बत, श्रीलंका, बर्मा, नेपाल, भूटान या और कहीं से भी हो सकते हैं. इस कानून का फायदा उठाना है तो इन 3 देशों का पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट, स्कूल सर्टिफिकेट, वहां की सरकार का कोई डौक्यूमैंट, जमीन के कागजात, किराएनामा आदि जरूरी होंगे.

अब जो छिप कर इन 3 देशों से या कहीं और से आया है, क्या भागते हुए इन डौक्यूमैंट्स को ले कर जंगलों, समुद्र, नदियों को पार कर रहा होगा? वह बर्फ, सूखे, पानी, भूख से सताया होगा. उस के कपडे़ फट चुके होंगे. उस को लूटा जा चुका होगा. वह कैसे यह दस्तावेज लाएगा. जिस का जन्म 2014 के बाद भारत में हुआ है, वह कैसे साबित करेगा कि जन्म भारत में हुआ? यह सब अफसरों की मरजी पर होगा.

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