वर्क फ्रौम होम देश के मध्यवर्ग की औरतों के लिए एक नई चुनौती पैदा कर रहा है. टैक्नोलौजी के आने और कोरोना के लौकडाउनों में इस के पौपुलर हो जाने की वजह से वर्क फ्रौम होम के साथसाथ ऐंजौय ऐट होम भी जम कर होने लगा है. जो बातें पहले केवल बहुत टैक्सैवियों के पल्ले पड़ती थीं अब आम लोगों तक पहुंचने लगी हैं और मोबाइल या कंप्यूटर पर जूम जैसे दसियों ऐप्लिकेशनों के जरीए घर बैठे दफ्तर का काम भी हो रहा है और रिश्तेदारों से मिलाजुला भी.

इस में चुनौती यह है कि औरतों को अब सारा दिन घर संभालना होगा. पहले उन्हें पति या बच्चों के जाने के बाद खुद के लिए जो समय मिलता था वह अब गया. अब हर समय घर में खानापीना तैयार रखो, शांति रखो क्योंकि पति वर्क फ्रौम होम में व्यस्त हैं और बच्चे औनलाइन क्लास में. औरत अगर खुद कामकाजी है तो उसे

9-10 बजे तक सब को उठा कर तैयार करवाने पर जोर देना होगा ताकि वह भी वर्क फ्रौम होम में लग जाए.

घर से बाहर निकलने का जो आनंद पहले औरतों को मिलता था चाहे कामकाजी हों या घरेलू वह अब कोरोना तक ही नहीं गायब हो गया, उस के बाद भी गायब हो जाएगा.

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अब पक्का है कि बहुत से दफ्तर घरों में काम करने के नए तरीके ईजाद करेंगे ताकि दफ्तरों का रखरखाव कम करना पड़े और अनुशासन मैंनटेन करने में सिर खपाना न पड़े.

घरों में काम करेंगे तो वर्क प्लेस पर सैक्सुअल हैरिसमैंट के मामले कम हो जाएंगे. स्कूल भी कईकई दिन बंद रख कर बच्चों को घर पर पढ़ने को कहेंगे ताकि उन्हें संभालने की मुसीबत न झेलनी पड़े. ये बदलाव परमानैंट होंगे, पोस्ट कोरोना युग का हिस्सा होंगे.

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