दीवाली के त्योहार पर सभी अपने घर में दीप जलाते हैं, अपनों को तरहतरह की मिठाई तोहफे में देते हैं. मगर क्या आप ने कभी दूसरों के घर का अंधेरा दूर कर के देखा है. दीवाली के दिन ऐसा करने पर जो आनंद मिलता है कभी उसे भी महसूस कर के देखें.

मिल कर मनाएं दीवाली

आज के समय में कितने ही लोग महानगरों की भीड़ में अकेले, तनहा रहते हैं. दीवाली के दिन उन के साथ खुशियां बांटने वाला कोई नहीं होता. कहीं बूढ़े मांबाप अकेले रहते हैं, तो कहीं युवा लड़केलड़कियां पढ़ाई और नौकरी के कारण अपने घरों से दूर अकेले रह रहे होते हैं. कुछ ऐसे भी होते हैं जो शादी न करने की वजह से अकेले रहते हैं तो कुछ जीवनसाथी की मौत के बाद अकेले रह जाते हैं.

वैसे तो हर सोसायटी औफिस या फिर इंस्टिट्यूट्स में दीवाली की धूम दीवाली से एक दिन पहले ही मना ली जाती है, मगर महत्त्वपूर्ण पल वे होते हैं जब दीवाली की शाम कोई व्यक्ति तनहा अपने घर में कैद होता है. उस वक्त उस के साथ कोई और दीप जलाने वाला नहीं होता तो लाख कोशिशों के बावजूद उस के मन का एक कोना अंधेरा ही रह जाता है.

ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम ऐसे तनहा लोगों के जीवन में दीप जलाने का प्रयास करें. वैसे भी आजकल संयुक्त परिवारों की कमी की वजह से व्यक्ति अपने परिवार के साथ अकेला ही दीवाली मना रहा होता है. ऐसे में 2-3 परिवारों के लोग मिल कर त्योहार मनाएं तो यकीनन खुशियां बढ़ेंगी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...