बात मेरे भाई की शादी की है. वह उस वक्त कस्टम विभाग में सहायक कस्टम अधिकारी था. उस की शादी में मंडप के नीचे एक रस्म में सभी लोगों को नेग और खाना दिया जा रहा था, लेकिन मेरे भाई को न तो खाना परोसा गया था, न ही उसे कोई नेग दिया गया था. उस के आगे केवल चांदी की थाली व कटोरी रखी थी.

अचानक लड़की के पिता आए और उस के गले में चेन पहना गए और जातेजाते कह गए कि बेटा खाना शुरू करो.

लेकिन ऐसा होने के काफी देर के बाद भी उस की थाली खाली ही रही तो वह तेज आवाज में अपने एक दोस्त से बोला, ‘‘इन सभी लोगों को गिरफ्तार कर लो और कहां से ये सोनेचांदी का सामान लाए हैं उस की रसीद दिखाने के लिए कहो.’’

यह सुन कर वधू पक्ष के लोग घबरा गए तो उस ने कहा, ‘‘अगर मेरी थाली में आप लोग खाना परोस दोगे तो मैं किसी को गिरफ्तार नहीं करूंगा.’’

यह सुन कर सभी को अपनी गलती का एहसास हुआ. फिर माहौल हंसी का बना तो सभी हंसतेहंसते लोटपोट हो गए.

-मोहिनी श्रीवास्तव

सर्वश्रेष्ठ संस्मरण  : बात मेरी छोटी बहन की शादी की है. तब मेरी बड़ी दीदी की शादी को कुछ ही दिन हुए थे. शादी में दीदी के सासससुर भी आए थे. बरात दीनानगर से यमुनानगर आनी थी, जिस का रास्ता लंबा होने के कारण बरात थोड़ी लेट हो गई थी. इस से सभी परेशान थे. फिर जब बरात पहुंची सभी उस के स्वागत में व्यस्त हो गए. ऐसे में दीदी के ससुर को लगा कि उन्हें अनदेखा किया जा रहा है. वे इसी बात को ले कर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने जम कर हंगामा किया और वापस जाने की जिद करने लगे. फिर सब के समझाने और पापा द्वारा उन से माफी मांगने पर ही वे माने.

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