पिछले एक दशक में झूठी खबरों को सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे लोकल अखबार और लोकल न्यूज़ चैनल वालों के निजी लाभ के अलावा इसमें सोशल मीडिया का लगातार विस्तार . समस्या यह है कि लोग ज्यादा सोशल मीडिया पर एक्टिव होते जा रहे हैं. जिस कारण  इन झूठी खबरों को फैलने में मदद मिलती है.असल में लोकल अखबारों की ऐसी खबरें फैलाने में उनकी भी अहम भूमिका रहती हैं. लोग बिना कुछ सोचे समझे किसी भी झूठी खबर या झूठे विडियोज पर यकीन कर लेते हैं और उन्हें अपने दोस्तों व परिवार वालों के पास फॉरवार्ड कर देते हैं.

उदाहरण 1-

अभी कुछ माह पहले की एक खबर जिसने सब को भ्रम में रखा, कुछ इस तरह थी -" लखनऊ ब्रेकिंग न्यूज. योगी आदित्यनाथ जी का बड़ा फैसला आज रात को 11.40 pm कोई भी  व्यक्ति घर के दरवाजे ना खोले और खिड़की को भी बंद कर के रखे. हर राज्य मे 5 हेलिकॉप्टर की मदद से  स्प्रे डाला जायेगा! इस महामारी कोरोना  को खत्म करने के लिए" !  न ऐसा कुछ हुआ और न ही होना था. यह खबर बिल्कुल झूठी थी. इसका समर्थन किसी भी प्रादेशिक बड़े अखबार ने नहीं किया.

उदाहरण 2-

इस खबर ने सबको बहुत परेशान और हैरान किया, जो कि इस प्रकार थी ," सत्तर वर्ष से चली आ रही बुद्ध बाजार, मुरादाबाद में स्थित मिठाई की दुकान, के सभी मालिक व कर्मचारी सहित 12 लोग कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गये हैं. कृपया अपने परिवार व अपना ख्याल रखते हुए मिठाई आदि खाने से बचें" .

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