फैस्टिवल सीजन में बाजार, मौल्स और औनलाइन बाजार में तमाम तरह के औफर आने लगते हैं. ऐसे में यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किस तरह से शौपिंग की जाए. बहुत सारे सवालों के बाद भी बाजार में शौपिंग करने वालों की संख्या सब से अधिक होती है. मौल्स में भी खरीदारी का क्रेज बढ़ रहा है तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शौपिंग औनलाइन ही करते हैं. वे बाजारों और मौल्स की धक्कामुक्की से बचना चाहते हैं.

असल में आज के बदलते दौर में सभी के पास समय की कमी है. ऐसे में समय को बचाते हुए फैस्टिवल शौपिंग का फार्मूला तैयार किया जाता है. आज का युवा वर्ग जो हौस्टल और कालेज में रहता है वह अपने लिए कुछ डिफरैंट शौपिंग करना चाहता है. उसे औनलाइन सर्च कर के शौपिंग करना सब से अच्छा लगता है.

ऐसे युवाओं के अपने तर्क होते हैं. फाइन आर्ट्स में बीएफए कर रही वर्तिका सिंह बताती हैं, ‘‘औनलाइन शौपिंग का ट्रैंड अब बदल चुका है. पहले लोगों को इस पर भरोसा नहीं होता था. लगता था कि जो सामान दिखा रहे हैं कहीं उस से अलग न दे दें. मगर अब ऐसा नहीं है. औनलाइन शौपिंग में खरीदी गई चीज को बदलना आसान होता है. यहां फैशन के नए ट्रैंड दिखते हैं. नईनई डिजाइनें देखने के लिए केवल मोबाइल पर सर्च करना होता है. बिना किसी टैंशन के अपनी पसंद की चीज तलाश कर सकते हैं.’’

अनुज सिंह कहते हैं, ‘‘औनलाइन शौपिंग में अब कुछ खास चीजें मिलने लगी हैं. ऐसे में कुछ खास लेना हो तो औनलाइन बैस्ट औप्शन होता है. अब औनलाइन खरीदारी पहले जैसी नहीं रह गई है यहां भी ग्राहक के साथ बेहतर रिश्ते बनाने का काम हो रहा है. कुछ स्पैशल चीजें औनलाइन पोर्टल के जरीए बेची जा रही हैं जो बाजार में नहीं मिलतीं. बाजार में की गई शौपिंग दूसरों के सामान से मैच कर जाती है पर औनलाइन खरीदी गई चीज मैच नहीं करती. यह बात जरूर है कि औनलाइन खरीदारी में समझदारी की ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि यहां सामग्री देखने को नहीं मिलती है.’’

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