शांत, सौम्य और स्पष्टभाषी कृष्णाई प्रभाकर उलेकर महाराष्ट्र के उस्मानाबाद के तुलजापुर तालुका के आरळी बुद्रुक की हैं. वे किसान की बेटी हैं और भारुड कला के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने की दिशा में सफल काम कर रही हैं. इस के माध्यम से वे समाज में व्याप्त कन्या भ्रूण हत्या, नशा मुक्ति अभियान, घरेलू अत्याचार, बाल विवाह आदि सोशल इशू का मंचन नाटकों के द्वारा कर रही हैं.

इस कला के साथसाथ कृष्णाई थिएटर में अभिनय और परफौॄमग आट्र्स में पोस्ट ग्रैजुएट भी कर रही हैं. कृष्णाई की इस यात्रा में मातापिता और भाई ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है,. वे अपनी हर सफलता का श्रेय भाई अन्ना साहेब, मां सुनीता उलेकर और पिता प्रभाकर उलेकर को देती हैं, जिन के अथक प्रयास और सहयोग से उन का नाम पूरे महाराष्ट्र में मशहूर हो चुका है.

हुईं सम्मानित

आसपास के जिलों में किसान आत्महत्याओं की संख्या अधिक होने के कारण और सूखे की गंभीरता को देखते हुए कृष्णाई ने भारुड कला के माध्यम से किसानों को जागरूक करने का फैसला किया है. वे कहती हैं, ‘‘किसान संकट में हैं उन का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है इसलिए मैं भारुड कला से सब को सम?ााने का प्रयास करती हूं. इस सामाजिक काम के लिए मुझे कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है. इन में ‘राज्य युवा पुरस्कार,’ ‘मराठवाड़ा भूषण’ मराठवाड़ा समन्वय समिति पुणे, सामाजिक ‘लोक कला पुरस्कार,’ बावड़ा सातारा ‘आविष्कार पुरस्कार’ आदि हैं.’’

मिली प्रेरणा

कृष्णाई कहती हैं, ‘‘बचपन में मैं लोकनाट्य करती थी. मैं ने कई लोकनाट्य देखे भी थे. पहले मैं समाज की सामाजिक इशू के साथ लोक गीतों का प्रयोग कर परफौर्म किया जाता है. इस में नशामुक्ति, कन्या भू्रण हत्या आदि सामाजिक कुरीतियों को लावनी के जरीए लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करती थी.’’

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