देश की मौजूदा सरकार ने ‘खाऊंगा भी, खाने भी दूंगा’ का  सिद्धांत पूरा कर दिखाया है. जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सत्तारूढ़ हुई है तब से स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा लगातार बढ़ रहा है.

2020 में स्विस बैंक में 20,700 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हुए. मोदी सरकार के शासन के दौरान हर साल पैसा जमा हुआ है बावजूद इस के कि मोदी ने खुलेआम कहा था कि सारा ब्लैक पैसा देश में वापस ले आया जाए तो हरेक देशवासी को क्व15 लाख यों ही मिल जाएंगे.

भारतीय भारत में भी खूब कमा रहे हैं और बाहर भी. कोविड के दिनों में भी बहुत से अमीर व्यापारियों ने खूब कमाई की है क्योंकि सरकार ने उन्हें तरहतरह की छूट दी और उस बीच जनता अपनी परेशानियों में घिरी हुई थी.

भारतीय व्यापारियों ने अपना पैसा बाहर रखना शुरू कर दिया है क्योंकि यहां गंदगी, बदबू तो थी ही, अस्पतालों और दवाओं के लिए भी न जाने किसकिस से गिड़गिड़ाना पड़ा. भारतीय अमीर भारत में इसलिए हैं क्योंकि भारत में उन की कमाई हो रही है, ठीक ब्रिटिश हुक्मरानों की तरह जो पोस्टिंग पर भारत आते थे, यहां कमाते थे और फिर नौकरोंगुलामों को वापस ले कर चले जाते थे.

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बड़े व्यापारी ही नहीं, नेताओं, आश्रमों के स्वामियों ने भी देश के बाहर विधर्मी ईसाई व मुसलिम देशों में पैसा जमा कर रखा है और वह कम नहीं हुआ है.

हर भारतीय वैसे भी 2 करोड़ रुपए हर साल मैडिकल ट्रीटमैंट, उपहार, विदेशों में बसे रिश्तेदारों, विदेशी पढ़ाई, मकान आदि के लिए भेज सकता है. सरकार इस पर टैक्स बढ़ा रही है लेकिन इसे रोक नहीं रही. पैसा हवाला के जरीए भी जाता है जिस में यहां भारतीय रुपए दो और विदेशों में लो किया जाता है.

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