नरेंद्र मोदी सरकार बढ़ते जीएसटी कलेक्शन पर बहुत खुश हो रही है. 2017 में जीएसटी लागू होने के कई सालों तक मासिक कलेक्शन 1 लाख करोड़ के आसपास रही थी पर इस जूनजुलाई से उस में उछाल आया है और 1.72 लाख करोड़ हो गई है. 1.72 लाख करोड़ मिलने होते हैं यह भूल जाइए, यह याद रखिए कि जीएसटी अगर ज्यादा है तो मतलब है कि सरकार जनता से ज्यादा टैक्स वसूल कर रही है. अगर साल भर में टैक्स 25-35 बढ़ता है और लोगों की आमदनी 2-3' भी नहीं बढ़ती तो मतलब है कि हर घरवाली अपने खर्च काट रही है.

निर्मणा सीतारमन ने नरेंद्र मोदी की तर्ज पर एक आम गृहिणी की तरह अपना वीडियो एक सब्जी की दुकान पर सब्जी खरीदते हुए खिंचवाया. और इसे भाजपा आईटी सेल वायरल किया कि देखो वित्त मंत्री भी आम औरत की तरह हैं. पर यह नहीं समझाया गया कि सब्जी पर भी भारी टैक्स लगा हुआ या चाहे वह उस मिडिल एज्ड दुकानदार महिला ने चार्ज वहीं किया हो.

सब्जी आज दूर गांवों से आती है और ट्रक पर लद कर आती है. इस ट्रक पर जीएसटी, डीजल पर केंद्र सरकार का टैक्स है. सब्जी जिस खेत में उगाई जाती है उस पर चाहे लगान न हो पर जिस पंप से पानी दिया जाता है उस पर टैक्स है, जिस बोरी में सब्जी भरी गई, उस पर टैक्स है, जिस केब्रिज पर बोली गई उस पर टैक्स है.

उस एज्ड दुकानदार ने जिन इस्तेमाल किए लकड़ी के तख्तों पर अपनी दुकान लगाई, उन पर टैक्स है, जीवनी उस ने चलाई उस पर टैक्स है, जिस थैली, चाहे कागज की हो या पौलीथीन की हो, उस पर टैक्स है. निर्मला सीतारमन 100-200 रुपए की जो सब्जी खरीदी थी उस पर कितना है या इस का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है.

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