देश में औरतों को क्या सम्मान मिल रहा है यह भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों से स्पष्ट है. संघ के पिछले अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों ने खुल्लमखुल्ला आरोप लगाए थे और वे महीनों धरनों पर बैठी रहीं, पर कुछ खास नहीं हुआ. भारतीय जनता पार्टी ने बृजभूषण सिंह का पूरा बचाव किया और न आपराधिक मामले में गिरफ्तारी हुई, न पार्टी से निकाला गया. बहाना बना डाला गया कि अपराध साबित होने पर पार्टी से निकाला जाएगा.

महिला पहलवानों के जख्मों पर तेजाब छिड़कते हुए भारतीय कुश्ती संघ के नए चुनावों में बृजभूषण सिंह के सहयोगी संजय सिंह को 47 में से 40 वोट भी मिल गए और कार्यकारिणी की 15 सीटों में से 13 पर उस गुट का कब्जा हो गया. इस में वोट डालने वाले देश के विभिन्न कुश्ती संघों के स्थानीय अध्यक्ष होते हैं.

बाद में आलोचना होने पर इन चुनाव को खारिज कर दिया गया क्योंकि नए पपेट अध्यक्ष ने बृजभूषण सिंह के गांव में ही नई कुश्ती प्रतियोगिता के आयोजन की घोषणा तुरंत कर के जता दिया था कि महिला पहलवानो, हम पुरुष ही इस जीवन को चलाने के लिए पैदा होते हैं और बारबार दबदबा हमारा ही रहेगा. भारतीय जनता पार्टी को लगा कि विपक्षी 2024 के चुनावों में इसे उछालेंगे इसलिए स्पोर्ट्स अथौरिटी ने आननफानन में चुनाव भी खारिज कर दिए और नई कार्यकारिणी भी.

यह एक नमूना भर है, औरतों के हकों का- उन औरतों के हकों का जो शारीरिक रूप से कमजोर नहीं हैं और जो 80-85% पुरुषों को आपसी ?ाड़प में पटक सकती हैं. इन मजबूत औरतों का दम था कि

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