अंधविश्वास हमारे समाज का एक कड़वा सच है, बौलीवुड भी इस से अछूता नहीं है. अपनी फिल्म को सफल बनाने के लिए कोई हीरो, हीरोइन, राइटर या प्रोड्यूसर कोई कसर नहीं छोड़ता, अच्छी स्क्रिप्ट, अच्छी स्टार कास्ट, अच्छी प्रमोशनल स्ट्रेटजी अपनी जगह, अपने अंधविश्वास अपनी जगह, कभी नाम से एक अक्षर हटा लिया, कभी एक ऐक्स्ट्रा अक्षर जोड़ लिया. आइए, नजर डालते हैं ऐसे कुछ फिल्म मेकर्स पर, जिन्होंने अपनी फिल्मों की सफलता के लिए कुछ अक्षरों का साथ कभी नहीं छोड़ा:

ऐक्टरडाइरैक्टर साजिद खान को विश्वास है कि एच अक्षर उन के लिए लकी है. उन्होंने पहली फिल्म ‘हे बेबी’ नाम से डाइरैक्टर की थी. फिल्म दर्शकों को पसंद आई. बस, फिर क्या था, उन्होंने सोच लिया कि अब वे अपनी फिल्म का टाइटल एच से ही रखेंगे और फिर ‘हाउसफुल,’ ‘हाउसफुल टू,’ ‘हमशकल्स’ नाम होने ही थे.

बालाजी टैलीफिल्म्स और मोशन पिक्चर्स की कोफाउंडर एकता कपूर ऐस्ट्रोलौजी और न्यूमैरोलौजी में बहुत विश्वास रखती हैं. अपने ज्योतिषी की सलाह पर उन्होंने अपने टीवी सीरियल्स के नाम ‘के’ से रखे, न सिर्फ ‘के’ से रखे, बल्कि बौक्स औफिस पर सफलता की गारंटी के लिए कई अक्षर यहां से काटे गए, वहां जोड़े गए, स्पैलिंग्स में खूब चेंज किया गया. फिल्मों के टाइटल्स भी ‘के’ से रखे गए, ‘क्योंकि मैं झठ नहीं बोलता,’ ‘कुछ तो है,’ ‘क्या कूल हैं हम’ पर कुछ सालों बाद उन्होंने ‘के’ से टाइटल रखना छोड़ दिया, वही टाइटल रखे जो फिल्म के लिए सही थे.

प्रोड्यूसरडाइरैक्टर करण जौहर जिन्हें उन के पिता यश जौहर ने ‘कुछकुछ होता है’ के डाइरैक्टर के रूप में लौंच किया था, को भी शुरूशुरू में विश्वास था कि ‘के’ अक्षर उन के लिए लकी है पर बाद में उन्होंने यह अक्षर छोड़ दिया. ‘के’ अक्षर के बिना टाइटल वाली उन की फिल्मों ने बहुत अच्छा बिजनैस किया था.

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