Teenage Love : फिल्म ‘एकदूजे के लिए’ का एक मशहूर गीत है,’सोलह बरस की बाली उमर को सलाम, ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम…’ मगर अब यहां सवाल यह उठता है कि बाली उम्र को ही सलाम क्यों किया जा रहा है? उम्र तो 10 या 12 साल की भी हो सकती थी? तो इस का जवाब बायलौजी की किताबों में मिलता है.
पेरैंटिंग टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 13 से 18 साल की उम्र बदलाव और विकास की दृष्टि से सब से अहम होती है. यही वह उम्र है, जिस में टीनएजर्स बचपन की डगर छोड़ जवानी की दहलीज पर कदम रखते हैं. उन के शरीर में हारमोंस का उतारचढ़ाव होता है. इस दौरान उन का शरीर और मन तेजी से बदल रहा होता है. पहली बार उन के मन में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण देखने को मिलता है. यही वह उम्र होती है, जिस में टीनऐजर्स प्यार में पड़ते हैं.
टीनऐजर्स के रिश्ते की वजह इमोशन नहीं बायलौजी होती है
पेरैंटिंग टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 14-15 साल के टीनऐजर्स के प्यार की गिरफ्त में आने की असल वजह इमोशनल नहीं बल्कि बायलौजिकल होती है. इस उम्र में वे प्यार और इमोशन को ठीक से समझ भी नहीं पाते. वे सिर्फ नए अनुभवों से गुजरना चाहते हैं, जो उन्हें आनंद भी देता है.
बौलीवुड भी फिल्मों के माध्यम से टीनऐजर्स के इन रिश्ते को बयां करता रहता है
साल 2002 में एक फिल्म आई थी ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’. इस फिल्म में 14-15 साल का एक लड़का अपने से बड़ी उम्र की औरत के प्रति आकर्षित हो जाता है और सामने वाले फ्लैट में उसे दूरबीन के माध्यम से हर पल देखता रहता है. वह उस महिला को अपने प्रेमी के साथ प्रेम करते हुए देखता है और गुस्स्से में आ जाता है. साथ ही महिला को भी बताता भी है कि वह उस से प्यार करता है.
तब महिला उसे समझती है यह प्यार नहीं आकर्षण है. अपोजिट सैक्स के प्रति सिर्फ 2 मिनट प्लेजर होता है. वह महिला अपने हाथों से उस का मास्टरबेशन कर उसे भ्रम से निकाल कर वास्तविकता से रूबरू कराने की कोशिश करती है. लेकिन वह लड़का नहीं समझता क्योंकि इतनी कम उम्र में उस का दिमाग परिपक्व नहीं होता. बहुत बातें उस की समझ से परे होती हैं.
महिला द्वारा ऐसा करने पर वह बुरी तरह से हर्ट होता है और अपने हाथ की नस काट लेता है.
ऐसी न जाने कितनी ही फिल्में बौलीवुड में आती हैं जहां टीनऐजर्स को अपना आकर्षण प्यार लगता है और उस के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि वे खुद को और अपनी फीलिंग्स को समझ ही नहीं पाते हैं.
पेरैंट्स का टीनऐजर्स के प्यार पर बंदिशें लगाना ठीक नहीं
● टीनऐजर्स की दोस्ती और प्यार पर नजर रखें. उन्हें सामान्य बातचीत के दौरान कैरियर पर फोकस करने को कहें
● अगर टीनऐजर्स बेटी या बेटे की दोस्ती के बारे में पता चले तो उन पर गुस्सा कर के रोकने के बजाए उन के प्यार के लिए हैल्दी बाउंड्री सैट करें.
● टीनऐजर्स से सैक्स और रिलेशनशिप के बारे में खुल कर बात करते रहें. उन्हें कम उम्र में सैक्स से होने वाली सामान्य बातों की जानकारी दें.
● टीनऐजर्स के दोस्त बन कर रहें ताकि वे अपनी हर बात आप से खुद शेयर करें और सलाह भी मांगें.
टीनऐजर्स का प्यार करना अनैतिक नहीं है पर इन बातों का भी ध्यान रखें
प्रैगनैंसी होने का खतरा बना रहता है : अगर आप यह सोच रही हैं कि संबध बनाने से पहले आप ने प्रोटैक्शन का यूज किया था इसलिए प्रैगनैंसी का तो सवाल ही नहीं उठता, तो आप को बता दें कि यह उतना भी सेफ नहीं है जितना आप सोच रही हैं.
कई बार ऐक्सीडैंट भी हो जाते हैं. आमतौर पर लड़कियों को 12 साल की उम्र में मासिकधर्म शुरू हो जाता है. एक बार मासिकधर्म शुरू होने के बाद कोई भी लड़की शारीरिक संबंध बनाने के बाद गर्भधारण कर सकती है. लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद कभी भी शारीरिक संबंध बनाने पर प्रैगनैंसी का खतरा हो सकता है. अगर प्रैगनैंट हो गए तो घर पर बताने में भी डर और अगर छिपछिपा कर अबोर्शन करवाने की सोचती हैं तो इस में जान तक का खतरा होता है. इसलिए किसी से रिलेशन बनाने से पहले 100 बार सोचें.
गर्भाशय कैंसर का खतरा
कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने वाली महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
एक रिसर्च के अनुसार, कम उम्र में ही शारीरिक संबंध बनाने के बाद महिलाओं के शरीर में यौन संचारित विषाणुओं की संख्या बढ़ सकती है जिस से सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा मंडराता रहता है.
इन्फैक्शंस का खतरा
इस उम्र में सही जानकारी न होने के कारण यौन संबंध बनाते समय लड़कियां स्वच्छता नहीं बरत पाती हैं, जिस के कारण उन्हें यौन संचारित संक्रमण/रोग (STD), हर्पिस (herpes), एचआईवी एड्स सहित अन्य यौन संचारित बीमारियां होने की संभावना सब से अधिक होती हैं.
दरअसल, यौन संबंध बनाने वाले टीनऐजर्स में सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शंस (एसटीआई) होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है. एसटीआई में सिफलिस, क्लैमाइडिया, एचआईवी या अन्य संक्रमण वाली बीमारियां शामिल हैं.
एक शोध में पाया गया है कि दुनियाभर में चिकित्सीय एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं की चपेट में आने की वजहों में यौन संबंधों से होने वाला संक्रमण सब से प्रमुख वजह है.
शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह शोध दिखाता है कि कम उम्र में यौन संबंधों से एसटीआई से दोचार होने का जोखिम बढ़ता है.
सियोल के योनसेई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए कोरिया के युवाओं का एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण डाटा आजमाया. कोरियन सैंटर्स फौर डिसीज कंट्रोल ऐंड प्रीवेंशन द्वारा सालाना युवाओं का सर्वेक्षण कराया जाता है.
इस विश्लेषण में यौन संबंध स्थापित कर चुके 22,381 नाबालिगों के जवाबों को शामिल किया गया था. इन में से करीब 7.4% किशोरों एवं 7.5% किशोरियों ने एसटीआई से दोचार होने की बात कही.
शोधकर्ताओं ने पाया कि लड़के व लड़कियों दोनों में पहले यौन संबंध के वक्त उम्र कम होने की वजह से सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शंस बढ़ गए.
वैबसाइट ‘यूथ हैल्थ मैग डौट कौम’ की रिपोर्ट के अनुसार, 12वीं कक्षा में पहली बार यौन संबंध बनाने वाले किशोरों की तुलना में 7वीं कक्षा में पहली बार यौन संबंध बनाने वाले किशोरकिशोरियां एसटीआई से 3 गुना ज्यादा प्रभावित हुए.
इस तरह शोधकर्ताओं का कहना है कि कम उम्र में यौन संबंध बनाने से एसटीआई की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है.
कम उम्र में सैक्स करने से ब्रेन विकसित नहीं हो पता
अगर आप कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाते हैं तो इस से आप के दिमाग पर निगेटिव असर पड़ता है और एक तरह से दिमाग विकसित होना बंद हो जाता है. इस उम्र में शारीरिक संबंध बनाने से दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है जिस के कारण शरीर एवं मस्तिष्क दोनों का विकास रुक जाता है.
कम उम्र में यौन संबंध स्थापित करने से मस्तिष्क एवं छोटेछोटे प्रजनन ऊतकों में भी इंटरकोर्स करने के बाद बड़ा परिवर्तन होता है जिस के कारण मस्तिष्क एवं बौडी का विकास प्रभावित होता है. यही कारण है कि कम उम्र में सैक्स करना नुकसानदायक होता है.
डिप्रैशन होने का खतरा भी बना रहता है
इस उम्र के आकर्षण को लड़कियां प्यार समझ बैठती हैं लेकिन एक बार शारीरिक संबंध बनाने के बाद मन भर जाता है और अन्य किसी भी वजह से रिश्ता टूट जाता है तो लड़कियां भावुक हो कर डिप्रैस्ड हो जाती हैं.
एचआईवी एड्स का खतरा
2011 में अमेरिका में जितने भी एचआईवी के केस आए उन में 21% मरीजों की उम्र 13 से 24 साल के बीच थी. यह खतरनाक संकेत है.
आई पिल के साइडइफैक्ट भी बहुत हैं
आई पिल टैबलेट में लेवोनोर्गेस्ट्रेल नामक एक सक्रिय घटक होता है, जो एलएच और एफएसएच हारमोन के उत्पादन को रोकता है. ये हारमोन ओव्यूलेशन को नियंत्रित करते हैं. आई पिल ओव्यूलेशन में देरी या शुक्राणु अंडे के निषेचन को बाधित करने का काम करती है.
लेकिन इस के कई तरह के साइडइफैक्ट्स भी हैं. जैसे मतली, थकान, सिरदर्द, पेट की ऐंठन, मासिकधर्म में अनियमितताएं (विलंबित या शुरुआती मासिकधर्म) लेवोनोर्गेस्ट्रेल, जो महिलाओं में ऐलर्जी पैदा कर सकता है, इस गोली का सक्रिय घटक हैं.
पीरियड्स में यह गड़बड़ी पैदा कर सकता है. यह पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग का कारण बन सकता है. इस से शारीरिक दर्द हो सकता है, जैसे थकान, चक्कर आना वगैरह. इस से स्किन ऐलर्जी भी हो सकती है.
यह अन्य दवाओं के साथ भी खराब प्रतिक्रिया कर सकता है. गोली में पाए जाने वाले हारमोन की भारी मात्रा के कारण इन में से अधिकांश दुष्प्रभाव होते हैं.
आई पिल और कंडोम की कोई गारंटी नहीं
कंडोम प्रैगनैंसी रोकने की 100% गारंटी नहीं देता. शायद आप ने ध्यान न दिया हो लेकिन कंडोम के पैकेट पर भी इस बारे में जिक्र किया गया होता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंडोम लगाने से ले कर आखिर तक उस के इस्तेमाल में होने वाली चूक स्पर्म को रोक नहीं पाती, जो प्रैगनैंसी की वजह बनती है. साथ ही यह भी जरूरी नहीं है कि इस से प्रैगनैंसी रुक ही जाएगी. कई मामलों में आई पिल खाने के बाद भी गर्भ ठहर सकता है. अगर ऐसा हो गया तो आप क्या करेंगी, यह सोच लें.
सैक्स करने के लिए ओयो (OYO) में जाना भी खतरनाक हो सकता है
ओयो में जाना भी सुरक्षित नहीं होता है. वहां ये लोग ऐसे कम उम्र के लड़केलड़कियों को फंसाने के लिए छिपे हुए कैमरे लगाए रखते हैं जिस में सब कुछ रिकौर्ड होता है. ये लोग फिर आप को ब्लैकमेल करते हैं या फिर सोशल मीडिया पर आप के न्यूड वीडियो और फोटो वायरल कर देते हैं. दोनों ही सिचुएशन में आप खतरे में पड़ सकते हैं.
लड़का आप को ले कर अपने दोस्तों में रौब न मारे ऐसा हो नहीं सकता
कई बार लड़के शेखी बघारने के लिए लड़की के साथ अपने ऐसे वीडियो बनाते हैं और फोटो लेते हैं ताकि अपने दोस्तों में रौब झाड़ सकें. ऐसा होता है तो बदनामी लड़की की होती है. इस के आलावा जहां आप जा रहे हो वहां सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं. आप इकठे कहीं हाथ पकड़ कर जा रहे हों तो कहीं न कही रिकौर्ड हो रहा है. इसलिए आप बच नहीं सकते. इसलिए जो भी करें सोचसमझ कर ही.