देश में औरतों के साथ दोगले और घटिया व्यवहार की एक वजह है कि समाज आमतौर पर पीडि़ता से इतने सवाल पूछता है कि उसे लगता है कि शायद वही गलत थी. राहुल गांधी को अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई लड़कियां मिलीं, जिन्होंने यात्रा में चलतेचलते राहुल गांधी से उन के साथ हुए कुछ साल पहले बलात्कारों का जिक्र किया और यह भी कहा कि पारिवारिक रोक के कारण वे न तो जोर से इस बात को कह पाईं और न ही पुलिस तक जा पाईं.

यह जानकारी राहुल गांधी को शिकायत के तौर पर दर्ज नहीं की गई थी, यह एक सामाजिक जानकारी थी, जिस का जिक्र राहुल ने अपने कई भाषणों में किया तो नरेंद्र मोदी की सरकार तिलमिला गई और उस ने दिल्ली पुलिस को लगा दिया कि उन लड़कियों के नाम, मोबाइल, पते, घटना के वर्ष, दिन के बारे में बताए. वह पुलिस जो थाने में आए शिकायत करने वाले लोगों की एफआईआर नहीं लिखती दलबल के साथ राहुल गांधी के घर पहुंचने लगी कि पूरी जानकारी दो.

राहुल गांधी ने जो बताया वह तो आधाअधूरा होना ही था. अब पुलिस कह रही है कि राहुल ने सहयोग नहीं दिया. कोई बड़ी बात नहीं कि दिल्ली पुलिस राहुल गांधी पर अपराध की जानकारी होने पर भी सूचना न देने का आरोप मढ़ दे. इंडियन पीनल कोड में यह भी एक अपराध है.

हर पत्रिका, समाचारपत्र के पास ऐसे पत्र आते रहते हैं जिन में औरतें गुमनाम शिकायत करती हैं कि उन के साथ बचपन में कैसे रेप हुआ और कैसे घर वालों ने उन का मुंह बंद करा दिया कि बात करने से घर की बेइज्जती होगी और फिर शादी भी नहीं होगी. वर्षों बाद भी लड़कियां उस दर्द को नहीं भूलीं, शायद इसलिए कि समाज उन्हें ही पापिन मानता है और वे अपराधबोध से ग्रस्त रहती हैं.

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