राष्ट्रपति चुनावों की बहस में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड  ट्रंप ने खुल्लमखुल्ला भारत के फिल्दी और पौल्यूटेड एअर वाला कह कर देश की पोल खोल दी है.

ऐसा नहीं कि हम नहीं जानते कि देश गंदा नहीं, बेहद गंदा है और अगर कहा जाए कि मकानों के अंदर का हिस्सा छोड़ दें तो पूरा देश गंदगी के ढेर पर ही बैठा है तो गलत न होगा.

हमारे यहां हर घरवाली को बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है कि अपने घर का कूड़ा या तो पड़ोसी के दरवाजे पर डालो और अगर पड़ोसी चूंचूं करने वाला हो तो सड़क पर, बाग में, किसी खाली प्लाट पर डाल दो. 500 या 1000 गज के मकानों के पीछे बने सर्वैंट क्वार्टर वालों से कहा जाता है कि अपना कूड़ा पीछे खिड़की से डाल दो. नईनवेली मांओं को कहा जाता है कि डायपर को कूड़ेदान में नहीं किसी बाग में डालो क्योंकि उठाने वाला चूंचूं करता है.

सड़क पर चलते हुए हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह कहीं भी पेशाब कर ले. थूकने का हक तो इतना अधिक है कि पांचसितारा होटलों के जीनों के कोनों को भी नहीं छोड़ा जाता. पान खाने वाला देश गर्व से कहीं भी थूक सकता है, जहां बैठा काम कर रहा है वहीं से 2-3 फुट दूर पिचकारी मार कर भी जमीन लाल कर सकता है.

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इस देश में भारत अमर रहे, जय हिंद, महान राष्ट्र के नारे सड़कों पर नहीं लिखे जाते, यहां लिखा जाता है कि यहां पेशाब करना मना है, यहां गधे पेशाब करने वाले हैं और वहीं पेशाब की बदबू भरी होती है.

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