नए साल का मतलब केवल पार्टी, धूमधड़ाका और कैलेंडर बदलना भर नहीं होता. नए साल से नई शुरुआत होती है. जीवन समय की गणना नए साल से होती है. नए साल में ही जन्मदिन आता है. नए साल के अवसर पर पार्टी, धूमधड़ाका और शुभकामनाओं की शुरुआत के साथ हम कुछ न कुछ ऐसा संकल्प लें जो केवल हमारे भविष्य के लिए ही अच्छा न हो, बल्कि हम समाज को कुछ अलग दे भी सकें.

देश में युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. दुनियाभर की बात करें तो सब से अधिक युवा हमारे देश में हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. युवा देश की सब से बड़ी ताकत हैं. इस के बाद भी युवाओं की ऊर्जा का सही प्रयोग नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि युवाओं को खुद अपना रास्ता तय करना चाहिए. नए संकल्प से युवा एक बदलाव की शुरुआत कर सकते हैं.

आज के दौर में युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर बदल रहे हैं. केवल पढ़ाई कर के सरकारी नौकरी के बल पर आगे बढ़ने का साधन सीमित रह गया है. युवाओं की मुख्य परेशानी यह है कि वे खुद को काबिल नहीं बनाना चाहते. वे जल्दी से जल्दी नौकरी हासिल कर के अपने सुखद भविष्य का सपना देखते रहते हैं.

हाल के कुछ सालों को देखें तो युवाओं में नौकरियों के लिए चाहत बढ़ रही है. इस कारण ही वे आरक्षण का विरोध, नौकरियों के लिए धरनाप्रदर्शन, सबकुछ करने को तैयार रहते हैं. नौकरियों की चाहत के चलते युवाओं को तरहतरह के शोषण का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में अगर युवा अपने कैरियर की दिशा पहले से ही तय कर लें तो बेहतर रहता है. नए साल के संकल्प ऐसे में बहुत काम के होंगे.

  1. कैरियर से समाज का भला करना

निफ्ट यानी नैशनल इंस्टिट्यूट औफ फैशन टैक्नोलौजी से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही आशा दीक्षित कहती हैं कि आज के समय में फैशन डिजाइनिंग की डिमांड बहुत बढ़ रही है. नौकरियों से अलग लोग अपने ब्रैंड शुरू कर रहे हैं. इस के जरिए युवा अपने कैरियर को जल्द ही एक पहचान दिला पा रहे हैं. हम केवल खुद का नाम ही नहीं रोशन कर रहे, तमाम लोगों को नौकरियां भी दे रहे हैं. नए फैशन ब्रैंड का ही प्रभाव है कि आज के समय में बड़ेबड़े फैशन ब्रैंड तक बजट के अंदर अपने डिजाइन सैल करने को मजबूर हो रहे हैं. पहले यही डिजाइनर केवल बड़े फिल्मस्टार और बिजनैस सैलिब्रिटी के लिए ही कपड़े डिजाइन करते थे. तब इन की कीमत भी बहुत होती थी. युवा डिजाइनरों के आने से आज यह बदलाव हुआ है कि कम बजट में भी लोग डिजाइनर वियर पहन रहे हैं. एक डिजाइनर के रूप में उन का संकल्प है कि वे छोटेबड़े हर बजट के डिजाइन तैयार करें.

आशा दीक्षित आगे कहती हैं, ‘‘आज के युवा पहले से अधिक सामाजिक होते जा रहे हैं. वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझ रहे हैं. पढ़ाई के साथ उन का प्रयास होता है कि वे दूसरे बच्चों को भी शिक्षा दे सकें. मैं भी ऐसे लोगों को खासकर अपनी उम्र के लड़केलड़कियों को फैशन का मतलब समझाना चाहती हूं जिस से कि वे भी नए दौर के साथ खुद को अपडेट रख सकें. शिक्षा के जरिए ही युवाओं को अपडेट रखना चाहती हूं.

‘‘मेरा प्रयास यह होगा कि मैं अपनी पहचान से अपने परिवार को गर्व करने लायक कुछ दे सकूं. मेरे परिवार में लड़कालड़की का कोई भेदभाव नहीं है. यही मैं हर घर में होते देखना चाहती हूं. बच्चे पेरैंट्स के साथ अपने ग्रैंड पेरैंट्स को भी महत्त्व दें, उन के साथ सामंजस्य बना कर रखें, यह संकल्प नए साल में हमें लेना है. इस से बच्चों को ग्रैंड पेरैंट्स के अनुभवों का लाभ मिल सकता है. ग्रैंड पेरैंट्स को भी खालीपन नहीं लगेगा. उन के अनुभव और युवाओं की सोच नई राह दिखा सकते हैं.’’

2. लोगों को जागरूक करना

मौडलिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर संवार रही संजना मिश्रा कहती हैं, ‘‘मौडलिंग और ऐक्ंिटग के क्षेत्र में कदम रखने से पहले मैं ने यह सोच लिया कि मुझे क्या करना है और क्या नहीं? यह मैं ने अपने बायोडाटा पर साफ लिख भी दिया है. आमतौर पर इस फील्ड में आने वाली लड़कियों में इस बात को ले कर कंफ्यूजन रहता है कि वे क्या करें और क्या न करें? इस का लाभ दूसरे लोग उठा कर बरगलाते हैं.’’ संजना साल 2015 में मिस यूपी रनरअप, मिस मौडल 2016 विनर रही हैं. ब्यूटीफुल स्माइल और ‘चार्मिंग फेस’ जैसे अवार्ड भी हासिल किए. इस के बाद प्रिंट शूट और रैंप शो भी किए. कई कार्यक्रमों में ऐंकर की भूमिका निभा चुकी संजना अपने नए साल के संकल्प को ले कर कहती है कि उन्हें अपने काम पर फोकस करना है जिस गति से उन्होंने अपने काम को आगे बढ़ाया है उसे और आगे ले जाना है.

संजना कहती हैं, ‘‘मैं अपने क्षेत्र में काम करने वाली लड़कियों को जागरूक करना चाहती हूं ताकि वे पूरी तैयारी के साथ यहां आएं. फैशन की दुनिया में खराबी नहीं है. यहां आने वाले को तय करना होता है कि वह अपनी मेहनत से आगे बढ़ना चाहता है या शौर्टकट रास्ते से. शौर्टकट रास्ते में शुरुआती सफलता दिखती है पर यह चमक चार दिन की होती है. कई बार इस में उलझ कर लोग सबकुछ खत्म कर बैठते हैं. ऐसे में अपनी मेहनत से आगे बढ़ें, यही सब से मजबूत रास्ता होता है.

‘‘आज के समय में फैशन का क्षेत्र बहुत बढ़ा हुआ है. फिल्मों में वैब सीरीज का चलन बढ़ा है. टीवी में ऐक्ंिटग की जरूरतें बढ़ी हैं. रैंप शो और डिजाइनर शूट बढ़ गए हैं. ऐसे में, यह कैरियर पहचान और पैसा दोनों दिलाने में सक्षम है.’’

3. अलग पहचान बनाने का संकल्प

फैशन के क्षेत्र में ही कैरियर बना चुकी साक्षी शिवानंद कहती हैं, ‘‘मैं पढ़ाई और ऐक्टिंग एकसाथ करना चाहती हूं. मेरा फोकस फैशन शो के अलावा ऐक्ंिटग पर है. मेरा संकल्प है कि मैं अपने कैरियर में ऐक्टिंग को आगे बढ़ाऊं. छोटे शहरों में फैशन फील्ड को ले कर रूढि़वादी सोच हावी रहती है. हमें इस से बाहर निकलना है. तभी हम कुछ नया सोच सकते हैं. छोटे शहरों की लड़कियां भी किसी से पीछे नहीं हैं, यह साबित करने का संकल्प इस साल लेना है. मैं छोटे शहरों की लड़कियों को मैसेज देना चाहती हूं कि जब वे फैशन के फील्ड में आएं तो सारे हालात को समझ कर आएं. जिस से उन के सामने असहज हालात न बनें. लड़कियों के साथ उन के पेरैंट्स को भी यह समझ लेना चाहिए. अगर पेरैंट्स समझ लेंगे तो वे अपने बच्चों के सही फैसलों में साथ खड़े होंगे और गलत फैसलों में उन को राह दिखाएंगे.’’

अंशिका वर्मा शेफ बनना चाहती हैं. वे कहती हैं, ‘‘मेरा संकल्प है कि इस साल हर माह में एक नई डिश पर काम करूं और उस को नए रूप में सामने लाऊं. आज के समय में लड़कियों के सामने कई अवसर मौजूद हैं. वे खुद की पहचान बना सकती हैं. पेरैंट्स भी आजकल जागरूक हैं. वे बच्चों की उम्मीदों  का खयाल रखते हुए उन को सहयोग करते हैं. ऐसे में बच्चों की भी जिम्मेदारी है कि  वे पेरैंट्स की उम्मीदों को तोड़ें नहीं. किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए मेहनत के साथ नए इनोवेशन की जरूरत होती है. ऐसे में युवाओं का ज्ञान बढ़ाना चाहिए. आज के समय में युवाओं में सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ गया है. सोशल मीडिया का अपना एक दायरा है. यह सूचना क्रांति का दौर है. सोशल मीडिया का प्रयोग सूचनाओं के आदानप्रदान तक ठीक है. नए प्रयोगों, जानकारियों और विचारों के लिए पढ़ना व समझना जरूरी होता है, तभी आगे बढ़ा जा सकता है.’’

अंशिका आगे कहती है, ‘‘नए साल में हमारा संकल्प है कि हम अपने विचारों के आदानप्रदान के लिए पढ़ना शुरू करें. किसी भी विषय में बिना तर्क के उस का अनुसरण नहीं करना चाहिए. सोशल मीडिया तर्क से बचता है और अफवाहों को फैलाता है, ऐसे में अपने तर्कसंगत विचारों के साथ किसी घटना को हम समझेंगे तो अफवाहों के दौर से बाहर निकल सकेंगे.’’

यह सच है कि आज हर कोई युवाओं को केवल सोशल मीडिया के प्रचार से भरमाना चाहता है. ऐसे में जरूरी है कि युवा अफवाहों से बचें और तर्कसंगत विचारों के साथ आगे बढ़ें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...