FRAGRANCE : सुगंध और खुशबू अदृश्य हो सकती हैं, लेकिन ये हमारे व्यस्त जीवनशैली के हर पहलू में शामिल हैं. रेचल हर्ट्ज ने अपनी किताब ‘द सेंट औफ डिजायर ’ में फ्रैगरेंस से हमारे मूड, स्वास्थ्य, खुश रहने को जोड़ा है, जिसे व्यक्ति रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस करता है.

उन्होंने कहा है कि किसी फ्रैगरेंस का तब तक कोई व्यक्तिगत महत्त्व नहीं होता, जब तक वह किसी ऐसी चीज से न जुड़ जाए, जिस का कोई अर्थ हो. आप के आसपास का कोई भी व्यक्ति अगर अच्छी परफ्यूम लगा कर आता है, तो अपने शुरुआती अनुभव के साथ आप नर्वस सिस्टम से कनैक्शन बनाना शुरू कर देते हैं, जो महक को व्यक्ति की भावनाओं के साथ जोड़ देता है.

आप जब किसी अवसर पर कहीं जाते हैं, तो खुशबू का प्रयोग करना नहीं भूलते, क्योंकि अच्छी खुशबू केवल आप को ही नहीं, बल्कि आप के आसपास के लोग भी उस से प्रभावित होते हैं, जिस से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति अधिक आकर्षक लगने लगता है.

साइंस क्या कहती है

असल में सुगंध मस्तिष्क के न्यूरोलौजिकल मार्ग के माध्यम से भावनात्मक केंद्रों से जुड़ी होती है. यह ठीक उसी तरह होता है, जैसा अगर आप ने नोटिस किया होगा कि किसी कमरे में चलते हुए हमें तुरंत बहुत शांत और ऊर्जावान महसूस होने लगता है, जैसा अधिकतर लैवेंडर, साइट्रस जैसी कोई भी खुशबू का सीधे मस्तिष्क के लिंबिक सिस्टम तक पहुंचने की वजह से होती है, जो भावनाओं और यादों का केंद्र होता है और तुरंत एक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया पैदा करती है.

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