Nanad-Bhabhi: जब बात पिता की प्रौपर्टी में से बेटी को हिस्सा देने की आती है, तो कहीं न कहीं भाभी के मन में एक कसक पैदा हो जाती है कि ननद को प्रौपर्टी में हिस्सा क्यों? हालांकि वह चाह कर भी कुछ कह नहीं पाती है, लेकिन ननद के प्रति उस के व्यवहार में बदलाव जरूर आ जाता है.
ऐसा ही मुकेश ने भी किया अपने मातापिता की मृत्यु के बाद और प्रौपर्टी में अपनी बहन कविता का भी हिस्सा कर दिया. यह देख कर उस की पत्नी सीमा नाराज हो गई. उसे लगा कि अब उन के बच्चों का हिस्सा कम हो जाएगा. भाभी के बदले हुए इस रूप को देख कर कविता ने सीमा से कहा,“भाभी, मुझे बस अपना हक चाहिए ताकि किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े. यह घर हमेशा आप का ही रहेगा.”
परिवार केवल खून के रिश्तों का नाम नहीं है, बल्कि प्रेम, सहयोग और समझदारी से बने उस बंधन का नाम है जो सब को जोड़े रखता है. बदलते जमाने में जब बेटियों को भी मातापिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिलने लगा है, तब कई घरों में ननदभाभी के रिश्ते में खटास आ जाती है. लेकिन अगर भाभी चाहे तो इस रिश्ते को पहले की तरह ही मधुर और सम्मान से भरा रख सकती है.
संपत्ति से बड़ा है रिश्ता
यह सच है कि जब ननद को भी अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलता है, तो घर में कई बार आर्थिक तनाव पैदा हो जाते हैं. लेकिन भाभी को समझना चाहिए कि यह उस का अधिकार है और उस के अधिकार को सम्मान देना ही परिवार की एकता और खुशहाली के लिए जरूरी है.
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