बहुत से वर्किंग मातापिता की चिंता होती है कि नौकरी के साथ बच्चों के स्कूल की टाइमिंग को कैसे संभालेंगे. जब बच्चे छोटे होते हैं तो यह दिक्कत ज्यादा होती है. इस कारण कई बच्चे देर से स्कूल जाते हैं, तो कई बार मां को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है. जो महिलाएं प्राइवेट सैक्टर में हैं शादी के बाद उन पर यह दबाव रहता है कि नौकरी छोड़ दें. कई महिलाओं को ऐसा करना भी पड़ता है, जिस के कारण वे वर्किंग लेडी से हाउसवाइफ बन जाती हैं. इस से महिलाओं की पूरी क्षमता का लाभ देश, समाज और घरपरिवार को नहीं मिल पाता है.

आज लड़कियों की शिक्षा में भी अच्छाखासा पैसा खर्च होता है. इस के बाद शादी कर के वे हाउसवाइफ बन कर रह जाएं तो वह शिक्षा बेकार हो जाती है. महिला सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी क्षमता भर काम करें. इस के लिए देश और समाज को भी ऐसे वातावरण को तैयार करना चाहिए, जिस से घरपरिवार  बच्चों के साथ महिलाएं अपना कैरियर भी देख सकें. स्कूल की टाइमिंग में बदलाव इस दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव होगा.

औफिस और स्कूल का समय एक हो

अगर स्कूल के समय और औफिस वर्किंग आवर्स में समानता हो तो महिलाओं के लिए काम के साथसाथ बच्चों को स्कूल छोड़ने में दिक्कत नहीं होगी. स्कूल की टाइमिंग सुबह 10 बज कर 30 मिनट से शुरू हो और शाम 5 बजे बंद हो. यही समय औफिस का भी हो, जिस से कोई भी वर्किंग महिला अपने साथ बच्चे को ले जाकर स्कूल छोड़ सके और जब औफिस से आए तो स्कूल से वापस घर ला सके.

ऐसे में महिलाओं का औफिस और जाते समय यह चिंता नहीं होगी कि वह नहीं रहेगी तो बच्चे की देखभाल कैसे होगी?

आज के समय में बच्चों का स्कूल सुबह 7 बज कर 30 मिनट से होता है. 1 से 2 बजे के बीच बच्चों की छुट्टी हो जाती है. बच्चे घर आते हैं. अगर घर में कोई देखभाल करने वाला नहीं है तो मातापिता को इस बात की चिंता होती है कि बच्चा घर में अकेले कैसे रह रहा होगा. कोई ऐसा काम न कर बैठे जो उस के लिए गलत हो जाए. कई लोग इस के लिए नौकरों और घरपरिवार वालों का सहयोग लेते हैं.

सुरक्षित रहेंगे बच्चे

कुछ मातापिता बच्चों को क्रेच में छोड़ते हैं. कई स्कूलों में यह व्यवस्था होती है कि स्कूल के बाद भी कुछ बच्चे जब तक मातापिता लेने न आएं स्कूल में रुके रहते हैं. यह हर व्यवस्था स्थायी और अच्छी नहीं होती है. नौकरों के भरोसे छोड़ने में दिक्कत होती है. उन को अलग से पैसा भी देना पड़ता है. क्रेच में अधिकतर जगहों पर होते नहीं हैं. जहां हैं भी बहुत अच्छे नहीं होते. छुट्टी के बाद स्कूलों में बच्चे बहुत सुरक्षित नहीं रहते हैं.

इन समस्याओं का एक ही हल है कि बच्चों के स्कूल का समय बदला दिया जाए. स्कूल और औफिस का समय एकसाथ कर दिया जाए, जिस से औफिस जाते समय मातापिता बच्चों को स्कूल जा कर छोड़ दें और जब औफिस से घर आएं तो बच्चों को स्कूल से साथ लेते हुए घर आएं.

इस के 2 लाभ होंगे- एक तो बच्चे को रोकने के लिए कोई पैसा खर्च नहीं होगा उस के साथ ही साथ औफिस में काम कर रहे मातापिता इस चिंता से भी मुक्त रहेंगे और औफिस में सही तरह से काम कर सकेंगे.

बच्चों के स्कूल टाइमिंग को बदलने से कोई दिक्कत नहीं होगी. स्कूल अपनी समय सीमा में ही खुलेंगे. अंतर केवल इतना होगा कि वे सुबह नहीं खुलेंगे. बच्चे सब से अधिक मातापिता के साथ ही सुरक्षित होते हैं. ऐसे में जब मातापिता ही घर से स्कूल छोड़ेंगे और वे ही छुट्टी के बाद घर लाएंगे तो किसी को कोई असुविधा नहीं होगी.

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