रूसयूक्रेन युद्ध का मंजर दिल दहलाने वाला है. करीब 2 महीनों से जारी युद्ध की विभीषिका बढ़ती ही जा रही है. यह लड़ाई अब रूस और यूक्रेन के बीच नहीं बल्कि दुनिया की 2 बड़ी ताकतों- रूस और अमेरिका के बीच होती स्पष्ट दिखाई दे रही है. यह लड़ाई तीसरे विश्वयुद्ध का संकेत देती भी नजर आ रही है. इस आशंका ने दुनियाभर की औरतों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि युद्ध कोई भी लड़े, कोई भी जीते, मगर उस का सब से बड़ा खमियाजा तो औरतों को ही भुगतना पड़ता है.

रूस के बारूदी गोलों और मिसाइलों ने यूक्रेन को राख के ढेर में तबदील कर दिया है. लोगों के घर, कारोबार, दुकानें, फैक्टरियां सबकुछ युद्ध की आग में भस्म हो चुका है. युवा अपने देश को बचाने के लिए सेना की मदद कर रहे हैं तो औरतें, बच्चे, बूढ़े अपना सबकुछ खो कर यूक्रेन की सीमाओं की तरफ भाग रहे हैं ताकि दूसरे देश में पहुंच कर अपनी जान बचा सकें.

एक खबर के अनुसार अब तक करीब 70 लाख यूक्रेनी पड़ोसी देशों पोलैंड, माल्डोवा, रोमानिया, स्लोवाकिया और हंगरी में शरण ले चुके हैं. इन शरणार्थियों में औरतों और बच्चों की तादात सब से ज्यादा है. युद्ध की विभीषिका सब से ज्यादा महिलाओं को भुगतनी पड़ती है. युद्ध के मोरचे के अलावा घरेलू मोरचे पर भी.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि सभी संकटों और संघर्षों में महिलाएं और लड़कियां सब से अधिक कीमत चुकाती हैं. म्यांमार, अफगानिस्तान से ले कर साहेल और हैती के बाद अब यूक्रेन का भयानक युद्ध उस सूची में शामिल हो गया है. हर गुजरते दिन के साथ यह महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी, उम्मीदों और भविष्य को बरबाद कर रहा है. यह युद्ध गेहूं और तेल उत्पादक 2 देशों के बीच होने की वजह से दुनियाभर में जरूरी चीजों तक पहुंच को खतरा पैदा कर रहा है और यह महिलाओं और लड़कियों को सब से कठिन तरीके से प्रभावित करेगा.

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