आज के समय में शराब की शौकीन महिलाओं की कमी नहीं है. पहले कुछ महिलाएं ही इस लत को अपनाती थीं मगर अब पुरुषों के कंधे से कन्धा मिला कर औरतें भी इस का मजा लेती हैं. कभी लेट नाईट पार्टी, कभी कुछ जीत जाने का जश्न, कभी अधिक काम का प्रेशर और कभी पुराने दोस्त से मिलने की ख़ुशी. कभी ब्रेकअप का दर्द तो कभी प्यार हासिल कर लेने की मस्ती. कहने का मतलब यह है कि आज औरतों के पास मदिरा गटकने के बहानों की कमी नहीं है. एक दो ड्रिंक्स में उन का दिल नहीं भरता तो बहुत से ड्रिंक्स ले कर होशोहवास खोने का मजा लेती हैं.

क्या कहता है रिसर्च

लेकिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार शराब यानी अल्कोहल का सेवन करना किसी भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद नहीं होता है. अल्कोहल की एक बूंद भी सेहत के लिए खतरे पैदा कर सकती है. एक हालिया रिसर्च भी इसी बात का दावा कर चुकी है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (ACC) की एक स्टडी में पता चला है कि रोजाना शराब पीने वाली महिलाओं को अन्य की तुलना में हार्ट डिजीज का खतरा कई गुना ज्यादा होता है.

इस स्टडी के अनुसार जो महिलाएं प्रतिदिन ज्यादा शराब का सेवन करती हैं उनमें मध्यम मात्रा में शराब पीने वाली महिलाओं की तुलना में हार्ट डिजीज का खतरा 45% अधिक हो सकता है. जबकि ज्यादा शराब पीने वाले पुरुषों में मॉडरेट ड्रिंकिंग वाले पुरुषों की तुलना में हार्ट डिजीज का खतरा 22% अधिक होता है. इस अध्ययन से पता चलता है कि युवा से लेकर मध्यम आयु वर्ग की जो महिलाएं हर सप्ताह 8 या इस से ज्यादा अल्कोहल वाली ड्रिंक्स पीती हैं उनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा काफी अधिक था. खास बात यह रही कि स्टडी में महिलाओं में शराब और हृदय रोग के बीच मजबूत संबंध देखने को मिला.

शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में 430,000 से अधिक लोगों के डेटा का विश्लेषण किया जिसमें 243,000 पुरुष और 189,000 महिलाएं शामिल थीं. अध्ययन की शुरुआत में प्रतिभागियों की उम्र औसतन 44 वर्ष थी और उन्हें हृदय रोग नहीं था. यह अध्ययन 18 से 65 वर्ष के वयस्कों पर केंद्रित था और यह शराब व हृदय रोग के बीच संबंधों की जांच करने वाले अब तक के सबसे बड़े अध्ययनों में से एक है. महिलाओं में शराब पीने का ट्रेंड पिछले दशकों की तुलना में काफी बढ़ गया है. इसका खतरनाक असर उनकी सेहत पर देखने को मिल रहा है.

वैसे तो जब अत्यधिक शराब पीने की बात आती है तो अधिक शराब पीने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों में हृदय रोग का खतरा अधिक होता है. यह देखा गया है कि शराब से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन होता है. लेकिन महिलाएं पुरुषों की तुलना में शराब को अलग तरह से प्रोसेस करती हैं.

शोध में पाया गया है कि युवा से लेकर मध्यम आयु वर्ग की महिलाएं जो एक दिन में एक से अधिक शराब पीती हैं उनमें कोरोनरी हृदय रोग विकसित होने की संभावना 29% से 45% अधिक होती है जो महिलाएं अत्यधिक शराब पीती हैं या दिन में तीन या अधिक बार शराब पीती हैं, उनमें कोरोनरी हृदय रोग विकसित होने की संभावना 68% अधिक होती है.

चूंकि महिलाएं और पुरुष शराब का चयापचय अलग अलग तरीके से करते हैं इसलिए महिलाओं को विशेष रूप से जोखिम होता है

कोरोनरी हृदय रोग तब होता है जब प्लाक नामक वसायुक्त पदार्थ हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में जमा हो जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है. यह स्थिति हृदय रोग का सबसे आम रूप है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए मृत्यु का प्रमुख कारण है .

दिल की सुनें या सेहत की सोचें

अब यहाँ सवाल यह उठता है की महिलाएं अपने दिल की सुनें या दिल की फ़िक्र करें. दिल कहता है जिंदगी जी ले और जमाने की परवाह न कर. आजादी के रास्तों पर चल और वह सब कुछ कर जो तेरा दिल करे. वाइन लेना भी तो आजादी की तरफ महिलाओं के बढ़ते क़दमों का ही एक तरीका है. अपने हिसाब से जीने और ज़माने को पीछे छोड़ जाने की जिद का एक नमूना. वह क्यों परवाह करें जमाने की. अपने शर्तों पर जीने की ख़ुशी ही अलग होती है. मदहोश हो कर सब कुछ भूल जाने का अंदाज ही अलग होता है. अब अगर दिल धोखा दे तो वे क्या करें? क्या सुरापान के बिना उन की जिंदगी बोरियत भरी और बोझिल नहीं हो जाएगी?

फॅमिली पार्टीज हो, ऑफिस पार्टीज या फिर कॉलेज पार्टीज, दोस्तों के साथ मस्ती करने का अंदाज हो या फिर बॉयफ्रेंड के साथ शानदार डेट, किटी पार्टी हो या बेस्टी की मैरिज पार्टी, आखिर शराब के बिना कहीं काम कहाँ चलता है ? यानी शराब को टाटा कह कर क्या वे फिर से अपनी बोरियत भरी जिंदगी के पहलू में समा जाएं या फिर 10 साल ज्यादा जीने का मोह छोड़ बस आज जीने का मजा लें ? शराब एक लिमिट में ले कर सेहत का भी ख़याल करें या फिर बस उन लम्हों में बहते चले जाएं , यह फैसला तो अब महिलाओं को खुद ही करना है. हमारा काम तो बस जानकारी से रूबरू कराना था.

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