मुंबई के जय हिंद कालेज से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद गरिमा ने फील्ड में भी काम किया, लेकिन इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि वे जो कर रही हैं उस में उन्हें मजा नहीं आ रहा.

कैरियर और पैशन को ले कर गरिमा बताती हैं, ‘‘पत्रकारिता के दौरान मैं ने अपने अंदर छिपे कुकिंग के पैशन को पहचाना. दरअसल, कुकिंग से मेरा परिचय मेरे पापा ने बहुत कम उम्र में ही करा दिया था. फिर मैं ने पैरिस के कलिनरी स्कूल से कुकिंग का कोर्स करने का फैसला किया.’’

इस के बाद गरिमा ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और मिशलिन स्टार हासिल करने वाली भारत की पहिला महिला शैफ बनीं.

शैफ ही बनना था

पैरिस से कोर्स करने के बाद गरिमा ने रैस्टोरैंट्स में काम किया और कुकिंग के साथसाथ इस व्यवसाय की बारीकियों को सीखा. गरिमा कहती हैं, ‘‘मेरे दिमाग में हमेशा यह रहता था कि मुझे शैफ ही बनना है. मुझे कलिनरी की पढ़ाई के दौरान ही यह पता चल चुका था कि कुकिंग बिजनैस में कैरियर बनाना है तो शुरुआत जल्दी करनी होगी. इस के लिए मैं ने काफी रिसर्च भी की.’’

ऐसा नहीं है कि यह यह सब गरिमा के लिए बहुत आसान था. कैरियर की शुरुआत में भी और शैफ बनने के बाद भी चुनौतियां आती रहीं. सब से बड़ी चुनौती को याद करते हुए गरिमा बताती हैं, ‘‘कोविड-19 के समय रैस्टोरैंट को चलाना, स्टाफ को समय से पैसा देना और डाइनिंग में आए नए बदलाव को समझना बेहद मुश्किल था. हमें रेवेन्यू बढ़ाने के नए तरीकों के बारे में जल्दी सोचना था क्योंकि अपनी टीम की जिम्मेदारी भी हमारी ही थी. इस दौर ने हमें यह समझने का मौका दिया कि हम अंदर से मजबूत हैं और चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.’’

संघर्ष जैंडर नहीं देखता

गरिमा का कहती हैं, ‘‘पुरुष हो या महिला दोनों के लिए चुनौतियां अलगअलग होती हैं. महिलाओं के जीवन में संघर्ष थोड़ा ज्यादा होता है. उन्हें उन पाबंदियों से भी जूझना पड़ता है जो समाज ने उन के लिए बना दी हैं और जिन मदरहुड और कैरियर के बीच तालमेल बैठाने के लिए उन्हें आज भी कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं. महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन के आसपास के लोगों को उन की मदद करनी चाहिए.’’

गा की शुरुआत

हर शैफ का सपना होता है कि उस का अपना बेहतरीन रैस्टोरैंट हो. गरिमा का भी सपना था कि अपनी स्वाद की समझ को एक नई पहचान, एक नया नाम दें. इस तरह शुरू हुआ यानी गरिमा का रैस्टोरैंट.

गरिमा कहती हैं, ‘‘गा का खयाल मुझे अचानक उस समय आया जब मैं थाईलैंड में एक दिन वाक कर रही थी. मुझे थाईलैंड के जायकों में भारतीय खानपान की झलक दिखाई देती थी. फिर जब मुझे रैस्टोरैंट खोलने में मदद करने के लिए इनवैस्टर भी मिल गया तो फिर मैं ने अपने सपने को सच में बदलने का काम शुरू कर दिया.’’

फिटनेस का भी रखें ख्याल

गरिमा अपने पैशन को जीने के साथसाथ अपनी फिटनैस का भी ध्यान रखती हैं. हफ्ते में 5 दिन वर्कआउट करना गरिमा कभी मिस नहीं करतीं. वे हमेशा ऐसे खाने पर प्रयोग करती रहती हैं जो सेहत के लिए अच्छा हो.

गरिमा महिलाओं को संदेश देते हुए कहती हैं, सेहतमंद खानपान शरीर और दिमाग दोनों को मजबूत बनता है और जब ये दोनों मजबूत रहते हैं तो आप की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है. इसलिए अच्छा बनाएं, अच्छा खाएं और हमेशा फिट रहें.

मास्टर शेफ की जज

गरिमा इन दिनों मास्टरशैफ शो के नए सीजन में बतौर जज नजर आ रही हैं. खास बात यह है कि इस शो के प्रतिभागियों को कुकिंग टिप्स देने के साथसाथ गरिमा उन का हौसला भी बढ़ाती हैं. शो की महिला प्रतिभागी गरिमा को अपना रोल मौडल मानती हैं. वे हमेशा प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहती हैं, ‘‘हमारे देश के खाने में जितनी विविधता है उतनी किसी देश के खाने में नहीं. आप लोग इस विविधता को अपनी लगन से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जरूर ले जाएं.’’

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