वर्क फ्रौम होम कल्चर ने उन औरतों के लिए नए दरवाजे खोलें हैं जिन्होंने पहले परिवार में बच्चों और बूढ़ों को देखने के लिए अच्छे कैरियर के बावजूद नौकरियां छोड़ी हैं. जौब्स फौरहर पोर्टल की एक रिपोर्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार 300 बड़ी कंपनियों ने ऐसी मेधावी शिक्षित व स्मार्ट औरतों के अवसर देने शुरू किए हैं जो पहले से खासी ट्रेन की जा चुकी हैं और उन से व्यवहार करना पुरुषों से ज्यादा आसान होता है.

इन औरतों के घर संभालते हुए बाहर के काम करने की डबल आदत पहले से होती है और ये पुरुषों की तरह आलसी और क्रिकेट मैच के लिए टीवी के सामने बैठने वाली भी नहीं हैं. जिनकी योग्यता अच्छी है वे सोप ऊपेरा टाइप की सास बहू धारावाहिकों के चक्कर में भी नहीं रहते. आज की शिक्षित युवा औरतों को अपने व्यक्तित्व की ङ्क्षचता ज्यादा होती है.

अगर टैक्रोलौजी ने औरतों को आज भी घर की किचन और बेड से छुटकारा नहीं दिलाया है तो वर्क फ्रौम होम अवश्य उन के जीवन में क्रांति ला देगा और वर्षों की जम कर की गई पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी.

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बस ऐसी औरतों को यह ध्यान रखना होगा कि वे धर्म के चक्करों में न पड़ें. आजकल कोविड के जमाने में पंडों के जुल्म पर प्रवचन सुनाने शुरू कर दिए हैं, औन लाइन दान  देना शुरू कर दिया है, औन लाइन पाखंडी क्रियाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है. पुरुषों के लिए तो धर्म जरूरी है क्योंकि उसी के सहारे वे वर्ण व्यवस्था को वापस रखते हैं. ङ्क्षहदूमुसलिम कर के राजनीति करते हैं, ......... और ............ खेलते हैं, औरतें के रीतिरिवाजों के चक्करों में बांधतें हैं. नौकरियां मिलने पर घर में ही रह कर औरतें इन पाखंडों से भी बच सकेंगी और अपना खुद का पैसा भी बचा सकेंगी. आज दोहरी इंकम बहुत जरूरी है चाहे बच्चे कम हो. आज हर औरत को कोविड के अचानक प्रहार के लिए तैयार रहना पड़ेगा. आज वैसे भी चिकित्सा का बोझ भी बढऩे लगा है क्योंकि सरकार ने चिकित्सा सुविधा से हाथ पूरी तरह खींच लिया है. औरतों की अतिरिक्त कमाई उन के लिए बहुत जरूरी है.

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