प्रीति शिनौय भारत के मशहूर लेखकों में गिनी जाती हैं. साहित्य में योगदान के लिए इन्हें ‘इंडियन औफ द ईयर’ ब्रैंड्स अकादमी अवार्ड, 2017 से सम्मानित किया गया. नई दिल्ली इंस्टिट्यूट औफ मैनेजमैंट ने इन्हें ‘ऐकैडमिया अवार्ड फौर बिजनैस ऐक्सीलैंस’ से सम्मानित किया. प्रीति ने आईआईटी, आईआईएम, इसरो, इन्फोसिस जैसे कई प्रमुख कौरपोरेट संगठनों में प्रेरक भाषण दिए. पेश हैं, उनसे किए गए कुछ सवाल-जवाब:

आपकी सफलता का राज क्या है?

मेहनत और दृढ़ निश्चय. जब मेरे लिखने की बात आती है या ऐसी किसी भी चीज की जो मेरे लिए महत्त्वपूर्ण होती है तो मैं बहुत अनुशासित रूप से कार्य करती हूं. सफलता के लिए कोई शौर्टकट नहीं होता. सफलता का रास्ता मुश्किल होता है. आप को वह सब करना पड़ता है जो कामयाबी के लिए जरूरी होता है.

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आपके अंदर ऐसी कौन सी इनर स्ट्रैंथ है, जो आप को ये सब करने को प्रेरित करती है?

मुझे लगता है कि अगर मैं लिखूंगी नहीं तो मेरे दिमाग में विस्फोट हो जाएगा. मेरे दिमाग में हर समय बहुत सारे खयाल दौड़ रहे होते हैं. मैं अपने आसपास की दुनिया को बेहतर समझने के लिए लिखती हूं. मैं 5 साल की उम्र से लिख रही हूं. लिखने से मुझे खुशी और आराम मिलता है. लेखन मेरे लिए खुद को व्यक्त करने का प्राकृतिक तरीका है. इसी को कुछ लोग ‘इनर स्ट्रैंथ’ कहते हैं.

बतौर स्त्री आगे बढ़ने के क्रम में क्या कभी असुरक्षा का एहसास हुआ?

मुझे लिखते समय अपने स्त्री होने की वजह से कभी असुरक्षा महसूस नहीं हुई और न ही सफर करते हुए या अपनी किताबों से संबंधित यात्राओं पर. मैं सफर करते हुए सावधानियां बरतती हूं. लेखन एक ऐसा व्यवसाय है जहां आप का स्त्री या पुरुष होना माने नहीं रखता. अगर आप के शब्दों में वह ताकत है कि पाठक उन्हें समझ पाएं और अपनी जिंदगी से जोड़ पाएं, उन्हें पढ़ कर उन से भावुक तौर पर जुड़ जाएं, तो कोई फर्क नहीं पड़ता आप स्त्री हैं या पुरुष.

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