कानपुर की रहने वाली अंकिता गुप्ता को लिखने का शौक बचपन से था. मोटीवेशनल राइटिंग को ले कर उन की पहली किताब 2019 में प्रकाशित हुई. इस का नाम ‘बाई यू फौर यू’ है. लोगों ने इस को बेहद पसंद किया जिस से अब अंकिता इस का दूसरा पार्ट लिख रही है. अंकिता गुप्ता का संबंध कानपुर के प्रमुख व्यवसायी घराने से है. शादी के बाद अंकिता ने अपनी पहली पुस्तक लिखी. जिस को आज पाठक बेहद पसंद कर रहे हैं.

अंकिता पर अपनी दादी का प्रभाव सब से अधिक है. वे उन की ही तरह से सकारात्मक सोच रखती है. समाज को कुछ न कुछ देना चाहती है. अंकिता का मानना है कि हर किसी का जन्म किसी न किसी खास वजह से होता है. लोगों को उस वजह को तलाश कर के ऐसा काम करना चाहिए जिस से उन का जन्म सार्थक हो जाए.

अंकिता दो छोटेछोटे, प्यारे से बच्चों की मां है. उन का बड़ा बेटा 10वीं कक्षा में पढ़ता है और बेटी कक्षा 2 में पढ़ती है.

अंकिता ने अपने लेखन कला के विषय में बताया ‘‘मुझे खाली समय में अलगअलग तरन्ह से खयाल आते हैं. ऐसे सकारात्मक सोच वाले विचारों को मैं बचपन से ही अपनी डायरी में लिखती रही हूं. बहुत सारे लोगों ने इस को देखा तो कहा कि ये विचार एक जगह प्रकाशित हों तो दूसरों को भी इस से लाभ होगा. मुझे भी लगा कि शायद मेरा जन्म भी इसी उद्देश्य से हुआ होगा. मैं ने अपने इन विचारों को अंग्रेजी में लिखा. लोगों ने पसंद किया. अब इस का दूसरा पार्ट भी तैयार कर रही हूं.’’

अंकिता को अपने पति का पूरा सहयोग मिलता रहता है. वे कहती हैं, ‘‘जितना मैं बोलने की आदी हूं उतना ही मेरे पति खामोश रहते हैं. इस के बाद भी हर विषय में मुझे बहुत अच्छी सलाह देते हैं. मेरे लिखे को पढ़ने और उस को बेहतर बनाने के सुझाव वह किसी आलोचक की तरह ही देते हैं. यह मेरे लिए बेहद अहम होता है. पौजिटिव और पीसफुल लेखन मेरे विचारों को अभिव्यञ्चित देता है. मेरे पति एक पाठक और एक आलोचक दोनों के रूप में मेरा मार्गदर्शन करते हैं. मुझे आगे कैसे करना चाहिए वे मुझे गाइड करते हैं.’’

अंकिता को समाजसेवा और राजनीति दोनों का शौक है. अंकिता का मानना है कि वे अपनी पौजिटिव सोच से किसी को भी प्रभावित कर सकती हैं. जिस से किसी भी समस्या का समाधान निकल सकता है. उन का यह गुण उन को समाजसेवा और राजनीति दोनों में ही काम आ सकता है.

समाजसेवा को ले कर अंकिता के विचार सामान्य लोगों से अलग हैं. वे कहती हैं कि दान देते समय दूसरे हाथ को भी उस के बारे में पता नहीं चलना चाहिए. भीख देना उन को कतई पसंद नहीं है. उन का मानना है कि यह एक तरह की सामाजिक बुराई को जन्म देती है.

अंकिता लेखन और सामाजिक जीवन के साथ ही साथ अपने घर परिवार का पूरा खयाल रखती है. जो गलत दिखता है. उस में सुधार करने के लिए अंकिता सब से अधिक प्रयास करती है. प्यार के विषय में कंडीशन रखने से प्यार बीमार हो जाता है.

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