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यह कहते हुए कृष्णा ने ताला खोला और अंदर चली गई. फिर वाशरूम से आ खिड़की बंद करती है और एक बार आईने में खुद को देख हाथों से अपना बाल ठीक कर सूटकेश उठा बाहर निकल आती है. बाहर आ कर आश्चर्य में पड़ जाती है. यह देख कि गुप्ता मैडम का पति उस से फिर कहता है, ‘‘मैडम आप बात कर लीजिए न आप कल कह रही थीं कि बहुत जरूरी है बात करना.’’

‘‘नहीं इतना जरूरी नहीं है,’’ कहते हुए कृष्णा ताला लगाती है, अब उसे थोड़ा गुस्सा भी आने लगा था. सोचती है यह आदमी तो पीछे ही पड़ गया, कैसे इस से पीछा छुड़ाऊं? ताला लगा कर जब वह पीछे मुड़ी तो उस आदमी को अजीब स्थिति में पाती है जैसे आंखें चढ़ी हों और सांसें बेतरतीब चल रही हो, कृष्णा को अब थोड़ा डर लगा और वह सूटकेश ले कर से तेजी से निकल पड़ती है. गुप्ता का पति अभी भी पीछे से पुकार रहा है.

‘‘मैडम फोन कर लीजिए.’’

कृष्णा ‘नो थैंक्स’ ‘नो थैक्स’ कहते लगभग भागते हुए सड़क तक पहुंची.

रास्ते भर कृष्णा सोच में डूबी रही कि अजीब आदमी है. कल जब फोन करनी थी तो इस ने एक बार भी फोन करने को नहीं कहा और आज पीछे पड़ गया- फोन कर लीजिए, बिलकुल सिरफिरा लगता है. थोड़ी देर में वह औफिस पहुंच गई. जैसे ही वह औफिस पहुंची गुप्ता मैडम से उस का सामना हुआ और वह उस के सूटकेश को देख अजीब नजरों से उसे ताकने लगी फिर पूछा, ‘‘क्या तुम गेस्ट हाउस गई थी’’ और उसे से पीछा छुड़ा यह सोचते हुए कि दोनों ही पतिपत्नी बड़े अजीब हैं, नर्गिस के पास पहुंची.

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