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अब कृष्णा के मुंह से निकला.

‘‘औफ...’’

‘‘तू बालबाल बच गई कृष्णा, लगता है वह बुड्ढा कुछ ज्यादा ही रंगीनमिजाज था.’’

‘‘कावेरी तुझे लगता है कि अगर वह बूड्ढा मेरे साथ जबरदस्ती करता तो मैं उसे छोड़ देती, कस के एक झापड़ नहीं रसीद करती उस के गाल पे. ऊंह, ये मुंह और मसूर की दाल.’’

‘‘कृष्णा तू जो भी करती पर एक कांड तो हो जाता न?’’ अब तो तू मान ले कि मैं जो कहती थी वो 100% सही था कि पुरुषों पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए भले ही वे बूढ़े ही क्यों न हों.’’

‘‘नहीं सारे पुरुष एक से नहीं होते मेरे पति तो मुझे छोड़ किसी की तरफ ताकते तक नहीं.’’

‘‘कृष्णा तेरी बात सही है कि सारे पुरुष एक से नहीं होते पर कुछ मर्द तो ऐसे होते ही हैं जो अकेली औरत देखी नहीं कि बस लगे लार टपकाने. उन के लिए औरत की उम्र भी कोई माने नहीं रखती. ऐसे मर्दों से हमेशा सावधान रहना चाहिए.’’

‘‘कावेरी तेरी बात मानने को दिल तो नहीं करता पर तू ने इस घटना का विश्लेषण इस तरह किया है कि तेरी बातों में दम नजर आने लगा है. अब तो मुझे भी लगने लगा है कि उस दिन एक हादसा होतेहोते रह गया. पर मुझे अब भी बड़ा अजीब लग रहा है कि मेरे साथ भी इस उम्र में ऐसा कुछ कैसे हो सकता है.’’

‘‘कृष्णा चल अब मैं तुझे अपनी बात बताती हूं. इस बार दीवाली छुट्टी के लिए जब मैं आ रही थी स्टेशन पर मेरे साथ भी एक मजेदार वाकेआ हुआ. मैं स्टेशन समय से पहुंच गई थी पर ट्रेन

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