इस बार किट्टी पार्टी रेखा के यहां थी. सब आ चुकी थीं. ड्राइंगरूम में सब को एक नया चेहरा नजर आया, सब ने प्रश्नवाचक नजरों से रेखा को देखा. रेखा ने नए चेहरे का परिचय कराते हुए कहा, ‘‘यह है दीपा, मंजू, यह तुम्हारी बिल्डिंग में तुम्हारे फ्लैट के ऊपर ही तो रहने आई है.’’

मंजू ने कहा, ‘‘हां, कोई शिफ्ट तो कर रहा था, पर तुम्हें इतनी जल्दी कैसे पता चल गया?’’

‘‘इन के पति अनिल मेरे पति संदीप के कुलीग हैं और अगर आप लोगों को कोई

परेशानी न हो तो यह भी हमारी किट्टी में शामिल हो रही हैं.’’

सुमन ने कहा, ‘‘अरे परेशानी कैसी? 10 से 11 हो जाएंगे, नो प्रौब्लम.’’

सब अपनाअपना परिचय दीपा को देने लगीं. सब बनारस की तुलसीधाम सोसायटी ही रहती थीं.

दीपा ने अपने हंसमुख स्वभाव से सब को प्रभावित किया. वह काफी सुंदर और स्मार्ट थी. सब हमेशा की तरह ऐंजौय कर रही थीं. खानापीना हुआ, गेम्स खेले गए, गप्पें हुईं. फिर दीपा ने कहा, ‘‘अगले हफ्ते आप सब मेरे यहां लंच पर आइएगा, तब तक घर पूरी तरह सैट

हो जाएगा.’’

सब ने खुशीखुशी निमंत्रण स्वीकार किया. सब चलने के लिए उठीं तो दीपा ने साइड में रखी अपनी छड़ी उठाई और चलने के लिए कदम बढ़ाया. छड़ी ले कर चलते हुए वह एक पैर पर काफी झकी तो सब हैरान रह गईं.

मंजू ने पूछा, ‘‘यह क्या?’’

दीपा ने सरल हंसी बिखेर दी, ‘‘अभी तक मैं बैठी हुई थी न, आप लोगों को अंदाजा नहीं हुआ... मेरा एक पैर ठीक नहीं है.’’

अनीता ने हैरानी से पूछा, ‘‘पर हुआ क्या है?’’

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