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‘‘अब यह टौपिक बदल भी लो, यार,’’ चिकन खा रही संगीता को खाने के आनंद में पड़ रहा खलल अच्छा नहीं लगा रहा था.‘‘मैं बहुत परेशान हूं और मु झे इतना गुस्सा आ रहा है... इतना गुस्सा आ रहा है कि...’’उसे टोकते हुए संगीता ने मुंह बनाते हुए कहा, ‘‘तुम अनुराधा से इतने ही दुखी और परेशान हो, तो उसे तलाक क्यों नहीं दे देते हो?’’‘‘तलाक?’’

नीरज चौंक पड़ा.‘‘हां, तलाक. हम दोनों तलाकशुदा प्रेमी फिर शादी कर के साथ रहेंगे, डार्लिंग. सोचना शुरू करोगे तो मेरा सु झाव तुम्हें जरूर पसंद आएगा, स्वीटहार्ट.’’‘‘रोहित बीच में न होता, तो मैं जरूर अनुराधा को तलाक दे देता. मैं उसे तो अपनी जान से ज्यादा चाहता हूं.’’‘‘अपनी इस जान की खुशियों व मन की सुखशांति की तरफ भी ध्यान दो, जानेमन. तुम्हें सम झना चाहिए कि अपनी पत्नी की बातें हर समय कर के तुम माहौल बिगाड़ डालते हो,’’

संगीता ने शिकायत करी.‘‘यार, मैं तुम से अपने दिल की बातें नहीं करूंगा, तो किस से करूंगा?’’ नीरज भी चिड़ उठा.‘‘तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार भरी बातें भी मौजूद हैं न?’’‘‘मैं तुम्हें अपनी जान से ज्यादा चाहता हूं, डार्लिंग.’’‘‘तब मेरे सामने उन्हीं बातों को जबान पर लाया करो, प्लीज.’’‘‘ओके... ओके,’’ अपने गुस्से को नियंत्रण में रखने की कोशिश करता हुआ

नीरज फिर चुप हो कर खाना खाने लगा. बाद में संगीता के फ्लैट में पहुंचने के बाद दोनों ने प्यार का खेल खेला जरूर, लेकिन इस बार उस में जोश व उत्साह की कमी दोनों को ही महसूस हुई. विदा लेते समय नीरज का आंतरिक तनाव बेचैनी अपनी जगह बने हुए थे, जबकि संगीता के मन में नाराजगी व असंतोष के भाव और ज्यादा गहरा गए थे.महीने के दूसरे हफ्ते में नीरज के सिर पर मंडराता आर्थिक संकट और गहरा गया.अनुराधा की ममेरी बहन की शादी का कार्ड आ गया. करीब 2 हफ्ते बाद होने वाली शादी में शामिल होने के लिए अनुराधा सप्ताह भर के लिए अपने मामा के घर जान चाहती थी. शादी की तैयारी करने के लिए उस ने 30 हजार रुपयों की मांग नीरज के सामने रख दी.

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